Menu

4 Tips to Achieve Goals for Students

Contents hide

1.छात्र-छात्राओं के लिए लक्ष्य को प्राप्त करने की 4 टिप्स (4 Tips to Achieve Goals for Students),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए लक्ष्य को प्राप्त करने की 4 टिप्स (4 Tips to Achieve Goals for Mathematics Students):

  • छात्र-छात्राओं के लिए लक्ष्य को प्राप्त करने की 4 टिप्स (4 Tips to Achieve Goals for Students) के इस आर्टिकल से पूर्व लक्ष्य तय करने की 3 बेहतरीन टिप्स लेख पोस्ट कर चुके हैं। उस आर्टिकल में बताया गया है कि छात्र-छात्राएं अपने लक्ष्य को निर्धारित कैसे करें? जैसे प्रत्येक छात्र-छात्रा तथा व्यक्ति के लिए लक्ष्य तय करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है उससे भी अधिक चुनौतीपूर्ण कार्य है लक्ष्य को प्राप्त करना।
  • वैसे जीवन का लक्ष्य वह आदर्श स्थिति है अथवा उस क्षितिज के समान है जिसकी प्राप्ति कभी संभव नहीं होती है,हम ज्यों-ज्यों उसकी ओर बढ़ते जाते हैं त्यों-त्यों वह हमसे दूर हटता चला जाता है।परंतु लक्ष्य हमें सदैव प्रेरित करता रहता है और उसे प्राप्त करने के लिए हम सक्रिय रहते हैं।अतः सर्वप्रथम प्रत्येक छात्र-छात्रा को अपने जीवन का लक्ष्य तय करना चाहिए उसके पश्चात उसे छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटकर उनको प्राप्त करते रहना चाहिए।
  • उदाहरणार्थ यदि किसी छात्र-छात्रा की रुचि आर्थिक पहलू और भौतिक आवश्यकताओं में तथा गणित में विशिष्ट प्रतिभा है तो ऐसे छात्र-छात्राएं गणितज्ञ,गणित अध्यापक,गणित प्राध्यापक,गणित रिसर्चर (शोधकर्ता) इत्यादि बनना अपने जीवन का लक्ष्य अपनाते हैं।ऐसे छात्र-छात्राओं की रुचि धार्मिक कार्यों में नहीं होती है परन्तु धर्म और अध्यात्म का थोड़ा-बहुत ज्ञान उन्हें प्राप्त करना ही चाहिए।क्योंकि हमारे जीवन में भौतिक और आध्यात्मिक दोनों पक्षों की उन्नति होनी चाहिए।किसी एक पक्ष की उन्नति से जीवन में पूर्णता नहीं आती है।आटे में नमक डालने से रोटी स्वादिष्ट लगती है वरना रोटी फीकी लगती है।
  • अब यदि वह गणित में शोध कार्य (गणितज्ञ) को अपने जीवन का लक्ष्य बनाता है तो शोध करने का कोई अंत नहीं है।हम शोध करते जाते हैं तो हमें आगे शोध करने के लिए ओर आवश्यकता महसूस होती है।इस प्रकार हमारा लक्ष्य खिसकता जाता है।छात्र-छात्राएं प्रारंभिक स्तर पर गणित से 12वीं,बीएससी,एमएससी तथा पीएचडी करने का लक्ष्य तय करता है।धीरे-धीरे वह 12वीं परीक्षा उत्तीर्ण करता है,फिर बीएससी और पीएचडी करता जाता है।इस प्रकार छोटे-छोटे लक्ष्यों में बाँटकर वह अपने बड़े लक्ष्य (गणित में शोध कार्य) को प्राप्त करने की ओर अग्रसर होता जाता है।अब मूल प्रश्न यह है कि हमारे लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें? ऐसी कौनसी रणनीति अपनाएं जिससे लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके?
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके । यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए । आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

Also Read This Article:3 Best Tips to Set Goals

2.लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अपने अन्दर जुनून पैदा करें (Create Passion in Yourself to Achieve the Goal):

  • आप अपने लिए जो भी लक्ष्य निर्धारित करते हैं यदि उसे उथले मन से करते हैं,रुचि नहीं लेते हैं तो यह समझा जा सकता है कि आपके अंदर लक्ष्य को प्राप्त करने का जुनून नहीं है।ऐसी स्थिति में आप लक्ष्य से भटक सकते हैं।जैसे आपको आईआईटी करना है तो उसके लिए आपको दसवीं से बारहवीं कक्षा तक कठोर परिश्रम करना होगा।कठोर परिश्रम ही नहीं बल्कि रुचिपूर्वक अध्ययन करना होगा अन्यथा 12वीं कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त नहीं होंगे,सब्जेक्टस पर अच्छी पकड़ नहीं होगी तो आपका लक्ष्य आईआईटी करने से फिसल जाएगा।
  • जब आपके अंदर आईआईटी करने का जुनून पैदा होता है तो आप सोते-जागते,उठते-बैठते,खाते-पीते,चलते-फिरते,हर समय,हर पल अपने लक्ष्य आईआईटी के बारे में सोचते हैं,उसके लिए अध्ययन करते हैं,उसके लिए अध्ययन सामग्री जुटाने का प्रयत्न करते हैं इत्यादि तभी वह आपका जुनून बनता है।
  • किसी जॉब में चयन के लिए कंपनी के प्रबंधक तथा मालिक न केवल यह देखते हैं कि जॉब के बारे में कितनी गहराई तक जानकारी रखते हैं,जाॅब को करते हुए आप कंपनी के लिए कितने लाभदायक हो सकते हैं बल्कि यह भी देखते हैं कि आपके भीतर कितना उत्साह,जोश,उमंग हैं जो जाॅब आपने चुना है उसके लिए।
  • लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें बहुत कुछ दांव लगाना पड़ता है,बहुत कुछ खोना पड़ता है,बहुत सी कठिनाइयों और मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।वस्तुतः कठिनाइयां,बाधाएं लक्ष्य प्राप्ति के लिए रोड़ा नहीं बनती है बल्कि वे तो हमें उस लक्ष्य के काबिल और योग्य बनाती हैं।
  • हर वह कार्य करने की कोशिश करें जो आपके लक्ष्य के लिए आपके अंदर जुनून को जिंदा रखता है।जैसे आपको किसी कंपनी में प्रबंधक बनना हैं।अब आप द्वारा परीक्षा की तैयारी करते समय मन उचट जाए अथवा ऊब जाए तो प्रबंधक पद पर कार्य करते रहने की सुखद कल्पना करें।आप सोचें कि कम्पनी में प्रबंधक बनने पर परिवार,समाज में कितनी प्रतिष्ठा और यश मिलेगा साथ ही अच्छा वेतन मिलेगा वह अलग।इस प्रकार आप परीक्षा की तैयारी के लिए पुनः जुट जाएंगे।
  • अपने अंदर जुनून पैदा करने के लिए अपने आप पर पूर्ण आत्म-विश्वास रखें।आत्म-विश्वास सफलता की गारंटी तो नहीं है परन्तु लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें संघर्ष करने के लिए साहस प्रदान करता है।यदि आप अपने आप पर विश्वास नहीं रखेंगे तो उत्साह और जोश ठंडा हो जाता है और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आपके अंदर जुनून नहीं रहता है।
  • हमेशा यह सोचे कि भगवान ने उसे संसार में असाधारण कार्य करने के लिए जन्म दिया है।श्रेष्ठ और ऊँचा लक्ष्य उथले और काम चलाऊ प्रयासों से प्राप्त नहीं किया जा सकता है बल्कि लक्ष्य के लिए प्रखंड पुरुषार्थ करने की आवश्यकता होती है।
  • यदि आपके अंदर जुनून है तो थोड़े-से तथा उपलब्ध साधनों से भी अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।यदि मन में दृढ़ निश्चय है तो मुसीबतें एक-एक करके हल होती जाती है।उदाहरण के लिए यदि आप रोजाना बस से स्कूल जाते हैं लेकिन किसी दिन बस देर से आती है तो आप टैक्सी से स्कूल जाते हैं।कभी वर्षा हो जाती है तो भीगते हुए स्कूल जाते हैं अथवा छाते का प्रयोग करके जाते हैं।कभी गुंडे-बदमाश रास्ते में मिल जाते हैं तो उनसे बचकर अपने स्कूल में समय पर जाते हैं।इस प्रकार आप अध्ययन करने के लिए स्कूल जाने में जब अनेक मुसीबतों का सामना करते हैं तो लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भी आपको अनेक मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।मुसीबतों से घबराकर लक्ष्य को बदलने से जीवन में भटकाव पैदा हो जाता है।वरमौण्ट (अमेरिका) में चार्ल्स सी फ्रास्ट नाम का मोची था।उसने अपने कार्य के व्यस्त क्षणों से प्रतिदिन एक घण्टा बचाकर 10 वर्ष तक नियमित रूप से गणित का गहन अध्ययन किया।केवल एक घंटे के नियमित अभ्यास से वह एक उच्चकोटि का गणितज्ञ बन गया।क्या यह बिना जुनून के सम्भव था?

