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Artistic Value in Mathematics

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2 2.गणित में कलात्मक मूल्य (Artistic Value in Mathematics),गणित के कलात्मक मूल्य (Artistic Value of Mathematics) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1.गणित में कलात्मक मूल्य (Artistic Value in Mathematics),गणित के कलात्मक मूल्य (Artistic Value of Mathematics):

  • गणित में कलात्मक मूल्य (Artistic Value in Mathematics) गणित प्रेमियों,गणित पढ़ने वाले को दिखाई देते हैं।छात्र-छात्राओं में शिक्षा के द्वारा संपूर्ण विकास का लक्ष्य है।इस प्रकार गणित विषय से भी कलात्मक मूल्यों का विकास किया जाता है।
  • गणित का अध्ययन करने का तात्पर्य यह नहीं है कि उसका व्यावहारिक जीवन में लाभ तथा हमारे लिए उपयोगी हो।अधिकतर छात्र-छात्राओं के जीवन में उच्चतर गणित का उपयोग नहीं होता है क्योंकि वे ऐसे जॉब को चुनते हैं जहाँ उच्चतर गणित की आवश्यकता नहीं होती है।इसके बावजूद छात्र-छात्राओं को उच्चतर गणित पढ़ाई जाती है तथा शिक्षण का आवश्यक अंग माना जाता है। इसका कारण है कि गणित शिक्षा से एक विशेष मानसिक क्षमता अर्थात् सृजनात्मक चिन्तन,रचनात्मक चिंतन,तार्किक शक्ति,बौद्धिक क्षमता,मनन एकाग्रता जैसे कई गुणों का विकास होता है जो किसी अन्य विषयों के शिक्षण से नहीं होता है।परंतु गणित का अध्ययन करने से यह लाभ न हो तो शिक्षा में उसका स्थान देने का कोई अर्थ नहीं है।इसलिए छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों को गणित विषय के व्यावहारिक,चारित्रिक तथा मूल्यों के पहलुओं पर गहराई से चिंतन करना चाहिए।
  • कलात्मक मूल्यों का पूर्णतः गणित के छात्र-छात्राओं में विकास तो नहीं किया जा सकता है परंतु थोड़ा-बहुत विकास जरूर किया जा सकता है।
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(1.)गणित में कलात्मक मूल्य कैसे हैं? (How are the artistic values in mathematics?):

  • जो लोग गणित का अध्ययन नहीं करते हैं अथवा अध्ययन करते हैं परंतु उथले मन से करते हैं वे लोग गणित को रसहीन तथा नीरस विषय मानते हैं। गणित के सवालों व समस्याओं को जब हल करते हैं और सवाल हल हो जाता है तो हमें विशेष आनंद की अनुभूति होती है।कला भी एक प्रकार का सृजन है और गणित के अध्ययन में भी सृजनात्माकता का विकास होता है क्योंकि गणित में भी किसी आकृति का सृजन करते है।जैसे त्रिभुज,चतुर्भुज,आयत,गोला इत्यादि।सभी कलाओं जैसे चित्रकला,मूर्तिकला,संगीतकला,नृत्यकला इत्यादि में गणित का प्रयोग होता ही है।संगीत में सात स्वर होते हैं जो कि गणित का ही प्रतीक है। मूर्तिकला में किसी न किसी चीज की आकृति का निर्माण होता है।आकृतियों का निर्माण करना हम रेखागणित व ज्यामिति में सीखते हैं।
  • विद्यार्थियों को गणित का अध्ययन करते हुए विश्राम की आवश्यकता होती है।मानसिक व शारीरिक रूप से विश्राम का अर्थ है कि कुछ मनोरंजनात्मक कार्य किया जाए।मनोरंजन से विश्राम मिलता है।गणित में बहुत सी ऐसी सहायक सामग्री है जिससे मनोरंजन होता है।जैसे गणित की वर्ग पहेली,पहेलियां,मैजिक वर्ग,गणित के खेल,कूट प्रश्न,चार्ट,मॉडल,वाद-विवाद इत्यादि से मनोरंजन तो होता ही है परंतु इनसे कलात्मक मूल्य का सृजन भी होता है।

