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3 Tips to Wake Up Early in The Morning

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1.प्रात:काल जल्दी जागने की 3 टिप्स (3 Tips to Wake Up Early in The Morning),प्रातःकाल जल्दी उठने की 3 टिप्स (3 Tips to Get Up Early in The Morning):

  • प्रात:काल जल्दी जागने की 3 टिप्स (3 Tips to Wake Up Early in The Morning) विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है।जो युवक-युवतियां,छात्र-छात्राएं ब्राह्ममुहूर्त (प्रातःकाल) में उठने का पालन करेंगे वे केवल जल्दी उठने से ही मेधावी,सदाचारी,चरित्रवान,संयमी,जितेंद्रिय नहीं हो जाएंगे बल्कि जब तक सुबह जल्दी उठकर क्रियाशील,स्वाध्यायी नहीं होंगे तथा प्रातःकालीन दिनचर्या का पालन नहीं करेंगे तब तक उपर्युक्त गुणों को धारण करना संभव नहीं है।प्रातःकाल अखबार वाले,दूध वाले और मंदिर में पूजा करने वाले पुजारी इत्यादि रोजाना प्रातःकाल जल्दी उठते हैं परंतु उनके जीवन में कोई सकारात्मक परिवर्तन देखने को नहीं मिलता है।परंतु फिर भी उपर्युक्त व्यक्तियों की दिनचर्या उनसे तो श्रेष्ठ है जो प्रातःकाल देर तक सोए पड़े रहते हैं।वस्तुतः आजकल के छात्र-छात्राएं मनुस्मृति तथा अन्य धर्मग्रंथों को आज के युग के अनुकूल नहीं मानते हैं।वे इन धर्मग्रंथों को आउट-ऑफ-डेट (पुरानी) मानते हैं।
  • आजकल के छात्र-छात्राएं सुबह देर से उठना,सुबह खूब धूप निकल जाए तब उठना ही उचित मानते हैं।सोकर उठने के बाद शौच आदि से निवृत्त होने की बजाय चाय-कॉफी,बीड़ी,सिगरेट इत्यादि का सेवन करते हैं।ऐसे छात्र-छात्राओं में दूसरों के साथ छल-कपट,ईर्ष्या-द्वेष,काम,क्रोध,लोभ,तृष्णा और कुटिलता जैसे दुर्गुण पाए जाते हैं।
  • जो विद्यार्थी आलस्य और प्रमादवश दिन की शुरुआत ही देर से करते हैं वे जीवन के हर क्षेत्र में पिछड़ जाते हैं।जो विद्यार्थी जीवन के प्रारंभ में ही पिछड़ गया वह भविष्य में आगे क्या बढ़ेगा?