3.कठिन परिश्रम करें (Work Hard):

  • असाधारण कार्य अर्थात् ऊँचा लक्ष्य प्राप्त करने के लिए चतुर सोच (smart thinking) के साथ कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है।चतुर सोच के साथ कठिन परिश्रम करने से समय,धन और ऊर्जा की बचत होती है।यदि हम चतुर सोच के साथ कठिन परिश्रम करें तो हमारे जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल सकती है।
  • आप अध्ययन कर रहे हों,जॉब कर रहे हों,खेल खेल रहे हों,भजन गा रहे हों अर्थात् किसी भी कार्य को करने के लिए कठिन परिश्रम करने की जरूरत होती है।जितने भी महान गणितज्ञ,वैज्ञानिक और महापुरुष हुए हैं अथवा किसी भी क्षेत्र में शीर्ष पर जो व्यक्ति हैं वे न केवल कठिन परिश्रम करते हैं बल्कि नियमित घण्टों उसका अभ्यास करते हैं।
  • विद्यार्थियों तथा लोगों के लक्ष्य प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा है आलस्य,लापरवाही,कार्य को टालने की प्रवृत्ति व बहानेबाजी।ये दुर्गुण हमें आगे बढ़ने नहीं देते हैं जैसे अनाज में घुन लग जाता है और अनाज को चट कर जाता है वैसे ही ये दुर्गुण हमारी शक्ति और समय को नष्ट करते रहते हैं।
  • कठिन परिश्रम करने वाले छात्र-छात्राओं के पास फालतू के कार्यों को करने के लिए समय ही नहीं रहता हैं और वे अपने अध्ययन कार्य में इतने तल्लीन रहते हैं कि इन दुर्गुणों को उनके अंदर जड़ जमाने का मौका ही नहीं मिलता है।कर्मठ छात्र-छात्राओं के रात-दिन अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की धुन सवार रहती है।ऐसे छात्र-छात्राएं घण्टों तक अध्ययन करते रहते हैं उन्हें आलस्य,बोरियत नहीं होती है क्योंकि वे अपने कार्य (अध्ययन) को श्रद्धा के साथ पूजा समझकर करते हैं।
  • गणित शिक्षक आर के श्रीवास्तव,विक्टर सन डार्विन (ऑस्ट्रेलिया),प्रोफेसर पो-शेन लोह (अमेरिका) के उदाहरण मौजूद हैं जिन्होंने कोरोनावायरस से फैली महामारी कोविड-19 में भी घण्टों गणित का अध्यापन करते थे और असीम आनन्द का अनुभव करते हैं।जीवन में लक्ष्य को वही प्राप्त कर सकता है जो काम को साधना समझकर करे और उस कार्य में डूब जाए।यदि अध्ययन कार्य (साधना) में आलस्य आने लगे,बोरियत होने लगे,लापरवाही करे,अध्ययन कार्य को टालने की प्रवृत्ति रखे अथवा बहानेबाजी करे तो लक्ष्य कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
  • लक्ष्य को प्राप्त करने का यह अर्थ नहीं है कि मनोरंजन बिल्कुल ही न किया जाए,घूमने-फिरने का कार्य न किया जाए।सुविधानुसार मनोरंजन व व्यायाम भी करना चाहिए,हम छात्र-छात्राओं को पढ़ाकू बनाने का परामर्श नहीं दे रहे हैं।
  • कठिन परिश्रम लक्ष्य केन्द्रित होना चाहिए क्योंकि कठिन परिश्रम तो कोल्हू का बैल भी करता है परंतु पहुंचता कहीं नहीं है।लक्ष्य केंद्रित कठिन परिश्रम में दृढ़ इच्छाशक्ति तथा सकारात्मक सोच शामिल रहती है।दृढ़ इच्छाशक्ति में एक लक्ष्य पर ध्यान फोकस रहता है और हम यही सोचते हैं कि करना है तो यही करना है।यदि कार्य में पहली बार असफलता मिल जाती है तो सकारात्मक सोच हमें नए विकल्प की ओर प्रेरित करती है।जैसे आपको इंजीनियरिंग करनी है और आईआईटी में चयन नहीं हुआ तो बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग कर सकते हैं अथवा अन्य किसी संस्थान से।