(2.)ज्यामिति व रेखागणित से कलात्मक मूल्य निर्माण (Creation of artistic values from geometry):

  • गणित में रेखागणित व ठोस ज्यामिति में आयतन,क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए फील्ड बुक,आयत,वर्ग,चतुर्भुज,बेलन,गोला,अर्द्धगोला,वृत्त,शंकु,घन,घनाभ इत्यादि आकृतियाँ बनानी होती है।इन आकृतियों को सुंदर बनाया जाता है तो परीक्षक भी प्रसन्न होकर अच्छे अंक देता है।अंक पाकर छात्र-छात्राएं प्रसन्न होते हैं।इस प्रकार सहज ही में गणित की आकृतियों से उनमें कलात्मक मूल्य का विकास होता है।
  • रेखागणित में भी समरूप आकृतियों,सर्वांगसम आकृतियों,रेखाओं,त्रिभुज,चतुर्भुज,वृत्त की स्पर्शरेखाओं का निर्माण किया जाता है।जो छात्र-छात्राएं रुचिपूर्वक इन आकृतियों का निर्माण करता है वह उतना ही निपुण होता जाता है।सुन्दर आकृतियों को देखकर छात्र-छात्राओं का मन प्रफुल्लित हो जाता है।कला दो प्रकार की होती है भौतिक कला जो कि भौतिक वस्तुओं की आकृति,डिजाइन होती है।जिनको स्थूल आंखों से देखा जा सकता है।इस प्रकार की सृजनात्मकता बुद्धिप्रधान होती है।दूसरी आंतरिक होती है जिसे आंतरिक बोध द्वारा अनुभव किया जा सकता है। छात्र-छात्राएं जब सुंदर ज्यामितीय आकृतियां बनाते हैं और उसे बनाने में एकाग्रतापूर्वक तथा तल्लीन हो जाते हैं तो उन्हें आंतरिक कलात्मक मूल्य के आनंद का अनुभव होता है।

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(3.)प्रकृति में कलात्मक मूल्य का बोध (The realization of artistic values in nature):

  • प्रकृति में,मंदिरों में तथा घर-परिवारों में हमें गणितीय ज्यामिति की कलात्मक आकृतियों का दर्शन होता है।जिन्हें देखकर हम दंग रह जाते हैं। जबकि प्रकृति में विभिन्न पक्षियों,मंदिर में कलाकारों तथा घर-परिवार में महिलाओं द्वारा जो ज्यामितीय आकृतियां निर्माण करते हैं वे कहीं कला शिक्षा अथवा गणित शिक्षा का प्रशिक्षण व डिग्री नहीं लेते हैं।लेकिन वे ऐसी आकृतियां अपने व्यावहारिक ज्ञान के आधार पर ही बनाते हैं।
  • प्रकृति में मधुमक्खी जो शहद का छत्ता तैयार करती है उसमें अद्भुत हेक्सागोन (समषट्भुज) के दर्शन कर सकते हैं।पेड़-पौधों की पत्तियों में फ्रेक्टल (Fractal) का दर्शन कर सकते हैं।ये ब्रह्मांड के पक्षी अद्भुत ज्यामिति की आकृतियों के निर्माता हैं। प्रकृति स्वयं ज्यामितीकार है जो विभिन्न पेड़-पौधों में ज्यामितीय आकृतियों का निर्माण करती है। उनकी आकृतियों को देखकर अपार सौंदर्य बोध होता है।
  • घर-परिवार में महिलाओं के पास किसी आर्ट्स की डिग्री और गणित की डिग्री नहीं होती है।परंतु कोल्लम,दीपावली इत्यादि त्यौहारों के अवसर पर घर-आंगन में विभिन्न प्रकार की गणितीय आकृतियों को देखकर दांतो तले उंगली दबाए बिना नहीं रह सकते हैं।
  • विभिन्न मंदिरों में कलाकार अपनी स्थापत्य कला का प्रदर्शन देखते ही बनता है।प्राचीन मंदिरों में तो बहुत ही सुंदर व अद्भुत आकृतियां देखने को मिलती है।आज के इंजीनियरिंग डिग्रीधारी (आर्किटेक्चर) अर्थात् वास्तुशिल्पकार भी ऐसी आकृतियां बनाने में असमर्थ रहेंगे।
  • कला,संगीत,चित्रकला,मूर्तिकला में जिस सौन्दर्य का अनुभव किया जाता है वैसे ही गणित विषय में सौंदर्य का अनुभव किया जा सकता है।

(4.)गणित शिक्षण में रसानुभूति एवं सृजनात्मकता (Engrossability and creativity in mathematics):

  • किसी भी गणित की आकृति,आरेख,मॉडल इत्यादि का सृजन करने से सृजनात्माकता का विकास तो होता ही है और यह कलात्मक भी है।परंतु इनसे हृदय में आनंद की अनुभूति भी हो तभी कलात्मक मूल्य व सौन्दर्य की अनुभूति करने में सहायता मिलती है।
  • वस्तुत:रसानुभूति के लिए छात्र-छात्राओं पर एक ही विधि लागू नहीं की जा सकती है।हर छात्र-छात्रा की मनोवृत्ति, बौद्धिक क्षमता,मानसिक स्थिति तथा उसका वातावरण अलग-अलग होता है।कुछ बालकों को गणित में आकृतियों को बनाने तथा उनको देखने में भाव जागृत हो जाता हैं जबकि कुछ बालकों को इस प्रकार आकृतियों का बनाना,परिश्रम करना,सौन्दर्यानुभूति का कोई अनुभव नहीं होता है तथा इसे बेकार समझते हैं। गणित विषय को सीखना,गणित के सवालों को हल करना,गणित समस्याओं में समय व्यतीत करना समय की बर्बादी समझते हैं।
  • हर बालक अलग-अलग वातावरण,संगति में रहता है।इसलिए इन सबका बालक पर प्रभाव पड़ता है। अध्यापक तथा माता-पिता की इसमें विशेष भूमिका होती है।बालकों को शुरू से ही उचित वातावरण प्रदान करने से उनका उचित विकास हो सकता है। बाल्यावस्था अर्थात् प्रारंभिक अवस्था में बालकों की प्रतिभा सुप्त रहती है।इसलिए इस अवस्था में जिस प्रकार बालकों को ढालना हो वैसे ही प्रशिक्षण,शिक्षा तथा संस्कार प्रदान करने चाहिए। बालकों की सुप्त प्रतिभा को पहचानकर उसके अनुसार उनको शिक्षण प्रदान करना चाहिए।
  • शिक्षक तथा माता-पिता को हमेशा सावधान व सतर्क रहना चाहिए कि बालकों पर अपने विचार थोपना नहीं चाहिए।अगर उन पर कोई विचार थोपा जाएगा तो गणित शिक्षण में रसानुभूति नहीं कर सकते हैं बल्कि गणित से आकर्षण हट जाएगा। बालकों की सुप्त प्रतिभा को पहचानना बहुत कठिन कार्य तथा एक साधना है।
  • संगीत,कविता का पाठ करके उसमें भाव और लय दोनों का समावेश करके रसानुभूति उत्पन्न करना सहज है।संगीत और कविता का सस्वर पाठ भी किया जा सकता है परंतु गणित विषय की प्रकृति इस प्रकार की नहीं है जैसे संगीत व कविता की है। गणित शिक्षण में रसानुभूति आंतरिक बोध के द्वारा ही अनुभव की जा सकती है।इसके लिए लगन,धैर्य, अभ्यास,अध्यवसाय,नियमितता,एकाग्रता,चिंतन-मनन जैसे कई गुणों की आवश्यकता होती है।ये गुण एकाएक गणित शिक्षण में पैदा नहीं किए जा सकते हैं।लेकिन ऐसा भी नहीं है कि गणित में रसानुभूति का आनंद नहीं लिया जा सकता हो। बालक को इस प्रकार का वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए जिससे वह कला के साथ-साथ रसानुभूति का अनुभव कर सके।वातावरण में आसपास शोर-शराबे,हो-हल्ला तथा व्यवधान करने वाली चीजें नहीं होनी चाहिए।

(5.)निष्कर्ष (Conclusion of Artistic Value in Mathematics):

  • उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि कला से यहां तात्पर्य हुनर तथा गुणों का विकास करने से है जिससे सृजनात्मकता का विकास हो।कला बालक की आन्तरिक,छुपी हुई,सुप्त प्रतिभा को उभारना,प्रकट करना,विकसित करना है।
  • मूल्यों को परिभाषित करने में दार्शनिकों,विचारकों के अलग-अलग मत हैं।संक्षिप्त में इतना कहा जा सकता है कि मूल्य वे चारित्रिक,सौंदर्य,कुशलता और महत्व के गुणधर्म है जिनके साथ लोग जीते हैं तथा जिन्हें वे कायम रखते हैं।जैसे अग्नि का मूल्य है उष्णता,जल का गुणधर्म है शीतलता।इनके बिना इनकी कल्पना नहीं की जा सकती है।इस प्रकार गणित में कलात्मक मूल्य से तात्पर्य है छात्र-छात्राओं में अंतर्निहित,सुप्त कलात्मक मूल्यों का सृजन द्वारा प्रकट करना।
  • वस्तुतः आधुनिक युग में मूल्यों पर लोगों का तथा छात्र-छात्राओं का विश्वास उठता जा रहा है।फिल्मों,दूरदर्शन के कार्यक्रमों तथा इंटरनेट,सोशल मीडिया पर सक्रियता से मूल्य धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं।आज छात्र-छात्राएं दिखावा पसंद करते हैं और दिखावा करके गौरव का अनुभव करते हैं।
  • पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में छात्र-छात्राएं उपभोक्तावादी संस्कृति तथा धनार्जन को अधिक महत्त्व देते हैं।भौतिक सुख-सुविधाओं को जुटाने में हम अपने अंदर की मानवीयता को खत्म करते जा रहे हैं।जॉब के लिए छात्र-छात्राओं में कड़ी प्रतियोगिता है।नेता लोग कहते कुछ हैं और करते कुछ ओर हैं।छात्र-छात्राएं भी उनसे यही सीखते हैं। नेता जनता के सामने आदर्शों का,मूल्यों का उपदेश देते हैं अर्थात् दिखावा करते हैं परंतु वास्तविक जीवन में छल-प्रपंच का सहारा लेते हैं।
  • अब छात्र-छात्राएं देखते हैं कि मूल्यों में आस्था रखनेवाले कष्ट का जीवन जीते हैं तथा मूल्यों का उल्लंघन करने वाले तथा अनैतिक आचरण करने वाले सम्मान पाते हैं और सुख सुविधापूर्ण जीवन जीते हैं तो वे मूल्यों में आस्था क्यों रखेंगे? छात्र-छात्राएं हमारे भारतीय मूल्यों को अपनाने के बजाय पाश्चात्य जीवन शैली को अपनाते जा रहे हैं।
  • भारतीय मूल्यों अर्थात् मूल्यविहीन शिक्षा एक कलंक के समान है।जब तक जाॅब पाने वाली शिक्षा में मूल्यों को शामिल नहीं किया जाएगा तब तक मानव सुखी,शांत तथा संतोषप्रद नहीं हो सकता है। मूल्यविहीन शिक्षा से ऊपरी तौर पर ही लोग सुखी व साधन संपन्न दिखते हैं।आंतरिक रूप से वे खोखले नजर आएंगे।इसलिए गणित में कलात्मक मूल्यों को पुरुषार्थ द्वारा प्राप्त किया जाए तभी जीवन में सच्ची सुख,शांति उपलब्ध हो सकती है।
  • उपर्युक्त विवरण में गणित में कलात्मक मूल्य (Artistic Value in Mathematics),गणित के कलात्मक मूल्य (Artistic Value of Mathematics) के बारे में बताया गया है।

6.अपराधी स्टूडेंट हास्य-व्यंग्य (Criminal Student) (Humor-Sattire):

  • एक परीक्षा केन्द्र पर दो छात्रों को नकल करते हुए परीक्षक ने पकड़ लिया और उनके खिलाफ केस कर दिया गया।जब उनके केस की सुनवाई हो रही थी तो जज ने सजा सुनाते समय कहा:
  • जज:(पहले छात्र से):तुम्हें नकल करते समय अपने भविष्य का ख्याल नहीं आया।
  • पहला छात्र:जज साहब मुझे सजा मत दो वरना मेरा भविष्य खराब हो जाएगा।
    पहला छात्र बहुत गिड़गिड़ाया पर जज साहब नहीं माने।
  • दूसरा छात्र:मैं ऐसी विद्या जानता हूँ जिसको सीख लेने पर कोर्ट के सभी केस खत्म किए जा सकते हैं।
    जज:मैं कैसे मान लूँ कि तुम सही ही कह रहे हो।
  • दूसरा छात्र:मुझे सजा देने पर मैं मर सकता हूँ और यह विद्या मेरे साथ ही खत्म हो जाएगी और वैसे भी सजा पानेवाला अन्त मैं झूठ नहीं बोलता है।
  • जज:ठीक है तुम्हें एक साल का समय दिया जाता है।तुमने वह विद्या सीखा दी तो तुम्हें माफ कर दिया जाएगा अन्यथा कठोर सजा मिलेगी।
  • पहला विद्यार्थी:(दूसरे विद्यार्थी से) अगर तुम वह विद्या नहीं सीखा पाए तो।
  • पहला विद्यार्थी:अब मेरे पास चार विकल्प हैं।पहला यह जज मर सकता है।दूसरा मैं मर सकता हूँ।तीसरा सीखनेवाला मर जाए।चौथा मैं यह विद्या सीखा भी सकता हूँ।लेकिन तुम्हारे पास एक ही विकल्प है कि तुम सजा भुगतो।
    अचानक आई हुई विपत्ति में प्रत्युत्पन्नमति से बचाव किया जा सकता है।ऐसे समय में हिम्मत,धैर्य और आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए।

2.गणित में कलात्मक मूल्य (Artistic Value in Mathematics),गणित के कलात्मक मूल्य (Artistic Value of Mathematics) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.गणित और कला कैसे संबंधित हैं? (How maths and art are related?):

उत्तर:गणित ने सीधे वैचारिक उपकरणों जैसे रैखिक परिप्रेक्ष्य (linear perspective),सममिति के विश्लेषण (analysis of symmetry) और गणितीय वस्तुओं जैसे पॉलीहेड्रा (polyhedra) और मोबियस स्ट्रिप (Möbius strip) के साथ कला को प्रभावित किया है। मैग्नस वेनिंगर (Magnus Wenninger) रंगीन ताराकार पॉलीहेड्रा (colourful stellated polyhedra) बनाता है,मूल रूप से शिक्षण के लिए मॉडल के रूप में।

प्रश्न:2.कला का गणित से क्या संबंध है? (How is art related to mathematics?):

उत्तर:वास्तव में,कला और गणित में कई मुख्य कौशल निकटता से संबंधित हैं।दोनों विषयों को स्थानिक तर्क कौशल (spatial reasoning skills) और पैटर्न को पहचानने की क्षमता की आवश्यकता होती है।कलाकार और गणितज्ञ अपने काम में ज्यामिति का उपयोग करते हैं – जिसमें आकार (shapes),सममिति (symmetry),अनुपात (proportion) और माप (measurement) शामिल हैं। … कला विश्लेषणात्मक हो सकती है

प्रश्न:3.कला में किस तरह का गणित है? (What kind of math is in art?):

उत्तर:कला में,गणित हमेशा दिखाई नहीं देता है,जब तक कि आप इसकी तलाश नहीं कर रहे हों।लेकिन सुंदर कला बनाने में बहुत अधिक समरूपता (symmetry),ज्यामिति (geometry) और माप (measurement) शामिल है।साथ ही, कई कलाकार गणितीय निष्कर्षों का लाभ उठाते हैं, जैसे कि उनकी कलाकृति (artwork) को यथार्थवादी (realistic) और सुंदर बनाने के लिए सुनहरा अनुपात।

प्रश्न:4.कला गणित सीखने में कैसे मदद करेगी? (How will arts help in learning mathematics?):

उत्तर:गणित में कला एकीकरण (Art integration in mathematics)
कला के माध्यम से सीखना अमूर्त गणित अवधारणाओं को ठोस (concrete),समझने योग्य और पहुंच योग्य बनाता है। … गणित में कला एकीकरण न केवल जिज्ञासा को बढ़ाता है,बल्कि गणित अवधारणाओं की गहरी समझ के निर्माण में सहायता करता है। यह बच्चों को रचनात्मक समस्या को सुलझाने के कौशल को विकसित करने में मदद करता है।

प्रश्न:5.आप गणित और कला को कैसे जोड़ते हैं? (How do you combine math and art?):

उत्तर:गणित और कला मूंगफली का मक्खन और जेली (peanut butter and jelly) की तरह एक साथ चलते हैं!
15 गणित कला परियोजना विचार
tapestries के माध्यम से समरूपता का अन्वेषण करें (Explore symmetry through tapestries)।
समय गतिविधि बताना (Telling time activity).
कोलाज के लिए विभिन्न आकृतियों के ज्यामितीय आकार काटें (Cut geometric shapes of different shapes for collages)।
समग्र आंकड़े (Composite figures)।
ग्राफिंग कला (Graphing art)।
मापन करें (Make measurements)।
पेंट मिश्रण के लिए अनुपात निर्धारित करें (Determine ratio for paint mixing)।
स्ट्रिंग कला के साथ पूरा करने के लिए भाग (Part to Whole with String Art)।

प्रश्न:6.क्या गणित एक कला या विज्ञान है? (Is mathematics an art or science?):

उत्तर:गणित स्वाभाविक रूप से अन्य विषयों से अलग है। जबकि यह बेतहाशा रचनात्मक है,यह कला नहीं है।जबकि इसका उपयोग प्राकृतिक घटनाओं (natural phenomena) को मॉडल करने के लिए किया जा सकता है,यह विज्ञान नहीं है।क्षेत्र में कला और विज्ञान दोनों के तत्व हैं,लेकिन यह या तो का सबसेट नहीं है.

प्रश्न:7.कला और वास्तुकला में गणित का उपयोग कैसे किया जाता है? (How is math used in art and architecture?):

उत्तर:ज्यामिति,बीजगणित और त्रिकोणमिति सभी वास्तुशिल्प डिजाइन (architectural design) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।आर्किटेक्ट्स (Architects) अपने ब्लूप्रिंट या प्रारंभिक स्केच डिजाइन की योजना बनाने के लिए इन गणित रूपों को लागू करते हैं।वे उन मुद्दों की संभावना की भी गणना करते हैं जो निर्माण टीम में चल सकती है क्योंकि वे डिजाइन दृष्टि को तीन आयामों में जीवन में लाते हैं।

प्रश्न:8.गणित और कला महत्वपूर्ण क्यों है? (Why is math and art important?):

उत्तर:कुछ कलाकार अपनी कलाकृति के विषयों के रूप में मैथेमेटिक विचारों का उपयोग करते हैं,जबकि अन्य गणित का उपयोग रूप और रचना को इस तरह से व्यक्त करने के लिए करते हैं जो आंखों को प्रसन्न करता है। एक तरीका है कि कलाकारों ने गणितीय विचारों का उपयोग किया है, उनके काम के लिए प्रेरणा के रूप में है। … कलाकृति की प्रेरणा (inspiration),निर्माण (creation) और प्रशंसा (appreciation) के लिए गणित आवश्यक है।

प्रश्न:9.कला में गणित और ज्यामिति का उपयोग कैसे किया जाता है? (How is math and geometry used in art?):

उत्तर:ज्यामिति दो विषयों के बीच सबसे स्पष्ट संबंध प्रदान करती है।कला और गणित दोनों में ड्राइंग और आकृतियों (shapes) और रूपों (forms) का उपयोग शामिल है,साथ ही साथ स्थानिक अवधारणाओं (spatial concepts),दो और तीन आयामों,माप,अनुमान और पैटर्न की समझ भी शामिल है।

प्रश्न:10.ताजमहल में गणित का उपयोग कैसे किया जाता है? (How is maths used in Taj Mahal?):

उत्तर:ताजमहल की मुख्य इमारत को गोल्डन रेशियो का उपयोग करके डिजाइन किया गया था।इमारत के बाहरी हिस्से के लिए मूल रूपरेखा के रूप में कार्य करने वाले आयत सभी गोल्डन अनुपात में थे।

प्रश्न:11.बच्चों के लिए कला में गणित का उपयोग कैसे किया जाता है? (How is math used in art for kids?):

उत्तर:कलाकार लगातार गणित का उपयोग करते हैं और आप इन परियोजनाओं में कुछ तरीकों के बारे में सीखेंगे।ग्राफ़ (Graphs),ग्रिड (Grids),संख्या (Numbers) और समीकरणों (equations) के साथ कला- हम ग्राफ पेपर और ग्रिड के साथ गणित कला करना पसंद करते हैं,और कला के सुंदर काम करने के लिए सुनहरे अनुपात जैसे समीकरणों का उपयोग करते हैं। कला में सममिति- सममिति (Symmetry) बनाने का ऐसा ही एक मजेदार तरीका है!

प्रश्न:12.आरेखण में गणित का उपयोग कैसे किया जाता है? (How is mathematics used in drawing?):

उत्तर:गणित हमें वास्तविक जीवन की वस्तुओं को आकर्षित करने में मदद कर सकता है।प्राकृतिक पैटर्न की नियमितता कलाकारों को कला के कार्यों में गणितीय अवधारणाओं का उपयोग करने के लिए प्रेरित कर सकती है।कई पौधों में बहुत दिलचस्प और सुंदर पत्ते होते हैं और कुछ गणितीय पैटर्न उनकी संरचनाओं में पाए जा सकते हैं। उसका भग्न फर्न के पत्तों (fractal resembles the fern leaves) जैसा दिखता है।

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित में कलात्मक मूल्य (Artistic Value in Mathematics),गणित के कलात्मक मूल्य (Artistic Value of Mathematics) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Artistic Value in Mathematics

गणित में कलात्मक मूल्य
(Artistic Value in Mathematics)

Artistic Value in Mathematics

गणित में कलात्मक मूल्य (Artistic Value in Mathematics) गणित प्रेमियों,गणित पढ़ने वाले को दिखाई देते हैं।
छात्र-छात्राओं में शिक्षा के द्वारा संपूर्ण विकास का लक्ष्य है।
इस प्रकार गणित विषय से भी कलात्मक मूल्यों का विकास किया जाता है।

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