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what is Education and Theism in hindi

1.शिक्षा और आस्तिकता क्या है का परिचय (Introduction to What is Education and Theism),शिक्षा और आस्तिकता का क्या अर्थ है का परिचय (Introduction to What is meaning of education and theism?):

  • शिक्षा और आस्तिकता क्या है (What is Education and Theism)।भगवान के अस्तित्व को स्वीकार करना और भगवान के विधि-विधान को स्वीकार करना और उसके विधि-विधान का पालन करना आस्तिकता है। आस्तिकता का बोध हमें शिक्षा द्वारा ही होता है। अर्थात् शिक्षा साधन है तो आस्तिकता साध्य है। आस्तिक व्यक्ति जीवन में मूल्यों को स्वीकार करता है तथा उसको जीता है। संसार में बहुत से लोग भगवान के अस्तित्व को स्वीकार तो करते हैं फिर भी दुःख और कष्ट सहते हैं। दरअसल भगवान को मानना, भगवान के अस्तित्व को स्वीकार करना। ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उसके विधि-विधान का पालन करने से जीवन सुखद और आनन्दमय बनता है।बहुत से लोग पूजा-पाठ करते हैं, भजन, कीर्तन तथा नाना प्रकार के कार्य करते हैं फिर भी दुःख और कष्ट उठाते हैं। ऐसा क्यों होता है, जरा इसे समझे। जब तक व्यक्ति के जीवन का रूपांतरण नहीं होता है तब तक पूजा-पाठ इत्यादि करना यंत्रवत कार्य करना है।
  • श्रद्धा भक्तिपूर्ण भाव से हम कोई कार्य करते,बोध पूर्वक कोई कार्य करते हैं तभी हमारे जीवन का पूरी तरह रूपांतरण होता है। तभी हम भगवान के होने के अस्तित्व का अनुभव कर सकते हैं।आस्तिकता हमें आपस में भाईचारा,सहयोग,सहिष्णुता और समन्वय से रहना सीखती है। हम आपस में एक-दूसरे के सुख-दुःख सहयोग करने का प्रयास करते हैं।आपस में वैरभाव को छोड़कर सुख-शान्ति से रहते हैं। एक-दूसरे की सफलता से खुश होते हैं।लेकिन यह आदर्श स्थिति है। वास्तव मनुष्य एक-दूसरे को नीचा दिखाने, एक-दूसरे को अपमानित करने का कार्य करते हैं। अपने लाभ के लिए दूसरे को नुकसान पहुंचाने का कोई मौका नहीं चूकते है। वास्तविक में शिक्षा को जीवन में अपनाते ही नहीं है। शिक्षा को केवल डिग्री प्राप्त करने का सर्टिफिकेट समझते हैं।
  • डिग्री प्राप्त करने विद्यार्थी अनैतिक तरीको को अपनाने से नहीं चूकते हैं। इसीलिए हमारे पास भौतिक सुख-सुविधाओं के होते हुए भी सुखी नहीं है। जैसे-तैसे जीवन को काटते हैं। ऐसी शिक्षा शिक्षा नहीं है बल्कि कुशिक्षा है जो बालक-बालिकाओं को खुदगर्ज होना सीखाती है।
  • हमें शिक्षा के सही अर्थ को समझना होगा और उसी रूप में उसको ग्रहण करना होगा तभी हमारे जीवन का सच्चे अर्थों में उद्धार हो सकता है।वर्ना पशु-पक्षियों और हममें कोई अन्तर नहीं रह जाएगा।
  • इस वीडियो में बताया गया है कि शिक्षा द्वारा बालक-बालिकाओं को आस्थावान बनाने तथा उसका अन्तर्बोध करने कराने का अभ्यास कराया जाना चाहिए। आस्थावान होने का फायदा आध्यात्मिक जगत में तो है ही सांसारिक जगत में भी आध्यात्मिक का लाभ है। हम जीवन में आनेवाली कई समस्याओं का समाधान कर सकते हैं और कठिनाइयों का सहज भाव से बिना प्रतिक्रिया धैर्यपूर्वक सहन कर सकते है।

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via https://youtu.be/VM5AHw89R-c

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2.शिक्षा और आस्तिकता क्या है? (What is Education and Theism in hindi),शिक्षा और आस्तिकता का क्या अर्थ है? (What is meaning of education and theism?):

  • परमात्मा तथा परमात्मा के विधि विधान को मानना तथा स्वीकार करना आस्तिकता है।परमात्मा सत्प्रवृत्तियों का समूह है अर्थात् कल्याणकारी,दयालु,न्यायकारी,चैतन्य,सर्वज्ञ इत्यादि गुणों का समूह है।परमात्मा को सर्वव्यापी तथा उसके कर्मफल विधान पर विश्वास करना और उसे विश्व व्यवस्था का अनिवार्य अंग मानते हुए अंतरात्मा में अनुभूति करके उसका सानिध्य प्राप्त करने का प्रयास करना आस्तिकता है।
  • शिक्षा द्वारा बालकों को प्रारंभ से ही परमात्मा के प्रति आस्थावान बनाने और अंतर्बोध करने व कराने हेतु उसकी कार्यविधि का अभ्यास करने हेतु प्रेरित करना और सहयोग प्रदान करना।नियमित रूप से बालकों को कुछ समय ध्यान व योग का अभ्यास कराना।
  • आस्थावान बनने का हमारे आध्यात्मिक जगत में तो लाभ है ही परन्तु सांसारिक जगत में भी उसका लाभ है।आस्थावान होने से हम गलत,अशुभ कार्य नहीं करते हैं तथा हमें आत्मिक संतोष प्राप्त होता है।शुभ कार्य करने से हमारे आत्मिक बल में वृद्धि होती है।
  • अध्ययन करने में उच्चाटन नहीं होता है अर्थात् मन चलायमान नहीं होता है क्योंकि आस्तिकता का अर्थ ही यह है कि हम ध्यान व एकाग्रता के साथ उसकी उपासना करते हैं।ध्यान और एकाग्रता बालकों के अध्ययन में लाभदायक है।
  • प्रतिदिन बालकों को ध्यान और एकाग्रता का अभ्यास कराने से एकाग्रता सधने लगती है।बालकों का मन अध्ययन करते समय चलायमान नहीं होता है जिससे पढ़ा हुआ ठीक से याद रहता है।ध्यान करने के लिए मन में अच्छे व शुभ विचार करते रहना चाहिए।यदि अशुभ विचार आए तो उन्हें कंपनी (company) नहीं देनी चाहिए।रोज मन को आज्ञाचक्र (भ्रूमध्य) में एकाग्र करने का विचार व प्रयास करना चाहिए।ध्यान में प्रकाशरूप ज्योति की कल्पना करनी चाहिए।प्रारम्भ में मन इधर-उधर भटकता है परन्तु सतत अभ्यास और धैर्यपूर्वक करते रहने से एकाग्रता सधने लगती है।
  • शिक्षा तथा आस्तिकता का आपस में गहरा संबंध है।सच्ची शिक्षा वही है जो मनुष्य को आस्तिक बनाती है।अपने कर्म करने में श्रद्धा उत्पन्न करती है।बालक को शुरू से इस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिए जिससे धर्म,नैतिकता,सदाचार गुणों को धारण करने की प्रेरणा मिले।
  • आस्तिकता भी शिक्षा को प्रभावित करती है।आस्तिकता से बालकों का वैचारिक,बौद्धिक,मानसिक विकास होता है तथा आचरण पवित्र बनता है।शिक्षा के द्वारा भी बालकों का सर्वांगीण विकास होता है अर्थात् शिक्षा का मूल उद्देश्य है बालकों का मानसिक,बौद्धिक,चारित्रिक व शारीरिक विकास करना।आस्तिकता से शिक्षा के इन उद्देश्यों की पूर्ति होती है।
  • शिक्षा व आस्तविकता का अन्योन्याश्रय संबंध है।इसका अर्थ यह नहीं है कि शिक्षा व आस्तिकता दोनों पर्यायवाची हैं।इसमें मूलभूत अंतर होते हुए भी दोनों का उद्देश्य व्यापक रूप में समान है।शिक्षा के द्वारा जीवन में आस्तिकता आती है और वही सच्ची शिक्षा है।इसी प्रकार आस्तिकता से शिक्षा के उद्देश्य को प्राप्त किया जाता है।
  • सच्ची शिक्षा से नास्तिकता आ ही नहीं सकती है।सच्ची शिक्षा बालकों को जीवन में धर्म के प्रति आस्था उत्पन्न करती है।बालकों को शिक्षा के द्वारा आस्तिकता उत्पन्न करनी चाहिए जिससे जीवन व जगत के महत्त्वपूर्ण कार्यों को पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ कर सके।
  • आज की शिक्षा प्रणाली में केवल भौतिक शिक्षा प्रदान करने को ही सच्ची शिक्षा मान लिया गया है जिससे आज का मानव अशांत,उच्छृंखल,बैचेन,उखड़ा-उखड़ा दिखाई देता है।भौतिक सुख-समृद्धि होते हुए भी खुश नहीं है व सुखी नहीं है क्योंकि आस्तिकता की शिक्षा ही नहीं दी जाती है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में शिक्षा और आस्तिकता क्या है? (What is Education and Theism in hindi),शिक्षा और आस्तिकता का क्या अर्थ है? (What is meaning of education and theism?) के बारे में बताया गया है।
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