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Overcome Fear of Failing Exam 2025

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1.परीक्षा में असफल होने के डर को भगाएँ 2025 (Overcome Fear of Failing Exam 2025),परीक्षा में असफल होने के भय को दूर कैसे भगाएँ? (How to Overcome Fear of Failing in Exams?):

  • परीक्षा में असफल होने के डर को भगाएँ 2025 (Overcome Fear of Failing Exam 2025)।जब तक परीक्षा चल रही होती है तब तक परीक्षा की तैयारी अधूरी रहने,प्रश्न-पत्र अच्छा न होने,प्रश्न-पत्र कैसा आएगा आदि का भय बना रहता है।परंतु परीक्षा समाप्त होते ही असफल होने का डर लगा रहता है।
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2.डर साहस का अभाव है (Fear is the absence of courage):

  • जीवन की अनजानी,अनदेखी अंधेरी राहों में यह डर सदैव ही हमें डराता रहता है कि ‘पता नहीं,क्या होगा’।मन में भय बना रहता है और वह हमें भयभीत किए रहता है।भय एक तरह का भ्रम होता है,लेकिन यह भयानक प्रतीत होता है,जिसका सामना करने से भी हम घबराते हैं।दुनिया में ऐसा कोई नहीं है,जिसका डर से सामना न हुआ हो।कोई भी नया जॉब शुरू करने से पहले डर सामने आता है कि कहीं कोई विफलता न मिले,कार्य का जो निर्णय लिया गया है,वह गलत तो नहीं और इसके अतिरिक्त लोगों से मिलने वाली प्रतिक्रिया का भी डर होता है।
  • वास्तव में डर कोई समस्या नहीं है।समस्या है-केवल साहस के न होने में।थोड़ा डर भी जरूरी है,ताकि हम अपने कार्यों में जुटे रहे,लेकिन अधिक डर किसी भी तरह फायदेमंद नहीं है।इसके होने मात्र से व्यक्ति का आधा बल क्षीण हो जाता है।ऐसी परिस्थिति में वह सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं कर सकता।डर डरने से होता है।इस पर यदि जीत हासिल करनी है तो साहस चाहिए।वास्तव में डर अपनी सीमा तभी विस्तृत करता है,जब हम साहसहीन होते हैं।
  • साहस अपने आप में एक ऐसी शक्ति है,जिसके समक्ष डर अपना अस्तित्व गंवा देता है;क्योंकि साहस सबसे पहले यथार्थ की समझ की मांग करता है,फिर सोच-विचार कर कदम उठाने और अपने उद्देश्य पर जमे रहने के लिए प्रेरित करता है।साहसपूर्ण जीवन जीना एक सीढ़ीभर नहीं है,बल्कि जीवन का अंतहीन सिलसिला है।शोध भी इस बात की पुष्टि करता है कि साहस के समक्ष डर ज्यादा देर तक टिक नहीं सकता।साहस और सकारात्मकता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।सकारात्मकता नैतिक साहस को बल देती है और साहस सकारात्मकता को।दुनिया में जितने भी बदलाव हुए हैं,साहस उनके आधार में रहा है।

3.डर को पराजित करने का दृष्टांत (The Parable of Defeating Fear):

  • साहस किस तरह डर को पराजित करता है;इसका एक उदाहरण एक शिक्षक है एक शहर के विद्यालयों के शिक्षक बाहर के शिक्षकों को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे।वे यह भी नहीं चाहते थे कि बाहर के शिक्षक देखने के लिए भी उनके विद्यालयों,शहर में आएं।बाहर के एक गणित शिक्षक को यह बात पता चली,तो एक दिन उसने उस शहर के विद्यालयों का निरीक्षण करने का निश्चय किया।जब उस शहर के शिक्षकों को पता चला कि बाहर से एक गणित शिक्षक उस शहर में आ गए हैं तो उन्होंने छात्र-छात्राओं को भड़काना चालू किया और कहा कि उस गणित शिक्षा का अनादर करें,अपमान करें,उल्टा-सीधा कहें,यदि फिर भी ना माने,यहाँ से ना जाए तो उनके साथ गाली-गलौज करें,हंसी उड़ाएं।छात्र-छात्राओं ने शहर में प्रवेश करते ही उस शिक्षक के खिलाफ प्रोटेस्ट करना चालू कर दिया,धमकियाँ देने लगे,उल्टी-सीधी बातें कहने लगें,उपहास करने लगें।लेकिन वह गणित शिक्षक बिल्कुल भी नहीं घबराया।उसके लिए आज के प्रतिस्पर्धा के युग में यह विचित्र अनुभव था।हर शहर,कस्बों,नगरों में अच्छे व गुणवान शिक्षकों का आदर किया जाता है और उन्हें उच्च वेतनमान पर अपने स्कूलों,कॉलेजों में रखा जाता है।आज तक वे जिस किसी शहर में गए वहां उनका बहुत आदर किया,वेतन के रूप में अच्छा पैकेज दिया।गणित शिक्षक के साथ उसके कुछ खास मित्र भी थे।
  • शिक्षक के मित्रों से यह सब सहन नहीं हुआ और उन्होंने कहा:मित्र हमें यहां से चले जाना चाहिए।गणित शिक्षक ने पूछा:कहां चलना चाहिए? मित्रों ने उत्तर दिया-किसी दूसरे नगर,शहर में जहां कोई हमें अपशब्द न कहें।इस पर गणित शिक्षक बोले:वहाँ भी यदि कोई दुर्व्यवहार करे,तो? इस पर उसके मित्रों ने जवाब दिया-किसी और स्थान को चले जाएंगे।गणित शिक्षक ने कहा-तो हम कब तक भागते रहेंगे? जहां गलत व्यवहार हो रहा हो और उससे मन भयभीत व परेशान हो,उस स्थान को तब तक नहीं छोड़ना चाहिए,जब तक वहाँ सामान्य स्थिति न आ जाए।
  • क्या तुमने यह नहीं देखा कि मेरा व्यवहार फौलाद की तरह है।जिस प्रकार फौलाद पर चारों और से चोटों का कोई असर नहीं होता,वह सहता रहता है,टूटता नहीं है।उसी तरह शिक्षा के क्षेत्र में घुसे हुए इन भेड़ियों,दुष्टों के अपशब्दों को सहन करते रहना चाहिए,उनसे भयभीत नहीं होना चाहिए।देखना,एक दिन वे थक जाएंगे और स्वयं उन्हें लगेगा कि वे गलत कर रहे हैं।ये छात्र-छात्राएं सिखाये हुए हैं और सिखाए पूत कचहरी नहीं चढ़ते हैं यह कहावत है।हमारा उद्देश्य उन्हें सही रास्ते पर लाना है,उनसे भागते रहना नहीं;क्योंकि अगर हम भागे तो उनमें कभी सुधार नहीं होगा और जीवन भर हम इन परिस्थितियों से भागते रहेंगे,इसलिए साहस के साथ इन परिस्थितियों में आगे बढ़ना चाहिए।

4.डर को दूर भगाया जा सकता है (Fear can be driven away):

  • हर व्यक्ति के मन में किसी न किसी प्रकार का डर होता है और वह समय पर सामने आ जाता है।डर अपनी जगह है,लेकिन उस डर को निकाला जा सकता है।बस,व्यक्ति को यह समझाने की जरूरत है कि देखो,यह काम इतने सारे लोग इतनी आसानी से कर रहे हैं।डर यानी फोबिया किसे नहीं होता? लेकिन डर कोई ऐसी चीज नहीं,जिससे उबरा न जा सके।यह सच है कि हमें डर लगता है,लेकिन यह भी उतना ही सच है कि उस डर पर काबू पाया जा सकता है।यह जरूर है कि उसके लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है।इसलिए डर से और डरने की जरूरत नहीं,उससे थोड़ा-सा भिड़ने की जरूरत है।
  • इसके लिए यह जरूरी है कि डर पैदा करने वाली जगह या माहौल में तब तक बार-बार जाया जाए,जब तक डर पूरी तरह से निकल ना जाए।यह कार्य अपनी इच्छाशक्ति से किया जा सकता है या अपने किसी भरोसेमंद साथी की मदद से,लेकिन डर को मन से निकालने के लिए सबसे पहले हमें यह तय करना होगा कि हमें डर से छुटकारा पाना है।यह तो नहीं कह सकते कि डर होता ही नहीं।डर जरूर होता है,लेकिन वह सबसे अधिक हमारी कल्पनाओं में बसा होता है।डर से संबंधित हम विभिन्न तरह की कल्पनाएं मन में कर लेते हैं और हम अपने डर को बढ़ा लेते हैं;जबकि वास्तव में इतना कुछ नहीं होता,जिससे डरा जाए।
  • इंसान डरता तब है,जब वह अपनी भावनाओं के बारे में स्पष्ट नहीं होता।मूल रूप से हम डरते तब है,जब हम कुछ चाहते हैं,पर उसे हासिल नहीं कर सकते या हमारे पास कुछ है और हम उसे खोना नहीं चाहते।व्यावहारिक रूप से यदि देखा जाए तो जब तक हम किसी से कुछ चाहते हैं तो सीधा यह कहने के बजाय कि मुझे अमुक चीज कैसे मिलेगी,हमें यह कहना चाहिए कि मैं ऐसा क्या करूं,जिससे मुझे यह चीज प्राप्त हो? ऐसा करने से हम अपनी लेने वाली मानसिकता से निकल कर देने की मानसिकता में आ जाते हैं और जो हम चाहते हैं,वह अपनी सामर्थ्य व कार्य के अनुसार प्राप्त करते हैं।इसलिए यह सदैव ध्यान रखना चाहिए कि जीवन की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए निडर होकर ही हम उसके समाधान के बारे में अच्छी तरह सोच सकते हैं।इसलिए डर के भ्रम को बाहर निकालना चाहिए और वस्तुस्थिति के प्रति स्पष्ट रहना चाहिए।
  • डर हमारे जीवन में,हमारे अभिन्न अंग की तरह घुला-मिला है।हमारे शरीर का सुरक्षा तंत्र स्वयं हमें डरने पर मजबूर कर देता है।डर के समय हमारा पूरा अस्तित्व काँपता है।कोई कितना भी वीर क्यों ना हो,जीवन में कभी ना कभी उसका सामना डर से जरूर होता है।आमतौर पर हम डर को जितनी बड़ी चुनौती समझते हैं,वैसा कुछ होता नहीं है;क्योंकि इसकी ज्यादातर परिस्थितियाँ हम स्वयं निर्मित करते हैं।इसलिए निर्भय होने की सबसे सहज विधि है-हर परिस्थिति का तटस्थता के साथ सामना करना,मन में साहस बनाए रखना और परिस्थितियों के प्रति मन में स्पष्ट रहना।जितना हम मन को भ्रम से दूर रखेंगे उतना ही भय से दूर रहेंगे।

5.डरना कब बुरा नहीं है (When is it not a bad thing to be afraid?):

  • हालांकि डरना और डरकर अच्छा काम करना कोई तारीफ के काबिल बात नहीं है पर अगर डर की वजह से ही अच्छा आचरण किया जा सके तो ऐसा डरना बुरा नहीं है।फेल होने से डरने की शिक्षा इसीलिए दी जाती है कि कम से कम फेल होने के डर से भी यदि विद्यार्थी अध्ययन करने लगे,परीक्षा की तैयारी करने लगे,अच्छा काम करने लगे,गलत काम ना करें तो बुरा क्या है? विद्यार्थी के मन की स्थिति कुछ ऐसी है की डर के बिना वह ठीक रास्ते पर चल ही नहीं पाता भले ही यह डर परीक्षा में फेल होने का हो,नकल करते हुए पकड़े जाने पर सजा होने का हो,लोकलाज का हो या अपने को होने वाले किसी नुकसान का हो पर भय होना जरूरी है।नीति,धर्म और सदाचार की शिक्षा देने वाले शिक्षकों,माता-पिता,महापुरुषों ने इसीलिए विद्यार्थी को फेल होने से डरने की शिक्षा दी है क्योंकि जो विद्यार्थी फेल होने से डरता है उसे फिर अन्य किसी से डरने की जरूरत ही नहीं पड़ती क्योंकि विद्यार्थी के लिए फेल होना ही सबसे बड़ी त्रासदी है और उत्तीर्ण होना ही उसके लिए सबसे बड़ा रिवॉर्ड (पुण्य कार्य) है।
  • जो विद्यार्थी फेल होने से नहीं डरता उसे कदम-कदम पर डरने की नौबत का सामना करना पड़ता है क्योंकि उसका आचरण ही ऐसा होता है कि कदम-कदम पर खतरे उठाता है।इसलिए फेल होने से डरना और अध्ययन करना,परीक्षा की तैयारी,परिश्रम करके सही उत्तर लिखकर उत्तीर्ण होना व अच्छा आचरण करना बहुत जरूरी है।जो डर हमें अच्छा आचरण करने की प्रेरणा दे वह बुरा नहीं है क्योंकि अच्छा आचरण हर हालत में जरूरी है।

6.तनाव का कारण भय (Stress Causes Fear):

  • आज की जिंदगी में हर क्षेत्र में स्पर्धा बढ़ गयी है।परीक्षा देनी हो,जाॅब प्राप्त करना हो,व्यवसाय करना हो-यानी कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है,जहां स्पर्धा ना हो।शिक्षा,राजनीति,खेल,विज्ञान,साहित्य,धर्म,अध्यात्म आदि कोई भी क्षेत्र स्पर्धा के मायाजाल से नहीं बचे हैं।स्पर्धा के इस व्यापक प्रभाव का सबसे घातक प्रभाव यह हुआ कि उसके जाल में फंसे विद्यार्थी व लोग हर क्षण तनावग्रस्त रहते हैं।इस तनाव ने मनुष्य को इस तरह दबा लिया है कि वह मधुमेह,रक्तचाप,हृदय रोग,शरीर का दुबला होना और हमेशा शंकाग्रस्त रहना (विद्यार्थियों में) जैसी शारीरिक व मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हो गया है।तनाव आज हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है।किंतु,यदि हम थोड़ा-सा विचार करें तो यह तनाव हमारी ओढ़ी हुई चीज लगती है।हम चाहें तो इसे दूर भी कर सकते हैं,इससे मुक्ति भी पा सकते हैं।तनाव का मूल है-भय।हम कहीं परीक्षा में फेल न हो जाएं,कहीं यह नौकरी हाथ से न निकल जाए,कहीं व्यापार में घाटा न हो जाय,कहीं हमारा प्रतिद्वन्द्वी चुनाव में जीत न जाएं,कहीं अमुक टीम हमसे जीत न जाए-ऐसी अनेक आशंकाओं का भय ही हमारे जीवन के तनाव के मूल में रहता है।
  • भय से ही दुःख आते हैं,भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती है।इसलिए सबसे पहले भय पर विजय पाना चाहिए।जब मन में भय का विचार नहीं होगा,तो किसी भी असफलता का भय नहीं सतायेगा और तब उससे जन्म लेने वाला तनाव स्वयं ही दूर रहेगा।जो लोग भय से मुक्त हो जाते हैं,वही विजयी होते हैं।जिस मनुष्य को मनुष्यत्व का भान है,वह भगवान के सिवाय और किसी से भय नहीं करता।जो लोग तनावग्रस्त रहते हैं,उनका मन सदा अनेक आशंकाओं से घिरा और परेशान रहता है।और यही तनाव की स्थिति शरीर को घुन की तरह खाती है और शरीर को अनेक भयानक रोगों का घर बना देती है।तब तत्काल आराम के लिए हम भले ही कुछ गोलियां खा लें,किंतु रोग तो अपनी जड़े जमा ही लेता है।
  • तनाव से मुक्ति पाने का उपाय हमें स्वयं करना चाहिए,क्योंकि उसे हम अपने अंदर से उपजे भय से जन्म देते हैं।हमें तनाव से दूर रहने के लिए सबसे पहले यह देखना चाहिए कि हमारा मन किस चिंता से भयभीत है।क्या उसे हम दूर नहीं कर सकते? परीक्षा में फेल होने की चिंता अच्छी पढ़ाई करके मन में जगाए गए विश्वास से दूर की जा सकती है।ऐसे ही अन्य समस्याएं हैं,जो मन में जगाए गए आत्म-विश्वास से दूर की जा सकती है।सही सोचने का तरीका यह है कि मनुष्य के पुरुषार्थ,साधन एवं सहयोगी समुदाय की सम्मिलित क्षमता ऐसी है कि वह किसी भी आपत्ति का सामना कर सकती है।वास्तव में,हमारे मन की अनेक आशंकाएं काल्पनिक हुआ करती है।हम फेल हो जाएंगे या असफल हो जाएंगे यह हमारी काल्पनिक आशंका है और हम अपने ज्योतिषी आप बनकर इसका तनाव ओढ़ लेते हैं।तब उसका क्या इलाज है? इसलिए काल्पनिक आशंकाओं से बचें।जब आपने परीक्षा दी ही नहीं,तो फेल कैसे हो गये? अच्छी तैयारी करके विश्वास के साथ परीक्षा दीजिए-आप सफल होंगे ही।जो विवेकशील होते हैं,उन्हें अपनी शक्ति और क्षमता पर विश्वास होता है।जो अपनी क्षमताओं को भूल जाते हैं,वे भयग्रस्त रहकर अपनी असफलता की आशंका से घिरे रहते हैं।किंतु,जब सीना तानकर कमर,कसकर जूझने का निश्चय किया तो वही व्यक्ति अपनी हर कठिनाई से जूझने को तैयार हो गया।
