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Are Geniuses Eccentric?

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1.क्या प्रतिभावान सनकी होते हैं? (Are Geniuses Eccentric?),प्रतिभाशाली व्यक्तियों के जीवन में विचित्रताएँ तथा विरोधाभास (Strangeness and Contradiction in Life of Gifted):

  • क्या प्रतिभावान सनकी होते हैं? (Are Geniuses Eccentric?) यहाँ सनक का अर्थ है दीवानापन,पागलपन,धुन आदि से है।इस आर्टिकल में बताया गया है कि प्रतिभाशाली व्यक्तियों के जीवन में सनक,विचित्रताएँ तथा विरोधाभास होते हैं क्या? यदि होते हैं तो क्यों और किस तरह के?
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2.प्रतिभावान क्या पागल होते हैं? (Are geniuses crazy?):

  • विद्वान मन:शास्त्री होम्स का पाला अनेक प्रतिभाशालियों से पड़ा था।उनसे उनका परिचय भी था।इतना ही नहीं उनके गुण-दोषों को देखते हुए निष्कर्ष स्पष्ट था कि ‘प्रतिभावान एक सीमा तक पागल होते हैं और विस्मृति के शिकार भी।’ वे अपनी सनक को इस कदर सही मानते हैं कि उसे यथार्थ रूप में अनुभव करने लगते हैं।होम्स की यह धारणा अकारण नहीं थी।इसके पक्ष में उन्होंने अनेक प्रमाण और उदाहरण भी एकत्र किए थे।
  • होम्स का कथन है कि प्रतिभावानों को किसी एक सनक की पूर्ति में अपनी समग्र मानसिक चेतना झोंकनी पड़ती है।इसका परिणाम यह होता है कि विभिन्न प्रयोजनों में काम करने वाली मानसिक क्षमताएं जब एक केंद्र पर केंद्रीभूत होती है तो वे उस प्रयोजन में तो असाधारण रूप से सफल होते हैं,किंतु मस्तिष्कीय क्षमता के अन्य क्षेत्र में अविकसित रह जाते हैं।फलतः उनके दैनिक जीवन की सामान्य प्रवृत्तियां सीमित एवं अस्त-व्यस्त रह जाती हैं।कोई सर्वांगीण प्रतिभावान नहीं होता,वरन् किसी दिशा विशेष में ही उनका चिंतन तल्लीन रहने से उसी स्तर तक सीमित रह जाता है।अतएव उनके दैनिक जीवन की गतिविधियों को देखकर लोग जहां उनको सनकी मानने लगते हैं,वहाँ उनकी कार्य विशेष में अद्भुतता की छाप भी मानते हैं।
  • शेक्सपियर ने इस मान्यता की पुष्टि की है और कहा है कि प्रतिभावान सचमुच पागल नहीं होते।वे निर्धारित कार्यों को लगनपूर्वक करते हैं,पर इस अत्युत्साह में वे उन तथ्यों की उपेक्षा करने लगते हैं,जो दूसरों की दृष्टि से किसी सुयोग्य और स्वस्थ व्यक्ति में होने चाहिए।
  • वाल्टर स्काॅट यूरोप के एक प्रसिद्ध कवि हो गए हैं।वे बहुधा स्वरचित कविताओं को महाकवि बायरन की मान बैठते थे और बहुत ही भावनापूर्वक उन्हें सुनाते थे।उन्हें अपनी भूल का पता तब चलता जब प्रकाशित पुस्तक में वह उन्हीं के द्वारा विनिर्मित दिखाई जाती थी।
  • दार्शनिक कांट किन्हीं विचारों में इतने तन्मय हो जाते थे कि उन्हें सामने बैठे मित्रों तक से उनका नाम और परिचय पूछना पड़ता था।विचारों की मस्ती से जब वे व्यावहारिकता के धरातल पर आते,तब वे अपनी भूल पर पश्चात्ताप करते और आगन्तुक मित्र से क्षमा मांगते।
  • आइंस्टीन एक मित्र के यहां रात्रि भोज पर गए।उन्हें जल्दी ही वापस लौटना था,पर वह यह समझ बैठे कि यह उनका घर है और मित्र दावत पर आएं हैं।वे बार-बार घड़ी देखते,पर मित्र के न जाने पर उनसे शिष्टाचारवश कुछ वार्त्ता करने लगते।इस प्रसंग में जब बहुत देर हो गई तो उन्होंने अपने मित्र को पधारने तथा इतना समय देने के लिए धन्यवाद दिया और उन्हें फिर कभी पधारने की बात कहकर विदाई-शिष्टाचार निभाया।जब मित्र हंस पड़े तो उन्हें पता चला कि यह उन मित्र का घर है और यहां वे ही निमंत्रित अतिथि के रूप में आए थे।कई घंटे का समय इसी भ्रम में नष्ट हुआ।
  • फ्रांस के साहित्यकार एलनेजेक्टर ड्यूमा ने बहुत लिखा है,पर उनकी एक सनक थी कि वे उपन्यास हरे कागज पर,कविताएं पीले कागज पर और नाटक लाल पर लिखते थे।उन्हें नीली स्याही से चिढ़ थी।अतःजब भी लिखते,किसी दूसरे रंग की स्याही का प्रयोग करते।

