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6 Strategies for Board Exam Preparation

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1.बोर्ड परीक्षा की तैयारी हेतु 6 रणनीतियाँ (6 Strategies for Board Exam Preparation),छात्र-छात्राओं के लिए परीक्षा की 6 विशिष्ट रणनीतियाँ (6 Specific Exam Preparation Strategies for Students):

  • बोर्ड परीक्षा की तैयारी हेतु 6 रणनीतियों (6 Strategies for Board Exam Preparation) के आधार पर आप अपनी तैयारी को बेहतरीन तरीके से अंजाम दे सकते हैं।ये रणनीतियाँ न केवल बोर्ड परीक्षार्थियों के लिए उपयोगी है बल्कि कॉलेज छात्र-छात्राओं के लिए भी समान रूप से उपयोगी है।यहां तक की कुछ हद तक प्रवेश परीक्षा,प्रतियोगिता परीक्षाओं में भाग लेने वाले परीक्षार्थियों के लिए भी उपयोगी साबित हो सकती हैं।
  • यों बोर्ड परीक्षा तथा अन्य परीक्षाओं की तैयारी हेतु कुछ लेख पूर्व में भी इस वेबसाइट पर पोस्ट किया जा चुके हैं।अतः यदि उनको भी पढ़ेंगे तो आपके लिए उपयोगी होने के साथ-साथ ज्ञानवर्धक भी साबित होंगे।
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2.परीक्षा की तैयारी हेतु रणनीति (Exam Preparation Strategy):

  • बोर्ड व कॉलेज के स्तर के विद्यार्थी बहुत भावुक होते हैं अतः परीक्षा की तैयारी में थोड़ी-बहुत कमी नजर आती है अथवा कोई प्रश्न हल नहीं हो रहा है,कोई सवाल हल नहीं हो रहा है,कोई टॉपिक याद कर रहे हैं परंतु दिमाग में उसकी रूपरेखा नहीं बन रही है आदि,तो वे बहुत चिंतित हो जाते हैं।ऐसी स्थिति में आपका आत्म-विश्वास डांवाडोल हो जाता है।आप सोचने लगते हैं कि पता नहीं परीक्षा प्रश्न-पत्र अच्छा होगा या नहीं,प्रश्न-पत्र जटिल तो नहीं आएगा,प्रश्न-पत्र में बिना पढ़ा हुआ आ गया तो क्या करूंगा।ऐसी नकारात्मक बातें,सोच तथा इसी तरह की बातों से आप घबरा जाते हैं,परेशान हो जाते हैं,हड़बड़ा जाते हैं तथा जो कुछ भी याद है उसे भी भूल जाते हैं।
  • उपर्युक्त बातों से निपटने का तरीका है अपनी तैयारी पर पूर्ण भरोसा रखें क्योंकि आत्म-विश्वास के बल पर आपको कुछ बातें याद भी नहीं है अथवा अस्पष्ट-सी याद हैं तो वे भी धीरे-धीरे स्मृति में आ जाती है,स्मरण में आ जाती है।वैसे भी यह याद रखें की चिंता,तनाव,निराशा,हताश होने पर नुकसान होने के अलावा फायदा भी क्या है।अपनी क्षमताओं,शक्तियों और अपनी तैयारी पर पूर्ण भरोसा रखें।
  • अपनी परीक्षा की तैयारी का पूर्ण विश्लेषण करें,मूल्यांकन करें और जहां कहीं भी कमजोरी दिखाई देती है उसकी तैयारी करें।यदि आपको कुछ समझ में नहीं आ रहा है तो उस टॉपिक को पढ़ें और जो कठिन शब्द हैं उनका अर्थ शब्दकोश में अथवा इंटरनेट पर सर्च कर लें और जान लें।इसके बाद उस टॉपिक को पुनः पढ़ें और अपनी भाषा में लिखें।टॉपिक को समझकर बार-बार पढ़ने और लिखने से टॉपिक अच्छी तरह समझ में आ जाता है।
  • यदि फिर भी टॉपिक समझ में नहीं आ रहा है तो संदर्भ पुस्तक से पढ़ें,अपने मित्रों से उस पर चर्चा करें,यदि माता-पिता पढ़े-लिखे हैं तो उनसे चर्चा करें,अपने अध्यापक जी से पूछे अथवा ट्यूशन करते हैं तो ट्यूटर से पूछें और उस टॉपिक को तैयार करें।
  • तात्पर्य यह है कि किसी भी टॉपिक के बारे में,तैयारी के बारे में अथवा किसी भी समस्या के बारे में चिंतित होने,निराश होने,तनावग्रस्त होने के बजाय अपने मस्तिष्क को उसका समाधान ढूंढने पर फोकस करें।कई बार पढ़ी हुई बातें हम समय-समय पर पुनरावृत्ति नहीं करते हैं,उचित नींद नहीं लेते हैं,गरिष्ठ भोजन या उत्तेजक पदार्थों का सेवन करते हैं,लापरवाह रहते हैं,आलसी दिनचर्या होती है तब भी भूल जाते हैं।
  • यदि ये सब नकारात्मक बातें आपमें मौजूद नहीं है फिर भी आप अपनी परीक्षा की तैयारी में कमजोरी महसूस करते हैं तो धैर्यपूर्वक कुछ मॉडल पेपर्स,मॉक टेस्ट से रिहर्सल करें।परीक्षा जैसा ही माहौल बनाकर उनको हल करें।इससे आपमें आत्म-विश्वास बढ़ेगा।जहां पर भी आपको कमजोरी दिखाई देती है उसको दूर करने का प्रयास करें,परंतु हतोत्साहित बिल्कुल भी ना हों।
  • धैर्य रखें,भगवान पर विश्वास रखें,अपने आपको शांत और सहज रखने की कोशिश करें।कुछ समय ध्यान-योग पर दें।इससे आपको आत्मिक शांति मिलेगी,आपको अपनी तैयारी पर आत्म-विश्वास पैदा होगा।ध्यान-योग तथा मन की एकाग्रता में वह शक्ति है कि असंभव लगने वाली समस्याएं भी हल हो जाती हैं।इनके आधार पर आप हर बाधा,हर ब्रेकर को पार करके आगे बढ़ सकते हैं।आप परीक्षा में ही नहीं बल्कि जीवन के हर मोड़ पर ध्यान,योग और एकाग्रता तथा आत्म-विश्वास के बल पर आगे बढ़ सकते हैं,हर समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।

3.परीक्षा के समय अध्ययन कैसे करें? (How to Study at Exam Time?):

  • अब तक आप हर विषय के नोट्स बना चुके होंगे।सबसे अच्छा तरीका है अपने बनाए हुए नोट्स की पुनरावृत्ति करना।एक ही विषय को लगातार नहीं पढ़ें बल्कि हर विषय को प्राथमिकता दें,कम महत्त्वपूर्ण विषयों का भी अध्ययन करें क्योंकि इस समय हमें पता नहीं होता है कि जीवन के किस मोड़ पर किस विषय के ज्ञान की आवश्यकता पड़ जाए।अतः यही समय है कि हर विषय का प्राथमिक ज्ञान होना चाहिए।इसके अलावा विषय परिवर्तन करके पढ़ने से बोरियत भी नहीं होती है।बोरियत का सबसे प्रमुख कारण है कि हम किसी चीज को दिल से नहीं करते हैं तो वह बोझ लगता है।
  • हर 2 घंटे के बाद 5-10 मिनट का ब्रेक लें।प्रश्नों को विभिन्न दृष्टिकोण से हल करें।आप विचार करें कि कोई प्रश्न किस-किस ढंग से पूछा जा सकता है? उदाहरणार्थ:रासायनिक परिवर्तन से क्या आशय है?,रासायनिक परिवर्तन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो,रासायनिक परिवर्तन किसे कहते हैं,रासायनिक परिवर्तन को उदाहरण सहित समझाओ,रासायनिक परिवर्तन व भौतिक परिवर्तन में क्या अंतर है?रासायनिक परिवर्तन की परिभाषा दीजिए,आप कैसे पता लगाते हैं कि कोई परिवर्तन रासायनिक परिवर्तन है? रासायनिक परिवर्तन के पक्ष में कोई दो रासायनिक समीकरण लिखिए।दैनिक जीवन में होने वाले कुछ रासायनिक परिवर्तन के उदाहरण दो।क्या रासायनिक परिवर्तन व रासायनिक अभिक्रिया में कोई अंतर है,स्पष्ट करें? रासायनिक परिवर्तन और रासायनिक समीकरण में क्या अंतर है,समझाइए।इस प्रकार एक ही प्रश्न कई तरीकों से पूछा जा सकता है,अतः इनके अंतर को समझें और उनके अनुसार उत्तर देने का अभ्यास करें।
  • कई सवालों और प्रश्नों में चित्र का भी महत्त्व होता है।प्रश्न के उत्तर को चित्र के द्वारा ज्यादा अच्छी तरह से समझाया जा सकता है या कह लीजिए कि चित्र के द्वारा किसी प्रश्न का उत्तर अधिक अच्छी तरह से स्पष्ट हो जाता है।अतः चित्रों को बनाने का अभ्यास करें तथा जहां आवश्यक हो वहां डायग्राम (चित्र) बनाएं।
  • नोट्स संक्षिप्त में बनाएं और पॉइंट्स लिखकर तैयार करें।नोट्स में भी जहां आवश्यक हो वहां चित्र बना लें।किसी भी टॉपिक की पुनरावृत्ति केवल मानसिक रूप से ही नहीं करें,बल्कि कुछ महत्त्वपूर्ण व कठिन टॉपिक को लिखकर भी पुनरावृत्ति करें।हां,यह अवश्य है कि संपूर्ण सिलेबस की पुनरावृत्ति लिखकर नहीं की जा सकती है,परंतु चुनिंदा टॉपिक व प्रश्नों की लिखकर पुनरावृत्ति की जा सकती है।
  • गणित में अभ्यास का महत्त्व है अतः महत्त्वपूर्ण सवालों का बार-बार अभ्यास करें।जब आपने प्रथम बार सवालों को हल किया होगा तो महत्त्वपूर्ण सवालों तथा कठिन सवालों को चिन्हित कर लिया होगा,अतः उनको पहचानने में दिक्कत नहीं होगी,उनका बार-बार अभ्यास करने से पकड़ मजबूत हो जाएगी।मॉडल पेपर्स,मॉक टेस्ट,साॅल्वड पेपर्स,अनसोल्वड पेपर्स का पूर्वाभ्यास करने से आपको अपने वीक पॉइंट्स का पता चल जाएगा,अतः उनका बार-बार अभ्यास करें,दोहराएँ और लिखकर याद करने की कोशिश करें।
  • यदि पढ़ते-पढ़ते थकान महसूस हो रही हो तो बैठे-बैठे ही सिर को दीवार के सहारे,अलमारी या अन्य किसी माध्यम पर टिकाकर झपकी ले लें परंतु सोए नहीं।क्योंकि दिन में सोने अथवा अध्ययन करते समय सोने के बाद पढ़ाई ठीक से नहीं होती है।सोने के बाद उठने पर शरीर भारी-भारी हो जाता है,शरीर में आलस्य छाया रहता है और मस्तिष्क में प्रमाद के कारण अध्ययन में रुचि नहीं होती है।अतः रात को 6-7 घंटे की नींद पर्याप्त होती है।
  • यदि आलस्य आ रहा हो या नींद का असर हो रहा हो,ऐसा प्रायः भोजन करने के बाद होता है,तो रीडिंग रूम में थोड़ी देर चहलकदमी करें और नींद व आलस्य को दूर भगा दें।मुंह पर पानी के छींटे मारने से भी आलस्य दूर हो जाता है।
  • पढ़ते-पढ़ते कोई बोरियत महसूस हो रही हो तो विषय का बदलाव करें अथवा भजन,संगीत सुने अथवा धार्मिक व आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ लें अथवा अपनी किसी हाॅबी का कार्य करें।ऐसा करने से आप अपने आपको तरोताजा महसूस करेंगे एवं पुनः अध्ययन में मन लग जाएगा।

4.परीक्षा के दिन व परीक्षा भवन में रणनीति (Exam Day & Strategy in Examination Hall):

  • परीक्षा के दिन अर्थात् पिछली रात्रि को समय पर सोएं और पर्याप्त नींद लें।होता यह है कि परीक्षा की चिंता में विद्यार्थी रात-दिन जुटा रहता है।शारीरिक व मानसिक विश्राम की तरफ उसका ध्यान नहीं जाता है और ऐसी स्थिति में प्रश्न-पत्र खराब होने की अधिक संभावना हो जाती है।
  • परीक्षा भवन पर न तो बहुत जल्दी और न ठीक समय पर पहुंचे बल्कि 15-20 मिनट पूर्व पहुंचे।अक्सर जल्दी पहुंचने पर विद्यार्थी आपस में डिस्कस करने लगते हैं,इससे छात्र-छात्राओं में कंफ्यूजन बढ़ सकता है कि मुझे अमुक टॉपिक याद नहीं है,मैंने अमुक टॉपिक तैयार ही नहीं किया।बिल्कुल ठीक समय पर पहुंचने से हड़बड़ाहट हो सकती है,कुछ अप्रत्याशित परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
  • प्रश्न-पत्र मिलने पर सबसे पहले उस पर दिए गए निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उनका पालन करें ताकि आपको पता चल सके कि कौनसे प्रश्न अनिवार्य रूप से करने हैं,कौनसे प्रश्न महत्त्वपूर्ण हैं,कौनसे प्रश्नों में विकल्प हैं,कौनसे प्रश्न अधिक अंकों के हैं,किन प्रश्नों का उत्तर संक्षिप्त में देना है और किनका उत्तर विस्तृत रूप में देना है आदि।
  • इसके पश्चात प्रश्नों को पढ़ने में 5 मिनट का समय लें।इन 5 मिनट में तय कर लें कि कौनसे प्रश्नों के उत्तर आपको बहुत अच्छी तरह याद है,कौनसे प्रश्नों के उत्तर दिमाग पर जोर डालने पर या कोशिश करने पर दिए जा सकते हैं और कौनसे प्रश्नों के उत्तर आपको याद नहीं है अथवा पढ़े हुए नहीं हैं।इन तीन कैटेगरी के अनुसार प्रश्नों को चिन्हित करें।
  • सबसे पहले जिनके उत्तर ठीक से पता है उन्हें,इसके बाद जिन प्रश्नों को प्रयास करने पर उत्तर दे सकते हैं उन्हें तथा अंत में जिनके उत्तर पता नहीं है व बिना पढ़े हुए टॉपिक में अथवा सबसे कठिन प्रश्नों के उत्तर दें।अंत में संपूर्ण प्रश्नों के उत्तरों को पुनः जाँचने के लिए 10 मिनट रखें और उनको ठीक से जांच लें।जैसे किसी सवाल के उत्तर में यूनिट लिखी है अथवा नहीं,किसी प्रश्न के उत्तर में कोई महत्त्वपूर्ण बात छूट तो नहीं गई है।कोई बात उत्तर में गलत लिख दी गई है तो उसे सुधार लें।प्रश्न-पत्र समाप्त करने के बाद उत्तरों की जांच करने या मित्रों से चर्चा करके समय बर्बाद ना करें।हो सकता है किसी प्रश्न के उत्तर गलत दे दिए हों तो मूड ऑफ हो जाए।यदि आपका मन आपके नियंत्रण में है तथा गलत-सही से प्रभावित न हों तभी जांच करें।सही उत्तरों व अच्छा प्रश्न-पत्र होने पर आपका आत्म-विश्वास बढ़ेगा।

5.माता-पिता परीक्षा के समय क्या करें? (What Should Parents Do During the Exam?):

  • अक्सर माता-पिता,अभिभावक और शिक्षक छात्र-छात्राओं पर परीक्षा को लेकर अत्यधिक दाब-दबाव बना देते हैं।माता-पिता,अभिभावक व शिक्षक स्वभाव से ही छात्र-छात्राओं के शुभ-चिंतक होते हैं और वे चाहते भी हैं कि उनका बच्चा परीक्षा में अच्छा परफॉर्मेंस करें।परंतु वे इस बात पर चिंतन-मनन नहीं कर पाते हैं कि उनके व्यवहार से बच्चे तनावग्रस्त हो सकते हैं और उनमें नकारात्मकता घर कर जाती है।
  • प्रतियोगिता के इस माहौल में परीक्षा की तैयारी करना,परीक्षा में अच्छे अंक लाना,परीक्षा प्रश्न-पत्र को ठीक से हल कर पाने में उनका क्या योगदान हो सकता है,यह समझने की आवश्यकता है।बच्चों की क्षमता,योग्यता व सामर्थ्य से अधिक की आकांक्षा रखना और उसके लिए रात-दिन उनके पीछे पड़े रहना,डांटना-डपटना और अपनी आकांक्षाओं को पूरी करने के लिए बच्चों को बलि का बकरा बनाना उचित नहीं है।इससे बच्चों का प्रदर्शन सुधरने के बजाय बिगड़ने और बच्चों के भटकने की संभावना अधिक रहती है।
  • यदि वाकई में माता-पिता,अभिभावक तथा शिक्षक छात्र-छात्राओं के शुभचिंतक हैं तो उन्हें सत्रारम्भ से ही बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।उनके सामने आने वाली परेशानियों का समाधान करना चाहिए।उन्हें ट्यूशन की जरूरत है,मानसिक संबल प्रदान करने की जरूरत है,प्रेरित करने की जरूरत है अथवा अन्य कोई सहायता-सहयोग करने की जरूरत है तो शुरू से ही उनसे बातचीत करके हल निकालना चाहिए।
  • हर बच्चा संसार में अद्वितीय है।किसी बच्चे में कोई ना कोई खासियत होती है।अपने बच्चें की खासियत,हुनर व प्रतिभा को पहचानें और उसे सही दिशा में आगे बढ़ने में अपना सहयोग प्रदान करें।बच्चों का न तो बहुत अधिक ख्याल रखने की जरूरत है और न ही उनकी तरफ से लापरवाह होने की जरूरत है।बच्चों को स्वयं भी निर्णय लेना सीखने दें और आगे बढ़ने दें।जहां आवश्यक हो वहाँ अपना सहयोग प्रदान करें।
  • यदि कोई बच्चा अध्ययन में अव्वल नहीं है तो इसका अर्थ यह नहीं कि वह जिंदगी की दौड़ में पिछड़ जाएगा।अब यह तो आवश्यक नहीं है कि हर बच्चा एक गणितज्ञ,गणित का प्राध्यापक,इंजीनियर,डॉक्टर या गणित में शोधकर्ता अथवा गणित में जीनियस हो जाए।हो सकता है कि बच्चे की रुचि भजन,खेल अथवा अन्य किसी क्षेत्र में हो और उसमें प्रतिभा इन्हीं में हो,इसको समझने की जरूरत है।
  • परीक्षा के समय बच्चा तनाव में हो तो उसको सहज होने में मदद करें,उसकी कोई समस्या है तो उसका समाधान करें।उसकी संतुलित दिनचर्या रहे,संतुलित डाइट,नित्यकर्म सही से कर रहा है या नहीं इस पर ध्यान दें।यदि उसकी दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो रही हो तो उसमें परीक्षा के डर को दूर करने की कोशिश करें और संतुलित दिनचर्या का पालन करने में मदद करें।
  • यदि बच्चा 60-65% अंक ला रहा है,बी या सी ग्रेड ला रहा है तो उससे 90% अंक लाने अथवा ए ग्रेड प्राप्त करने के लिए अपनी आकांक्षा थोपने से बच्चा तनावग्रस्त हो सकता है और आप भी बेवजह तनावग्रस्त हो सकते हैं।इसलिए बच्चे की क्षमता के अनुसार ही टारगेट बनाएं और उसे प्राप्त करने में अपना सकारात्मक सहयोग दें।

6.छात्र की परीक्षा का दृष्टांत (The Student’s Examination Parable):

  • राहुल ज्योंही परीक्षा देकर घर लौटा,तो वह माता-पिता से बिना बातचीत किए ही अपने रीडिंग रूम में जाकर सो गया।वह बहुत उदास था तथा उसका चेहरा उतरा हुआ था।वह अपने मन की बात माता-पिता को नहीं बताना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसके माता-पिता उसे डाँटेंगे।
  • परंतु जब राहुल प्रश्न-पत्र बिना बताए ही अपने रीडिंग रूम में चला गया तो उसके माता-पिता उसके पास आए और पूछा बेटे आज इतने उदास क्यों हो? तुमने आज अपना पर्चा भी नहीं बताया,कैसा हुआ है? पहले तो राहुल ने कुछ नहीं बताया परन्तु जब माता-पिता ने दबाव डालकर तथा कुरेदकर पूछा तो उसने सच-सच बता दिया कि उसके गणित का पेपर खराब हो गया है।
  • यह सुनते ही माता-पिता भड़क उठे और लानतमनामलत करने लगे।हम तो तुम्हें पहले से ही कह रहे थे कि तुम पढ़ाई की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हो।हमने तुम्हारे लिए ट्यूशन लगाया था,अच्छे स्कूल में एडमिशन दिलाया था।जानते हो तुम तुम्हारी फीस और ट्यूशन पर कितना खर्च हो रहा है।जब राहुल के मम्मी-पापा डांट-डपट रहे थे,संयोगवश राहुल के मामाजी आ गए।उन्होंने यह सब सुना तो वे सकते में आ गए।उन्होंने राहुल के मम्मी-पापा को टोका और समझाया।
  • स्कूल की परीक्षा में अव्वल आना ही सब कुछ नहीं होता है।फिर सालभर में केवल एक बार के प्रश्न-पत्र के आधार पर राहुल के ज्ञान और बुद्धि का मूल्यांकन कैसे किया जा सकता है? राहुल के मामाजी जानते थे कि राहुल पढ़ने में कितना कुशाग्र है।
  • फिर उन्होंने राहुल को हिम्मत बंधाते हुए कहा तुम्हें स्कूल या कॉलेज में कम अंक आ जाए तो इसका अर्थ यह नहीं है कि जिंदगी की दौड़ में तुम पिछड़ जाओगे।जीवन में आगे बढ़ने के लिए अनेक क्षेत्र हैं,अतः सच्ची लगन,कड़ी मेहनत और सच्चे इरादे से तुम एक दिन बुलंदियों पर पहुंच जाओगे।जीवन में इंजीनियर,डॉक्टर,सीए,आईएएस बनना ही केवल मात्र लक्ष्य नहीं है।
  • खेल,संगीत,भजन,अध्यात्म,कला जैसे अनेक क्षेत्र हैं जिनमें आगे बढ़ा जा सकता है और माता-पिता,परिवार,समाज,देश का गौरव बढ़ाया जा सकता है।
  • राहुल के मम्मी-पापा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने राहुल को गले से लगा लिया और कहा कि तुम बिना किसी दबाव व डर के अपना अध्ययन करते रहो और जितना बेहतर हो सकता है उतना अच्छा करो फिर भी पर्चा खराब हो जाता है तो किसी प्रकार की चिंता मत करो,हम हैं ना तुम्हारे साथ।यह सब सुनकर राहुल को विश्वास नहीं हुआ परंतु सच यही था कि राहुल के माता-पिता का हृदय परिवर्तन हो गया था।अब राहुल खुश था तथा उसने मामा जी के चरण स्पर्श किए,माता-पिता के चरण स्पर्श किए और वादा किया कि वह बेहतर करता रहा है और आगे भी अपनी तरफ से कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ेगा।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में बोर्ड परीक्षा की तैयारी हेतु 6 रणनीतियाँ (6 Strategies for Board Exam Preparation),छात्र-छात्राओं के लिए परीक्षा की 6 विशिष्ट रणनीतियाँ (6 Specific Exam Preparation Strategies for Students) के बारे में बताया गया है।

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7.गणित में होशियार होने का तरीका (हास्य-व्यंग्य) (How to Be Smarter in Math) (Humour-Satire):

  • गणित शिक्षक (छात्र से):यह लो महत्त्वपूर्ण प्रश्नों की सूची।इनको सुबह 2 घंटे,दोपहर 2 घंटे,स्कूल से आने के बाद 2 घंटे और शाम को 4 घंटे तथा रात को 2 घंटे हल करना।
  • छात्र:सर,मुझ पर दया कीजिए मैं गणित में बहुत कमजोर छात्र हूं।मैं इतनी कड़ी मेहनत नहीं कर पाऊंगा,कृपया मेरी क्षमता को देखकर सवालों को हल करने की डोज बताओ।

8.बोर्ड परीक्षा की तैयारी हेतु 6 रणनीतियाँ (Frequently Asked Questions Related to 6 Strategies for Board Exam Preparation),छात्र-छात्राओं के लिए परीक्षा की 6 विशिष्ट रणनीतियाँ (6 Specific Exam Preparation Strategies for Students) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.पढ़ाई नियमित करने पर भी घबराहट क्यों रहती है? (Why Do You Get Nervous Even When You Study Regularly?):

उत्तर:आजकल की भौतिक शिक्षा केवल मन और शरीर का विकास कर पाती है।इससे बौद्धिक विकास तो हो जाता है।पद,प्रतिष्ठा और बाह्य सफलता भी प्राप्त की जा सकती है।परंतु सच्ची आत्म संतुष्टि ज्ञान व आध्यात्मिक ज्ञान से मिलती है।हम मन व शरीर ही नहीं है बल्कि आत्मा भी हमारा स्वरूप है।आत्मिक संतुष्टि आत्मज्ञान के बिना नहीं मिलती है।इसके लिए थोड़ा-बहुत धार्मिक,नैतिक व आध्यात्मिक शिक्षा भी अर्जित करनी चाहिए तभी मन,शरीर व आत्मा का संतुलन साधा जा सकता है।संतुलन कायम होते ही घबराहट मिट जाएगी।

प्रश्न:2.असफलता के डर को कैसे भगाएं? (How to Overcome the Fear of Failure?):

उत्तर:हमेशा सकारात्मक चिंतन करें,अच्छी संगति करें,अच्छी पुस्तकें पढ़ें।केवल कोर्स की किताबें ही न पढ़ें बल्कि व्यावहारिक जीवन में काम आने वाली बातों का भी ज्ञान प्राप्त करें।हमेशा पढ़ाई-पढ़ाई न करते रहें बल्कि कुछ समय मनोरंजन,घूमने-फिरने,दोस्तों के साथ हंसी-मजाक करने में भी बिताएं।अपने आपको व्यस्त रखें और फालतू बातों की तरफ ध्यान न दें।परिणाम के बारे में ज्यादा सोच-विचार न करें क्योंकि परीक्षा का रिजल्ट ही आपका सब कुछ नहीं है,जीवन जीने के ओर भी मकसद हैं।
प्रश्न:3.परीक्षा के दौरान खान-पान कैसा रखें? (How to Eat and Drink During the Exam?):
उत्तर:परीक्षा के दौरान हैल्दी और पौष्टिक डाइट लें।खाली पेट अध्ययन ना करें।चटपटे,मसालेदार,तेज मिर्च-मसाले वाले,गरिष्ठ भोजन,चाय-कॉफी तथा मादक पदार्थ व द्रव्यों का सेवन न करें।हल्का और सुपाच्य भोजन लें।

प्रश्न:3.परीक्षा के दौरान खान-पान कैसा रखें? (How to Eat and Drink During the Exam?):

उत्तर:परीक्षा के दौरान हैल्दी और पौष्टिक डाइट लें।खाली पेट अध्ययन ना करें।चटपटे,मसालेदार,तेज मिर्च-मसाले वाले,गरिष्ठ भोजन,चाय-कॉफी तथा मादक पदार्थ व द्रव्यों का सेवन न करें।हल्का और सुपाच्य भोजन लें।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा बोर्ड परीक्षा की तैयारी हेतु 6 रणनीतियाँ (6 Strategies for Board Exam Preparation),छात्र-छात्राओं के लिए परीक्षा की 6 विशिष्ट रणनीतियाँ (6 Specific Exam Preparation Strategies for Students) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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