  • तनावों पर नियंत्रण पाने के लिए सबसे पहले आपको अपनी इच्छाशक्ति को दृढ़ बनाना चाहिए।कुछ भय ऐसे होते हैं,जिनसे आप जब चाहे छुटकारा पा सकते हैं।किसी कार्य में सफलता नहीं मिलने का भय तनाव पैदा कर देता है।तब तनावग्रस्त और भयभीत व्यक्ति उस काम को ही छोड़ बैठता है।यही गलत है।काम को नहीं छोड़ना चाहिए-चिंता और भय को छोड़िए।यदि आप साहस और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ काम को करेंगे,तो सफलता अवश्य मिलेगी।तनाव से घिर जाने पर या तो आराम (Relax) करें या शांत चित्त होकर लेट जाएं।गहरी सांस लें और यह सोचें कि तनाव,भय या क्रोध करने की जरूरत क्यों है? क्या उसके बिना कुछ नहीं मिलेगा? जब इस तरह आपका आत्मविश्वास जागने लगेगा,तो तनाव स्वयं ही कम हो जाएगा।सच मानिए,आप खुश रहकर अपनी क्षमताओं पर अधिक विश्वास जगा सकते हैं।निराश और चिंतित रहकर आप अपनी क्षमताओं को स्वयं नष्ट कर लेते हैं।पहले बतायी गई तरकीब का प्रयोग करके देखिए,आप स्वयं उसकी शक्ति महसूस करेंगे।
  • हम कई बार पहले से कुछ अनिष्टों,दुर्घटनाओं आदि के भय से ग्रस्त हो जाते हैं।लेकिन जरा सोचिए कि जब अनिष्ट या दुर्घटना होगी,तभी तो उनका सामना करना पड़ेगा।फिर उनका सामना करने के भय से,पहले से तनावग्रस्त होना क्या बुद्धिमानी है? इसलिए छोटी-छोटी आशंकाओं,भय और तनावों को कम करने के लिए थोड़े से साहस की आवश्यकता होती है।आप मन को थोड़ा-सा मजबूत करके अपने आप से कहें कि मैं तो यह काम कर सकता हूं।फिर डरना क्यों? आप देखेंगे कि आप अपनी सारी इंद्रिय शक्ति समेटकर एकाग्र मन से उस कार्य को पूरा करने में जुट जाएंगे और अंत में जब सफलता,जो कि निश्चित है,आपका स्वागत करेगी तो आपका मन प्रफुल्लित हो उठेगा।कभी-कभी मन की चिंता या भय किसी मित्र से कह देने पर भी कम हो जाती है।जो अच्छा मित्र होता है,वह तत्काल आपको आपकी क्षमताओं के प्रति भरोसा दिलाएगा और इससे न केवल आप भयमुक्त होंगे बल्कि आपको अपने साहस के प्रति विश्वास भी हो जाएगा।
  • कुछ लोग तनावों से मुक्त होने के लिए एक के बाद एक लगातार सिगरेट पीते हैं या लगातार शराब के गिलास खाली करते जाते हैं।यह बेहद अनुचित और हानिकारक है।हमारा यह भ्रम होता है कि नशा करने से तनाव कम होता है।वह वास्तव में हमारे स्नायुतंत्र को क्षीण करने लगता है।नशा उतरने पर निराशा और बढ़ती है,क्योंकि शरीर शिथिल हो जाता है,मन का उत्साह कम हो जाता है और हम अपने ऊपर से अपना ही विश्वास खोने लगते हैं।इसके साथ ही सिगरेट और शराब शरीर में घातक रोगों को जन्म दे बैठते हैं।इसलिए तनाव की स्थिति में नशे से बचें।शांत होकर लेटिए,मित्रों से हँसिए-बोलिए,अच्छा संगीत सुनिए और बाग में जाकर टहलिए।आप धीरे-धीरे अपने ऊपर काबू पा लेंगे-अपनी शक्ति पर विश्वास जगा लेंगे।तब न भय होगा-न तनाव।इसलिए कहा गया है कि आत्मविश्वासी और साहसी व्यक्ति कभी तनावग्रस्त नहीं होता-वह तो एकाग्र मन से मंजिल की ओर बढ़ता है जो अंततः उसे मिल ही जाती है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में परीक्षा में असफल होने के डर को भगाएँ 2025 (Overcome Fear of Failing Exam 2025),परीक्षा में असफल होने के भय को दूर कैसे भगाएँ? (How to Overcome Fear of Failing in Exams?) के बारे में बताया गया है।

Also Read This Article:4 Tips to Avoid Fear for Math Students

7.भयभीत छात्र (हास्य-व्यंग्य) (Frightened Student) (Humour-Satire):

  • भयभीत छात्र दौड़ता हुआ,हाथ में परीक्षा की उत्तर पुस्तिका लेकर घर में घुसा।
  • माँ:इसे कहाँ से लाये?
  • छात्र:दौड़ में जीता हूँ।
  • माँ:और कौन दौड़ रहे थे?
  • छात्र:मैं,मेरे पीछे पुलिस,टीचर और हमें देखकर मार्केट के अन्य लोग।
  • माँ:अब डर लग रहा है,लेकिन नकल करते समय डर नहीं लगा,अब पकड़े जाओगे तो छठी का दूध याद आएगा।

8.परीक्षा में असफल होने के डर को भगाएँ 2025 (Frequently Asked Questions Related to Overcome Fear of Failing Exam 2025),परीक्षा में असफल होने के भय को दूर कैसे भगाएँ? (How to Overcome Fear of Failing in Exams?) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.कौनसी निडरता खराब है? (Which fearlessness is bad?):

उत्तर:अगर डरना ही हो तो फेल होने से डरना,नकल करने से डरना,अय्याशी और मादक द्रव्यों का नशा करने से डरना उस निडरता से लाख दरजे बेहतर है जो निडरता हमें उच्छृंखल,अनुशासनहीन,ढीट,निर्लज्ज और दुराचारी बनाती है।आजाद और बेखौफ होने का यह मतलब नहीं होता है कि हम कायदे और कानून की अवहेलना करके मनमाना आचरण करें।यदि करेंगे तो कभी ना कभी कानून के शिकंजे में फंस जाएंगे और फिर बच ना सकेंगे।

प्रश्न:2.परीक्षा देने के बाद फेल होने के डर से कैसे बचें? (How to avoid the fear of failing after taking the exam?):

उत्तर:परीक्षा के बाद अपनी छुट्टियों में किसी हाॅबी में अपने आप को व्यस्त रखें।कोई हुनर,कला सीखें।चिंता नहीं चिंतन करें।

प्रश्न:3.डर को दूर कौनसा गुण करता है? (What quality does it remove fear?):

उत्तर:डर मनुष्य को खतरे से दूर रख सकता है परंतु उसमें केवल साहस और वैराग्य (बुरे कर्मों को न करना) ही उसकी सहायता करता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा परीक्षा में असफल होने के डर को भगाएँ 2025 (Overcome Fear of Failing Exam 2025),परीक्षा में असफल होने के भय को दूर कैसे भगाएँ? (How to Overcome Fear of Failing in Exams?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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