Menu

What are the Shortcomings and Suggestions in the Current Mathematics Exams?

1.गणित की वर्तमान परीक्षाओं में कमियाँ और सुझाव का परिचय (Introduction to What are the shortcomings and suggestions in the current mathematics exams?):

  • गणित की वर्तमान परीक्षाओं में कमियाँ और सुझाव (What are the Shortcomings and Suggestions in the Current Mathematics Exams?) निम्नलिखित हैं:
  • (1.)गणित में केवल लिखित परीक्षाओंके द्वारा हम विद्यार्थियों के व्यक्तित्व सम्बन्धी उपलब्धियों का मूल्यांकन नहीं कर सकते हैं।
  • (2.)वर्तमान प्रश्नपत्रों में प्रश्नों की संख्या सीमित होती है। इस कारण सम्पूर्ण पाठ्यक्रम के सभी टाॅपिक के विभिन्न पक्षों को प्रश्न-पत्र में सम्मिलित नहीं किया जा सकता है। अतः इन सीमाओं में गणित की अनेक उपलब्धियों का मूल्यांकन सम्भव नहीं है। इस प्रकार किया गया मूल्यांकन वैध तथा विश्वसनीय नहीं होता है। गणित के मुख्य-मुख्य टाॅपिक को ही प्रश्न-पत्र में सम्मिलित किया जा सकता है तथा बाकी टाॅपिक को प्रश्न-पत्रों में समुचित स्थान नहीं दिया जाता है।
  • (3.)वैकल्पिक प्रश्नों के कारण विद्यार्थियों को सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को तैयार नहीं करने की छूट मिल जाती है। अधिकांशतः विद्यार्थी परीक्षा में आनेवाले प्रश्नों का अनुमान लगा लेते हैं और परीक्षा में सफल हो जाते हैं ।गणित के प्रश्न-पत्रों में प्रायः निश्चित टाॅपिक पर प्रश्न आते हैं तथा गत वर्षों के प्रश्न-पत्रों को देखकर आनेवाले प्रश्नों की सामान्य जानकारी विद्यार्थियों को मिल जाती है।
  • (4.)गणित के प्रश्न-पत्रों में बहुधा पाठ्यपुस्तकों की घिसी-पिटी तथा जानी-पहचानी समस्याएँ बार-बार आती हैं तथा विद्यार्थी इनके हल याद कर लेते हैं। इस प्रकार विद्यार्थियों की समस्या हल करने की क्षमता का सही मूल्यांकन नहीं हो पाता है। ज्यामिति के अनेक प्रमेय वैसे के वैसे परीक्षाओं में पूछे जाते हैं तथा विद्यार्थी इनको रट लेते हैं। ज्यामितीय सिद्धान्तों के बारे में स्पष्टता, चिंतन, मौलिकता एवं विश्लेषण की क्षमता का परीक्षण वर्तमान परीक्षा प्रणाली में सम्भव नहीं है। समस्याओं का निर्माण नई परिस्थितियों के तथ्यों को लेकर नहीं किया जाता।
  • (5.)गणित के प्रश्न-पत्रों में अधिकांशतः ऐसे प्रश्नों का प्रादुर्भाव होता है जिनमें विद्यार्थियों को गणनाएँ अधिक करनी पड़ती हैं। विद्यार्थी इन गणनाओं को यंत्रवत करते हैं तथा उनके मानसिक विकास एवं गणितीय चिंतन के स्तर का मूल्यांकन नहीं हो पाता है।
  • (6.)गणित मुख्यतः सिद्धान्तों, प्रत्ययों, सम्बन्धों, संकल्पनाओं आदि का विषय है। इस विषय को सीखने का उद्देश्य यह है कि विद्यार्थी जीवन में अर्जित ज्ञान, दक्षताओं, रुचियों आदि का उपयोग कर समस्याओं को हल कर सकें। गणित के प्रश्न-पत्रों में सिद्धान्तों, प्रत्ययों,संकल्पनाओं, सम्बन्धों आदि के प्रश्नों की संख्या बहुत कम होती है तथा इनकी उपलब्धि की परीक्षा अच्छे प्रश्नों द्वारा ही सम्भव है।
