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Each Student of Mathematics is Unique

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1.गणित का प्रत्येक विद्यार्थी अद्वितीय है (Each Student of Mathematics is Unique),हर गणित विद्यार्थी अपनी विशिष्टता को पहचाने (Every Mathematics Student Should Recognize his or her Uniqueness):

  • गणित का प्रत्येक विद्यार्थी अद्वितीय है (Each Student of Mathematics is Unique)। वैसे तो प्रकृति का हर जीव अद्वितीय है।जब गणित का विद्यार्थी दूसरे गणित के विद्यार्थी और दूसरे छात्र-छात्राओं की नकल करता है अथवा नकल करने की कोशिश करता है तो वह अपने लक्ष्य से भटक जाता है।वह विद्यार्थी कृत्रिमता तथा बनावटीपन की ओर अग्रसर होने लगता है।गणित के छात्र-छात्राएं किसी की कार्बन काॅपी बनने के लिए पैदा नहीं हुए है।उनके स्वयं का अस्तित्व है। अपने होने के,अपने अस्तित्व का,अपने स्वयं के होने का,अपनी प्रतिभा का बोध होना आवश्यक है।
  • जिस प्रकार एक गणित का विद्यार्थी है ठीक उस जैसा दुनिया में न कोई है और न कोई होगा,न कभी उस जैसा दुनिया में कभी हुआ है।गणित के विद्यार्थी की क्या कहें इस दुनिया में प्रकृति में जैसी एक चीज है ठीक वैसी की वैसी कभी नहीं होती है।
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2.विद्यार्थी दूसरे से तुलना न करें (Students Should not comparC with Others):

  • सृष्टि में हरेक व्यक्ति अद्वितीय है।प्रकृति की प्रत्येक रचना अद्वितीय है।किसी भी विद्यार्थी का कोई दूसरे जोड़ का नहीं है।हर गणित के विद्यार्थी को दूसरे से तुलना मत कीजिए तथा आंख मूंदकर उसके पीछे चलने की आवश्यकता नहीं है।हर विद्यार्थी को परमात्मा ने वीरता,बुद्धि,साहस,आंख,नाक,कान,मुँह इत्यादि क्यों दी है,यह सोचने की जरूरत है।तात्पर्य यह है कि हर विद्यार्थी को वीरता,बुद्धि इत्यादि का उपयोग करने के लिए दी है।नकल तो कोई भी कर सकता है।उसके लिए बुद्धि,विवेक इत्यादि का उपयोग करने की आवश्यकता कहां रह जाती है?
  • हर विद्यार्थी के अन्दर अनन्त संभावनाएं,अनंत क्षमताएं,अनन्त योग्यताएं छिपी हुई है।विद्यार्थी के अंदर ये सुप्त अवस्था में रहती हैं।जो विद्यार्थी इनको तराशने,निखारने व उभारने का प्रयास करता है वह एक बेहतरीन विद्यार्थी बन जाता है।जैसे हीरा प्रारंभिक अवस्था में कोयला ही रहता है परंतु कोयले की अवस्था से बाहर आने पर वह हीरा बन जाता है।इसी प्रकार हर विद्यार्थी प्रारंभ में कोयले के सदृश्य रहता है परंतु अपनी सुप्त शक्तियों को उजागर करने,खिलने पर वह हीरा बन जाता है।
    जब तक विद्यार्थी को अपनी आंतरिक शक्तियों का अहसास व उस पर पूर्ण विश्वास न हो जाए तब तक न तो वह अपनी आंतरिक क्षमताओं को जागृत कर सकता है और न ही उसका सदुपयोग करके आगे बढ़ सकता है।

3.परिवार व समाज के वरिष्ठजनों की सोच (Thinking of Senior Members of the Family and Society):

  • हमारे परिवार और समाज में इस तरह की संरचना है कि वे छात्र-छात्राओं को नकारात्मक सजेशन देते रहते हैं।विद्यार्थी की सीमा की ओर बार-बार ध्यान आकृष्ट किया जाता है।वे कहते हैं कि तुम महान नहीं बन सकते हो,तुम बड़े नहीं बन सकते हो,तुम यह नहीं कर सकते हो,तुम वो नहीं कर सकते हो,अभी तुम छोटे हो,तुम इन बातों को नहीं समझोगे,हमारे बाल धूप में यूं ही सफेद नहीं हुए हैं।इस प्रकार वे बालक-बालिका को अहसास कराते हैं,विश्वास दिलाते हैं कि वे जो कह रहे हैं वही सच है।
  • इसके बजाय वे छात्र-छात्राओं में यह विश्वास पैदा करें कि तुममें अनंत क्षमताएं हैं,तुम सृष्टि की अद्वितीय कृति हो,तुम चाहो जो कर सकते हो,तुममें भी प्रतिभा है तो इससे बालक-बालिका में आत्मविश्वास पैदा होता है,उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।माता-पिता,अभिभावकों,शिक्षकों तथा बड़े-बुजुर्गों द्वारा प्रेरित करने तथा विश्वास पैदा करने वाले वचन ही वह कीमिया है जो किसी बालक-बालिका को किसी भी क्षेत्र में शिखर पर पहुंचा सकते हैं।
  • बालक-बालिका को बचपन में सही दिशा का बोध नहीं होता है।यदि उन्हें यह बताया जाए और प्रेरणा दी जाए कि अपनी प्रतिभा का सृजनात्मक उपयोग करके आगे बढ़ें तो वे दिनोंदिन तरक्की करते जाते हैं।
  • इस पृथ्वी पर किसी व्यक्ति का जन्म निष्प्रयोजन नहीं हुआ है बल्कि किसी विशिष्ट उद्देश्य को पूरा करने के लिए हुआ है।उस प्रयोजन को स्वयं जानना,स्वयं को सक्षम और योग्य बनाना और स्वयं की योग्यता से अन्यों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में ही छात्र-छात्रा का प्रयोजन है।
  • आज तक जितने भी महान् गणितज्ञ,वैज्ञानिकों हुए हैं उन्होंने इसी रास्ते को अपनाया है।आर्यभट,ब्रह्मगुप्त,महावीराचार्य,आर्किमिडीज,कार्ल फ्रेडरिक गाउस,आइजक न्यूटन,यूक्लिड,राम, कृष्ण,महावीर,गौतम बुद्ध,अल्बर्ट आइंस्टीन इत्यादि के जीवन को देखें तो सभी में यह विशिष्ट बात देखने को मिलेगी कि उन सभी ने पहले स्वयं को योग्य बनाया है और फिर अपनी योग्यता,प्रतिभा से,उपदेशों से,साधना से,नवीन खोजों और आविष्कारों से अन्य लोगों को योग्य बनाया है तथा लाभान्वित किया है।

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4.प्रेरक कथा (Inspiring Story):

  • कक्षा 5 का एक विद्यार्थी था जो अपने आपमें संतुष्ट था।लेकिन एक दिन उसने कक्षा नौ के विद्यार्थी को देखा उसने सोचा कि यह कितना भाग्यशाली है और सवालों को तत्काल हल कर लेता है।मैं कितना अक्षम हूँ कि मुझे पहाड़े भी ठीक से नहीं आते हैं। जोड़,बाकी,गुणा,भाग में भी गलती कर देता हूं।यह विद्यार्थी सबसे अधिक खुश होगा।उसने अपने विचार कक्षा 9 के विद्यार्थी को बताए।कक्षा नौ के विद्यार्थी ने उत्तर दिया कि मुझे भी ऐसा ही लगता था कि मैं सबसे अधिक खुश विद्यार्थी हूँ।जब तक कि मैं बोर्ड परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों से नहीं मिला।अब मेरा ऐसा मानना है कि बोर्ड के विद्यार्थी सबसे अधिक खुश और संतुष्ट हैं।फिर कक्षा 5 का वह विद्यार्थी कक्षा 10 के विद्यार्थी से मिलने गया।कक्षा 10 के विद्यार्थी ने उसे समझाया कि मैं कक्षा 12 के विद्यार्थियों के साथ बैठने और उनको समझने से पहले तक खुशहाल जिंदगी जीता था। लेकिन 12वीं के विद्यार्थियों के साथ संगत करने और उनको समझने बाद पता चला कि उनके लिए जाॅब के अनेक अवसर हैं।12वीं गणित का विद्यार्थी आईआईटी,पोलोटेक्निक,इंजीनियरिंग जैसी अनेक जाॅब केन्द्रित प्रतियोगिता परीक्षाओं में भाग ले सकता है,अतः वही सबसे ज्यादा खुशहाल तथा संतुष्ट है।
  • कक्षा 5 का विद्यार्थी 12वीं गणित से करने वाले विद्यार्थी के पास गया।तब कक्षा 12वीं के विद्यार्थी ने उसे बताया कि गणित के अत्यधिक स्काॅप (Scope) के कारण ही मैंने गणित विषय लिया था परंतु आज आईआईटी तथा इंजीनियरिंग व अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है।न दिन में आराम है और न रात को शांति से सो पाता हूं।आईआईटी में चयन होने के बाद में ही समझा जा सकता है कि वास्तविक रूप में वही खुश है।कक्षा 5 का वह विद्यार्थी आईआईटी करने वाली विद्यार्थी से मिलने गया।कक्षा 5 का विद्यार्थी बोला कि तुम कितने खुशनसीब हो।आईआईटी करने के बाद तुम्हें लाखों का पैकेज मिलने लगेगा।बहुत सी कंपनियां तुम्हें रखने के लिए लालायित रहेंगी।मेरे अनुमान से तुम सबसे अधिक भाग्यशाली हो।आईआईटी कैंडिडेट ने कहा कि गणित लेने से पहले मैं भी यही सोचता था परंतु आईआईटी करते समय मुझे मालूम हुआ की हर प्रतियोगिता परीक्षा में गलाकाट प्रतिस्पर्धा है।अब मैं इस गलाकाट प्रतिस्पर्धा के चक्रव्यूह में फंस गया हूं।इसलिए अब मैं यह सोचता हूं कि कक्षा 5 का विद्यार्थी कितना स्वतंत्र,निष्फ्रिक,निष्पक्ष,अपनी मस्ती में खेलता कूदता रहता है।कोई चिंता,तनाव,प्रतिस्पर्धा नहीं।अब मैं सोचता हूं कि अगर मैं कक्षा 5 का ही विद्यार्थी होता तो अपने हाल में मस्त रहता।
    सीख सुहानी:अपनी तुलना कभी भी दूसरों से न करें।हर स्थिति में खुशहाल,संतुष्ट और शांति से रहें।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित का प्रत्येक विद्यार्थी अद्वितीय है (Each Student of Mathematics is Unique),हर गणित विद्यार्थी अपनी विशिष्टता को पहचाने (Every Mathematics Student Should Recognize his or her Uniqueness) के बारे में बताया गया है।

5.गणित का दब्बू छात्र (हास्य-व्यंग्य) (Submissive Student of Mathematics) (Humour-Satire):

  • एक दब्बू छात्र ड्रग्स का सेवन करने वाली विद्यार्थी की सलाह पर गणित शिक्षक से कड़ककर बोला:आज से जो मैं कहूँगा वही सवाल समझाओगे,वही प्रश्नावली हल कराओगे और जिस दिन मैं छुट्टी करूंगा उस दिन तुम्हें कुछ नहीं करना है।आज मुझे शादी के कार्यक्रम में शामिल होना है,क्या तुम बता सकते हो कि मुझे मैरिज गार्डन तक कौन छोड़कर आएगा?
    गणित शिक्षक:हाँ,बता सकता हूं परंतु पहले तुम टेबल के नीचे से बाहर निकलकर तो आओ।

6.गणित का प्रत्येक विद्यार्थी अद्वितीय है (Each Student of Mathematics is Unique),हर गणित विद्यार्थी अपनी विशिष्टता को पहचाने (Every Mathematics Student Should Recognize his or her Uniqueness) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.छात्र-छात्राएं एवं माता-पिता निराश क्यों हो जाते हैं? (Why do Students and Parents Get Frustrated?):

उत्तर:वर्तमान युग में हर क्षेत्र में ज्ञान का विस्फोट हो रहा है।हर परीक्षा में कठिन प्रतियोगिता से गुजरना पड़ता है।ज्ञान की मात्रा व ज्ञान प्राप्ति के स्रोतों में लगातार वृद्धि हो रही है।ऐसी स्थिति में माता-पिता,अभिभावक की अपने बच्चों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की अपेक्षा बढ़ जाती है।बच्चों पर पड़ रहे इस दोहरे दबाव का असर आत्मविश्वास पर पड़ता है।उनकी एकाग्रता भंग होती है और तनाव बढ़ता है।अंतत परीक्षा में इच्छित परिणाम प्राप्त न होने से छात्र-छात्राएं तथा माता-पिता दोनों ही निराश हो जाते हैं।

प्रश्न:2.बुद्धिमता का परीक्षण कैसे किया जाता है? (How Intelligence is Tested?):

उत्तर:किसी भी विद्यार्थी की बुद्धिमता का परीक्षण आई क्यू और स्मरणशक्ति के आधार पर किया जाता है।आई क्यू का सम्बन्ध बालक-बालिका की मानसिक आयु से होता है।मनोविज्ञान में इसे मापने हेतु कुछ चीजों को समझने तथा उसका विश्लेषण करने के आधार पर किया जाता है।स्मरणशक्ति एक जटिल प्रक्रिया है।इसमें समय-समय पर परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तन होता रहता है। किसी भी बुद्धिमान छात्र-छात्रा में इन दोनों का होना आवश्यक है।

प्रश्न:3.सच्ची गुरु दक्षिणा क्या है? (What is True Guru Dakshina?):

उत्तर:गुरु द्वारा प्रदान किए गए ज्ञान का प्रसार करना,अशिक्षितों को शिक्षित करने हेतु प्रेरित करना।अपने संपर्क में आने वाले लोगों में व्याप्त अज्ञान को दूर करने का प्रयास करना तथा स्वयं भी ज्ञान प्राप्ति की ओर अग्रसर होते रहना,ज्ञान प्राप्त करते रहना तथा अपने माता-पिता,शिक्षक,परिवार,समाज,देश का यश फैलाने में योगदान देना ही सच्ची गुरु दक्षिणा हो सकती है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित का प्रत्येक विद्यार्थी अद्वितीय है (Each Student of Mathematics is Unique),हर गणित विद्यार्थी अपनी विशिष्टता को पहचाने (Every Mathematics Student Should Recognize his or her Uniqueness) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Each Student of Mathematics is Unique

गणित का प्रत्येक विद्यार्थी अद्वितीय है
(Each Student of Mathematics is Unique)

Each Student of Mathematics is Unique

गणित का प्रत्येक विद्यार्थी अद्वितीय है (Each Student of Mathematics is Unique)।
वैसे तो प्रकृति का हर जीव अद्वितीय है।जब गणित का विद्यार्थी
दूसरे गणित के विद्यार्थी और दूसरे छात्र-छात्राओं की नकल करता है अथवा नकल करने की
कोशिश करता है तो वह अपने लक्ष्य से भटक जाता है।

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