Menu

12th Mathematics Archive

Differential equation in which variables can separate

1.अवकल समीकरण जिनमें चर पृथक हो सकते हैं का परिचय (Introduction to Differential equation in which variables can separate)- अवकल समीकरण  जिनमें चर पृथक हो सकते हैं (Differential equation in which variables can separate) का अध्ययन इस आर्टिकल में थ्योरी को उदाहरणों के द्वारा समझाया गया है। अवकल समीकरण जिनमें चर पृथक हो सकते हैं

Solution of differential equation

1.अवकल समीकरण का हल का परिचय (Introduction to Solution of differential equation)- अवकल समीकरण  का हल (Solution of differential equation) को ज्ञात करने के लिए अवकल समीकरण को समझना आवश्यक है। (1.)अवकल समीकरण (Differential equation)- एक ऐसी समीकरण जिसमें स्वतन्त्र चर,आश्रित चर एवं आश्रित चर में स्वतन्त्र चर के सापेक्ष अवकलन विद्यमान हो अवकल समीकरण

To find value of definite integrals

1.निश्चित समाकलनों का मान ज्ञात करना (To find value of definite integrals)- निश्चित समाकलनों  का मान ज्ञात करने (To find value of definite integrals) के लिए अनिश्चित समाकलन में प्रयुक्त विधियों का प्रयोग करते हुए हम निश्चित समाकल का मान ज्ञात कर (To find value of definite integrals) सकते हैं।अनिश्चित समाकलन में सामान्यतः निम्न विधियों

Definite Integral as limit of sum

1.योगफल की सीमा के रूप में निश्चित समाकल (Definite Integral as limit of sum)- योगफल की सीमा के रूप में निश्चित समाकल (Definite Integral as limit of sum) को समझने के लिए हमे निश्चिंत समाकल को समझना आवश्यक है।समाकल में निश्चित और अनिश्चित समाकल के पदों का प्रयोग किया जाता है। अंग्रेजी में निश्चित समाकल

Differential Co-efficient of function

1.फलन का अवकल गुणांक (Differential Co-efficient of function)- फलन का अवकल गुणांक (Differential Co-efficient of function) ज्ञात करने का तात्पर्य है कि फलन का प्रथम कोटि अर्थात् प्रथम क्रम का अवकल गुणांक ज्ञात करना। यहां हम विभिन्न प्रकार के फलन अर्थात् अस्पष्ट फलन,लघुगुणकीय फलन,त्रिकोणमितीय फलन तथा प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों के फलन का अवकल गुणांक (Differential

Integration by Parts in Mathematics

1.गणित में खण्डश: समाकलन (Integration by Parts in Mathematics)- गणित में खण्डश: समाकलन (Integration by Parts in Mathematics) की थ्योरी का वर्णन पूर्व में खण्डश: समाकलन वाले आर्टिकल में किया जा चुका है। इसलिए इस आर्टिकल को पढ़ने से पूर्व उस आर्टिकल को पढ़ना चाहिए।इस आर्टिकल में गणित में खण्डश: समाकलन (Integration by Parts in

Integration by substitution

1.प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन का परिचय (Introduction to Integration by substitution)- (1.)प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन (Integration by substitution) में चरों के प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन का अध्ययन करेंगे।दिए हुए चर के प्रतिस्थापन द्वारा स्वतन्त्र चर में परिवर्तन करके समाकल्य को मानक रूप में बदलकर समाकलन करना,प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन (Integration by substitution) कहलाता है। सामान्यतः प्रतिस्थापन करने का कोई

Second order derivative

1.द्वितीय कोटि का अवकलज का परिचय (Introduction to Second order derivative)- द्वितीय कोटि का अवकलज (Second order derivative) का प्रयोग कुछ भौतिक एवं ज्यामितीय अवधारणाओं के अध्ययन में किया जाता है।यदि y चर x का एक अवकलनीय फलन है तो इसके अवकलज का अस्तित्व होता है जो इसका प्रथम क्रम का अवकलज कहलाता है।यदि  

Derivative of parametric functions

1.फलनों के प्राचलिक रूपों के अवकलज का परिचय (Introduction to Derivative of parametric functions)- फलनों के प्राचलिक रूपों के अवकलज (Derivative of parametric functions) को जानने के लिए यह जानना आवश्यक है कि प्राचल तथा प्राचलिक समीकरण किसे कहते हैं?यदि चरों x तथा y दोनों चर एक-दूसरे से सम्बन्धित न होकर एक तीसरे चर t

Logarithmic differentiation

1.लघुगणकीय अवकलन (Logarithmic differentiation)- लघुगणकीय अवकलन (Logarithmic differentiation) में जब फलन रूप का हो,गुणनखण्ड या भागफल के रूप का हो तब ऐसे फलन का अवकलन ज्ञात करने के लिए सर्वप्रथम फलन के दोनों पक्षों का लघुगणक लेते हैं तथा इससे प्राप्त परिणाम का अवकलन करते हैं। प्राप्त परिणाम का अवकलन अस्पष्ट फलनों का अवकलन करने