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Mathematician Kannan Soundararajan

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1.गणितज्ञ कन्नन सुंदरराजन (Mathematician Kannan Soundararajan),कन्नन सुंदरराजन (Kannan Soundararajan):

  • गणितज्ञ कन्नन सुंदरराजन (Mathematician Kannan Soundararajan) का जन्म भारत में 27 दिसंबर 1973 को हुआ था।वर्तमान में वे स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (Stanford University) अमेरिका में गणित के प्रोफेसर हैं।2006 में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय जाने से पहले वे मिशिगन विश्वविद्यालय (University of Michigen) में एक संकाय सदस्य (faculty member) थे जहाँ उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई की।उनकी मुख्य शोध रुचि विश्लेषणात्मक संख्या सिद्धांत (analytic number theory) में है विशेष रूप से ऑटोमोर्फिक और एल-फंक्शंस (automorphic L-functions) और गुणक संख्या सिद्धांत (Multiplicative Number Theory) के उपक्षेत्रों (subfields) में।
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2.सुन्दरराजन की संक्षिप्त जीवनी (A Brief Biography of Soundararajan):

  • सुन्दरराजन मद्रास में पले-बढ़े और मद्रास के नुंगमबक्कम (Nungambakkam) में उन्होंने पद्म शेषाद्री हाई स्कूल (Padma Seshadri High School) के छात्र थे।1989 में उन्होंने प्रतिष्ठित अनुसंधान विज्ञान संस्थान (Research Science Institute) में दाखिला लिया।उन्होंने 1991 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपियाड में भारत का प्रतिनिधित्व किया और रजत पदक जीता।
    सुन्दरराजन 1991 में मिशिगन विश्वविद्यालय,एन आर्बर (Ann Arbor) में स्नातक अध्ययन के लिए शामिल हुए और 1995 में उच्चतम सम्मान के साथ स्नातक हुए।सुन्दरराजन ने 1995 में विश्लेषणात्मक संख्या सिद्धान्त में अपने काम के लिए उद्धाटन माॅर्गन पुरस्कार (Morgan Prize) जीता जबकि मिशिगन विश्वविद्यालय में स्नातक थे,जहाँ उन्होंने बाद में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।उन्होंने 1995 में प्रिंसटन विश्वविद्यालय (Princeton University) में प्रवेश लिया और प्रोफेसर पीटर सरनाक (Professor Peter Sarnak) के मार्गदर्शन में पीएचडी की।

3.गणितज्ञ कन्नन सुंदरराजन का कैरियर (Career of Mathematician Kannan Soundararajan):

  • पीएचडी करने के बाद अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ मैथेमेटिक्स से पहले 5 साल की फेलोशिप प्राप्त की और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी,इंस्टिट्यूट फाॅर एडवांस्ड स्टडी और मिशिगन विश्वविद्यालय में पदों पर रहे।वह 2006 में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय चले गए जहाँ वे नवम्बर 2022 तक थे वहाँ ऐनी टी. (Anne T.) और गणित के राॅबर्ट एम. बास (Professor Robert M. Bass) प्रोफेसर हैं।

4.गणितज्ञ कन्नन सुंदरराजन का गणित में योगदान (Contribution of Mathematician Kannan Soundararajan in Mathematics):

  • उन्होंने रामचंद्र बालासुब्रमण्यम (Ramachandran Balasubramanian) के साथ संयुक्त रूप से काॅम्बिनेटिरियल संख्या सिद्धांत में राॅन ग्राहम के अनुमान (Proof of a Conjecture of Ran Graham in Combinatorial Number Theory) का एक प्रमाण प्रदान किया।उन्होंने मास वेब फॉर्म्स और माॅड्यूलर फाॅर्म्स के लिए अंकगणितीय क्वांटम यूनीक एर्गोडिसिटी कंजेक्चर (Arithmetic Quantum Unique Ergodicity Conjecture for Mass Wave Forms and Modular Forms) को हल करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

5.सुन्दरराजन द्वारा प्राप्त पुरस्कार (Awards Received by Soundararajan):

  • उन्हें 2003 में “डिरिचलेट एल-फंक्शंस और सम्बन्धित कैरेक्टर योग” (area of Dirichlet L-functions and related character sums) के क्षेत्र में योगदान के लिए “सलेम पुरस्कार” (Salem Prize) मिला।2005 में उन्होंने संख्या सिद्धान्त में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत के तंजावुर में शास्त्र द्वारा मंजुल भार्गव के साथ $10000 का अध्ययन सस्त्र रामानुजन पुरस्कार जीता (SASTRS Ramanujan prize shared with Manjul Bhargava, awarded by SASTRA in Thanjavur,India)।2011 में उन्हें इंफोसिस साइंस फाउंडेशन पुरस्कार (Infosys science foundation prize) से सम्मानित किया गया।उन्हें 2011 में एल बी मैडसेन (LB Madsen) और डेविड प्रीस (David preiss) के साथ संयुक्त रूप से ऑस्ट्रोवस्की पुरस्कार (Ostrowski prize) से सम्मानित किया गया था,यह पुरस्कार पिछले 5 वर्षों में अपने शानदार पहले के काम के साथ जाने के लिए मौलिक परिणामों के काॅर्नुकोपिया के लिए दिया गया था।
  • उन्होंने 2010 में गणितज्ञों की अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस में “संख्या सिद्धांत” विषय पर आमंत्रित भाषण दिया।जुलाई 2017 में सुन्दरराजन अमेरिका की गणितीय कांग्रेस में एक पूर्ण व्याख्याता थे।उन्हें 2018 में अमेरिका मैथमेटिकल सोसायटी के फेलो के वर्ग के लिए चुना गया था।कन्नन सुन्दरराजन को गणितज्ञों की 2022 अन्तर्राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्ण वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था जो सेंट पीट्सबर्ग (Saint Petersburg) में होने वाला था लेकिन 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के कारण हेलसिंकी (Helsinki) और ऑनलाइन चले गए।

6.निष्कर्ष (Conclusion):

  • किसी भी विषय में पारंगत होने के लिए पुरुषार्थ,मन की एकाग्रता,संकल्पशक्ति,दृढ़ इच्छाशक्ति,लक्ष्य का निर्धारण जैसे गुणों की आवश्यकता होती है।इनके होते हुए कोई भी विषय कठिन नहीं लगता है तथा इन गुणों के बिना कोई भी विषय कठिन लग सकता है।कोई विषय अपने आपमें न कठिन होता है और न सरल होता है।उपर्युक्त गुणों के साथ जिज्ञासा,रुचि और विषय में तीव्र उत्कण्ठा हो तो कोई भी विषय सरल बन जाता है।
  • गणित विषय अधिकतर विद्यार्थियों को कठिन विषय लगता है परंतु जैसा कि हमने कहा कि विषय तो जड़ होता है,निष्पक्ष होता है।किसी विषय को सक्रिय और जीवंत हम ही करते हैं और अपने मस्तिष्क और बुद्धि के प्रयोग से नई-नई खोजें एवं आविष्कार कर देते हैं।
  • कन्नन सुंदरराजन जैसे अनेक गणितज्ञ हैं जिनके सामने कठिन चुनौतियां आई हैं परंतु अपने जीवट,अध्यवसाय,बुद्धि और संकल्पशक्ति के आधार पर वे गणित में नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर देते हैं।
  • यहाँ एक स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि गणित जैसे विषय को पढ़ने में मन नहीं लगता,रुचि जागृत नहीं होती और जिज्ञासा का अभाव रहता है तो फिर गणित को कैसे पढ़ा जाए? हम इन गणितज्ञों का विवरण इसलिए पोस्ट करते हैं ताकि गणित व अन्य विषय के विद्यार्थियों को उनसे प्रेरणा मिल सके।
  • यदि गणित में रुचि नहीं है तब भी गणित को पढ़ने के लिए मन के विरोध में खड़ा होना पड़ेगा और जो मन गणित को नहीं पढ़ने में लगता है उसके विरुद्ध होकर गणित को पढ़ना होगा।प्रारंभ में कठिनाई आ सकती है परंतु धीरे-धीरे अभ्यास करने पर मन को साधना सरल होता जाएगा।फिर गणित को पढ़ने में रुचि भी होती जाएगी और गणित पर पकड़ भी मजबूत होती जाएगी।
  • आप जरा सोचिए कि कन्नन सुन्दरराजन जैसे गणितज्ञ अपने घर-बार,देश को छोड़कर विदेशों में अध्ययन करने जाते हैं तो क्या उनके सामने प्रतिकूल परिस्थितियां नहीं होती है? अपने घर और देश को छोड़कर अनजान जगह,अनजान लोगों के बीच अध्ययन करना और उसमे सफलता प्राप्त करना कोई आसान काम नहीं हैं।उन्हें अनेक विपत्तियों व कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
  • परंतु वे इन सबकी परवाह न करते हुए अपने मिशन में लगे रहते हैं और कामयाब होते हैं।विदेशों में पढ़ना और जीवन का निर्माण,गणित पढ़ना,गणितज्ञ बनना,गणित में शोध कार्य करना,गणित में ऐसे शोध कार्य करना जिसे पुरस्कार प्राप्त किया जा सके ये सभी प्रक्रियाएं सरल नहीं बल्कि कठिन है।इन सभी में कष्ट उठाने पड़ते हैं,अपने आपको संकट में डालना पड़ता है तभी इस तरह की सफलताएं संभव हो पाती है।सामान्य व्यक्ति व सामान्य गणित के छात्र-छात्राओं को इन गणितज्ञों के तप (पुरुषार्थ) और साधना दिखाई नहीं देती है।हमें ऐसे महान गणितज्ञों,महामानवों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
    उपर्युक्त आर्टिकल में गणितज्ञ कन्नन सुंदरराजन (Mathematician Kannan Soundararajan),कन्नन सुंदरराजन (Kannan Soundararajan) के बारे में बताया गया है।

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7.नालायक गणित के छात्र को लायक बनाने का तरीका (हास्य-व्यंग्य) (How to Make a Worthless Math Student Worth It) (Humour-Satire):

  • अध्यापक (शैतान छात्र से):मैं गणित में नालायक छात्र को लायक छात्र नहीं बना सकता हूँ।
  • शैतान छात्र:लेकिन मैं तो बना सकता हूँ।
  • अध्यापकःवह कैसे?
  • शैतान छात्र:परीक्षा में सभी सवालों के उत्तर पासबुक व कुंजियों से नकल करके,होशियार छात्र-छात्राओं की उत्तर पुस्तिकाओं से नकल करके,गणित शिक्षक से सवालों के हल पूछकर।इस प्रकार मेरे पास तो एक नालायक गणित के छात्र को लायक बनाने के अनेक नायाब मैथड (Method) है।

8.गणितज्ञ कन्नन सुंदरराजन (Frequently Asked Questions Related to Mathematician Kannan Soundararajan),कन्नन सुंदरराजन (Kannan Soundararajan) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.कनन्न सुंदरराजन द्वारा लिखित मुख्य पुस्तकें कौनसी हैं? (Which are the Main Books Written by Kannan Soundararajan?):

उत्तर:(1.)R. Holowinsky and K. Soundararajan, “Mass equidistribution for Hacke eigenforms”
(2.)K.Soundararajan,”Nonvanishing of quadratic Dirichlet L-functions at s=\frac{1}{2}
(3.)K.Soundararajan, “Moments of the Riemann Zeta function”

प्रश्न:2.अमेरिकन मैथमेटिकल सोसायटी ने कौनसा पुरस्कार दिया? (Which Award was Given by the American Mathematical Society?):

उत्तर:कन्नन सुंदरराजन द्वारा स्नातक के समय गणित में उत्कृष्ट योगदान के लिए Frank and Brennie Morgan Prize दिया गया।

प्रश्न:3.कन्नन सुंदरराजन वर्तमान में कहां कार्यरत है? (Where is Kannan Soundararajan Currently Employed?):

उत्तर:कन्नन सुंदरराजन भारतीय अमेरिकन गणितज्ञ है।वर्तमान में वे स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय,अमेरिका में (2022 तक) कार्यरत हैं।वे 1993 में अध्ययन के लिए भारत छोड़कर अमेरिका चले गए और फिर वहीं बस गए।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणितज्ञ कन्नन सुंदरराजन (Mathematician Kannan Soundararajan),कन्नन सुंदरराजन (Kannan Soundararajan) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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