Menu

6Tips for Competitive Exam Preparation

Contents hide

1.प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए 6 टिप्स (6Tips for Competitive Exam Preparation),अभ्यर्थियों के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु 6 सूत्र (6 Points for Competitive Exams for Candidates):

  • प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए 6 टिप्स (6Tips for Competitive Exam Preparation) के आधार पर आप अपनी तैयारी की बेहतरीन रणनीति बनाकर तैयारी कर सकेंगे।यों प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए आपको इस वेबसाइट पर लेख मिल जाएंगे परंतु इस लेख में कुछ अतिरिक्त विषय सामग्री शामिल की गई है।
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

Also Read This Article:Unique Preparation of Competitive Exam

2.प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Competitive Exams?):

  • (1.)विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में कुछ सामान्य बातों का ध्यान रखना होता है।निबंधात्मक प्रश्न-पत्रों के उत्तर देने में व्यक्तियों के समक्ष कुछ चिरपरिचित प्रश्न अनिश्चितता प्रकट करते हैं।ऐसे तीन मूल प्रश्न हैं क्या,कैसे और कितना पढ़ें,ये अभ्यर्थियों के परिणाम को तय करते हैं।इन प्रश्नों का हल,हर अभ्यर्थी के स्तर,गुण तथा उनकी पहुंच पर निर्भर करता है।मसलन,आम अभ्यर्थी को अध्ययन के लिए मेधावी अभ्यर्थियों की अपेक्षा ज्यादा समय की जरूरत होती है।अभ्यर्थी की लगन व अपने लक्ष्य के प्रति उसकी कटिबद्धता भी उसके अध्ययन को प्रभावित करती है।इसके अलावा अभ्यर्थी के अध्ययन के स्रोत या उनकी उपलब्धता भी अध्ययन के मार्ग को प्रभावित करती है।अभ्यर्थियों को इसके लिए प्रामाणिक पुस्तकों का ही अध्ययन करना चाहिए।यदि आपने अन्य पुस्तकों का अध्ययन किया है,तो तथ्य या व्याख्यात्मक प्रश्नों को हल करते वक्त किसी भी असंगति को प्रामाणिक पुस्तकों द्वारा ही दूर करने का प्रयास करें।
  • (2.)अभ्यर्थियों के समक्ष दो बड़ी समस्याएं उत्पन्न होती हैं:किताबों का अम्बार,ढेर सारे ऑनलाइन कोर्सेज तथा समयाभाव।पहली समस्या से निबटने के लिए अभ्यर्थियों को केवल प्रामाणिक और चुनिंदा पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए,यदि ऑनलाइन कोर्स कर रहे हैं तो उसका चयन सोच समझकर करें।मात्र एनसीईआरटी (NCERT) की पुस्तकों का अध्ययन करने से ही काफी कुछ समस्या का समाधान हो जाता है।ध्यान रहे कि एनसीईआरटी (NCERT) पुस्तकों के प्रत्येक वाक्य के अंदर प्रश्न समाया हुआ है।अतः इस गीता रूपी पुस्तक का सावधानीपूर्वक तथा बारंबार अध्ययन करें।
  • (3.)प्रतियोगिता परीक्षा हेतु विस्तृत अध्ययन करना होता है।अतः इसके लिए नोट्स तैयार करना आवश्यक है।प्रामाणिक व स्तरीय पुस्तकों का गहन अध्ययन कर नोट्स अवश्य तैयार कर लेना चाहिए।स्वनिर्मित नोट्स से मौलिकता बनी रहती है और उन्हें आत्मसात करना सरल हो जाता है।बाजार में उपलब्ध नोट्स की सहायता एक सीमा तक ही लेनी चाहिए।उन पर कभी भी निर्भर नहीं होना चाहिए।नोट्स तैयार हो जाने से तैयारी के अंतिम चरण में विषयों को आसानी से दुहराया जा सकता है तथा इससे आपके समय की काफी बचत हो जाती है।
  • (4.)प्रतियोगिता परीक्षाओं में खरा उतरना एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।इसके लिए सही मार्ग-निर्देश के साथ-साथ परिश्रम,धैर्य एवं अध्ययन में निरंतरता महत्त्वपूर्ण है।इसके अभाव में कठिन परिश्रम भी प्रायः व्यर्थ हो जाता है और असफलता ही हाथ लगती है।अतः  सही मार्ग-निर्देशन में योजनाबद्ध रणनीति तैयार कर उस पर अमल करना ही सफलता की कुंजी है।
    (5.)प्रतियोगिता परीक्षाओं में लंबा-चौड़ा पाठ्यक्रम देखकर कुछ खुश होते हैं तो कुछ को न सिर्फ कष्ट ही होता है अपितु उन्हें भय भी लगता है कि इतने कम समय में इसकी संतुलित तैयारी कैसे की जाए।परीक्षार्थियों द्वारा तनिक कष्ट का अनुभव किया जाना लाजिमी है परंतु सटीक रणनीति,योजनाबद्ध अध्ययन और कठिन परिश्रम से इससे पार पाया जा सकता है।

3.प्रश्नों की प्रकृति को पहचानें (Identify the nature of the questions):

  • (6.)प्रश्न प्रायः तथ्यात्मक,विवरणात्मक,विश्लेषणात्मक आदि किसी भी प्रकार का हो सकता है।अधिकांश परीक्षार्थियों को प्रश्न के विश्लेषणात्मक अंशों को लिखने में समस्या होती है।ऐसे में आपको एक व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है,साथ ही ऐसे प्रश्नों पर अपने मित्रों के साथ वाद-विवाद के माध्यम से भी एक संतुलित एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण रखते हुए उपयुक्त समाधान प्रस्तुत करना सीख लें।ऐसा करने से आपको परीक्षा कक्ष में कठिनाइयां नहीं होगी और आप सहजता पूर्वक सभी प्रश्नों के संतुलित उत्तर लिख पाएंगे।
  • (7.)अभ्यर्थियों से अधिक विश्लेषणात्मक एवं व्यावहारिक उत्तर की अपेक्षा की जाती है।ऐसे प्रतियोगी जो रटे-रटाए उत्तर लिखने के आदि होते हैं,उन्हें इन परीक्षाओं में न सिर्फ कठिनाई का सामना करना पड़ता है,बल्कि उन्हें अच्छे अंक भी नहीं मिल पाते हैं।लेकिन इस आधार पर यह कहना शायद सही नहीं होगा कि इन परीक्षाओं में प्रश्नों की प्रकृति काफी कठिन होती है।
  • (8.)परीक्षाओं में जो प्रश्न पूछे जाते हैं,उनका मुख्य उद्देश्य अभ्यर्थियों की समुचित जानकारी,उनके सोचने की क्षमता,व्यावहारिकता की पहचान तथा विषय-वस्तु की प्रासंगिकता का सही अंदाजा लगाना होता है।इन गुणों को परखने के लिए कठिन प्रश्नों को पूछने की कोई जरूरत नहीं होती है।वास्तविकता तो यह है कि सामान्य अभ्यर्थी भी यदि सही नजरिया नजरिया रखे तथा उचित रणनीति के साथ आगे बढ़े,तो वह आसानी से इन प्रश्नों का संतुलित उत्तर दे सकता है।इन परीक्षाओं का उद्देश्य इस बात को भली-भाँति जानना होता है कि अभ्यर्थी प्रश्नों के उत्तर किस सीमा तक वस्तुनिष्ठ बनाए हुए लिख सकता है।अतः अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल होने से पूर्व इन परीक्षाओं (संबंधित) के पिछले वर्षों के प्रश्न-पत्रों को जरूर देख लें,ताकि उन्हें यह पता चल सके कि इन प्रश्नों की प्रकृति कैसी होती है?
  • (9.)पूर्व वर्षों के प्रश्न-पत्रों को देखेंगे तो आपको आभास होगा कि इनमें ऐसे प्रश्न बहुत ही कम होते हैं,जिनका उत्तर पूर्णतया याददाश्त पर निर्भर होता हो।इनमें कुछ छोटे तथा कुछ लंबे प्रश्न होते हैं।फिर एक ही प्रश्न के कई छोटे-छोटे प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं,कुल मिलाकर,प्रश्नों की रूपरेखा काफी वैज्ञानिक तरीके से तैयार की जाती है और यह पारंपरिक कॉलेज-स्कूल जैसे प्रश्नों से सर्वथा भिन्न नजर आती है।परीक्षक भी इस बात पर ही अधिक ध्यान देते हैं कि परीक्षार्थी विषय-वस्तु के कितना करीब रहकर अपनी बातों को कम से कम समय एवं शब्दों में अभिव्यक्त करने की काबिलियत रखता है।एक तरह से देखा जाए,तो इस तरह के प्रश्नों का जवाब देना पारंपरिक (कॉलेज व स्कूल जैसे) प्रश्नों की अपेक्षा कहीं अधिक आसान होता है।
  • (10.)परंतु इसके लिए यह जरूरी है कि आपने गहन अध्ययन किया हो,आपकी विषय पर पूरी पकड़ हो तथा विषय के प्रति आपकी स्पष्ट धारणा हो।
    (11.)इन परीक्षाओं की तैयारी के लिए कैसी रणनीति तथा कैसा दृष्टिकोण होना चाहिए,वास्तव में एक बहुत ही व्यापक और महत्त्वपूर्ण है।ऐसा इसलिए है,क्योंकि एक सम्मिलित परीक्षा होने के बावजूद इनमें भाग लेने वाले अभ्यर्थियों में इतनी विभिन्नताएं होती है कि सभी के लिए एक सर्वमान्य सुझाव दे पाना उचित नहीं हो पाएगा।किसी अभ्यर्थी को किसी रणनीति से सफलता मिलती है तो दूसरे अभ्यर्थी को किसी अन्य रणनीति से सफलता मिलती है।अतः इसके लिए किसी एक खास योजना को प्रस्तुत करना सम्भव नहीं है।लेकिन अधिकांश सफल अभ्यर्थियों का यह मानना रहा है कि इन परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने के लिए गहन एवं व्यापक (Intensive and Extensive) दोनों तरह के अध्ययन की जरूरत होती है।

4.कमजोरी पर विजय कैसे पाएं? (How to overcome weaknesses?):

  • (12.)प्रतियोगिता परीक्षाओं में कोई भी विषय कितना ही छोटा हो इसके लिए व्यापक (extensive) अध्ययन की जरूरत होती है।इसका अध्ययन मात्र कुछ सप्ताह अथवा दिनों में कर पाना कतई संभव नहीं है।यह वास्तव में एक सतत जुड़ाव की प्रक्रिया है और जब आप अपने आपको अपने अध्ययन के प्रति जोड़ लेते हैं,तो इसका अध्ययन स्वतः होने लगता है।कहने का तात्पर्य यह है कि यदि आप सामान्य अध्ययन अथवा ऐच्छिक विषय की उचित ढंग से तैयारी करना चाहते हैं,तो इसके लिए आपको सतत सचेत तथा जागरूक बना रहना होगा और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा मानक पुस्तकों से संपर्क बनाए रखना होगा।
  • (13.)किसी नए अभ्यर्थी के लिए संपूर्ण अध्ययन के लिए कम से कम छह मास की अवधि तो चाहिए ही।फिर भी,यह कहना संभव नहीं है कि अभ्यर्थी इतने समय में अध्ययन कर परीक्षा की तैयारी के प्रति पूर्णतः आश्वस्त होगा ही।अतः परीक्षा की तैयारी को उचित ढंग से पूरा करने के लिए एक वृहद दृष्टिकोण को अपनाने की जरूरत होती है,जो मात्र गहन अध्ययन द्वारा ही प्राप्त हो सकता है।
  • (14.)गहन अध्ययन से तात्पर्य यह है कि उन सभी छोटे-बड़े विषयों के बारे में आपको जानकारी रखनी चाहिए,जो पाठ्यक्रम के अंतर्गत समाहित किए गए हैं।लेकिन इससे पहले कि आप इस दिशा में प्रवृत्त हों,यह जरूरी है कि आप संबंधित विषयों का व्यापक अध्ययन कर लें।बगैर व्यापक अध्ययन किये,गहन अध्ययन की ओर उन्मुख होना कतई मुनासिब और फलदायी नहीं होगा।ऐसा विशेष तौर पर उन अभ्यर्थियों के लिए कहा जा रहा है,जिन्हें इन परीक्षाओं का अनुभव प्राप्त नहीं है।इसी प्रकार यदि कोई अभ्यर्थी सिर्फ व्यापक अध्ययन करता है और गहन अध्ययन से दूर भगाने की चेष्टा करता है,तो यह भी उचित नहीं माना जा सकता है।
  • (15.)विषय के संपूर्ण पाठ्यक्रम को एक साथ लेकर गहन अध्ययन करने से पूर्व निम्न बातों पर अवश्य ध्यान दें:(i)पूर्व वर्षों के प्रश्न-पत्रों का अभ्यास करना,(ii)अपने उत्तर का विश्लेषण कर अपनी कमजोरियों को पहचानना,(iii)लिखे गए विषयों की पहचान करना,तथा (iv)अपने अध्ययन को व्यवस्थित करने का प्रयास करना,ताकि अनिवार्य रूप से सभी विषयों से सतत संबंध बनाए रखा जा सके।
  • (16.)किसी राष्ट्रीय तथा प्रांतीय दैनिक समाचार-पत्र का नियमित अध्ययन करने की आदत डालिए।कम से कम एक मान्य मासिक प्रतियोगिता पत्रिका का निरंतर अध्ययन करें।समसामयिक घटनाओं पर पैनी नजर बनाए रखें।समाचारों एवं वाद-विवादों के प्रति रुझान पैदा करें।संदर्भ पुस्तिका के रूप में वार्षिकी (भारत,मनोरना ईयर बुक आदि) का प्रयोग करें।सदैव मात्र मानक पुस्तकों का अध्ययन करें।
  • (17.)परीक्षा में परीक्षक यह ध्यान नहीं देते हैं कि किसी अभ्यर्थी ने ‘कितना-कुछ’ लिखा है,बल्कि वे इस बात पर ही विशेष ध्यान देते हैं कि उसने ‘क्या कुछ’ लिखा है।अतः यदि अभ्यर्थी अपने उत्तर को शब्द सीमा के दायरे में रखकर स्पष्ट एवं संक्षिप्त जानकारी देते हैं,तो उन्हें अपेक्षित अंक दिए जा सकते हैं।अपने उत्तर को शब्द सीमा में बनाए रखने के लिए अभ्यर्थी प्रश्नोत्तर को छोटे-छोटे वाक्यों में तोड़कर;ज्यादा से ज्यादा अल्पविराम (comma) का प्रयोग कर तथा क्रमवार बिंदु के रूप में (point wise) लिख सकते हैं।आप जितना ही संक्षिप्त रहकर अपने उत्तर को व्यवस्थित रूप प्रदान कर सकेंगे,आपके अंक उतने ही अधिक फलदायी सिद्ध होंगे।
  • (18.)किसी भी राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय घटना का अध्ययन कर रहे हों,उन्हें चाहिए कि वे उस घटना विशेष का भारत पर पड़ने वाले सार्थक एवं निरर्थक प्रभावों के संबंध में अवगत होने की कोशिश करें।यदि आप इस तरह के अध्ययन को अपना पाते हैं,तो आप निश्चित रूप से इस तरह के प्रश्नों के उत्तर में अपेक्षित अंक प्राप्त कर सकेंगे।

5.परीक्षा की तैयारी हेतु महत्त्वपूर्ण बिंदु (Important Points for Exam Preparation):

  • (19.)शब्द सीमा का पालन करना हमेशा अच्छा माना जाता है।परीक्षा में शामिल होने से पूर्व लिखने का पूर्ण अभ्यास करें।प्रश्नों की प्रकृति के अनुसार संक्षिप्त अनुच्छेदों,संकेतकों तथा प्रतीक चिन्हों का प्रयोग करना लाभदायक तथा वैज्ञानिक माना जाता है।उत्तर लिखने से पूर्व यह जरूर निर्धारित कर लें कि आप क्या लिखना चाह रहे हैं? इससे विषय की प्रासंगिकता बनी रह पाती है।उत्तर लिखते समय बार-बार प्रश्नों के ऊपर नजर दौड़ते रहें,ताकि आपका विषयांतर नहीं हो सके।इससे उत्तर की प्रकृति काफी संतुलित बन जाती है।
  • (20.)उत्तर देने से पूर्व प्रश्नों को उचित तरीके से पढ़ा जाए तथा उनकी प्रकृति को समझने का प्रयास किया जाए।उत्तर देते समय निरंतर प्रश्न की ओर नजर डाल लिया करें,ताकि वे वस्तुनिष्ठता बनाए रख सकें।यदि प्रश्न को गलत ढंग से पढ़ा और समझा जाएगा तो बहुत संभव है कि उसका उत्तर भी गलत लिखा जाए।
  • (21.)अपनी स्वयं की कार्य योजना तथा रणनीति को अमल में लाइए।खुले दिमाग तथा उत्साहित मन के साथ प्रयत्न कीजिए।सफलता प्राप्त करने के लिए किसी छोटे रास्ते (Short-cut method) के विचार को मन से निकाल दीजिए।
  • (22.)परीक्षा के बोझिल स्वरूप पर ध्यान दिए बगैर अपना अध्ययन जारी रखिए।सभी विषयों में गहरी पकड़ पाने के लिए विशेषज्ञता हासिल कीजिए।जटिल एवं गूढ़ किताबों तथा पठन सामग्रियों के अध्ययन से बचिए।मात्र उद्देश्यात्मक एवं मानक पठन सामग्रियों का अध्ययन कीजिए।
  • (23.)सुचारु एवं निरन्तर अध्ययन के लिए गहन (intensive) एवं व्यापक (extensive) दोनों ही तरह के अध्ययन को अपनाइए।स्वयं पर,स्वयं की तैयारी पर,कर्म में आस्था रखते हुए सही सोच एवं आत्मविश्वास के साथ पहल कीजिए।
  • (24.)यह सच है कि किसी भी विषय का पाठ्यक्रम काफी व्यापक होता है और इसके संपूर्ण अध्ययन के लिए आपको काफी समय खर्च करने की जरूरत है।लेकिन किसी भी विषय पर मजबूत पकड़ बनाना,’निरंतर प्रक्रिया (continuous) है,जिस पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए आपको सतत रूप से इसके संपर्क में रहना होगा।यदि आप अपने अंदर कुछ जिज्ञासा बनाए रखते हैं तथा सदा कुछ नये की तलाश में रहते हैं तो आप समझ लीजिए आप लगातार विषय की तैयारी चाहे-अनचाहे कर रहे हैं।
  • (25.)जिन अभ्यर्थियों में ऐसी जिज्ञासा तथा लगन होती है,वे विषय की तैयारी के प्रति काफी सहजता महसूस करते हैं तथा वे अन्य अभ्यर्थियों से कहीं अधिक अंक पाने के हकदार बन जाते हैं।यदि आप थोड़ा-सा भी संतुलित अध्ययन करते हैं,तो यह आपकी सफलता में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकता है।
  • (26.)अध्ययन पूरे मनोयोग से करें।अध्ययन की विषयवस्तु को आत्मसात करने का प्रयास करें।प्रश्नों को कई बार पढ़ें एवं जो पूछा जा रहा है,उसी का सटीक उत्तर दें।लिखने का अभ्यास अवश्य करें।परीक्षा की दृष्टि से अपनी तैयारी को सुगम बनाने के लिए चुनिंदा मॉडल पेपर्स का अभ्यास करें।इससे आपको परीक्षा का पूर्वाभ्यास होगा।
  • (27.)यह याद रखें-पूरे विषय की तस्वीर आपके मानस में अंकित होनी चाहिए,भले ही वह समान रूप से पूर्णतया स्पष्ट और चमकदार ना हो।कुछ अंश धूमिल भी होंगे तो चलेगा।पर कुछ ना कुछ आभास तो मिलना ही चाहिए।
  • (28.)प्रश्नों के उत्तर लिखते समय आपके विचारों में स्पष्टता हो।उत्तर लिखते समय महत्त्वपूर्ण तथ्यों एवं उदाहरणों को रेखांकित अवश्य करें।एक बार सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का अध्ययन अवश्य कर लें।उसके बाद ही अपनी रुचि के अनुसार महत्त्वपूर्ण पाठों को चुनकर उनका विस्तृत अध्ययन करें।उत्तर लिखते समय अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए संतुलन एवं क्रमबद्धता का ध्यान रखें।
  • (29.)उत्तर संक्षिप्त एवं सारगर्भित हो।अनावश्यक विस्तार से बचें।भाषा की शुद्धता,स्पष्टता एवं सरलता पर ज्यादा ध्यान दें।आपके विचारों में मौलिकता का होना नितांत आवश्यक है।प्रश्न यदि दो भागों में है तो दोनों भागों पर पर्याप्त ध्यान दें।परीक्षा की कठिनता की परवाह किए बिना उत्साहित मन से तैयारी में जुटे रहें।जटिल एवं गूढ़ किताबों तथा पाठ्य सामग्री से बचें एवं स्तरीय एवं मानक पुस्तकों एवं पाठ सामग्रियों का ही अध्ययन करें।उत्तर लिखते समय यथासंभव विवादों से बचें एवं विवादास्पद विषयों पर मध्यम मार्ग का ही आश्रय लें।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए 6 टिप्स (6Tips for Competitive Exam Preparation),अभ्यर्थियों के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु 6 सूत्र (6 Points for Competitive Exams for Candidates) के बारे में बताया गया है।