  • (7.)गणित अध्यापन, परीक्षा को ध्यान में रखकर ही किया जाता है। इसलिए गणित अध्यापन के महत्त्वपूर्ण उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए वांछनीय प्रयास सम्भव नहीं हो पाते। गणित के अध्यापक से विद्यार्थियों में गणित के सिद्धान्तों की व्याख्या करना, परस्पर मिलती-जुलती प्रक्रियाओं में विभेद करना, निष्कर्षों का सही अनुमान लगाना, तथ्यों की उपयुक्तता के बारे में निर्णय करना, सामान्य-निष्कर्षों को निकालना आदि का विकास होना चाहिए तथा इनकी उपलब्धियों का परीक्षाओं में मापन होना चाहिए। किन्तु गणित की वर्तमान परीक्षाओं में इनका सम्पूर्ण मापन नहीं होता है।
  • (8.)गणित की उपलब्धियों का मूल्यांकन वर्ष में गिनी-चुनी परीक्षाओं से सम्भव नहीं है। मूल्यांकन एक निरन्तर प्रक्रिया है तथा विद्यार्थियों का मूल्यांकन निरन्तर किया जाना चाहिए। एक या दो परीक्षाओं के परिणाम वैध नहीं माने जा सकते हैं क्योंकि सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का मूल्यांकन अर्द्धवार्षिक एवं वार्षिक परीक्षाओं से सम्भव नहीं है। गणित के विभिन्न टाॅपिकों के अध्यापन की समाप्ति के साथ ही परीक्षा द्वारा यह जाँच होनी चाहिए कि विद्यार्थी अमुक टाॅपिक से कितना सीख सके हैं तथा किन-किन पक्षों के बारे में उपचारात्मक अध्यापन की आवश्यकता है।गणित के अध्ययन से विद्यार्थियों में अनेक वैयक्तिक गुणों का विकास होना चाहिएजैसे-परिश्रम करने की आदत, नियमितता, परिशुद्धता, धैर्य, सत्य के प्रति निष्ठा, एकाग्रता आदि। वर्तमान परीक्षा प्रणाली में इन वैयक्तिक गुणों का मूल्यांकन नहीं किया जाता है।
  • (9.)प्रश्न-पत्र में बोध प्रश्नों की संख्या अधिक होनी चाहिए। निबन्धात्मक प्रश्नों की संख्या कम हो तथा नवीन प्रकार के प्रश्नों की संख्या अधिक हो। इस प्रकार सम्पूर्ण पाठ्यक्रम में से प्रश्नों को प्रश्न-पत्र में सम्मिलित किया जा सकता है।
  • (10.)understanding,concept,Application, Interpretation, Discrimination आदि से संबंधित प्रश्नों का गणित के प्रश्न-पत्रों में बाहुल्य होना चाहिए। विद्यार्थी गणितीय प्रत्ययों एवं सम्बन्धों के बारे में सही चिंतन कर सही निष्कर्ष निकाल सके-यह अपेक्षा मूल्यांकन का आधारभूत सिद्धान्त होना चाहिए।
  • (11.)गणित की परीक्षाओं के परिणामों का प्रभाव कक्षा में अध्ययन तथा अध्यापन के स्तरों पर पड़ना चाहिए। परीक्षा के परिणामों का ज्ञान विद्यार्थियों एवं अध्यापकों के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। अध्यापन विधियों को सुधारने की संभावना परीक्षाओं के परिणामों की जानकारी पर निर्भर करती है। यदि विद्यार्थियों को भी उनकी त्रुटियों का ज्ञान हो तो वे उनको दूर करने के लिए प्रेरित होंगे।
  • (12.)गणित की परीक्षाओं में औपचारिकता का पुट अधिक नहीं होना चाहिए। गणित का अध्यापक ही इन परीक्षाओं के लिए प्रश्न-पत्रों का निर्माण करे जिससे कि अध्यापन तथा परीक्षा में सहसम्बन्ध स्थापित किया जा सके। गणित का अध्यापक अपने विद्यार्थियों की प्रगति की सही जानकारी परीक्षाओं द्वारा ज्ञात कर सके-यह बात अधिक महत्त्वपूर्ण है।
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके ।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए ।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

2.अच्छी परीक्षाओं की विशेषताएँ (Features of good exams): 

  • (1.)परीक्षा वैध होनी चाहिए। एक प्रश्न वैध जब माना जाएगा जब उसके द्वारा उसी उद्देश्य का परीक्षण हो रहा है जिसको ध्यान में रखकर उसे बनाया गया है।
  • (2.)परीक्षा विश्वसनीय होनी चाहिए ।
  • (3.)परीक्षा के प्रश्न वस्तुनिष्ठ होने चाहिए।
  • (4.)परीक्षा के प्रश्न विभेदकारी होने चाहिए।
  • (5.)प्रश्न-पत्र व्यापक होने चाहिए।
  • (6.)परीक्षा का प्रयोग तथा अंक देने की क्रिया वस्तुनिष्ठ, सुविधाजनक एवं सरल होनी चाहिए।

3.गणित की परीक्षाओं में सुधार:कतिपय सुझाव (Improvement in Mathematics Exams: Certain Tips):

  • (1.)परीक्षा के प्रश्न सम्पूर्ण पाठ्यक्रम में होने चाहिए।
  • (2.)समस्याओं का निर्माण जीवन से संबंधित सही तथ्यों के आधार पर होना चाहिए तथा घिसी-पिटी समस्याओं को प्रश्न-पत्र में नहीं देना चाहिए।
  • (3.)प्रत्येक प्रश्न का उद्देश्य स्पष्ट हो तथा उस प्रश्न द्वारा उससे सम्बन्धित व्यवहारगत परिवर्तन का ही मूल्यांकन होता हो।
  • (4.)understanding,concept,Application, Interpretation, Discrimination आदि उद्देश्यों से सम्बन्धित प्रश्नों का बाहुल्य होना चाहिए ।परीक्षा द्वारा मौलिकता का परीक्षण होना चाहिए।
  • (5.)प्रश्नों की संख्या सीमित नहीं होनी चाहिए।
  • (6.)निबन्धात्मक प्रश्नों की संख्या कम तथा नवीन प्रकार के प्रश्नों की संख्या अधिक होनी चाहिए।
  • (7.)परीक्षाओं के परिणामों की जानकारी का प्रभाव अध्ययन तथा अध्यापन को सुधारने में सहायक हो।
  • (8.)गणित के प्रश्न-पत्र में वैकल्पिक प्रश्न न हों।
  • (9.)विद्यार्थियों में रटने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन नहीं मिलता हो।
  • (10.)प्रश्नों की भाषा सरल एवं बोधगम्य हो।प्रश्नों की कठिनाई का स्तर विद्यार्थियों की क्षमता के अनुसार हो। 
  • उपर्युक्तविवरण में गणित की वर्तमान परीक्षाओं में कमियाँ और सुझाव (What are the shortcomings and suggestions in the current mathematics exams?) के बारे में बताया गया है।

What are the shortcomings and suggestions in the current mathematics exams?

गणित की वर्तमान परीक्षाओं में कमियाँ और सुझाव (What are the shortcomings and suggestions in the current mathematics exams?)

What are the shortcomings and suggestions in the current mathematics exams?

गणित की वर्तमान परीक्षाओं में कमियाँ और सुझाव (What are the shortcomings and suggestions in the current mathematics exams?) निम्नलिखित हैं:(1.)गणित में केवल लिखित परीक्षाओंके द्वारा हम विद्यार्थियों के व्यक्तित्व सम्बन्धी उपलब्धियों का मूल्यांकन नहीं कर सकते हैं।

No. Social Media Url
1. Facebook click here
2. you tube click here
3. Twitter click here
4. Instagram click here
5. Linkedin click here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *