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Qualify of National Eligibility Test

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1.राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के लिए पात्रता हासिल करना (Qualify of National Eligibility Test),राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के अनिवार्य प्रश्न पत्र की तैयारी के लिए 4 टिप्स (4 Tips for Preparation of Compulsory Question Paper of National Eligibility Test):

  • राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के लिए पात्रता हासिल करना (Qualify of National Eligibility Test) बहुत महत्त्वपूर्ण है।राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा कितने चरणों में आयोजित होती हैं? कितने प्रश्न पत्र होते हैं?तथा उनमें किस-किस विषय से संबंधित वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं? राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के लिए किस प्रकार आवेदन किया जा सकता है? वर्ष में कितनी बार आयोजित होती है? इस परीक्षा में शामिल होने के लिए योग्यता क्या है? साथ ही तीनों प्रश्नपत्रों के नोट्स बना कर किस प्रकार तैयारी करें? इन सब प्रश्नों के उत्तर इससे पूर्व पोस्ट किए गए आर्टिकल में विस्तृत जानकारी दी गई है।
  • प्रथम व द्वितीय प्रश्न-पत्र प्रथम पाली में आयोजित होते हैं।प्रथम प्रश्न-पत्र करने के 15 मिनट बाद ही दूसरा प्रश्न-पत्र वितरित किया जाता है और इन दोनों प्रश्न-पत्रों के लिए समयावधि आधा घंटा होता है। अर्थात् आधे घंटे में प्रश्न-पत्र के 50 प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं।प्रत्येक प्रश्न 2 अंकों का होता है।इस प्रकार प्रत्येक प्रश्न-पत्र (प्रथम पाली के) 100-100 अंकों का होता है।
  • ये दोनों प्रश्न-पत्र क्वालीफाइंग प्रकृति के होते हैं। अर्थात् इन प्रश्न-पत्रों में उत्तीर्ण होने पर ही तृतीय प्रश्न-पत्र की जांच की जाती है।यदि कैंडिडेट प्रथम व द्वितीय प्रश्न-पत्र को क्वालीफाई नहीं कर पाता है तो वह असफल हो जाता है।क्योंकि इसमें उत्तीर्ण होने पर ही तृतीय प्रश्न-पत्र की जांच होती है। हालांकि मेरिट डीमेरिट लिस्ट तृतीय प्रश्न-पत्र के आधार पर तैयार होती है।
  • इस प्रकार प्रथम व द्वितीय प्रश्न-पत्र अत्यधिक महत्त्व के होते हैं।ये दोनों पेपर वस्तुनिष्ठ प्रकार के होते हैं।इन प्रश्न-पत्रों की तैयारी पूर्ण मनोयोग के साथ करनी चाहिए क्योंकि इन प्रश्न-पत्रों में अनुत्तीर्ण होने पर आप परीक्षा की दौड़ से बाहर हो जाते हैं।इस आर्टिकल में दो प्रश्न-पत्रों की तैयारी की टिप्स बताई जा रही हैं।इनके आधार पर आप अपनी तैयारी को मजबूत आधार दे सकते हैं।
  • इन प्रश्न-पत्रों में पहला प्रश्न पत्र सामान्य ज्ञान (जनरल अवेयरनेस) से संबंधित होता है और दूसरा प्रश्न-पत्र सामान्य ज्ञान,सामान्य जानकारी और तर्कशक्ति से संबंधित होता है।वस्तुतः प्रश्न पत्र का नाम सामान्य अवश्य है परंतु इसकी तैयारी के लिए विस्तृत व व्यापक अध्ययन करना होता है।मसलन विज्ञान,इतिहास,भूगोल,राजनीतिशास्त्र,अर्थशास्त्र इत्यादि विषयों से संबंधित प्रश्न होते हैं।इस प्रकार नेट (NET) की परीक्षा देने वालों के लिए यह सामान्य ज्ञान का प्रश्न पत्र असामान्य हो जाता है।
  • वस्तुतः कक्षा दसवीं तक ही सभी विषयों का अध्ययन करना होता है।दसवीं के बाद हायर सैकण्डरी व सीनियर सैकण्डरी स्तर पर चयनात्मक विषय का ही अध्ययन किया जाता है।इस प्रकार विद्यार्थियों का सामान्य विषयों से संपर्क छूट जाता है।यही कारण है कि यूजीसी की नेट की इस परीक्षा में कैंडिडेट को अधिक तैयारी करने की आवश्यकता होती है।
    जैसे यदि किसी छात्र ने साइंस मैथ सब्जेक्ट लिया है तो अन्य विषयों के ज्ञान का अर्जन करने से दूर हटता चला जाता है।उसका अध्ययन क्षेत्र गणित और विज्ञान तक ही सीमित हो जाता है।
  • स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण करते-करते तो ज्ञान का क्षेत्र केवल एक विषय ही रह जाता है।यही कारण है कि यह सामान्य ज्ञान का प्रश्न-पत्र असामान्य हो जाता है।इससे निपटने का एक तो प्रभावी तरीका यह है कि दसवीं के बाद कोई भी सामान्य ज्ञान की पत्रिका मासिक अथवा वार्षिकांक जैसे प्रतियोगिता दर्पण,क्रॉनिकल,मनोरमा ईयर बुक,यूनीक गाइड इत्यादि में से एक अथवा अधिक का समय निकालकर अध्ययन करते रहना चाहिए।
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2.मित्रों के साथ वार्ता करें (Discuss with Friends):

  • सामान्य ज्ञान को बढ़ाने का तरीका यह है कि कोई भी मासिक पत्रिका,समाचार पत्र का अध्ययन करते रहना चाहिए।राष्ट्रीय,अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपने साथियों से तार्किक वार्तालाप करना चाहिए।प्रायः देखा जाता है कि छात्र-छात्राएं अत्यधिक अध्ययनशील होने के कारण सामाजिक,पारिवारिक दायित्वों से अपने आपको अलग कर लेते हैं।इससे उन्हें सामान्य ज्ञान, व्यावहारिक ज्ञान की जानकारी नहीं होती है,नहीं बढ़ती है।
  • यह ठीक है कि मौज-मस्ती,घूमने-फिरने के शौकीन,अपना समय फालतू के कार्य में नष्ट करने वाले,अय्याश तबीयत के,आलसी,निकम्मे,अहंकारी, दंभी,पाखंडी,चालाक,धूर्त छात्र-छात्राओं का संग नहीं करना चाहिए।इनसे अपने आपको अलग रखना चाहिए।परंतु अच्छे,प्रवीण,प्रखर,तेजस्वी,प्रतिभाशाली तथा होशियार छात्र-छात्राओं के साथ सत्संग करना चाहिए,उनसे वार्ता करनी चाहिए,उनसे वार्ता के लिए समय निकालना चाहिए।उनके साथ वार्ता करने से आप सामान्य ज्ञान की कई बातें सीखते हैं। क्योंकि ज्ञान केवल पुस्तकों से अर्जित नहीं किया जाता है बल्कि ज्ञान के अनेक स्रोत होते हैं और इन स्रोतों का लाभ उठाना चाहिए।
  • सामान्य ज्ञान जिसमें दुनियाभर की तमाम बातें शामिल होती हैं,सामान्य अध्ययन के विषय को व्यापक बना देता है अर्थात् सामान्य ज्ञान का क्षेत्र व्यापक है।इसका ज्ञान मित्रों से वार्तालाप,पुस्तकों के अध्ययन,विद्वानों के सत्संग,इंटरनेट,शिक्षा संस्थानों में होने वाले विभिन्न कार्यक्रम,विभिन्न मासिक पत्रिकाएं,समाचार पत्र,सोशल मीडिया इत्यादि से प्राप्त किया जा सकता है।किसी एक ही स्रोत पर ही निर्भर रहने से सीमित ज्ञान ही प्राप्त कर सकते हैं।प्रतियोगिता के इस युग में केवल एक स्रोत से ज्ञान प्राप्त करना पर्याप्त नहीं होता है।क्योंकि प्रतियोगिता परीक्षाओं में केवल उत्तीर्ण होने से तात्पर्य नहीं है बल्कि अन्य कैंडिडेट्स से आप कितना बेहतर करते हैं,यह मायने रखता है।
  • सामान्य ज्ञान प्राप्त करने का श्रेष्ठ माध्यम है एनसीईआरटी की पुस्तकों का अध्ययन करना। आपको सामान्य ज्ञान में विज्ञान,इतिहास,भूगोल,संस्कृति,राजनीति,प्रशासन, कला-कौशल,कृषि,अर्थव्यवस्था (वाणिज्यि,वित्त,उद्योग),कानून,साहित्य,राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय घटनाओं इत्यादि की जानकारी होनी चाहिए।

3.अपने से कनिष्ठ छात्र-छात्राओं से सीखें (Learn from Junior Students to you):

  • किसी विषय के कनिष्ठ छात्र-छात्राएं आपसे कोई भी प्रश्न पूछे तो उसका उत्तर देना चाहिए और उत्तर देने में रुचि लेना चाहिए।यदि आपको उस प्रश्न का उत्तर मालूम नहीं है तो उसकी पुस्तक से देखकर बताना चाहिए।इस प्रकार आप अपने कनिष्ठ छात्र-छात्राओं जैसे भूगोल,इतिहास,राजनीतिक शास्त्र,राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर उनकी जिज्ञासाओं का समाधान करते रहेंगे तो आपका सामान्य ज्ञान बढ़ेगा।
  • वस्तुतः ज्ञान प्राप्ति जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है।बचपन में माता-पिता से सीखते हैं।कुछ बातें स्वयं के अनुभव से सीखते हैं तथा कुछ बातें दूसरों के अनुभवों से सीखते हैं।इसके बाद शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों व मित्रों,सहपाठियों से सीखते हैं।यदि आपको किसी खेल का शौक है तो वहां भी खिलाड़ियों से सीखने को कुछ न कुछ मिलेगा।शर्त यही है कि आप अच्छे लोगों,अच्छे विद्यार्थियों,अच्छे मित्रों,अच्छी पुस्तकों से अच्छी बातें सीखने के लिए तैयार हों।
  • अपने दिमाग से यह बात निकाल देनी चाहिए कि बड़े छोटों से क्या सीखेंगे या क्या सीखा सकते हैं। आपको ध्यान रखना चाहिए कि शिक्षक केवल छात्र-छात्राओं को ही नहीं सिखाता है बल्कि जब वह छात्र-छात्राओं को कोई बात सीखाता है तो छात्र-छात्राएं कई प्रकार के प्रश्न पूछते हैं,कुछ अप्रत्याशित प्रश्न भी होते हैं।उन प्रश्नों का उत्तर देने के लिए शिक्षक को मनन-चिन्तन करना पड़ता है फिर उसका जवाब देता है।कोई प्रश्न का उत्तर हो सकता है शिक्षक को नहीं भी आता हो तब उस प्रश्न का उत्तर ढूंढ कर बताता है।इस प्रकार शिक्षक के ज्ञान में वृद्धि होती है।

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4.पुस्तकों से अध्ययन करें (Study the Books):

  • एनसीईआरटी की पुस्तकों में प्रामाणिक जानकारी होती है क्योंकि ये पुस्तकें श्रेष्ठ विद्वानों द्वारा लिखी हुई होती है।विवादित मुद्दों पर भी सर्वमान्य मत होता है वही इन पुस्तकों में लिखा होता है।इन पुस्तकों की अखिल भारतीय मान्यता है।ऐसी बात नहीं है कि अन्य कई पुस्तकें श्रेष्ठ नहीं है।ओर भी सामान्य ज्ञान अर्थात् इतिहास,विज्ञान,भूगोल इत्यादि पर श्रेष्ठ पुस्तकें मिल जाएंगी।परन्तु विवादास्पद मुद्दों पर एनसीईआरटी की पुस्तकों को प्रामाणिक माना जाता है।जैसे समकोण त्रिभुज पर प्रमेय की खोज को बौधायन प्रमेय भी माना जाता है तथा बहुत से लेखक पाइथागोरस को इसका श्रेय देते हैं।
  • इसी प्रकार मान लीजिए आपसे यह पूछा जाता है कि भारतीय आर्यों ने ऋग्वेद की रचना की उनका सामाजिक जीवन कैसा था? अर्थात् उनका मुख्य व्यवसाय कृषि था या व्यापार था या पशुपालन था। इस मुद्दे पर इतिहासकारों में मतभेद है।आधुनिक शोधों से दूर नैष्ठिक हिन्दू के लिए आर्यजन प्रत्येक दृष्टि से आदर्श हैं।ऐसी स्थिति में उन्हें यह अवगत कराया जाए कि जिन आदर्श पुरुषों (आर्यों पर) उन्हें इतना गर्व है वे घुमक्कड़ चरवाहे थे तो उनके लिए बड़ा आश्चर्य होगा।जब उसे मालूम होगा की ऋग्वैदिक आर्य तो खेतीबाड़ी से भी कोसों दूर थे तो वह चकरा जाएगा।लेकिन आधुनिक शोध यही साबित करते हैं।
  • एनसीईआरटी की पुस्तकों में तो यह मिल जाएगा परंतु अन्य अनेक ग्रंथों में यह उल्लेख नहीं मिलेगा।ऐसे विवादित मुद्दों पर जानकारी प्राप्त करने का माध्यम एनसीईआरटी एक अच्छा माध्यम है।इसका तात्पर्य यह नहीं है कि अन्य विद्वानों की पुस्तकों की उपयोगिता नहीं है। आशय यह है की एनसीईआरटी की पुस्तकें वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का उत्तर देने के लिए अधिक उपयुक्त पुस्तके हैं।हाँ यदि निबन्धात्मक प्रश्न हो तो आपको अपनी मान्यता को तार्किक ढंग से समर्थन करने की छूट रहती है।

5.पुस्तकें जो अवश्य पढ़नी चाहिए (Books That Must be Read):

  • सामान्य ज्ञान तथा करेन्ट अफेयर्स के लिए यूनीक गाइड सम्पादक शंकर घोष,मासिक पत्रिकाओं में प्रतियोगिता दर्पण,क्रॉनिकल,मनोरमा ईयर बुक,प्रयाग सामान्य ज्ञान,सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित इंडिया (भारत),एनसीईआरटी की पुस्तकें (इतिहास,भूगोल,राजनीति शास्त्र,संस्कृति,विज्ञान इत्यादि के खंड),राष्ट्रीय समाचार पत्र अमर उजाला,दैनिक जागरण इत्यादि का अध्ययन किया जा सकता है।
  • एक बात यह ध्यान रखने की है की सब कुछ कोई नहीं जानता है बल्कि बहुत कुछ भी नहीं जाना जा सकता है या नहीं जान सकते हैं।आपको कुछ सामान्य ज्ञान ही अर्जित करना है।
  • आपको अपनी संस्कृति,सभ्यता तथा ज्वलन्त मुद्दों के बारे में ठोस व तथ्यात्मक जानकारी होनी चाहिए। ऐतिहासिक तथा अन्य मुद्दों पर विवाद होना स्वाभाविक है परंतु किसी भी विवादास्पद मुद्दे के बहुत अधिक गहराई तक जाने की जरूरत नहीं है।
  • क्योंकि किसी भी परीक्षा के लिए समय और अवसर सीमित हैं परंतु ज्ञान तो अनन्त और अपार है।किसी भी विषय की तैयारी सारगर्भित करनी चाहिए।अनावश्यक बातों को याद करने तथा पढ़ने की आवश्यकता नहीं है।जैसे राणा प्रताप का भाला कितने वजन का था?क्या राणा रणजीतसिंह एक आंख से काने थे?वैयक्तिक दृष्टिकोण से भले इनका औचित्य हो परन्तु परीक्षा की दृष्टि से इनका कोई औचित्य नहीं है।जो बातें सार्वजनिक तथा सारगर्भित व महत्त्वपूर्ण हों उन बातों का अध्ययन ही किया जाना चाहिए।
  • सामान्य ज्ञान की दृष्टि से आधुनिक भारत और स्वतंत्रता संघर्ष को अवश्य तरजीह दी जानी चाहिए।क्योंकि प्राचीन भारतीय इतिहास की बातें जो बासी हो चुकी हैं उनके बारे में तो कम जानकारी और अध्ययन भी किया जा सकता है।परंतु जो बातें अर्थात् आधुनिक भारत की बातें ताजा है उनका अवश्य अध्ययन करना चाहिए।वास्तविक रूप से स्वतंत्रता संघर्ष भारतीय इतिहास का एक ऐसा काल है जिसकी जानकारी एक सुशिक्षित भारतीय विशेषकर उच्च स्तरीय शोध कार्य एवं विश्वविद्यालय में अध्यापन करने वाले से अपेक्षा की जाती है।इस संबंध में स्वतंत्रता संघर्ष प्रोफेसर विपिन चन्द्र द्वारा लिखित एक अच्छी पुस्तक है।एक से अधिक पुस्तकें पढ़ें तो जानकारी को आपस में मिलाकर जरूर देख लें।फिर नोट्स तैयार करें।जो भी अध्ययन करें उसके बारे में चर्चा,वार्ता मित्रों,सहपाठियों के साथ अवश्य करें।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के लिए पात्रता हासिल करना (Qualify of National Eligibility Test),राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के अनिवार्य प्रश्न पत्र की तैयारी के लिए 4 टिप्स (4 Tips for Preparation of Compulsory Question Paper of National Eligibility Test) के बारे में बताया गया है।

6.गणित को हल करना पसंद नहीं आया (हास्य-व्यंग्य) (I didn’t Like to Solve Mathematics) (Humour-Satire):

  • हमेशा शिकवा शिकायत करने वाले स्टूडेंट को अच्छे मूड में लाने के लिए गणित शिक्षक ने गणित की उस पुस्तक के सवाल हल कर दिए जो पुस्तक स्टूडेंट ने शिक्षक को जन्मदिन पर भेंट की थी।
  • स्टूडेंट ने गणित शिक्षक को उस गणित पुस्तक के सवालों को हल करने पर नाराज होकर कहा कि क्या कोर्स की गणित को हल करना आपको पसंद नहीं है?

7.राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के लिए पात्रता हासिल करना (Qualify of National Eligibility Test),राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के अनिवार्य प्रश्न पत्र की तैयारी के लिए 4 टिप्स (4 Tips for Preparation of Compulsory Question Paper of National Eligibility Test) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.भारतीय संविधान के कौनसे टाॅपिक पढ़े? (Read which Topics of the Indian Constitution?):

उत्तर:राजनीति,प्रशासन और संविधान के जो टाॅपिक आपको तैयार करने चाहिए वे हैं:
(1.)भारत में राष्ट्रीय दलों की वर्तमान संख्या और राष्ट्रीय दल की मान्यता प्राप्त करने की योग्यताएं।
(2.)क्षेत्रीय पार्टियों की संख्या तथा क्षेत्रीय पार्टी की मान्यता प्राप्त करने की योग्यताएं।
(3.)राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति,चुनाव आयोग एवं मुख्य चुनाव आयुक्त,सर्वोच्च न्यायालय एवं न्यायधीश,वित्त आयोग,सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक),संविधान संशोधन अधिनियम,संसद सदस्य,लोकसभा,राज्यसभा,राज्यपाल,मूल अधिकार,नीति निर्देशक तत्व,भारतीय संविधान की प्रस्तावना तथा प्रमुख संविधान संशोधन की जानकारी अवश्य होनी चाहिए।

प्रश्न:2.राष्ट्रीय राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा की तैयारी किस स्तर तक करनी चाहिए? (What Level Should You Prepare for the National Eligibility Test?):

उत्तर:कैंडिडेट को यह ध्यान रखना चाहिए कि वर्तमान परीक्षाएं प्रतियोगिता के आधार पर आयोजित होती हैं।इसलिए एक निश्चित स्तर प्राप्त करके ही संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए बल्कि आपको अन्यों से बढ़कर तथा श्रेष्ठ प्रदर्शन करना है।सामान्य तथा खास-खास बातें तो प्रत्येक प्रतियोगी जानता है परंतु चयन उनका होता है जो सामान्य और खास-खास बातों के अलावा विशिष्ट तथा अधिक जानकारी रखता है और परीक्षा में वैसा प्रदर्शन भी करता है।जिन प्रश्नों के उत्तर कम प्रतियोगियों को मालूम होते हैं,वास्तव में चयन उनका ही होता है। इसके लिए आपको मॉडल टेस्ट पेपर,मॉक टेस्ट,पुस्तकों का गहन अध्ययन,मित्रों से वार्ता तथा अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।

प्रश्न:3.पुस्तकें तथा पत्रिका खरीदने में क्या बातें ध्यान रखनी चाहिए? (What Should be Kept in Mind in Buying Books and Magazines?):

उत्तर:सामान्य ज्ञान तथा नवीनतम घटनाओं की भी सार्थकता है।इसलिए जो भी पुस्तकें,पत्रिका,ईयर बुक,मॉडल पेपर्स खरीदें वे नवीनतम संस्करण के ही होने चाहिए।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के लिए पात्रता हासिल करना (Qualify of National Eligibility Test),राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के अनिवार्य प्रश्न पत्र की तैयारी के लिए 4 टिप्स (4 Tips for Preparation of Compulsory Question Paper of National Eligibility Test) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के लिए पात्रता हासिल करना
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राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के लिए पात्रता हासिल करना (Qualify of National Eligibility Test)
बहुत महत्त्वपूर्ण है।राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा कितने चरणों में आयोजित होती हैं?
कितने प्रश्न पत्र होते हैं?तथा उनमें किस-किस विषय

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