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How Do Students Develop Hobbies?

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1.छात्र-छात्राएं हाॅबी को कैसे विकसित करें? (How Do Students Develop Hobbies?),गणित के छात्र-छात्राएं हाॅबी को कैसे विकसित करें? (How Do Mathematics Students Develop Hobbies?):

  • छात्र-छात्राएं हाॅबी को कैसे विकसित करें? (How Do Students Develop Hobbies?) क्योंकि आगे जाकर हाॅबी आजीविका का साधन भी बन सकती है।यदि प्रारंभ से ही माता-पिता व शिक्षक बालक-बालिकाओं की गतिविधियों पर नजर रखें तो उनकी हाॅबी,शौक व शगल को जाना जा सकता है।किसी छात्र-छात्रा की खेल में,किसी की भजन में,किसी की संगीत में,किसी की अध्यात्म में,किसी की पेंटिंग में,किसी की कंप्यूटर में,किसी की पहेलियों को हल करने में,किसी की मोनो एक्टिंग में,किसी की अभिनय में हाॅबी होती है।
  • हाॅबी से तात्पर्य है कि जिस कार्य को घंटों करते रहने पर भी थकान,ऊब पैदा नहीं होती है बल्कि आनंद का अनुभव होता है।ऐसे कामों को यदि माता-पिता व शिक्षक प्रोत्साहित करें तो बच्चों को संतुष्टि एवं आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
    माता-पिता,अभिभावकों व शिक्षकों को केवल पढ़ाई-लिखाई तथा अध्ययन करने का दबाव ही नहीं डालना चाहिए बल्कि हाॅबी को विकसित करने का प्रयास भी करना चाहिए।हाॅबी को विकसित करने पर बालक-बालिका में बहुमुखी प्रतिभा का विकास होता है।
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2.छात्र-छात्राओं में हाॅबी को विकसित होने दें (Allow Hobby to Develop in Students):

  • प्रत्येक छात्र-छात्रा में पढ़ने-लिखने व अध्ययन करने के अतिरिक्त भी कुछ न कुछ करने की एक्टिविटी होती है।अतिरिक्त एक्टिविटी को करने से उन्हें आत्म-संतुष्टि मिलती है।साथ ही अध्ययन करते-करते वे तनावग्रस्त हो जाते हैं हाॅबी के द्वारा उनके कार्य में बदलाव आ जाता है।हाॅबी एक तरह से मनोरंजन करने का भी साधन है।अपने हाॅबी के कार्य को करके बालक-बालिकाएं प्रसन्न होते हैं और उनमें आत्म-विश्वास बढ़ता है।
  • हाॅबी से बच्चों द्वारा अध्ययन करने के दौरान उत्पन्न मानसिक थकान दूर होती है।माता-पिता,अभिभावकों व शिक्षकों को बच्चों की हाॅबी को समय पर पहचान कर लेनी चाहिए और उन्हें निरन्तर प्रोत्साहित करते रहना चाहिए।
  • छात्र-छात्राओं में हाॅबी भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में होती है।किसी छात्र-छात्रा की आर्थिक क्षेत्र में होती है।ऐसे बालक व्यावहारिक शिक्षा को पसंद करते हैं और उन्हें सैद्धान्तिक व आदर्शवादी बातों धर्म,अध्यात्म,भगवान् में रूचि नहीं होती है।
  • कुछ छात्र-छात्राओं में व्यापार,विज्ञापन,व्यवसाय,जाॅब इत्यादि में रुचि प्रकट करते हैं।कुछ बालक-बालिकाएं सामाजिक सेवा को करना पसन्द करते हैं।कुछ विद्यार्थियों की पसन्द धर्म व अध्यात्म के क्षेत्र में होती है।ऐसे बालक शुरू से ही भजन,पूजन तथा धार्मिक कृत्यों को करना पसंद करते हैं।
  • आधुनिक युग में इतनी साधन-सुविधाएं हैं कि छात्र-छात्राएं किसी क्षेत्र में हाॅबी को बहुत जल्दी सीख सकते हैं याकि सीख जाते हैं।
  • कुछ माता-पिता,अभिभावक व शिक्षक छात्र-छात्राओं की हाॅबी पर ध्यान नहीं देते हैं क्योंकि उनकी सोच यही होती है कि छात्र-छात्राएं केवल अध्ययन करते रहें,मन लगाकर पढ़े।परन्तु पढ़ाई के साथ-साथ अतिरिक्त एक्टिविटीज पर भी ध्यान देना आवश्यक है तभी उनके व्यक्तित्त्व का विकास सही ढंग से हो सकता है।
  • अतिरिक्त गतिविधियों पर ध्यान न देने पर उनकी छिपी हुई प्रतिभा सुप्त ही रह जाती है और सड़-गलकर नष्ट हो जाती है।क्या पता अतिरिक्त एक्टिविटीज में ही कोई महान् कलाकार,महान् संगीतकार,महान् खिलाड़ी,महान् गणितज्ञ अथवा महान् व्यक्ति बन जाए।माता-पिता,अभिभावक व शिक्षकों को छात्र-छात्राओं की अतिरिक्त एक्टिविटीज,हाॅबी पर रोक-टोक नहीं लगानी चाहिए।

3.छात्र-छात्राओं की हाॅबी को कैसे विकसित करें? (How to Develop the Hobby of Students?):

  • (1.)यदि छात्र-छात्राओं को उनकी हाॅबी को विकसित करने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता है तो आप अपनी सीमाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हे प्रशिक्षण दिलवाएं।जैसे किसी छात्र-छात्रा की कंप्यूटर में हाॅबी है तो उन्हें कंप्यूटर का प्रशिक्षण दिलवाएं।पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ पार्टटाइम में प्रशिक्षण दिलवाया जा सकता है।
  • (2.)माता पिता व शिक्षक को छात्र-छात्राओं की हाॅबी को विकसित करने के लिए समय प्रबंधन में आवश्यक सहयोग दें।यदि आप स्वयं उनकी हाॅबी में विशेषज्ञता रखते हैं तो समय निकालकर उनकी हाॅबी को विकसित करने के लिए कुछ समय दें।
  • (3.)बच्चों की हाॅबी को विकसित करने में यदि धन खर्च करने की आवश्यकता है और वह आपकी सीमाओं में है तो उसकी व्यवस्था अवश्य करें।
  • (4.)छात्र-छात्राओं की अतिरिक्त एक्टिविटीज पर पैनी नजर रखें तथा जिस क्षेत्र में या जिस कार्य को करने में उन्हें आत्म-संतुष्टि मिलती है उसकी पहचान सावधानी और सतर्कता के साथ करें और उन्हें प्रोत्साहित करें।हाॅबी एक प्रकार की प्रतिभा है जो आपकी प्रेरणा और प्रोत्साहन से विकसित होकर एक दिन विशाल वृक्ष बन सकता है।
  • (5.)यदि बालक-बालिकाओं को अपने हाॅबी के अनुसार जाॅब या काम न मिले तो अधीर न हों बल्कि धैर्य,लगन,परिश्रम और लक्ष्य के प्रति निष्ठा से एक दिन वे न केवल जाॅब प्राप्त कर सकते हैं बल्कि उसमें आशातीत सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
  • (6.)हाॅबी को बच्चों में विकसित करके उन्हें निराश,हताश और कुंठित होने से बचा सकते हैं।हाॅबी को निरंतर करते रहने से उन्हें अधिक दक्ष और सक्षम बनाती है।
  • (7.)हाॅबी से संबंधित पुस्तकें व साहित्य का अध्ययन करें।इससे आप हाॅबी को विकसित करने की नई-नई टेक्निक व तरीके सीखेंगे।पुस्तकों से हाॅबी के बारे में नई-नई जानकारियां हासिल कर सकेंगे।
  • (8.)यदि कोई स्थानीय क्लब,संस्था व ट्रेनिंग सेंटर है तो उसकी जानकारी अवश्य हासिल करें और उनसे जुड़ने का प्रयास करें।इससे आपकी हाॅबी को नई दिशा मिल सकेगी।आपका दायरा बढ़ेगा और हाॅबी में आगे बढ़ने के अवसर बढ़ेंगे।
  • (9.)छात्र-छात्राओं को हाॅबी का कार्य करने दें।पढ़ने के साथ-साथ उनकी हाॅबी पर भी विशेष ध्यान दें।उनका बहुमुखी होना अति आवश्यक होता है ताकि परिपक्व होने पर उनको एक सही दिशा और लक्ष्य मिल सके और वे अपने जीवन को सफल बना सकें।
  • (10.)यदि छात्र-छात्रा अच्छा भजन गाता है तो उसको भजन सिखाना प्रारम्भ करें।यदि वह नृत्य करता है तो उसे नृत्य का प्रशिक्षण अवश्यक दिलवाएं।पढ़ाई के साथ-साथ हाॅबी को विकसित करें।उन्हें रोके नहीं बल्कि प्रेरित करें।

4.हाॅबी के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points About Hobby):

  • (1.)हाॅबी का अर्थ मनोरंजन भी होता है अतः हाॅबी से आर्थिक लाभ की उम्मीद न रखें।हाॅबी पर ध्यान देना आवश्यक इसलिए है कि उसकी बुद्धि तथा प्रतिभा का विकास हो।छात्र-छात्राओं को नई दिशा व सोच के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा मिले।
  • (2.)छात्र-छात्राओं को हाॅबी का कार्य करने से उन्हें शारीरिक,मानसिक तथा बौद्धिक रूप से सक्षम बनाती है।
  • (3.)हाॅबी एक ऐसा कार्य है जिसमें छात्र-छात्राएं जिन्दगी भर सीखते रह सकते हैं और उसे अपने जीवन का लक्ष्य भी बना सकते हैं।
  • (4.)छात्र-छात्राओं को नई-नई ज्ञान-विज्ञान की पत्र-पत्रिकाएं पढ़ने के लिए देनी चाहिए।आजकल छात्र-छात्राएं विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ते हैं।छात्र-छात्राओं की यह हाॅबी ही उन्हें प्रतियोगिता परीक्षा के लिए तैयार करती है और वे रात-दिन नए-नए ज्ञान के लिए उच्च स्तर की पत्रिकाएँ पढ़ने लगते हैं।
  • (5.)यदि कोई छात्र-छात्रा दिन-रात अपनी हाॅबी से ही जुड़ा रहता है तो निश्चित रूप से उसकी पढ़ाई प्रभावित होगी।उसकी आँखों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और यह हाॅबी उसके लिए अभिशाप बन जाएगी।अतः हाॅबी को पूरा करने के लिए सीमित समय और सीमित व्यय ही करना चाहिए।हाॅबी में अति नहीं करनी चाहिए ताकि आपका व्यक्तित्त्व ठीक से निखर सके।
  • (6.)हाॅबी के संबंध में कोई सीमा या नियंत्रण नहीं होना चाहिए।वे खिलाड़ी बनना चाहें,कम्प्यूटर सीखना चाहें अथवा अन्य कोई कार्य करें।माता-पिता,अभिभावकों व शिक्षकों को इस संबंध में विस्तृत दृष्टिकोण अपनाकर बच्चों को उनकी इच्छित कार्य में हाॅबी को विकसित करना चाहिए ताकि उनकी प्रतिभा को विकसित होने में आसानी हो।
  • (7.)अपनी हाॅबी को पहचानने के लिए सतत जागरूक और होश में रहकर आत्मनिरीक्षण करते रहना चाहिए।अपनी हाॅबी की सूची बना लें तथा उसका ठीक से निरीक्षण करके जिसको करके आपका दिल सबसे अधिक करने के लिए लालायित है उसी हाॅबी को करने का प्रयास करना चाहिए।
  • (8.)महान् वैज्ञानिक आइंस्टीन किसी वैज्ञानिक गुत्थी को नहीं सुलझा पाते थे और परेशान हो जाते थे तो पियानो बजाने लगते थे और वे पियानो को बजाने में डूब जाते थे।सब तनावों,समस्याओं को बिल्कुल भूल जाते थे।
  • (9.)अपनी हाॅबी को सबसे अधिक समय देने का सबसे उपयुक्त समय ग्रीष्मकालीन छुट्टियां,शीतकालीन छुट्टियां तथा दीपावली व दशहरा की छुट्टियां हैं।इन छुट्टियों में आप अपनी। हाॅबी को विकसित करने का भरपूर फायदा उठा सकते हैं।इससे आपकी छुट्टियों का भी सदुपयोग हो जाएगा।
  • (10.)कुछ हाॅबी जन्मजात होती है उन्हें प्रशिक्षण के द्वारा उभारा और विकसित किया जा सकता है।इन हाॅबीज के लक्षण छात्र-छात्राओं के अवचेतन मन में होता है।

5.हाॅबी को विकसित करने का दृष्टांत (An Illustration of Developing a Hobby):

  • घोर गरीबी के कारण एक विद्यार्थी को बीच में ही विद्यालय छोड़ना पड़ा।उसने एक दुकानदार के यहां नौकरी कर ली।परन्तु उसका मन हमेशा गणित विषय को पढ़ने का करता था।दुकानदार के यहां नौकरी करने के बाद घर पर वह गणित का अध्ययन करने लगा।दुकान पर भी समय मिल जाता तो पढ़ने लग जाता।
  • पत्राचार से उसने परीक्षा दी और वह उत्तीर्ण हो गया।धीरे-धीरे उसने बीएससी व एमएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली।
    गणित में कोई बात समझ में नहीं आती तो मोहल्ले व पड़ोस में रहने वाले गणित के छात्र-छात्राओं से पूछ लेता और समझ लेता था।धीरे-धीरे उसके गणित के ज्ञानकोष में वृद्धि होती गई।
  • संसार के श्रेष्ठ गणितज्ञों में उसकी गणना होने लगी।साधनों का घोर अभाव होते हुए भी हाॅबी ने उसे ऐसी सफलता दिलाई जिसके लिए बड़े-बड़े गणितज्ञ तरसते हैं।
  • इसके बाद उसने गणित का प्रचार-प्रसार करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।उन्हें जीवन में एक ही लगन लगी रहती कि छात्र-छात्राओं की गणित में कमजोरी को दूर किया जाए तथा भारत को कैसे गणित के क्षेत्र में आगे बढ़ाया जाए? यह पाठ्यक्रम पर निर्भर नहीं करता है बल्कि गणित अध्यापक के व्यक्तिगत प्रयास पर निर्भर करता है।यह उन्होंने अपने जीवन की प्रयोगशाला में सिद्ध करके बता दिया।
  • उन्होंने मानव जाति के कल्याण हेतु गणित में अनेक शोध कार्य किए।उनके मार्गदर्शन में हजारों की संख्या में गणित के छात्र-छात्राएं तैयार हुए।उनके पढ़ाए हुए छात्र-छात्राएं भी साधारण स्तर के नहीं बल्कि उच्चकोटि के थे।धीरे-धीरे गणितज्ञ के साथ-साथ उनके शिष्यों की प्रसिद्धि भी चारों ओर फैलने लगी।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएं हाॅबी को कैसे विकसित करें? (How Do Students Develop Hobbies?),गणित के छात्र-छात्राएं हाॅबी को कैसे विकसित करें? (How Do Mathematics Students Develop Hobbies?) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित को समझने का तरीका (हास्य-व्यंग्य) (How to Understand Mathematics) (Humour-Satire):

