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How Do Students Get Rid of Loneliness?

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1.छात्र-छात्राएं एकाकीपन से छुटकारा कैसे पाएं? (How Do Students Get Rid of Loneliness?),गणित के छात्र-छात्राएं एकाकीपन से छुटकारा कैसे पाएं? (How Mathematics Students Can Get Rid of Loneliness?):

  • छात्र-छात्राएं एकाकीपन से छुटकारा कैसे पाएं? (How Do Students Get Rid of Loneliness?) इसमें एकाकीपन से तात्पर्य है छात्र-छात्राओं का अकेला होने का भाव,सबसे अलग-थलग पड़ जाना,विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों में व्यक्ति संबंधों रहित होने का बोध।कई छात्र-छात्राएं तथा व्यक्तियों को अकेलापन का सामना करना पड़ता है।अकेलापन हमारे जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करता है इसे वही जान सकता है जो अकेलापन का सामना करता है।अकेलापन हमारे व्यक्तित्त्व पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।अकेलापन छात्र-छात्राओं को बेकार बना देता है।अकेलापन छात्र-छात्राओं को ही नहीं बल्कि किसी उम्र,अच्छे-खासे व्यवसाय तथा आर्थिक रूप से संपन्न व्यक्ति को भी प्रभावित कर सकता है।अकेलेपन के कारण को जानकर उसका उपाय करने पर दूर किया जा सकता है।अकेलापन लाइलाज बीमारी नहीं है।
  • हालांकि आधुनिक समाज में पर्व,त्यौहार,समारोह,सत्संग तथा विभिन्न कार्यक्रम होते रहते हैं अतः अकेले रहना आसान काम नहीं है।आधुनिक युग में मिलजुलकर काम करने तथा टीमवर्क पर ध्यान दिया जाता है।आप किसी न किसी रूप में समाज से,समाज के व्यक्तियों से तथा अन्य लोगों से जुड़े रहते हैं क्योंकि आप दूसरों के साथ मिलकर काम करते हैं।छात्र-छात्राएं कक्षा में मिलकर बैठते हैं और साथ-साथ पढ़ते हैं,आपस में बातचीत,वाद-विवाद,तर्क-वितर्क करते रहते हैं।अध्ययन से फुर्सत मिलती है तो फुटबॉल,टेनिस अथवा तैराकी,नृत्य,भजन,गीत इत्यादि का अभ्यास करते हैं।
  • क्रिकेट मैच होता है तो स्टेडियम में सबके साथ मिलकर मैच देखते हैं अथवा टीवी पर देखते हैं।किसी धार्मिक सत्संग में शामिल होते हैं तो सबके साथ मिलकर भजन गाते हैं और आनंदित हो जाते हैं।किसी डांस कार्यक्रम में डांस करते हुए देखते हैं।किसी क्लब के सदस्य हैं तो उसकी क्रियाविधि में भाग लेते हैं।
  • इन सबको पढ़कर ऐसा लगता है कि जैसे एकाकीपन किसी के जीवन में आता ही नहीं होगा परंतु यह सच्चाई का एक पहलू है।एकाकीपन तब आता है जब आप किसी भी कार्यक्रम में दिल से,मन से नहीं जुड़ते हैं।कई छात्र-छात्राएं बाहरी रूप से तो लोगों से जुड़े हुए महसूस होते हैं परंतु आंतरिक रूप से अपने आपको एकाकी महसूस करते हैं।
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2.एकाकीपन के कारण (Causes of Loneliness):

  • यदि आप ऐसे छात्र-छात्राओं,व्यक्तियों के साथ रहते हैं या उनसे जुड़े हुए हैं या उनके साथ मिलकर किसी कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं जिन्हें साथ पसंद नहीं करते हैं तो आप उनके साथ रहकर प्रसन्न नहीं रह सकते हैं भले ही कोई कार्यक्रम कितना ही भव्य हो।
  • यदि आप नकारात्मक व्यक्ति हैं,हर काम में मीन-मेख निकालने की प्रवृत्ति रखते हैं,हर व्यक्ति में दोष-दुर्गुण दिखाई देते हैं तो आप एकाकीपन महसूस करेंगे।नकारात्मकता हमें असलियत से दूर ले जाती है,जीवन को नीरस बना देती है।
  • यदि आप अपने स्वास्थ्य के बारे में दिन-रात सोचते रहते हैं,आपको कोई रोग नहीं है फिर भी रोगी होने का वहम है।सबको अपनी बीमारी का बखान करने लगते हैं तो लोग आपसे कटते चले जाते हैं और आप अलग-थलग पड़ जाते हैं।आप उदास रहने लगते हैं जिससे आपका व्यक्तित्त्व आकर्षक नहीं रहता है जिससे लोग आपसे दूर रहने लगते हैं।
  • यदि आपके परीक्षा में कम प्राप्तांक आते हैं,परीक्षा में असफल होते हैं और इसके लिए प्रश्न-पत्र,परीक्षक,अध्यापक इत्यादि को जिम्मेदार ठहराते हैं जबकि असलियत यह है कि आपने परीक्षा के लिए कठिन परिश्रम नहीं किया है,अध्ययन नहीं किया है।
  • बार-बार आप छात्र-छात्राओं के सामने अपनी असफलता का रोना रोते हैं तो वे आपसे कन्नी काटने लगते हैं,वे आपसे मिलना-जुलना पसंद नहीं करते हैं।
  • यदि आप बेहद करीबी जिसे आप बहुत चाहते हैं,उससे प्रेम करते हैं,उसके बिना नहीं रह सकते हैं और अचानक किसी कारणवश उसकी मौत हो जाती है तो आपको जीने की जिजीविषा नहीं रहती है,आपकी जीवन शक्ति खत्म हो जाती है।
  • कष्ट,विपत्तियों और समस्याओं को सहते-सहते आप बहुत परेशान हो जाते हो और जीवन से भाग खड़े होते हो या जीवन से भाग खड़े होने की इच्छा रखते हो।शोक में डूब जाना और जिंदगी में पीछे छूट जाना किसी भी समस्या का हल नहीं है।अपने साथ अपने शुभचिंतकों,मित्रों को भी दुःख और शोक में डूबोने का कोई तुक नहीं है।
  • बीमारी के कारण व्यक्तित्त्व में बदलाव आ जाता है।यह दुनिया स्वस्थ लोगों की है।जो लोग बीमारी के कारण हाशिए पर डाल दिए जाते हैं उन्हें लगता है कि वे जिंदगी से हटा दिए गए हैं।बीमारी के कारण अलग कर दिया जाना मन को बहुत दुःख देने वाला हो सकता है।यदि यह बीमारी स्थाई रूप से शरीर में जड़ जमा लेती है तो भावनात्मक समस्या ओर अधिक गंभीर हो जाती है।
  • छात्र-छात्राएं विदेश पढ़ने जाते हैं या कई विदेश में अथवा अन्यत्र घूमने-फिरने जाते हैं तो थोड़ा-बहुत अकेलापन महसूस होता है।यह अकेलापन पीछे छूट गए मित्रों या परिवार के कारण होता है।नई जगह पर हम अपने आसपास परायापन महसूस करते हैं।अपनापन महसूस कराने वाले लोग नहीं मिल पाते हैं।
  • जॉब करने के लिए नई जगह जाते हैं अथवा नए शहर में बसने जाते हैं तब भी अकेलापन महसूस होता है।नई जगह पर जॉब करने या बसने पर अकेलेपन का मूल कारण होता है कि आप लोगों से परिचित नहीं है जबकि बाकी लोग आपस में घनिष्ठ रूप से जानते हैं।एक-दूसरे के नाम से परिचित होते हैं और घुले-मिले रहते हैं।आप खुद को अलग-थलग पाते हैं क्योंकि आप नए हैं।
  • बालक-बालिकाएं माता-पिता की उदासीनता या लापरवाही के कारण भी एकाकी महसूस करते हैं।उन्हें माता पिता की आत्मीयता,अपनापन नहीं मिल पाता है।ऐसी स्थिति में बच्चे अपने जीवन,अपने परिवार और खासकर खुद के बारे में,भविष्य निर्माण के बारे में चिंता करते हैं।
  • घर में बड़े व्यक्ति अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं।उनके बच्चे बड़े हो जाते हैं और अपनी पत्नी-बच्चों में उलझ जाते हैं।कभी-कभी अवकाश या काम-धंधे से मुक्त होने के कारण भी बड़े अकेलेपन के शिकार हो जाते हैं।बड़ों में से पत्नी अकेली रह जाए या पति अकेला रह जाए तो वे अकेले-अकेले बोरियत महसूस करते हैं।
  • हर काम की शिकायत करते रहना,रोना-झींकना,किसी काम में दिलचस्पी न लेना,अध्ययन में रुचि न होना,जीवन की कठोर सच्चाइयों का सामना न करना इत्यादि कारणों से भी एकाकीपन पैदा हो जाता है।अपने मित्रों,परिचितों से मेलजोल न रखना।
  • शादी,पार्टियों,जन्मदिन इत्यादि में बिल्कुल भी रुचि न रखना।अपनी हाॅबी को विकसित न करना,हाॅबी के कार्य को रुचिपूर्वक न करना।ख्याली पुलाव पकाना,कल्पना लोक में विचरण करना।किसी से मित्रता न रखना,हमेशा अकेले-अकेले रहने का प्रयास करना,अकेलेपन को दूर करने का प्रयास न करना इत्यादि कारणों से एकाकीपन महसूस होता है।

3.एकाकीपन को दूर करने के उपाय (Ways to Overcome Loneliness):

  • यदि आप किसी को किसी कारण से पसंद नहीं करते हैं तो अपने आपको पसंद करें,अपने कार्य को प्यार करें।अध्ययन पूरी मस्ती व आनंद के साथ करें।कोई हाॅबी पालें जो आपको बहुत खुश रख सकती है।अपने साथ मित्रवत व्यवहार करें।अपने आसपास के माहौल को खुशनुमा और सुविधाजनक बनाएं।खुद को समय देने में कंजूसी न करें।धीरे-धीरे जब अपने आपको पसंद करेंगे तो दूसरे लोगों को भी पसंद करने लगेंगे।उनमें अच्छाइयां दिखाई देने लगेगी।
  • अपनी समस्याओं,संकटों व विपत्तियों को सकारात्मक ढंग से देखें।जो कार्य करने से आपकी समस्याएं,बाधाएं हल होती है उन्हें हल करने में बिल्कुल भी न हिचकें।अकेलेपन की सकारात्मक जवाबदेही ही यह कर सकती है।
  • रोग का वहम न पालें बल्कि हकीकत जानने की कोशिश करें।यदि रोग का वहम इसलिए पाल रखा है कि जिससे दोस्त की कमी नहीं अखरेगी तो आप गलत है।रोग का वहम आपके दोस्तों की जगह नहीं ले सकता है।
  • यदि आपके प्रेमी या निकटतम की मृत्यु हो गई है तो उससे मन को लगी ठेस समय के साथ-साथ कम होने लगती है।समय बड़े-बड़े घावों और जख्मों को भर देता है।समय के साथ लोग खुद-ब-खुद उससे उबरने लगते हैं।अपने प्रेमी व निकटतम के बिना वे जिंदगी को जीना सीख जाते हैं।दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जिन्हें आपकी जरूरत है।जिंदगी में अभी भी आपके लिए करने को बहुत कुछ है।रोना-धोना व दुःखी होना बंद करके अपने काम में लग जाओ।बीच-बीच में अपनों की याद आएगी लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।मृत्यु अटल सत्य हैं वह चाहे अपनो की हो या परायों की,इसे सहज रूप में स्वीकार करें।अपने कार्य में व्यस्त रहकर इस अकेलेपन को दूर कर सकते हैं।
  • अपनी सोच का दायरा अपने तक ही सीमित न रखें।अपने परिवार व दोस्तों में ही उलझे न रहे और न ही सिर्फ हासिल करने की चिंता में उलझे रहें।ऐसा करना पूरी दुनिया को सिर्फ आप तक ही सीमित कर देता है।जबकि दुनिया ऐसी नहीं है,वह अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रही है।आपका दोस्त और परिवार अपनी-अपनी जिंदगी जीते हैं।उन्हें जीनी भी चाहिए।आपको भी अपनी बीमारी के बावजूद अपनी जिंदगी जीनी चाहिए।
  • यह सच है कि आपकी बीमारी और मजबूरियाँ आपके जीवन,आपकी गतिविधियों और योजनाओं को सीमित कर देती है लेकिन आप लगातार यातना सहने और खुद पर दया करने को भी बर्दाश्त नहीं कर सकते।बीमार होते हुए भी आप दूसरों की सहायता कर सकते हो।इससे आप अपने दर्द और अकेलेपन को उतना महसूस नहीं करोगे।
  • यदि आप शारीरिक अक्षमता के कारण बाहर नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही कोई छोटा-मोटा काम शुरू कर सकते हैं।यदि आप पढ़े-लिखे हैं तो घर बैठे ऑनलाइन जॉब कर सकते हैं और अपने अकेलेपन से निजात पा सकते हैं।इन कामों से आप केवल धन नहीं कमाते हो बल्कि आप संसार का हिस्सा बन जाते हो।