Also Read This Article:Wrong Decisions in Competitive Exams

6.प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी से हमें क्या मिलता है? (हास्य-व्यंग्य) (What Do We Get from Preparing for Competitive Exam?) (Humour-Satire):

  • एक बार शिक्षक ने सवाल किया।शिक्षक:प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी से छात्र-छात्राओं को क्या मिलता है?
    शरारती छात्र:सर,जितने दिन प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करते हैं उतने दिन माता-पिता हमारी खूब खातिरदारी करते हैं,अच्छी-अच्छी खाने के लिए चीजें देते हैं और पूछते हैं।

7.प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए 6 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 6Tips for Competitive Exam Preparation),अभ्यर्थियों के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु 6 सूत्र (6 Points for Competitive Exams for Candidates) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.निबन्धात्मक प्रश्न के उत्तर के लिए कितने खंड होते हैं? (How many sections are there in the answer to an essay question?):

उत्तर:इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर तीन खंड में दिए जाते हैं।भूमिका,विवेचन और निष्कर्ष।भूमिका अथवा प्रस्तावना एक कला है,जिसे बहुत कम अभ्यर्थी जानते हैं।

प्रश्न:2.प्रश्न का उत्तर कैसे प्रारंभ करें? (How to start answering the question?):

उत्तर:प्रश्न में शामिल शब्दों की परिभाषा करना और उसका स्पष्टीकरण,उनके बीच संबंध यदि कोई हो और प्रश्न के संदर्भ में आपसे जो आशा की जाती है-वह शामिल है।

प्रश्न:3.विवेचन खंड का उत्तर कैसे दें? (How to answer the discussion clause?):

उत्तर:इस तरीके से विवेचना लिखना चाहिए ताकि यह पढ़ने में रोचक लगे,न कि नीरस।अपने उत्तर के साथ यदि चित्र आवश्यक हो तो चित्र भी देने से हमेशा एक अतिरिक्त लाभ मिलता है,क्योंकि इससे आपके उत्तर की प्रस्तुति न केवल बढ़िया होती है,बल्कि इससे यह धारणा भी बनती है कि आपने विषय को समुचित रूप से समझ लिया है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए 6 टिप्स (6Tips for Competitive Exam Preparation),अभ्यर्थियों के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु 6 सूत्र (6 Points for Competitive Exams for Candidates) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
No. Social Media Url
1. Facebook click here
2. you tube click here
3. Instagram click here
4. Linkedin click here
5. Facebook Page click here
6. Twitter click here
7. Twitter click here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *