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Teaching as a Career

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1.एक करियर के रूप में शिक्षण (Teaching as a Career),एक करियर के रूप में गणित शिक्षण (Mathematics Teaching as a Career):

  • एक करियर के रूप में शिक्षण (Teaching as a Career) को अपनाने के लिए सबसे प्रथम शर्त है संबंधित विषय में गहरी रूचि का होना तथा दूसरी शर्त संबंधित विषय में व्यावसायिक डिग्री का होना। शिक्षण को कैरियर के रूप में अपनाने पर अरुचिकर अध्यापक अपने विषय में विद्यार्थियों की रुचि व जिज्ञासा को खत्म कर देता है।
  • वाकई में शिक्षक बनने के योग्य वही होता है जो अपने विषय का ज्ञाता हो,जिसमें पढ़ाने के साथ-साथ पढ़ने की जिज्ञासा हो अर्थात् जिज्ञासु प्रवृत्ति का हो और जो छात्र-छात्राओं को प्रेरित करता हो।छात्र-छात्राएं केवल विषय का ज्ञान ही अर्जित नहीं करते हैं बल्कि शिक्षक से मार्गदर्शन भी प्राप्त करते हैं।शिक्षक की छात्र-छात्राओं की प्रतिभा को उभारने,निखारने और विकसित करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
  • एक शिक्षक करियर के रूप में इतना सरल कार्य नहीं है जितना समझा जाता है।एक शिक्षक मित्र,दार्शनिक,मार्गदर्शक,मनोवैज्ञानिक के साथ-साथ एक कर्मयोगी होता है।
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2.प्रोफेशनल शिक्षकों की मांग (Demand for Professional Teachers):

  • शिक्षा को प्रोफेशनल बनाने के कारण शिक्षण क्षेत्र में जबरदस्त प्रतियोगिता प्रारंभ हो गई है।अब प्रोफेशनल शिक्षकों की मांग में तेजी से इजाफा हुआ है।भिन्न-भिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने,शैक्षणिक कक्षाओं को उत्तीर्ण करने हेतु विद्यार्थी कोचिंग संस्थानों की सहायता लेते हैं। कोचिंग संस्थानों में अच्छी शिक्षा तथा परीक्षा केंद्रित शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु शिक्षकों की मांग में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।इस कारण पारम्परिक शिक्षा के सामने कोचिंग उद्योग खड़ा हो गया है। शिक्षण संस्थान भी अब अपनी शिक्षा को प्रोफेशनल लुक दे रहे हैं।यह क्षेत्र अब इतना लाभप्रद और आकर्षक लग रहा है कि इसमें बड़े-बड़े उद्योगपति भी अपना निवेश कर रहे हैं।
  • सबसे अधिक कोचिंग संस्थान इंजीनियरिंग,सिविल सर्विसेज,बैंकिंग,सीपीटी,एमबीए, रेलवे,एनडीए, अंग्रेजी स्पोकन, कैट,मैट, एसएससी,पीएमटी,सीपीएमटी इत्यादि क्षेत्रों में हैं। यदि इन सबका अनुमान लगाया जाए तो यह कोचिंग उद्योग अनुमानित 50,000 करोड़ के लगभग हो सकता है।
  • यदि आपकी शिक्षण में रुचि है तथा संबंधित विषय में ग्रेजुएट के साथ B.Ed,पोस्टग्रेजुएशन के साथ M.Ed अथवा एमफिल,पीएचडी किए हुए हैं तो इन क्षेत्रों में अपनी पहचान बना सकते हैं।कमाई के हिसाब से भी कोचिंग संस्थानों में कोई सीमा नहीं है।
  • इन कोचिंग संस्थानों में किसी भी सरकारी शिक्षक से ये प्राइवेट ट्यूटर ज्यादा कमाते हैं।इनमें एक अच्छे शिक्षक को 20 लाख से 80 लाख तक सालाना पैकेज मिल जाता है।

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3.शिक्षक एक रोल मॉडल (Teacher A Roll Model):

  • भारत में प्राचीन काल से ही शिक्षक को बहुत ऊँचा दर्जा प्राप्त है।शिक्षा का क्षेत्र भारत में प्रमुख क्षेत्रों में गिना जाता है।स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत में सरकारी तथा निजी स्कूलों,कॉलेजों,विश्वविद्यालयों,कोचिंग संस्थानों तथा उच्च शिक्षण संस्थानों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।अन्य क्षेत्रों के बजाय शिक्षण में काम का कम समय है और छुट्टियां भी मिलती हैं।
  • शिक्षण में केरियर के अवसर भी बहुत हैं।अतः कैरियर की दृष्टि से यह एक अच्छा विकल्प है।
    शिक्षण में चुनौती भी कम नहीं है।जब चुनौतियों और समस्याओं को एक शिक्षक हल करता है तो उसे आत्म संतुष्टि मिलती है।अन्य क्षेत्रों में तनाव के अनेक अवसर होते हैं।काम करने का दबाव भी बहुत रहता है।इस प्रकार शिक्षण अन्य क्षेत्रों से तुलनात्मक रूप से अधिक संतोषप्रद है।
  • यदि शिक्षक में निष्ठा है तथा विषय का गहरा ज्ञान है तो शिक्षण के कैरियर में शिक्षक केवल शिक्षक का ही नहीं बल्कि एक मार्गदर्शक,सलाहकार की भूमिका भी अदा करता है।यदि छात्र माता-पिता के बाद सबसे अधिक संपर्क में रहता है तो वह है शिक्षक।छात्र-छात्राएं अपने विषय से संबंधित ही नहीं बल्कि केरियर,व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान भी शिक्षक से प्राप्त करता है।ऐसे शिक्षक वास्तव में केवल शिक्षक ही नहीं बल्कि छात्र-छात्राओं के रोल मॉडल (Role Model) होते हैं।
  • कोई भी छात्र-छात्रा किसी प्रतियोगिता परीक्षा में,शैक्षिक परीक्षा में टॉप करता है तथा कोई पुरस्कार प्राप्त करता है तो शिक्षक अपने आप पर गर्व महसूस करता है।शिक्षण एक ऐसा क्षेत्र है जहां जीवन पर्यंत सीखते रहने का अवसर मिलता है। ऐसा अवसर अन्य किसी क्षेत्र में नहीं मिलता है। परीक्षा में उत्तीर्ण करा देना,परीक्षा की तैयारी करा देना इतना ही एक शिक्षक को रोल माॅडल (Role Model) नहीं बना देता है।छात्र-छात्राओं में आज परीक्षा केंद्रित पढ़ाई करने, करियर के प्रति केन्द्रित होने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।ऐसी स्थिति में शिक्षक का कार्य बहुत चुनौतीपूर्ण है क्योंकि छात्र-छात्राओं में मूल्यों, नैतिकता और सदाचार जैसे गुणों को उभारने की भी जिम्मेदारी होती है। यदि वह उपर्युक्त गुणों को नहीं उभारता है तो छात्र-छात्राओं का रोल मॉडल (अनुकरणीय व्यक्ति) नहीं बन सकता है और न ही सच्चे अर्थों में वह शिक्षक है।

4.शिक्षण हेतु प्रोफेशनल डिग्री (Professional Degree for Teacher):

  • प्री प्राइमरी स्कूल में प्राइवेट संस्थानों द्वारा प्ले स्कूल,नर्सरी,किंडरगार्टन,माॅन्टेसरी,प्री-स्कूल,एलिमेंट्री स्कूल तथा सरकारी स्तर पर बालबाड़ी,आंगनबाड़ी,सरकारी स्कूल,सैनिक स्कूल शामिल है।इस स्तर के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक में नेतृत्त्व क्षमता,बच्चों से प्रेमपूर्ण व्यवहार करने का कौशल, उन्हें समझाने की कला,वात्सल्य की भावना,बच्चों की मासूमियत के प्रति आदर की भावना जैसे गुणों की आवश्यकता होती है।
  • जहां तक प्रोफेशनल डिग्री का सवाल है तो इसके लिए ग्रेजुएशन के साथ नर्सरी टीचर्स ट्रेनिंग (एनटीटी) में सर्टिफिकेट,डिग्री,डिप्लोमा होना पर्याप्त है।
  • प्राइमरी स्कूल:प्राइमरी स्कूल में 1 से लेकर 5 तक की कक्षाएं होती हैं।इन कक्षाओं के बालकों को पढ़ाने के लिए शिक्षक में प्रगतिशील शिक्षा के प्रति जुनून,सभी विषयों की अच्छी समझ इसके अलावा संगीत, नृत्य,गायन इत्यादि का ज्ञान होना चाहिए। साथ ही क्षेत्रीय भाषा का ज्ञान भी होना चाहिए।इस स्तर के बच्चों को पढ़ाने के लिए ग्रेजुएशन के साथ प्राथमिक शिक्षा में सर्टिफिकेट,डिप्लोमा या डिग्री की जरूरत पड़ती है लेकिन यह डिग्री या डिप्लोमा मान्यता प्राप्त होना चाहिए।सरकारी स्कूल में नियुक्ति हेतु सीनियर सेकेंडरी (10+2) या इंटरमीडिएट के साथ ईटीई/डी-एड/बीटीसी/बीएसटीसी/जेबीटी या बी.एल.एड होना आवश्यक है।
  • अपर प्राइमरी या मिडिल स्कूल:इसमें छठी से आठवीं कक्षा को शामिल किया जाता है।इस स्तर पर अंग्रेजी,गणित व विज्ञान विषयों की अधिक डिमांड होती है।छठी से आठवीं तक के बालकों को पढ़ाने के लिए संबंधित विषय में अच्छी पकड़ होनी चाहिए।इस तरह के बालकों को पढ़ाने हेतु B.Ed की डिग्री या टीजीटी (ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर) की आवश्यकता होती है।सरकारी स्कूलों में प्रतियोगिता के द्वारा भर्ती की जाती है तो निजी स्कूलों में साक्षात्कार के द्वारा सीधी भर्ती कर ली जाती है।
  • सेकेंडरी/सीनियर सेकेंडरी:भारत में गरीबी को कम करने तथा जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए इस स्तर की शिक्षा आवश्यक है।क्योंकि वोकेशनल कोर्स,व्यावसायिक डिप्लोमा प्राप्त करने के लिए सेकंडरी व सीनियर सेकेंडरी की शिक्षा जरूरी है। इस स्तर के बालकों को पढ़ाने की लिए कैंडिडेट के पास ग्रेजुएशन के साथ B.Ed (बैचलर ऑफ एजुकेशन) की डिग्री होनी चाहिए।इस स्तर के बच्चों को पढ़ाने के लिए B.Ed की डिग्री के अलावा भी शिक्षक अनुभव से सीखने, दृढ़-इच्छाशक्ति,बदलाव की इच्छा,परिणामों पर केन्द्रित करना,परिणाम का मूल्यांकन करना इत्यादि का होना आवश्यक है।
    सीनियर सेकेंडरी स्कूलों (निजी) में पढ़ाने के लिए बीई/बीटेक,पोस्ट ग्रेजुएट,एमफिल, पीएचडी वालों को वरीयता दी जाती है क्योंकि सीनियर सेकेंडरी के बाद आईआईटी,इंजीनियरिंग,सीपीटी,पीएमटी, सीपीएमटी जैसी महत्त्वपूर्ण प्रतियोगिता परीक्षाओं में छात्र-छात्राएं भाग लेते हैं।
  • कॉलेज व विश्वविद्यालय:छात्र छात्राओं के मार्गदर्शक,सलाहकार तथा उनकी तार्किक क्षमताओं को निखारना चाहते हैं तो कॉलेज व विश्वविद्यालय में पढ़ाना बेहतर विकल्प है।कॉलेज व विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए कैंडिडेट के पास स्नातकोत्तर डिग्री में 55% अंकों के साथ नेट या स्लेट/सेट जैसी पात्रता होनी चाहिए।हालांकि यूजीसी के मापदंडों के अनुसार पीएचडी प्राप्त कैंडिडेट्स को असिस्टेंट प्रोफेसर या समान पद पर भर्ती के समय नेट या स्लेट/सेट में छूट दी जाती है परंतु उन्हें दो वर्ष में ये परीक्षाएं उत्तीर्ण करनी होती है।
  • एसोसिएट प्रोफेसर:स्नातकोत्तर में 55% प्रतिशत के साथ पीएचडी होना चाहिए।साथ ही कॉलेज या विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर या समकक्ष पद पर अध्यापन या रिसर्च में कम से कम 5 साल का अनुभव होना चाहिए।
  • प्रोफेसर:प्रोफेसर या डायरेक्टर ऑफ फिजिकल एजुकेशन एसोसिएट प्रोफेसर या डिप्टी डायरेक्टर ऑफ फिजिकल एजुकेशन के पद से पदोन्नति के माध्यम से या सीधी भर्ती से नियुक्त हो सकते हैं।इन दोनों ही तरह की भर्तियों में उम्मीदवार के लिए पीएचडी होना जरूरी है।इसके अलावा ऊँचे दर्जे की प्रकाशित रचनाओं के साथ अपने विषय के जाने-माने विद्वान होने चाहिए।उनके पास कॉलेज या विश्वविद्यालय या ऐसे ही संस्थान में कम से कम 10 साल पढ़ाने या डॉक्टरल स्तर के रिसर्च स्काॅलरों को निर्देशित करने का अनुभव होना चाहिए।प्रिंसिपल,निदेशक या संस्था प्रधान:कम से कम 55% अंकों सहित स्नातकोत्तर के साथ पीएचडी और रिसर्च गाइड व प्रकाशन के प्रमाण पत्र भी होने चाहिए।उसका किसी कॉलेज या विश्वविद्यालय में प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में अध्यापन,रिसर्च या प्रशासन में कम से कम 15 साल का अनुभव होना चाहिए।इन नियमों के लिए यूजीसी द्वारा विकसित परफॉर्मेंस बेस्ड अप्रेजल सिस्टम (पीबीएएस) पर आधारित एकेडमिक परफॉर्मेंस इंडीकेटर (एपीआई) पर न्यूनतम स्कोर होना चाहिए।
  • वाइस चांसलर:उच्च स्तरीय क्षमतावान,ईमानदार और संस्थागत वचनबद्धता (Commitment) वाले व्यक्ति को विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर के पद हेतु चुना जाता है।इस पद पर उन्हीं व्यक्तियों का चयन किया जाता है जो कम से कम 10 साल तक किसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रह चुके हैं या समान पद हेतु चुना जाता है।इस पद पर उन्हीं जाने-माने व्यक्तियों का चयन किया जाता है जो कम से कम 10 साल तक किसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रह चुके हैं या समान पद पर किसी रिसर्च संस्थान या अकादमिक प्रशासनिक संगठन में काम कर रहे हों।

5.कॉलेज विश्वविद्यालय शिक्षकों के बारे में अन्य बातें (Other things about Colleges and  Universities Teachers):

  • कॉलेज व विश्वविद्यालय में यदि कोई पद रिक्त है तथा तत्काल भर्ती नहीं की जा सकती है अथवा किसी प्रोफेसर,असिस्टेंट प्रोफेसर की लम्बी बीमारी,उच्च अध्ययन इत्यादि के कारण पद रिक्त है तो स्थाई नियुक्तियां की जाती है।
  • सेकेंडरी/सीनियर सेकेंडरी में भी यह स्थिति हो सकती है।जरूरत के अनुसार गेस्ट या पार्ट टाइम टीचर,विजिटिंग प्रोफेसर,एमेरिटस प्रोफेसर या इमेरिटस फेलो नियुक्त किए जा सकते हैं।गेस्ट टीचर को ज्यादा से ज्यादा 5 वर्ष तक रखा जा सकता है।इन्हें काम के अनुसार मानदेय होता है।ये जिस पद के लिए रखे जाते हैं,उसके लिए निर्धारित सभी योग्यताएं होनी चाहिए।इसके अलावा विजिटिंग प्रोफेसर के पद पर किसी विषय के प्रसिद्ध विद्वानों को ज्यादा से ज्यादा एक साल और कम से कम 3 महीने के लिए नियुक्त किया जाता है।दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में स्नातकोत्तर स्तर पर पढ़ाने वाली फैकल्टी की मदद के लिए यूनिवर्सिटी टीचिंग असिस्टेंटशिप (यूटीए) का चयन किया जाता है। इसके लिए उन्हीं विद्यार्थियों का चयन किया जाता है जिन्होंने मास्टर डिग्री पास करने के साथ-साथ टाॅप 30% में भी अपना स्थान बनाया हो।
  • पद नाम
    नया पद                    पुराना पद
    (1.)असिस्टेंट प्रोफेसर लेक्चरर
    (2.)असिस्टेंट प्रोफेसर (सीनियर स्केल) लेक्चरर (सीनियर स्केल)
    (3.)असिस्टेंट प्रोफेसर (सलेक्शन ग्रेड) लेक्चरर (सलेक्शन ग्रेड)
    (4.)एसोसिएट प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर
    (5.)सीनियर एसोसिएट प्रोफेसर  नया पद
    (6.)प्रोफेसर                प्रोफेसर
    (7.)सीनियर प्रोफेसर     नया पद
    (8.)प्रोफेसर ऑफ एमिनेंस नया पद
  • उपर्युक्त आर्टिकल में एक करियर के रूप में शिक्षण (Teaching as a Career),एक करियर के रूप में गणित शिक्षण (Mathematics Teaching as a Career) के बारे में बताया गया है।

6.मरीज स्टूडेन्ट और डॉक्टर (हास्य-व्यंग्य) (Patient Student and Doctor) (Homour-Satire):

  • डाॅक्टर (मरीज स्टूडेन्ट से):आज में ऐसी दवा दूँगा की आप फिर से बालक हो जाएंगे।
    मरीज स्टूडेन्ट (डाॅक्टर से):ऐसी दवा मत दीजिएगा डाॅक्टर साहब!वरना मेरी स्काॅलरशिप (छात्रवृत्ति) बन्द हो जाएगी।

7.एक करियर के रूप में शिक्षण (Teaching as a Career),एक करियर के रूप में गणित शिक्षण (Mathematics Teaching as a Career) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.एलीमेंट्री टीचर्स एजुकेशन क्या है? (What is Elementary Teachers’ Education?):

उत्तर:एलीमेंट्री टीचर्स एजुकेशन (ई.टी.ई.) द्वारा 4 से 14 साल तक के बच्चों को शिक्षित करने करने वाले कैंडिडेट्स को प्रशिक्षण (Training) दिया जाता है।भारत का शिक्षा तंत्र अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है।भारतीय शिक्षा प्रणाली की प्रमुख समस्या यह है कि प्रारम्भिक कक्षा के दौरान ही बहुत से बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं।भारत सरकार ने 14 साल तक के बच्चों के लिए शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार बना दिया है।ऐसी स्थिति में इन बच्चों को स्कूली शिक्षा से जोड़े रखने के लिए ईटीई पाठ्यक्रम के द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है।ईटीई पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने हेतु जरूरी योग्यताओं का पूरा करना होगा।

प्रश्न:2.जूनियर बेसिक ट्रेनिंग इन एजुकेशन के बारे में बताइए।(Tell us about Junior Basic Training in Education):

उत्तर:इसका उद्देश्य शिक्षक को छोटे बच्चों की शैक्षिक जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षित करना है।यह पाठ्यक्रम इस बात को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है कि शिक्षक शैक्षिक स्तर के साथ ही भावनात्मक स्तर पर भी बच्चों के साथ जुड़कर उनकी समस्याओं का समाधान कर सके।देश के कुछ राज्यों में इस कोर्स की अवधि दो वर्ष है और कहीं-कहीं पर इसमें प्रवेश लेने के लिए प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करवाई जाती है जिसमें शिक्षण अभियोग्यता (Teaching Aptitude),सामान्य ज्ञान (General Knowledge),सामान्य गणित, सामान्य अंग्रेजी के प्रश्न पूछे जाते हैं।राज्य के हिसाब से प्रतियोगिता परीक्षा का प्रारूप अलग होता है।सरकारी संस्थानों के अलावा अनेक निजी संस्थान भी जूनियर बेसिक ट्रेनिंग करवाते हैं लेकिन अभ्यर्थी द्वारा इनकी मान्यता जाँच लेना आवश्यक होता है।इस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए अभ्यर्थी को कक्षा बारह उत्तीर्ण होना आवश्यक है।कहीं-कहीं पचास प्रतिशत अंक होना अनिवार्य होता है और आरक्षित वर्ग को नियमानुसार छूट प्रदान की जाती है।स्नातक कर चुके अभ्यर्थी के लिए 45 प्रतिशत अंक पर्याप्त होते हैं।अभ्यर्थी की उम्र 17 से 28 वर्ष के बीच होनी चाहिए।आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को नियमानुसार उम्र में छूट दी जाती है।

प्रश्न:3.बेचलर ऑफ ऐजुकेशन की विशेषताएं बताइए।(State the Features of The Bachelor of Education):

उत्तर:यह भारत का सबसे लोकप्रिय शिक्षण-प्रशिक्षण पाठ्यक्रम है।इस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए स्नातक होना आवश्यक है।ज्यादातर राज्यों में इस पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु एक प्रवेश परीक्षा देनी होती है लेकिन कहीं-कहीं सीधे प्रवेश की सुविधा भी प्राप्त है।प्रवेश परीक्षा में सामान्य अभियोग्यता (General Aptitude) और प्रतियोगी द्वारा निर्धारित किए गए विषयों में से वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाते हैं।अभ्यर्थी को किसी भी संस्थान में प्रवेश लेने से पहले उसके द्वारा दी जाने वाली डिग्री की मान्यता जाँच लेना चाहिए।अगर आप कहीं नियमित विद्यार्थी के तौर पर इस पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं ले सकते हैं तो पत्राचार के द्वारा भी इस डिग्री को प्राप्त कर सकते हैं।

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा एक करियर के रूप में शिक्षण (Teaching as a Career),एक करियर के रूप में गणित शिक्षण (Mathematics Teaching as a Career) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Teaching as a Career

करियर के रूप में शिक्षण
(Teaching as a Career)

Teaching as a Career

एक करियर के रूप में शिक्षण (Teaching as a Career) को अपनाने के लिए सबसे प्रथम शर्त है
संबंधित विषय में गहरी रूचि का होना तथा दूसरी शर्त संबंधित विषय में व्यावसायिक डिग्री का होना।

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