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4 Ways to Achieve Success for Students

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1.छात्र-छात्राओं के लिए सफलता प्राप्ति के 4 सूत्र (4 Ways to Achieve Success for Students),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए सफलता प्राप्ति के 4 सूत्र (4 Tips for Success for Mathematics Students):

  • छात्र-छात्राओं के लिए सफलता प्राप्ति के 4 सूत्र (4 Ways to Achieve Success for Students) उन छात्र-छात्राओं के लिए सही व उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं जो सही ढंग से और दृढ़ इच्छाशक्ति से पुरुषार्थ करेंगे,अमल करेंगे।सफलता प्राप्ति के सबसे प्रमुख सूत्रों में शामिल है लक्ष्य का निर्धारण,कठिन परिश्रम (पुरुषार्थ),दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति,आत्मविश्वास और सफलता प्राप्ति के लिए जुनून का होना।लक्ष्य का निर्धारण अपनी रुचि,योग्यता (पात्रता),क्षमता,सामर्थ्य और परिस्थितियों (वातावरण) को ध्यान में रखकर किया जाता है।यदि उपर्युक्त बातों को ध्यान में न रखकर लक्ष्य का निर्धारण किया जाता है तो सामान्य पुरुषार्थ से प्राप्त नहीं किया जा सकता है।उदाहरणार्थ यदि दसवीं और बारहवीं में 60% अंक अर्जित करने वाला गणित का विद्यार्थी यह महत्त्वाकांक्षा रखे कि वह एक महान गणितज्ञ बनेगा और गणित में खोज कार्य करेगा।उक्त लक्ष्य को प्रचण्ड पुरुषार्थ के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
  • विख्यात वैज्ञानिक एवं गणितज्ञ अल्बर्ट आइंस्टीन जिन्होंने ऊर्जा के सूत्र E=mc^{2} तथा अन्य खोजें की उन्हें पढ़ाई के समय सहपाठी बुद्धू समझते थे।वे गणित में बिल्कुल फिसड्डी थे परंतु अपने प्रचण्ड पुरुषार्थ के बल पर महान् वैज्ञानिक और गणित में उच्च कोटि के गणितज्ञ हुए।
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2.छात्र-छात्राएं पुरुषार्थ करें (Students Should Do Manliness):

