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Utility of Mathematics in practical life

व्यावहारिक जीवन में गणित की उपयोगिता का परिचय (Introduction to Utility of Mathematics in practical life):

  • व्यावहारिक जीवन में गणित की उपयोगिता (Utility of Mathematics in practical life) इतनी अधिक हो गई है कि इसके बिना मानव जीवन सभ्यता के जिस स्तर पर पहुँच चुका है वहाँ तक नहीं पहुँच पाता।आज हर पढ़े लिखे तथा अनपढ़ को गणित के सामान्य ज्ञान की आवश्यकता पड़ती है।
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व्यावहारिक जीवन में गणित की उपयोगिता (Utility of Mathematics in practical life):

(1.)गणित का महत्त्व (Importance of Mathematics):

  • आज के वैज्ञानिक युग में गणित के महत्त्व पर प्रकाश डालना सूर्य को दीपक दिखाना है। गणित ही विज्ञान की जननी है तथा गणित की सहायता के बिना विज्ञान में प्रगति सम्भव नहीं है। वर्तमान में जितनी भौतिक प्रगति हम देखते हैं वह सब विज्ञान एवं गणित की ही देन है। गणित के बिना विज्ञान पंगु हो जाता है। तथ्यों का अध्ययन, संकलन तथा विवेचन गणित के सिद्धान्तों की सहायता से किया जाता है। तथ्यों में परस्पर सम्बन्ध स्थापित कर नये सिद्धान्तों को जन्म गणित की मदद से दिया जाता है। भौतिक विज्ञान की प्रगति में गणित का महत्त्वपूर्ण हाथ है तथा जैविक विज्ञानों के विकास में इसका अधिकाधिक प्रयोग किया जाता है। स्वचालन विज्ञान और साइबरनैटिक्स के आगमन से गणित अध्ययन पर विशेष ध्यान देना और भी आवश्यक हो गया है।

(2.)वैज्ञानिक खोजों में गणित का योगदान (Contribution of Mathematics in Scientific Research):

  • मनुष्य का चाँद पर पहुँचना इस शताब्दी की एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण घटना है। चाँद की पृथ्वी से दूरी, राकेट की गति, वायुमंडल में राकेट की गति में विभिन्न बाधाएं, ताप का प्रभाव, पृथ्वी की आकर्षण शक्ति का राकेट की गति पर प्रभाव, राकेट के चाँद पर पहुँचने का समय आदि की गणना, गणित की सहायता से ही सम्भव हो सकी है। गणित की सहायता के बिना राकेट सम्बन्धी कोई भी गणना नहीं की जा सकती है। विज्ञान को व्यावहारिक बनाने में गणित का प्रमुख हाथ है। मंगल और शुक्र ग्रह पर भी पहुँचने की योजना में गणित का उपयोग आवश्यक है तथा निकट भविष्य में मनुष्य चन्द्रमा की तरह अन्य ग्रहों पर भी पहुँच सकेगा। प्रकृति के विभिन्न तथ्यों को संख्यात्मक स्वरूप देना गणित के द्वारा ही सम्भव है। चन्द्रमा से प्राप्त अनेक तथ्यों एवं आँकड़ों का मूल्यांकन गणित की सहायता से किया गया है तथा शनैः शनैः हमें मूल्यांकन के निष्कर्षों से चन्द्रमा एवं वहाँ के वायुमंडल के बारे में अनेक नवीन बातों की जानकारी मिली है। भावी संसार की रूपरेखा एवं निर्माण गणित की मदद के बिना असम्भव है।

(3.)हमारी दिनचर्या में गणित का उपयोग (Utility of Mathematics in Our Routine):

  • दैनिक जीवन में भी गणित का अधिकाधिक प्रयोग होने लगा है। प्रत्येक जीवन का हिस्सा किसी न किसी पक्ष से सम्बंधित होता है। जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में हम किसी न किसी प्रकार गणित के नियमों, सिद्धान्तों तथा प्रक्रियाओं का प्रयोग करते हैं। हरएक मनुष्य को समाज का एक उपयोगी अंग सिद्ध होने के लिए गणित का सामान्य ज्ञान होना चाहिए। इसके बिना दैनिक जीवन में पग-पग पर कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। जब हम बाजार से सब्जी या अन्य कोई वस्तु खरीदने जाते हैं तो गणित के सामान्य ज्ञान के बिना हमें भाव निश्चित करने में तथा कीमत की गणना करने में असुविधा होगी। घर का बजट बनाते समय, आय और मजदूरी की गणना करते समय, वस्तुओं को तौलते समय, घड़ी में समय देखते हुए, रेलगाड़ी के आने के वक्त की जानकारी देते हुए, बस का किराया देकर बाकी के पैसे लेते हुए, लिफाफे पर टिकट लगाते समय, तारघर में तार देते समय यानी प्रत्येक स्थल पर गणित का उपयोग करना पड़ता है। जीवन में शायद ही कोई ऐसा धन्धा है जिसमें कम या अधिक मात्रा में गणित का उपयोग न होता हो। दर्जी को कपड़ा माप के अनुसार काटना पड़ता है, हलवाई को अपने काम में अनुपात, औसत आदि का प्रयोग करना पड़ता है, दूध बेचने वाले को लीटर आदि को काम में लेना पड़ता है, पंसारी को तोलने के विभिन्न बाटों का उपयोग करना पड़ता है हालांकि आधुनिक युग में तकनीकी का इतना विकास हो चुका है कि बाटों से तौलने की प्रक्रिया खत्म होती जा रही है लेकिन तकनीकी के ज्ञान के लिए भी गणित के ज्ञान की आवश्यकता है। ओवरसियर एवं इंजीनियर को क्षेत्रफल, आयतन आदि की गणना करनी पड़ती है, खिलाड़ी को स्कोर का ध्यान रखना पड़ता है, डाॅक्टर को रोगी की आयु आदि को ध्यान में रखकर आवश्यक मात्रा में औषधि देनी पड़ती है, मजदूर को अपने कार्य तथा समय के हिसाब से मजदूरी की गणना करनी पड़ती है, खाती को लकड़ी की कोई वस्तु बनाते समय माप का पूरा ध्यान रखना पड़ता है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि जीवन का कोई ऐसा पक्ष नहीं है जिसमें गणित की आवश्यकता न हो। यह भी कहा जा सकता है कि प्रत्येक धन्धे में गणित का अधिकाधिक प्रयोग होने लगा है। मशीनों एवं बिजली के प्रयोग से अनेक धन्धों में गणित का अनिवार्य रूप से प्रयोग होने लगा है।

(4.)तकनीकी विकास में गणित का योगदान (Contribution of Mathematics in Development of Technology):

  • विश्व के नागरिकों को निकट लाने में तथा समाज के उत्कर्ष में गणित की एक उपयोगी भूमिका रही है। समाज की आर्थिक प्रगति तकनीकी ज्ञान के प्रयोग पर निर्भर करती है। वैज्ञानिकों तथा गणितज्ञों के आविष्कारों को समझने के लिए गणित का ज्ञान आवश्यक है। रेडियो, कम्प्यूटर, टेलीविजन, फिल्में, राकेट, हवाई-जहाज, कार, पुल, अनेक मंजिलों की इमारतें, पंखें, सड़कें, पानी के जहाज, विज्ञान के उपकरण आदि की उपलब्धि गणित के कारण ही सम्भव हो सकी है। आगे आनेवाले समय में गणित के अधिकाधिक उपयोग के कारण जन-जीवन में और भी अधिक समृद्धि की अपेक्षा की जानी चाहिए
    ज्योतिष, भूगोल, वाणिज्य, अर्थशास्त्र, भौतिकशास्त्र, रसायन शास्त्र, इंजीनियरिंग आदि के अध्ययन में गणित का ज्ञान आवश्यक है। इन विषयों में नवीन प्रगति गणित के ज्ञान के उपयोग से की जा रही है। यह देखने में आ रहा है कि इन विषयों में विषय-सामग्री का विवेचन गणित की सहायता से अधिक बोधगम्य हो गया है।

(5.)हमारे जीवन में गणित की भूमिका (Roll of Mathematics in Our Life):

  • गणित के पाठ्यक्रम में अनेक ऐसे उप-विषय हैं जो हमारे जीवन में काम आते हैं तथा हमारे दैनिक जीवन के कार्यकलापों को सुविधा प्रदान करते हैं। उदाहरणार्थ माप, तोल एवं दशमलव प्रणाली, एकिक नियम, साधारण एवं चक्रवृद्धि ब्याज, अनुपात, समय, गति और दूरी, लेखाचित्र, औसत, प्रतिशत, सांख्यिकी बजट बनाना, क्षेत्रफल एवं आयतन, समुच्चय सिद्धान्त आदि ऐसे अनेक उप-विषय हैं जिनका ज्ञान आज के जीवन में आवश्यक है। प्रगति के साथ सम्भवतः भविष्य में अनेक नवीन उप-विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल करना पड़े जिससे साधारण मनुष्य की नवीन आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके। पुराने पाठ्यक्रमों में सैकण्डरी स्तर पर समुच्चय सिद्धान्त, त्रिकोत्रमिति, बेलन के क्षेत्रफल एवं आयतन, कम्प्यूटर आदि विषय नहीं थे किन्तु उच्च गणित एवं जीवन की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर इन्हें नवीन पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया गया है। गणित में समुच्चय सिद्धान्त को प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाना आरम्भ कर दिया है और भारत में हमें भी ऐसा करना आवश्यक है क्योंकि हमारे लिए विश्व में गणित की प्रगति के साथ ही चलना अपरिहार्य है। वर्तमान गणित की भाषा समुच्चय की भाषा है।
    उपर्युक्त आर्टिकल में व्यावहारिक जीवन में गणित की उपयोगिता (Utility of Mathematics in practical life) के बारे में बताया गया है।
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2 Comments
  1. face masks January 12, 2021 / Reply

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