4.लक्ष्य प्राप्ति हेतु महत्त्वपूर्ण बिन्दु (Important Points for Achieving the Goal):

  • (1.)योजनाबद्ध कार्य करें तथा योजना व्यावहारिक होनी चाहिए अर्थात् पालन किए जा सकने वाली।
  • (2.)लक्ष्य का निर्धारण अपने गुण,कर्म,स्वभाव और सामर्थ्य के अनुसार चुनाव करें क्योंकि गलत लक्ष्य का निर्धारण आपके पूरे जीवन को बर्बाद कर सकता है।
  • (3.)समय-समय पर अपनी शक्ति,कमजोरियों,चुनौतियों की समीक्षा करके आवश्यक बदलाव करते रहें।
  • (4.)जो लक्ष्य निर्धारित किया है उसके लिए पर्याप्त समय है या नहीं इस पर विचार करें।
  • (5.)लक्ष्य के लिए उपलब्ध साधन-सुविधाओं का बेहतरीन तरीके से उपयोग करें।
  • (6.)कभी-कभी इस पर भी विचार करें कि लक्ष्य प्राप्ति की कितनी संभावना है।क्योंकि जीवन में अनावश्यक संघर्ष करते रहना उचित नहीं है।
  • (7.)लक्ष्य प्राप्ति में प्रलोभनों में न फंसे क्योंकि प्रलोभन हमें लक्ष्य से भटका देते हैं।
  • (8.)कोई भी कार्य एक तरीके से नहीं हो रहा हो तो उसके अन्य विकल्पों को तलाशें और उन पर कार्य करें।
  • (9.)अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु साधन-सुविधाओं की श्रेष्ठ स्थिति का इंतजार न करें बल्कि लक्ष्य पर अनवरत कार्य करते रहें।
  • (10.)यदि आपके पास समय है तो छोटे-छोटे कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर न रहें।दूसरों पर अत्यधिक निर्भरता आपके लक्ष्य में रोड़ा बन जाते हैं।
  • (11.)आज का काम आज ही निपटाएं अगले दिन कार्य का भार बढ़ जाता है और धीरे-धीरे कार्य इकट्ठा होता जाता है।जब काम का भार बढ़ जाता है तो जल्दबाजी में कार्य को करने पर बेहतर तरीके से नहीं किया जा सकता है।
  • (12.)किसी भी कार्य को करने में अति न करें लेकिन इसके लिए समझदारी,सूझबूझ,दार्शनिक ज्ञान और जीवन के ठोस अनुभवों और वास्तविकताओं का ज्ञान होना आवश्यक है।

