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4 Best Tips to Improve Your Job

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1.अपने जॉब में सुधार करने के लिए 4 बेहतरीन युक्तियाँ (4 Best Tips to Improve Your Job),अभ्यर्थियों के लिए जाॅब को बेहतरीन तरीके से करने की तकनीक (The Technique of Doing Job in Best Way for Candidates):

  • अपने जॉब में सुधार करने के लिए 4 बेहतरीन युक्तियाँ (4 Best Tips to Improve Your Job) के आधार पर आगे से आगे तरक्की करते जाएंगे।जॉब में सुधार के लिए केवल जॉब में पारंगत होना ही आवश्यक नहीं है बल्कि कई ऐसी छोटी-छोटी बातें हैं जिनका पालन करके हम जाॅब में ऊंचाइयों पर पहुंच सकते हैं।लेकिन हम इन छोटी-छोटी बातों की अनदेखी करके अपने पांव पर आप कुल्हाड़ी मारते हैं और जाॅब में तरक्की के अवसर से वंचित हो जाते हैं।
  • उदाहरणार्थ कई बार बिना सोचे समझे अनजान लोगों से तो हम शिष्टता का व्यवहार करते हैं पर जिन लोगों के साथ हम रोज काम करते हैं उनको कोई तवज्जो नहीं देते हैं।कई बार हम अपने लिए काम करने वाले लोगों की बातचीत में दखल देते हैं और उनकी बात को बीच में टोक देते हैं या उस पर ध्यान नहीं देते।
  • प्रायः कभी-कभी तो हम अपने सहकर्मियों के नाम तक भूल जाते हैं।बहुत बार हम अपने लिए काम करने वाले लोगों को उतना ही महत्त्व देते हैं जितना कमरे में पड़ी बेजान वस्तुओं को।कर्मचारी/अधिकारी आपस में शिष्टाचार की अपेक्षा रखते हैं और उसकी कमी को बहुत जल्दी ही महसूस भी करते हैं।
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2.जाॅब करने के तरीके में सुधार करें (Improve the Way You Do the Job):

  • थोड़ा बहुत हास्य-विनोद किसे पसंद नहीं होता,इससे वातावरण हल्का हो जाता है।अगर आप किसी सहकर्मी से मजाक कर रहे हैं तो जरा ध्यान से करें विशेषकर जब उसकी प्रकृति से अच्छी तरह परिचित नहीं है।कुछ कर्मचारी बहुत संवेदनशील होते हैं और अपने बारे में कोई हंसी-मजाक बर्दाश्त नहीं कर पाते।
  • बहुत से कर्मचारियों को अपने सहकर्मियों से हल्का-फुल्का मजाक करने में मजा आता है।ऐसा करने में कोई नुकसान नहीं है,जब तक सभी लोगों को इसमें आनंद आ रहा हो।पर बहुत से कर्मचारी ऐसे भी होते हैं जो इस प्रकार के मजाक को समझ नहीं पाते और उनके लिए ऐसा मजाक किसी मानसिक पीड़ा से कम नहीं होता।लोगों के प्रति व्यवहार में हंसी-मजाक का गुण होना बहुत महत्त्वपूर्ण है।इस गुण का सूझबूझ से उपयोग करें।
  • बातों को छुपाने से सहकर्मियों में आपस में भरोसा कम होता है।यही नहीं,छुपाई गई बातें ज्यादातर सामने आ ही जाती हैं,वह भी कभी गलत और विकृत रूप में।इसलिए अच्छा यही है कि कम से कम बातों को राज रखा जाए।अगर कोई निर्णय लिया गया है तो तुरंत उसकी घोषणा कर दें,इससे पहले कि वह लोगों में कानाफूसी के जरिए फैले।
  • अगर कर्मचारियों में यह भावना हो कि कुछ बातें उनसे छुपाई गई है जबकि अन्य को वही बातें पता हैं तो इससे कार्यालय के कामकाज पर बुरा असर पड़ता है।सभी लोग चाहते हैं कि बाॅस (Boss) उन पर भरोसा करें और कर्मचारी बाॅस (Boss) का भरोसा करें।अगर आपको कुछ बताया नहीं जाता है तो आप अपने को महत्त्वहीन महसूस करने लगते हैं।इससे काम के प्रति आपके उत्साह पर भी असर पड़ता है।ठीक इसी तरह आप के सहकर्मी भी यही महसूस करते हैं।
  • एक कर्मचारी/अधिकारी बहुत समझदार होता है।वह जानता है कि कई बार कर्मचारियों को अधिकारी से तथा अधिकारी को कर्मचारियों से अपनी समस्याओं और शिकायतों पर चर्चा करने की जरूरत होती है।अगर वे ऐसा करने में नहीं झिझकते तो इसका मतलब यह है कि कर्मचारी/अधिकारी आप काम बखूबी कर रहा है।वह समझता है कि कर्मचारी/अधिकारी अपना तनाव अभी कम कर लेंगे तो बाद में उसका गुबार नहीं बनेगा।कई बार वे बस इतना ही चाहते हैं कि कोई उनकी बातों पर ध्यान दें उन्हें सुनले।आप उनकी बात खुले मन से सुने।उन पर गुस्सा न करें।
  • अच्छा कर्मचारी/अधिकारी अपनी भावनाओं और उत्तेजना को परे रखकर धीरज से काम लेता है और सोच-समझकर सही निर्णय लेने की कोशिश करता है।
  • गुस्सा आना या चिड़चिड़ाना मनुष्य का स्वभाव है।ऐसा होने पर अच्छा यही है कि आप कुछ समय अकेले रहकर अपने को शांत कर लें।बहुत गुस्सा आ रहा हो तो कूड़े की टोकरी को लात मार लें या एक गुस्से-भरी चिट्ठी लिखकर उसे फाड़ दें।पर जहां तक हो सके ऐसी स्थिति में कोई निर्णय न लें।अगली सुबह आपकी स्थिति कुछ ओर ही नजर आएगी।
  • किसी पर गुस्सा करना या उससे टोकना एक कर्मचारी/अधिकारी को शोभा नहीं देता।यदि गुस्सा करना जरूरी भी है तो वे इसे ठीक से नहीं कर पाते।वे गलती करने वाले का पता लगाते हैं और फिर उस पर भड़क उठते हैं।पर इससे होता सिर्फ इतना है कि उनकी अपनी भड़ास निकल जाती है और दूसरा कर्मचारी/अधिकारी उदास हो जाता है।किसी पर चिल्लाने से कुछ हासिल नहीं होगा।ज्यादा जरूरी है कि आप पता लगाएं कि उससे गलती क्यों हुई? क्या इससे ठीक ट्रेनिंग नहीं मिली?क्या माल घटिया था? निर्देश गलत थे,खराब तरीके थे? जब आपको कारण पता चल जाए तो उस कारण पर हमला करें,गलती करने वाले पर नहीं।स्थिति को सुधारने में उसकी सहायता करें।आप पाएंगे कि लोग आपसे चिढ़ने की जगह आपको सहयोग करेंगे।

3.जॉब में आगे बढ़ने की तकनीकें (Techniques for Moving Forward in the Job):

  • आप इन शब्दों “शायद मैं गलत हूं पर,क्या आपको नहीं लगता कि,क्या ऐसा नहीं हो सकता कि,इसे देखने का एक तरीका यह भी है,ऐसा संभव है कि” के प्रयोग से आप अपनी बात अधिक प्रभावी ढंग से सामने वाले तक पहुंचा सकते हैं।इस तरह के शब्दों से आप बात शुरू करने पर आप पाएंगे कि कर्मचारी/अधिकारी आपकी बात सुनने के लिए तैयार हैं और आपकी बात से चिढ़ेंगे भी नहीं।अगर आप जानते हैं कि आप ही सही हैं तब भी यह जरूरी है कि लोगों को लगे कि आप खुले दिमाग से उनकी बात सुन रहे हैं।इससे वे भी आपकी बात खुले दिमाग से सुनेंगे।
  • आज के युग में आप बाॅस हैं या कर्मचारी तो यह जरूरी नहीं है कि आपका हरेक निर्णय मानना ही पड़ेगा,यदि मानना पड़े तो भी यह कोई जरूरी नहीं है कि वे आपसे सहमत भी हों।उपर्युक्त शब्दों के प्रयोग से वे आपके निर्णय को खुशी से स्वीकार करेंगे।
  • कर्मचारियों/अधिकारियों से अच्छा काम लेना हो तो उन्हें इसके लिए विवश करने की अपेक्षा अधिक कारगर यह होगा कि उनमें अच्छा काम करने की इच्छा और प्रेरणा को बढ़ावा दिया जाए।पर कई बार यह तरीका काम नहीं करता।ऐसी स्थिति में संबंधित कर्मचारी/अधिकारी से सीधे समस्या पर बात करें।अगर वह आपके सकारात्मक रवैए को नहीं अपना रहा है तो उसका कोई कारण होगा।इसका पता लगाएं।सजा या दण्ड दिए बिना उसे सीधा करने की कोशिश करें।तब भी बात न बने तो जितनी जल्दी हो सके उससे छुटकारा पा लें।यह कम्पनी के लिए अच्छा है।
  • एक छोटा-सा गड्ढा खोदने के लिए सौ कर्मचारी और दो अधिकारी रखने की क्या तुक है?आवश्यक बात यह है कि कोई काम कितने पैसे खर्च करने से किया जा सकता है।इसे पहले समझ लें,जिस काम को पहले चार कर्मचारी करते हों अगर वही काम अब दो कर्मचारी कर रहे हैं तो इस पर आपको गर्व होना चाहिए।खर्चे और लागत पर हमेशा नियंत्रण रखें।
  • लाभ होना महत्त्वपूर्ण ही नहीं,जरूरी भी है।अगर कंपनी पर्याप्त मुनाफा नहीं कमा पाएगी तो उसे लंबे समय तक चलाना कठिन हो जाएगा।
  • अगर कंपनी को चलाने के लिए स्वर्ग के फरिश्ते भी आ जाएं,चाहे उन्हें नफे-नुकसान में कोई निजी रुचि न हो तब भी कंपनी को लाभ कमाने की आवश्यकता पड़ेगी।
  • कंपनी के लिए कम बजट और स्टाफ देना अच्छा रहता है।शुरू में तो वे इसे लेकर शोर मचाएंगे,पर फिर इस दबाव के चलते वे ऐसे तरीके खोज निकालेंगे जिनसे कम लागत और कम लोगों से भी अच्छा और अधिक काम हो सके।
  • जिन कंपनियों के नतीजे अच्छे होते हैं उनका वातावरण अक्सर बहुत ही शान्त एवं उबाऊ-सा रहता है।कारण,वहां सम्भावित समस्याओं पर शुरू से ही ध्यान दिया जाता है और संकट पैदा होने की नौबत ही नहीं आती।ऐसे वातावरण में कर्मचारी/अधिकारी आराम से काम करते हैं।जैसे भविष्य के लिए योजना बनाना,कर्मचारियों/अधिकारियों के काम पर ध्यान देना आदि।
    औसत आँकड़े हमेशा पूरी तस्वीर पेश नहीं करते।उदाहरणार्थ एक कंपनी में अनेक प्रकार के सामान की सूची में केवल 10% चीजें ऐसी थी जो मूल्य या उपयोगिता की दृष्टि से महत्वपूर्ण थी।बाकी 90% सामान सब मिलाकर भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं था।इसलिए अधिकारी ने निर्देश दिया कि उन 10% चीजों पर ही ध्यान केन्द्रित किया जाए।अतः औसत आंकड़ों के पीछे झाँकना भी आवश्यक है।
  • काम शुरू करने से पहले आगे की योजना और उसके लिए बजट बना लें।बजट भी भविष्य के लिए एक योजना ही होता है।कर्मचारी/अधिकारी को हमेशा इस बात पर नजर रखनी चाहिए कि नतीजे योजना के अनुसार हैं या नहीं।अगर काम की प्रक्रिया में होने वाले खर्चे बजट या योजना के हिसाब से नहीं होंगे तो कम्पनी के संसाधन बेकार ही बर्बाद होंगे।

4.जाॅब में कुशलता लाने के व्यावहारिक उपाय (Practical Ways to Bring Skills in the Job):

  • प्रभावी नेतृत्त्व का रहस्य यही है कि आप अपने कर्मचारियों/अधिकारियों की कमियों की अपेक्षा उनकी खूबियों पर ध्यान दें।सभी लोगों में अलग-अलग कमियां या खूबियां होती हैं।पर एक आम कर्मचारी अक्सर किसी एक ही क्षेत्र में बहुत माहिर और काबिल होता है।उसकी इसी काबिलियत पर ध्यान दें और उसकी कमजोरियों को भूल जाएं,क्योंकि किसी भी सामान्य कर्मचारी में कमजोरियां तो होती ही हैं।
  • अगर कोई कर्मचारी किसी भी क्षेत्र में कमजोर नहीं है तो हो सकता है उसके पास किसी तरह की खास काबिलियत भी न हो और वह एक औसत दर्जे का कर्मचारी हो।सभी जाने-माने लीडरों की अपनी कमियां रही हैं।जरूरी बात यह है कि इन सभी ने अपने-अपने काम में अच्छे नतीजे दिखाए हैं।
  • लगे रहिए,सफलता जरूर मिलेगी।इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितनी बार नाकाम रहे।लंबी दौड़ का विजयी सबसे होशियार कर्मचारी नहीं,वह होता है जिसमें हार माने बिना एक ही काम के लिए बार-बार प्रयास करने का धीरज और क्षमता होती है।कहा गया है ‘सफलता के लिए 1% प्रेरणा और 99% पसीना चाहिए’।
  • वेतन बढ़ाने की मांग अक्सर वहाँ की जाती है जहाँ लोग बोरियत,निराशा और असफलता के वातावरण में काम कर रहे हों।ऐसे में वेतन बढ़वाकर लोग अधिक परिश्रम और उत्तरदायित्व का इनाम नहीं बल्कि निराशा और बोरियत का हर्जाना पाना चाहते हैं।इस बात को कम ही समझा जाता है।वेतन बढ़ाने की मांग इस बात का संकेत है कि लोगों के काम को रुचिपूर्ण बनाने और सबसे कनिष्ठ कर्मचारियों को भी उनके महत्त्व और दायित्व को महसूस कराने की जरूरत है।
  • “अरे तुम—सुनो!” हम अक्सर कर्मचारियों को इसी तरह पुकारते हैं।वह भी उन कर्मचारियों को जो कई वर्षो से इसी कार्यालय में काम करते आए हैं।अपना नाम सभी कर्मचारियों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होता है।अगर आप किसी कर्मचारी का नाम भी याद नहीं रख सकते तो वह आपकी या आपके काम की परवाह क्यों करेगा? दूसरी ओर,किसी से अगर आपका ज्यादा संपर्क नहीं होता,पर आप उसे नाम लेकर पुकारेंगे,तो वह बहुत खुश हो जाएगा।उसे लगेगा कि अधिकारी और मैनेजमेंट उसे कंपनी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।

5.जॉब में सुधार का दृष्टांत (An Example of Job Reform):

  • एक नगर में गणित के एक विद्यार्थी ने परिश्रमपूर्वक इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।इसके बाद उसने एक अच्छे जॉब के लिए तलाश प्रारंभ की।अनेक प्रस्तावों के साथ उसने एक ऐसी कंपनी में अपना आवेदन दिया,जहाँ उसे काम सीखने और नई चीजें जानने का मौका मिलने की उम्मीद थी।जब वह कंपनी के कार्यालय में गया तो उसे बताया गया कि वहां तो एक मात्र एक टाइपिस्ट की जगह खाली है।
  • युवक के पास थी तो इंजीनियरिंग की डिग्री,किन्तु उसने भविष्य में बेहतर अवसरों की आशा में टाइपिस्ट का जाॅब करने का वादा करके चला गया।
  • चार दिन बाद काम सम्हाला तो कम्पनी के मैनेजमेन्ट ने पूछा,आप पहले तो तत्काल काम करने को आतुर थे फिर चार दिन बाद क्यों आए?युवक ने उत्तर दिया,मुझे टाइप करना अच्छी तरह नहीं आता था।अतः इन चार दिनों में मैंने टाइपिंग का अच्छा अभ्यास किया और मुझे विश्वास है कि अब मैं यह काम करने में पूरी तरह से सक्षम हूँ।
  • अपने काम को पूरी तन्मयता व दक्षता से करने की इस आदत ने उस युवक को अन्ततः कम्पनी के मैनेजर के पद तक पहुँचा दिया।सार यह है कि सौंपे गए काम को मन की सम्पूर्ण लगन से करने पर उसके बेहतर परिणाम सामने आते हैं।अतः जो भी काम हाथ में लें उसे पूरी दक्षता के साथ करें।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में अपने जॉब में सुधार करने के लिए 4 बेहतरीन युक्तियाँ (4 Best Tips to Improve Your Job),अभ्यर्थियों के लिए जाॅब को बेहतरीन तरीके से करने की तकनीक (The Technique of Doing Job in Best Way for Candidates) के बारे में बताया गया है।

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6.मैं गणित के सवाल हल करने की सोचता हूँ (हास्य-व्यंग्य) (I Think of Solving Math Questions) (Humour-Satire):

  • गणित का विद्यार्थी (गणित शिक्षक से):सर (sir),मैं हमेशा यह सोचता हूं कि जैसे मैं गणित के सवाल हल कर रहा हूं।
  • गणित शिक्षक:अब तुम मेरे पास तभी आना जब तुम गणित के सवाल हल करने लग जाओ।

7.अपने जॉब में सुधार करने के लिए 4 बेहतरीन युक्तियाँ (Frequently Asked Questions Related to 4 Best Tips to Improve Your Job),अभ्यर्थियों के लिए जाॅब को बेहतरीन तरीके से करने की तकनीक (The Technique of Doing Job in Best Way for Candidates) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.चापलूसों से क्यों बचें? (Why Avoid Flattery?):

उत्तर:एक औसत अधिकारी की बहुत बड़ी समस्या होती है वे सहकर्मी,जो उसकी हां में हां मिलाते रहते हैं और सारा समय उसकी चापलूसी करते हैं।एक समझदार अधिकारी अपने इर्द-गिर्द उन्हीं कर्मचारियों/अधिकारियों को रहने देता है जो उसे सही सलाह देते हैं।अगर वह उसकी अपनी राय से विपरीत हो तब भी,यह बहुत जरूरी है कि वह चमचों और चापलूसों को पहचान सके।वरना ऐसे कर्मचारी/अधिकारी उसके लिए मुसीबत बन सकते हैं।अपनी व्यस्तता में कोई भी बड़ा अधिकारी गलत निर्णय ले सकता है।अतः यह बहुत आवश्यक है कि वह अन्य कर्मचारियों की समझदारी पर निर्भर कर सके।

प्रश्न:2.संकट के समय क्या करना चाहिए? (What to Do in Times of Crisis?):

उत्तर:अगर कुछ गलत हो रहा है तो शायद आप गुस्से में आकर गलती करने वाले पर चिल्लाना चाहेंगे।पर इससे हासिल कुछ भी नहीं होगा।इससे आपको उसका सहयोग नहीं मिल सकेगा।उल्टे,एक गलत बात या गलत व्यवहार से स्थिति ओर बिगड़ सकती है।अगर आप उसे उत्तेजित कर देंगे तो वह अपनी बात पर अड़ जाएगा।

प्रश्न:3.कार्य करने की भाषा में क्या ध्यान रखें? (What to Keep in Mind in Working Language?):

उत्तर:आजकल एक ही कम्पनी के अलग-अलग विभाग ऐसी भाषा का उपयोग करते हैं जो केवल उसी विभाग के लोग समझते हैं।इससे होता यह है कि दो या अधिक विभागों की आपस में बातचीत पूरी तरह गड़बड़ा जाती है।उदाहरण के लिए,एकाउंटेंट की अपनी भाषा है जो ओर किसी की समझ से बाहर है।नतीजा यह कि बहुत सारा समय और पैसा लगाकर उसने जो रिपोर्ट बनाई है उसका कुछ खास उपयोग नहीं होगा।यही समस्या वकीलों,इंजीनियरों,मार्केटिंग के लोगों,सेल्स मैनेजरों और पर्सनल विभागों के साथ भी है जो बढ़ती ही जा रही है।इनकी किसी रिपोर्ट को समझने के लिए प्रायः उनके विभाग से किसी को बुलाना पड़ता है। अतः अपनी रिपोर्ट,प्रतिवेदन अथवा अपने कार्य की भाषा में सरलता और स्पष्टता होनी चाहिए ताकि कोई भी कर्मचारी या अधिकारी आपकी रिपोर्ट,प्रतिवेदन अथवा कार्य को देखकर आसानी से समझ सके और किसी अन्य कर्मचारी या अधिकारी का सहयोग लेने की आवश्यकता महसूस न हो।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा अपने जॉब में सुधार करने के लिए 4 बेहतरीन युक्तियाँ (4 Best Tips to Improve Your Job),अभ्यर्थियों के लिए जाॅब को बेहतरीन तरीके से करने की तकनीक (The Technique of Doing Job in Best Way for Candidates) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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