3.प्रतिभावानों की सनक के कुछ और उदाहरण (A few more examples of the whims of geniuses):

  • मोपासां अपने कमरे के दाएं कोने में बैठकर लिखने के आदी थे,पर उन्हें अक्सर दिशाभ्रम होता था और बाएं कोने में बैठकर लिखते रहते।काम समाप्त करने के बाद ही उन्हें अपनी भूल का पता चलता।
  • कार्लाइल ने प्रसिद्ध साहित्यकार चार्ल्स लेंब की कृतियों तथा दैनिक जीवन की अस्त-व्यस्तताओं की समीक्षा करते हुए लिखा है कि वे साहित्यकारिता की दृष्टि से सर्वोत्तम माननीय थे,पर अपने निजी तथा पारिवारिक जीवन में वे जिस तरह समय गुजारते थे,उसे देखते हुए उन्हें एक विचित्र प्रकार का पागल ही कहा जा सकता था।
  • संसार प्रसिद्ध कलाकार जेम्स नेड को रात्रि के समय भयंकर सपने आते थे।कई बार वे उस उनींदी अवस्था में बुरी तरह चिल्लाने लगते थे और हवा में पिस्तौल से फायर करने लगते थे।पीछे परिवारवालों ने किसी दुर्घटना की आशंका से उनकी पिस्तौल ही छीन ली।
  • अंग्रेज कवि शैली को विश्वयुद्ध की योजनाएं बनाने और उन्हें कार्यान्वित करने वालों से बड़ी चिढ़ थी।वे उन्हें समझाने-बुझाने के लिए लंबे पत्र लिखते,पर उन्हें डाक में नहीं डालते थे।वे उन्हें बोतलों में बंद करके टेम्स नदी में बहा दिया करते थे और सोचते थे कि वे उन व्यक्तियों तक जल-माध्यम से सहज ही पहुंच जाएंगे।ऐसे पत्र उन्होंने सैकड़ो की संख्या में लिखे थे।
    जेम्स बेकर नामक एक जर्मन कवि ठंड के दिनों में भी कमरे की सभी खिड़कियां खोलकर लिखने बैठते।कहते हैं कि ठंडी हवाओं के झोंके लगने पर ही उनका मस्तिष्क चलता और वे अच्छी कविताएं लिख पाते थे।
  • फ्रांसीसी लेखक एमिले कभी किसी गली से गुजरते तो उसमें लगे बिजली के खम्भों को गिनते जाते।भूल जाते तो लौटकर गली के कोने से उन्हें दोबारा गिनना शुरू करते।ऐसा करने में उनका क्या अभिप्राय है,इसका उत्तर देते हुए उन्हें कभी न बन पड़ा; मात्र उसे आदत बताया करते।
  • चार्ल्स डिकन्स को लिखते समय मुंह चलाने और चबाने की आदत थी।पूछने पर कि ऐसी कोई विचित्र मुखाकृति लिखते समय वे क्यों बनाते हैं,वे कहते कि ऐसा अन्यायस हो जाता है,इसमें उनकी ओर से कोई कोशिश नहीं होती।
  • बर्नाड शाॅ को एक ही अक्षर से कविताएं लिखने की सनक थी।उनने अपने जीवनकाल में ऐसी अनेक कविताएं लिखी; जो एक अक्षर ‘एल’ से प्रारंभ होती थीं।पूछने पर बताते कि यह उनका शौक है।
  • विख्यात कवि निराला के बारे में प्रसिद्ध है कि एक दिन वे लीडर प्रेस से रॉयल्टी के पैसे लेकर महादेवी वर्मा के पास चले जा रहे थे।ठंड का समय था।अभी थोड़ी दूर गए थे कि सड़क के किनारे सर्दी से कांपती एक बुढ़िया दिखाई पड़ी,जो याचक भाव से उन्हीं को देख रही थी।उन्हें उस पर दया आ गई।उन्होंने न सिर्फ राॅयल्टी के सारे पैसे उसे दे दिए,वरन ठंड के निवारण के लिए अपना कोट भी निकालकर उसके ऊपर रख दिया और महादेवी के घर चल दिए,किंतु चार दिन बाद वे यही भूल गए कि उनका कोट का क्या हुआ? उसे ढूंढते हुए महादेवी के आवास पर पहुंचे,जहाँ उन्हें ज्ञात हुआ कि उन्होंने तो अपना कोट दान कर दिया है।
  • विद्वान दार्शनिक हक्सले यदा-कदा यह बिल्कुल ही भूल जाते थे कि वे घर से किस प्रयोजन के लिए निकले थे और जाना कहाँ था।एक बार वे अपने शहर से दूर किसी अन्य शहर के एक समारोह में आमंत्रित थे।ट्रेन वहाँ देर से पहुंची।तब तक स्टेशन पर आए अगवानी करने वाले लोग जा चुके थे।दार्शनिक महोदय बाहर खड़े एक तांगे में सवार हुए और चल पड़े।कुछ दूर जाने के बाद जब ताँगे वाले ने जब उनसे पूछा कि जाना कहां है तो वे असमंजस में पड़ गए।बहुत स्मरण किया,पर याद नहीं आया कि जाना कहां है।अंततः वे उसी टाँगे से स्टेशन लौट आए और वापसी वाली गाड़ी से घर चले गए।

4.महान गणितज्ञों की मान्यताएं (Beliefs of great mathematicians):

  • गणितज्ञ डॉक्टर जी.एच. हार्डी इंग्लैंड के प्रख्यात गणितज्ञ थे।वे 13 को अशुभ संख्या मानते थे।वे 13 की संख्या से भय खाते थे।13 नंबर की टैक्सी में बैठना पसंद नहीं करते थे।यहां तक की 1729 के गुणनखंड 7× 19×13 होता है एक बार डॉक्टर हार्डी टैक्सी नंबर 1729 में बैठकर गए तो उन्होंने रामानुजन को कह ही दिया कि यह एक अशुभ संख्या है।वे 13 संख्यावाली कुर्सी पर बैठने से बचते थे,13 संख्या वाले कमरे में ठहरने से बचते थे।
  • इसी प्रकार श्रीनिवास रामानुजन का जीवन भी विचित्रताओं और विरोधाभासों से भरा हुआ था।वह कहा करते थे कि नामगिरी देवी (तमिलनाडु के तंजावुर जिले में कुंभकोणम शहर के पास स्थित है) उनके सपनों में आकर गणित के फाॅर्मूले खोजने में मदद करती है।परंतु हम जानते हैं कि रामानुजन की प्रतिभा का रहस्य किसी देवी-देवता की मदद में नहीं,बल्कि उनके अपने दिमाग में,उनकी लगन में और उनके कठोर परिश्रम में निहित था।
  • कहते हैं कि वह जब इंग्लैंड में थे तो उन्होंने लंदन की भूमिगत रेल पटरी पर लेटकर आत्महत्या करने की कोशिश की।किंतु संयोग से उनकी जान बच गई।
  • संसार के महापुरुषों,महान गणितज्ञों और वैज्ञानिकों तथा प्रतिभाशाली महामानवों को पढ़ने से पता चलता है कि उनमें दो-चार विचित्र बातें अवश्य मौजूद रहती हैं।वे जब एक पक्ष के बारे में खोज कार्य करते हैं तो जीवन के अन्य क्षेत्रों में उनको सामान्य जानकारी भी नहीं रहती है,उससे वे अनभिज्ञ बने रहते हैं।बहुमुखी प्रतिभा के धनी महामानव बहुत कम होते हैं।अतः अन्य पक्षों का समुचित विकास न होने के कारण वे अपनी मान्यताओं,धारणाओं के आधार पर ही निर्णय लेते हैं,क्योंकि ज्ञान ना होना हमें विचित्रताओं,विरोधाभाषी,सनकी,मान्यताओं के आधार पर जीवन व्यतीत करने को विवश करता है।इसलिए किसी विशिष्ट क्षेत्र में ज्ञानार्जन करने के साथ हमें अन्य क्षेत्रों सांसारिक,पारिवारिक कर्त्तव्यों का पालन करने के लिए सामान्य ज्ञान अवश्य अर्जित करना चाहिए।एक अन्य कारण यह भी होता है कि महामानव अपने कार्य में इतने डूबे रहते हैं कि अन्य पक्षों का ज्ञान होते हुए भी वे विस्मृत हो जाती हैं।
  • सनक एक मानसिक रोग है,तो विस्मृति को मानसिक अस्त-व्यस्तता माना जा सकता है।दोनों ही साध्य हैं।असाध्य इनमें से कोई नहीं है।तनिक मानसिक सजगता को अपना लेने भर से इनसे छुटकारा मिल सकता है और व्यक्ति सामान्य और साधारण जीवन जी सकता है।अतः विद्यार्थी काल से छात्र-छात्राओं को अपने कोर्स,विषय की पुस्तकें पढ़ने के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान भी अर्जित करते रहना चाहिए।वस्तुतः विद्यार्थी व्यावहारिक ज्ञान अर्जित करने से इसलिए कतराते हैं क्योंकि वे सोचते हैं जीवन लक्ष्य में ये बातें कहां और किस तरह उपयोगी हो सकती हैं अर्थात् नहीं हो सकती है।उनका ऐसा सोचना गलत है और वे बड़े होने पर व्यावहारिक ज्ञान से शून्य ही रहते हैं।कदम कदम पर उन्हें दूसरों का सहारा लेना पड़ता है अथवा गलती करके ठोकरे खाते हैं तब सीखते हैं।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में क्या प्रतिभावान सनकी होते हैं? (Are Geniuses Eccentric?),प्रतिभाशाली व्यक्तियों के जीवन में विचित्रताएँ तथा विरोधाभास (Strangeness and Contradiction in Life of Gifted) के बारे में बताया गया है।

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5.मजनूँ टाइप छात्र भी प्रवेश करें (हास्य-व्यंग्य) (Insane Type Students Should Also Enter) (Humour-Satire):

  • एक छात्र (शिक्षक से):क्या इस कक्षा में केवल लड़कियां ही पढ़ सकती हैं,लड़कियों के लिए ही रिजर्व है।
  • शिक्षक:ऐसा बिल्कुल नहीं है।इसमें मजनूँ टाइप छात्र भी प्रवेश कर सकते हैं (व्यंग्यपूर्वक कहा)।

6.क्या प्रतिभावान सनकी होते हैं? (Frequently Asked Questions Related to Are Geniuses Eccentric?),प्रतिभाशाली व्यक्तियों के जीवन में विचित्रताएँ तथा विरोधाभास (Strangeness and Contradiction in Life of Gifted) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.प्रतिभाशाली व्यक्तियों में विचित्रताएं क्यों होती हैं? (Why do talented people have Strangeness?):

उत्तर:प्रतिभाशाली व्यक्तियों का ज्ञान एक क्षेत्र विशेष में होता है,उसमें वे उच्च कोटि के खोज,कार्य करते हैं परंतु वे व्यावहारिक जीवन की बातों से सरोकार नहीं रखते हैं,दूसरे पक्षों की अवहेलना करते हैं,उन क्षेत्रों में उनका ज्ञान साधारण भी नहीं रहता है।इसलिए इस प्रकार की विचित्रताएं मौजूद रहती है।कई ऐसे बहुमुखी प्रतिभा के महामानव भी होते हैं,उनको अन्य क्षेत्रों का सामान्य ज्ञान अथवा काम चलाऊ ज्ञान होता है,उनके जीवन में ऐसी विचित्रताएं देखने को नहीं मिलती हैं।

प्रश्न:2.क्या वैज्ञानिक ज्ञान भी अर्जित करना आवश्यक है? (Is it necessary to acquire scientific knowledge as well?):

उत्तर:जीवन में वैज्ञानिक ज्ञान भी आवश्यक है क्योंकि वैज्ञानिक ज्ञान के बिना जीवन में अंधविश्वास,ढोंग,पाखंड पनपता है।दकियानूसी और पुरातनपंथी बना रहता है।दरअसल व्यक्ति में विवेक हो तो हर चीज को जांच-परखकर स्वीकार करता है,अपनाता है।बिना सोचे-विचारे परंपरागत विचारों,मान्यताओं से हमारे जीवन में रूढ़िवादी विचार पनपने लगते हैं।

प्रश्न:3.व्यावहारिक ज्ञान कैसे अर्जित करें? (How to acquire practical knowledge?):

उत्तर:अपने कोर्स की पुस्तकें पढ़ने के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान की पुस्तकें पढ़ने,स्वाध्याय करने,सत्साहित्य का अध्ययन करने,सज्जनों तथा बड़े-बुजुर्गों की संगत करने में कुछ समय देना चाहिए।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा क्या प्रतिभावान सनकी होते हैं? (Are Geniuses Eccentric?),प्रतिभाशाली व्यक्तियों के जीवन में विचित्रताएँ तथा विरोधाभास (Strangeness and Contradiction in Life of Gifted) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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