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Median

1.मध्यका (Median):

मध्यका (Median): किसी समंक-श्रेणी की आरोही (बढ़ते हुए) या अवरोही (घटते हुए) क्रम में व्यवस्थित करने पर उस श्रेणी के मध्य में जो मूल्य आता है वही मध्यका (Median) कहलाता है।कौनर के शब्दों में, ‘मध्यका समंक-श्रेणी का वह चर मूल्य है जो समूह को दो बराबर भागों में इस प्रकार बाँटता है कि एक भाग में सारे मूल्य मध्यका से अधिक और दूसरे भाग में सारे मूल्य उससे कम हों। इस प्रकार मध्यका वह केंद्रीय मूल्य है जो क्रमबद्ध समंक-माला को दो बराबर भागों में विभाजित करता है।
उदाहरणार्थ:यदि 5 विद्यार्थियों के प्राप्तांक 11,15,18,25 और 32 हों तो उनका मध्यका 18 होगा क्योंकि यह तीसरे क्रम का अंक है जो बिल्कुल मध्य में स्थित है तथा उसके पहले के दो अंक (11,15) कम और बाद के दोनों अंक (25,32) इससे अधिक हैं।
मध्यका सूत्र (Median Formula):
मध्यका (Median) का निर्धारण:
(1.)व्यक्तिगत समंक-माला (Individual Series):व्यक्तिगत मूल्यों का मध्यका ज्ञात करने के लिए निम्न प्रक्रिया की जाती है:
(i) सर्वप्रथम दिए हुए मूल्यों को आरोही (ascending) या अवरोही (Descending) क्रम में अनुविन्यसित किया जाता हैं।दोनों क्रमों के अनुसार केंद्र-बिंदु एक ही होता है।मूल्यों की क्रम संख्याएँ भी साथ-साथ लिख देनी चाहिए।
(ii)क्रमबद्ध करने के बाद निम्न सूत्र का प्रयोग करना चाहिए:

M=Size of (\frac{N+1}{2}){th} item
M संकेताक्षर मध्यका-मूल्य (Median) के लिए प्रयोग हुआ है।
N संकेताक्षर पदों की संख्या (number of items) के लिए प्रयोग हुआ है।
इस प्रकार उपर्युक्त सूत्र से केंद्रीय पद की क्रम संख्या अर्थात् मध्यका संख्या (Middle item or median number) ज्ञात हो जाती है।इस क्रम-संख्या का मूल्य मध्यका है।यदि व्यक्तिगत इकाइयों की संख्या सम (even) अर्थात् 2 से विभाज्य है जैसे 12 या 16 तो सूत्र द्वारा ज्ञात केंद्रीय क्रम-संख्या पूर्णांक नहीं होगी वरन् क्रमशः 6.5 या 8.5 होगी।ऐसी क्रम संख्या का मूल्य निश्चित करने के लिए उसके दोनों ओर की दो पूर्ण-संख्याओं के मूल्यों को जोड़कर 2 से भाग दिया जाता है।वही मध्यका मूल्य होता है जैसे: Size of 6.5th item=\frac{\text{ Size of 6th item+ size of 7th item}}{2}
(2.) खंडित या विच्छिन्न श्रेणी (Discrete Series):खंडित आवृत्ति श्रेणी में मध्यका (Median) ज्ञात करने के लिए निम्न क्रियाएँ करनी पड़ती हैं:
(i)पहले संचयी आवृत्तियाँ (Comulative Frequencies) ज्ञात करके श्रेणी को संचयी आवृत्ति-माला में बदल लिया जाता है।
(ii)इसके बाद निम्न सूत्र द्वारा मध्यका की क्रम-संख्या ज्ञात कर ली जाती है:

M=Size of (\frac{N+1}{2}){th} item
N कुल आवृत्तियों (Total Frequency) के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
(iii)मध्यका की क्रम-संख्या का मूल्य संचयी आवृत्ति की सहायता से ज्ञात कर लिया जाता है। जिस संचयी आवृत्ति में यह क्रम संख्या प्रथम बार सम्मिलित होती है उसका मूल्य ही मध्यका होता है।
(3.)अविच्छिन्न श्रेणी (Continuous):अविच्छिन्न या सतत समंक-माला में मध्यका का मूल्य निकालने के लिए निम्न प्रक्रिया अपनाई जाती है।
(ii)निम्न सूत्र द्वारा केंद्रीय पद ज्ञात किया जाता है:

M=Size of (\frac{N}{2}){th} item
अविच्छिन्न श्रेणी में मध्यका (Median) (\frac{N}{2}){th} item का ही मूल्य होता है, (\frac{N+1}{2}){th} item का नहीं।इसके प्रमुख कारण हैं।प्रथम मध्यका (Median) का मूल्य एक समान होना चाहिए चाहे उसका निर्धारण वर्गान्तरों (जैसे 0-10,10-20,20-30,….) के आधार पर किया जाये या अवरोही वर्गों (40-50,30-40,20-30,….) के आधार पर।केंद्र-बिंदु को \frac{N}{2} पर स्थित मानने पर ही दोनों स्थितियों में मध्यका (Median) समान आता है;दूसरे,संचयी आवृत्ति-वक्र खींचकर मध्यका (Median) मूल्य निर्धारित करने में भी \frac{N}{2} का प्रयोग उचित है क्योंकि वक्र का केंद्र-बिंदु \frac{N}{2} पर होता है जो उसे दो बराबर भागों में बाँटता है।
(iii)मध्यका (Median) की संख्या जिस संचयी आवृत्ति में सबसे पहली बार आती है उसे संबंधित वर्ग,मध्यका वर्गान्तर (Median Class-Interval) कहलाता है।
(iv)मध्यका-वर्ग में मध्यका (Median) का मूल्य निर्धारित करने के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है:

M=l+\frac{i}{f}(m-c) or M=l+\frac{i}{f}\left ( \frac{N}{2}-c \right )
M संकेताक्षर का प्रयोग मध्यका (Median) के लिए हुआ है।
l संकेताक्षर का प्रयोग मध्यका-वर्ग की निचली सीमा (lower limit of median class) के लिए हुआ है।
i संकेताक्षर का प्रयोग मध्यका-वर्ग के विस्तार (Class-interval of median class) के लिए हुआ है,
f संकेताक्षर का प्रयोग मध्यका-आवृत्ति (Frequency of the median class) के लिए हुआ है,
m संकेताक्षर का प्रयोग मध्यका संख्या (median number i.e. \frac{N}{2}) के लिए हुआ है।
c संकेताक्षर का प्रयोग मध्यका-वर्ग से तुरन्त पूर्व (निचले) वाले वर्ग की संचयी आवृत्ति (Comulative frequency of the class just preceding the median class) के लिए हुआ है।

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2.मध्यका के उदाहरण (Median Examples):

Example:1.किसी कक्षा परीक्षा में 15 विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त अंक निम्नलिखित हैं,मध्यका (Median) ज्ञात कीजिए:
6,9,10,12,18,19,23,23,24,28,37,48,49,53 and 60.)
Solution:आरोही क्रम में रखने पर:

क्रम संख्या पद-मूल्य
1 6
2 9
3 10
4 12
5 18
6 19
7 23
8 23
9 24
10 28
11 37
12 48
13 49
14 53
15 60

M=Size of (\frac{N+1}{2}){th} item

M=Size of (\frac{15+1}{2}){th} item

M=Size of 8th item

M=23
Example:2.1941 की जनगणना के अनुसार भारत के प्रथम 36 नगरों की जनसंख्या (हजारों में) के समंक निम्नांकित हैं:
(According to the 1941 census,the following are the population figures (in thousands) of the first 36 cities of India):

2488 522 387 437 260 213
213 131 153 1490 672 391
284 239 176 169 147 142
777 591 360 302 203 193
204 143 92 733 407 258
263 176 160 178 181 152

मध्यका निकालिए (Find the median).

