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How to Study Math in Adverse Situation?

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1.विपरीत परिस्थितियों में गणित का अध्ययन कैसे करें? (How to Study Math in Adverse Situation?),छात्र-छात्राएँ विपरीत परिस्थितियों में गणित का अध्ययन कैसे करें? (How Students Study Mathematics in Adverse Circumstances?):

  • विपरीत परिस्थितियों में गणित का अध्ययन कैसे करें? (How to Study Math in Adverse Situation?) इसका तात्पर्य है कि विपरीत परिस्थितियां गणित में बाधक नहीं बल्कि गणित में प्रतिभा को निखारने के लिए आवश्यक है।इसका तात्पर्य यह नहीं है कि अनुकूल परिस्थितियों की कोई उपयोगिता नहीं है तथा केवल विपरीत परिस्थितियों का ही महत्त्व है।जीवन में दोनों स्थितियां आती हैं।जो विद्यार्थी बहुत अधिक अनुकूल परिस्थितियों में पढ़ते हैं अथवा गणित का अध्ययन करते हैं वे थोड़ा सा भी कठिन प्रश्न-पत्र आ जाता है तो अपना हौसला खो बैठते हैं।परंतु जो विद्यार्थी विपरीत परिस्थितियों में गणित का अध्ययन करते हैं वे विद्यार्थी जटिल से जटिल प्रश्न-पत्र को चुटकियों में हल कर देते हैं।
  • अनुकूल परिस्थितियों से तात्पर्य है कि जिन विद्यार्थियों को पुस्तकें,सन्दर्भ पुस्तकें,कोचिंग की व्यवस्था,उत्कृष्ट विद्यालय,अच्छे मित्र,सुशिक्षित माता-पिता,अच्छा वातावरण,पढ़ने के लिए सुसज्जित अध्ययन कक्ष,बिजली,पानी की सुविधाएं,पौष्टिक भोजन इत्यादि सुविधाएँ उपलब्ध हों।प्रतिकूल परिस्थितियों से तात्पर्य है कि जिन विद्यार्थियों को आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ता है,अच्छे विद्यालय में फीस न दे सकने के कारण निम्न स्तर के विद्यालय में पढ़ते हैं,माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं है,गणित की समस्याओं को हल करने में सहयोग करने वाले मित्रों का अभाव है,संदर्भ पुस्तके नहीं खरीद सकते हैं इत्यादि से है।
  • अभावों तथा विपरीत परिस्थितियों में पलने-बढ़ने वाले,अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राएं कठिन से कठिन परीक्षाओं,प्रतियोगिता परीक्षाओं को बहुत ही सहजता से देते हैं तथा सफल होते हैं।परंतु बहुत अधिक अनुकूल परिस्थितियों में पलने-बढ़ने वाले तथा अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राएं साधारण सी परीक्षा,प्रतियोगिता परीक्षा से घबरा जाते हैं,सांस फूलने लगती है,उनका सारा कौशल धरा का धरा रह जाता है,प्रतिभा दम तोड़ने और मुरझाने लगती है।
  • यह ठीक बात है कि प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना उच्च मनोबल तथा प्रचण्ड पुरुषार्थ करने वाले विद्यार्थी ही कर सकते हैं और ऐसी प्रतिभाएं बहुत कम होती है।परन्तु कितना ही प्रतिभाशाली विद्यार्थी अनुकूल परिस्थितियों में अध्ययन करने वाला परीक्षाओं में हिचकियाँ लेने लगता है।प्रतिभा का सर्वोत्तम विकास कुछ अनुकूल परिस्थिति तथा कुछ प्रतिकूल परिस्थिति में हो सकता है।
  • अनुकूलताओं को पसंद करने वाले तथा प्रतिकूलताओं को घृणा की दृष्टि से देखने वाले विद्यार्थी अध्ययन करने में उन्नति व विकास के शिखर पर नहीं पहुंच सकते हैं।
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2.प्रतिकूल परिस्थितियों में सकारात्मक दृष्टिकोण रखें (Have a Positive Attitude in Adverse Situations):

  • जो युवक-युवतियां गणित का अध्ययन करके शिखर पर पहुंचना चाहते हैं उन्हें चिन्तन पद्धति सन्तुलित रखना होगा।गर्मी के बाद वर्षा और वर्षा के बाद शरद ऋतु आती है।हर ऋतु का अपना-अपना महत्त्व होता है।सुख के बाद दुख तथा दुःख के बाद सुख आता है।इसी तरह युवक-युवतियों के सामने अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियां आती रहती है।अनुकूल परिस्थितियों का भरपूर फायदा उठाकर अध्ययन करना चाहिए।प्रतिकूल परिस्थितियों में सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए तथा प्रचण्ड पुरुषार्थ करते हुए अध्ययन कार्य करते रहना चाहिए।युवा उसे ही कहा जा सकता है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उत्साह और प्रसन्न रहकर उनका स्वागत करता है।ऐसा तभी संभव है जब वह सकारात्मक दृष्टिकोण रखेगा।सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले विद्यार्थी न कभी हार मानते हैं और न कभी छोटी-छोटी सफलताओं से संतुष्ट होते हैं तथा असफल होने पर न निराश होते हैं व न हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाते हैं।
  • विद्यार्थी को अनुकूल तथा प्रतिकूल परिस्थितियों से इस प्रकार प्रभावित नहीं होना चाहिए जिससे उनके अध्ययन का कार्य गड़बड़ा जाए अर्थात बिगड़ जाए अथवा छूट जाए।विपरीत तथा अनुकूल दोनों ही परिस्थितियों में विद्यार्थी का मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाने पर परिस्थितियां हावी हो जाती हैं और विद्यार्थी अध्ययन कार्य छोड़ बैठता है।
  • महान गणितज्ञ और मनस्वी व्यक्ति आप और हमारी तरह साधारण व्यक्ति ही थे परंतु विपरीत परिस्थितियों,संकट की घड़ी व अभावों में जूझते रहे और विजयी हुए।हमारे सामने प्रेरक आदर्श रखा।दरअसल विपत्तियों में उन्होंने ओर अधिक जागरूकता का परिचय दिया।कई गणितज्ञों तथा वैज्ञानिकों ने तो स्वेच्छापूर्वक गणित का अध्ययन करने के लिए धन-संपत्ति तक को त्याग दिया।उदाहरणार्थ यूक्लिड ने गणित का अध्ययन करने के लिए धन-संपत्ति का प्रलोभन दिए जाने पर पिता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। 
  • गणित का अध्ययन करने में ऊपर उठना अथवा नीचे गिरना हमारे दृष्टिकोण व मनःस्थिति पर निर्भर है।विकृत मनःस्थिति में हम अध्ययन को छोड़कर भाग खड़े होते हैं और फिर दुखी होकर इधर-उधर भटकते रहते हैं।जबकि सकारात्मक दृष्टिकोण व उच्च मनःस्थिति में हम गणित के अध्ययन करने में उन्नति के शिखर की ओर अग्रसर होते हैं।
  • विपरीत परिस्थितियों को जीवन व अध्ययन काल से पूर्णतः हटाया तो नहीं जा सकता है।परंतु सकारात्मक दृष्टिकोण,समझदारी,जागरूकता और सद्गुणों को धारण करके उनको कम किया जा सकता है।विद्याध्ययन कठोर तप और साधना है।विद्यार्थी को अध्ययन करने के लिए विपरीत परिस्थितियों को अपने जीवन का अंग मानकर अपनी मनोस्थिति को पहले से ही उनसे जूझने और मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए अपने आपको अभ्यस्त कर लेना चाहिए।
  • गणित की समस्याओं तथा कठिन सवालों से जूझने तथा उच्च मनोबल के आधार पर उन्हें हल किया जा सकता है।वस्तुतः दुर्बल मनःस्थिति वाले छात्र-छात्राएं ही गणित को बहुत कठिन विषय आंकते हैं।यदि वे निरंतर अध्ययन करते रहें और धैर्यपूर्वक सवालों को हल करते रहें तो काफी हद तक गणित को सरल कर सकते हैं।
  • गणित विषय को वे अपना मित्र बना लें तो वह कष्टदायक महसूस नहीं होगी।भगवान ने हमें विपरीत तथा अनुकूल परिस्थितियां हमारे निर्माण के लिए ही दी है।वे हम पर हावी होने के लिए नहीं है परंतु हमें उन पर हावी होकर सफलता अर्जित करने के लिए हैं।गणित में सीधे-सरल,एक ही तरीके के सवालों और समस्याओं से हमारी प्रतिभा नहीं निखर सकती है।जटिल समस्याओं व जटिल सवालों को हल करने की क्षमता का विकास करना चाहिए।यदि ऐसा अभ्यास तथा पूर्व तैयारी की जा सके तो निश्चित रूप से कठिन समस्याओं को भी धैर्य और सन्तुलन के द्वारा हल किया जा सकता है।

3.गणित की कठिन समस्याओं में प्रचंड पुरुषार्थ की आवश्यकता (The Need for Great Effort in Difficult Mathematics Problems):

  • गणित की कठिन समस्याओं में धैर्य न खो बैठे।प्रत्येक परिस्थिति के अपने-अपने दोष और गुण हैं।संसार का कोई भी ऐसा विषय नहीं है जिनमें गुण न हो।हमें गणित के अध्ययन से प्राप्त होने वाले गुणों की ओर ध्यान देना चाहिए।जो विद्यार्थी गणित के अध्ययन में प्रचण्ड पुरुषार्थ करते हैं ज्ञान भी तो उन्हीं को प्राप्त होता है।ध्यान रखने वाली बात यही है कि हमें अध्ययन और गणित के सवालों व समस्याओं से हौसला नहीं खो बैठना चाहिए और बहुत अधिक पुरुषार्थ करने पर भी गणित के अध्ययन में उन्नति नहीं कर पा रहे हैं तो उस परिस्थिति से संतोष कर लेना चाहिए।
  • हल्के और ओछे विद्यार्थी वे हैं जो अध्ययन और गणित के सवालों व समस्याओं को हल करने में रुचि नहीं लेते हैं और केवल परीक्षा उत्तीर्ण करने के दृष्टिकोण से पढ़ते हैं।गणित के अध्ययन में सरल टॉपिक भी आते हैं तो कठिन टॉपिक भी आते हैं।हमें दोनों तरह के सवालों और समस्याओं को अपनाकर लगन तथा उत्साह के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
  • यदि आप केवल सरल सवालों और समस्याओं को हल करते जाएंगे और कठिन सवालों व समस्याओं छोड़ते जाएंगे तो आगे जाकर वह रास्ता बंद हो जाएगा क्योंकि गणित में आगे अध्ययन करने का यही रास्ता है कि सरल व कठिन सवालों व समस्याओं को हल करते हुए आगे बढ़े।
  • गणित ही क्या संसार में कोई सा भी विषय हिंदी,अंग्रेजी,विज्ञान इत्यादि बिल्कुल सीधा और सरल नहीं है।दरअसल विषय तो निरपेक्ष है।सरलता तथा कठिनता तो अपने मन के भाव हैं।
  • विपरीत परिस्थितियों से परेशान न होकर उनके अनुकूल बनिए।धीरे-धीरे अपनी योग्यता और क्षमता व सामर्थ्य को बढ़ाते जाइए और गणित के अध्ययन में आने वाली विपरीत परिस्थितियों को परिवर्तित करते जाइए।सदा गणित के शिखर पर पहुंचने वाला वह पुरुषार्थी है जो अपनी सामर्थ्य,योग्यता व क्षमता के अनुसार परिस्थितियों को बदलता है किंतु यदि वे नहीं बदलती तो स्वयं परिस्थितियों के अनुकूल अपने आपको बदल लेता है।छात्र-छात्राएं अपने मन की सामर्थ्य एवं आत्मिक बल के द्वारा परिस्थितियों के निर्माण करने वाला है।जैसा चाहे तथा जब चाहे उनका निर्माण कर सकता है।कोई बाधा ऐसी नहीं है जिसे दूर न किया जा सके।
  • हम हमारी मोटी बुद्धि के अनुसार परिस्थितियों के असली उद्देश्य तथा कारण को नहीं समझ पाते हैं।परिस्थितियों में कुछ न कुछ हमारा हित छुपा हुआ होता है जिसे हम नहीं जान पाते हैं।कई छात्र-छात्राएं तो गणित की विषय-वस्तु (content) का निर्माण करने वाले अर्थात् महान गणितज्ञों को बुरा भला कहते हैं।वे हल नहीं कर पाते तो हाय तौबा करते हैं,दुःखी होते हैं।परंतु अपनी कमजोरी को पकड़ कर दूर करने का वे बिल्कुल प्रयास नहीं करते हैं।कठिन परिश्रम करने में लापरवाही करना संतोष नहीं है बल्कि गणित में तथा जीवन में आने वाली कठिनाइयों में विचलित न होना संतोष है।धैर्य और संतोष धारण करने से गणित तथा जीवन की समस्याओं का भार हल्का हो जाता है।

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4.विपरीत परिस्थितियों का दृष्टांत (Illustration of Adverse Circumstances):

  • कैक्टस तथा नागफनी ऐसा पौधा है जो बिल्कुल विपरीत परिस्थितियों में खड़ा रहता है।आँधी-तूफान,प्रचण्ड गर्मी,प्रकृति के झंझावात उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाते हैं।उसको न खाद-पानी की आवश्यकता होती है और न किसी मनुष्य के द्वारा देखभाल करने की,फिर भी वह अपने अस्तित्व को बनाए रखता है।बहुत काल तक वह उपेक्षित अवस्था में पहाड़ों,जंगल व बंजर भूमि पर उपेक्षित ही था।परंतु जब उसके अच्छे दिन आए तो आज वह छोटे-बड़े नगरों में संभ्रांत लोगों के भवनों की शोभा बढ़ाने वाला समझा जाने लगा।उसके गमले बरामदो तथा स्वागत कक्षों में आगंतुकों व अतिथियों के स्वागत में लगाए जाने लगे।वह अनुकूल व प्रतिकूल परिस्थितियों में रह सकता है।कैक्टस को खाद-पानी देने का काम आज तक किसी ने नहीं किया।इससे हम यह सीख ले सकते हैं कि विसंगतियों,विषमताओं तथा प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष करके महान बनने के लक्षण मौजूद होते हैं।
  • गणित को जनमानस तक पहुंचाने के लिए गणित जागरूकता अभियान चलाया जा रहा था।इस अभियान में छात्र-छात्राएं भाग ले रहे थे।छात्र-छात्राओं को लोगों को गणित की जीवन में उपयोगिता बतानी थी।साथ ही साधारण जोड़,गुणा,भाग,बाकी इत्यादि भी बताया जाना था।जो लोग पढ़े लिखे थे तो उन्हें लिखित व मौखिक रूप से गणित का दैनिक जीवन में उपयोग कैसे करें,बताया जा रहा था।जो अनपढ़ थे उन्हें मौखिक रूप से समझाया जा रहा था।
  • नगर के सीमावर्ती इलाके में एक दिन यह अभियान चल रहा था तो एक गणितज्ञ उधर से गुजर रहे थे।वहां छात्र-छात्राओं के हुजूम को देखा तो वे ठिठके।उन्होंने एक छात्र से पूछा कि क्या कर रहे हो?छात्र ने कहा कि दिखाई नहीं देता,इनको गणित समझा रहा हूं।हालांकि गणितज्ञ ने बिल्कुल साधारण सा सवाल बहुत विनम्र भाषा में पूछा था।गणितज्ञ की वाणी में मिठास था परंतु जवाब देने वाला छात्र उग्र स्वभाव का था।यही नहीं वह लोगों को बेमन से गणित समझाते हुए दिखाई दिया।छात्र की वाणी कर्कस व कठोर थी।इसलिए सीधे से प्रश्न का इतना कटु उत्तर।
  • गणितज्ञ कुछ आगे बढ़े और दूसरे छात्र के पास पहुंचकर वही प्रश्न दोहराया।दूसरे छात्र के जवाब में पहले जैसी कड़वाहट तो नहीं थी परंतु यह लगता था कि लोगों को गणित समझाने के कार्य से उसे संतोष नहीं था।उसने उत्तर दिया दिया कि महाशय परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए करना पड़ता है।उसकी वाणी में विवशता और अनुत्साह झलक रहा था।
  • तब वे एक तीसरे छात्र के पास गए।वे ज्यों ही उसके पास जाकर खड़े हुए तो देखा कि छात्र पूर्ण तन्मयता,एकाग्रता,उत्साह से लोगों को गणित की उपयोगिता तथा दैनिक जीवन में महत्त्व को समझा रहा था।साथ ही साथ उनको लिख-लिखकर कुछ समस्याओं को हल करके समझा रहा था।गणितज्ञ ने उससे पूछ ही लिया कि क्या कर रहे हो भाई? छात्र की एकाग्रता भंग हुई और उसने झुककर गणितज्ञ को प्रणाम किया।उसे गणित को लोगों को समझाने में आनंद की अनुभूति हो रही थी।उसने धैर्यपूर्वक तथा अत्यंत विनीत भाव से कहा कि विद्यादान तो सबसे बड़ा दान है।भगवान ने मुझे इसका निमित्त बनाया है,यह मेरा सौभाग्य है।इसी गणित विद्या को जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा हूं।परिस्थिति एक ही थी परंतु तीनों छात्रों की मनःस्थिति में अंतर था।पहला छात्र जबरदस्ती वश गणित समझा रहा था,दूसरा लाचारी व विवशता के कारण गणित समझाने में जुटा हुआ था वरना अनुत्तीर्ण होने का भय था।तीसरा छात्र आनंद,मस्ती,उमंग,उत्साह तथा समर्पित होकर लोगों को गणित विद्या समझा रहा था।पहले दोनों छात्र दुःखी,निराश,हताश,खिन्न व लाचार थे।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में विपरीत परिस्थितियों में गणित का अध्ययन कैसे करें? (How to Study Math in Adverse Situation?),छात्र-छात्राएँ विपरीत परिस्थितियों में गणित का अध्ययन कैसे करें? (How Students Study Mathematics in Adverse Circumstances?) के बारे में बताया गया है।

5.गणित और भौतिकी की लड़ाई (हास्य-व्यंग्य) (The Battle of Mathematics and Physics) (Humour-Satire):

  • एक अध्यापक (गणित अध्यापक से):यदि तुम्हारे गणित के छात्र तथा भौतिकी के छात्र के बीच लड़ाई हो जाए तो तुम क्या करोगे?
  • गणित अध्यापक:उसमें मुझे क्या करना है? गणित के बिना भौतिकी का काम नहीं चल सकता और भौतिकी के बिना गणित का काम नहीं चल सकता है।लड़-झगड़ कर खुद ही मामले को आपस में निपटा लेंगे।

6.विपरीत परिस्थितियों में गणित का अध्ययन कैसे करें? (Frequently Asked Questions Related to How to Study Math in Adverse Situation?),छात्र-छात्राएँ विपरीत परिस्थितियों में गणित का अध्ययन कैसे करें? (How Students Study Mathematics in Adverse Circumstances?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नः

प्रश्नः1.परिस्थितियों से क्या तात्पर्य है? (What do You Mean by Circumstances?):

उत्तरःसोचने के सही ढंग,दृष्टिकोण,सकारात्मक चिंतन व मानसिक संतुलन तथा विचलित न होने वाले के लिए परिस्थिति अनुकूल है तथा गलत ढंग से सोचने,दुर्बल मनःस्थिति,नकारात्मक चिंतन तथा मानसिक संतुलन न बनाने के लिए हर परिस्थिति प्रतिकूल है।

प्रश्नः2.कैक्टस के पौधे से क्या शिक्षा मिलती है? (What Does the Cactus Plant Teach?):

उत्तरःकैक्टस से शिक्षा मिलती है कि सुख-भोग,लालसाओ से आत्मसम्मान की रक्षा नहीं की जा सकती है।कैक्टस अपनी शक्ति के बल पर अपने अस्तित्व को बनाए रखता है और बनाए रखेगा।हर परिस्थिति में तथा हमेशा,हर जगह और हर कहीं।सद्गुणों को दूसरे शब्दों में आत्मसम्मान कहा जा सकता है जो कैक्टस में विद्यमान है।

प्रश्नः3.कुछ लोग कैक्टस में नकारात्मक गुणों को क्यों देखते हैं? (Why Do Some People See Negative Qualities in Cactus?):

उत्तरःकैक्टस के महत्त्व,आत्मनिर्भरता,उसके आंतरिक सौंदर्य,आत्म-सम्मान को जो लोग नहीं पहचानते हैं यह उनके दृष्टिकोण का दोष है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा विपरीत परिस्थितियों में गणित का अध्ययन कैसे करें? (How to Study Math in Adverse Situation?),छात्र-छात्राएँ विपरीत परिस्थितियों में गणित का अध्ययन कैसे करें? (How Students Study Mathematics in Adverse Circumstances?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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विपरीत परिस्थितियों में गणित का अध्ययन कैसे करें?
(How to Study Math in Adverse Situation?)

How to Study Math in Adverse Situation?

विपरीत परिस्थितियों में गणित का अध्ययन कैसे करें? (How to Study Math in Adverse Situation?)
इसका तात्पर्य है कि विपरीत परिस्थितियां गणित में बाधक नहीं
बल्कि गणित में प्रतिभा को निखारने के लिए आवश्यक है।

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