  • जब आप या आपका परिवार नए स्थान पर जाने की तैयारियों में लगा हो तो यह जरूरी है कि उसका हर सदस्य यह समझ ले कि यहां से जाने का कारण क्या है और उसके लिए वह मानसिक रूप से तैयार हो।जैसे बच्चों को यह समझना मुश्किल होता है कि उन्हें घर,स्कूल और मित्रों को क्यों छोड़ना पड़ रहा है? यदि यह समझा दिया जाए तो उन्हें चिन्ता से मुक्त होने में मदद मिलेगी।
  • नई जगह पर जल्दी से जल्दी उस नए समुदाय के सदस्य बनने की कोशिश करें।अपनी पसन्द के धार्मिक,सामुदायिक,खेल या अन्य कार्यक्रमों में जाना शुरू करें।किसी क्लब के सदस्य बन सकते हैं तो बनें।यदि नई जगह पर रोटरी या लायंस क्लब है या आपके मोहल्ले में रहनेवालों की कोई रेजिडेंट्स एसोसिएशन है तो उसकी सभाओं या बैठकों में जाया करें।
  • नए जाॅब के कारण अकेलापन महसूस कर रहे हैं तो अपने आप पर विश्वास रखें क्योंकि नियोक्ता को आपकी योग्यता के बारे में संदेह होता तो आपको इस नए पद पर नियुक्त ही क्यों करता।जॉब में कोई समस्या है तो उसके बारे में पूछने से न घबराएं।अपने जाॅब के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने का प्रयास जारी रखें।
  • बच्चों के अकेलेपन को दूर करने हेतु माता-पिता को बच्चों से बातचीत करनी चाहिए तथा बच्चों की बात भी सुननी चाहिए।यदि उनकी किसी कार्य में हाॅबी है तो उसको विकसित करने में सहयोग दें और प्रोत्साहित करें।उनकी अच्छे दोस्त बनाने में मदद करें।उनको किसी क्लब का सदस्य बनने में सहायता करें।बच्चों के स्कूल में दिलचस्पी दिखाएं।उन विशेष कार्यक्रमों में जरूर जाएं जिनमें वह भाग ले रहा है।आपके बच्चों को यह महसूस होना चाहिए कि आपको उनकी जरूरत है।घर की साधारण बातों (समस्याओं) की चर्चा बच्चों के सामने करें,उनसे दुराव-छिपाव न रखें।
  • बड़े अकेलेपन का शिकार हो रहे हों तो परिवार के अलावा किसी सामुदायिक कार्य में दिलचस्पी रखें।किसी ऐसे सामाजिक या चैरिटेबल कार्य में हिस्सा लें जिसमें आप व्यस्त हो जाएं।अपनी दिलचस्पियों का विस्तार करें ताकि आप अकेलेपन से बचने के लिए किसी एक पर पूरी तरह निर्भर न रहें।
  • कई स्थानों पर वरिष्ठ एवं अनुभवी नागरिकों की पहल का स्वागत किया जाता है।कुछ क्लीनिकों में कागजी काम करने,चिकित्सकों की सहायता या रोगियों के साथ काम करने के लिए स्वयंसेवकों की जरूरत होती है।बच्चों की देखभाल के केंद्रों,रिटायर्ड लोगों की संस्थाओं,मानसिक रूप से अपाहिज लोगों के लिए अस्पतालों और बूढ़ों के आश्रमों में मदद की जरूरत होती है।
  • यदि आपका पड़ौसी मिलने आए तो अपने जीवन के बारे में शिकायत करने में ही समय न निकाल दें बल्कि उससे कुछ अच्छी बातें करें,उसकी प्रशंसा में कुछ कहें।रोना-झींकने के बजाय आप किसी काम में निपुण हैं।जैसे पढ़ाने में निपुण हैं तो रोना-झींकने के बजाय बच्चों को पढ़ाइए,बच्चों को पढ़ने की युक्तियां बताइए।

4.एकाकीपन से छुटकारा पाने की मुख्य बातें (Key Points to Get Rid of Loneliness):