Solution:आरोही क्रम में रखने पर:

क्रम संख्या  पद-मूल्य क्रम संख्या  पद-मूल्य
1 92 19 239
2 131 20 258
3 142 21 260
4 143 22 263
5 147 23 284
6 152 24 302
7 153 25 360
8 160 26 387
9 169 27 391
10 176 28 407
11 176 29 437
12 178 30 522
13 181 31 591
14 193 32 672
15 203 33 733
16 204 34 777
17 213 35 1490
18 213 36 2488

N=36 , M=Size of (\frac{N+1}{2}){th} item

M=Size of (\frac{36+1}{2}){th} item

M=Size of (\frac{37}{2}){th} item

M=Size of 18.5 th item

\Rightarrow M=\frac{213+239}{2}  \\ \Rightarrow M=\frac{452}{2}  \\ M=226

Example:3.किसी वर्ष एक भण्डार पर बिकने वाले जूतों के आकार (नाप) निम्नलिखित हैं:
(Find the size of shoes sold at a store in a particular year):

Size No. of Pairs Size No. of Pairs
4.5 1 8.5 82
5 2 9 75
5.5 4 9.5 44
6 5 10 25
6.5 15 10.5 15
7 30 11 4
7.5 60 11.5 3
8 95 12 1

जूतों के मापों के वितरण का मध्यका निकालिए।
(Find the median of distribution of size of the shoes.)
Solution:संचयी आवृत्ति

Size No. of Pairs संचयी आवृत्ति(cf)
4.5 1 1
5 2 3
5.5 4 7
6 5 12
6.5 15 27
7 30 57
7.5 60 117
8 95  142
8.5 82  224
9 75  299
9.5 44  343
10 25  368
10.5 15  383
11 4  387
11.5 3  390
 12  1  391

N=391, M=Size of (\frac{N+1}{2}){th} item

M=Size of (\frac{391+1}{2}){th} item

M=Size of (\frac{392}{2}){th} item

M=Size of 196 th item

 M=8.5

Example:4.निम्न सारणी से मध्यका ज्ञात कीजिए:
(Find the median from the following table):

Inome No. of persons
100-200 15
100-300 33
100-400 63
100-500 83
100-600 100

Solution:

Income(Rs.) No. of Persons(f) cf
100-200 15 15
200-300 18 33
300-400 30 63
400-500 20 83
500-600 17 100

N=100, M=Size of (\frac{N}{2}){th} item

M=\frac{N}{2}=\frac{100}{2}=50

50 संचयी आवृत्ति 63 में शामिल है अतः मध्यका वर्ग 300-400 है।
l=300,i=400-300=100,f=30,c=33

\frac{N}{2}=50 \\ M=l+\frac{i}{f}\left ( \frac{N}{2}-C \right ) \\ M=300+\frac{100}{30}\left (50-33\right ) \\ M=300+\frac{10}{3}\left (17\right ) \\ M=300+\frac{170}{3} \\ M=300+56.666 \\ \Rightarrow M=356.67
Example:5.निम्न सारणी से मध्यका ज्ञात कीजिए:
(Find the median from the following table):

Size frequency
11-15 7
16-20 10
21-25 13
26-30 26
31-35 35
36-40 22
41-45 11
46-50 5

Solution:समावेशी श्रेणी को अपवर्जी श्रेणी में परिवर्तित करने पर:

Size frequency संचयी आवृत्ति (cf)
10.5-15.5 7 7
15.5-20.5 10 17
20.5-25.5 13 30
25.5-30.5 26 56
30.5-35.5 35 91
35.5-40.5 22 113
40.5-45.5 11 124
45.5-50.5 5 129

N=129, M=Size of (\frac{N}{2}){th} item

M=\frac{N}{2}=\frac{129}{2}=64.5

64.5 संचयी आवृत्ति 91 में शामिल है अतः मध्यका वर्ग 30.5-35.5 है।
l=30.5,i=35.5-39.5=5,f=35,c=56

\frac{N}{2}=64.5 \\ M=l+\frac{i}{f}\left ( \frac{N}{2}-c \right ) \\ M=30.5+\frac{5}{35}\left (64.5-56\right ) \\ M=30.5+\frac{1}{7}\left (8.5\right ) \\ M=30.5+1.21 \\ \Rightarrow M=31.71
Example:6.निम्नांकित सारणी से मध्यका ज्ञात कीजिए:
(From the following table find the median):

Marks No. of Candidates
1-5 7
6-10 10
11-15 16
16-20 32
21-25 24
26-30 18
31-35 10
36-40 5
41-45 1

Solution:समावेशी श्रेणी को अपवर्जी श्रेणी में परिवर्तित करने पर:

Size No. of candidates संचयी आवृत्ति(cf)
0.5-5.5 7 7
5.5-10.5 10 17
10.5-15.5 16 33
15.5-20.5 32 65
20.5-25.5 24 89
25.5-30.5 18 107
30.5-35.5 10 117
35.5-40.5 5 122
40.5-45.5 1 123

N=123, M=Size of (\frac{N}{2}){th} item

M=\frac{N}{2}=\frac{123}{2}=61.5

61.5 संचयी आवृत्ति 65 में शामिल है अतः मध्यका वर्ग 15.5-20.5 है।
l=15.5,i=20.5-15.5=5,f=32,c=33

\frac{N}{2}=61.5 \\ M=l+\frac{i}{f}\left ( \frac{N}{2}-c \right ) \\ M=15.5+\frac{5}{32}\left (61.5-33\right ) \\ M=15.5+\frac{5}{32}\left (28.5\right ) \\ M=15.5+4.45 \\ \Rightarrow M=19.95
Example:7.एक फर्म के कुल 2000 कर्मचारियों में से 5% 2.00 रुपए प्रति घण्टा से कमाते हैं;480 कर्मचारी 2.00 रुपए से 2.24 रुपए प्रति घण्टा कमाते हैं;35% 2.25 से 2.49 रुपए प्रति घण्टा तक ;370 कर्मचारी 2.50 रुपए से 2.74 रुपए तक;12% 2.75 रुपए से 2.99 रुपए तक और शेष कर्मचारी 3.00 रुपए प्रति घण्टा या इससे अधिक उपार्जित करते हैं।मध्यका मजदूरी क्या है?
(Five percent of the workers in a firm employing a total of 2000 men,earn less than Rs.2.00 per hour,480 earn from Rs.2.00 to 2.24 per hour,35% from Rs.2.25 to Rs. 2.49 per hour,370 earn from Rs.2.50 to Rs.2.74,12% from Rs.2.75 to Rs.2.99 and the rest earn Rs. 3.00 or more per hour.What is the median wage?)
Solution:

Wages in Rs. No. of Workers(f) संचयी आवृत्ति (cf)
upto 1.995 100 100
1.995-2.245 480 580
2.245-2.495 700 1280
2.495-2.745 370 1650
2.745-2.995 240 1890
above 2.995 110 2000

N=2000, M=Size of (\frac{N}{2}){th} item

M=\frac{N}{2}=\frac{2000}{2}=1000

1000 संचयी आवृत्ति 1280 में शामिल है अतः मध्यका वर्ग 2.245-2.495 है।
l=2.245,i=2.495-2.245=0.25,f=700,c=580

\frac{N}{2}=1000 \\ M=l+\frac{i}{f}\left ( \frac{N}{2}-c \right ) \\ M=2.245+\frac{0.25}{700}\left (1000-580\right ) \\ M=2.245+\frac{0.25}{700} \times \left (420\right ) \\ M=2.245+0.15 \\ \Rightarrow M=2.395
उपर्युक्त उदाहरणों के द्वारा मध्यका (Median) को समझ सकते हैं।

3.मध्यका की समस्याएं (Median Problems):

(1.)निम्न संख्याओं का मध्यका मूल्य निर्धारित कीजिए:
25,15,23,40,27,25,23,25,20
(2.)निम्न आंकड़ों से मध्यका मूल्य (Median) की गणना कीजिए:

क्रम-संख्या प्राप्तांक क्रम-संख्या प्राप्तांक क्रम-संख्या प्राप्तांक
1 17 7 41 13 11
2 32 8 32 14 15
3 35 9 11 15 35
4 33 10 18 16 23
5 15 11 20 17 38
6 21 12 22 18 12

(3.)निम्न बंटन में मध्यका मूल्य (Median) ज्ञात कीजिए:

पद-आकार आवृत्ति
8 3
10 7
12 12
14 28
16 10
18 9
20 6

(4.)100 विद्यार्थियों के निम्नलिखित प्राप्तांकों से मध्यका (Median) ज्ञात कीजिए:

प्राप्तांक विद्यार्थियों की संख्या
0-10 8
10-20 30
20-30 40
30-40 12
40-50 10

उत्तर (Answers):(1.)25 (2.)21.5 (3.)14 (4.)23 marks
उपर्युक्त सवालों को हल करने पर मध्यका (Median) को ठीक से समझ सकते हैं।

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4.मध्यका (Median) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.मध्यका के लाभ बताइए। (Describe the advantage of median.):

उत्तर:मध्यका के निम्न लाभ हैं:
(1.)सरलता:मध्यका को समझना और ज्ञात करना बहुत सरल है।इसका अर्थ सर्वसाधारण भी आसानी से समझ लेते हैं।अनेक परिस्थितियों में मध्यका केवल समंक-श्रेणी के निरीक्षण से ही ज्ञात किया जा सकता है।
(2.)चरम मूल्यों का प्रभाव:बहुलक की भांति मध्यका पर भी चरम मूल्यों या सीमान्त पदों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।सीमांत मूल्यों के बिना,केवल श्रेणी के मध्य के मूल्यों के आधार पर ही इसे निकाला जा सकता है।
(3.)निश्चितता व स्पष्टताःमध्यका एक निश्चित एवं स्पष्ट माध्य है।इसके मूल्य का निर्धारण प्रत्येक समंक माला में निश्चितता के साथ किया जा सकता है।यह बहुलक की तरह अनिश्चित नहीं है।

प्रश्न:2.मध्यका की हानियां बताइए।(Describe the disadvantage of median.):

उत्तर:मध्यका में निम्न कमियां है:
(1.)निर्धारण संबंधी कठिनाइयां:मध्यका-मूल्य निर्धारित करने से पूर्व पदों को आरोही व अवरोही क्रम में रखना पड़ता है।यदि व्यक्तिगत इकाइयों की संख्या सम हो तो केंद्रीय मूल्यों के औसत को ही मध्यका मान लिया जाता है।अविच्छिन्न श्रेणी में मध्यका मूल्य इस मान्यता पर आधारित होता है कि प्रत्येक वर्ग में आवृत्तियाँ समान रूप से वितरित हैं। यह मान्यता सदैव सत्य नहीं होती है।
(2.)सीमांत मूल्यों की अपेक्षा:मध्यका सीमांत मूल्यों से प्रभावित नहीं होता है।अतः जहाँ इन मूल्यों को महत्त्व या भार देना हो वहाँ यह अनुपयुक्त है।
(3.)प्रतिनिधित्व का अभाव:मध्यका ऐसे समूहों की केंद्रीय प्रवृत्ति का यथोचित रूप से प्रतिनिधित्व नहीं करता जिनमें विभिन्न पदों के मूल्यों में काफी अंतर होता है या आवृत्तियां अनियमित होती है।

प्रश्न:3.मध्यका का क्या उपयोग है? (What is use of median?):

उत्तर:मध्यका गुणात्मक तथ्यों जैसे बुद्धिमता,स्वास्थ्य आदि के अध्ययन में बहुत उपयोगी होता है।सामाजिक समस्याओं के विश्लेषण में मध्यका की काफी उपयोगिता है।वस्तुतः जहाँ इकाइयों को क्रमानुसार रखा जा सके वहाँ मध्यका का प्रयोग उचित होता है।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा मध्यका के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

 

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Median

मध्यका (Median)

Median

मध्यका (Median): किसी समंक-श्रेणी की आरोही (बढ़ते हुए) या अवरोही (घटते हुए) क्रम में
व्यवस्थित करने पर उस श्रेणी के मध्य में जो मूल्य आता है वही मध्यका (Median) कहलाता है।

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