  • प्रातःकाल जल्दी उठकर अपने कार्य का आरंभ करने से जीवन में उत्थान,प्रगति और विकास करने का सुअवसर प्राप्त होता है,जीवन में कुछ बड़ा कार्य कर दिखाने और योग्य बनने का संदेश छिपा हुआ है।शारीरिक स्वास्थ्य,मन,बुद्धि और आत्मा को विकसित करने की दृष्टि से ब्राह्ममुहूर्त में उठना श्रेष्ठ है।
  • प्रकृति के समस्त पशु,पक्षी और जीव जंतु प्राकृतिक जीवन व्यतीत करते हैं,प्रातःकाल उठ जाते हैं और निरोग रहते हैं तथा उनके पास कोई बीमारी नहीं फटकती है।
  • हमारे सभी धर्म ग्रंथों में उल्लेख है तथा प्राचीनकाल में गुरु,बुजुर्ग,साधु,महात्मा कहा करते थे कि प्रातःकाल जल्दी उठो।आधुनिक काल में भी महान् गणितज्ञ,वैज्ञानिक और महापुरुष प्रातःकाल जल्दी उठते हैं और अपनी दिनचर्या सुबह से ही प्रारंभ कर देते हैं।ऐसा कहा जाता है कि प्रातःकाल अमृतवेला होती है,शांत वातावरण रहता है इसलिए देवता भी पृथ्वी पर इस समय भ्रमण करते हैं।ऐसे समय में छात्र-छात्राएं एकाग्रचित्त होकर पढ़ेंगे तो वह पाठ याद हो जाएगा।दरअसल ऐसे वातावरण में मन को एकाग्र करने के लिए आपको विशेष प्रयास करने की जरूरत ही नहीं है।दिन भर शोर-शराबा रहता है इसलिए मन की एकाग्रता भंग होती रहती है।दिन में कोई भी पाठ पढ़ते हैं अथवा गणित के सवालों को हल करते हैं तो न तो ठीक से पाठ याद होता है और न गणित के सवालों को हल कर पाते हैं।
  • ब्राह्ममुहूर्त में काम भी शीघ्रता से होता है क्योंकि उस समय मन एकाग्र रहता है जबकि दिन में मन की एकाग्रता भंग होने के कारण हमें किसी भी कार्य को करने के लिए विशेष प्रयत्न करके अपनी उर्जा को एकत्र करना पड़ता है तब भी बड़ी मुश्किल से काम पूरा कर पाते हैं।इसके अलावा दिन में ब्राह्ममुहूर्त के बजाय दुगना-तिगुना समय लगता है।
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2.ब्राह्ममुहूर्त में उठने की महत्ता और लाभ (Importance and Benefits of Getting Up Early in the Morning):

  • (1.)रात को ठीक समय पर सोने और सवेरे ठीक समय पर उठने पर ही मनुष्य के जीवन की सारी सफलता है।संसार में जितने भी महापुरुष,ऋषि-मुनि,पंडित,धनवान,धर्मात्मा और देशभक्त हुए हैं अथवा इस समय मौजूद हैं,वे सब प्रातःकाल उठते रहे हैं और उठते हैं तथा ऐसा ही उनका उपदेश है।
  • (2.)ब्राह्ममुहूर्त चार-साढ़े बजे का समय होता है जबकि पूर्व की ओर क्षितिज में सूर्य की थोड़ी-थोड़ी लाल आभा दिखाई देती है और दो-चार नक्षत्र भी आकाश में दिखाई देते रहते हैं।यही उठने का ठीक समय है।इसको अमृत वेला भी कहते हैं।जो मनुष्य अपने जीवन में इस वेला को साध लेता है उसके अमर होने में कोई संदेह नहीं।अर्थात् अपने जीवन में सत्कार्यों को करके संसार में अमर हो जाता है।
  • (3.)निद्रा का विश्राम लेकर जब प्रातःकाल ब्राह्ममुहूर्त में उठता है,तब उसकी सभी इंद्रियां और बुद्धि स्वच्छ और ताजी हो जाती है।उस समय वह जो कार्य आरंभ करता है,दिन भर में उसमें सफलता ही मिलती है।और प्रातःकाल उठने वाले मनुष्य को समय भी खूब मिलता है।जो लोग सूर्य उदय होने तक सोते रहते हैं,उनकी बुद्धि और इंद्रियां मंद पड़ जाती है,शरीर में आलस्य भर जाता है,उनका चेहरा फीका पड़ जाता है।तेज जाता रहता है और चेहरे पर मुर्दनी सी छाई रहती है।दिन भर में जो कुछ काम वे करते हैं उसमें उनको कोई उत्साह नहीं रहता है और न किसी कार्य में सफलता मिलती है।अतएव सुबह देर से उठने वाला मनुष्य सदैव दरिद्री रहता है।
  • नीति में कहा है कि जिनके शरीर और वस्त्र मैले रहते हैं,दातों पर मैल जमा रहता है,बहुत अधिक भोजन कर लेते हैं और सदैव कठोर वचन बोलते रहते हैं तथा जो सूर्य के उदय और अस्त होने के समय सोते हैं वे महा दरिद्री होते हैं।यहां तक कि चाहे चक्रपाणि (विष्णु) अर्थात् बड़े भारी सौभाग्यशाली लक्ष्मीधर विष्णु ही क्यों न हो परंतु उनको भी लक्ष्मी छोड़ जाती है।इसलिए सूर्योदय तक सोते रहना बहुत हानिकारक है।
  • (4.)सुबह जल्दी उठने पर शरीर तथा मन तरोताजा रहता है इसलिए अध्ययन किया हुआ ठीक से याद रहता है।गणित की कोई जटिल समस्या हो तो उसे प्रातःकाल हल करने पर आसानी से हल कर सकते हैं।
  • (5.)प्रातःकाल ध्यान और योग करने पर मन की एकाग्रता आसानी से सधने लगती है।अतः प्रातःकाल नित्यकर्मों से निवृत्त होकर मन को एकाग्र करने के लिए भ्रूमध्य (आज्ञाचक्र) में ॐ का अथवा प्रकाश स्वरूप परमात्मा का ध्यान करना चाहिए।
  • (6.)प्रातःकाल जल्दी उठने से शरीर में चुस्ती,फुर्ती रहती है तथा मन प्रफुल्ल रहता है।शरीर की ऊर्जा एकाग्र रहती है इसलिए कोई भी कार्य सहजता से तथा तत्काल निपटाया जा सकता है।
  • (7.)प्रातःकाल जल्दी उठकर शौच जाने पर मल खुलकर आता है,कब्ज नहीं होता है वरना देर तक सोने पर मल सूख जाता है और कब्ज हो जाती है।कब्ज के कारण अनेक रोग उत्पन्न हो जाते हैं।अध्ययन में मन नहीं लगता है।
  • (8.)प्रातःकाल ठंडे पानी से स्नान करने पर सोने के कारण बढ़ी हुई शरीर की ऊर्जा (गर्मी) दूर हो जाती है।मलाशय,आमाशय,मूत्राशय,शुक्राशय आदि पर व्याप्त हो जाने वाली उष्णता का शमन हो जाता है।शरीर में अतिरिक्त उष्णता नहीं रहती है तो अध्ययन कार्य एकाग्रचित होकर करने में समर्थ होते हैं।सुस्ती व शिथिलता मिट जाती है तथा शरीर में चुस्ती,फुर्ती तथा मन में ताजगी आ जाती है जिससे पढ़ाई में मन लगता है और पाठ अच्छी तरह से याद होता है।

3.प्रातःकाल जल्दी उठकर दिनचर्या का प्रारंभ कैसे करें? (How to Get up Early in the Morning and Start the Routine?):

  • (1.)प्रात:काल उठकर धर्म,अर्थ और भगवान का चिंतन करें।अर्थात् अपने मन में परमात्मा का ध्यान करके यह निश्चय करें कि हमारे हाथ से दिनभर सब धर्मपूर्वक ही हो।कोई कार्य अधर्म अथवा अन्याय का न हो जिसको हमको अथवा दूसरे को दुःख हो। अर्थ के चिन्तन से तात्पर्य है कि हम दिनभर उद्योग करके सच्चाई के साथ धन उत्पन्न करें जिससे स्वयं सुखी रहें और परोपकार कर सकें।शरीर के कष्ट और उनके कारणों का चिंतन इसलिए करें कि जिससे स्वस्थ रहें क्योंकि स्वस्थता ही सब धर्मों का मूल है।
  • (2.)इसके पश्चात् भगवान का ध्यान करें क्योंकि सभी चर-अचर में वही व्याप्त है और वह सारे संसार में व्याप्त है।वही हमारे सब कर्मों का देखनेवाला और हमारा साक्षी है।
  • (3.)प्राचीन काल से ही धर्म का अनुसरण करने वाले लोग तथा ऋषि-मुनि भगवान का स्मरण करते हुए अपनी हथेली का दर्शन करके उसको चुमते हैं और साथ ही यह श्लोक पढ़ते हैंः
  • “कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती।
    करमूले स्थितो ब्रह्म प्रभाते करदर्शनम्।।”
  • प्रातःकाल कर दर्शन इसलिए किया जाता है जिससे दिनभर में शुभकर्म हों।ऊपर के श्लोक में हथेली में तीन देवताओं का वास बतलाया गया है।हथेली के आगे लक्ष्मी जो द्रव्य का देवता है,हथेली के बीच में सरस्वती जो विद्या का देवता है और हथेली के मूल (पीछे) में ब्रह्म जो बलवीर्य और सन्तान का देवता है।
  • सारांश यही है कि सुबह उठकर मनुष्य को भगवान का चिंतन करते हुए अपने दिनभर के उन कार्यों का विचार करना चाहिए जो हमारे चारों पुरुषार्थों धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष से संबंध रखते हैं।इसका विचार करने के बाद चारपाई से कदम नीचे रखना चाहिए।जब हम चारपाई से नीचे पैर रखते हैं तब धरती पर हमारा पैर पड़ता है।धरती हम सबकी माता है।इसी ने हमको मां के पेट से नीचे गिरने पर अपनी गोद में लिया है।इसी पर हम खेले-खायें और बड़े हुए हैं।यही हमको नाना प्रकार के फल-फूल,अन्न देकर हमारा पालन करती है और अंत में मृत्यु समय भी हमें यही अपने गोद में विश्राम देती है।इसलिए बड़े-बुजूर्ग लोग सुबह जब चारपाई से पैर नीचे रखते हैं तब यह श्लोक कहकर अपनी धरती माता को प्रणाम करते हैं और पैर रखने के लिए क्षमा मांगते हैंः
  • “समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले।
    विष्णुपत्नी नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे।।”
  • अर्थात् हे देवी समुद्र ही तुम्हारी साड़ी है और पर्वत तुम्हारे स्तनमंडल है,तुम विष्णु अर्थात् सबके पालन करने वाले भगवान की पत्नी हो अतएव हमारी माता हो।अब हम यह जो तुम्हारे शरीर में अपना पैर रखते हैं,क्या करें पैर रखना लाचारी है।इसके लिए हे माता,हमको क्षमा करो।कैसा सुंदर भाव है।धरती माता की भक्ति मनुष्य जीवन का एक मुख्य कर्त्तव्य है।वाल्मीकि रामायण में भी वर्णित है किः
  • “अपि स्वर्णमयी लंका न मे रोचते।
    जननी-जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।।”
  • अर्थात् हे लक्ष्मण!यह स्वर्णमयी लंका मुझे पसंद नहीं है क्योंकि माता और मातृभूमि ये दोनों स्वर्ग से भी बढ़कर है।
    इतना करने के बाद हमको अपने नित्यकर्मों में लग जाना चाहिए।शौच,मंजन,स्नान,ध्यानयोग,संध्या,योगासन-प्राणायाम अथवा व्यायाम इत्यादि करने के बाद अध्ययन और स्वाध्याय करना चाहिए।ये सब कार्य स्वच्छ एवं खुली हवा में प्रातःकाल करना चाहिए।प्रातःकाल जो वायु चलती है,वह शरीर और मन को प्रसन्न करके प्रफुल्लित कर देती है और स्वास्थ्य को बढ़ाती है।यह वायु सूर्योदय के पहले 2 घंटे चलती है और सूर्योदय के बाद हवा दूसरी हो जाती है।अतएव छात्र-छात्राओं को तो उक्त दिनचर्या का अमृतवेला में उचित रीति से साधन करना चाहिए बल्कि सभी के लिए उपयोगी एवं स्वास्थ्यवर्धक है।

4.प्रातःकाल अध्ययन करने का दृष्टान्त (Illustration of Studying in the Morning):

  • एक नगर में एक युवक था।विश्वविद्यालय में पढ़ते समय माता-पिता ने आर्थिक मदद देना बंद कर दिया।उसने कंपनी में अपने लिए काम करना प्राप्त कर लिया।परंतु अपने रुचिकर विषय गणित से उसे बहुत प्रेम था।उसने प्रातःकाल रोजाना गणित का अध्ययन करना प्रारंभ कर दिया।दिन में वह कंपनी में कार्य करता था।
  • वह एकाग्र मन से गणित की नई-नई समस्याओं का समाधान करता था और नवीन खोज करने में लगा रहता था।नियमित रूप से प्रातःकाल अध्ययन करता था तो उसे अपने शरीर का भान भी नहीं रहता था।धीरे-धीरे सिद्ध योगियों की तरह उसकी एकाग्रता सधती गई।वह पेचीदा से पेचीदा सवालों को हल करता था तो उसे बहुत आनंद आता था।
  • सुबह के शांत और सुरम्य वातावरण में उसका मन गणित के सवालों और समस्याओं को हल करने में उसने सिद्धि प्राप्त कर ली।अपने जीवट,उमंग,उत्साह के बल पर वह किसी भी जटिल से जटिल सवाल के सामने हार नहीं मानता था।शरीर से तो स्वस्थ था ही परन्तु मन को भी उसने साध लिया था।कैसी ही टेढ़ी-मेढ़ी गणित की समस्याएं हो वह उसको हल करने में लगा रहता था।
  • कई छात्र-छात्राएं शिक्षक द्वारा पढ़ाए जाने के बावजूद तनिक सी कठिनाइयों से थर-थर काँपने लगते हैं।वे न तो संघर्ष कर पाते हैं और न ही जीवन संग्राम में सफलता प्राप्त करते हैं।संपूर्ण जीवन ऐसे छात्र-छात्राओं के लिए भारभूत बन जाता है।अनियमित दिनचर्या और कमजोर मनोबल के कारण ऐसे छात्र-छात्राएं बुझे हुए कोयले के समान प्रभावीहीन होते हैं।न तो वे स्वयं अपने आपको प्रेरित करते हैं और दूसरों को प्रेरित करने का तो प्रश्न ही नहीं है।निराशा,हताशा और उदासी के घेरे में घिरे रहते हैं।वे अपने आपको गणित की साधारण सी समस्याओं को हल करने में भी असमर्थ समझते हैं।
  • परंतु उस युवक की बात ही अलग थी।शिक्षकों का मार्गदर्शन न मिलने के बावजूद नियमित रूप से प्रातःकाल अध्ययन करने के कारण कुछेक वर्षों में ही वह एक प्रसिद्ध गणितज्ञ बन गया।कुछ वर्षों में गणित का गम्भीर अध्ययन करने के कारण उसका जीवन ऋषि तुल्य हो गया।स्वाध्याय और नियमित अध्ययन से ज्ञान की वृद्धि होती है और व्यक्ति कूप-मंडूक नहीं रहता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में प्रात:काल जल्दी जागने की 3 टिप्स (3 Tips to Wake Up Early in The Morning),प्रातःकाल जल्दी उठने की 3 टिप्स (3 Tips to Get Up Early in The Morning) के बारे में बताया गया है।

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5.गणित से प्रेम का नमूना (हास्य-व्यंग्य) (A Sample of Love for Mathematics) (Humour-Satire):

  • ऋषभ (अपने मित्र पंकज से):स्कूल के बाहर क्यों मुंह लटकाए खड़े हो और तुम्हारा चेहरा सूजा सूजा हुआ क्यों है?
    पंकजःहुआ यूंकि।
  • ऋषभ (पूरी बात सुने बिना ही) कितनी बार कहा है कि शैतान छात्रों से दूर रहा करो और उनसे झगड़ा मत किया करो।बुरा हो उस छात्र का जिसने तुम्हारा यह हाल किया है।कीड़े पड़े उसे,…..
  • पंकज:बस मैं गणित विषय और उसको पढ़ाने वाले शिक्षक के बारे में ओर ज्यादा गलत नहीं सुन सकता।

6.प्रात:काल जल्दी जागने की 3 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 3 Tips to Wake Up Early in The Morning),प्रातःकाल जल्दी उठने की 3 टिप्स (3 Tips to Get Up Early in The Morning) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.विद्यार्थी को अपना जीवन कैसा बनाना चाहिए? (How Should Students Build Their Lives?):

