5 Surefire Maths Spells for Board Exam
1.बोर्ड परीक्षा के लिए गणित के 5 अचूक मंत्र (5 Surefire Maths Spells for Board Exam),परीक्षा के लिए गणित की तैयारी के 5 अचूक मन्त्र (5 Surefire Mantras to Prepare for Mathematics for Exams):
- बोर्ड परीक्षा के लिए गणित के 5 अचूक मंत्र (5 Surefire Maths Spells for Board Exam) न केवल बोर्ड परीक्षा के लिए बल्कि किसी भी परीक्षा के लिए ये मंत्र उपयोगी साबित हो सकते हैं,होते हैं,हो ही सकते हैं यदि इन पर अमल किया जाए।किसी अच्छी बात का महत्त्व अमल करने पर ही मालूम होता है।
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2.गणित के प्रश्नों की प्रकृति (Nature of Mathematics Questions):
- अति लघुत्तरात्मक,वस्तुनिष्ठ तथा एमसीक्यू प्रश्नों को छोड़ दिया जाए तो निबन्धात्मक प्रश्न सामान्यतः तीन प्रकार के होते हैं।बोर्ड,कॉलेज और विश्वविद्यालय में इन्हीं तीन प्रकार के प्रश्नों के इर्द-गिर्द प्रश्न पूछे जाते हैं।प्रश्नों की प्रकृति समझे बिना सवालों को हल करने की सही रणनीति नहीं बनाई जा सकती है।प्रकृति के अनुरूप सवालों को हल करने,रिवीजन करने और अभ्यास करने में न केवल सहूलियत रहती है बल्कि परीक्षा में उत्तम स्कोर हासिल कर सकते हैं।अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हैं।
- पहले प्रकार के सवाल ऐसे होते हैं जिन्हें सीधे सूत्रों के द्वारा हल किया जा सकता है।जैसे द्विघात समीकरण,त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएं,माध्य,माध्यिका,बहुलक आदि ज्ञात करना।दूसरे प्रकार के सवाल ऐसे होते हैं जिनमें थ्योरीटिकल बातें लिखनी होती है।इस प्रकार के सवाल प्रमेय तथा प्रमेयों पर आधारित होते हैं।इस प्रकार के सवालों को समझ कर याद करना होता है और फिर लिखकर अभ्यास किया जाता है।यानी प्रमेय आधारित सवालों को पहले समझना,फिर याद करना और फिर लिखकर अभ्यास करना इन तीन स्टेप्स का पालन करना होता है। जबकि सूत्र आधारित सवालों को अधिक से अधिक नोटबुक पर लिखकर अभ्यास करना होता है हालांकि पहले उन्हें समझना भी पड़ता है।परंतु ऐसे सवालों को याद करने की जरूरत नहीं होती है।तीसरे प्रकार के ऐसे सवाल होते हैं जिनमें समझने और लिखकर अभ्यास करने की जरूरत होती है।ऐसे सवालों को याद करने की जरूरत नहीं होती है।समझ कर लिखने से खुद-ब-खुद याद हो जाते हैं।त्रिभुज,चतुर्भुज या स्पर्श रेखाओं की रचना करना जैसे सवालों में इन स्टेप्स का पालन करना होता है।
- यदि आप इन तीनों प्रकार के सवालों को एक ही प्रक्रिया का पालन करके हल करने का प्रयास करेंगे तो गणित में महारत हासिल करना संदिग्ध हो जाता है।दरअसल छात्र-छात्राएं शुरू से प्रैक्टिकल (सूत्र आधारित) सवालों को हल करने के अभ्यस्त हो जाते हैं।थ्योरीटिकल (प्रमेय आधारित) सवालों को शुरू से ही छोड़ते जाते हैं।10वीं 12वीं तक इस तरह सलेक्टेड तैयारी करने के आदी छात्र-छात्राओं को बोर्ड परीक्षा में इस तरह के सवाल हल करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
- अतः शुरू से ही सभी प्रकार के सवालों को अपने आप को हल करने में सिद्धहस्त करना चाहिए ताकि 10वीं,12वीं तथा कॉलेज आदि की परीक्षाओं में ऐसे सवालों को हल करने में कठिनाई का सामना न करना पड़े।माता-पिता,शिक्षक व छात्र-छात्राएं भी शुरू से ही इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं।अतः उन्हें शुरू से ध्यान देना चाहिए जिससे छात्र-छात्राएं गणित में फिसड्डी ना रहें।गणित फोबिया होने का मुख्य कारण भी यही है।आठवीं तक की थ्योरीटिकल सवालों की कांसेप्ट क्लियर नहीं होगी तो बोर्ड परीक्षा में गणित में अच्छे अंक कैसे अर्जित किए जा सकते हैं? यदि फिर भी चाहते हैं कि अच्छे अंक प्राप्त हो तो कड़ी मेहनत और युक्ति के साथ गणित को हल करेंगे तो अच्छे अंक अर्जित कर सकेंगे।
3.गणित का रिवीजन कैसे करें? (How to revise Mathematics?):
- सूत्र आधारित सवालों को रिवीजन करने के लिए आपको सूत्रों को छोटी पॉकेट डायरी,नोटबुक (जिसे पॉकेट में रखा जा सके) में लिख लेना चाहिए।जब भी आप खाली बैठें हों या इधर-उधर घूम रहे हों तो उन सूत्रों को याद कर लें।यदि याद है तो उन्हें रिवीजन करना चाहिए।मानसिक रूप से स्मरण करना चाहिए।बार-बार मानसिक रूप से स्मरण करेंगे तो कंठस्थ हो जाएंगे।हालांकि ऐसे सवालों को अभ्यास करते-करते ही सूत्र याद हो जाते हैं।परंतु बात तब की है कि आप सवाल हल नहीं कर रहे हो तो कैसे याद रखें।इस डायरी में लिखे सूत्रों को मानसिक रूप से बिना देखें समय-समय पर दोहराते रहें जिससे इन्हें भूलें नहीं।साथ ही इनके सवालों को फुटकर रूप से भी हल करते रहें ताकि सवालों को हल करने का अभ्यास बना रहे हैं।यदि कठिन सवालों को चिन्हित किया हुआ है अथवा प्रारंभ में गणित के सवालों को हल करते समय आपसे हल नहीं हुए हो,उन्हें चिन्हित करके रिवीजन के समय ऐसे सवालों को ही नोटबुक में हल करना चाहिए।इस प्रकार के सवाल प्रैक्टिकल सवाल होते हैं और उनमें थोड़े परिश्रम से ही मजबूत पकड़ बना सकते हैं।इस तरह के सवालों में अंक भी अधिक प्राप्त किया जा सकते हैं क्योंकि इनमें थ्योरी नहीं लिखनी पड़ती है।
- दूसरे प्रकार के सवाल प्रमेय तथा प्रमेय आधारित सवाल होते हैं जिनमें अधिक परिश्रम व अभ्यास करने की जरूरत होती है।जो छात्र-छात्राएं शुरू से प्रमेय या गणित की थ्योरी से किनारा करते हैं,उन्हें बोर्ड परीक्षा और कॉलेज की परीक्षा में इस तरह के सवालों को हल करने में बहुत अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है।ऐसे छात्र-छात्राओं को चाहिए कि प्रमेय तथा प्रमेय आधारित सवालों के कॉन्सेप्ट पहले भलीभाँति समझें फिर याद करके उन्हें लिखें।यहाँ कॉन्सेप्ट से तात्पर्य यह है कि केवल बोर्ड परीक्षा के सिलेबस की कॉन्सेप्ट ही नहीं बल्कि पिछली कक्षाओं की थ्योरीटिकल कांसेप्ट को समझें।जैसे ज्यामिति में समांतर चतुर्भुज की प्रमेयों को तैयार करना है।इसके लिए पिछली कक्षा में पढ़ाई गई समांतर रेखाएं,आसन्न कोण,प्रतिच्छेदी रेखाएं,एकांतर कोण,सम्मुख कोण,शीर्ष कोण,आधार कोण,बहिष्कोण कोण,अंतः कोण,ऋजु कोण,समकोण,अधिक कोण,न्यून कोण,तिर्यक रेखा,सरल रेखा,वक्र रेखा आदि की कांसेप्ट को समझना जरूरी है,इसके पश्चात ही समांतर चतुर्भुज पर आधारित प्रमेयों को ठीक से समझा जा सकता है।यदि पिछली कक्षाओं की उक्त थ्योरीटिकल बातों को छात्र-छात्राओं को स्पष्ट नहीं किया जाएगा तो वे बोर्ड में समांतर चतुर्भुज की प्रमेयों को ठीक से नहीं समझ पाएंगे।
- जो छात्र-छात्राएँ शुरू से ही गणित की थ्योरीटिकल बातें,बेसिक बातें,छोटी-छोटी बातों को पढ़ते और समझते रहे हैं,वे छात्र-छात्राएं तो बोर्ड की प्रमेयों को आसानी से समझ लेते हैं और उनका अभ्यास भी कर लेते हैं।रिवीजन में भी उन्हें दिक्कत नहीं आती है परंतु ऐसे छात्र-छात्राएं विरले ही होते हैं।प्रमेयों पर आधारित सवालों व प्रमेयों में सिद्धहस्त होने के लिए उपर्युक्त युक्ति के साथ तीन स्टेप्स का फॉलो करना चाहिए।थ्योरीटिकल व बेसिक बातें समझने के बाद संबंधित प्रमेयों को समझना,उसे याद करना और फिर लिखकर अभ्यास करना।इस प्रकार के सवालों में अधिक अभ्यास और कड़ी मेहनत की जरूरत होती है।
- तीसरे प्रकार के सवाल रचना आधारित होते हैं।ये समझने में सरल होते हैं,इन्हें याद करने की जरूरत नहीं होती है।केवल समझकर नोटबुक में अभ्यास करने की जरूरत होती है।रिवीजन के लिए फुटकर रूप से इनका अभ्यास किया जाए।
4.छात्र-छात्राओं के वीक पाइंटस (Students’ Week Points):
- गणित अथवा किसी भी विषय में सिद्धहस्त होने में मुख्य बाधा है उनकी गलत आदतें।कोई भी विषय कितना ही कठिन हो परंतु छात्र-छात्रा का चरित्र उज्जवल है,पढ़ने के प्रति ईमानदार है तो उसमें भी वह पकड़ मजबूत कर सकता है।
आधुनिक शिक्षा पद्धति में छात्र-छात्राओं को केवल भौतिक शिक्षा प्रदान की जाती है अतः छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता है।माता-पिता भी आधुनिक जीवन शैली के अभ्यस्त होते हैं तथा शिक्षक व संचालकों को केवल कोर्स कराने और फीस वसूल करने से मतलब रहता है।अतः चारित्रिक विकास न होने से छात्र-छात्राओं के कदम बहक जाते हैं,गलत दिशा की ओर बढ़ने लगते हैं। - सह शिक्षा के कारण छात्र-छात्राएं एक ही जगह उठते-बैठते हैं और पढ़ते हैं।शारीरिक हारमोंस में परिवर्तन तथा विपरीत लिंगीय आकर्षण के कारण कुछ छात्र-छात्राएं रोमांस करने,फिल्मी प्यार करने के चक्कर में पड़ जाते हैं।दूसरी तरफ मोबाइल फोन सहजता से उपलब्ध होने के कारण सोशल मीडिया तथा इंटरनेट पर भी सेक्सी,कामुक सामग्री मिल जाती है अर्थात् करेला और नीम चढ़ा।ऐसे छात्र-छात्राओं का जीवन चौपट हो जाता है क्योंकि जो काम इस (अध्ययन) उम्र में करना चाहिए उस काम से ध्यान हट जाता है,वह काम वे नहीं करते हैं और जो काम (सेक्स,रोमांस) इस उम्र में नहीं करना चाहिए वह काम वे करने लगते हैं,तो जाहिर-सी बात है कि जीवन निर्माण का बंटाधार होगा ही।जैसे आग के संपर्क से घी पिघलता ही है।इस प्रकार नारी के संपर्क से पुरुष का ब्रह्मचर्य खंडित होगा ही।इस उम्र में ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए विद्याध्ययन करना चाहिए,वह उम्र उनके गलत कार्यों को करने में गुजरती है।
- इसके अलावा नकारात्मक,चिंतन,मार्गदर्शन सही न मिलना,निराशा,हताशा,तनाव,गप्पे हाँकना,सोशल मीडिया पर घंटों फालतू में व्यतीत करना,मित्रों ब्वायफ्रेंड,गर्लफ्रेंड से घंटों वीडियो कॉल के जरिए बातचीत करना,चैटिंग करना आदि के कारण पढ़ाई चौपट हो जाती है।जब तक नैतिक व चारित्रिक शिक्षा नहीं दी जाएगी तब तक युवावर्ग व छात्र-छात्राओं का न तो जीवन का निर्माण हो सकता है और अध्ययन करने के बारे में तो सोचा भी नहीं जा सकता है।
- हम इस लेख के माध्यम से छात्र-छात्राओं को यही संदेश देना चाहते हैं कि इस उम्र में जो काम करने (अध्ययन करना) लायक है,व्यक्तित्व का निर्माण करना,वही करें।सेक्स,रोमांस करने के लिए हमारे ऋषियों ने गृहस्थाश्रम ही निर्धारित किया है।सेक्स,रोमांस जैसी खुली छूट तो ऋषियों ने गृहस्थी को भी नहीं दी है।केवल संतानोत्पत्ति (सृजन कार्य) के लिए सहवास करने की छूट दी है।
- इसके अलावा छात्र-छात्राएं अति-आत्मविश्वास,चिंता और तनाव के कारण भी परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।आर्ट्स,कामर्स व अन्य ऐच्छिक विषयों के बजाय साइंस के छात्र-छात्राओं को कड़ी मेहनत की दरकार होती है।अतः उन्हें अति आत्मविश्वास नहीं रखना चाहिए।कई बार छात्र-छात्राएं समझ लेते हैं कि गणित को मैंने एक बार अच्छी तरह से हल कर लिया है,अब मुझे इसे हल करने की आवश्यकता नहीं है।अतः परीक्षा के एक दिन पूर्व देख लूंगा तो भी अच्छे मार्क्स प्राप्त हो जाएंगे।ऐसी सोच से हम गणित में पिछड़ जाते हैं क्योंकि प्रश्न-पत्र में क्या कुछ आ जाए पता नहीं है अतः उसके लिए अभ्यास व रिवीजन करते रहने की आवश्यकता है।चिंता से बचने के लिए अपना चिंतन सुधारने की जरूरत होती है।तनाव से बचने के लिए क्षमा धारण करने की आवश्यकता है।चिंता व तनाव से बचने के लिए क्षमा धारण करने से संबंधित एक लेख वेबसाइट पर पोस्ट किया हुआ है,इसे पढ़ कर दी गई बातों पर अमल करें।
5.गणित के छात्र के भटकने का दृष्टांत (The parable of a math student’s wanderlust):
- गणित ऐच्छिक विषय लेने वालों को एक बात अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि इस विषय में ऐशोआराम,सुख-सुविधाओं का भोग करने की बात मन से बिल्कुल निकाल देनी चाहिए।या तो ऐशोआराम,साधन सुविधाओं,सेक्स,रोमांस आदि का भोग कर लो या फिर गणित विद्या का अध्ययन कर लो।दोनों काम एक साथ नहीं हो सकते हैं।जैसे हंसना और गाल फुलाना दोनों काम एक साथ नहीं हो सकते हैं।
- एक विद्यार्थी ने गणित ऐच्छिक विषय लिया।पिता लेक्चरर और माँ प्रधानाध्यापिका थी।वह विद्यार्थी पढ़ने में भी कुशाग्र था।उस काल में 10 + 2 + 3 न होकर 10+1+ 3 शिक्षा का पैटर्न था।अतः नवीं कक्षा में ही ऐच्छिक विषय लेना पड़ता था।साइंस विषय में कम छात्र ही थे।उस समय कॉमर्स का बोलबाला था। अधिकतर छात्र-छात्राएं कॉमर्स विषय ही लेते थे।साइंस व आर्ट्स विषय में कम छात्र होते के कारण उन्हें बैठाने की व्यवस्था एक ही कमरे में थी।आर्ट्स में दो सुंदर छात्राएं भी थी।इस विद्यार्थी की आंखें उनमें से एक सुंदर छात्रा से लग गई अर्थात् उससे प्यार हो गया।वह छात्रा पूरे समय बार-बार उस छात्र को ही देखती थी तथा वह छात्र भी बार-बार उस छात्रा को देखता रहता था।
- यदा-कदा वह छात्र उसे शहर में फिल्म दिखाने ले जाता था।उनमें प्रेम-पत्रों का भी आदान-प्रदान होता रहता था।उस समय भी आईआईटी के लिए प्रवेश परीक्षा उस समय 11वीं में अध्यनरत (या 11वीं परीक्षा उत्तीर्ण) छात्र ही दे सकता था क्योंकि 11वीं कक्षा का एग्जाम उस समय बोर्ड परीक्षा का एग्जाम ही होता था।वह विद्यार्थी पढ़ने में बहुत निपुण था परंतु उस छात्रा के प्रेम में फंस गया और कड़ी मेहनत करने के बावजूद दोनों बार उसका आईआईटी के लिए प्रवेश परीक्षा व पीईटी (राजस्थान) (pre engineering test) में चयन नहीं हुआ।
- उसकी प्रधानाध्यापिका माँ दूसरे कस्बे में कार्यरत थी परंतु रविवार (छुट्टी) के दिन वह विद्यार्थी को सम्हालने अपने पति के पास आ जाती थी।विद्यार्थी अपने पिता के साथ ही रहता था।एक बार उस छात्रा का प्रेमपत्र उसकी प्रधानाध्यापिका माँ के हाथ लग गया और उस पत्र को उसने अपने पर्स में रख लिया।जब विद्यार्थी ने प्रेम पत्र को ढूंढा तो माँ के पर्स में मिल गया।प्रेमपत्र पेंसिल से लिखा गया था।अतः उसने उस प्रेम पत्र को निकालकर रबड़ से मिटाकर उसे पुरुष की भाषा में स्त्रीलिंग शब्दों की जगह लिख दिया।उसने अक्ल तो बहुत दौड़ाई परंतु उसकी मां तो प्रेमपत्र पहले ही पढ़ चुकी थी।उसकी मां ने कड़ी फटकार लगाई लेकिन वह नहीं सुधरा।
- उसने स्नातक (बीएससी) करने के बाद संगणक की परीक्षा दी और उसमें उत्तीर्ण हो गया।उसका प्रेम परवाना नहीं चढ़ सका क्योंकि छात्रा के माता-पिता ने उसकी शादी अन्यत्र कर दी।विद्यार्थी का कैरियर बहुत ऊंचाई पर चढ़ता परंतु प्रेमपाश और गलत दिशा में भटकने के कारण उसे छोटी सी नौकरी से ही संतोष करना पड़ा।
- तात्पर्य यह है कि यह कहानी तो आज से 40 साल पहले की है।आज का जमाना तो इतना एडवांस हो चुका है कि 6-7 साल के लड़के को ही पता चल जाता है कि सेक्स क्या है,रोमांस क्या है,प्रेम क्या है,प्यार कैसे करते हैं।तो आज तो भटकने के अनेकों रास्ते हैं।विज्ञान व गणित जैसे विषयों को लेने वाले छात्र-छात्रा त्याग,तप,समर्पण,निष्ठा और एकाग्रता के साथ अध्ययन नहीं करेंगे तो अच्छे प्राप्तांक तो प्राप्त करना दूर की कोड़ी है,उनकी शिक्षा भी अपने उच्च स्तर पर नहीं पहुंच पाएगी।वे कहीं के नहीं रहेंगे।अतः बोर्ड व कॉलेज के छात्र-छात्राओं को इस कहानी के जरिए सीख लेनी चाहिए कि इन सब बातों से भविष्य कैसे चौपट हो सकता है,होता है,हो ही जाता है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में बोर्ड परीक्षा के लिए गणित के 5 अचूक मंत्र (5 Surefire Maths Spells for Board Exam),परीक्षा के लिए गणित की तैयारी के 5 अचूक मन्त्र (5 Surefire Mantras to Prepare for Mathematics for Exams) के बारे में बताया गया है।
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6.गणित छात्र की हालत (हास्य-व्यंग्य) (Maths Student Condition) (Humour-Satire):
- गणित शिक्षक ने पास खड़ी महिला से पूछाःक्या यह बदतमीज छात्र आपका ही है जो मेरी तरफ बार-बार थूक रहा है।
- महिलाःजी नही,यह मेरा भतीजा है,मेरा बेटा तो गणित का छात्र है जो अभी-अभी आपके बैग,जूते आदि को उस पानी के टैंक में गिराकर इधर ही आ रहा है और अब उसे आपको ही पढ़ाना है क्योंकि उसका एडमिशन कराने आई हूं।
7.बोर्ड परीक्षा के लिए गणित के 5 अचूक मंत्र (Frequently Asked Questions Related to 5 Surefire Maths Spells for Board Exam),परीक्षा के लिए गणित की तैयारी के 5 अचूक मन्त्र (5 Surefire Mantras to Prepare for Mathematics for Exams) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नः
प्रश्न:1.गणित पढ़ते हुए बोरियत से कैसे बचें? (How to avoid boredom while studying math?):
उत्तर:गणित का अध्ययन श्रद्धा के साथ पूजा समझकर करेंगे तो उसमें असीम आनन्द का अनुभव करेंगे।जीवन में गणित के क्षेत्र में शिखर पर वही पहुंच सकता है जो गणित के अध्ययन को साधना समझकर करें और उसमें डूब जाए और पूरी निष्ठा के साथ करें।यदि साधना करने में ऊब या बोरियत होने लगे तो परिणाम अच्छे कैसे हो सकते हैं।महान गणितज्ञ केसी सिंहा,एमएल खन्ना,आर के श्रीवास्तव कई घंटों तक रियाज करते हैं उन्हें तो बोरियत नहीं होती क्योंकि वह अपने कार्य को श्रद्धा के साथ पूजा समझ कर करते हैं।
प्रश्न:2.गणित में कैसे सफल हों? (How to succeed in math?):
उत्तर:पूरे मन से आत्मविश्वास के साथ और एकाग्रचित्त होकर अध्ययन करें और अपनी तरफ से कोई कसर बाकी ना छोड़ें तो सफल होना निश्चित है।अगर आधे मन से,अस्थिर चित्त से और संशयग्रस्त मनोवृत्ति से और उच्चाटन के साथ अध्ययन करेंगे तो सफल न हो सकेंगे।यदि सफल हो गये तो प्रारब्ध के बूते हुआ ऐसा माना जाएगा।
प्रश्न:3.कोई प्रश्न-पत्र खराब हो जाए तो क्या करें? (What to do if a question paper gets spoiled?):
उत्तर:कोई पेपर भरपूर तैयारी करने के बावजूद खराब हो जाए तो मानसिक सन्तुलन बनाएं रखें तथा आगे के प्रश्न-पत्रों पर उसका प्रभाव न पड़ने दें।हो सकता है सभी के लिए वह पेपर कठिन हो।अतः परीक्षा के दौरान खराब पेपर के बारे में चर्चा करके अपना मानसिक सन्तुलन न खोएं।जो प्रश्न-पत्र खराब हो गया वो तो अच्छा हो नहीं सकता लेकिन अगले प्रश्न-पत्रों को खराब होने से बचा सकते हैं।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा बोर्ड परीक्षा के लिए गणित के 5 अचूक मंत्र (5 Surefire Maths Spells for Board Exam),परीक्षा के लिए गणित की तैयारी के 5 अचूक मन्त्र (5 Surefire Mantras to Prepare for Mathematics for Exams) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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