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5 Top Tips on How to Successful at Job

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1.जाॅब में सफल होने की 5 टॉप टिप्स (5 Top Tips on How to Successful at Job),अपने जाॅब में सफल होने के 5 रोमांचक तरीके (5 Exciting Way to Be Successful at Your Job):

  • जाॅब में सफल होने की 5 टॉप टिप्स (5 Top Tips on How to Successful at Job) के आधार पर आप जॉब में न केवल सफल हो सकते हैं बल्कि अपने जॉब में नई ऊँचाईयाँ हासिल कर सकते हैं।ये टिप्स कदम-कदम पर आपको आगे बढ़ने में सहायक होगी और आप कंपनी या संस्थान में उच्च पद पर पहुंच सकते हैं।
  • अक्सर होता यह है कि कोई भी अभ्यर्थी जब जाॅब प्राप्त कर लेते हैं तो अपने सांसारिक कर्त्तव्यों,पारिवारिक कर्त्तव्यों में इस तरह से फँसता चला जाता है कि जाॅब पर कामचलाऊ ध्यान देता है।वह इतना ही कार्य करता है कि उसका जाॅब बना रहे।परंतु आज के युग में इस तरह की धारणा रखना आपके लिए घातक हो सकती है।
  • आधुनिक युग प्रतियोगिता का,तकनीकी का तथा आर्थिक युग है।यदि आप अपने जॉब को बेहतरीन तरीके से नहीं करते हैं।कस्टूमर से ठीक तरह से बर्ताव नहीं करते हैं।कस्टूमर को संतुष्ट नहीं करते हैं।तकनीकी ज्ञान में अपडेट व अपग्रेड नहीं करते हैं तो आप पिछड़ते चले जाएंगे।हो सकता है ऐसी स्थिति में आपकी जगह किसी दूसरे को नियुक्त कर दिया जाए और आपको कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए।
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2.आत्मीय संबंध बनाएं (Build Intimate Relationships):

  • अपने सहकर्मियों,अपने से छोटे कर्मचारियों तथा बाॅस से थोड़ा सा आत्मीय संबंध भी रखें।आत्मीय संबंध से वे आपको लंबे समय तक याद रखेंगे।आप हैरान होंगे यह जानकर कि इन छोटी-छोटी बातों से कितना फर्क पड़ता है।
  • अगर किसी की तबीयत खराब लग रही है तो उससे इसके बारे में पूछें।अगर किसी ने मां,बहिन,पत्नी का ध्यान रखने के लिए छुट्टी ली है तो उसके लौटने पर उनका हाल-चाल पूछें।अगर कोई चलने में लंगड़ा रहा है तो उससे पूछें उसे क्या हुआ है।उसके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के बारे में बात करें।
  • अच्छे मानवीय संबंध बनाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती।पर अफसोस,अनुभवी और समझदार कर्मचारी/अधिकारी भी कई बार इस पर ध्यान देना बिल्कुल भूल जाते हैं।
  • आत्मीय संबंध इतने प्रगाढ़ भी ना बनाएं की सहकर्मी आपका नाजायज फायदा उठाने लगे।सहकर्मी अपने जॉब का भार आप पर डाल देते हैं तो वास्तव में यदि उसकी मदद करना जरूरी है तो करें अन्यथा ‘ना’ कहना भी आना चाहिए।अक्सर यह काफी मुश्किल होता है क्योंकि थोड़ा आत्मीय संबंध बना लेने पर सहकर्मियों का आप पर बहुत दबाव रहता है।
  • पीड़ित कर्मचारियों के मित्र,रिश्तेदार,ऊंचे ओहदों पर बैठे लोग,सभी को संवेदनशील कर्मचारी से कुछ ना कुछ मदद करने की चाहत बढ़ जाती है।अतः सजग रहें और अपने आपका इस्तेमाल न होने दें।इन गलत मांगों को ठुकराने के लिए उसे खुद पर कड़ा नियंत्रण रखना होगा।
  • सभी की एक महत्वाकांक्षा होती है सभी अन्य लोगों की प्रशंसा,मान्यता और उनका ध्यान अपनी ओर चाहते हैं।ऐसा क्यों होता है यह तो हम नहीं कह सकते हैं,पर यही मानव स्वभाव है।सहकर्मियों,बाॅस तथा अन्य के साथ व्यवहार करते समय आप हमेशा इस बात का ध्यान रखें।किसी के द्वारा अच्छा काम करने पर प्रशंसा के दो शब्द कहने से न केवल आपका कद बढ़ेगा बल्कि आप सहकर्मियों व बाॅस का ध्यान भी अपनी ओर खींचने की कोशिश करेंगे।
  • हम जानते हैं कि लोगों के साथ काम करना आसान नहीं होता।कभी-कभी हम सबका सब्र जवाब दे जाता है।जब भी कभी आपके साथ हो-रुक जाएं।गलत के साथ-साथ सही पर भी ध्यान दें।अगर किसी सहकर्मी में बुरा ही बुरा नजर आ रहा है इससे संबंध खराब होंगे और आपकी छवि गलत कर्मचारी के रूप में हो जाएगी।अतः अपने को थोड़ा आराम दें,अच्छी नींद लें और नकारात्मकता को हावी न होने दें।

3.अपनी प्रतिभा को निखारने का प्रयत्न करें (Try to Improve Your Talent):

  • अपने अंदर के हुनर को,अपने अंदर की प्रतिभा को,अपने अंदर के कलाकार को पहचानने और उसको प्रकट करने तथा भरपूर इस्तेमाल करने का प्रयास करें।यदि आपका फोकस अपने अंदर के इंसान को,अपने अंदर के कलाकार को प्रकट करने और बेहतर बनाने का प्रयास करेंगे तो सच मानिए आप अन्य सहकर्मियों से बहुत आगे बढ़ चुके होंगे।
  • यूं तो जानकारी,प्रतिभा,हुनर,इंसानियत व कौशल के कई पहलू हैं पर यहां इनका मतलब है कि आप अपने सहकर्मियों से जॉब करने में अधिक श्रेष्ठ हैं।
  • जहां तक नतीजों का सवाल है तो इसके बारे में यही कहा जा सकता है कि नतीजों के बारे में ज्यादा माथापच्ची न करें क्योंकि इन चीजों को जाॅब में अपनाने पर परिणाम लंबे समय में जाकर मिलते हैं।एक अच्छा कर्मचारी वही है जो अपनी प्रतिभा और दिमाग का पूरा इस्तेमाल करता है,अपने कौशल का पूर्ण उपयोग करने में माहिर होता है।
  • किसी भी बिंदु पर निर्णय लेने से पहले एक प्रतिभाशाली कर्मचारी अच्छी तरह सोच-विचार करता है।एक अच्छा कर्मचारी/अधिकारी आम निर्णय लेने से पहले सभी बातों को ध्यान में रखता है और किसी पहलू को नजरअंदाज नहीं करता।जिस प्रकार एक अच्छा डॉक्टर बीमारी का इलाज शुरू करने से पहले सभी लक्षणों पर ध्यान देता है।वह यह भी देखता है कि इससे पहले रोगी को क्या बीमारी थी और उसके क्या लक्षण थे।
  • बाॅस अपने चहेते एक व्यक्ति को तरक्की देंगे तो बीस अन्य लोग निराश हो जाएंगे या वे भी चहेते बनने की कोशिश करेंगे या वे सोचेंगे कि ‘उसमें ऐसा क्या है जो मुझ में नहीं है? यह मनुष्य का स्वभाव है और इसे नहीं बदला जा सकता है।
  • इसलिए यह जरूरी है कि आप अपनी प्रतिभा को,कौशल को उभारने का प्रयास करें।क्योंकि प्रतिभा,कौशल व योग्यता के आधार पर तरक्की पाने वाले कर्मचारी/अधिकारी पर कोई ऊँगली नहीं उठा सकता है।तरक्की पाने वाले दावेदारों में सबसे योग्य ही तरक्की पाने का हकदार होता है।
  • क्या आपने सोचा है कि जो कर्मचारी गंभीरतापूर्वक,तल्लीनता के साथ चुपचाप एक जगह बैठकर अपना काम करता रहता है तथा एक चालाक अभ्यर्थी जो चिकनी चुपड़ी बातें करता है उसमें कोई समानता हो सकती है,नहीं कदापि नहीं हो सकती है।आज के युग में चिकनी चुपड़ी बातें करने वाले,शेघी बघारने वाले,चापलूस व कामचोर कर्मचारी मुँह के बल गिरते हैं।
  • देर सबेर ऐसे कर्मचारियों/अधिकारियों की पोल खुल जाती है और असलियत सबके सामने आ जाती है तब वह कहीं का नहीं रहता है।अतः अपनी योग्यता,प्रतिभा व कौशल के बल पर ही तरक्की पाने व आगे बढ़ने की आकांक्षा रखें।
  • अब प्रश्न यह भी तो खड़ा होता है कि जी-हुजूरी,चिकनी-चुपड़ी,चापलूसी करके भी तो कई कर्मचारी तरक्की पा ही जाते हैं और पा ही रहे हैं फिर प्रतिभा को निखारने,अपना बेस्ट देने का प्रयास किया ही क्यों जाएं? दरअसल जी-हुजूरी,चिकनी-चुपड़ी बातों व चापलूसी करने में आपके अंदर का असली इंसान मर जाता है और आप एक नकली इंसान बनकर रह जाते हैं।ऐसे कर्मचारी/अधिकारी को मुंह पर कोई कुछ नहीं कहता हो परंतु पीठ पीछे उसे घटिया व चापलूस तथा बाॅस का चमच्चा ही कहेंगे।
  • कई बाॅस ऐसे भी होते हैं जिन पर खूबसूरत स्त्री,समुद्र का किनारा,झूमते पेड़,चापलूस कर्मचारियों इन सबका कोई असर नहीं पड़ता है।समझदार व्यक्ति खूबसूरत स्त्री की पूरी जांच पड़ताल के बाद ही उसके शादी का प्रस्ताव रखेगा।यह शायद अतिश्योक्ति है,पर वास्तविक जीवन में आप अगर कोई काम ठीक से करना चाहते हैं,अपने सच्चे इंसान को भी जीवित रखना चाहते हैं तो अपने जाॅब से प्रेम करें,उसे कई बार जांच करें,जब तक पूरी तरह निश्चिंत ना हो जाएं।

4.टीम भावना से काम करें (Work with Team Spirit):

  • टीम भावना विकसित करने के लिए सहयोग,समन्वय और सहिष्णुता की आवश्यकता होती है।आप कहेंगे कि ऑफिस में अपने काम से काम रखना चाहिए टीम भावना की कहां जरूरत आ गई।दरअसल अपने काम से काम रखने वाले तो हजारों-लाखों कर्मचारी/अधिकारी हैं।परंतु आगे बढ़ने वाला कर्मचारी/अधिकारी सबसे हटकर और डटकर जाॅब को करता है और सबको साथ लेकर चलता है।
  • आप बाॅस की नजर में भी तभी आएंगे तथा टीम भावना से कंपनी का सबसे अधिक हित जुड़ा हुआ है इसलिए भी आप अद्वितीय कर्मचारी माने जाएंगे।
  • अपनी टीम के कर्मचारी/सदस्य के अच्छे काम की प्रशंसा करें जिससे वह सुनकर बहुत प्रसन्न होगा।मनुष्य प्रशंसा का भूखा होता है।दफ्तरों में भी यही बात लागू होती है।लोगों की प्रशंसा करना अच्छे मैनेजमेंट का एक गुर है।अपने काम से सभी लोग तारीफ और श्रेय की अपेक्षा रखते हैं।
  • वस्तुतः होता है इसके उल्टा।कर्मचारी/अधिकारी अपने सहकर्मी या बाॅस की निंदा करने में सबसे आगे पर प्रशंसा करने में सबसे पीछे रहते हैं।यदि काम का श्रेय आप अकेले ही लेना चाहेंगे तो टीम भावना खत्म हो जाएगी और आप एक स्वार्थी व अति महत्वाकांक्षी कर्मचारी/अधिकारी समझे जाएंगे।स्वार्थी व अतिमहत्वाकांक्षी जो केवल अपने हित को ही प्राथमिकता देता है,दूसरों की आलोचना करता रहता है।वह कंपनी तथा संस्थान के लिए हितकर नहीं है।
  • याद रखें आप किसी का समय खरीद सकते हैं,पैसे देकर उसे कहीं उपस्थित होने के लिए कह सकते हैं,यहां तक की घंटे के हिसाब से उसके कौशल या प्रतिभा का मूल्य देकर अपने काम में इस्तेमाल भी कर सकते हैं।पर आप किसी का उत्साह,लगन,ईमानदारी,वफादारी और उसके दिमाग व हृदय की भावना को नहीं खरीद सकते-ये सब आपको अपने विश्वास से जीतना होगा।
  • विश्वास से ही टीम आगे बढ़ती है,कंपनी व संस्थान का काम आगे बढ़ता है।लेकिन विश्वास खो दिया तो न केवल टीम भावना खत्म हो जाती है बल्कि कंपनी की क्रेडिट (साख) के भी बट्टा लगता है और आपका तो करियर बर्बाद होने की शत-प्रतिशत संभावना है।
    अतः जाॅब में जिनका भी सहयोग मिला है उसका क्रेडिट उन्हें भी दें तथा इस बात को अपने बॉस के सामने भी जाहिर करें।इससे न केवल आपका सम्मान व कद बढ़ेगा बल्कि कंपनी में तरक्की की दौड़ में आप आगे निकल जाएंगे।
  • यदि आप अपने करियर में,अपने जॉब में,अपने व्यापार में आगे बढ़ना चाहते हैं तो इसका मूलमंत्र यही है कि अपने सहयोगियों की प्रतिभा का पूरा फायदा उठाएं,उनमें अधिक से अधिक आत्मविश्वास जगाकर अपनी पूरी टीम के मनोबल को बढ़ा पाएंगे।
  • तात्पर्य यह है कि कंपनी या संस्थान की सफलता के लिए बड़े अधिकारियों या बाॅस के दिमाग और कार्यकुशलता से अधिक महत्त्वपूर्ण कर्मचारियों का उत्साह और काम के प्रति उनकी निष्ठा होती है।
  • ये लोग कंपनी के बारे में क्या सोचते हैं? क्या उनमें मिलजुल कर एक टीम की तरह काम करने का उत्साह है? क्या वे काम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें इसकी आज्ञा दी गई है या वे खुद ही इसे करना चाहते हैं? ये सभी बातें बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।
  • कंपनी या संस्थान के कर्मचारी या अधिकारी को केवल जॉब इसलिए ही नहीं करना चाहिए कि उसे इसके बदले वेतन मिलता है बल्कि इसलिए भी जाॅब को करना चाहिए कि आपको उसे करने से आत्मिक संतुष्टि मिलती है,आपको प्रसन्नता होती है।
  • आपकी वजह से कंपनी या संस्थान आगे बढ़ता है यह आपके लिए गौरव की बात है।कंपनी या संस्थान में जॉब करने के लिए अपना दिमाग इस्तेमाल करने के साथ-साथ जाॅब को दिल से करें जिससे आपको आनंद की अनुभूति हो।ये कुछ तरीके हैं जिनसे आप अपने जाॅब में सफल हो सकते हैं।

5.जाॅब में सफल होने का दृष्टांत (The Parable of Succeeding in the Job):

  • एक बहुत बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी के जाने-माने सीईओ अपनी कंपनी के लिए कर्मचारी/अधिकारी की प्रतिभा पहचानने और उसका पूरा इस्तेमाल करने में माहिर थे।उन्होंने बहुराष्ट्रीय कंपनी एक छोटी सी कंपनी से शुरुआत की थी।परंतु अपने इसी गुण के कारण वे कंपनी के लिए श्रेष्ठ कर्मचारी/अधिकारी का चयन करते थे।
  • धीरे-धीरे वह कंपनी प्रगति करती गई।वे हमेशा ऐसे कर्मचारियों से सतर्क रहते थे जो कि उनकी हाँ में हाँ मिलाते रहते थे और सारा समय उसकी चापलूसी करते थे।वे जो भी निर्णय लेते थे उसमें ऐसे समझदार कर्मचारी व अधिकारियों को ही शामिल करते थे जो उन्हें सही सलाह देता था,अगर वह उसकी राय से विपरीत हो तब भी।
  • वे अपने विवेक तथा व्यवहार से चमचों और चापलूसों को पहचान लेते थे।वे जानते थे कि ऐसे लोग कंपनी तथा उसके लिए मुसीबत बन सकते हैं।अपनी व्यस्तता में कोई भी अधिकारी ऐसे लोगों के कारण गलत निर्णय ले सकता है।अतः वे जानते थे कि संस्थान व कंपनी की साख व आगे बढ़ने का तरीका यही है कि समझदार कर्मचारी व अधिकारी पर निर्भर रहें।
  • ज्योंही उन्हें चापलूस व चमचों का पता लग जाता था तो वे उसे बाहर का रास्ता भी दिखा देते थे।उनकी प्रतिभा व विवेक का ही कमाल था कि एक छोटे से स्तर से कंपनी एक बहुराष्ट्रीय कंपनी बन गई।
  • उस कंपनी में ऐसे कर्मचारी व अधिकारी भी नियुक्त किए गए जो उनसे भी अधिक योग्य एवं कर्मठ थे।उनके बारे में यह कहा जाता था कि वे एक अच्छे मालिक थे क्योंकि वे कर्मचारियों और अधिकारियों की प्रतिभा और दिमाग का इस्तेमाल करने में माहिर थे।अन्त समय में उनकी कब्र पर लिखा गया कि “यह व्यक्ति अपने से बेहतर लोगों को अपने काम में शामिल करना जानता था।”
    उपर्युक्त आर्टिकल में जाॅब में सफल होने की 5 टॉप टिप्स (5 Top Tips on How to Successful at Job),अपने जाॅब में सफल होने के 5 रोमांचक तरीके (5 Exciting Way to Be Successful at Your Job) के बारे में बताया गया है।

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6.छात्र को चोट कैसे लगी? (हास्य-व्यंग्य) (How Did Student Get Hurt?) (Humour-Satire):

  • एक छात्र (दूसरे से):तुम्हारे सिर में यह चोट कैसे लगी?
  • दूसरा छात्र:कुछ नहीं,रास्ते में विश्व के मुक्केबाज माइक टायसन से टकरा गया था।
    पहले छात्र:परंतु उसके घूँसे में इतनी ताकत बताते हैं कि जैसे एक क्विंटल की अनाज की बोरी हमारे सिर पर पड़ गई हो।तब तो तुम्हारा कचूमर निकल जाना चाहिए।
  • दूसरा छात्र:मैंने अपनी लात के प्रहार से उल्टा उसे गिरा दिया जिससे कुछ चोट मेरे सिर पर भी आ गई।

7.जाॅब में सफल होने की 5 टॉप टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 5 Top Tips on How to Successful at Job),अपने जाॅब में सफल होने के 5 रोमांचक तरीके (5 Exciting Way to Be Successful at Your Job) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.किसी भी कार्य में पहली बार का क्या महत्त्व है? (What is the Importance of the First Time in Any Work?):

उत्तर:पहली बार का महत्त्व तो सभी के लिए होता है।पहली बार अपनी पत्नी से मिलना,पहली बार अपने बच्चों को मुस्कुराता देखना,पहली बार अपनी सास से डांट खाना।इसी तरह,काम पर आपका पहला दिन या इंटरव्यू में कंपनी के लोगों से आपका पहला परिचय,बहुत महत्वपूर्ण है।पहली बार में लोगों पर आपका जो प्रभाव पड़ता है वही आगे तक उनके साथ रहता है इसलिए पहले प्रभाव का अच्छा होना बहुत जरूरी है।

प्रश्न:2.प्रभावी निर्णय कैसे लें? (How to Make Effective Decisions?):

उत्तर:प्रभावी निर्णय लेने का पहला नियम यह है कि इसके लिए अतीत की अपेक्षा भविष्य पर ध्यान दिया जाए।जो बीत गया वह खत्म हो गया और बीते समय से संबंधित अनुभव प्रायः गड़बड़ियों को ठीक करने के लिए होते हैं।इनसे कहीं ज्यादा महत्त्वपूर्ण वे निर्णय होते हैं जो भविष्य से संबंधित होते हैं क्योंकि इनसे कंपनी का आने वाला समय जुड़ा होता है।
जो खर्चे अभी तक किए गए नहीं है वे जाॅब या व्यापार के महत्त्वपूर्ण निर्णयों में होते हैं।एक बार किसी चीज पर पैसा खर्च हो गया तो उसके बारे में कोई निर्णय इतना महत्त्वपूर्ण नहीं होता है।
निर्णय सोच-समझकर लिए जाएं,अपने विवेक का प्रयोग करें,यदि आपको उसके बारे में कोई अनुभव नहीं है तो कंपनी में ही जो आपके काम से संबंधित अनुभव रखता है उसका परामर्श लें ताकि कोई भी निर्णय लेने के बाद आपको किसी प्रकार का बाद में पछतावा ना हो।

प्रश्न:3.निचले स्तर के ऑफिस में कर्मचारियों से कैसे काम करवाएं? (How to Get Employees to Work in a Lower Level Office?):

उत्तर:कुछ फैसला औरों पर छोड़ना जरूरी होता है।इससे लोग आपके भरोसे का मान रखने की कोशिश भी करेंगे।दरअसल दूर कहीं स्थित ऑफिस के हालातों की आपको जानकारी नहीं होती है और आपका हैड ऑफिस में लिया गया निर्णय गलत भी हो सकता है।कंपनी को ऐसे निर्णय के कारण घाटा उठाना पड़ सकता है।एक गलत निर्णय का बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।अतः अपने से दूर ऑफिसों के बारे में यदि आपको पूर्ण जानकारी नहीं है तो वहां के कुछ कर्मचारियों व अधिकारियों पर निर्णय लेने का अधिकार दिया जा सकता है।सारी शक्तियाँ केवल अपने पास ही केंद्रित नहीं रखना चाहिए।कुछ कर्मचारियों/अधिकारियों का विश्वास भी करना होता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा जाॅब में सफल होने की 5 टॉप टिप्स (5 Top Tips on How to Successful at Job),अपने जाॅब में सफल होने के 5 रोमांचक तरीके (5 Exciting Way to Be Successful at Your Job) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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