What is Tips of Continuous Learning in hindi
1.सतत सीखने के टिप्स क्या हैं? का परिचय (Introduction to What is Tips of Continuous Learning in hindi),सतत अध्ययन द्वारा ज्ञान कैसे विकसित करें? (How to develop knowledge by continuous study?):
- सतत सीखने के टिप्स क्या हैं? (What is Tips of Continuous Learning in hindi),सतत अध्ययन द्वारा ज्ञान कैसे विकसित करें? (How to develop knowledge by continuous study?):विद्यार्थी काल अध्ययन करने का समय है।इस समय में जैसी नींव पड़ जाती है,आजीवन वैसे ही करते रहते हैं।विद्यार्थी काल में अध्ययन करना सहज और सरल है बाद में नींव लग जाने पर अध्ययन की प्रवृत्ति डालना बहुत मुश्किल है।
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2.सतत सीखने के टिप्स क्या हैं? (What is Tips of Continuous Learning in hindi),सतत अध्ययन द्वारा ज्ञान कैसे विकसित करें? (How to develop knowledge by continuous study?):
- सांसारिक तथा आत्मिक उन्नति के लिए मनुष्य को सतत अध्ययन करते रहना आवश्यक है।यदि मनुष्य व्यवसाय से चाहे वह अध्यापक हो,वकील हो,डाॅक्टर हो या अन्य किसी व्यवसाय में हो,उसके लिए निरन्तर अध्ययन लाभप्रद है।क्योंकि निरन्तर अध्ययन करते रहने से वह नए-नए ज्ञान की प्राप्ति करता है और ऐसे मनुष्य के पास ज्ञान का भण्डार हो जाता है।परन्तु अर्जित ज्ञान को व्यवहार में उपयोग करना भी आवश्यक है तभी वह फलदायी होता है।
- संसार में जो मनुष्य किसी भी क्षेत्र में टाॅप पर पहुँचा है तो उसके पीछे उसका सतत अध्ययन तथा कठिन परिश्रम ही है।जितने भी महान् पुरुष हुए हैं जैसे स्वामी विवेकानंद,महात्मा गाँधी,लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक,लियो टालस्टाय इत्यादि उन्होंने सतत अध्ययन तथा कठिन परिश्रम करके उच्चतम स्थान प्राप्त किया है।ये समाज
- सुधारक,धर्मोपदेशक,दार्शनिक,गणितज्ञ,वैज्ञानिक इत्यादि में कोई भी हो सकते हैं।वे निरन्तर स्वाध्याय तथा कठिन परिश्रम करते रहे हैं,अपने ज्ञान को अपग्रेड तथा अपडेटेड करते रहते हैं,प्रतिदिन कुछ नया ज्ञान अर्जित करते हैं।यदि हममें भी ज्ञान के प्रति तीव्र लगन और उत्साह हो तथा प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करें अर्थात् फालतू समय नष्ट न करें तो हम स्वयं अपनी उन्नति को देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे।
- वर्तमान युग में हर क्षेत्र में ज्ञान का विस्फोट हो रहा है,यह सब मनुष्य की बुद्धि के बल पर ही हो रहा है।नए-नए अनुसन्धान,खोजे तथा तकनीकी का विकास हो रहा है।पुरातन ज्ञान में जो उपयोगी है उसको ग्रहण करना तथा नवीन ज्ञान में भी उसी ज्ञान को ग्रहण करना जो हमारे लिए उपयोगी है।क्योंकि सम्पूर्ण पुरातन तथा नवीन ज्ञान जरूरी नहीं है कि हमारे लिए उपयोगी,हितकारी व कल्याणकारी हो।
- जो मनुष्य साक्षर अर्थात् पढ़े लिखे नहीं है वे भी अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं तथा अपनी उन्नति व विकास कर सकते हैं।भारतीय संस्कृति में ज्ञान प्राप्ति के लिए स्वाध्याय के अलावा भी तरीके बताए गए हैं जिनके आधार पर अनपढ़ मनुष्य भी अपनी उन्नति व विकास कर सकता है।वे तरीके हैं पहला श्रवण (सुनकर),दूसरा मनन-चिंतन करके और तीसरा निदिध्यासन अर्थात् अपनी अन्तरात्मा की आवाज सुनकर,अनुभव करके।इन तरीकों से प्रत्येक मनुष्य चाहे वह पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़ हो ज्ञान प्राप्त कर सकता है।इसलिए उपदेशक,विद्वानों एवं महात्माओं से सत्संग करके उनकी बातों को सुनकर व उस पर अमल करके भी बुद्धि व ज्ञान को बढ़ाया जा सकता है।
- सारांश यह है कि अध्ययन एवं स्वाध्याय मनुष्य को नई विचारधारा से जोड़ने,पारंगत होने एवं अपने सद्ज्ञान में वृद्धि के लिए आवश्यक है।इसके आधार पर हम अपनी सांसारिक एवं आध्यात्मिक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं और अपनी उन्नति व विकास कर सकते हैं।इसका अर्थ यह नहीं है कि अनपढ़ मनुष्य अपनी उन्नति व विकास नहीं कर सकता है।मनुष्य में लग्न,उत्साह,कठिन परिश्रम करने की जिजीविषा हो तो अनपढ़ मनुष्य भी अपनी उन्नति व विकास कर सकता है।मार्ग में कठिनाइयाँ तो आती ही हैं वह चाहे पढ़ा लिखा हो या अनपढ़ हो।कठिनाइयां व समस्याएं मनुष्य की उन्नति व विकास के लिए ही आती हैं।कठिनाइयों व समस्याओं से तपकर मनुष्य निखरता है और उसके दुर्गुण दूर हो जाते हैं।
- उपर्युक्त आर्टिकल में सतत सीखने के टिप्स क्या हैं? (What is Tips of Continuous Learning in hindi),सतत अध्ययन द्वारा ज्ञान कैसे विकसित करें? (How to develop knowledge by continuous study?) के बारे में बताया गया है।
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