Golden Tips of Education in hindi
1.शिक्षा के सुनहरे टिप्स का परिचय (Introduction to Golden Tips of Education),मैं अपनी शिक्षा में कैसे सुधार कर सकता हूं का परिचय (Introduction to can I improve my education):
- शिक्षा के सुनहरे टिप्स (Golden Tips of Education) से तात्पर्य है कि वर्तमान और प्राचीन शिक्षा की कौन-कौनसी ऐसी बातें जिनको वर्तमान शिक्षा में शामिल करना चाहिए तथा कौन-कौनसी ऐसी बातें हैं जिनको त्याग देना चाहिए।
उदाहरणार्थ प्राचीन शिक्षा ज्ञान केन्द्रित थी इसलिए कौनसा विषय बालक के अनुकूल नहीं है इस पर ध्यान नहीं दिया जाता था। जबकि वर्तमान शिक्षा बाल केन्द्रित है। अब बालक की प्रतिभा के अनुसार तथा उसकी रुचि व योग्यता के अनुकूल विषय का चयन कर सकता है। - परन्तु प्राचीन शिक्षा में सबसे अच्छी बात यह थी कि बालक में बचपन से ही संस्कार डाले जाते थे। प्राचीन शिक्षा में चरित्र और आचरण को सबसे अधिक महत्त्व दिया जाता था।उसे बड़ो का सम्मान तथा आज्ञा का पालन करना होता था। वर्तमान शिक्षा में आचरण पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जाता है। यह वर्तमान शिक्षा का सबसे बड़ा दोष है। आज उच्च शिक्षा और अपने आपको शिक्षित समझने लोग भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाते हैं। ऐसे लोग सरकारी धन का दुरुपयोग करते हैं।
- वर्तमान शिक्षा प्राप्त करके विद्यार्थी डिग्री हासित करता है जो न ओढ़ने के काम आती है और न बिछाने के काम आती है।वर्तमान शिक्षा में बालक-बालिकाओं को सैद्धान्तिक ज्ञान प्रदान किया जाता है और उसके आचरण पक्ष को खाली छोड़ दिया जाता है। फलस्वरूप वर्तमान शिक्षा में जिस विषय का ज्ञान प्राप्त करता है उस विषय की परिभाषा तक उसको पता नहीं होती है। वह दिमाग से खाली होकर निकलता है। जब संसार की वास्तविक सच्चाई,समस्याओं तथा कठिनाइयों से सामना पड़ता है तो उसके पसीने छूट जाते हैं। वह दिग्भ्रमित हो जाता है। और अनैतिक कार्यो, गलत कार्यों की ओर मुड़ जाता है।
- सच्ची शिक्षा वही है जिससे बालक का चारित्रिक, मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक अर्थात् सर्वांगीण विकास होता हो। परन्तु वर्तमान शिक्षा में दूर-दूर तक बालक का विकास दिखाई नहीं देता है। वस्तुतः शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन करने की आवश्यकता है।कहने को भारत में समाजवादी व्यवस्था है। परन्तु वस्तुतः पाश्चात्य देशों का अन्धानुकरण करके भारत धीरे-धीरे पूँजीवादी व्यवस्था को अपनाता जा रहा है।इसलिए प्रबुद्ध जनों तथा भारत का हित चाहनेवालों को सजग और सचेत हो जाना चाहिए अन्यथा इसके दूरगामी परिणाम बहुत हानिकारक होंगे।भारत में शिक्षा नीति भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अनुकूल होनी चाहिए तभी भारत की दशा और दिशा बदलेगी। पाश्चात्य देशों का अन्धानुकरण से तस्वीर बदलने वाली नहीं है।बल्कि पाश्चात्य देशों का अन्धानुकरण करने से शिक्षा के स्तर में ओर गिरावट ही होगी।
2.शिक्षा के सुनहरे टिप्स (Golden Tips of Education):
- इस वीडियो में बताया गया है कि शिक्षा प्रगतिशील तथा परिवर्तनशील है।शिक्षा में प्रगतिशीलता,परिवर्तनशीलता, नवीनता इत्यादि गुण नहीं हों तो ऐसी शिक्षा मृतक के समान है।
via https://youtu.be/RQe7IkrvarQ
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- उपर्युक्त आर्टिकल में शिक्षा के सुनहरे टिप्स (Golden Tips of Education) के बारे में बताया गया है।
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