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3Tips for Skill Development in Student

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1.विद्यार्थियों में स्किल के विकास हेतु 3 टिप्स (3Tips for Skill Development in Student),छात्र-छात्राओं में स्किल के विकास हेतु बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips for Skill Development in Students):

  • विद्यार्थियों में स्किल के विकास हेतु 3 टिप्स (3Tips for Skill Development in Student) के आधार पर डिग्री प्राप्त करने के पश्चात वे बेकारी का सामना नहीं करेंगे।वर्तमान शिक्षा में छात्र-छात्राओं में संस्कार निर्माण तथा स्किल सीखने के दोनों पक्षों को छोड़ दिया गया है। इस लेख में स्किल का विकास के बारे में ही बताया जाएगा क्योंकि इसका विषय स्किल का विकास ही है।संस्कार निर्माण को भी यदि इस लेख में शामिल किया जाएगा तो लेख लंबा हो जाएगा।
  • स्किल का निर्माण दो स्तर पर किया जा सकता है। पहला शिक्षा के साथ किसी स्किल का निर्माण करने को जोड़ा जाए।यह कार्य सरकार ही कर सकती है। परंतु सरकार सत्ता में बने रहने के हथकंडे अपनाती है।शिक्षा लोकलुभावन तथा वोट प्राप्ति का साधन नहीं है इसलिए इसमें ज्यादा कुछ फेरबदल नहीं करती है।यदि शिक्षा के साथ किसी स्किल का निर्माण भी जोड़ा जाता तो डिग्री प्राप्त करने के बाद छात्र-छात्राएँ न तो नौकरी के लिए हाथ-पांव मारता और माता-पिता भी आश्वस्त हो जाते।
  • दूसरा स्तर है कि स्किल का निर्माण निजी स्तर पर किया जाए।जब माता-पिता,अभिभावक अपने बच्चों के लिए भोजन,वस्त्र व मकान की आवश्यकताओं की पूर्ति अपने स्तर पर कर सकते हैं तो  स्किल का निर्माण भी किया जाए।
    इतने वर्षों (75 वर्षों) की स्वतंत्रता तथा शिक्षा प्रणाली को देखकर यह बात बिल्कुल स्पष्ट है कि स्कूल तथा कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करने के बाद हर युवा को सरकारी नौकरी मिलना असंभव है। इसलिए उचित यही है कि छात्र-छात्राओं को शिक्षा के साथ ही स्किल,हुनर को भी सिखाया जाए।
  • नियोजन कार्यालयों में पंजीकृत बेरोजगार युवाओं की संख्या करोड़ों की संख्या में है।अतः माता-पिता को छात्र-छात्राओं से नौकरी की झूठी आशा पाले रखना दिवास्वप्न की तरह है।
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2.स्किल के निर्माण में बाधक बातें (Things That Hinder Creation of Skills):

  • (1.)मात्र पुस्तकों का अध्ययन करना,परीक्षा पास कर लेना,पढ़ा हुआ याद कर लेने से स्किल का विकास नहीं किया जा सकता है।बालक यदि परिश्रम से जी चुराता हो,स्वयं का कार्य भी दूसरों से करवाता हो,आवारागर्दी या कुसंग पसंद करता हो तो ऐसी शिक्षा अधूरी ही है और इससे स्किल का निर्माण नहीं हो सकता है।
  • (2.)मौज मस्ती करना,सिनेमा देखना,गप्पे हाँकना,सोशल मीडिया पर घंटों चैटिंग करना,फेसबुक पर छद्म मित्रों को जोड़ने में व्यस्त रहना तथा इसी प्रकार के अनेक फालतू कार्यों से स्किल का विकास नहीं होता है।ऐसे कार्य करने से छात्र-छात्राएं आलसी होते जाते हैं,अकर्मण्य होते जाते हैं।उनमें श्रम के प्रति निष्ठा जागृत नहीं होती है।वे हर कार्य के लिए यह इंतजार करते हैं कि कोई ओर उनका यह कार्य कर दें।उनको स्वयं हाथ-पैर न चलाना पड़े,काम आगे बढ़कर न करना पड़े।
  • यहां तक कि कुछ छात्र-छात्राओं की आदत तो इस प्रकार की हो जाती है कि वे अपना स्कूल का गृह कार्य भी अन्य बालको से करवाते हैं या दूसरे बालकों की नोटबुक से नकल कर लेते हैं।इस प्रकार के बालक-बालिकाएं पुरुषार्थहीन होते जाते हैं तथा कोई भी कार्य करने की उनमें दिलचस्पी नहीं होती है।
  • (3.)जो विद्यार्थी आगे बढ़कर कार्य करते हैं,हर कार्य चाहे स्वयं का हो,दूसरों का हो या घर का हो उसे तत्परता पूर्वक रुचि से करते हैं ऐसे बालक आगे जाकर कर्मठ और तेजस्वी होते हैं।ऐसे बालको से परिवार,समाज व शिक्षा संस्थानों के अध्यापक खुश होते हैं।माता-पिता,अभिभावक व शिक्षक अपने आपको सौभाग्यशाली मानते हैं कि उनके प्रयास से इस तरह के होनहार विद्यार्थी तैयार हो सके।स्किल का निर्माण भी दो तरह से किया जाता है पहला व्यक्तिगत तथा निजी प्रयासों से तथा दूसरा संस्थागत डिग्री लेकर।

3.व्यक्तिगत तथा निजी स्तर पर स्किल का विकास (Skill Development at Individual and Private Level):

  • माता-पिता तथा अभिभावकों को चाहिए कि बालक-बालिकाओं की प्रतिभा को पहचाने।बालक-बालिकाएं जिस कार्य को बार-बार करने की चेष्टा करता है।जैसे भजन गाना,नृत्य करना,कोई खेल क्रिकेट,फुटबॉल खेलना,योगासन-प्राणायाम करना,पेंटिंग करना,ड्राइंग करना,घड़ी ठीक करना,रेडियो,ट्रांजिस्टर को ठीक करना,मोबाइल फोन को ठीक करना,ट्यूशन कराना,कोचिंग में या स्कूल में पार्ट टाइम पढ़ाना,अखबार वितरण करना,कोई लेख लिखना,कविता सुनाना इत्यादि तथा इसके अलावा और भी छोटे-छोटे कार्य हो सकते हैं जिनमें विद्यार्थी रुचि लेते हैं।बालक की प्रतिभा को पहचानकर उन्हें अध्ययन करने के बाद समय बचता है उस समय में स्किल का निर्माण करना चाहिए।शीतकालीन,ग्रीष्मकालीन तथा अनेक ऐसी छुट्टियां आती हैं जिनमें विद्यार्थियों में स्किल का निर्माण किया जा सकता है।आजकल हर गांव,कस्बों में इस तरह के छोटे-छोटे कार्यो को सिखाने के केंद्र मिल जाएंगे।
  • जैसे विद्यार्थी की लेख (Article) लिखने में रुचि है।ऐसी स्थिति में उन्हें प्रोत्साहित करके पत्र-पत्रिकाओं,समाचार-पत्रों में अपने लेख तैयार करके प्रकाशनार्थ भिजवाने चाहिए।अपनी कक्षा के हिंदी के आर्टिकल्स तथा अन्य विषयों जैसे विज्ञान,सामाजिक विज्ञान,इतिहास इत्यादि के स्वयं नोट्स तैयार करें।अपने किसी परिचित मित्रों,माता-पिता से लेख लिखने में निखार लाने के लिए तकनीकी सीख सकता है।
  • इस प्रकार विद्यार्थी एक बार लेख लिखने में रुचि लेने लगता है और माता-पिता,अभिभावक उसे प्रोत्साहित करते हैं।साथ ही उसके मार्ग में आने वाली कठिनाइयों में सहयोग करते हैं तो दिन-प्रतिदिन उसके लेख लिखने में निखार आता जाएगा।आजकल वेबसाइट्स पर ऑनलाइन लेख लिखने वाले को भी हायर (Hire) किया जाता है। लेख लिखने के एवज में उन्हें पारिश्रमिक भी मिलता है।
  • विद्यार्थी को अपने रूचि के क्षेत्र में स्किल का विकास करने के साथ-साथ एक ओर कार्य करना चाहिए।फिजूलखर्ची न करें,माता-पिता से पॉकेट मनी मिलती है,लेख लिखने अथवा अन्य हुनर से पारिश्रमिक मिलता है,उसकी बचत करता रहे।इस प्रकार कॉलेज की डिग्री समाप्त होते ही उसके पास एक बड़ी धनराशि हो जाएगी।इस धन राशि से वह कोई भी छोटा-मोटा उद्योग (अपनी रुचि के क्षेत्र में) जिसमें उसने स्किल का विकास किया है,खड़ा कर सकता है।शुरू में अपने उद्योग अथवा व्यवसाय को खड़ा करने में संघर्ष करना पड़ेगा।परंतु चूंकि विद्यार्थीकाल से विद्यार्थी कर्मठ होगा तो व्यवसाय में आने वाली कठिनाइयों से घबराएगा नही बल्कि डटकर मुकाबला करेगा।

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4.संस्थागत प्रशिक्षण द्वारा स्किल का विकास (Skill Development Through Institutional Training):

  • जो छात्र-छात्राएं बचपन से ही होनहार हैं।पढ़ने-लिखने में निपुण है तथा अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया है।जैसे:डॉक्टर,सीए (Chartered Accountants),वकील,इंजीनियरिंग (इंजीनियरिंग में भी इलेक्ट्रिकल,इलेक्ट्रॉनिक्स,कंप्यूटर साइंस,सिविल जैसी ढेरों ब्रांचेज हैं) का कोर्स करना चाहता है।ऐसे विद्यार्थी को जिस भी क्षेत्र में रुचि है तथा उस क्षेत्र में उसका चयन हो गया है तो उसमें अपने स्किल का विकास करना चाहिए।
  • जैसे किसी विद्यार्थी की इलेक्ट्रिकल्स में रुचि है और उसमें प्रतिभा भी है तो ऐसे विद्यार्थी को इंजीनियरिंग का कोर्स करते समय इलेक्ट्रिकल से संबंधित स्किल का विकास करना चाहिए।पार्टटाइम में थोड़ा-सा समय एक घंटा भी इलेक्ट्रिकल से संबंधित कार्य में देना चाहिए।पार्टटाइम में किसी इलेक्ट्रिकल्स के आइटम की दुकान पर तथा घर पर कई बिजली के उपकरण खराब हो जाते हैं उनको ठीक करना चाहिए और समय देना चाहिए।इसके अलावा इलेक्ट्रिकल्स के जाॅब वाली कंपनी में भी पार्टटाइम जाॅब करे तो उसकी स्किल का विकास होगा।यदि उसने केवल इलेक्ट्रिकल की डिग्री अर्थात् बीई/बीटेक प्राप्त करने में अपना समय बिताया तो डिग्री प्राप्त करने के बाद उसमें स्किल का अभाव रहेगा।
  • आजकल कंपनियों में डिग्री के साथ-साथ स्किल वाले युवाओं का चयन करने में वरीयता दी जाती है। बीई/बीटेक करने के बाद भी युवा स्वयं का व्यवसाय खड़ा नहीं कर सकता है।यदि स्वयं का व्यवसाय खोल भी लिया तो कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा।
  • आजकल हर क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा है।आपसे पहले जो इस व्यवसाय में कार्यरत हैं उनके पास हुनर है इसलिए उनके सामने आप टिक नहीं पाएंगे। यदि आपने कठिन परिश्रम करने का अभ्यास नहीं किया तो प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाएंगे।यदि डिग्री प्राप्त करते समय आपने कठिन परिश्रम किया अर्थात् आप कर्मठ है तो मैदान छोड़कर नहीं भागेंगे।गीता में भी कहा है कि “न दैन्यं न पलायनम्” अर्थात् न तो दीनता (हार,कमजोरी) स्वीकार करनी चाहिए और न मैदान छोड़कर भागना चाहिए।यदि अध्ययन के बाद समय बचता है तो घर पर जो बेकार की चीजें हैं तथा थोड़ी मरम्मत से ठीक हो सकती हैं उन्हें ठीक करना चाहिए।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में विद्यार्थियों में स्किल के विकास हेतु 3 टिप्स (3Tips for Skill Development in Student),छात्र-छात्राओं में स्किल के विकास हेतु बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips for Skill Development in Students) के बारे में बताया गया है।

5.दो गणित के छात्र-छात्राओं में बातचीत (हास्य-व्यंग्य)(Conversation Between Two Mathematics Students) (Humour-Satire):

  • पहला मित्र:अरे! मैं आजकल गणित को हल करने में इतना व्यस्त रहता हूं कि भाई-बहनों के उठने से पहले कोचिंग सेंटर चला जाता हूं।भाई-बहनों के सोने के बाद ही घर आता हूं।एक दिन जल्दी घर आ गया तो भाई-बहनों ने दरवाजा खोलकर पूछा कौन हो? क्या चाहिए?
  • दूसरा मित्र:अरे! मैं तो इतना बिजी (व्यस्त) रहता हूं कि कोचिंग करने का वक्त ही नहीं मिलता है।
  • पहला मित्र:फिर सुबह-शाम क्या करते हो?
  • दूसरा मित्र:अरे!कुछ नहीं मैं सुबह कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को देख लेता हूं और शाम को जाकर कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को देख लेता हूं।

6.विद्यार्थियों में स्किल के विकास हेतु टिप्स से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.घर पर कौशल का निर्माण कैसे करें? (How to Build Skills at Home?):

उत्तर:यदि विद्यार्थी घर पर कौशल का निर्माण करना चाहे तो अध्ययन के पश्चात जो समय बचता है उसे कौशल सीखने में उपयोग में लेना चाहिए।उस समय में घरेलू चीजें जो बेकार हो जाती है तथा थोड़ी टूट-फूट हुई है उनको मरमत करने,सुधारने का काम कर सकता है।इससे घरवालों को नई चीज खरीद कर नहीं लानी पड़ेगी तथा घर की अर्थव्यवस्था भी ठीक रहेगी।पुरानी चीजें नई हो जाती है।जैसे कुर्सी टूट गई है तो उसको ठीक करना,बिजली का कोई उपकरण खराब हो गया है तो उसको ठीक करना,घर की दीवारों पर पेंट करना,दरवाजों पर पेंट करना,कपड़े कहीं से फट गए हैं तो उनको सिलना।पुस्तकें फट गई है तो उनकी बाइंडिंग करना।पाइप कहीं टूट गया है तो उसको ठीक करना।पानी के नल को दुरुस्त करना।इस प्रकार छोटे-छोटे कार्य करने से व्यक्तिगत कुशलता,अभ्यास और दिमाग का स्तर बढ़ता है।

प्रश्न:2.पुस्तकीय ज्ञान के अलावा व्यावहारिक ज्ञान कैसे प्राप्त करें? (How to Acquire Practical Knowledge in Addition Bookish Knowledge?):

उत्तर:ऊपर बताया गया ज्ञान पुस्तकों से नहीं मिलता है।परंतु उपर्युक्त ज्ञान (कौशल) पुस्तकीय ज्ञान से कम नहीं है।इसके अलावा मेहमानों से शिष्टाचारयुक्त बातें करना,उनका मान सम्मान करना। शिक्षा संस्थानों में होने वाले विभिन्न उत्सवों,वार्षिक उत्सव इत्यादि में भाग लेना।कहने का तात्पर्य यह है कि यदि सीखने की ललक हो तो व्यावहारिक ज्ञान भी सीखा जा सकता है।इसके लिए किसी संस्थान में प्रशिक्षण लेने की जरूरत नहीं है।माता-पिता,अभिभावकों,मिलने जुलने वालों के तौर-तरीकों को देखकर सीखा जा सकता है।

प्रश्न:3.माता-पिता बच्चों को व्यावहारिक तौर-तरीके कैसे सिखाए? (How Parents Teach Children Practical Ways?):

उत्तर:माता पिता व अभिभावकों को कथा-कहानियों,जीवन संस्मरणों,जीवनियाँ,प्रेरणादायक प्रसंगों,जीवन चरित्रों तथा सत्साहित्य के द्वारा बालकों में अच्छी बातें सीखनी चाहिए।इसके लिए उन्हें बच्चों को कुछ समय देना चाहिए।केवल धन कमाने में ही व्यस्त नहीं रहना चाहिए।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा विद्यार्थियों में स्किल के विकास हेतु 3 टिप्स (3Tips for Skill Development in Studen),छात्र-छात्राओं में स्किल के विकास हेतु बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips for Skill Development in Students) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

3Tips for Skill Development in Studen

विद्यार्थियों में स्किल के विकास हेतु 3 टिप्स
(3Tips for Skill Development in Studen)

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विद्यार्थियों में स्किल के विकास हेतु 3 टिप्स (3Tips for Skill Development in Student) के
आधार पर डिग्री प्राप्त करने के पश्चात वे बेकारी का सामना नहीं करेंगे।
वर्तमान शिक्षा में छात्र-छात्राओं में संस्कार निर्माण तथा स्किल सीखने के दोनों पक्षों को छोड़ दिया गया है।

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