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13 Strategies for Study of Mathematics

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1 1.गणित के अध्ययन के लिए 13 व्यूह रचना (13 Strategies for Study of Mathematics),अध्ययन के लिए 13 अनोखी व्यूह रचना (13 Unique Strategies to Study):

1.गणित के अध्ययन के लिए 13 व्यूह रचना (13 Strategies for Study of Mathematics),अध्ययन के लिए 13 अनोखी व्यूह रचना (13 Unique Strategies to Study):

  • गणित के अध्ययन के लिए 13 व्यूह रचना (13 Strategies for Study of Mathematics) के आधार पर आप इसमें थोड़े-बहुत फेरबदल के साथ अन्य विषयों की सटीक तैयारी प्रारंभ कर सकते हैं।सत्रारंभ हुए लगभग 3 महीने हो जाएंगे,अतः अब से ही गंभीरतापूर्वक इस लेख में बताई गई रणनीति के आधार पर तैयारी कर सकते हैं।
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

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2.गणित के अध्ययन का परिचय (Introduction to the Study of Mathematics):

  • विद्यालयों-महाविद्यालयों में शिक्षा सत्र प्रारंभ हो चुके हैं।विद्यार्थियों के लिए एक बार फिर अध्ययन की चुनौतियां सामने हैं।पाठ्यक्रम के व्यापक रूप एवं पाठ्यक्रम की अनोखी व्यूह रचना ने उन्हें घेर लिया है।कैसे करें इस व्यूह का सफल भेदन? यह सवाल प्रत्येक विद्यार्थी को परेशान किए हुए है।उनकी इस परेशानी से अभिभावक भी चिंतित है,जो अपने बच्चों के उत्कर्ष एवं सफलता की आस लगाए हैं,पर यह भी चाहते हैं कि उनके प्यारे बच्चे किसी भी तरह से अवसाद,कुंठा या शैक्षणिक चिंता के मकड़जाल में न फँसे।विशेषज्ञों का मानना है कि अध्ययन आसान है,यदि उसे सही रीति और वैज्ञानिक दृष्टि से किया जाए।
    विद्यार्थियों एवं अभिभावकों की इस बड़ी परेशानी को समझते हुए यह रणनीति तैयार की गई है।इस रणनीति के माध्यम से विभिन्न आयुवर्ग के छात्र-छात्राएं अपनी तैयारी को अभी से धार दे सकते हैं।इस रणनीति में मुख्य रूप से बताया है कि विषयवस्तु के प्रति सकारात्मक दृष्टि हो,विषयवस्तु में रुचि विकसित हो सके तो थोड़े समय का अध्ययन भी आश्चर्यकारी परिणाम पैदा करता है।अध्ययन कैसे करें,विशेषतौर पर गणित,विज्ञान जैसे विषयों का।इस विषय में प्रस्तुत रणनीति को आत्मसात करके विद्यार्थी उत्कर्ष एवं सफलता की नई परिभाषा गढ़ सकते हैं।

(1.)गणित की विषयवस्तु की सही समझ (Correct understanding of the content of mathematics):

  • सबसे पहला बिंदु है गणित की विषयवस्तु की सही समझ।विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों में पाया गया है कि प्रतिभावान छात्र-छात्राएं पहले गणित की विषय-वस्तु को समझते हैं।उसकी मौलिक विषय-वस्तु को समझते हुए अपने अध्ययन की रणनीति बनाते हैं;जबकि साधारण छात्र-छात्रा का गणित की विषय-वस्तु से कोई लेना-देना नहीं रहता।वे गणित की विषयवस्तु को समझे बिना ही सवाल हल करना प्रारंभ कर देते हैं।ऐसे में हो सकता है कि उन्हें प्राप्तांक तो भले ही ठीक मिल जाएं,पर वे उन मौलिक विशेषताओं से वंचित रह जाते हैं,जो पुस्तक के लेखक ने उनके लिए सोची थी।
  • वस्तुतः गणित की विषय-वस्तु तथा थ्योरी व सूत्र गणित की रीढ़ स्तंभ होती है।जिससे नजरअंदाज करने से गणित पर मजबूत पकड़ नहीं बनाई जा सकती है।इसी कारण अनेक छात्र-छात्राएं आईआईटी जैसी प्रवेश परीक्षाओं की दौड़ में भाग लेने से पहले बाहर हो जाते हैं।यदि शुरू से ही सही रणनीति के साथ गणित के साथ-साथ विज्ञान विषय की तैयारी में इस बात का ध्यान रखा जाए तो वे अपने करियर में बहुत आगे तक बढ़ सकते हैं,अतः इसका ध्यान रखें।

(2.)गणित में रुचि (Interest in Mathematics):

  • किसी भी विषय का सरल या कठिन होना हमारी रुचि पर भी निर्भर करता है।अक्सर विद्यार्थियों का गणित के प्रति रुचि का अभाव देखने को मिलता है।वे अपनी रुचि को गणित विषय से नहीं जोड़ पाते।परिणामस्वरूप गणित विषय या इसके सवाल हमेशा पूरे अध्ययन काल में बोझ बनी रहती है।आप अपने साथ ऐसा न होने दें।हमेशा ध्यान रखें कि गणित या अन्य विषय की विषय-वस्तु का निर्माण विद्यार्थियों में कुछ नई मौलिक विशेषताएं पैदा करने के लिए है।इसलिए गणित विषय एवं इसकी अध्ययन सामग्री के प्रति सकारात्मक दृष्टि रखें।ऐसा करने पर पाएंगे कि अध्ययन नीरस,उबाऊ,थका देने वाला नहीं रह गया है और आपमें कुछ नया करने एवं उससे कुछ नया पाने की ललक जग रही है।
  • वस्तुतः रुचि को बदलना हमारे ऊपर निर्भर करता है।शुरू में रुचि को बदलना थोड़ा मुश्किल जरूर होता है क्योंकि हमारी जो आदत बन जाती है,हमारे जैसे संस्कार होते हैं हम वैसे ही करने के आदी होते हैं।यदि हम लगातार गणित का अध्ययन करते रहेंगे तो हमारी आदत व संस्कार बदलने लग जाएंगे और गणित के प्रति धीरे-धीरे स्वस्थ और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता जाएगा।

(3.)मन को एकाग्र करें (Concentrate the mind):

  • गणित का अध्ययन करने में एकाग्रता सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है।हालाँकि,हर विद्यार्थी अपने तरीके से एकाग्र होने की कोशिश करते हैं,पर इसमें सफलता किसी-किसी को ही मिलती है।एकाग्र होने के लिए गणित की समग्र विषय-वस्तु के अध्ययन की सही योजना बनाएं।विषयवस्तु के प्रति आपकी अप्रोच सही होना एकाग्रता में काफी मददगार साबित होती है।गणित की किन-किन प्रश्नावलियों को पहले पढ़ना है और किन्हें बाद में,यह तय कर लें।अमुक चैप्टर अमुक समय तक तैयार करने हैं,उसकी पुनरावृत्ति भी समय-समय पर करते रहना है।पुनरावृत्ति में संपूर्ण विषय-वस्तु की न करके खास-खास सवालों,सूत्रों,प्रमेयों आदि की ही करनी चाहिए।
  • इसी के साथ आपको अध्ययन सामग्री के विभिन्न अंशों के बीच तारतम्य का सही अनुभव होना चाहिए।जैसे बहुपद कर लें तो इसके साथ द्विघात समीकरण और दो चर वाले रैखिक समीकरणों को हल किया जा सकता है।त्रिकोणमितीय अनुपात पढ़े तो दूरी और ऊंचाई वाला चैप्टर भी साथ में पढ़े।अवकलन वाला चैप्टर पढ़ें तो अवकलन के अनुप्रयोग उसके बाद समाकलन को पढ़ा जा सकता है।ऐसा होने पर न केवल समझ पक्की होती है,बल्कि समझ बढ़ने के साथ एकाग्रता में बढ़ोतरी होती है।
  • एकाग्रता के सम्बन्ध में कहना यह भी है कि गणित या विज्ञान विषयों को तभी पढ़ें,जब आपको स्वयं पढ़ने की इच्छा हो,आप तरोताजा हो।घरवालों को दिखाने के लिए या किसी प्रकार के तनाव में आकर पढ़ने की आवश्यकता नहीं है।इस प्रकार की पढ़ाई कभी लाभप्रद नहीं होती।अगर आपका ध्यान एकाग्रचित है तो आप पुस्तक को पढ़कर अच्छी तरह से समझ सकते हैं,लेकिन पढ़ने के क्रम में यदि आपका ध्यान भटक रहा है तो अच्छा है कि थोड़ी देर टहल लें अथवा भजन,संगीत का सहारा लेकर अपने आप को तरोताजा कर लें।

(4.)गणित की थ्योरी भी पढ़ें (Also read the theory of Mathematics):

  • अध्ययन योजना का चौथा बिंदु है गणित की थ्योरी भी पढ़ें।अगर आप अपने मित्रों से चर्चा करेंगे तो पता चलेगा कि अधिकांश विद्यार्थी गणित को केवल सवालों का विषय समझते हैं।यानी सवाल हल कर लो तो गणित को हल करना मान लेते हैं।जबकि गणित में थ्योरी,प्रमेय,सूत्र स्थापना तथा उदाहरण आदि भी होते हैं।ज्यादातर छात्र-छात्राएं समझते हैं कि थ्योरी पढ़नें से क्या फायदा? परीक्षा में तो सवाल ही आते हैं।परंतु थ्योरी को पढ़ना इसलिए जरूरी है क्योंकि थ्योरी से चैप्टर की कांसेप्ट क्लियर होती है।यदि आप केवल सवाल करते हैं,प्रमेयों को रट लेते हैं तो परीक्षा तो उत्तीर्ण कर लेंगे,हो सकता है अच्छे अंक भी प्राप्त कर लें।परंतु गणित विषय को समझने से वंचित रह जाएंगे जो आपको विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा में,प्रवेश परीक्षा या जाॅब प्राप्त करने से वंचित रह जाएंगे।
  • बिना थ्योरी को पढ़े व समझे,सीधे सवाल हल करना,गणित का अध्ययन करने का गलत ढंग है।थ्योरी व प्रमेय आदि चैप्टर की अंतरात्मा होती है।यह चैप्टर का मूल आधार होती है।इसको पढ़े बिना आप उस चैप्टर के उद्देश्य को समझ ही नहीं पाएंगे,इसका आभास थ्योरी को पढ़े बिना नहीं हो सकता।एक बार आप थ्योरी को समझ लेते हैं तो सवालों को हल करना आसान हो जाता है।

(5.)गणित को हल करने की गति (Speed of solving math):

  • विद्यार्थियों की आम धारणा यही है कि यदि धीरे-धीरे गणित को पढ़ा जाए तो गणित आसानी से समझ में आ जाता है।मेधावी एवं प्रतिभाशाली छात्र-छात्रा प्रायः तेजी से पढ़ते हैं,इससे उनकी एकाग्रता और भी अधिक बढ़ती है।आप स्वयं भी यह प्रयोग कर सकते हैं कि अध्ययन या तीव्र गति से पढ़ने का प्रयास करने पर ध्यान सहज ही अधिक एकाग्र होता है।
    आप धीरे-धीरे पढ़कर जितना समझेंगे उससे अधिक आप तेज पढ़कर समझ सकते हैं।इसने न केवल समय बचेगा,अपितु परिणाम भी सुखद एवं सकारात्मक होंगे।
  • इस बात को एक उदाहरण से समझ सकते हैं।देखने में यह आता है कि विद्यार्थी सत्रारम्भ में धीरे-धीरे पढ़ता है तो अपने साथियों से बातें करता हुआ सवाल हल करता रहता है।वह कक्षा में चारों तरफ नजर दौड़ाकर यह भी देखता रहता है कि कहां क्या हो रहा है,कौन शोर मचा रहा है,कौन शांति से पढ़ रहा है।अपने आगे-पीछे वालों से भी बात करता रहता है।दूसरी तरफ जब वार्षिक परीक्षा निकट आ जाती है तो न इधर-उधर देखने की फुर्सत है और न बात करने का समय।उसका सारा ध्यान गणित व अन्य विषयों के अध्ययन पर लगा रहता है,क्योंकि उसे परीक्षा में असफल होने का डर रहता है।उसकी सारी इन्द्रियाँ एक ही दिशा में काम करती है।कम समय में तीव्रगति से अध्ययन करते हुए वह दो-तीन महीने में ही पूरे कोर्स को पढ़ लेता है।किसी पुस्तक को पढ़ते समय इस सच को जाँचा-परखा एवं अनुभव किया जा सकता है।

(6.)गणित की विषय-वस्तु को समझने का प्रयास करना (Trying to understand the content of mathematics):

  • यह छठा बिंदु है।कुछ विद्यार्थियों का विश्वास सवालों के हल को रटने में होता है तो कुछ पुस्तकों को उपन्यास की तरह पढ़ते रहते हैं।दोनों ही बातें गलत हैं।किसी भी विषय की विषयवस्तु इतनी व्यापक होती है कि उसके पूरे भाग को रटा नहीं जा सकता है।यदि किसी भी तरह रटने में सफल हो भी जाएं तो भी इस तोता रटन्त के बल पर परीक्षा में अच्छे अंक तो नहीं ही पाए जा सकते हैं।यही बात उपन्यास की तरह से पढ़ने में है।इस तरह से पढ़ने पर दिमाग पर आवश्यक बल नहीं पड़ता,जिसके कारण विषय पर अच्छी पकड़ नहीं बन पाती है।इसलिए अच्छा यही है कि विषय को अच्छी तरह से समझने का प्रयास किया जाए।
  • एक बात और ध्यान रखें कि केवल रटने से दिमाग में अनावश्यक खिंचाव उत्पन्न होता है,तनावग्रस्त हो जाते हैं।साथ ही रटा हुआ कुछ ही समय बाद भूल जाते हैं जबकि समझकर आत्मसात किया हुआ लंबे समय बाद तक याद रहता है।गणित में सवाल की संख्याओं को बदलकर परीक्षा में प्रश्न पूछे जाते हैं।अतः जो छात्र-छात्रा रट लेता है वह उस सवाल को हल नहीं कर पाता है।यह ध्यान रखें हूबहू सवाल बहुत कम आते हैं।

(7.)महत्त्वपूर्ण अंशों के नोट्स बनाना (Making notes of important passages):

  • महत्त्वपूर्ण अंशों के नोट्स बनाना गणित में अच्छे अंक लाने का अगला यानी सातवां बिंदु है।अच्छा तो यह है कि आप सत्रारम्भ से ही या अभी से ही महत्त्वपूर्ण अंशों के नोट्स बना लें क्योंकि गणित या किसी भी पुस्तक की प्रत्येक पंक्तियां आपके लिए उपयोगी नहीं हो सकती।महत्त्वपूर्ण सवालों को आप पुस्तक में पेंसिल से टिक कर लिया करें ताकि उनकी समय-समय पर पुनरावृत्ति कर सकें।
  • याद रखें स्वयं के द्वारा बनाए गए नोट्स अधिक उपयोगी और महत्त्वपूर्ण होते हैं।सूत्रों को एक छोटी नोटबुक में लिख लें और उसे अपनी पॉकेट में रखें ताकि खाली समय में उसकी पुनरावृत्ति की जा सके और उन्हें याद कर सकें।सप्ताह में एक दिन पुनरावृत्ति का अवश्य रखें,बेहतर यह होगा कि पुनरावृत्ति रविवार अर्थात् अवकाश वाले दिन करें।पिछले छः दिनों में जो कुछ पढ़ा है उसे तथा पिछली पुरानी अध्ययन सामग्री की पुनरावृत्ति अवश्य करें।

(8.)वार्ता करना (Negotiate):

  • गणित अथवा किसी भी विषय को पढ़ने के बाद कक्षा में खाली कालांश या उपयुक्त समय पर अपने मित्रों से उस पर डिस्कस करें।आप यह भी बताएं कि गणित विषय के कौनसे लेखक की पुस्तक कैसी लगी,उसके कौन-कौनसे अध्याय आपको रुचिकर लगें और क्यों? साथ ही इस बात पर भी गहराई से चर्चा करें कि इस पुस्तक में क्या कमी नजर आई? इससे आपको विचार-निर्माण में आवश्यक मदद मिलेगी।
  • आपस में डिस्कस से कोई थ्योरी या उसका कोई भाग या कोई सवाल समझ में नहीं आ रहा है,तो वह समझ में आ जाएगा।एक-दूसरे से विचारों के आदान-प्रदान से कई नई तथ्यों का पता चलेगा।आपकी कई समस्याओं का डिस्कस से समाधान होगा।एक और फायदा यह होगा कि आपको अपने विचारों को अभिव्यक्त करने की कला का विकास होगा।इससे आपकी पुनरावृत्ति भी होगी अतः विषयवस्तु को अधिक समय तक याद रख पाएंगे।

(9.)किसी भी विषयवस्तु को संपूर्णता में देखना (Seeing any content in its entirety):

  • यह गणित का अध्ययन करने का नौवाँ बिंदु है।किसी भी गणित की थ्योरी,प्रमेय,सूत्र के पीछे कुछ ना कुछ कारण अथवा और रहस्य अवश्य होता है जो छिपा हुआ रहता है।जहां पर कारण अथवा रहस्य होता है,वहां पर निश्चित जान लें कि परिणाम भी आगे आने वाला है ही।दोनों ही एक सिक्के के दो पहलुओं की तरह से हैं।इनका पारस्परिक संबंध बड़ा घनिष्ठ रहता है।अतः आप किसी विषय को उसकी पूरी संपूर्णता में देखने की कोशिश जरूर करें।उसको कार्य-कारण पद्धति पर जाँचने का प्रयास जरूर करें।जैसे समांतर श्रेणी के व्यापक पद का सूत्र T_{n}=a+(n-1)d क्यों होता है? तो आप पाएंगे कि परिभाषा से ही यह व्यापक पद निकाला गया है।T_{1}=a+(1-1)d,T_{2}-T_{1}=d (परिभाषा से) \Rightarrow T_{2}=T_{1}+d=a+(2-1)d इसी प्रकार T_{n}=a+(n-1)d आदि।इसके बाद आपके मस्तिष्क में गणित या किसी भी विषय पर एक सुस्पष्ट रेखाचित्र अंकित हो जाएगा।जिसका आप समय आने पर उचित उपयोग कर सकते हैं।

(10.)संक्षिप्त नोट्स बनाना (Making short notes):

  • यह दसवां बिंदु है।इसके बारे में नोट्स बनाने वाले बिंदु में उल्लेख किया जा चुका है।कुछ जरूरी बातें और बता देते हैं।प्रायः विद्यार्थी इस क्रम में ठीक उल्टी एवं बेवजह की मेहनत करते हैं।उनकी कोशिश लंबे नोट्स बनाने की रहती है जिसकी पुनरावृत्ति परीक्षा के समय करना बहुत मुश्किल होता है।साथ ही यह प्रक्रिया बहुत समय खपाऊ एवं बेहद गैरजरूरी है।इसमें अनावश्यक समय लगता है,जिससे व्यापक एवं बहुआयामी अध्ययन की प्रक्रिया शिथिल पड़ती है।अच्छा यह हो कि इस संबंध में संक्षिप्त नोट्स की प्रक्रिया अपनाई जाए।
  • जैसे गणित के नोट्स बनाना है तो उसकी महत्त्वपूर्ण थ्योरी,सूत्र तथा प्रमेय आदि को लिखना है।सभी सवालों को रफ कॉपी में हल करना है।नोट्स वाली कॉपी में महत्त्वपूर्ण सवालों को ही हल करें।यदि किसी विषय के नोट्स बनाने हैं तो उस विषय की थीम एवं उस पर अलग-अलग लेखकों-विचारकों की टिप्पणियों को लिखें।साथ ही उस विषयवस्तु के महत्त्वपूर्ण बिंदुओं की संक्षिप्त व्याख्या एवं संदर्भ लिखें।इसका अंत एक छोटे किंतु महत्त्वपूर्ण संदर्भयुक्त निष्कर्ष के साथ करें।जुटाए गए संदर्भ जितने नवीन हों उतना ही अच्छा।इस तरह प्रत्येक विषय के प्रश्नपत्र के संक्षिप्त नोट्स लिखने से पुनरावृत्ति करने में आसानी होती है।
  • कुछ पंक्तियों में विषय की समीक्षा-समालोचना लिखें,जिसमें आपकी समालोचनात्मक दृष्टि का समावेश हो।यदि इस तरह के संक्षिप्त नोट्स बनाए जाएं,तो विषयवस्तु की एक स्पष्ट मानसिक संरचना हमेशा बनी रहती है,जिसका समयानुसार एवं समुचित उपयोग किया जा सकता है।

(11.)तनावमुक्त जीवनशैली (Stress-free lifestyle):

  • यह बिंदु गणित के या अन्य विषय के अध्ययन से अलग दीखने पर भी अलग नहीं है।विद्यार्थी के लिए यह अनिवार्य है।सकारात्मक सोच,सही और पौष्टिक आहार एवं उपयुक्त प्रगाढ़ निद्रा पर ध्यान दिए जाने पर अध्ययन क्षमता का भरपूर विकास होता है।सीखने की क्षमता एवं स्मृति तेज रहती है।इसलिए इसे भी गणित या अन्य विषय के अध्ययन की कुशलता में ही समावेशित रखना चाहिए।ऊपर बताए गए इन सभी बिंदुओं पर यदि पर्याप्त ध्यान दिया जाए तो परीक्षा की चुनौती का अच्छी तरह से सामना करने के साथ ही मनचाहे परिणाम पाए जा सकते हैं और यह नया अध्ययन सत्र जीवन में नई संभावनाओं के द्वार खोलने वाला साबित हो सकता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित के अध्ययन के लिए 13 व्यूह रचना (13 Strategies for Study of Mathematics),अध्ययन के लिए 13 अनोखी व्यूह रचना (13 Unique Strategies to Study) के बारे में बताया गया है।

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3.गणित में आगे बढ़ा (हास्य-व्यंग्य) (Proceed in Mathematics) (Humour-Satire):

  • गणित टीचर:वाह नकुल,तुम देश का गौरव बढ़ाने के लिए,गणित में आगे बढ़े हो,मुझे तुम पर गर्व है।
  • नकुलःनहीं सर,यह बात नहीं है।मैंने तो कोई विशेष तैयारी नहीं की थी,मेरे तो पहले से कम मार्क्स आए हैं,बल्कि मेरे आगे जितने भी छात्र-छात्राएं थे,वे पीछे हो गए हैं,उन्होंने ठीक से तैयारी नहीं की इसलिए उनके कम मार्क्स आए हैं।उनका डाउनफॉल हुआ है।

4.गणित के अध्ययन के लिए 13 व्यूह रचना (Frequently Asked Questions Related to 13 Strategies for Study of Mathematics),अध्ययन के लिए 13 अनोखी व्यूह रचना (13 Unique Strategies to Study) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.गणित का वास्तविक अध्ययन कैसा हो? (What is the actual study of mathematics like?):

उत्तर:जितना ही हम गणित का अध्ययन करें,उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होना चाहिए।

प्रश्न:2.अध्ययन कौन पसंद और नापसंद करता है? (Who likes and dislikes studying?):

उत्तर:धूर्त मनुष्य अध्ययन का तिरस्कार करते हैं,सरल मनुष्य उसकी प्रशंसा करते हैं और ज्ञानी पुरुष उसका उपयोग करते हैं।

प्रश्न:3.क्या वाकई गणित के अध्ययन से अज्ञान दूर होता है? (Does the study of mathematics really remove ignorance?):

उत्तर:गणित का वाकई अध्ययन करना केवल सवालों को हल करना नहीं है।यदि गणित का व्यापक व गहराई से अध्ययन करेंगे तो सब कुछ कुचिंताएं मिट जाते हैं। संशय दूर हो जाते हैं और मन में सद्भाव जागृत होकर शांति प्राप्त होती है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित के अध्ययन के लिए 13 व्यूह रचना (13 Strategies for Study of Mathematics),अध्ययन के लिए 13 अनोखी व्यूह रचना (13 Unique Strategies to Study) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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