5.लक्ष्य प्राप्ति के लिए व्यावहारिक योजना का दृष्टान्त (Illustration of Practical Planning for Achieving the Goal):

  • एक नगर में दो मित्र थे।दोनों के गणित विषय था।वे दोनों साथ-साथ पढ़ते थे।एक बार उनके गणित शिक्षक ने परीक्षा लेने के लिए सभी छात्र-छात्राओं को सूचित किया।साथ ही हिदायत दी कि सवालों को हल न करने और कम अंक प्राप्त करने पर छात्र-छात्राओं को दंडित किया जाएगा।पहले मित्र ने दूसरे मित्र से पूछा कि तुम्हें संबंधित सवालों के हल याद हैं।दूसरे मित्र ने कहा कि मैं एक-एक सवाल को तीन-तीन चार-चार तरीके से हल कर सकता हूं।पहले मित्र ने कहा कि यह तो बहुत अच्छी बात है परन्तु मुझे तो एक तरीके से ही हल करना आता है।पहले मित्र ने कहा कि मुझे भी कोई सवाल नहीं आए तो तुम बता देना।दूसरे मित्र ने डींग हाँकते हुए कहा कि हाँ-हाँ क्यों नहीं? पहले मित्र ने कहा तब तो ठीक है हमें सजा नहीं मिलेगी।
  • घर से रवाना होने के बाद रास्ते में पहले मित्र ने दूसरे मित्र से पूछा कि तुम्हें चार-चार तरीके से हल करना ठीक से आता है न।दूसरे मित्र ने अटकते हुए कहा कि चार तरीके तो नहीं परन्तु दो तरीके तो मुझे आते हैं।पहले मित्र ने कहा कि दो तरीके तो ठीक से याद हैं न।दूसरे मित्र ने हामी भर दी।
  • विद्यालय के पास पहुँचते ही पहले मित्र ने फिर पूछा कि दो-दो तरीके तो याद हैं न।दूसरे मित्र ने कहा कि दो तो नहीं परन्तु एक तरीका याद है।तब पहले मित्र ने कहा कि पहले सवाल तुम ही हल करना और मुझे भी बता देना।कक्षा के बाहर पहले मित्र ने पूछा कि सभी सवालों को एक तरीके से हल कर सकते हो न।दूसरे मित्र ने हकलाते हुए कहा कि मुझे तो कोई भी तरीके से हल करना नहीं आता है।इसलिए गणित अध्यापक की सजा से बचने के लिए पीरियड में बंक मार लेते हैं।
  • पहले मित्र ने दूसरे मित्र को डरते हुए देख कर कहा कि घबराओ मत मुझे एक तरीके से हल करना आता है।दोनों ने कक्षा में प्रवेश किया,पहला मित्र आगे था और दूसरा मित्र पीछे था।पहले मित्र ने कहा कि गुरुदेव प्रणाम।गणित अध्यापकों को उसका संबोधन बहुत प्रिय लगा।तब पहले मित्र ने विनीत भाव से कहा कि एक निवेदन है।तब गणित अध्यापक ने कहा कि बोलो मैं तुम्हारी किस प्रकार सहायता कर सकता हूं।
  • पहला मित्र बोला कि यह मेरा मित्र मुझसे झगड़ा करता है यदि आगे की बेंच पर बैठेंगे तो पूरी कक्षा डिस्टर्ब होगी इसलिए हमें पीछे की सीट पर बैठने की इजाजत दें।गणित अध्यापक ने ऐसी विनम्र वाणी कभी छात्र-छात्राओं से नहीं सुनी थी।क्योंकि आजकल के वातावरण में छात्र-छात्राओं का शिक्षक के प्रति आदर भाव ही नहीं रहा और न ही अध्यापक छात्र-छात्राओं को पुत्रवत समझते हैं।गणित अध्यापक ने कहा हाँ-हाँ क्यों नहीं?
  • गणित अध्यापक ने प्रश्न-पत्र सभी छात्र-छात्राओं को दे दिए।पहले मित्र ने इत्मीनान से प्रश्न-पत्र को हल कर लिया और अपने मित्र को भी बता दिया।उनकी सजा बच गई।तात्पर्य यह है कि किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यावहारिक योजना ही काम आती है सैद्धान्तिक योजना नहीं।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राओं के लिए लक्ष्य को प्राप्त करने की 4 टिप्स (4 Tips to Achieve Goals for Students),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए लक्ष्य को प्राप्त करने की 4 टिप्स (4 Tips to Achieve Goals for Mathematics Students) के बारे में बताया गया है।

Also Read This Article:Focus on JEE Main 22 Preparation Goals

6.गणित की पुस्तकों का संग्रह (हास्य-व्यंग्य) (Collection of Mathematics Books) (Humour-Satire):

  • छात्र (गणित अध्यापक से):सर (sir) मुझे मेरे घरवाले पागल समझते हैं।
  • गणित अध्यापक:क्या कारण है?
  • छात्र:क्योंकि मुझे गणित की पुस्तकें खरीदना और उनका संग्रह करना पसंद है।
  • गणित अध्यापक:इसमें परेशानी की कोई बात नहीं,यह तो मुझे भी पसंद है।
  • छात्र:तब तो आप मेरे घर आइए,मैं अपनी गणित की पुस्तकों का संग्रह दिखाऊंगा।मेरे घरवालों को समझाना।
  • गणित अध्यापक:गणित की पुस्तकों को पढ़ते भी भी हो या नहीं।
    छात्र:वो बाद की बात है।

7.छात्र-छात्राओं के लिए लक्ष्य को प्राप्त करने की 4 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 4 Tips to Achieve Goals for Students),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए लक्ष्य को प्राप्त करने की 4 टिप्स (4 Tips to Achieve Goals for Mathematics Students) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.लक्ष्य तय कब तक कर लेना चाहिए? (How Long Should the Target be Set?):

उत्तर:लक्ष्य को हाईस्कूल स्तर तक निश्चित कर लेना चाहिए।लक्ष्य तय करने के लिए आवश्यक हो तो माता-पिता,अभिभावक,मित्रों,शिक्षकों अथवा किसी विशेषज्ञ या काउंसलर से परामर्श अवश्य ले लेना चाहिए।

प्रश्न:2.लक्ष्य से क्या तात्पर्य है? (What Do You Mean by Goal?):

उत्तर:किसी वस्तु जिस पर निशाना लगाया जाए जैसे अध्ययन कार्य,परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करना,इंजीनियरिंग इत्यादि।लक्ष्य वही होना चाहिए जिसे हम दिल से चाहते हैं,जिसके लिए हम कुछ भी करने के लिए तैयार हों,जिसे करने के लिए आनंद की अनुभूति हो,जिसे करने के लिए कोई शर्त नहीं रखी जाए,जिसके लिए कठिन परिश्रम और निरंतर प्रयत्न कर सकते हों और तब तक विश्राम नहीं करते जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता है।

प्रश्न:3.लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किन गुणों की आवश्यकता है? (What Qualities are Needed to Achieve the Goal?):

उत्तर:लगन,उत्साह,कठिन परिश्रम,जुनून,लक्ष्य केंद्रित सोच,दृढ़ इच्छाशक्ति,सकारात्मक सोच,धैर्य,कार्य के प्रति निष्ठा,ज्ञान,अनुभव इत्यादि कई गुणों की आवश्यकता होती है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए लक्ष्य को प्राप्त करने की 4 टिप्स (4 Tips to Achieve Goals for Students),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए लक्ष्य को प्राप्त करने की 4 टिप्स (4 Tips to Achieve Goals for Mathematics Students) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
No. Social Media Url
1. Facebook click here
2. you tube click here
3. Instagram click here
4. Linkedin click here
5. Facebook Page click here
6. Twitter click here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *