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Courtesy is Means of Achieving Goal

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1.लक्ष्य प्राप्ति का साधन शिष्टाचार (Courtesy is Means of Achieving Goal),लक्ष्य प्राप्ति हेतु शिष्टाचार अपनाएं (Students Should Adopt Etiquette to Achieve Goal):

  • लक्ष्य प्राप्ति का साधन शिष्टाचार (Courtesy is Means of Achieving Goal) को एक विशेष गुण समझा जाता है विशेषकर साक्षात्कार में इसकी परख की जाती है।जीवन को उन्नत और लक्ष्य प्राप्ति के लिए शिष्टाचार एक महत्त्वपूर्ण गुण है जिसे व्यवहार में लाना आवश्यक है।मनुष्य में नम्रता,सहिष्णुता,मानवता,दिव्यता,ईमानदारी,दया,प्रेम,उदारता इत्यादि में शिष्टाचार किसी न किसी रूप में प्रगट होता है।
  • मनुष्य तथा विद्यार्थी किस तरह उठता-बैठता है,चलता-फिरता है,बातचीत करता है,किस प्रकार रहन-सहन करता है इत्यादि से उसके शिष्ट व सभ्य होने का पता लगाया जा सकता है।
  • यह धारणा गलत है कि विद्यार्थी द्वारा अच्छी पोशाक पहनने,फैशन,डिग्री प्राप्त कर लेने,सुन्दर व भव्य महल में रहने,अच्छा खान-पीन करने इत्यादि से शिष्ट हो सकते हैं।ऐसे विद्यार्थी भी अशिष्ट और असभ्य हो सकते हैं।जबकि साधारण जीवनयापन करने वाला,झुग्गी झोपड़ी में रहनेवाला,रूखी-सूखी रोटी खाने वाला,साधारण रहन-सहन करने वाला विद्यार्थी तथा अनपढ़ व्यक्ति भी शिष्ट हो सकता है।
  • शिष्टाचार का सीधा-सा अर्थ है कि विद्यार्थी तथा व्यक्ति अपने जीवन में कितना सदाचार युक्त जीवन जीता है,कितना सद्गुणों को अपनाता है।शिष्टाचार का पालन करने वाला विद्यार्थी प्यार और सम्मान का पात्र बन जाता है।वह कोई ऐसा कार्य नहीं करता है जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे या किसी को अपना अपमान अनुभव हो।वह अपने साथ अभ्रद,अपमानजनक भाषा में बोलने वाले के साथ भी कठोर भाषा व अपमानजनक शब्दों में बातचीत नहीं करता।
  • शिष्टाचारी विद्यार्थी तथा व्यक्ति दूसरों की बात को भी आदर के साथ सुनता है।वह अपने विरोध को भी नम्रतापूर्वक प्रकट करता है।वह अपनी प्रशंसा स्वयं नहीं करता है,अपने गुणों को दूसरों के सामने बखान नहीं करता है।बड़ों के साथ आदर व सम्मान के साथ तथा मित्रों के साथ छल-कपट रहित व्यवहार करता है।
  • शिष्ट विद्यार्थी व व्यक्ति के आचार-विचार,व्यवहार,भाषा,वस्त्र,बोलचाल से संपर्क में आने वाले हरेक व्यक्ति पर अच्छा प्रभाव छोड़ता है और वह आदर का पात्र तथा सबका चहेता बन जाता है।शिष्टाचार से शत्रु को भी मित्र बनाया जा सकता है।
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2.शिष्टाचार में पालन करने योग्य बातें (Things to Follow in Etiquette):

  • शिष्टाचार विद्यार्थियों के जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक गुण हैं शिष्टाचार में अच्छा व्यवहार और सदाचार दोनों शामिल होते हैं जो सभ्य और सुसंस्कृत व्यक्तियों में पाए जाते हैं।यदि हम दूसरों से अच्छे व्यवहार की अपेक्षा रखते हैं तो हमें भी दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए।शिष्टाचार में सदैव दूसरों की सुख-सुविधाओं का ध्यान रखना चाहिए।शिष्टाचार में केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति करना शोभा नहीं देता है बल्कि उदार व्यवहार करना चाहिए।
  • शिष्टाचार लक्ष्य प्राप्ति का सबसे अच्छा साधन है।शिष्टाचार दूसरों को कष्ट,दुःख,पीड़ा पहुंचाने वाला नहीं बल्कि उनको आनंद,प्रेम,सद्व्यवहार पहुंचाने की क्षमता रखता है।इसमें सभी को प्रसन्नता,खुशी,आनंद,सुख पहुंचाने का भाव रहता है और जीवन सुखद व आनंदमय बन जाता है। शिष्टाचार से विद्यार्थी की बुराईयाँ,कमियाँ छिप जाती है।प्रत्येक घर,परिवार,समाज व देश ऐसे विद्यार्थियों व व्यक्तियों को पाकर धन्य अनुभव करता है।ईर्ष्या,द्वेष,अहंकार,जलन इत्यादि की भावनाएँ उनके आसपास भी नहीं फटकती है।उनके व्यवहार में प्रेम,मधुरता और आत्मीयता मिलती है।
  • छोटी-छोटी बातों में शिष्टाचार का ध्यान रखना जीवन को महत्त्वपूर्ण बना देता है।छात्र-छात्राओं द्वारा एक-दूसरे की सहायता-सहयोग करना,वृद्ध,कमजोर स्त्री की सेवा करना,बच्चों को पहले स्थान देना,किसी की गुप्त बात का पता लगाने का प्रयास न करना,किसी के निजी जीवन में दखलअंदाजी न करना,किसी का पत्र न पढ़ना आदि छोटी-छोटी बातें हैं परन्तु शिष्टाचार में इन सभी का ध्यान रखा जाता है।
  • जीवन निर्माण का प्रारंभ बड़ी बातों की अपेक्षा छोटी-छोटी बातों से अधिक आता है।शिक्षा से मनुष्य सभ्य बनता है परन्तु शिष्टाचार से दूसरों की सुख-सुविधाओं का ध्यान रखने से उसमें सामाजिकता आती है।
  • शिष्टाचारी सदैव आत्म-निरीक्षण करता है कि उसमें दुर्गुण आदि तो नहीं आ रहे हैं।वह दूसरों को हानि पहुंचाने वाले कोई कार्य नहीं करता है।शिष्टाचारी मनुष्य के व्यवहार से दूसरों को शांति व प्रसन्नता ही मिलती है।
  • प्रेम,सद्व्यवहार,करुणा,मैत्री,उदारता,दूसरों का भला करना इत्यादि के लिए शिष्टाचार की आवश्यकता है।
  • शिष्टाचार के द्वारा विद्यार्थी तथा व्यक्ति अनेक लाभ प्राप्त करता है।किसी कार्य को धन-संपत्ति देकर नहीं कराया जा सकता है परंतु शिष्टाचार से आसानी से कठिन से कठिन कार्य को आसानी से कराया जा सकता है।शिष्टाचार से ही व्यक्ति महान बनता है या पालन न करने से जंगली बन जाता है।समाज में आदर-सम्मान पाने की यह एक सुन्दर कला है।जीवन की दौड़ में सफलता वह शीघ्र पा लेता है जिसके जीवन से शिष्टाचार का भाव प्रकट होता है।

3.शिष्ट व्यवहार में पालन न करने योग्य बातें (Things Not to Follow in Courtesy):

  • कई विद्यार्थी बाहरी व्यवहार बड़ा सम्मानजनक,प्रभावी,सुन्दर,चिकनी-चूपड़ी बातें करते हैं परंतु वे स्वार्थ में इतने अंधे होते हैं कि मौका पड़ते ही दूसरों की गर्दन दबोच लेते हैं।ऐसे लोग बाहरी दिखावा व ओढ़ी हुई शिष्टता रखते हैं।ऐसे छात्र-छात्राएं तथा व्यक्ति आडम्बर करते दिखाई देते हैं और उनकी असलियत देर-सवेर प्रकट हो जाती है।ऐसे लोगों का दिल काला होता है।
  • वास्तव में शिष्टाचार कपटपूर्ण व्यवहार,झूठा प्रदर्शन,चापलूसी नहीं है।बाहरी शिष्टाचार में हृदय साथ नहीं होता वरन् दिखावा होता है।ऐसा आचरण चरित्र निर्माण नहीं कर सकता है तथा जीवन में सफलता भी प्रदान नहीं करा सकता।ऐसे लोग दूसरों को ही धोखा नहीं देते बल्कि अपने को भी धोखा देते हैं।
  • आज हमारे समाज में शिष्टाचार की भावना का निरंतर ह्रास हो रहा है।अपने आस-पास ही नहीं अनजान जगह में हम उच्छृंखलता और अशिष्टता का व्यवहार करते हैं।बातचीत में गालियों का प्रयोग करना मामूली बात हो गई है,चीखना-चिल्लाना स्वभाव का अंग बनते जा रहे हैं।पान खाकर पीक जहाँ-तहाँ थूक देते हैं।केला खाकर छिलका सड़क,रास्ते में डाल देते हैं।घर की साफ-सफाई करके कूड़ा-करकट सड़क या रास्ते में डाल देते हैं अथवा दूसरों के घरों के आगे फैला देते हैं।
  • लाइन में अपनी बारी का इंतजार न करके लाइन तोड़कर बीच में अथवा आगे लगने का प्रयास करते हैं।पानी का नल खुला छोड़ दिया,पंखा जरूरत न होने पर भी चलने देना,बिजली के बल्ब अनावश्यक रूप से जलते देना।उधार पैसा,चीज,पुस्तक इत्यादि लेकर वापस लौटाने का कोई काम नहीं।मांगी गई चीज,पुस्तक इत्यादि को लापरवाही से प्रयोग करना और खराब करके अथवा तोड़-फोड़ व फाड़कर दे दिया।उधार खरीदकर समय पर पैसे/रुपए का भुगतान न करना।ऑफिस,कंपनी या जाॅब पर समय पर न पहुँचना।इस तरह की अनेक बातें हैं जो हमें अशिष्टों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देती है।

4.शिष्टाचार अपनाने के तरीके (Ways to Adopt Etiquette):

  • शिष्टाचार का निर्माण एक दिन में नहीं बल्कि कई वर्षों के परिश्रम से होता है।शिष्टाचार को अध्ययन,पढ़ने-लिखने से नहीं सीखा जा सकता है और न इसकी कोई औषधि है तथा न कोई शॉर्टकट मेथड है।इसका शिक्षण और परीक्षण दोनों ही घर,परिवार,समाज और विद्यालय के खुले वातावरण में होता है।इसी कारण विभिन्न कालों में व्यावहारिक जीवन में भिन्नता मिलती है।
  • मीठी वाणी बोलना,अपशब्द न कहना,नम्रतापूर्वक आचरण करना,घमण्ड न करना,बातचीत में स्वयं ही बोलते न रहना,दुराग्रह न करना तथा अपने से बड़ों की बात को न काटना आदि बातों से शिष्ट व्यवहार जीवन में उतरता है।वास्तव में विद्यार्थी तथा व्यक्ति दूसरों का विश्वासपात्र एवं आदरणीय तभी बन पाता है जब उसके वचन और कार्य में,कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं दिखता।
  • सड़क पर शिष्टता का व्यवहार करना,बड़े-बच्चे व स्त्रियों को प्रथम स्थान देना,नौकरों के साथ अच्छा व्यवहार करना,टेलीफोन पर शिष्ट व्यवहार करना,किसी का पत्र व ई-मेल न पढ़ना,किसी की गोपनीय बात जानने की कोशिश न करना आदि का पालन करने से जीवन शिष्टाचार युक्त बनता है।
  • छोटी-छोटी बातें जीवन का निर्माण व्यवस्थित ढंग से करती है,हमको संस्कारित कर सभ्य बनाती है।शिक्षा से विद्यार्थी विनम्र बनता है परन्तु शिष्टाचार से विद्यार्थी व्यवहार कुशल बनता है।शिष्टाचार से विद्यार्थी व व्यक्ति में मानवता के दर्शन होते हैं।
  • विद्यार्थी व व्यक्ति को आडम्बर से रहित होना चाहिए।वह बाहर से जैसा सुन्दर,प्रिय और उदार दिखाई देता है,अन्दर से,निकट से भी उसका हृदय उतना ही पवित्र और परोपकारी दिखाई देना चाहिए।वास्तव में शिष्टाचार में वाणी का समुचित व्यवहार आवश्यक होता है।
  • मधुर वचन सभी को आकर्षित करते हैं।बुरे शब्द किसी के प्रति मत कहो,अपशब्द किसी को मत बोलो।इससे विद्यार्थी दूसरे के निकट न आकर उनके बीच की दूरी बढ़ा देता है तथा यह शिष्टाचार में नहीं आता है।वाणी पर संयम और उसका समय पर आदरपूर्वक उपयोग ही अपेक्षित है।शिष्टाचार विभिन्न क्षेत्रों में प्रसन्नता एवं सुखद प्रभाव छोड़ने का एकमात्र साधन है।शिष्टाचार जीवन को एक नई दिशा देता है।
  • स्वतंत्रता आंदोलन के समय जब श्रीप्रकाश इंग्लैंड में थे तो उन्होंने सरोजनी नायडू को एक पत्र लिखा।पत्र पर टिकट टेढ़ा चिपका दिया था।पत्र पढ़कर सरोजनी नायडू ने सुरक्षित रखा।जब श्रीप्रकाश इंग्लैंड से आए तो सरोजनी नायडू ने कहा कि आपने पत्र पर टिकट टेढ़ा क्यों चिपकाया है? श्रीप्रकाश ने कहा कि यह तो सिर्फ छोटी सी बात है।सरोजनी नायडू बोली भारत को स्वतंत्रता दिलाने में अग्रणी भूमिका निभाने वालों को छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना चाहिए।श्रीप्रकाश ने आगे से ध्यान रखने के लिए कहा।

5.शिष्टाचार का दृष्टान्त (Example of Etiquette):

  • एक विद्यालय के छात्र-छात्राएं बहुत अनुशासित,विनम्र और शालीन थे।विद्यालय के छात्र-छात्राओं में आपस में प्रेम था।विद्यालय का वातावरण गुरुकुल के वातावरण जैसा लगता था।विद्यालय के सभी विद्यार्थी आनंद के सागर में गोते लगा रहा था।आपस में कभी तनाव नहीं होता था।कोई छोटी-मोटी बात होती थी तो तत्काल उसको आपस में मिल-बैठकर सुलझा लेते थे जिससे बात आगे नहीं बढ़ पाती थी।
  • एक जिज्ञासु उस विद्यालय में आया और एक छात्र से पूछा कि विद्यालय में सभी छात्र-छात्राएं,शिक्षक व प्राचार्य इतना शिष्ट व्यवहार कैसे करते हैं? वह गणित का छात्र था इसलिए उसने कहा कि इस प्रश्न का उत्तर गणित के अध्यापक जी देंगे।
  • जिज्ञासु विद्यालय के अंदर गया और गणित के अध्यापक से वही प्रश्न किया और समाधान पूछा।गणित के अध्यापक ने कहा कि आप प्राचार्य कक्ष में जाइए,इस प्रश्न का उत्तर वही देंगे।वहीं आपको समाधान प्राप्त होगा।जिज्ञासु प्राचार्य कक्ष में गया और अनुमति लेकर अन्दर प्रवेश किया।आचार्य ने सबसे पहले जिज्ञासु को आदरपूर्वक बिठाया,पानी पिलाया और उनके आने का कारण पूछा।
  • जिज्ञासु ने प्राचार्य से पूछा कि आपका विद्यालय इतना बड़ा है और काफी संख्या में छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं फिर भी शिष्ट व्यवहार करते हैं।इसका रहस्य क्या है?प्राचार्य ने एक पत्र पर नम्रता,सहनशीलता और शिष्टाचार को तीन बार लिखकर दे दिया।जिज्ञासु ने पूछा कि एक उत्तर को तीन बार क्यों लिखा? प्राचार्य ने कहा कि हमारे विद्यालय में तीन स्तर हैं:छात्र-छात्राएं,शिक्षक और प्राचार्य।सबमें विनम्रता,सहिष्णुता,प्रेम,सद्व्यवहार और शिष्टाचार का भाव है।
  • आपने जब दरवाजे पर छात्र से पूछा तो उसने अध्यापक के पास आपको भेज दिया।गणित अध्यापक ने आपको सीधे मेरे पास भेज दिया।मेरे विद्यालय में बड़ों के प्रति इतनी विनम्रता और शिष्टाचार है कि विद्यालय से संबंधित कोई भी छोटी-बड़ी कोई समस्या,सवाल को विद्यालय के बड़े (शिक्षक,सहप्राचार्य,प्राचार्य) हल करते हैं।विद्यालय के सभी लोग उसकी पालना करते हैं।
  • शिष्टाचार,विनम्रता और सहनशीलता हमारे विद्यालय में शिष्ट व्यवहार का आधार है।सबमें एकजुटता और प्रेम भाव है।किसी का किसी के प्रति मनोमालिन्य नहीं है।जिज्ञासु को उत्तर मिल गया।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में लक्ष्य प्राप्ति का साधन शिष्टाचार (Courtesy is Means of Achieving Goal),लक्ष्य प्राप्ति हेतु शिष्टाचार अपनाएं (Students Should Adopt Etiquette to Achieve Goal) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित में फेल कराने वाला छात्र (हास्य-व्यंग्य) (A Student Who Failed in Mathematics) (Humour-Satire):

  • कृष्ण:एक मकान मालिक से,आपके मकान का किराएदार छात्र फेल हो गया है।आप कृपा करके अपना कमरा मुझे किराए पर दे दीजिए।
  • मकान मालिक!भाई तुम्हें देर हो गई है।वह कमरा तो मैं उस गणित के छात्र को दे चुका हूँ जिसने उसे गणित और अन्य विषयों में फेल कराया है।

7.लक्ष्य प्राप्ति का साधन शिष्टाचार (Frequently Asked Questions Related to Courtesy is Means of Achieving Goal),लक्ष्य प्राप्ति हेतु शिष्टाचार अपनाएं (Students Should Adopt Etiquette to Achieve Goal) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.धार्मिक और चारित्रिक शिष्टाचार क्या है? (What are Religious and Moral Etiquettes?):

उत्तर:(1.) प्रत्येक धर्म का सम्मान करना हमारा कर्त्तव्य है।किसी के धार्मिक रीति-रिवाजों में हस्तक्षेप करता अमानवीयता है।
(2.)जिस समय कोई व्यक्ति या छात्र-छात्रा भगवान की उपासना,ध्यान,समाधि में हो या किसी प्रकार के धार्मिक पूजा-पाठ,कथा वाचन आदि में व्यस्त हो तो उसे टोकना ठीक नहीं है।
(3.)शरीर से परिश्रम करने में सक्षम होते हुए भी बिना मेहनत के मांगकर खाना बहुत बुरा है।
(4.)धार्मिक स्थानों के आसपास शांति और सदाचार का वातावरण बनाए रखना चाहिए।
(5.)सुबह जल्दी उठना चाहिए।यह भारतीय संस्कृति का नियम है।इससे मनुष्य का स्वास्थ्य,आध्यात्मिक,आत्मिक एवं मानसिक शक्ति बढ़ती है।
(6.)स्टेशन,बस स्टॉप,डाकघर,खेल-तमाशे,बिजली व पानी का बिल जमा कराते समय लड़ाई-झगड़ा करना बुरी बात है।शान्तिपूर्वक एक पंक्ति में खड़े होकर अपने नम्बर का इंतजार करना चाहिए।
(7.)सार्वजनिक स्थानों पर आने-जाने के संबंध में जो सूचनाएं,नियम लिखें हो उनका पालन करना चाहिए।

प्रश्न:2.सामाजिक व्यवहार सम्बन्धी शिष्टाचार क्या है? (What are Social Behavioral Etiquettes?):

उत्तर:रोज सुबह उठकर बड़ों को तथा विद्यालय में गुरुजनों को अभिवादन करना चाहिए।भारतीय संस्कृति का विशिष्ट नियम है।
(2.)अपने घर पर आए हुए व्यक्ति का प्रेमपूर्वक स्वागत करना चाहिए भले ही वह अनजान व्यक्ति हो।उससे अशिष्टता का व्यवहार नहीं करना चाहिए।
(3.)अपने से श्रेष्ठ एवं बड़े सम्मानीय व्यक्ति के सामने उच्च स्थान ग्रहण नहीं करना चाहिए।
(4.)किसी के घर जाकर घर के मालिक और अन्य लोगों की सुविधा का ध्यान रखना चाहिए।
(5.)पड़ोसियों से सदा प्रेम और शिष्टता का व्यवहार करना चाहिए तथा कठिनाइयाँ आने पर उनकी सहायता करनी चाहिए।
(6.)मुसाफिरखाना,धर्मशाला,पार्क आदि सार्वजनिक स्थानों की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न:3.बातचीत और रहन-सहन सम्बन्धी शिष्टाचार क्या हैं? (What are the Etiquette of Conversation and Living?):

उत्तर:(1.) जहां दो व्यक्ति आपस में वार्तालाप कर रहे हैं वहाँ जाकर बैठना अनुचित है।
(2.)बातचीत करते समय केवल स्वयं ही न बोलते रहे अपितु दूसरों को भी बात कहने का मौका दें।
(3.)बातचीत करते समय कोई अनुचित बात मुँह से निकल जाए तो माफी मांग लेनी चाहिए।
(4.)कठोर स्वर में बोलने से झगड़े बढ़ते हैं।नम्रतापूर्वक बात का उत्तर देना चाहिए।
(5.)मुँह से बार-बार गाली देना या अपशब्द निकालना सभ्यता के विपरीत है।
(6.)किसी भी बात को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बोलना चाहिए।
(7.)जिस किसी से वादा करो,उसे पूर्ण करने का प्रयत्न करो।
(8.)सार्वजनिक सम्मेलनों और निजी उत्सवों के अनुसार वस्त्र पहनना उचित है।

प्रश्न:4.खान-पान और स्वास्थ्य संबंधी शिष्टाचार क्या हैं? (What are Food and Health Etiquettes?):

उत्तर:(1.) भोजन स्वच्छ और सात्त्विक होना आवश्यक है।
(2.)भोजन करते समय,खाने और पीने में “चप-चप” की आवाज करना अशिष्टता है।
(3.)पानी आदि पीने वाले पेय पदार्थ खड़े होकर पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
(4.)भोजन धीरे-धीरे,चबा-चबाकर खाना चाहिए।
(5.)खाने-पीने के सामान को लांघकर चलना बुरी बात होती है।
(6.)चलते-फिरते,घूमते-टहलते हुए खाना स्वास्थ्य की दृष्टि से नुकसानदायक है और सभ्यता के विपरीत है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा लक्ष्य प्राप्ति का साधन शिष्टाचार (Courtesy is Means of Achieving Goal),लक्ष्य प्राप्ति हेतु शिष्टाचार अपनाएं (Students Should Adopt Etiquette to Achieve Goal) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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