  • शीला और मनीषा गणित के सवाल हल कर रही थी।
  • शीला:अगर रोशनी ज्यादा कर दी जाए तो कितना अच्छा होगा।कम रोशनी में मेरी बुद्धि ठीक से काम नहीं करती है।
  • मनीषाःमैं तो बिना चश्मे के गणित के अध्यापक द्वारा समझाएं गए सवालों को समझ ही नहीं पाती हूं और न सुन पाती हूं।

7.छात्र-छात्राएं हाॅबी को कैसे विकसित करें? (Frequently Asked Questions Related to How Do Students Develop Hobbies?),गणित के छात्र-छात्राएं हाॅबी को कैसे विकसित करें? (How Do Mathematics Students Develop Hobbies?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.बच्चों की प्रतिभा किससे प्रभावित होती है? (What Influences Children’s Talents?):

उत्तर:बच्चों की प्रतिभा उसकी हाॅबी से विकसित होती है।छात्र-छात्राएं अपनी पसन्द की हाॅबी को सबसे पहले करते हैं,हाॅबी जिस कार्य में होती है उसे करने में उन्हें कोई अड़चन,परेशानी का अनुभव नहीं होता है।वे घण्टों लगातार हाॅबी को करने में डूबे रहते हैं यदि कोई उनके कार्य में बाधा पहुंचाता है तो उन्हें बहुत बुरा लगता है।हाॅबी का प्रतिभा को विकसित करने में बहुत प्रमुख भूमिका है।माता-पिता,अभिभावक व शिक्षकों से प्रेरणा पाकर हाॅबी को विकसित करने में अपार खुशी का अनुभव करते हैं।

प्रश्न:2.क्या हाॅबी जाॅब का आधार बन सकती है? (Can Hobby Be the Basis of the Job?):

उत्तर:यदि माता-पिता,अभिभावक व शिक्षक छात्र-छात्राओं की हाॅबी को ठीक से तराशे और जागरूक,सतर्क व सावधान रहे तो एक दिन हाॅबी छात्र-छात्राओं के जाॅब का आधार भी बन सकती है।इच्छित कार्य अथवा हाॅबी के क्षेत्र में ही जॉब को करने में छात्र-छात्राएं अत्यधिक दिलचस्पी लेते हैं।हाॅबी को केवल धन कमाने का जरिया ही नहीं मानते हैं बल्कि जीवन के लक्ष्य के रूप में स्वीकार करते हैं।हाॅबी वाले जाॅब में छात्र-छात्राएं अन्य दस-बीस-पचास लोगों को रोजी-रोटी दे सकता है।प्रारम्भ में हो सकता है हाॅबी में सफलता न मिले परन्तु लगन,परिश्रम एवं लक्ष्य के प्रति निष्ठा से एकदिन उन्हें सफलता अवश्य मिलती है।

प्रश्न:3.हाॅबी को विकसित करने के लिए किन गुणों की आवश्यकता है? (What Other Qualities are Needed to Develop a Hobby?):

उत्तर:जिस प्रकार मशीन को चलाने के लिए ऑयल व ग्रीस की जरूरत होती है उसी प्रकार छात्र-छात्राओं में हाॅबी के रूप में पनप रहे संस्कारों,शौक और व्यवहारों को भी प्रोत्साहन नामक ऑयल-ग्रीस की आवश्यकता है,अतः इसमें कहीं भी कंजूसी न बरतें।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएं हाॅबी को कैसे विकसित करें? (How Do Students Develop Hobbies?),गणित के छात्र-छात्राएं हाॅबी को कैसे विकसित करें? (How Do Mathematics Students Develop Hobbies?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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