  • कई छात्र-छात्राएं तथा अन्य विषयों में कड़ी मेहनत और पुरुषार्थ करते हैं परन्तु मनमाफिक सफलता नहीं मिलती है जिससे मन में निराशा और हताशा भर जाती है साथ ही यह विचार आता है कि इतना पुरुषार्थ करने का क्या फायदा निकला? परंतु असफलता से हताश,दुःखी और तनावग्रस्त नहीं होना चाहिए बल्कि विवेकपूर्वक यह विचार करने की आवश्यकता है कि प्रयासों में कहां कमी रह गई है।अपनी त्रुटियों को पहचानकर तथा उसमें सुधार करके पुरुषार्थ करते रहना चाहिए।
  • शोक,चिंता,निराशा को छोड़कर विवेक,धैर्य के साथ कठिन परिश्रम करते रहना चाहिए।यदि हम अध्ययन कार्य को पूर्ण एकाग्रता के साथ नहीं करेंगे,अस्थिर चित्त और संशयग्रस्त मनःस्थिति के साथ करेंगे तो सफलता प्राप्त नहीं कर सकेंगे।चिंता,दुःख व तनाव से हमारी ऊर्जा का क्षय होता है,हमारी उर्जा का बिखराव हो जाता है,हमारी ऊर्जा एकाग्र न होकर खण्ड-खण्ड हो जाती है इस प्रकार हम कोई कार्य करने में सक्षम नहीं रहते हैं।
  • कई ऐसे विद्यार्थी हैं जिनको आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा परंतु छात्रवृत्ति,आत्मनिर्भर होकर अथवा किसी के सहायता-सहयोग से आगे बढ़े।उन्होंने अध्ययन कार्य के साथ-साथ अतिरिक्त समय में मेहनत,मजदूरी की और अपना खर्चा स्वयं उठाया।
  • साधन कितने ही कम हो,परिस्थितियां कितनी ही प्रतिकूल हो लेकिन मनस्वी छात्र-छात्राएं अपने पराक्रम-पुरुषार्थ से,मनोयोग की साधना से असंभव कार्यों को भी संभव कर दिखाते हैं।
  • कई विद्यार्थी गणित अथवा अन्य विषय की पुस्तक को सामने रख लेते हैं परंतु उसके सवालों व समस्याओं को हल नहीं करते हैं ऐसी स्थिति में पुस्तक के सवाल अपने आप तो हल हो नहीं सकते हैं।कई भाग्य भरोसे रहते हैं ऐसे विद्यार्थी भी सफल नहीं हो पाते हैं।
  • जो विद्यार्थी मेधावी हैं अगर उनकी कार्यशैली को गौर से देखोगे तो पाओगे कि वे गणित को हल करने पर घंटों अभ्यास करते हैं।गणित का अध्ययन अथवा अध्ययन को साधना समझकर,पूजा समझकर करते हैं।वे अध्ययन में इतने तल्लीन हो जाते हैं कि उन्हें अपने आसपास का बिल्कुल ध्यान ही नहीं रहता है।
  • ऐसे विद्यार्थी जो अक्सर यह शिकायत करते हैं कि कि उन्हें अध्ययन करने अथवा गणित का अध्ययन करने में बोरियत होती है,ऊब जाते हैं वे विद्यार्थी अध्ययन को भार समझकर करते हैं,केवल उत्तीर्ण होने की दृष्टि से पढ़ते हैं,किसी जॉब के लायक बन जाए इसलिए पढ़ते हैं और ऐसे विद्यार्थी सफल नहीं हो पाते हैं।
  • कठिन परिश्रम (पुरुषार्थ) का यह अर्थ है कि गणित विषय अथवा अन्य विषयों को रुचिपूर्वक पढ़ना और समय को फालतू के कार्यों में नष्ट न करना।गणित तथा अन्य विषयों के सवालों और समस्याओं को जितना अधिक हो सके स्वयं हल करने की कोशिश करें।अध्यापक तथा मित्रों से सहायता तभी लें जब बार-बार प्रयास करने पर भी सवाल हल न हो रहे हों।विद्यार्थी जब विचलित हो जाता है,प्रयास करने पर भी सवाल व समस्याएँ हल नहीं होती हैं तो वे उसे टालकर टीवी देखने,फिल्में देखने अथवा अन्य मनोरंजन के कार्यों में लग जाता है।जल्दबाजी में कोई भी समस्या हल नहीं होती है और किसी कार्य को बेगार व बोझ समझकर करते हैं तब भी उसमें बोरियत व ऊब पैदा हो जाती है।
  • पुरुषार्थ करने में इतनी बातें शामिल हैंःगणित व अन्य विषयों को साधना व पूजा समझ कर करें,अध्ययन कार्य को डूबकर करें (पूर्ण एकाग्रता के साथ),अधिक से अधिक सवालों व समस्याओं को स्वयं हल करें,अध्ययन कार्य अथवा सवाल हल नहीं हों तो उसको टालने की बजाय किसी के सहयोग से हल करने का प्रयास करें,समय के एक-एक क्षण की कद्र करें,विषय पर पकड़ मजबूत करने के लिए बार-बार तथा घण्टों अभ्यास करें।इतनी बातों का पालन करने पर ही समझा जाएगा कि आप वास्तव में पुरुषार्थी हैं।

3.छात्र-छात्राएं आत्मविश्वास रखें (Students Should Have Self-Confidence):