उत्तर:पुरुषार्थ करते हुए विद्यार्थी को अपना विद्यार्थी काल ऐसा व्यतीत करना चाहिए जिससे वह सर्दी,गर्मी और कठोरताओं को सहन करने का अभ्यासी हो जाए।नियत समय पर सोना और जागना,नियमित रूप से स्वाध्याय करना,मन को स्थिर रखना अर्थात् अपने लक्ष्य (अध्ययन) पर एकाग्र रखना,इंद्रियों को वश में रखना,अपने सहपाठियों की सहायता करना और कराना,शुभ कर्म करना,भगवान की उपासना में भी कुछ समय देना चाहिए।वैसे तो हर कार्य को भगवान का समझकर किया जाए तो उनका जीवन तप तथा साधनामय बन सकता है।

प्रश्न:2.प्रातकाल जल्दी कैसे उठे? (How to Get Up Early in the Morning?):

उत्तर:प्रातकाल जल्दी उठने के लिए रात में संकल्प करें और मन को आदेश देकर सोएं कि मुझे अमुक समय उठना है।शरीर में बायोलॉजिकल क्लॉक होती है उससे मन को पता चल जाता है और हमारा मन ठीक समय पर जगा देगा।बिना अलार्म घड़ी की सहायता के आप स्वयं उठने लग जाएंगे।शुरु-शुरु में परेशानी (आलस्य) आती है परंतु धीरे-धीरे अभ्यास से आप नियत समय पर उठने लग जाएंगे।रात को सोते समय मन में किसी तरह की चिन्ता,फिक्र अथवा मन को व्यथित करने वाली बातें सोचकर न सोएं।मन को बिल्कुल शान्त और निर्विचार होकर सोएं।इससे आपको गहरी नींद आएगी और सुबह उठने पर आलस्य नहीं आएगा।दरअसल शरीर तथा मन की थकावट दूर नहीं होती है तो आलस्य आता है।मन को निर्विचार और शांत रखने पर नींद लेने से शरीर की थकावट दूर हो जाएगी।

प्रश्न:3.विद्यार्थी काल महत्वपूर्ण क्यों है? (Why is Student Time Important?):

उत्तर:युवाकाल अर्थात् विद्यार्थी जीवन,जीवन का प्रारंभिक समय है।इस समय मन और शरीर के निर्माण का समय होता है,विद्या अर्जन का समय होता है।इस समय ऊर्जा पैदा होती है जिससे शरीर और मन सशक्त होता है।इन्द्रियों का विकास होता है और बुद्धि प्रखर होती है।दरअसल यह जीवन का सूर्योदय होता है।इस समय को बड़े-बुजूर्गों ने संयम,शक्ति संचय,कठोर परिश्रम,साधना और विद्या अर्जन करने के लिए निरूपित किया है।इसके बाद गृहस्थाश्रम का समय होता है।गृहस्थाश्रम और जीवन में जाॅब को वही ठीक तरह से कर सकता है जिसने युवाकाल में तप और साधना की हो।परंतु वस्तुतः कई युवक-युवतियां कुसंगति में पड़कर कामुक हरकते,धूम्रपान,मदिरा का सेवन,ड्रग्स का सेवन,नशीली दवाओं,गोलियों और नसों में इंजेक्शन लगाकर नाना प्रकार के मानसिक और शारीरिक रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं।उनका जीवन नारकीय हो जाता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा प्रात:काल जल्दी जागने की 3 टिप्स (3 Tips to Wake Up Early in The Morning),प्रातःकाल जल्दी उठने की 3 टिप्स (3 Tips to Get Up Early in The Morning) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

3 Tips to Wake Up Early in The Morning

प्रात:काल जल्दी जागने की 3 टिप्स
(3 Tips to Wake Up Early in The Morning)

3 Tips to Wake Up Early in The Morning

प्रात:काल जल्दी जागने की 3 टिप्स (3 Tips to Wake Up Early in The Morning)
विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है।जो युवक-युवतियां,छात्र-छात्राएं ब्राह्ममुहूर्त (प्रातःकाल)
में उठने का पालन करेंगे वे केवल जल्दी उठने से ही मेधावी,सदाचारी,चरित्रवान,संयमी,जितेंद्रिय नहीं हो जाएंगे

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