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To Forget Studied Topic of Mathematics

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1.गणित के पढ़े हुए टाॅपिक को भूलना (To Forget Studied Topic of Mathematics),गणित के सवालों के विस्मृति का निवारण (Prevention of Forgetfulness of Mathematics Questions):

  • गणित के पढ़े हुए टाॅपिक को भूलना (To Forget Studied Topic of Mathematics):गणितज्ञ देवव्रत अपने नित्यकर्मों से जल्दी ही निवृत्त हो जाते थे।गणितज्ञ निवृत्त होकर अपने गणित कक्ष में आकर विराजे।वे छात्र-छात्राओं से बहुत ही सौम्य,मधुर और आत्मिक व्यवहार करते थे।छात्र-छात्राओं को पूर्ण एकाग्रता,तन्मयता तथा ध्यानपूर्वक पढ़ाते थे।हर सवाल को हल करवाने की कोशिश करते जिससे छात्र-छात्राओं में आत्मविश्वास पैदा होता था।छात्र-छात्राओं की हर समस्या का निवारण करने के उपाय भी बताया करते थे।छात्र-छात्राएं अपनी व्यक्तिगत समस्या का समाधान पूछते थे तो गणितज्ञ चिढ़ते नहीं थे।बल्कि व्यावहारिक और पालन किए जाने वाले समाधान बताते थे।कभी आवेश में आकर दण्ड देना उनके स्वभाव में नहीं था।बल्कि प्रेमपूर्वक उनको समझाया करते थे।
  • ज्योंही उस दिन निवृत्त होकर अपने गणित कक्ष में गणितज्ञ आकर विराजे तो थोड़ी देर बाद एक छात्र तथा उसके माता-पिता आ गए।उन्होंने आते ही अभिवादन किया।गणितज्ञ देवव्रत उनको पहले से ही जानते थे क्योंकि वह छात्र उनके पास पढ़ा हुआ था।गणितज्ञ देवव्रत ने छात्र (निखिल) तथा उसके पिता विक्रमदेव से पूछा आज सुबह-सुबह कैसे आना हुआ? विक्रम देव ने कहा कि बच्चे (छात्र) की बहुत दिनों से एक परेशानी है उसका निवारण करवाना चाहते हैं।उसके बारे में मार्गदर्शन लेना चाहते हैं।
  • गणितज्ञ देवव्रत:बताइए क्या समस्या है?
  • विक्रम देव ने कहा कि छात्र गणित में जो भी टाॅपिक पढ़ता है उसे भूल जाता है।याद नहीं रहता है।
    गणितज्ञ देवव्रत ने छात्र को अपने पास बिठाकर पूछा की यह समस्या कितने समय से है?
    निखिल ने कहा कि पिछले दो साल से है?
  • उनके माता-पिता ने कहा कि हमने सोचा यह कोई प्रेत बाधा है।इसलिए कई प्रेत बाधा उतारने वाले (तथाकथित) बाबाओं की शरण में गए।उन्होंने जो उपाय बताया उसे मैंने किया भी परंतु कोई फायदा नहीं हुआ।एक दिन मैं निखिल की इस समस्या की चर्चा अपने मित्र से कर रहा था।मेरे मित्र ने कहा कि आप गणितज्ञ देवव्रत के पास जाओ,वहाँ आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा।
  • गणितज्ञ देवव्रत ने कहा कि गणित में पढ़ा हुआ याद न रहने को स्मृतिभ्रंश (Amnesia) कहते हैं।यह अवचेतन मन का मामला है।हम कोई भी कार्य तथा विचार करते हैं और बार-बार अभ्यास करते हैं तो उससे संस्कार निर्मित होते हैं।ये संस्कार हमारे अवचेतन मन में इकट्ठे होते रहते हैं।संस्कारों में अच्छे और बुरे दोनों ही प्रकार के होते हैं।
    जिस कार्य को करने से हमारा अहित होता है उसी काम को पुनः करना स्मृतिभ्रंश है।जिस काम को करने से हमारा हित होता है उसको भी न करना स्मृतिभ्रंश है।
  • अच्छी स्मरणशक्ति के लिए शरीर तथा मन का स्वस्थ रहना आवश्यक है।परंतु स्मृतिभ्रंश में मन तथा अवचेतन मन का अधिक प्रभाव पड़ता है।
  • अवचेतन मन से प्रभावित होकर हम कई गलत,न करने योग्य काम करते रहते हैं।जैसे हमारी देर से उठने की आदत है।यह संस्कार अवचेतन मन में जमा हुआ रहता है।हम जानते हैं कि सुबह देर उठना गलत है लेकिन फिर भी देर उठते हैं। प्रात:काल उठकर जल्दी अध्ययन करने से पढ़ा हुआ अच्छे से याद रहता है।क्योंकि उस समय एक तो हमारा दिमाग तरोताजा रहता है।दूसरा सुबह का समय बिल्कुल शांत रहता है,कोई शोर शराबा नहीं रहता है।लेकिन अवचेतन मन में देर से उठने का संस्कार जमा होने के कारण देर से उठते हैं।
  • अवचेतन मन के संस्कारों को मिटाना हमारी संकल्पशक्ति पर निर्भर करता है।संकल्पशक्ति ठीक से कार्य कर सके,आने वाली बाधाओं का सामना कर सके इसके लिए सद्बुद्धि,धैर्य और स्मरण शक्ति को धारण करना आवश्यक है।
  • छात्र-छात्राएं किसी सवाल में गुणा,भाग,जोड़ना, घटाना इत्यादि की गलतियां करते हैं।पुन:दूसरा सवाल हल करते हैं तो इन गलतियों की पुनरावृति करते रहते हैं।यह स्मृतिभ्रंश के लक्षण हैं।हम रोजाना कई ऐसे कार्य करते हैं जो हमें नहीं करने चाहिए।गणित के सवालों तथा टाॅपिक का याद न रहने में स्मृतिभ्रंश का बहुत योगदान है।अब शारिरिक दोष को तो जड़ी-बूटियों इत्यादि से उसको दूर किया जा सकता है परंतु मानसिक दोषों को दूर करना बहुत कठिन है।
  • कुछ छात्र-छात्राएं जैसा समझाया जाता है वैसा नहीं करते हैं तथा जो न करने के निर्देश दिए जाते हैं वही काम करते हैं।ऐसा बुद्धि का सही उपयोग न करने से होता है।इसी प्रकार छात्र-छात्राएं आपस में बातचीत करते हुए सवाल को जल्दी से जल्दी हल करना चाहते हैं।उनके लिए बातचीत करने का महत्त्व अधिक होता है सवाल को हल करने का महत्व नहीं होता है।वे जल्दी से जल्दी जब सवाल को बिना समझे हल करते हैं तो गलती कर बैठते हैं। इस प्रकार उनमें धैर्य का अभाव होता है।
    एक बार गलती करने पर वही गलती न दोहराना स्मृति का उपयोग करना है।परंतु उसी गलती को बार-बार दोहराना स्मृतिभ्रंश (Amnesia) का लक्षण होता है।
  • बुरे संस्कारों और बुरी मनोवृति के वशीभूत न होकर विवेकपूर्वक कार्य करने से धीरे-धीरे स्मरण शक्ति बढ़ती जाती है।पुराने संस्कार हटते जाते हैं।सवालों को हल करने में करने वाली गलतियों से सीख लेकर वैसा नहीं करते हैं तो संस्कार हटते जाते हैं। सवालों को हल करने में की जाने वाली गलतियों को नहीं करते हैं तो सवालों को सही हल करने के संस्कार जमा होते हैं।
  • जब हम सावधान,सचेत होकर सवाल हल करते हैं तो अवचेतन मन के अच्छे संस्कारों (स्मरण शक्ति) का उपयोग कर रहे होते हैं।हम जो भी कार्य करें जैसे लक्ष्य को पूरा करने (गणित के सवालों को सही हल करना),दैनिक नित्य कर्म करना जैसे सुबह जल्दी उठना,ध्यान व योग करना और कुछ कार्य आदतन (बुरे संस्कारों) को करते हैं।यदि इनको सद्बुद्धि पूर्वक करें तो गलत कार्य करने से बचाव हो सकता है।इतनी बात समाझने के बाद अब आपको कुछ निर्देश बताए जा रहे हैं उनका पूर्ण पालन करना होगा।मन के वशीभूत न होकर सद्बुद्धिपूर्वक (विवेक से) करना होगा।
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2.नित्य कर्मों को किस ढंग से करें? (How to do Routines?):

  • छात्र-छात्राएं परीक्षा के दिनों अथवा अन्य दिनों में रात-रातभर जागकर अपना नित्यकर्म (जल्दी उठना व जल्दी सोने की आदत) को बिगाड़ लेते हैं इससे शरीर और मन दोनों अस्वस्थ हो जाते हैं।यदि परीक्षा की वजह से देर रात तक पढ़ते भी हैं तो देर रात तक पढ़ने व जागने को अपनी आदत न बनाएं। यदि ऐसा करते हैं तो देर-सबेर इसके परिणाम गलत ही होते हैं।आजकल अधिकांश छात्र-छात्राएं देर रात तक पढ़ना तथा सुबह देरी से उठने की आदत बना लेते हैं।उनका कोई टाइम टेबल नहीं होता है।जब मनमर्जी आया पढ़ लिया तथा जब मर्जी नहीं हो तो नहीं पढ़ा।गणित जैसे विषय में इस प्रकार की आदत बना लेना घातक सिद्ध होता है।

3.लक्ष्य केंद्रित अध्ययन करें (Aim-centered Study):

  • छात्र-छात्राओं को अपना लक्ष्य जीवन के प्रारंभिक काल अर्थात् नवी-दसवीं कक्षा तक निर्धारित कर लेना चाहिए।उस लक्ष्य को प्राप्त करने में पूर्ण शक्ति लगाकर यत्न करते रहना चाहिए।जैसे किसी छात्र का लक्ष्य आईआईटी (इंजीनियरिंग),गणितज्ञ बनना, गणित का प्राध्यापक अथवा जो कोई लक्ष्य हो उसको प्राप्त करने की भरसक चेष्टा करनी चाहिए।
  • इसके लिए आपको नियमित दिनचर्या का पालन करने के साथ एक-एक क्षण का उपयोग करना चाहिए।कोई महान गणितज्ञ अथवा गणित प्राध्यापक अथवा आईआईटी उत्तीर्ण करता है तो उसके पीछे उसका बहुत त्याग,समर्पण होता है। सुविधाभोगी मनोवृत्ति से इन लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता है।गणित का ध्यान लक्ष्य केंद्रित होना चाहिए जैसे कोई व्यक्ति पानी में लट्ठ मार के कहे की मैं निष्काम कर्म कर रहा हूं।अब ऐसे बेहूदा कर्म करने का क्या तुक है? कहने का तात्पर्य है यह है कि हमारा कर्म निष्प्रयोजन नहीं होना चाहिए।

4.श्रेष्ठ कार्य करें (Do the Best Work):

  • जीवन में कई बार परिस्थितियों से लाचार होकर कर्म करते हैं।कई बार हमें ऐसे कार्य लोकनीति, सामाजिक व्यवहार निभाने हेतु करने पड़ते हैं। अव्वल तो विवेक, धैर्य और साहस से काम लेकर किसी कार्य को करें।यदि आपको कोई ऐसा कार्य करना पड़ रहा है तो उसे अपनी आदत न बना लें। जैसे कोई छात्र अध्ययन करने के लिए काॅलेज जा रहा है तो रास्ते में कुछ मित्र मिल जाते हैं।आपसे आग्रह करते हैं कि आज तो फिल्म देखने चलेंगे। अब क्योंकि आप अपने मित्रों के बीच में रहते हैं। कई बार सवाल हल करवाने में वे आपकी मदद भी करते हैं।ऐसी स्थिति में उनको इंकार नहीं कर सकते हैं।इसलिए आप फिल्म देखने के लिए चले जाते हैं। परंतु विद्याध्ययन करना आपका लक्ष्य है इसलिए विद्याध्ययन को बार-बार छोड़कर आपको फिल्म देखने नहीं जाना चाहिए।

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5.बुरे संस्कारों को मिटाएं (Eliminate Bad Rituals):

  • हम कई कार्य आदतन करते हैं जो हमारे लक्ष्य में बाधा डालते हैं।वे कार्य करने में हमें प्रसन्नता होती है।जैसे पढ़ने का ही कार्य है तो इसमें अति न करें। अर्थात् यदि आप रात-रातभर जागकर अध्ययन करते हैं जितनी नींद लेनी चाहिए उतनी नींद नहीं लेते हैं तो बीमार पड़ जाएंगे।मानसिक तनाव उत्पन्न हो जाएगा।हम कोई भी कार्य करते हैं तो शारीरिक के साथ-साथ मानसिक थकान होती है।मानसिक थकान को दूर करने के लिए उचित विश्राम की जरूरत होती है।
  • अब गणित के सवाल हल करना,गणित की समस्याओं को हल करना है तो अच्छा कार्य परंतु अति करने से यह कार्य हमारे लिए नुकसानदायक हो जाता है।
  • जीवन में एक अनुशासन होना चाहिए।नियमित दिनचर्या का पालन करना चाहिए।यदि कार्य अच्छा भी है तो उसे उचित ढंग से,उचित उद्देश्य के लिए करना चाहिए।
  • आप निखिल को इन नियमों का पालन कराएं और दो-तीन माह बाद मुझे इसके परिणाम से सूचित करें।3 माह बाद विक्रम देव अपने पुत्र निखिल के साथ बड़ी प्रसन्नता के साथ आए।उन्होंने आते ही प्रणाम किया तथा चरणस्पर्श किए।गणितज्ञ देवव्रत ने उनको आशीर्वाद दिया तथा कुशल क्षेम पूछी।
  • विक्रम देव ने कहा कि शुरू में निखिल ने आप द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करने में आनाकानी की थी परंतु हमने शक्ति के साथ इसका पालन करवाया।अब धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।गणितज्ञ देवव्रत ने कहा की इन नियमों का विद्यार्थी जीवन में नहीं बल्कि बड़े होने पर भी पालन करने पर सांसारिक जीवन शुभ होगा।गणितज्ञ देवव्रत ने उनको नाश्ता कराया तथा उनको विदा किया। विक्रमदेव ने गणितज्ञ देवव्रत का आभार जताकर विदा ली।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित के पढ़े हुए टाॅपिक को भूलना (To Forget Studied Topic of Mathematics),गणित के सवालों के विस्मृति का निवारण (Prevention of Forgetfulness of Mathematics Questions) के बारे में बताया गया है।

6.मानसिक तनाव से छात्र पागल (हास्य-व्यंग्य) (Mental Stress from Student Crazy)(Humour-Satire):

  • आयुष्मान:(डॉक्टर से) पिछले कई वर्षों से मेरा पुत्र (अरुण) गणित का अध्ययन करता था।वह इतना अध्ययन करता था कि कई बार बाहर आकर आकाश को घूरता और गौर से देखता।अपने बहन-भाइयों को भी गणित का खूब अध्ययन करने के लिए कहता।अपने दोस्तों को भी कहता की गणित पर पकड़ मजबूत करनी है तो इसका खूब अध्ययन करना चाहिए।परंतु कोई भी अरूण की बात को नहीं मानते तथा वे अपने ही ढंग से गणित का अध्ययन करते।
    डॉक्टर:(आयुष्मान से):अच्छा अब तुम्हारा पुत्र अरुण क्या कर रहा है?
    आयुष्मान:क्या करता है,वह मानसिक तनाव से पागल हो गया है।

7.गणित के पढ़े हुए टाॅपिक को भूलना (To Forget Studied Topic of Mathematics),गणित के सवालों के विस्मृति का निवारण (Prevention of Forgetfulness of Mathematics Questions) के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.स्मृतिभ्रंश के बचाव हेतु कौन से योगासन करें? (Which Yoga Asanas Should be done to Protect Memory?):

उत्तर:दिल और दिमाग को साफ रखें।इसके साथ ही शीर्षासन,सर्वांगासन,उत्तानासन,पाद पश्चिमोत्तानासन,त्राटक (एकटक किसी वस्तु को देखना),आज्ञा चक्र में प्रकाश स्वरूप ॐ का ध्यान करना अथवा इष्टदेव का ध्यान करना,नाड़ीशोधन प्राणायाम तथा भ्रसिका प्राणायाम करना चाहिए। योगासन किसी योगाचार्य की देखरेख में ही करना चाहिए।अत्यधिक मात्रा में न करें बल्कि योगाचार्य के निर्देशानुसार तथा अपनी सामर्थ्य के अनुसार करना चाहिए।अभ्यास हो जाने पर भी अति मात्रा में न करें।

प्रश्न:2.मस्तिष्क की स्मरणशक्ति के लिए कौन सी जड़ी-बूटी का प्रयोग करें? (Which Herb Should I Use for Brain Memory?):

उत्तर:रात को 6-7 बादाम मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। सुबह छिलका उतार कर पीस लें।नित्य कर्मों से निवृत्त होकर खाली पेट एक गिलास दूध,बादाम का लेप, थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर पी जाएं।ऊपर से सौंफ चबा-चबाकर खाने लें।इससे दिमाग की कमजोरी दूर होती है साथ ही नेत्र-ज्योति भी ठीक होती है।यदि दूध गाय का हो तो परिणाम ज्यादा बढ़िया आएगा।

प्रश्न:3.स्मरणशक्ति बढ़ाने के लिए क्या करें?(What to do to Increase Memory?):

उत्तर:स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए एकाग्रता का अभ्यास और ध्यान करना आवश्यक है।एकाग्रता के लिए सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर भ्रूमध्य (आज्ञाचक्र) में अपने इष्टदेव अथवा प्रकाशस्वरूप ॐ का ध्यान करें।इसके साथ ही जब भी गणित तथा अन्य विषयों का अध्ययन करें तो एकाग्रचित्त होकर अध्ययन करें।मन को इधर-उधर भटकने न दें।धीरे-धीरे अभ्यास करने से एकाग्रता सधने लगती है।मन में बुरे विचार आए तो उनको कंपनी न दें। फिल्में,टीवी,मटरगश्ती, मौज मस्ती करने में दिलचस्पी नहीं लें बल्कि अपने लक्ष्य पर ध्यान को फोकस करें।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित के पढ़े हुए टाॅपिक को भूलना (To Forget Studied Topic of Mathematics),गणित के सवालों के विस्मृति का निवारण (Prevention of Forgetfulness of Mathematics Questions) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

To Forget Studied Topic of Mathematics

गणित के पढ़े हुए टाॅपिक को भूलना
(To Forget Studied Topic of Mathematics)

To Forget Studied Topic of Mathematics

गणित के पढ़े हुए टाॅपिक को भूलना (To Forget Studied Topic of Mathematics):
गणितज्ञ देवव्रत अपने नित्यकर्मों से जल्दी ही निवृत्त हो जाते थे।
गणितज्ञ निवृत्त होकर अपने गणित कक्ष में आकर विराजे।

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