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Review of Need for Exams 2025

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1.परीक्षा की जरूरत होने की समीक्षा 2025 (Review of Need for Exams 2025),परीक्षा की जरूरत होने या न होने की समीक्षा (Review of Whether or Not Exams Needed):

  • परीक्षा की जरूरत होने की समीक्षा 2025 (Review of Need for Exams 2025) अर्थात् छात्र-छात्राओं की शैक्षिक परीक्षा या इनामी प्रतियोगिता परीक्षा,प्रोत्साहन परीक्षा अथवा प्रवेश परीक्षा,जॉब में चयन हेतु परीक्षा होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए।यदि होनी चाहिए तो क्यों होनी चाहिए और नहीं होनी चाहिए तो क्यों नहीं होनी चाहिए आदि बिंदुओं पर इस लेख में चर्चा की जाएगी।
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2.परीक्षा क्यों ली जाती है? (Why is the exam taken?):

  • किसी विषय में आपका कितना ज्ञान और काबिलियत है,परीक्षा यही जानने का औपचारिक प्रक्रिया है।यह किसी व्यक्ति की योग्यताओं या प्रगति को जाँचने का भी एक तरीका हो सकता है।
  • किसी भी शिक्षित व्यक्ति के लिए परीक्षा कोई नई चीज नहीं है।जैसे ही स्कूल में बच्चा प्रवेश लेता है और थोड़ी-सी वर्णमाला सीखता है,उसे परीक्षा देनी ही पड़ती है।अध्यापक यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसने जो पढ़ाया है,वह बच्चे ने सीखा है कि नहीं।छात्र-छात्रा जैसे-जैसे सीखता है,नए पाठ पढ़ाए जाते हैं।परीक्षा और कठिन हो जाती है।
  • वैसे स्कूल में प्रवेश लेने से पहले ही परीक्षा आरंभ हो जाती है।बच्चे के बैठने,घुटनों के बल चलने और पहला लड़खड़ाता हुआ कदम लेने पर माता-पिता को बहुत खुशी होती है।उन्हें उसके मुस्कुराने और हंसने पर भी उतनी ही खुशी मिलती है,जितनी कि उसके द्वारा पहली बार ‘माँ’ या ‘पापा’ बोलने पर।बार-बार बच्चे की योग्यता का परीक्षण मित्रों और रिश्तेदारों के सामने किया जाता है।जब बच्चा सही जवाब देता है तो माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहता।
  • जब बच्चे बड़े होते हैं और बड़ी कक्षाओं में पहुंचते हैं तो पढ़ाए जाने वाले विषयों की संख्या बढ़ जाती है।परीक्षा की संख्या और आवृत्ति भी।तीन महीने में एक बार छमाही और वार्षिक परीक्षा होती है।इसके अलावा मासिक टेस्ट व सत्रांक की परीक्षा भी होती है।प्राइवेट स्कूलों में तो मासिक,पाक्षिक व रैंकिंग टेस्ट होते रहते हैं। इसके अलावा प्रतियोगिता परीक्षार्थियों को कोचिंग में हर समय परीक्षा के लिए तैयार होना पड़ता है,मॉक टेस्ट लिया जाता है।ऑनलाइन भी अनेक ऐसे टूल है जो समय-समय पर प्रतियोगी व परीक्षार्थियों का टेस्ट लेते रहते हैं।
  • इसी समय बच्चे परीक्षा की अवधारणा पर प्रश्न करते हैं कि सर्वप्रथम किसने परीक्षा के बारे में सोचा था? क्या वास्तव में हमें इनकी जरूरत है? क्या आवश्यक ज्ञान देकर बाकी व्यक्ति पर छोड़ देना ही काफी नहीं है? यह समस्या की ओर देखने का उचित ढंग लग सकता है पर किसी सभ्य समाज में ऐसा होना व्यावहारिक नहीं है।
  • कई मनोवैज्ञानिक,चिंतक परीक्षा लिए जाने पर सवाल खड़े करते हैं,इसके औचित्य पर प्रश्न खड़ा करते हैं और तर्क दिया जाता है की परीक्षा के कारण छात्र-छात्राएँ या बच्चे अनावश्यक मानसिक यंत्रणा झेलते हैं और कई तो परीक्षा के भय से ही पीले पड़ जाते हैं।कई छात्र-छात्राएँ मानसिक रोगी हो जाते हैं और पढ़ने से ही कतराने लगते हैं।स्कूल से भाग जाना,मारपीट करना माता-पिता व शिक्षक की आज्ञा की अवहेलना करना तथा अपराध जगत की अग्रसर होना आदि परीक्षा या परीक्षा प्रणाली के कारण ही बच्चे गलत दिशा में कदम बढ़ा देते हैं।

