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Basic Requirements for Life in hindi

1.जीवन के लिए बुनियादी आवश्यकताएं का परिचय (Introduction to Basic Requirements for Life in hindi),जीवन के लिए बुनियादी जरूरतें क्या हैं? (What are Basic Needs for Life in hindi):

  • जीवन के लिए बुनियादी आवश्यकताएं (Basic Requirements for Life in hindi),जीवन के लिए बुनियादी जरूरतें क्या हैं? (What are Basic Needs for Life in hindi):जीवन के मनुष्य की बुनियादी भौतिक आवश्यकताएँ हैं रोटी,कपड़ा और मकान।भूख मिटाने के लिए भोजन अर्थात् रोटी,सर्दी-गर्मी,वर्षात से बचाव के लिए कपड़े तथा रहने के लिए मकान की आवश्यकताएं हैं।परन्तु विचारशील मनुष्य एक ओर आवश्यकता भी अनिवार्य मानते और वह आवश्यकता है शिक्षा।रोटी,कपड़ा और मकान मनुष्य की भौतिक आवश्यकताएँ हैं अर्थात् इनसे मनुष्य की शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है परन्तु शिक्षा तो आत्मिक व भौतिक दोनों आवश्यकताओं की पूर्ति करती है।


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2.जीवन के लिए बुनियादी आवश्यकताएं (Basic Requirements for Life in hindi),जीवन के लिए बुनियादी जरूरतें क्या हैं? (What are Basic Needs for Life in hindi):