  • (1.)एकाकीपन से छुटकारा पाने के लिए गलत तरीके न अपनाएं जैसे शराब पीना,ड्रग्स का सेवन करना,अधिक भोजन करना,बीमार होने का वहम रखना,बचकाना या असामाजिक व्यवहार करना इत्यादि।
  • (2.)ड्रग्स का सेवन हमारी आबादी के किसी एक वर्ग तक सीमित नहीं रह गया है।खासकर युवा लोग पैशन (Passion) के साथ नशीली दवाओं का सहारा ले रहे हैं।
  • (3.)ड्रग्स लेने वाले युवावर्ग ही नहीं है।अब इसके शिकार सभी आयुवर्ग के लोग हो रहे हैं।यह सभ्यता नशीले पदार्थों का सेवन करने वाली बन गई है लेकिन ड्रग्स जीवन की समस्याओं या अकेलेपन का समाधान नहीं है।
  • (4.)अकेलापन नशीले पदार्थों के सेवन का एक बहाना है।इससे वह दूर तो नहीं होता है बल्कि नशे के कारण ओर बढ़ जाता है।
  • (5.)कल्पना करें कि आप चोरी,लूटपाट,अपराध करके धन कमाना चाहते हैं।दूसरा विकल्प यह है कि आप प्रतियोगिता परीक्षाओं में अव्वल आकर पुरस्कार स्वरूप धन प्राप्त करते हैं,जॉब में कड़ी मेहनत करके रुपया प्राप्त करते हैं,किसी ईनामी प्रतियोगिता को जीतकर ईनाम प्राप्त करते हैं।पहले तरीके में आपको डर लगता है,आपके शरीर में भय व्याप्त हो जाता है,आपको झटका लगता है।दूसरे तरीके में आप रुपया,दोस्त,सफलता,प्रशंसा इत्यादि प्राप्त करते हैं जो आपको खुशी देती है।पहला गलत तरीका है और दूसरा सही तरीका है।गलत फैसलों से बचें और सही फैसले लेकर जीवन को सुखी बनाएं।

5.एकाकीपन से छुटकारे का दृष्टान्त (An Example of Getting Rid of Loneliness):

  • एक युवक था।गाँव में अपने पिता के साथ रहता था।पिता गणित अध्यापक थे।वे बच्चों को ट्यूशन कराकर जीवनयापन करते थे।पुत्र पिता को पढ़ाते हुए देखता था,पिता से प्यार भी था परंतु उस विद्या को सीख न सका।तब एक दिन उसके पिता का देहांत हो गया।माता का देहान्त पहले ही हो चुका था।अब वह युवक अकेला ही रह गया।दूसरा कोई निकट संबंधी भी नहीं था।
  • संसार उसके लिए सूना हो गया।दुखी होकर उसने सोचा कि वह भी गणित अध्यापन का कार्य करेगा।वह एक गणित अध्यापक के पास गया और उनसे गणित पढ़ाने का आग्रह किया।गणित अध्यापक ने कहा कि बहुत अच्छी बात है परंतु गणित की शिक्षा अर्जित करना और गणित पढ़ना कठिन कार्य है,सरलता से होगी नहीं,इसके लिए परिश्रम करना होगा।युवक बोला मैं कठिन परिश्रम अवश्य करूंगा।
  • गणित अध्यापक उस युवक को अन्य शिष्यों के साथ पढ़ाने लगे।धीरे-धीरे उसमें प्रतिभा निखरने लगी।उसमें यह इच्छा बलवती होने लगी कि वह अपनी प्रतिभा का स्वतंत्र रूप से प्रदर्शन करें।एकाकी तो प्रखर प्रतिभा को भी जंग लगा देती है।वह युवक साथी-सहयोगियों से अलग अपना प्रभाव दिखाने का प्रयास करने लगा।गणित अध्यापक ने सोचा कि एकाकीपन की यह प्रवृत्ति इसे ले डूबेगी।समय रहते समझाना होगा।
  • एक दिन गणित अध्यापक ने छात्रों से कहा कि तुममें से किसी मेधावी छात्र को अलग कर दिया जाए तो क्या उसकी प्रतिभा निखर सकती है।उस युवक के अलावा सभी ने कहा कि नहीं।इस पर गणित अध्यापक बोलें क्यों? तब छात्र-छात्राओं ने कहा कि हम कठिन सवालों को एक-दूसरे से पूछते हैं तब दूसरे तथा मेधावी छात्र-छात्राएं उसको हल करने का प्रयास करते हैं इससे उनकी प्रतिभा निखरती है।यदि मेधावी छात्र को कक्षा से अलग कर दिया जाएगा,एकाकी रहने पर उसकी प्रतिभा मुरझा जाएगी।
  • गणित अध्यापक ने कहा कि तुमने सही कहा।प्रतिभाएं संयुक्त रूप से तपती है,निखरती है।व्यक्तिगत प्रतिभा का अहंकार न टिकता है,न फलित होता है।समूह के सहकार-सहयोग में प्रतिभा निखरती,उभरती है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएं एकाकीपन से छुटकारा कैसे पाएं? (How Do Students Get Rid of Loneliness?),गणित के छात्र-छात्राएं एकाकीपन से छुटकारा कैसे पाएं? (How Mathematics Students Can Get Rid of Loneliness?) के बारे में बताया गया है।

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6.थकान में योगनिद्रा का महत्त्व (हास्य-व्यंग्य) (Importance of Yoga Nidra in Fatigue) (Humour-Satire):

  • विद्यालय के निरीक्षण के लिए स्कूल इंस्पेक्टर आए।प्राचार्य उन्हें एक कक्षा में ले गए।गणित शिक्षक कुर्सी पर सो रहे थे।
  • इंस्पेक्टरःआप कक्षा में सो क्यों रहे थे,क्या इसीलिए आपको वेतन मिलता है।
  • गणित शिक्षक:महोदय,मैं बच्चों को गणित पढ़ते-पढ़ते मानसिक थकान हो जाए तो उस थकान को योगनिद्रा के द्वारा कैसे दूर किया जाए,यह समझाने का प्रयास कर रहा था।
  • इंस्पेक्टर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा:इस विद्यालय में गणित की विषय वस्तु की व्यावहारिकता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

7.छात्र-छात्राएं एकाकीपन से छुटकारा कैसे पाएं? (Frequently Asked Questions Related to How Do Students Get Rid of Loneliness?),गणित के छात्र-छात्राएं एकाकीपन से छुटकारा कैसे पाएं? (How Mathematics Students Can Get Rid of Loneliness?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.नई नौकरी में एकाकीपन को कैसे दूर करें? (How to Overcome Loneliness in a New Job?):

उत्तर:जाॅब के नए स्थान पर दूसरों के साथ मित्रतापूर्ण व्यवहार करें।खुद को उनके सामने इस तरह पेश करें कि लोग आसानी से आपके साथ मेलजोल बढ़ाएं।जिनके साथ आप काम करते हैं उनके नाम और उनके बारे में कुछ तथ्य याद करने की कोशिश करें।उनके साथ बातचीत में रुचि प्रकट करें।अपने सहकर्मियों से स्थानीय रीति-रिवाजों,मनोरंजन के स्थानों और वहां की खासियत के बारे में चर्चा करें और जानने की कोशिश करें।अपनी कंपनी या संस्था में कर्मचारियों के लिए होने वाले मनोरंजन कार्यक्रम में शामिल हों।यदि आपकी संस्था ने कोई नागरिक जिम्मेदारी ली है जैसे चैरिटेबल कार्य,तो उसमें भाग लें।

प्रश्न:2.एकान्त और एकाकी में क्या अंतर है? (What is the Difference Between Secluded and Solitude?):

उत्तर:एकान्त अपनी प्रतिभा को तराशने के लिए स्वेच्छा से चुनाव किया जाता है जबकि एकाकी अलग-थलग पड़ना है।एकांत में व्यक्ति अपनी शक्तियों का जागरण करने तथा आध्यात्मिक साधना के लिए किया जाता है।एकाकी नकारात्मक भाव है जिसमें व्यक्ति अकेला रहना नहीं चाहता और एकाकी रहने पर उसकी शक्तियाँ नष्ट हो जाती है।दोनों में समानता यह है कि दोनों में अकेला रहता है परंतु भाव व उद्देश्य को लेकर दोनों में भिन्नता है।

प्रश्न:3.एकाकीपन से छुटकारे का सबसे बढ़िया उपाय क्या है? (What is the Best Way to Get Rid of Loneliness?):

उत्तर:अपने कर्म को एकाग्रता और निष्काम भाव से करने पर एकाकीपन से छुटकारा पाया जा सकता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएं एकाकीपन से छुटकारा कैसे पाएं? (How Do Students Get Rid of Loneliness?),गणित के छात्र-छात्राएं एकाकीपन से छुटकारा कैसे पाएं? (How Mathematics Students Can Get Rid of Loneliness?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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