3.परीक्षा की जरूरत (The need for examination):

  • हम अक्सर रोज कुछ ना कुछ समाचार पत्रों में दिलचस्प एवं मुख्य खबरों को देखते हैं या पढ़ते हैं।उदाहरणार्थ जेईई-मेन प्रवेश परीक्षा में लाखों विद्यार्थी केवल कुछ हजार आईआईटी में सीटों के लिए भाग लेते हैं और बहुत से विद्यार्थी तो बचपन से ही आईआईटी में चयन का लक्ष्य तय कर लेते हैं।नवी-दसवीं से वे इसमें गंभीरतापूर्वक तैयारी करना शुरू कर देते हैं।इसी प्रकार आईएएस (सिविल सर्विसेज),आरएएस एवं आरटीएस व विभिन्न प्रांतीय परीक्षाओं में लाखों उम्मीदवार भाग लेते हैं और कोचिंग करते हैं।कई वर्षों तक कड़ी मेहनत करते-रहते हैं।मैनेजमेंट कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कड़ी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ता है क्योंकि सीटें तो कुछ एक सौ-दौ सौ या पाँच सौ होती है और प्रतियोगिता में भाग लेने वाले लाखों में होते हैं।
  • कैट प्रवेश परीक्षा या दिल्ली विश्वविद्यालय (सीयूईटी के जरिए,टाॅप यूनिवर्सिटी में एन्ट्रेस) या नीट यूजी व नीट पीजी आदि में प्रवेश परीक्षा में अथवा सीपीटी प्रवेश परीक्षा को भी देख लीजिए।यानी कोई भी प्रवेश परीक्षा,प्रतियोगिता परीक्षा,प्रोत्साहन परीक्षा अथवा छोटी से छोटी परीक्षा ले लीजिए उसमें गलाकाट प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।
  • क्या लाखों उम्मीदवारों को जेईई-मेन तथा जेईई-एडवांस्ड परीक्षा के द्वारा आईआईटी में प्रवेश मिल सकता है।संघ लोक सेवा आयोग अथवा राज्य लोक सेवा आयोग में कितने युवाओं को भर्ती किया जा सकता है? लाखों छात्र-छात्राओं में से बेहतरीन उम्मीदवारों का चयन करने का परीक्षा से बेहतर और कोई तरीका हो सकता है क्या?
  • मैनेजमेंट परीक्षा में दौ-चार,पाँच सौ सीटें हैं।क्या इनमें हजारों उम्मीदवारों को जगह मिल सकती है।कैट को इसलिए शुरू किया गया था ताकि प्रतिष्ठित संस्थानों में केवल सबसे प्रतिभाशाली उम्मीदवार ही प्रवेश ले पाएं,जो देश के वाणिज्य और उद्योग का भविष्य में प्रशासन संभालेंगे।
  • बढ़ती हुई जनसंख्या और उच्च पदों के लिए बढ़ती हुई आकांक्षाओं के कारण बेहतरीन उम्मीदवार चयन करने के लिए परीक्षा ही एकमात्र विकल्प है।यह परीक्षा लिखित,मौखिक,ऑनलाइन अथवा साक्षात्कार है या अन्य कोई भी तरीका हो सकता है।वास्तव में देखा जाए तो आज श्रेष्ठ व योग्य उम्मीदवारों का चयन करने का एकमात्र जरिया परीक्षा ही है यानी बेहतरीन उम्मीदवार का चयन करने के लिए परीक्षा एकमात्र विकल्प है।
  • परंतु बहुत से उम्मीदवार परीक्षा के नाम से पीले पड़ जाते हैं और अपने अंदर हीनभावना पैदा कर लेते हैं।परीक्षा में चयनित होने वाले उम्मीदवारों के अलावा बाकी असफल उम्मीदवार काबिल नहीं है,परीक्षा लिए जाने का यह मंतव्य नहीं है।उदाहरणार्थ आईएएस के लिए पांच उम्मीदवारों को चयन करना है और उसमें हजारों या लाखों परीक्षार्थी बैठते हैं।चयन तो पांच का ही करना है,तो बाकी पांच के अलावा नाकाबिल नहीं होते हैं।और भी बहुत से योग्य काबिल,सक्षम और प्रतिभाशाली युवा हो सकते हैं,होते ही हैं परंतु चयन की सीमा पांच उम्मीदवार होने की वजह से अन्य का चयन नहीं हो पाता है।
  • अतः परीक्षा में भाग लेने वाली उम्मीदवारों को हतोत्साहित नहीं होना चाहिए और न ही यह सोचना चाहिए कि वे नाकाबिल हैं।अपना लक्ष्य फ्लैक्सिबल (नमनीय) रखना चाहिए।वस्तुतः परीक्षा जरूरत है,मुसीबत नहीं और न ही यह किसी उम्मीदवार को नाकाबिल या काबिल होने का सर्टिफिकेट है परंतु बहुत से छात्र-छात्राएं ऐसा ही सोचते हैं।

4.साहसी की विजय होती है (The courageous triumph):

  • चार्ल्स डार्विन ने कहा था कि प्रत्येक क्षेत्र में हर समय चयन की एक स्वाभाविक प्रक्रिया चलती रहती है।चयन की दौड़ में ताकतवर की जीत होती है।ऐसा होते हुए हम हर जगह और हर दिन देखते हैं।जीवन के प्रत्येक पहलू में,बेहतरीन उत्पाद और सेवा प्रदान करने के लिए लोग एक-दूसरे से प्रतियोगिता करते हैं।इसके बदले में आम आदमी को मिलती है एक अच्छी जिंदगी।उत्कृष्ट लोगों के चयन करने की परीक्षा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • जब भी कोई प्रतियोगिता होती है तो तनाव होना स्वाभाविक है।इस तनाव को दूर करने के लिए परीक्षा से भागना कोई विकल्प नहीं है।प्रतियोगिता जीवन का एक हिस्सा है और इसे अलग नहीं किया जा सकता है।इससे जुड़े तनाव का सामना करने के लिए,परीक्षा के प्रति सही दृष्टिकोण विकसित करने और कैसे अच्छी तरह से प्रतियोगिता कर सकते हैं,में समाधान निहित है।अगर सही ढंग से परीक्षा से निबटा जाए तो यह जीवन में अधिक प्रतियोगी होने की दिशा में उठा एक सही कदम होगा।
  • कई युवा परीक्षा को उनके राह में पैदा की गई रुकावटें मानते हैं।उनके लिए प्रत्येक परीक्षा एक अवरोध होती है।इन रूकावटों को इस तरह रखा गया है कि हर कदम पर इनसे सामना करना पड़ता है।कुछ भाग्यशाली ही अंतिम चरण तक पहुंच पाते हैं।ऐसा ही कुछ युवा सोचते हैं।
  • परीक्षा के प्रति यह सकारात्मक दृष्टिकोण नहीं है।हमें परीक्षा को रुकावट मानने की बजाय सोपान मानना चाहिए।समान स्तर पर रुकावटें आती हैं।यहां तक कि अंतिम रेखा भी समान स्तर पर है।असल जिंदगी में जो कामयाब होते हैं,वे एक ही स्तर पर नहीं रहते।वे वैसे ही बढ़ते रहते हैं,जैसे की कोई एक-एक कदम कर सीढ़ी चढ़ता है।इसलिए,आगे बढ़ने के लिए हमें परीक्षाओं को एक सीधी मानना चाहिए।वैसे ही जैसे हम एक-एक करके सीढ़ी चढ़ते हैं।
  • स्कूल में कैसे बच्चा प्रगति करता है-वह नर्सरी से पहली कक्षा में आता है,फिर दूसरी में और इस तरह आगे बढ़ता जाता है।सीढ़ी चढ़ने जैसे ही प्रत्येक छात्र-छात्रा आगे बढ़ता है।स्कूल खत्म होने के स्तर पर अनेक विकल्प होते हैं।प्रत्येक व्यक्ति अपनी योग्यता के अनुसार एक विकल्प चुनता है।
  • कई कदम चढ़ने में आसान होते हैं,कई नहीं।केवल हिम्मतवर ही तेजी से आगे बढ़ता है।इसलिए हमें सदैव इस बात को समझना चाहिए कि परीक्षा रुकावट नहीं होती वरन सफलता की ओर ले जाने वाली सीढ़ी होती है।
  • कई छात्र-छात्राएं परीक्षा के नाम से ही अधमरे हो जाते हैं और अपना हौसला खो देते हैं।किसी प्रतियोगिता परीक्षा में चयन नहीं होता है,प्रवेश परीक्षा में सफल नहीं होते हैं अथवा शैक्षिक परीक्षा में ही असफल हो जाते हैं तो इसका अर्थ यह नहीं है कि आप जिंदगी की दौड़ से बाहर हो गए हैं और आप विश्व में किसी काम के व्यक्ति नहीं रह गए हैं।भरपूर प्रयत्न करने,अपनी योग्यता बढ़ाने के बावजूद आप सफल नहीं हो पाते हैं तो अपना क्षेत्र बदल लेने में नुकसान नहीं है।दुनिया में आज अनेक क्षेत्र है जहां आप अपना करियर का निर्माण कर सकते हैं।यदि आपका लक्ष्य सरकारी शिक्षक बनना है और सरकारी सेवा में अवसर नहीं मिलता है तो निजी क्षेत्र में शिक्षक के दायित्व का निर्वहन कर सकते हैं।अपना स्वयं का कोचिंग संस्थान खोल सकते हैं,होम ट्यूशन कर सकते हैं,ऑनलाइन शिक्षण का कार्य कर सकते हैं,इस प्रकार ढेरो विकल्प हैं।

5.जीवन एक परीक्षा है (Life is a test):

  • रोजमर्रा की शैक्षणिक और व्यावसायिक जिंदगी में आने वाली औपचारिक परीक्षा को उत्तीर्ण करना ही हमारा उद्देश्य होता है।पर हमें इस बात को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए कि धीरे-धीरे सबको यह एहसास हो जाता है कि सम्मानित ढंग से जीना भी एक तरह की परीक्षा है।रोज अनेक व्यक्तियों द्वारा किसी एक व्यक्ति की परीक्षा होती है।हमारी सफलता हमारे दृष्टिकोण पर आधारित होती है।
  • जब हम सकारात्मक ढंग से सोचते हैं और हर अवरोध का सामना सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए करते हैं,तो हम सफलता प्राप्त कर लेते हैं।जब हम संशयों से घिरे होते हैं तो अड़चनें आती हैं।इसी तरह,परीक्षा भवन में प्रवेश करते हुए सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना सीखना महत्त्वपूर्ण है।हमारा दृष्टिकोण और आत्मविश्वास ही हमेशा हमें सदैव सफलता की ओर ले जाएगा।
  • स्थिति की ओर सकारात्मक ढंग से देखने के लिए परीक्षा को जीवन के एक हिस्से के रूप में स्वीकार कर लें।इसी स्थिति में दो तत्त्व सम्मिलित हैंःपहला जो व्यक्ति परीक्षा देता है और दूसरा परीक्षा।परीक्षा देने से पहले हमें हर बात को समझ लेना चाहिए।अपनी योग्यता और कमजोरियों को समझना भी जरूरी है।जब बातें स्पष्ट होती है तो सफलता मिलती है।
  • दरअसल परीक्षार्थी केवल परीक्षा देने की दृष्टिकोण से ही पढ़ता है या अध्ययन करता है।इस कारण उसके व्यक्तित्व के अन्य पहलुओं का विकास नहीं हो पाता है।विवेक,धैर्य,साहस,संकल्प शक्ति,बुद्धि का विकास,ईमानदारी,कर्मठता,जुझारूपन (संघर्ष करने की क्षमता),मन की एकाग्रता आदि गुणों के अभाव में उसका व्यक्तित्व अविकसित रह जाता है।परीक्षा में सफल होने के लिए सिलेबस की तैयारी करना और उसमें महारत हासिल करना जितना जरूरी है उतना ही बल्कि उससे भी अधिक व्यक्तित्व के गुणों का विकास करते रहना भी जरूरी ही नहीं बहुत जरूरी है।इन गुणों के बिना आप प्रतियोगिता परीक्षा में जैसे-तैसे उत्तीर्ण हो गए या चयन भी हो गया तो जॉब करने में अड़चनें आएंगी।आप एक सफल,प्रभावी व्यक्तित्व,समुन्नत व्यक्तित्व के धनी नहीं बन सकते हैं।
  • इन गुणों के मालिक होते हुए यदि आप प्रतियोगिता परीक्षा में असफल हो भी जाते हैं आप कहीं ना कहीं अपना मुकाम,अपना लक्ष्य तय करके प्राप्त कर सकते हैं और एक सफल जिंदगी का जीवन जी सकते हैं,एक बेहतरीन इंसान बन सकते हैं।परंतु यदि आपमें इंसानियत के गुणों का ठीक तरह से विकास नहीं हुआ है,आपका व्यक्तित्व प्रभावी और उन्नत नहीं है तो आप उच्च पद पा भी लेंगे तो उसमें सफलता प्राप्त नहीं कर सकते हैं।अपने जीवन को आनंदमय नहीं बना सकते हैं।अपने जाॅब से आपको आत्म-संतुष्टि नहीं मिल सकती है।आप हमेशा शिकवा-शिकायत करते रहेंगे और जैसे-तैसे अच्छा जाॅब मिलने पर भी जीवन को बोझ समझकर व्यतीत करेंगे।ना आप स्वयं संतुष्ट रहेंगे,ना आप दूसरों को संतुष्ट कर सकेंगे और न ही दूसरे आपकी कार्य प्रणाली से संतुष्ट रहेंगे।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में परीक्षा की जरूरत होने की समीक्षा 2025 (Review of Need for Exams 2025),परीक्षा की जरूरत होने या न होने की समीक्षा (Review of Whether or Not Exams Needed) के बारे में बताया गया है।

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6.शिक्षक कामचोर (हास्य-व्यंग्य) (Teacher Doodle) (Humour-Satire):

  • किट्टू (गणित शिक्षक से):सर,कोई अगर आप द्वारा इतने शानदार तरीके से पढ़ाने पर भी कामचोर कह दे तो आप क्या करेंगे?
  • गणित शिक्षक:मैं उस बदमाश की हड्डी पसली एक कर दूंगा।
  • किट्टू:तो तैयार हो जाइए क्योंकि प्रिंसिपल साहब ने आपको कामचोर कहा है और अब वह इधर ही आ रहे हैं।

7.परीक्षा की जरूरत होने की समीक्षा 2025 (Frequently Asked Questions Related to Review of Need for Exams 2025),परीक्षा की जरूरत होने या न होने की समीक्षा (Review of Whether or Not Exams Needed) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.परीक्षा की जरूरत का सारांश लिखो। (Write a summary of the need for the exam):

उत्तर:(1.)परीक्षण ज्ञान और क्षमता को जाँचने की एक औपचारिक प्रक्रिया है।
(2.)परीक्षा हम सब की जरूरत है।
(3.)हिम्मतवर की जीत होती है।
(4.)परीक्षा योग्य,कुशल और साहसी का चयन करने में मदद करती है।
(5.)परीक्षा रुकावट नहीं वरन सोपान है।
(6.)जीवन में कदम दर कदम हमें परीक्षा से गुजरना पड़ता है।
(7.)परीक्षा के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण सफलता दिलाता है।

प्रश्न:2.सबको परीक्षा से कैसे गुजरना पड़ता है? (How does everyone go through the test?):

उत्तर:दाता की परीक्षा दुर्भिक्ष में,वीर की युद्ध में,मित्र की आपातकाल में,स्त्री की निर्धनावस्था में,अच्छे कुल की विपत्ति में,प्रेम की परोक्ष में और सत्य की परीक्षा संकट के समय होती है।इस प्रकार सबको किसी न किसी प्रकार परीक्षा से गुजरना पड़ता है।

प्रश्न:3.सज्जन की परीक्षा कैसे होती है? (How is the gentleman examined?):

उत्तर:जिस प्रकार सोने को काटकर,तपाकर,घिसकर और पीट कर उसकी जांच की जाती है,उसी प्रकार त्याग,शील,गुण और कर्म इन चार प्रकारों से पुरुष की भी परीक्षा की जाती है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा परीक्षा की जरूरत होने की समीक्षा 2025 (Review of Need for Exams 2025),परीक्षा की जरूरत होने या न होने की समीक्षा (Review of Whether or Not Exams Needed) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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