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3 Tips to Advance Study in Mathematics

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1.गणित में अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिए 3 टिप्स (3 Tips to Advance Study in Mathematics),छात्र-छात्राओं के लिए गणित में आगे बढ़ने के 3 टिप्स (3 Tips for Students to Move Forward in Mathematics):

  • गणित में अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिए 3 टिप्स (3 Tips to Advance Study in Mathematics) से तात्पर्य है कि गणित में उन्नति करना,उच्च स्तर का अध्ययन करना।गणित को लक्ष्य केंद्रित तथा व्यावसायिक दृष्टिकोण रखते हुए इसका अध्ययन करेंगे तो गणित में आगे से आगे बढ़ते जाएंगे।गणित को लक्ष्य केंद्रित व व्यावसायिक दृष्टिकोण से अध्ययन करने पर गणित से होने वाले लाभ दिखाई देंगे।जैसे आजकल छोटे-बड़े पदो के लिए निजी व सरकारी क्षेत्र में गणित का परीक्षण किया जाता है।बुद्धि परीक्षण,मानसिक योग्यता भी गणित पर ही काफी कुछ निर्भर है।छात्र-छात्राओं को गणित से होने वाले लाभ दिखाई नहीं देते हैं इसलिए गणित में ओर अधिक पढ़ने के लिए उन्हें प्रेरणा प्राप्त नहीं होती है।
  • विज्ञान अर्थात् भौतिक विज्ञान के लाभ और चमत्कार तो छात्र-छात्राओं,समाज को तथा लगभग अधिकांश व्यक्तियों को दिखाई देता है।परंतु गणित का अध्ययन करने पर छात्र-छात्राओं के मन में यही प्रश्न उठता है कि गणित का अध्ययन करने से उसे आखिर मिला क्या? अर्थात् इतना कठिन परिश्रम तथा उच्च स्तर की गणित पढ़ने से फायदा क्या हुआ है? प्राचीन काल में गणित का अध्ययन ज्ञान में वृद्धि, आत्म संतुष्टि तथा गणित के प्रति प्रेम के कारण करते थे।जैसे महान गणितज्ञ आर्किमिडीज की गणित के प्रति इतनी दीवानगी थी कि अन्तिम (मौत के समय) भी वे गणित की दुनिया में ही लीन थे।
  • महान् गणितज्ञ यूक्लिड का भी गणित के प्रति प्रेम सर्वविदित है।एक विद्यार्थी ने उनसे पूछ लिया था कि गणित पढ़ने से फायदा क्या है? तब उन्होंने अपने नौकर से कहा कि इसे ओबोल (रुपए) दे दो। क्योंकि यह गणित के ज्ञान से केवल धन कमाने की आशा रखता है।प्रश्न का यह उत्तर समीचीन है क्या? क्योंकि प्राचीन युग के बहुत से आदर्श,प्रथाएँ,मूल्य परिवर्तित हो गए हैं।
    आधुनिक युग तकनीकी तथा आर्थिक प्रधान युग है।परंतु फिर भी गणित का ज्ञान,गणित का उच्च स्तर का ज्ञान केवल धन प्राप्ति अथवा केवल व्यावसायिक दृष्टिकोण से प्राप्त नहीं किया जा सकता है।मुख्य लक्ष्य गणित का ज्ञान,गणित के प्रति प्रेम,गणित के प्रति पेशन (Passion) से ही गणित का उच्च स्तर का अध्ययन किया जा सकता है।
  • धन प्राप्ति गणित के ज्ञान का बायो प्रोडक्ट है।धन व वेतन अपने सांसारिक कर्तव्यों, पारिवारिक दायित्वों को तथा लोक व्यवहार निभाने के लिए आवश्यक है।इसलिए गणित के ज्ञान से धन प्राप्ति का भी एक दृष्टिकोण रखा जा सकता है।इससे गणित का ज्ञान प्राप्त करने,गणित का अध्ययन करने के लिए छात्र-छात्राओं में लगन व रुचि पैदा होती है।
  • आखिर क्या कारण है कि भजन,योग साधना,आध्यात्मिकता,आध्यात्म विद्या में भारत सिरमौर होने के बावजूद भारत में ही ये विद्याएं क्यों दम तोड़ रही थी? ये विद्याएँ क्यो मुरझा गई थी। कारण स्पष्ट है कि ये विद्याएँ आनन्द के लिए,अपने आपका ज्ञान प्राप्त करने के लिए,मोक्ष के लिए प्राप्त की जाती थी।परंतु आधुनिक छात्र-छात्राओं को इनके प्रति आकर्षण इन सबके कारण नहीं हो सका।योग केंद्र,गुरुकुल इत्यादि सूने पड़े हुए थे। परंतु ज्योंही बाबा रामदेव ने योग साधना के व्यावसायिक तड़का लगाया तो योग साधना,योगासन,योग विद्या घर-घर में लोकप्रिय हो गया है।हालांकि यह तो नहीं कहा जा सकता है कि केवल व्यावसायिक दृष्टिकोण से योग विद्या फली फूली है।वस्तुतः योग साधना,योग विद्या के अनेक लाभ हैं परंतु समाज को वे लाभ दिखाई नहीं दे रहे थे।क्योंकि लोगों की आंखों पर आर्थिक युग का, व्यावसायिकता का चश्मा चढ़ा हुआ है।
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2.गणित का अधिक से अधिक अध्ययन करना (To Study More and More of Mathematics):

  • प्रत्येक छात्र-छात्राओं को गणित का अध्ययन केवल अपने पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं करना चाहिए। गणित का आज हर क्षेत्र में उपयोग हो रहा है।यदि छात्र-छात्राएं गणित के पाठ्यक्रम के अतिरिक्त भी अध्ययन करते हैं तो जिस क्षेत्र में भी वे जाएंगे उस क्षेत्र में गणित का उपयोग होगा।आज मनोविज्ञान, आर्थिक गणित (Economic Mathematics), व्यापारिक गणित (Commercial Mathematics) इत्यादि से समझा जा सकता है कि गणित की कितनी महत्ता है।
  • पाठ्यक्रम के अतिरिक्त गणित पढ़ने का दूसरा फायदा यह है कि आप अपने गणित के कोर्स को चुटकियों में हल कर सकते हैं।उदाहरण के लिए जैसे आप रोजाना तीन मंजिल की इमारत पर चढ़ते हैं तो एक मंजिल की इमारत पर तो तत्काल चढ़ सकते हैं।एक बार आप अपने गणित का कोर्स पूरा करलें तथा उसकी पुनरावृत्ति कर लें।इसके पश्चात थोड़ा-सा समय गणित की अतिरिक्त विषय सामग्री जैसे गणित की पहेलियां (Riddles),गणितज्ञों के जीवन की अद्भुत घटनाएं,मैजिक स्क्वायर,गणित के खेल,गूढ़ समस्याएँ (Enigmas),कूट प्रश्न (Puzzles), वैदिक गणित को हल करने में देना चाहिए।
  • अधिकतर विद्यार्थी सोचते हैं कि गणित के उच्च सिद्धांतों का व्यावहारिक जीवन में कोई लाभ नहीं है फिर उच्च गणित का अध्ययन करने से फायदा क्या है? उसका कारण यह है कि उच्च गणित का अध्ययन करने से छात्र-छात्राओं में इस प्रकार की तार्किक क्षमता,सृजनात्मकता,चिन्तन-मनन करने की क्षमता का विकास होता है जो ओर किसी विषय के अध्ययन करने से नहीं होता है।
  • आज मैथमेटिक्स ओलंपियाड,ब्रिक्स में मैथमेटिक्स का कॉम्पीटिशन इसीलिए होता है ताकि छात्र-छात्राओं को गणित के अध्ययन के लिए प्रेरणा मिल सके।

3.उच्च स्तर की गणित का अध्ययन (To Study High Level of mathematics):

  • छोटी कक्षाओं में गणित को मूर्तरूप देकर समझाया जाता है।जैसे किसी को पाँच व छः जोड़ने के लिए कहा जाए तो छोटा बालक उसको जोड़ने में कठिनाई महसूस करेगा।परंतु पाँच व छः पुस्तकों अथवा पाँच व छः काँच की गोलियों को जोड़ने के लिए कहा जाए तो तत्काल उत्तर दे देगा।
  • परंतु गणित अमूर्त विषय है।धीरे-धीरे आप उच्च कक्षाओं में पहुंचते हैं तो आपको गणित का अमूर्त अध्ययन करने का अभ्यास कराया जाता है।जो छात्र-छात्राएं अपने आपको असमर्थ पाते हैं वे अपना ऐच्छिक विषय परिवर्तित कर लेते हैं।कुछ विद्यार्थी दसवीं के बाद गणित को बाय-बाय अथवा नमस्कार करके छोड़ देते हैं।
  • गणित का अध्ययन करने वाले दो प्रकार के व्यक्ति होते हैं।एक वे व्यक्ति अथवा छात्र-छात्राएं जो आंतरिक बोध (इंट्यूशन पावर) के द्वारा गणित में नई-नई खोजे,नवीन आविष्कार करते हैं।जैसे महान गणितज्ञ आर्किमिडीज,महान गणितज्ञ व वैज्ञानिक न्यूटन,महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन इत्यादि। इस प्रकार के गणितज्ञ  इंट्यूशन पावर के आधार पर गणित में सृजन करते हैं।दूसरे प्रकार के गणितज्ञ वे होते हैं जिनमें उच्च कोटि की बुद्धि होती है।उच्च कोटि की बुद्धि के बल पर सृजनात्मकता का कार्य करते हैं।जैसे महान गणितज्ञ अल्बर्ट आइंस्टीन,गणितज्ञ कार्ल फ्रैडरिक गाॅस,गणितज्ञ जीएच हार्डी इत्यादि।
  • छात्र-छात्राओं को इनट्यूशन पावर वाली गणित में सृजनात्मकता सिखाई नहीं जा सकती है।इसे तो छात्र-छात्राएं स्वयं अपने प्रयासों से ही अनुभव करता,जागृत कर सकता है।परंतु बौद्धिक सृजनात्मकता अर्थात् गणित में बुद्धि द्वारा सृजनात्मकता को शिक्षक,गुरु,माता-पिता,गणितज्ञों द्वारा थोड़ा-बहुत सिखाया जा सकता है याकि सिखाया जाता है।

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4.गणित का विस्तारपूर्वक अध्ययन (Study Mathematics in Detail):

  • किसी विषय में पारंगत होने के लिए उसका गहराई से अध्ययन करने के साथ-साथ उस विषय का विस्तारपूर्वक अध्ययन भी करना चाहिए।जैसे किसी विद्यार्थी ने अवकलन गणित,समाकलन गणित में गहराई से अध्ययन कर लिया है।इसके पश्चात उसे गतिविज्ञान (Dynamics), ज्यामिति (Geometry),त्रिकोणमिति (Trigonometry), समुच्चय सिद्धांत (Set Theory), संख्यात्मक विश्लेषण (Numerica Analysis) का भी अध्ययन करना चाहिए।
  • दरअसल समाकलन गणित,अवकलन गणित में कहीं ना कहीं त्रिकोणमिति,ज्यामिति,समुच्चय सिद्धांत इत्यादि काम में आते हैं।ज्यों-ज्यों विद्यार्थी समाकलन गणित, अवकलन गणित का अध्ययन करता है तो उसे उसकी विषय सामग्री को देखने पर पता चलता है कि उसे बीजगणित,त्रिकोणमिति व ज्यामित इत्यादि का भी अध्ययन करना चाहिए।
  • हालांकि यह बात ठीक है कि सभी विषयों का गहराई से अध्ययन करना विद्यार्थी के लिए संभव नहीं है।क्योंकि किसी एक ही विषय (पार्ट) का अध्ययन करने में पूरा जीवन व्यतीत हो जाता है तो गणित की सभी शाखाओं का गहराई से अध्ययन करना बहुत कठिन है।
  • परंतु अन्य शाखाओं का विस्तारपूर्वक इतना अध्ययन तो कर ही लेना चाहिए कि जिस शाखा का गहराई से अध्ययन किया जा रहा हो उसमें कठिनाई न आए।अथवा उसका गहराई से अध्ययन करना संभव हो सके।दरअसल गणित की सभी शाखाएं आपस में एक दूसरे से इंटरलिंक (interlink) (परस्पर संबंधित होना) रहती है।अतः अन्य शाखाओं का इतना ज्ञान तो होना ही चाहिए ताकि जिस शाखा का गहराई से अध्ययन किया जाए उसमें रुकावट (अन्य शाखाओं की वजह से) पैदा न हो।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित में अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिए 3 टिप्स (3 Tips to Advance Study in Mathematics),छात्र-छात्राओं के लिए गणित में आगे बढ़ने के 3 टिप्स (3 Tips for Students to Move Forward in Mathematics) के बारे में बताया गया है।

5.गणित को सरल करना (हास्य-व्यंग्य) (Simplify Mathematics) (Humour-Satire):

  • निशांत (विवेक से):तुम्हें गणित के सवालों को हल करना आता है।
    विवेक:नहीं तो।
  • निशांत (विवेक से):तुम्हारी कक्षा के मूर्ख से मूर्ख बालक गणित के सवाल हल कर सकते हैं।
  • विवेक (निशांत से):तुम्हें गणित के सवाल हल करना आता है।
  • निशांत (विवेक से):हां, बिल्कुल हल कर सकता हूँ।
  • विवेक (निशांत से):फिर तुम्हारे और मेरी क्लास के मूर्खों में क्या अंतर है?

6.गणित में अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिए 3 टिप्स (3 Tips to Advance Study in Mathematics),छात्र-छात्राओं के लिए गणित में आगे बढ़ने के 3 टिप्स (3 Tips for Students to Move Forward in Mathematics) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या गणितीय प्रतिभा जन्मजात होती है? (Are Mathematics Talents Born?):

उत्तर:काफी हद तक यह बात ठीक है कि गणित में मौलिक सृजन करने वाले गणितज्ञ जन्मजात होते हैं।परंतु बार-बार अभ्यास से,पुनरावृति से,चिंतन-मनन से जन्मजात प्रतिभा निखरती है, उभरती है वरना वह प्रतिभा सुप्त ही रह जाती है। इसके अतिरिक्त सामान्य छात्र-छात्रा को गणित का ज्ञान प्राप्त करना कठिन नहीं होना चाहिए।क्या हर मौलिक रचना करने वाले गणितज्ञ का पुत्र जन्मजात गणितज्ञ होता है? इसका उत्तर है नहीं। एक स्तर तक गणित का पारम्परिक ज्ञान हो सकता है परंतु विशेषज्ञ बनने के लिए तो उसे कठिन परिश्रम,तप, साधना करनी होगी।

प्रश्न:2.गणित की शिक्षा देना बालक में कब से प्रारंभ करना चाहिए? (When Should Teaching Mathematics Begin in a Child?):

उत्तर:गणित की नींव बालक में बचपन में ही डाल देनी चाहिए।महान दार्शनिक और गणितज्ञ प्लेटो ने भी कहा है कि अनेक ऐसी बातें होती हैं जो एक खास उम्र में ही करनी ठीक होती है।योगासन करने वाले के शरीर में लचीलापन,फुर्ती,शरीर को हर प्रकार से ढालने का कार्य तभी किया जा सकता है जबकि उसे बचपन से ही योग शिक्षा,योगासन करने की शिक्षा मिली हो।बड़े होने पर शरीर को बदलना मुश्किल होता है।बचपन में यदि शरीर की ढलायी हो तो बड़ी उम्र में भी वह ठीक रहता है।इसी प्रकार गणित का ज्ञान बचपन से प्रदान करना चाहिए। परिपक्वावस्था में बेसिक गणित की जानकारी प्रदान करना मुश्किल है।बड़ा होने पर गणित का दरवाजा उन्हीं के लिए खुलता है जिनमें प्रतिभा हो।

प्रश्न:3.गणित में उच्च स्तर का ज्ञान क्यों प्राप्त करना चाहिए? (Why are Show Aquire a High Level of Knowledge in Mathematics?):

उत्तर:छात्र-छात्राएं तनाव और दबाव महसूस करते हैं तो इसका कारण है कि गणित का उथला व अधूरा ज्ञान प्राप्त करना।उच्च कोटि का गणित का ज्ञान से ही उसे अंतर्बोध और आनंद की प्राप्ति होती है।गणित के ज्ञान से भौतिक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित में अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिए 3 टिप्स (3 Tips to Advance Study in Mathematics),छात्र-छात्राओं के लिए गणित में आगे बढ़ने के 3 टिप्स (3 Tips for Students to Move Forward in Mathematics) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

3 Tips to Advance Study in Mathematics

गणित में अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिए 3 टिप्स
(3 Tips to Advance Study in Mathematics)

3 Tips to Advance Study in Mathematics

गणित में अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिए 3 टिप्स (3 Tips to Advance Study in Mathematics) से तात्पर्य है कि
गणित में उन्नति करना,उच्च स्तर का अध्ययन करना।गणित को लक्ष्य केंद्रित तथा व्यावसायिक दृष्टिकोण रखते

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