  • अध्ययन कार्य हो अथवा अन्य कोई भी कार्य हो,सबसे अधिक प्रमुखता पुरुषार्थ को दें।क्योंकि भगवान भी उसी की मदद करता है जो स्वयं अपनी सहायता अर्थात् पुरुषार्थ करता है।पुरुषार्थहीन व्यक्ति मन्द-बुद्धि तो रहता ही है साथ ही जो उसमें शक्ति,सामर्थ्य,मनोबल व बुद्धिबल है वह भी धीरे-धीरे घटने लगती है।
  • वस्तुतः भगवान की सहायता आत्मबल के रूप में मौजूद रहती है परन्तु उसका उपयोग वही कर पाता है जो पुरुषार्थी है।जैसे कोई व्यक्ति सोया हुआ है तो सूर्य के प्रकाश का लाभ उठाने से वंचित रहता है।सूर्य के प्रकाश के कोई गरज नहीं है कि वह तुम्हें जगाए और कहे कि लो मेरे से लाभ उठाओ।आत्मिक शक्ति (भगवान के रूप में) हर पल,सदैव उपलब्ध रहती है परंतु इस शक्ति का उपयोग तभी होता है जब हम पुरुषार्थ करते हैं।
  • आत्मिक शक्ति के अभाव में व्यक्ति मुर्दा हो जाता है और आलसी,अकर्मण्य,निठल्ले तथा मुर्दे में कोई फर्क नहीं है।क्योंकि मुर्दा भी कोई कार्य नहीं कर सकता है और आलसी,अकर्मण्य,निठल्ला भी कोई कार्य नहीं करता है इसलिए उसके पास आत्मिक शक्ति के होने न होने की कोई उपयोगिता नहीं है।
  • इन्हीं को लक्ष्य करके नेपोलियन बोनापार्ट ने कहा है कि असम्भव शब्द मूर्खों के शब्दकोश में पाया जाता है।हमारे ऋषियों और सन्तों ने कहा कि ‘चरैवेति चरैवेति’ अर्थात् चलते रहो,चलते रहो यानि प्रयत्न और पुरुषार्थ को जारी रखो अन्त में अपना लक्ष्य प्राप्त कर ही लोगे।
  • आत्मविश्वासी छात्र-छात्राएं गणित अथवा अन्य विषयों में कितनी कठिन चुनौती आए,परेशानी आए परन्तु उनको हल करने में सक्षम होता है।कोई भी बाधाएँ,परेशानियां उनको विचलित नहीं कर सकती हैं।अध्ययन में अथवा अन्य कोई कार्य में कठिनाइयों,बाधाओं तथा समस्याओं को वह भगवान का प्रसाद समझता है।वह समझता है कि विपरीत परिस्थितियां उसके व्यक्तित्त्व को निखारने के लिए आती है।वह पुरुषार्थ तथा आत्मविश्वास के बल पर कठिन से कठिन अवरोधों को दूर करके अपना मार्ग निकाल लेता है।
  • यदि पुरुषार्थ और आत्मविश्वास न हो तो आपमें कितनी ही योग्यता (पात्रता),अनुकूल परिस्थितियाँ,साधन-सुविधाएं,क्षमता हो तो आप कोई विशेष सफलता अर्जित नहीं कर सकते हो।पुरुषार्थ और आत्मविश्वास होते हुए शायद ही किसी को असफलता का सामना करना पड़ता हो।असफलता का सामना तभी करना पड़ता है जबकि लक्ष्य का निर्धारण अपनी सामर्थ्य,रुचि,योग्यता (पात्रता) और वातावरण का विचार किए बिना तय कर लिया जाता है।
  • जैसे कोई छात्र-छात्रा यह कल्पना करे कि वह महान् गणितज्ञ और वैज्ञानिक न्यूटन की तरह मैं भी खोज कर सकता हूं।इस प्रकार काल्पनिक सोच के आधार पर लक्ष्य शेखचिल्ली की कल्पनाओं के समान होते हैं जिनमें असफलता ही मिलती है।यदि इतने अधिक ऊंचे लक्ष्य पर पहुंचना है तो पहले छोटे-छोटे लक्ष्य तय किए जाएं फिर पुरुषार्थ,मनोयोग के साथ समर्पण भाव से उन्हें प्राप्त करने में जुट जाएं।इस प्रकार छोटे-छोटे लक्ष्य प्राप्त करने तथा सफलता मिलने पर आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • उदाहरणार्थ आपको गणित में खोज कार्य करना है तो पहले दसवीं कक्षा तक कड़ी मेहनत करके अच्छे प्राप्तांक हासिल करें।इसके बाद 12वीं कक्षा में गणित व विज्ञान विषयों में अच्छे प्राप्तांक हासिल करें और अपने पुरुषार्थ व मन की एकाग्रता के साथ समर्पण को बढ़ाते जाएं।इसके पश्चात बीएससी,एमएससी व पीएचडी करें।इस प्रकार छोटे-छोटे लक्ष्यों में सफलता मिलने पर न केवल आत्म-विश्वास बढ़ता है बल्कि बड़े लक्ष्य में सफलता प्राप्त करना आसान हो जाता है।
  • आत्म-विश्वास में सबसे बड़ी बाधा है संशय।संशयात्मा विनश्यति के अनुसार संशय करने वाला विनाश को प्राप्त होता है अर्थात् उसे असफलता मिलती है।इसके अतिरिक्त निराशा,हताशा,शोक,डर,चिन्ता,पलायन (लक्ष्य को छोड़ने की प्रवृत्ति),दीनता (हार स्वीकार करके बैठ जाना) इत्यादि आत्म-विश्वास में बाधक हैं अतः इन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए।धीरे-धीरे आपके आत्म-विश्वास में वृद्धि होती जाएगी।

4.सफलता प्राप्ति हेतु मुख्य बातें (HIGHLIGHTS for success):

  • (1.)यदि अनायास व अचानक बिना पुरुषार्थ किए सफलता मिल जाती है तो इसका अर्थ है कि आपका भाग्य प्रबल है परंतु वह टिकाऊ तभी रहती है जबकि पुरुषार्थ करते रहते हैं।
  • (2.)आत्मविश्वास भगवद्शक्ति (आत्मिक शक्ति) से प्राप्त होता है परंतु इसका उपयोग पुरुषार्थी व्यक्ति ही कर सकता है।जैसे इंटरनेट के बिना वेबसाइट्स,सोशल मीडिया पर सर्फिंग नहीं कर सकते हैं उसी प्रकार आत्मिक शक्ति के बिना एक कदम भी नहीं चल सकते हैं।
  • (3.)संसार में हर व्यक्ति सफल होना चाहता है परंतु हरेक को हर क्षेत्र में सफलता नहीं मिलती है।किसी को भौतिक क्षेत्र में,किसी को धार्मिक व आध्यात्मिक क्षेत्र में,किसी को खेल में,किसी को गणित में,किसी को विज्ञान में तथा किसी को अन्य किसी क्षेत्र में सफलता मिलती है।अतः अपने लक्ष्य का निर्धारण सोच-समझकर करें,किसी के देखा-देखी लक्ष्य का निर्धारण न करें।
  • (4.)अपने कार्य में लगन रखो,कड़ी मेहनत से कार्य करो,निश्चित समय पर कार्य को पूरा करने का प्रयास करो,हर अगले दिन पिछले दिन से श्रेष्ठ कार्य करने का प्रयास करो,विनम्रता धारण करो और मिलनसार बनने का प्रयास करो।ये सफलता दिलाने में सहायक हैं।
  • (5.)जिस क्षेत्र में सफलता अर्जित करना चाहते हैं उस क्षेत्र का अध्ययन करें,विद्या अर्जित करें और अपने ज्ञान को बढ़ाते जाइए।नीति में कहा है कि धीरे-धीरे विद्या ग्रहण करनी चाहिए और धीरे-धीरे पर्वत पर चढ़ना चाहिए।
  • (6.)बाह्य साधन-सुविधाओं को बढ़ाने के साथ-साथ अपने आन्तरिक गुणों को भी बढ़ाते रहना चाहिए।आन्तरिक गुणों के अभाव में प्राप्त सफलता अस्थायी होती है।
  • (7.)केवल पुरुषार्थ के बल पर सफलता अर्जित नहीं की जा सकती है।सफलता कई गुणों का जोड़ तथा कई बातों का परिणाम होती है अतः असफलता मिलने पर हिम्मत न हारे।क्योंकि हिम्मत हारने,हताश,निराश व दुःखी होने से मिलता भी क्या है,उल्टा अपना अहित करते हैं।
  • (8.)ईर्ष्या-द्वेष,निन्दा,चुगली,लोभ,लालच इत्यादि से मुक्त होने का प्रयास करते रहना चाहिए तथा निष्काम कर्म करने का प्रयास करना चाहिए।
  • (9.)अध्यात्म क्षेत्र में सफलता योगतप,साधना,निष्काम कर्म तथा सेवा करने से प्राप्त होती है।
  • (10.)दृढ़ इच्छाशक्ति,सही लक्ष्य का निर्धारण,आत्मविश्वास,(भगवद विश्वास),लगन,पुरुषार्थ,संकल्प शक्ति के बल पर ही स्थायी सफलता मिलती है।ये सफलता के आधार स्तंभ हैं।

5.सफलता का दृष्टांत (A Parable of Success):

  • एक गणित के अध्यापक को ड्रग्स व नशीली दवाइयाँ लेने की लत पड़ गई।धीरे-धीरे घर से बाहर,शिक्षा संस्थान में भी वह सबके सामने ड्रग्स का सेवन करने लगा,उसको कोई भी संकोच नहीं रहा।अपने साथ-साथ वह ओर लोगों को भी पिलाता था।परिणाम यह हुआ कि छात्र-छात्राएं भी ड्रग्स के आदी हो गए।परीक्षा परिणाम आया तो बहुत से छात्र-छात्राएं असफल हो गए।माता-पिता व अभिभावक बहुत दुःखी हुए।जब अध्यापक ही आचरणहीन हो तो छात्र-छात्राओं को गलत रास्ते पर जाने से कैसे रोका जा सकता था?छात्र-छात्राओं की असफलताओं की लंबी-चौड़ी फेहरिस्त बन गई।
  • एक गणितज्ञ से यह देखा नहीं गया।उसने गणित अध्यापक की इस आदत को छुड़ाने का संकल्प लिया।एक बार बाजार के चौराहे पर भीड़ जमा थी वह गणित अध्यापक उधर से ही गुजर रहा था।उत्सुकतावश वह रूका तथा लोगों से पूछा की भीड़ जमा क्यों है? पता लगा कि एक व्यक्ति ड्रग्स व नशीली दवाएँ बेच रहा है।गणित अध्यापक ने सोचा कि इस व्यक्ति की ड्रग्स व नशीली दवाओं में ऐसी कौनसी विशेषता है जिसके कारण इतने लोग और छात्र-छात्राएं घेरकर खड़े हैं।
  • गणित अध्यापक ने गौर से सुना तो वह व्यक्ति जोर-जोर से बोल रहा था कि जिसे अपना घर बर्बाद करना हो,जिसे यमपुरी जल्दी से जल्दी जाना हो वह इसे अवश्य खरीदें।इसे लेते ही होश खो बैठोगे,लोकलाज व शर्म करना छोड़ दोगे।गंदी नालियों में गिर पड़ोगे और हाथ-मुँह व शरीर कीचड़ से सन जाएंगे।कुत्ते मुँह पर पेशाब करेंगे।
  • घर-परिवार में तुम्हारी कोई इज्जत नहीं रहेगी,लोग-बाग मान सम्मान करना छोड़ देंगे।होश में नहीं रहोगे,तुम्हारे जिगर,फेफड़े जल्दी से जल्दी काम करना बंद कर देंगे।अपना धन बर्बाद करके रोड पर आ जाओगे।अपना कर्त्तव्य भूल जाओगे।जो लोग तुम्हारे साथ उठते-बैठते हैं वे भी बर्बाद हो जाएंगे क्योंकि वे तुमसे ड्रग्स का सेवन करना सीख जाएंगे।सब लोग तुम्हारा साथ छोड़ देंगे।केवल तुम्हारा साथ यह ड्रग्स और नशीली दवाएँ ही देंगी।
  • गणित अध्यापक ने उस गणितज्ञ से पूछा कि आप तो लगातार इसके अवगुण बताए जा रहे हैं इस तरह कौन तुम्हारे से ड्रग्स व नशीली दवाइयां खरीदेगा।व्यक्ति (गणितज्ञ) बोला जब ड्रग्स और नशीली दवाओं में कोई गुण है ही नहीं तो मैं गुण कहां से बताऊं।मैं किसी को धोखा देना नहीं चाहता।गणित अध्यापक बोले फिर तुम्हारी ड्रग्स और नशीली दवाइयों की बिक्री कैसे होगी?
  • जो समझदार है,विवेकशील हैं,बुद्धिमान है वे तो नहीं खरीदेंगे परंतु इस दुनिया में मूर्खों और नशेड़ियों की कमी है क्या? वे इसे जरूर खरीदेंगे और अपने बच्चों,परिवार और लोगों से झगड़ा फसाद अवश्य करेंगे।खुद तो बर्बाद हैं ही दूसरों को भी बर्बाद कर देंगे।गणित शिक्षक के विवेक को एकदम से झटका लगा और गणितज्ञ के पैरों में गिर पड़ा।उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि आपने मुझे मेरे कर्त्तव्य का बोध करा दिया।उसके (गणित शिक्षक) के सुधरते ही छात्र-छात्राओं की नशे की आदत छूट गई क्योंकि पहले गणित अध्यापक से मुफ्त में मिल जाती थी।साथ ही गणित अध्यापक के बदलाव को देखकर उन्हें भी सही राह पर चलने की प्रेरणा मिली।इस प्रकार वे अध्ययन में जुट गए और इस बार छात्र-छात्राओं के सफलता की फेहरिस्त लंबी-चौड़ी हो गई।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राओं के लिए सफलता प्राप्ति के 4 सूत्र (4 Ways to Achieve Success for Students),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए सफलता प्राप्ति के 4 सूत्र (4 Tips for Success for Mathematics Students) के बारे में बताया गया है।

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6.गणितज्ञ के प्रभाव से मदहोश (हास्य-व्यंग्य) (Unconscious Under Influence of Mathematician) (Humour-Satire):

  • एक बार गणितज्ञों के सम्मेलन में गणित का महत्त्व (एक गणितज्ञ) बता रहे थे।एक छात्र को झपकी आ गई।इस पर गणितज्ञ बोले (दूसरे छात्र से):कृपया अपने बगल के छात्र को जगा दीजिए।
  • दूसरा छात्र बोला:जी आप ही जगा दीजिए क्योंकि गणित का महत्त्व आप इतने प्रभावी तरीके से बता रहे हैं कि आपके प्रभाव से ही ये मदहोश हैं।

7.छात्र-छात्राओं के लिए सफलता प्राप्ति के 4 सूत्र (Frequently Asked Questions Related to 4 Ways to Achieve Success for Students),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए सफलता प्राप्ति के 4 सूत्र (4 Tips for Success for Mathematics Students) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या मनोबल तोड़ने से असफलता मिलती है? (Does Breaking Morale Lead to Failure?):

उत्तरःमनोबल तोड़ने से हमारे अंदर एकत्र ऊर्जा बिखर जाती है।हमारी ऊर्जा व शक्ति खंड-खंड हो जाती है,अनेक दिशाओं में लग जाती है तो असफलता मिलती है।आत्मविश्वास का यह भी एक अर्थ है कि अपने अंदर बिखरी हुई ऊर्जा को एकजुट करना।एकजुट होते ही हमें अपनी आत्मिक शक्ति का एहसास होता है जिसके बल पर मुश्किल लगने वाले कार्य भी आसानी से किए जा सकते हैं।

प्रश्न:2.आज सफलता का क्या अर्थ है? (What Does Success Mean Today?):

उत्तर:आज सफलता का अर्थ है कि आप किस क्षेत्र में उपयोगी और श्रेष्ठ हैं।जिस क्षेत्र में आप सफल होना चाहते हैं उस क्षेत्र के लिए कितना उपयोगी है।अगर आपमें उस विषय की समझ,उसे करने की क्षमता,जुनून एवं निष्ठा हो तो आप अवश्य सफल होंगे।आज पुरुषार्थ की तकनीक है लक्ष्य का निर्धारण साथ ही उसे पाने की तीव्र उत्कण्ठा और दृढ़ आत्मविश्वास।अपने मार्ग में आने वाली बाधाओं से बिना घबराए जुटे रहो।अपने ऊपर तनाव तथा नकारात्मक बातों को हावी मत होने दो।मेहनत,लगन,समझदारी एवं समय पर किया गया कार्य सुकून एवं सन्तोष प्रदान करता है।

प्रश्न:3.सफलता में साहस का क्या योगदान है? (What is the Contribution of Courage to Success?):

उत्तर:साहसी व्यक्ति ही अध्ययन तथा अन्य कार्यों में आने वाली बाधाओं का सामना करता है और आगे बढ़ता है।किसी भी परिस्थिति में कुछ कर गुजरने वाला साहसी होता है परंतु यह ध्यान रखता है कि आत्मविश्वास न टूटे और मनोबल बना रहे।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए सफलता प्राप्ति के 4 सूत्र (4 Ways to Achieve Success for Students),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए सफलता प्राप्ति के 4 सूत्र (4 Tips for Success for Mathematics Students) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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