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Mathematician Mahviracharya

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2 2.मुख्य बातें (Highlight):

1.गणितज्ञ महावीराचार्य ( Mathematician Mahviracharya):

  • गणितज्ञ महावीराचार्य ( Mathematician Mahviracharya):महावीराचार्य का जीवन परिचय अन्य गणितज्ञों की भांति छुपा हुआ है।वे राष्ट्रकूट वंश के महान शासक अमोघवर्ष नृपतुंग के समकालीन थे।महावीराचार्य ने गणित सार संग्रह,ज्योतिष-पटल तथा षटत्रिशंका इत्यादि मौलिक एवं अभूतपूर्व ग्रंथों की रचना की है जो कि ज्योतिष एवं गणित विषयों पर अपनी विषय वस्तु के कारण महत्त्वपूर्ण है।
  • महावीराचार्य के इन ग्रंथों को भारतीय गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।इसमें संसार को जो देन मिली है,उनकी अनेक विद्वानों ने प्रशंसा की है।हिंदू गणित के सुप्रसिद्ध विद्वान डॉक्टर विभूतिभूषण दत्त ने अपने निबंध में मुख्य रूप से महावीराचार्य के त्रिभुज और चतुर्भुज-संबंधी गणित का विश्लेषण किया है और बताया है कि इसमें अनेक ऐसी विशेषताएं हैं जो अन्यत्र कहीं नहीं मिलती।इसी प्रकार महावीराचार्य की प्रशंसा करते हुए डी.ई. स्मिथ ‘गणित सार संग्रह’ के अंग्रेजी संस्करण की भूमिका में लिखते हैं कि त्रिकोणमिति तथा रेखागणित के मौखिक तथा व्यावहारिक प्रश्नों से यह साबित होता है कि गणितज्ञ महावीराचार्य ( Mathematician Mahviracharya),ब्रह्मगुप्त और भास्कराचार्य में समानता तो है लेकिन फिर भी महावीराचार्य के प्रश्नों में इनसे श्रेष्ठता पाई जाती है।
  • महावीराचार्य ने गणित की प्रशंसा करते हुए ‘गणित सार संग्रह’ में लिखा है-कामशास्त्र,अर्थशास्त्र,गांधर्व शास्त्र,गायन,नाट्यशास्त्र,पाकशास्त्र,आयुर्वेद,वास्तुविद्या,छंद,अलंकार,काव्यतर्क,व्याकरण आदि में तथा कलाओं के समस्त गुणों में गणित अत्यंत उपयोगी है।सूर्य आदि ग्रहों की गति को ज्ञात करने में,देश और काल को ज्ञात करने में सर्वत्र गणित का उपयोग हुआ है।द्वीपों,समूहों और पर्वतों की संख्या,व्यास और परिधि,लोक,अंतर्लोक,स्वर्ग और नरक के रहने वाले सबके श्रेणीबद्ध भवनों,सभा एवं मंदिरों के निर्माण गणित की सहायता से जाने जाते हैं।अधिक कहने से क्या प्रयोजन? त्रैलोक्य में जो कुछ भी वस्तु है,उसका अस्तित्व गणित के बिना संभव नहीं हो सकता। गणितज्ञ महवीराचार्य ( Mathematician Mahviracharya) ने अंक-संबंधी जोड़,बाकी,गुणा,भाग,वर्ग,वर्गमूल और घनमूल इन आठों परिक्रमों का भी उल्लेख किया है।इन्होंने शून्य तथा काल्पनिक संख्याओं पर भी विचार व्यक्त किए हैं।गणित सार संग्रह में 24 अंक तक की संख्या का उल्लेख किया है और उसको इस प्रकार नाम दिए हैं-एक,दस,शत,सहस्र,दस सहस्र,लक्ष, दशलक्ष,कोटि,दशकोटि,शतकोटि,अर्बुद,न्यर्बुद, खर्व,महाखर्व,पदम्,महापदम्,क्षोणी,महाक्षोणी, शंख,महाशंख,क्षिति, महाक्षिति, क्षोभ,महाक्षोभ।
  • भिन्नों के विषय में महावीराचार्य की विधि विशेष उल्लेखनीय है।लघुतम समापवर्त्य की कल्पना पहले महावीर ने ही की थी।
  • महावीराचार्य ने युगपत समीकरण (Simultaneous Equation) को हल करने का नियम भी दिया है।वर्ग समीकरण को व्यावहारिक प्रश्नों द्वारा समझाया है।उन्होंने इन प्रश्नों को दो भागों में विभाजित किया है।एक तो वे प्रश्न,जिनमें अज्ञात राशि के वर्गमूल का कथन होता है तथा दूसरे वे जिनमें अज्ञात राशि के वर्ग का निर्देश रहता है।
    पाटी गणित और रेखागणित के विचार से भी गणित सार संग्रह में अनेक विशेषताएं हैं।उन्होंने ‘क्षेत्र-व्यवहार’ प्रकरण में आयत को वर्ग और वर्ग को आयत के रूप में बदलने की प्रक्रिया बतायी है।एक स्थान पर वृत्तों को वर्ग और वर्ग को वृत्तों में बदलने का भी उल्लेख है।इस ग्रन्थ में त्रिभुजों के कई भेद भी बताए गए हैं तथा समबाहु त्रिभुज,विषमबाहु त्रिभुज,आयत,विषमकोण,चतुर्भुज,वृत्त तथा पंचमुख के क्षेत्रफल निकालने की रीति का वर्णन है।
  • दीर्घवृत्त पर गहन अध्ययन करने में महावीराचार्य ही एक हिंदू गणितज्ञ थे।गणितज्ञ महावीराचार्य ( Mathematician Mahviracharya) द्वारा गोले का आयतन संबंधी नियम बड़ा ही रोचक है।गणित सार संग्रह में बीजगणित संबंधी अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है।इसमें मूलधन,ब्याज,मिश्रधन और समय निकालने के संबंध में तथा भिन्न के सम्बन्ध में शेष मूल,भाग शेष-सम्बन्धी अनेक ऐसे नियमों का उल्लेख मिलता है जो प्राचीन और आधुनिक गणित में बहुत महत्वपूर्ण है।
  • गणित सार संग्रह में n वस्तुओं r वस्तुओं को एक साथ लेकर संचय संख्या (Combination) ज्ञात करने के लिए सामान्य सूत्र निम्नलिखित दिया है:
  • {^n}C_{r} as
    \frac{[n (n − 1) (n − 2) ... (n − r + 1)] }{ [r (r − 1) (r − 2) ... 2 * 1]}
  • इस सूत्र के आविष्कारक श्री महावीराचार्य प्रथम गणितज्ञ ही नहीं वरन् संसार के सर्वप्रथम गणितज्ञ थे।इस प्रकार हमें मालूम होता है कि गणितज्ञ महावीराचार्य की गणित को देन संसार की अमूल्य निधि है और उसकी प्रशंसा करना सूर्य के सामने दीपक दिखाना होगा।
  • उन्होंने निम्नलिखित प्रकार की सर्वसमिकाओं की खोज की:
    a^3 = a (a + b) (a − b) + b^2 (a − b) + b^3
  • उन्होंने इकाई के भिन्नों के निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त करने के तरीके बताए:
  • भिन्न के विघटन का नियम (Rule of Decomposing Fractions):
  • Mahāvīra’s Gaṇita-sāra-saṅgraha gave systematic rules for expressing a fraction as the sum of unit fractions.This follows the use of unit fractions in Indian mathematics in the Vedic period, and the Śulba Sūtras’ giving an approximation of √2 equivalent to 1+\frac{1}{3}+\frac{1}{3 \cdot 4}-\frac{1}{3 \cdot 4 \cdot 3 \cdot 4}
  • In the Gaṇita-sāra-saṅgraha, the second section of the chapter on arithmetic is named kalā-saṇgrahaa-vyavahāra (“the operation of the reduction of fractions”). In this, the bhāgajāti section gives rules for the following:
  • To express 1 as the sum of n unit fractions:
  • When the result is one, the denominators of the quantities having one as numerators are [the numbers] beginning with one and multiplied by three, in order. The first and the last are multiplied by two and two-thirds [respectively].

1=\frac{1}{1 \cdot 2}+\frac{1}{3}+\frac{1}{3^{2}}+\cdots \cdot+\frac{1}{3^{n-2}}+\frac{1}{\frac{2}{3} \cdot 3^{n-1}}

To express 1 as the sum of an odd number of unit fractions:

1=\frac{1}{2 \cdot 3 \cdot \frac{1}{2}}+\frac{1}{3 \cdot 4 \cdot \frac{1}{2}}+\cdots+\frac{1}{(2 n-1) \cdot 2 n \cdot \frac{1}{2}}+\frac{1}{2 n \cdot \frac{1}{2}}

To express a unit fraction \frac{1}{q} as the sum of n other fractions with given numerators a_{1}, a_{2}, \cdots a_{n}:

\frac{1}{q}=\frac{a_{1}}{q\left(q+a_{1}\right)}+\frac{a_{2}}{\left(q+a_{1}\right) \left(q+a_{1}+ a_{2}\right)}+ \cdots+\frac{a_{n-1}}{\left(q+a_{1}+ \cdots + a_{n-1}\right)\left(q+a_{1}+\cdots +t a_{n-1}\right)} +\frac{a_{n}}{a_{n}\left(q+a_{1}+\cdots+a_{n-1}\right)}

To express any fraction\frac{p}{q} as a sum of unit fractions :

Choose an integer i such that \frac{q+i}{p} is an integer r, then write \frac{p}{q}=\frac{1}{r}+\frac{i}{r- q} and repeat the process for the second term, recursively. (Note that if i is always chosen to be the smallest such integer, this is identical to the greedy algorithm for Egyptian fractions.)

 

To express a unit fraction as the sum of two other unit fractions:

\frac{1}{n}=\frac{1}{p \cdot n}+\frac{1}{\frac{p \cdot n}{n-1}} where p is to be chosen such that\frac{p-1}{n-1} is an integer (for which p must be a multiple of (n-1)).

\frac{1}{a-b}=\frac{1}{a(a+b)}+\frac{1}{b(a+b)}

To express a fraction \frac{p}{q} as the sum of two other fractions with given numerators a and b:

\frac{p}{q}=\frac{a}{\frac{a i+b}{p} \cdot \frac{q}{i}}+\frac{b}{\frac{a i+b}{p} \cdot \frac{q}{i} \cdot i}  where i is to be chosen such that p divides ai+b

  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणितज्ञ महावीराचार्य ( Mathematician Mahviracharya) के बारे में बताया गया है।
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2.मुख्य बातें (Highlight):

  • (1.)गणितज्ञ महावीराचार्य ( Mathematician Mahviracharya) ने वर्ग और वृत्त को समान क्षेत्रफल के वृत्त और वर्ग में परिवर्तित करने की विधि स्पष्ट की।
  • (2.)सबसे पहले महावीराचार्य संचय संख्या (Combination) ज्ञात करने का सूत्र दिया है।
  • (3.)महावीराचार्य ने ज्योतिष को गणित से अलग किया।
  • (4.)उन्होंने बीजीय सर्वसमिकाओं की खोज की।उनका काम बीजगणित के लिए अत्यधिक समन्वित दृष्टिकोण है।
  • (5.) उन्होंने अधिकांश पाठों में बीजीय समस्याओं को हल करने के लिए आवश्यक तकनीकों को विकसित करने पर जोर दिया।
  • (6.)समबाहु और समद्विबाहु त्रिभुज जैसी अवधारणाओं के लिए शब्दावली की स्थापना के कारण,भारतीय गणितज्ञों के बीच उनका अत्यधिक सम्मान है।
  • (7.)दीर्घवृत्त के क्षेत्रफल और परिधि का अनुमान लगाने के लिए सूत्र तैयार किया।
  • (8.)एक संख्या के वर्ग और एक संख्या के घनमूलों की गणना करने के तरीकों की खोज की।
  • (9.)गणितज्ञ महावीराचार्य ( Mathematician Mahviracharya) ने जोर देकर कहा कि एक ऋणात्मक संख्या का वर्गमूल मौजूद नहीं है।
  • (10.)महावीर के गणित सार-संग्रह में एक अंश को इकाई अंशों के योग के रूप में व्यक्त करने के लिए व्यवस्थित नियम दिए हैं।यह वैदिक काल में भारतीय गणित में इकाई अंशों के उपयोग का अनुसरण करता है।

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3.गणितज्ञ महावीराचार्य ( Mathematician Mahviracharya) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.कर्नाटक के प्रसिद्ध गणितज्ञ कौन हैं? (Who is the famous mathematician of Karnataka?):

उत्तर:भास्कराचार्य।भास्कर का जन्म वर्ष 1114 में कर्नाटक के बीजापुर में हुआ था।वह एक भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे और मध्यकालीन भारत के महानतम गणितज्ञ के रूप में जाने जाते हैं।

प्रश्न:2.गणित में महावीर का क्या योगदान है? (What is the contribution of Mahavira in mathematics?):

उत्तर:महावीर (Mahavira)(संपन्न सी. 850,कर्नाटक,भारत),भारतीय गणितज्ञ जिन्होंने बीजगणित के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।महावीर के जीवन के बारे में जो कुछ भी ज्ञात है वह यह है कि वह एक जैन थे (उन्होंने शायद महान जैन धर्म सुधारक महावीर के सम्मान में अपना नाम रखा)।

प्रश्न:3.गणिता सारा संग्रह के लेखक कौन थे? (Who was the author of Ganita Sara Sangraha?):

उत्तर:महावीरम
गणित सार-संग्रह (Gaṇitasārasan̄graha)/लेखक
उदाहरण के लिए,महावीर द्वारा 9वीं शताब्दी का गणित-सार-संग्रह (“गणित के सार का संग्रह”) उनके अपने ज्ञान के जैन कलाकारों को उनके वजन और माप की सूची में जैन ब्रह्मांड विज्ञान की कुछ अनंत इकाइयों को शामिल करने जैसे विवरणों में दर्शाते हैं।

प्रश्न:4.जैन धर्म के संस्थापक कौन है? (Who is founder of Jainism?):

उत्तर:वर्धमान ज्ञानीपुत्र (Vardhamana Jnatiputra)
जैन धर्म कुछ हद तक बौद्ध धर्म के समान है,जिसका यह भारत में एक महत्वपूर्ण प्रतिद्वंद्वी था।इसकी स्थापना वर्धमान ज्ञानीपुत्र (Vardhamana Jnatiputra) या नटपुत्त महावीर (Nataputta Mahavira) (599-527 ईसा पूर्व) ने की थी,जिन्हें बुद्ध के समकालीन जीना (आध्यात्मिक विजेता) कहा जाता है।

प्रश्न:5.भारत के प्रथम गणितज्ञ कौन थे? (Who was the first mathematician of India?):

उत्तर:आर्यभट (Aryabhata)
आर्यभट जिसे आर्यभट या आर्यभट्ट द एल्डर भी कहा जाता है (जन्म 476,संभवतः अश्माका (Ashmaka) या कुसुमपुर (Kusumapura),भारत),खगोलशास्त्री और सबसे शुरुआती भारतीय गणितज्ञ जिनका काम और इतिहास आधुनिक विद्वानों के लिए उपलब्ध है।

प्रश्न:6.जैन गणित क्या है? (What is Jain mathematics?):

उत्तर:जैन गणित को परिभाषित करना थोड़ा कठिन है। अब हम जैन गणित शब्द का प्रयोग जैन धर्म का पालन करने वालों द्वारा किए गए गणित का वर्णन करने के लिए कर सकते हैं और वास्तव में यह जैन धर्म की स्थापना से लेकर आधुनिक समय तक भारतीय उपमहाद्वीप पर किए गए गणित के एक हिस्से को संदर्भित करेगा।

प्रश्न:7.महावीराचार्य किस धर्म के थे? (Which religion did Mahaviracharya belongs to?):

उत्तर:महावीर (या महावीराचार्य (Mahaviracharya)”महावीर द टीचर”) एक 9वीं शताब्दी के जैन गणितज्ञ थे जो संभवतः दक्षिणी भारत में मैसूर (Mysore) के वर्तमान शहर में या उसके करीब पैदा हुए थे।उन्होंने 850 ईस्वी में गणित के सार पर गणितसारसंग्रह (गणित सार-संग्रह(Ganita Sara Sangraha)) या संग्रह लिखा।

प्रश्न:8.9वीं शताब्दी में कर्नाटक में रहने वाले उल्लेखनीय जैन गणितज्ञों में से अंतिम कौन है? (Who is the last of notable Jain mathematician who lived in 9th-century in Karnataka?):

उत्तर:महावीराचार्य (Mahaviracharya)
महावीर (गणितज्ञ) महावीर (या महावीराचार्य,”महावीर द टीचर”) दक्षिण भारत में कर्नाटक (Karnataka) के गुलबर्गा (Gulbarga) शहर में पैदा हुए 9वीं शताब्दी के जैन गणितज्ञ थे।

प्रश्न:9.कौन से गुरुकुल ब्रह्मगुप्त ज्योतिषी हैं? (Which Gurukul brahmagupta is astrologer?):

उत्तर:यह गणित और खगोल विज्ञान के लिए सीखने का केंद्र भी था।ब्रह्मगुप्त (Brahmagupta) इस अवधि के दौरान भारतीय खगोल विज्ञान के चार प्रमुख विद्यालयों में से एक,ब्रह्मपक्ष स्कूल (Brahmapaksha school) के खगोलशास्त्री बन गए।

प्रश्न:10.क्या जैन राजपूत है? (Is Jain a Rajput?):

उत्तर:राजपूत,सबसे ऊपर,योद्धा-राजत्व की विरासत पर गर्व करते हैं,जबकि जैन गहराई से गैर-सैन्य हैं (यद्यपि जैन सैन्य पुरुष थे और आज भी हैं)।इस अर्थ में राजपूत और जैन सच्चे सांस्कृतिक विरोधों का प्रतिनिधित्व करते हैं। गैर-राजपूत मूल के जैन वंश।

प्रश्न:11.क्या जैन हिंदू है? (Is Jain a Hindu?):

उत्तर:जैन धर्म को भारत में कानूनी रूप से अलग धर्म माना जाता है।विद्वानों का एक वर्ग पहले इसे हिंदू संप्रदाय या बौद्ध विधर्म मानता था,लेकिन यह तीन प्राचीन भारतीय धर्मों में से एक है।

प्रश्न:12.प्रथम महिला गणितज्ञ कौन है ? (Who is the first woman mathematician?):

उत्तर:हाइपेटिया (Hypatia)
कोई नहीं जान सकता कि पहली महिला गणितज्ञ कौन थी, लेकिन हाइपेटिया (Hypatia) निश्चित रूप से सबसे शुरुआती में से एक थी।वह अलेक्जेंड्रिया (Alexandria) के प्रसिद्ध पुस्तकालय के अंतिम ज्ञात सदस्य थियोन (Theon) की बेटी थीं और गणित और खगोल विज्ञान के अध्ययन में उनके नक्शेकदम पर चलती थीं।

प्रश्न:13.निम्नलिखित में से कौन जैन गणित से परिचित था? (Which of the following was familiar with Jaina mathematics?):

उत्तर:महावीर (Mahavira) (या महावीराचार्य (Mahaviracharya) का अर्थ है महावीर द टीचर) जैन धर्म के थे और जैन गणित से परिचित थे।उन्होंने मैसूर (Mysore) में दक्षिणी भारतीय में काम किया जहां वे गणित के एक स्कूल के सदस्य थे।

प्रश्न:14.जैन धर्म की महिला संस्थापक का क्या नाम है? (What is the name of the female founder of Jainism?):

उत्तर:आर्यिका (Aryika),जिसे साध्वी (Sadhvi) के नाम से भी जाना जाता है,जैन धर्म में एक महिला भिखारी (female mendicant) (नन) है।

प्रश्न:15.उल्लेखनीय जैन गणितज्ञ में से अंतिम कौन है? (Who is the last of the notable Jain mathematician?):

उत्तर:कर्नाटक के महावीर आचार्य (Mahavira Acharya) (सी. 800-870), उल्लेखनीय जैन गणितज्ञों में से अंतिम,9वीं शताब्दी में रहते थे और राष्ट्रकूट राजा अमोघवर्ष (Rashtrakuta king Amoghavarsha) द्वारा संरक्षित थे।

प्रश्न:16.सबसे अच्छी महिला गणितज्ञ कौन है? (Who is the best female mathematician?):

उत्तर:युगों से 10 प्रसिद्ध महिला गणितज्ञ
Hypatia (370-415) Hypatia गणित पढ़ाने वाली पहली महिला हैं।
सोफी जर्मेन (Sophie Germain) (1776-1831)
एडा लवलेस (Ada Lovelace) (1815-1852)
सोफिया कोवालेवस्काया (Sofia Kovalevskaya) (1850-1891)
एमी नोथर (Emmy Noether) (1882-1935)
डोरोथी वॉन (Dorothy Vaughan) (1910-2008)
कैथरीन जॉनसन (Katherine Johnson) (जन्म 1918)
जूलिया रॉबिन्सन (Julia Robinson) (1919-1985)

प्रश्न:17.गणित में पीएचडी से सम्मानित पहली महिला कौन है? (Who is the first woman awarded a PHD in mathematics?):

उत्तर:ऐलेना कॉर्नारा पिस्कोपिया (Elena Cornara Piscopia)
एलेना कॉर्नारा पिस्कोपिया डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाली दुनिया की पहली महिला थीं

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गतितज्ञ महावीराचार्य ( Mathematician Mahviracharya) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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