  • शरीर रक्षा के लिए जिस प्रकार भोजन,वस्त्र,निवास आदि की आवश्यकता है उसी प्रकार प्रकट शरीर से भी बढ़कर अधिक महत्त्वपूर्ण पक्ष मनःक्षेत्र को सही स्थिति में रखे जाने की अतिशय आवश्यकता है।शरीर से तगड़े दीखने वाले भी यदि मानसिक रूप से पिछड़े हुए हैं तो समझना चाहिए कि उनकी गणना एक प्रकार से पिछड़े,गए-गुजरे,अनपढ़ स्तर के लोगों में ही होगी।वे न तो जीवन की महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं का महत्त्व समझ सकेंगे और न उन्हें जुटाने के लिए उत्साह प्रदर्शित करेंगे।अर्द्ध-विक्षिप्त व्यक्ति शारीरिक रुग्णता से ग्रसित लोगों की अपेक्षा कहीं अधिक घाटे में रहते हैं।कदाचित उन्हें अन्धे के हाथ बटेर की तरह कोई अनायास सुयोग हाथ लग भी जाय तो उसका सदुप अनगढ़ों द्वारा बन पड़ना सम्भव नहीं,दुरुपयोग तो अपने आप में विपत्ति ही है जो धन-सम्पदा हाथ लगने पर भी दुर्व्यसन,अहंकार और अनाचार अपनाने के लिए ही उत्तेजित करता है।ऐसी दशा में भी मानसिक प्रखरता को प्रमुखता मिलती है और विचारशीलों द्वारा उसी की अभ्यर्थना होती है।
  • व्यक्तिगत समझदारी की प्रथम मान्यता है कि गुण,कर्म,स्वभाव के रूप में ऊँचे उठने वाले व्यक्ति परिष्कार के लिए हर संभव उपाय करें।इसे सर्वोपरि महत्त्व की सम्पदा माने और उसके संचय,संकलन में किसी प्रकार की कोताही न बरतें।भोजन शरीर को जीवित रखता है तो ज्ञान बुद्धिमत्ता,भावसंवेदना और चेतनात्मक विभूतियों को उपलब्ध कराने में काम आता है।शारीरिक समर्थता अपने स्थान पर आवश्यक है,पर यदि दृष्टिकोण का परिमार्जन,क्रियाकलापों में उत्कृष्टता का समावेश नहीं हुआ तो समझना चाहिए कि कृमि-कीटकों जैसा ही जीवन जीते मनुष्य ने व्यर्थ ही एक सुयोग को गँवाया।
  • इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए आप्तजनों ने हर किसी को स्वाध्यायशील होने के लिए कहा है और उसकी आवश्यकता को क्षुधा निवारण की तरह उपलब्ध करने कराने पर जोर दिया गया है।
  • इस मार्ग में सबसे अधिक वह मूढ़ता है जो मनुष्य को मात्र शरीर होने की मान्यता देती है और पेट भरने से संतुष्ट हो जाती है। जबकि उठनी वह भूख भी उतनी ही तीव्रता से चाहिए कि मनुष्य मानसिक दृष्टि से विवेकशीलों में गिना जा सके और ऐसे निर्णय-निर्धारण कर सकने में समर्थ हो जो मानवी गरिमा को उभारते-निखारते रहते हैं।
  • प्रयत्नशीलों ने अनगढ़ वन्य जन्तुओं को सरकस के कलाकार बना लिया है और उन्हें इतनी कमाई करने में समर्थ बना दिया है कि उस परिकर के समस्त कर्मचारियों की उदरपूर्ति में महती भूमिका निभा सके।कबूतर संदेशवाहक का कार्य करते हैं।घोड़े दौड़ वाली लाॅटरी जीतते हैं और सेना पुलिस के असाधारण सहयोगी माने जाते हैं।प्रशिक्षण ऐसा चमत्कार है जिसके सहारे सपेरे और मदारी रीछ,बन्दर जैसे जानवरों की कमाई से अपना परिवार पाल लेते हैं।मनुष्य का यदि उपयोगी प्रशिक्षण बन पड़े तो वह शिल्पी,संगीतज्ञ,कलाकार,साहित्यकार,इंजीनियर,प्रशिक्षक,डाॅक्टर,वैज्ञानिक,गणितज्ञ और न जाने कितने कला-कौशलों से सम्पन्न होकर अपने तथा दूसरों के लिए असाधारण रूप से उपयोगी सिद्ध हो सकता है।यह तो भौतिक पदार्थ परक प्रशिक्षण की बात हुई,पर बुद्धिमत्ता,दूरदर्शिता,भाव संवेदना,आदर्शवादिता जैसे दिव्य गुणों को अभ्यस्त बनाया जा सके तो समझना चाहिए कि उसे अनुकरणीय,अभिनन्दनीय महामानव बनने का सुयोग-सौभाग्य हस्तगत हो गया है।तत्त्वदर्शी को एक प्रकार से धरती के देवताओं में ही गिना जाता है जो न केवल अपना कल्याण करते हैं वरन् दूसरों के लिए भी सर्वतोमुखी प्रगति की प्रेरणा देने में अग्रिम भूमिका निभाते हैं।चन्दन वृक्ष के निकट झाड़-झंखाड़ों के सुगन्धित हो जाने की मान्यता प्रसिद्ध है पर उससे भी अधिक प्रामाणिक तथ्य यह है कि आत्मचेतना के धनी अपने उदात्त परामर्श और प्रभाव से समीप क्षेत्र के समुदाय को आगे बढ़ाने,ऊँचा उठाने में निश्चित रूप से सफल,समर्थ होते हैं।

3.जीवन के लिए बुनियादी आवश्यकताएं (Basic Requirements for Life in hindi),जीवन के लिए बुनियादी जरूरतें क्या हैं? (What are Basic Needs for Life in hindi):

  • मनुष्य की आधारभूत आवश्यकताएं हैंःरोटी,कपड़ा और मकान।पेट भरने के लिए भोजन अर्थात् रोटी,सर्दी-गर्मी से बचाव के लिए कपड़े तथा रहने के लिए मकान की आवश्यकताएं हैं परंतु विचारशील मनुष्य एक ओर आवश्यकता भी अनिवार्य मानते हैं और वह आवश्यकता हैःशिक्षा।रोटी,कपड़ा व मकान मनुष्य की भौतिक आवश्यकताएं है अर्थात् इनसे शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है परंतु शिक्षा तो आत्मिक व भौतिक दोनों आवश्यकताओं की पूर्ति करती है।
  • वृक्ष के बजाए बीज,स्थूल के बजाय सूक्ष्म का अधिक महत्त्व है।इसी प्रकार भौतिक आवश्यकताओं के बजाय आत्मिक आवश्यकता का अधिक महत्त्व है।इस प्रकार भौतिक आवश्यकताओं के आत्मिक आवश्यकताओं का महत्त्व अधिक ठहरता है।हालांकि मनुष्य को दोनों आवश्यकताओं की पूर्ति जरूरी है।आत्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति या कह लीजिए आत्मा का भोजन शिक्षा,सत्संग,स्वाध्याय इत्यादि है।इस प्रकार शिक्षा का स्थान सर्वोपरि है।यहां शिक्षा का विस्तृत अर्थ समझा जाना चाहिए।शिक्षित मनुष्य,अशिक्षित मनुष्य के बजाए उतनी ही आमदनी में अच्छी प्रकार अपना जीवनयापन कर लेते हैं।माता-पिता,अभिभावक बालकों की भोजन,वस्त्र और मकान की आवश्यकताएं तो पूरी करते हैं या कह लीजिए कि इन आवश्यकताओं की पूर्ति जी-जान से करते हैं परंतु बालकों की शिक्षा पर ध्यान नहीं रहता है।बालकों की शिक्षा के लिए अच्छे स्कूल,ड्रेस,पुस्तकें इनकी पूर्ति तो करते हैं परंतु उनको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है या नहीं इस तरफ ध्यान नहीं रहता है।हमारा मानना है कि बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • सांसारिक,भौतिक तथा आत्मिक आनंद का साधन शिक्षा ही है।बच्चों का शारीरिक,मानसिक और आत्मिक विकास ज्ञानपूर्ण कर्म के द्वारा ही हो सकता है।बालकों की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति में कमी रखी जा सकती है अथवा कुछ भौतिक आवश्यकताओं से वंचित रखा जा सकता है परंतु उन्हें शिक्षा से वंचित करना उनकी हत्या करने के समान है।
  • शिक्षा की आवश्यकता वर्तमान युग में कदम-कदम पर महसूस की जाती है।अशिक्षित मनुष्य,वर्तमान युग में जिस तीव्र गति से भौतिक विकास,उत्थान तथा जानकारियों का विस्फोट हो रहा है उससे अनभिज्ञ रहता है और वह पिछड़ जाता है।वर्तमान युग प्रतिस्पर्धात्मक युग है।सरवाइवल फिटेस्ट के अनुसार जो संघर्ष करता है,कठिनाइयों से टक्कर लेता है वह समस्याओं का समाधान कर सकता है।जो शिक्षा के बिना संभव नहीं है।अशिक्षित मनुष्य को कदम-कदम पर ठोकरें खानी पड़ती है।तकनीकी के इस युग में जो चीज कल नई थी वह आज पुरानी मालूम होती है परंतु इसका ज्ञान शिक्षित मनुष्य को ही हो सकता है।जो मनुष्य इनसे अछूता रहता है वह पिछड़ जाता है तथा अपना नुकसान कर बैठता है।इसलिए अपनी आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति शिक्षा के बिना संभव नहीं है।तो देखा आपने हमारी आधारभूत आवश्यकताओं में शिक्षा कितनी महत्त्वपूर्ण है तथा हमारे जीवन को उन्नत करने में कितनी उपयोगी है।इसलिए हमें हमारे बाल्यकाल के समय को फालतू व व्यर्थ के कामों में व्यतीत न करके शिक्षा अर्जित करने में लगाना चाहिए।शिक्षा हमारे जीवन को समृद्ध,उन्नत व विकसित करती है।इसलिए शिक्षा की उपेक्षा किसी भी हालत में नहीं करनी चाहिए।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में जीवन के लिए बुनियादी आवश्यकताएं (Basic Requirements for Life in hindi),जीवन के लिए बुनियादी जरूरतें क्या हैं? (What are Basic Needs for Life in hindi) के बारे में बताया गया है।
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