Mathematics is Gem of all Scriptures
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1.गणित सभी शास्त्रों का मणि है (Mathematics is Gem of all Scriptures),गणित का स्थान सभी शास्त्रों में सर्वोच्च है (The Place of Mathematics is Highest in all Scriptures):
- गणित सभी शास्त्रों का मणि है (Mathematics is Gem of all Scriptures) अर्थात् सभी शास्त्रों की शोभा,कांति बढ़ाने वाला है।प्राचीनकाल से ही गणित का महत्त्व ज्योतिष शास्त्र के रूप में रहा है।परंतु आधुनिक युग में गणितशास्त्र का सबसे अधिक महत्त्व मालूम हुआ है।आधुनिक युग में गणित का महत्त्व इसकी उपयोगिता तथा केरियर में योगदान होने के कारण हुआ है।
- आज के समय में पूरे देश और दुनिया में केरियर के विकल्प के रूप में सबसे अधिक पसंद किया जाने वाला क्षेत्र इंजीनियरिंग,कंप्यूटर की कोडिंग,वेबसाइट डिजाइनिंग,एप्लिकेशन डवलपमेंट,विभिन्न कम्प्यूटर भाषाओं की कोडिंग तथा विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाएं हैं।इन सभी में गणित का उपयोग किया जाता है।गणित के ज्ञान के बिना इन क्षेत्रों की प्रगति की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।युवाओं को इन क्षेत्रों में गणितीय पृष्ठभूमि होने के कारण बेहतरीन पैकेज मिलता है। इसलिए युवाओं के साथ-साथ उनके माता-पिता व अभिभावक भी तकनीकी,इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों के प्रति रुझान रखते हैं।दिन-प्रतिदिन तकनीकी बदलने के साथ-साथ इन क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलता है।इसलिए यदि आपको आगे बढ़ते रहना है तो गणित के ज्ञान को अपडेट करते रहना होगा।
- प्राचीन काल में गणित दो प्रकार की थी एक व्यक्त (अंकगणित) और दूसरा अव्यक्त (बीजगणित) इन्हीं दो प्रकार की गणित में और शब्दशास्त्र (व्याकरण) में पारंगत होने पर सभी शास्त्रों को जानने का अधिकारी माना जाता था अन्यथा वह नाम मात्र का गणितज्ञ कहला सकता था।परंतु आधुनिक युग में गणित की इतनी शाखाएं हो गई है कि किसी एक शाखा का संपूर्ण ज्ञान प्राप्त करना भी मुश्किल हो गया है।इसलिए अपने मन में इस बात को बांध लो कि गणित के ज्ञान के अभाव में आपका जीवन कैसा रहेगा?प्रारंभिक काल में यदि इस बात को अच्छी तरह समझ जाओगे तो गणित की पढ़ाई में हमारा मन ठीक तरह से लगेगा।
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(1.)गणित से तुम डरते तो नहीं (You are not afraid of mathematics):
- आप जानते ही होंगे कि आज का संसार बहुत आगे बढ़ चुका है।ज्ञान विज्ञान ने इतनी प्रगति की है कि गणित की जानकारी के बिना आज विज्ञान का अध्ययन संभव नहीं है।इसलिए आज यदि तुम कड़ी मेहनत करके गणित का अध्ययन करोगे तो आगे चलकर विज्ञान की बातों को आसानी से समझ सकोगे।’वेदांग-ज्योतिष’ नामक ग्रंथ में गणित के महत्त्व को श्लोकबद्ध करते हुए लिखा गया है:
- “यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा।
तद्वद्वेदांगशास्त्राणां गणितं मूर्धनि स्थितम्।।” - अर्थात् जिस प्रकार मोरों की शिखाएँ (सिर के ऊपर का तुर्रा) और शेषनाग के मस्तक का मणि सबसे ऊँचे स्थान पर विराजमान हैं, उसी प्रकार वेद आदि शास्त्रों में गणित का स्थान सर्वोच्च है।
- आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आज जिन अंको का प्रयोग हम करते हैं और जो आज संसार भर में प्रचलित हैं वे अंक और दाशमान पद्धति से उनको लिखने की विधि का आविष्कार भारत देश में हुआ था।प्राचीन यूनान भी जो कि भारत की तरह उन्नत संस्कृति का देश था हमारी जैसी सुगम अंक-पद्धति से परिचित नहीं था।बड़ी-बड़ी संख्याओं को उनके अंकों में लिखना बहुत ही कठिन काम था।
- और शून्य? शून्य के चमत्कार को तो तुम जानते ही होंगे।किसी भी संख्या के आगे शून्य के रखते ही वह संख्या दस गुना बढ़ जाती है।लेकिन शून्य क्या है? कुछ भी तो नहीं।सिर्फ एक गोलाकार चिन्ह जिसका अर्थ है ‘कुछ भी नहीं’
लेकिन यही ‘कुछ भी नहीं’ क्या क्या कमाल करता है गणित में! और फिर गणित के माध्यम से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में!! - शून्य का आविष्कार भारत में आज से लगभग 2000 वर्ष पहले हो चुका था।सारा संसार शून्य के आविष्कार के लिए भारत का ऋणी है।पाश्चात्य देशों के विद्वानों ने भी इस बात को स्वीकार किया है।अमेरिका के जी.बी. हैल्सटेड लिखते हैंः
“शून्य के आविष्कार की जितनी भी स्तुति की जाए,कम है।” “गणित का दूसरा कोई आविष्कार ज्ञान और शक्ति को आगे बढ़ाने में इतना प्रबल सिद्ध नहीं हुआ है।”
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(2.)गणित-ज्योतिषशास्त्र का स्वर्ण युग (Golden Age of Mathematics Astrology):
- हमारे देश के बहुत प्राचीन ग्रंथ दो वर्गों में विभक्त किए जा सकते हैंःएक ‘पौरुषेय’ अर्थात् जिनके कर्ताओं के नाम हमें ज्ञात हैं;दूसरा ‘अपौरुषेय’ अर्थात् जिनके कर्ताओं के नाम हमें ज्ञात नहीं हैं।
- ‘अपौरुषेय’ ग्रंथों में वैदिक-ग्रंथ प्रमुख है।’सिद्धांत-ग्रंथ (सूर्य,वशिष्ठ आदि) जो कि ज्योतिष ग्रंथ,’अपौरुषेय’ वर्ग के हैं।’अपौरुषेय’ का अर्थ यह नहीं है कि यह ग्रंथ आसमान से टपके हैं।ये भी हमारे ऋषि-मुनियों ने ही रचे हैं।बात सिर्फ यह है कि अति प्राचीन रचनाएँ होने से इनके रचनाकारों का हमें पता नहीं चलता।
- और फिर उस काल में आज जैसी पुस्तकों का मुद्रण तो होता नहीं था।शायद हाथ से लिखने की परंपरा भी प्रारंभ नहीं हुई थी।पूरा का पूरा ग्रंथ गुरु-शिष्य की परंपरा में कंठस्थ होता था।
- गणित-ज्योतिष का पहला प्रमुख ‘पौरुषेय’ ग्रंथ जो आज उपलब्ध है,’आर्यभटीय’ है।यह ग्रंथ 499 ईसवी में लिखा गया था।इससे महान गणितज्ञ आर्यभट ने लिखा था।ये कुसुमपुर (पटना) के रहने वाले थे और इनका जन्म 476 ईस्वी में हुआ था।
वास्तव में आर्यभट से ही भारतीय गणित एवं ज्योतिषशास्त्र का ‘स्वर्ण युग’ शुरू होता है।और इसकी समाप्ति होती है 12वीं शताब्दी के अंतिम चरण में भास्कराचार्य की मृत्यु के साथ।भारत के महान् गणितज्ञ एवं ज्योतिषी वराहमिहिर,ब्रह्मगुप्त,महावीराचार्य,लल्ल,श्रीपति आदि इसी काल में हुए हैं। - इसी काल में भारतीय गणित एवं ज्योतिष का खूब विकास हुआ।भारत से गणित और ज्योतिष के ग्रंथ बगदाद गए और अरबी में उनका अनुवाद कराया गया।बाद में लेटिन भाषा में उनका अनुवाद हुआ,भारतीय विज्ञान यूरोप के देशों में फैला।
भारतीय गणित और ज्योतिष ने यूरोप को कितना प्रभावित किया,इसे यूरोप के प्रसिद्ध गणित गणित-इतिहासज्ञ काजोरी के शब्दों में पढ़ो: - ” यह विचार करने की बात है कि भारतीय गणित ने हमारे वर्तमान विज्ञान में किस हद तक प्रवेश किया है।आज के अंकगणित और बीजगणित दोनों की पद्धतियां भारतीय हैं,यूनानी नहीं।गणित के उन संपूर्ण और शुद्ध चिन्हों पर विचार करो;भारतीय गणित की उन क्रियाओं पर विचार करो जो आज की गणित-क्रियाओं की तरह परिपूर्ण हैं।उनके बीजगणित की विधियों पर भी विचार करो और फिर सोचो कि गंगा के तट पर रहने वाले ऋषि-मुनि (अर्थात् एक विदेशी प्रशंसक की दृष्टि में भारतीय विद्वान्) किस श्रेणी के भागी नहीं है।दुर्भाग्य से भारत के कई प्रमुख आविष्कार यूरोप में बहुत बाद में पहुंचे।यदि वे दो-तीन शताब्दी पहले पहुंचते तो उनका प्रभाव ओर अधिक होता।”
- प्रसिद्ध गणितज्ञ डी. मार्गेन तो यहां तक कहते हैं कि “भारतीय गणित यूनानी गणित से उच्चकोटि का है।भारतीय गणित वह है जिसे आज हम उपयोग में लाते हैं।”
- यदि हमारा गणित-विज्ञान इतना श्रेष्ठ था तो आर्किमिडीज,पाइथागोरस,यूक्लिड,टाॅलमी,न्यूटन,गैलीलियो,काॅपर्निक्स आदि वैज्ञानिकों की तरह भास्कराचार्य,आर्यभट,नागार्जुन,वराहमिहिर,ब्रह्मगुप्त,महावीराचार्य,बोधायन आदि भारतीय गणितज्ञों-वैज्ञानिकों का परिचय हमारे स्कूलों में क्यों नहीं दिया जाता?
- पहला कारण तो यह है कि प्राचीन गणितज्ञ-वैज्ञानिक अपने बारे में कुछ भी नहीं लिखते थे।अपनी प्रशंसा करना,अपने बारे में शिष्यों को पढ़ाना उनको उचित नहीं लगता था।इसके बजाय वे ज्ञान को तरजीह देते थे क्योंकि उनका विचार था कि व्यक्ति को उसका कृतित्व ही उसे जिन्दा रखता है उसकी जीवनी उसे जिन्दा नहीं रखती हैं।दूसरा कारण यह है कि प्राचीन काल में ज्ञान को हाथ से लिखने की परंपरा नहीं थी।गुरु-शिष्य को ज्ञान को कंठस्थ कराते थे इसलिए हमें हमारी प्राचीन गणितज्ञों-वैज्ञानिकों के बारे में बहुत कम जानकारी है।हमें पता ही नहीं चलता है कि कौनसा आविष्कार किसने किया है।तीसरा कारण है कि हमारे सुप्रसिद्ध विश्वविद्यालय तक्षशिला,नालंदा विश्वविद्यालय को विदेशियों ने नष्ट -भ्रष्ट कर दिया इसलिए हमारा बहुत सा ज्ञान का भंडार तथा हमारे जानने के स्रोत अर्थात् शास्त्र नष्ट-भ्रष्ट हो गए।इसलिए हमें उनके बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है।चौथा कारण है कि भारत कई सौ वर्षों तक विदेशी आक्रांताओं के द्वारा शासित रहा है और वे शासक अपनी शिक्षा प्रणाली को ही लागू करते थे।उदाहरणार्थ अंग्रेजो ने हमारे देश में अंग्रेजी शिक्षा चालू कर दी जिससे हमें यूक्लिड की ज्यामिति का तो ज्ञान हो गया परंतु हमें हमारे गणितज्ञों के बारे में कोई ज्ञान नहीं हुआ।पांचवा कारण है कि भारत को स्वतंत्र होते ही पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बने जो विदेशी शिक्षा अर्थात् अंग्रेजी में पढ़े-लिखे थे।इसलिए उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा को ही चालू रखा जबकि भारत के स्वतंत्र होते ही हमारी भारतीय संस्कृति के अनुरूप शिक्षा प्रणाली लागू करनी थी।इसलिए हमें हमारे गणितज्ञों के बारे में नहीं पढ़ाया जाता है फलस्वरूप हमें हमारे गणितज्ञों-वैज्ञानिकों के बारे में जानकारी नहीं है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में गणित सभी शास्त्रों का मणि है (Mathematics is Gem of all Scriptures),गणित का स्थान सभी शास्त्रों में सर्वोच्च है (The Place of Mathematics is Highest in all Scriptures) के बारे में बताया गया है।
2.गणित सभी शास्त्रों का मणि है (Mathematics is Gem of all Scriptures),गणित का स्थान सभी शास्त्रों में सर्वोच्च है (The Place of Mathematics is Highest in all Scriptures) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.भगवान गणित के बारे में क्या कहते हैं? (What does God say about mathematics?):
प्रश्न:2.क्या बाइबल में गणित है? (Does the Bible have mathematics?):
प्रश्न:3.गणित का रत्न किसे कहा जाता है? (Who was called Gem of mathematics?):
प्रश्न:4.गणित की बाइबिल कौन सी है? (Which is the bible of maths?):
प्रश्न:5.शून्य किसने पाया? (Who found zero?):
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित सभी शास्त्रों का मणि है (Mathematics is Gem of all Scriptures),गणित का स्थान सभी शास्त्रों में सर्वोच्च है (The Place of Mathematics is Highest in all Scriptures) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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अर्थात् सभी शास्त्रों की शोभा,कांति बढ़ाने वाला है।प्राचीनकाल से ही गणित का महत्त्व ज्योतिष शास्त्र के रूप में रहा है।
परंतु आधुनिक युग में गणितशास्त्र का सबसे अधिक महत्त्व मालूम हुआ है।
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