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What is role of teacher in Students Success and failure?

1.विद्यार्थियों की सफलता और असफलता में शिक्षकों की भूमिका का परिचय (Introduction to What is role of teacher in Students Success and failure?),छात्रों की असफलता का कारण क्या है? (What are causes students failure?):

  • विद्यार्थियों की सफलता और असफलता में शिक्षकों की भूमिका (What is role of teacher in Students Success and failure?) बहुत महत्त्वपूर्ण होती है।शिक्षा के तीन मुख्य स्तम्भ शिक्षक,छात्र-छात्राएँ,पाठ्यक्रम और पुस्तकें होती है।इनमें भी सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका शिक्षक की होती है।

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via https://youtu.be/H-pHFNcHfks

2.विद्यार्थियों की सफलता और असफलता में शिक्षकों की भूमिका? (What is role of teacher in Students Success and failure?),छात्रों की असफलता का कारण क्या है? (What are causes students failure?):

  • प्राचीनकाल में गुरु-शिष्य परम्परा थी जिसमें शिष्यों को गुरु द्वारा गुरुकुल में शिक्षा प्रदान की जाती थी।परन्तु धीरे-धीरे शिष्य तथा गुरु सम्बन्धों में धीरे-धीरे पतन की शुरुआत हो गई थी।वर्तमान समय में गुरु-शिष्य परम्परा केवल कुछ गुरुकुलों तक सीमित रह गई।छात्र-छात्राएं शिक्षक के साथ यार-दोस्त की तरह बर्ताव करते हैं।
  • आज हम प्राचीन भारतीय संस्कृति,सभ्यता और शिक्षा के मूल्यों को भूलते जा रहे हैं।प्राचीन भारतीय शैक्षिक मूल्यों को मानने वाले को पुरातनपंथी,दकियानूसी समझते हैं।प्राचीन शिक्षा को आउटडेटेड समझते हैं।जिन शाश्वत मूल्यों का भारतीय मनीषा,ऋषियों,आप्त पुरुषों ने अपने अनुभव सिद्ध ज्ञान के आधार पर हमें विरासत में दिया है तथा जिसका लोहा समस्त संसार में माना जाता है उनकी ओर ध्यान न देकर इधर-उधर भटक रहे हैं और भौतिक सुखों को पीछे दौड़ रहे हैं।यही कारण है गुरु-शिष्य सम्बन्धों का ह्रास हो रहा है।
  • कक्षा में सभी विद्यार्थियों को शिक्षक द्वारा समान पाठ्यक्रम समान रूप से पढ़ाया जाता है।परंतु कुछ विद्यार्थी मन लगाकर न पढ़ने के कारण असफल हो जाते हैं जबकि कुछ विद्यार्थी अच्छी तरह मन लगाकर पढ़ने के कारण अच्छे अंको से उत्तीर्ण होते हैं।परंतु छोटों की गलतियां होने पर भी बड़ों को ही दोषी माना जाता है।जैसे एक छोटी गाड़ी और बड़ी गाड़ी टकरा जाती है तो दोष बड़ी गाड़ी वाले का ही माना जाता है।इसी प्रकार शिक्षकों को इसलिए दोषी माना जाता है कि विषय को रूचि पूर्वक नहीं पढ़ाया गया तथा विद्यार्थियों में कहां कमी रह गई इसका पूर्वानुमान लगाकर,उस कमी को दूर नहीं किया गया।इस प्रकार विद्यार्थियों की  सफलता-असफलता में शिक्षकों को समान रूप से दोषी समझा जाता है।
  • शिक्षक और शिक्षार्थी के मध्य मधुर एवं आत्मीय सम्बन्ध हों तो परीक्षा में तथा जीवन में सफलता मिलने पर यश तथा असफलता मिलने पर अपयश उनको ही मिलता है।शिक्षार्थी यदि उद्दण्ड होता है,लड़ाई झगड़ा करता है तो शिक्षकों को खरी-खोटी सुनाते हैं।यदि शिक्षक सावधानी बरतें तो शिक्षार्थी में सुधार किया जा सकता है तथा उत्साहजनक सफलता सहज ही उपलब्ध हो सकती है।शिक्षक शिक्षार्थी के साथ अपने बालकों की तरह व्यवहार करे,हित-अहित का ध्यान रखे तो अपयश से बच सकता है।
  • अभिभावक तो लाड़-प्यार तथा घर-गृहस्थी व आर्थिक पक्ष की समस्याओं का समाधान करने में लगे रहते हैं।इसलिए जितना अभिभावक करते हैं उतने से ही संतोष कर लेना चाहिए।माता-पिता,अभिभावकों को समझाने पर भी यदि वे सुधार की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं तो शिक्षकों को यह समझकर अपना कर्त्तव्य पालन करना चाहिए जैसे किसी मनुष्य का एक हाथ कट गया हो तो वह अपने एक हाथ से काम चलाता है।
  • शिक्षार्थियों को गलतियों पर डाँट-डपटकर,पिटाई करके,अपशब्द या गाली-गलौज करके सुधारने से प्रतिरोध,विवाद तथा स्थिति ओर अधिक बिगड़ती है और शिक्षकों को विद्रोह-विरोध का सामना करना पड़ता है।यह सब पुरातन काल में चलता था,अब समय तथा परिस्थितियां बदल गई है इसलिए प्रेमपूर्वक ही समझाना चाहिए।
  • शिक्षार्थी को पाठ्यक्रम पढ़ाया-लिखाया न भी जाए तो वर्तमान समय के बालक जानते हैं व समझते हैं कि वे कुँजियों व गाइड़ों की मदद से पास हो सकते हैं।ओर यदि उत्तीर्ण नहीं भी होते हैं तो इसमें इतनी हानि नहीं है।पर यदि बालकों को सदाचरण,लोक व्यवहार,सामाजिकता,सद्गुणों,सहयोग जैसे गुणों की कमी रह जाती है तो वह जीवनभर अपने आसपास के लोगों को सताता व उलझता रहता है।न स्वयं शान्ति से रहता है और न दूसरों को शांतिपूर्ण रहने देता है।इसलिए विद्यार्थियों के गुण,कर्म,स्वभाव को समझते हुए उपर्युक्त गुणों का समावेश कर देने पर परिवार,समाज व देश के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है।शिक्षार्थियों को सत्प्रवृत्तियों को अपनाने का लाभ और न अपनाने पर हानियां बतायी जाये जिससे उनका जीवन सुखद और शान्तिपूर्ण हो सके।
  • निष्कर्ष (Conclusion):शिक्षार्थी की सफलता-असफलता में शिक्षक-शिक्षार्थी,माता-पिता,अभिभावकों की सबसे बड़ी भूमिका होती है।इसलिए सबको अपनी भूमिका ठीक से निभानी चाहिए जिससे असफलता और अपयश से बचा जा सके।परंतु सफलता व असफलता में सबसे बड़ी भूमिका शिक्षक और शिक्षार्थी की होती है इसलिए उन्हें शिक्षा प्राप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए जिससे उन्हें अपयश न मिले।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में विद्यार्थियों की सफलता और असफलता में शिक्षकों की भूमिका? (What is role of teacher in Students Success and failure?),छात्रों की असफलता का कारण क्या है? (What are causes students failure?) के बारे में बताया गया है।
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