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How to Overcome Job Problems in 2025?

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1.जाॅब की समस्याएं कैसे दूर करें 2025? (How to Overcome Job Problems in 2025?),बिजनेस की 50 प्रतिशत समस्याएँ कैसे दूर करें? (How to Solve 50 Percentage of Business Problems?):

  • जाॅब की समस्याएं कैसे दूर करें 2025? (How to Overcome  Job Problems in 2025?) के इस आर्टिकल में बताया गया है कि जाॅब या बिजनेस में समस्याओं को किस तकनीक से हल करें।अक्सर हम पुराने और घिसे-पिटे तरीकों का प्रयोग करते रहते हैं और हमारी समस्याएँ यथावत बनी रहती हैं।
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2.जाॅब की समस्याएँ क्यों हल नहीं होतीं? (Why aren’t job problems solved?):

  • अगर आप जॉब करते हैं,बिजनेस में है,तो शायद इस शीर्षक को पढ़कर इस वक्त यह कह रहे होंगे,”इस अध्याय का शीर्षक मूर्खतापूर्ण हैं।हम वर्षों से बिजनेस चला रहे हैं और हममें बिजनेस की पर्याप्त बुद्धि है।देखो तो सही,कोई हमें यह बताने की कोशिश कर रहा है कि हम अपने बिजनेस की 50% समस्याओं को एक ही झटके में खत्म कर सकते हैं-यह बकवास है।”
  • बिल्कुल सही है-अगर मेरे जॉब करने से पहले मुझे भी किसी अध्याय का यह शीर्षक देखा होता,तो मुझे भी ऐसा ही महसूस हुआ होता।यह बहुत बड़ा दाव है और बड़े दाव अक्सर खोखले होते हैं।
  • इसके बारे में खुलकर बात करेंःहो सकता है,इस लेख में बताई गई बातों से आपके जाॅब या बिजनेस की 50% समस्याएँ दूर करने में मदद न कर पाएं।अंतिम विश्लेषण में,यह काम सिर्फ आप कर सकते हैं,कोई दूसरा नहीं कर सकता।परंतु आपको इतना तो बता ही सकता हूँ कि दूसरे लोगों ने ऐसा किस तरह किया है और फैसला आप पर छोड़ता हूं।
  • आपको यह कोटेशन तो याद होगा कि जो दृढ़ संकल्पशक्ति के धनी नहीं है,जो समस्याओं से लड़ना नहीं जानते,वे जवानी में ही मर जाते हैं।
  • चूँकि समस्याएँ इतनी भयानक है,इसलिए अगर 20% समस्याएं भी कम करने में आपकी मदद हो जाए,तो क्या आप संतुष्ट नहीं होंगे?…. हां… अच्छा!
  • अब मैं आपको एक बिजनेस एग्जीक्यूटिव का उदाहरण देने जा रहा हूं,जिसने अपनी 50% समस्याओं को तो खत्म किया ही,परंतु बिजनेस मीटिंगों में बिजनेस की समस्याओं को सुलझाने में लगने वाले अपने समय को 75% कम कर दिया।
  • ध्यान दें कि आपको किसी मिस्टर एक्स या मिस्टर वाई या किसी काल्पनिक कथानक के बारे में कहानी नहीं सुनाई जा रही है-ऐसी अस्पष्ट कहानी जिनकी आप जांच नहीं कर सकते।यह एक जीते-जागते आदमी की सच्ची कहानी है,जिसका नाम है लियाॅन शिमकिन,जो अमेरिका के प्रख्यात प्रकाशन समूह साइमन एंड शस्टर,राॅकफेलर सेंटर,न्यूयॉर्क के पूर्व जनरल मैनेजर और पार्टनर हैं।उन्हीं के शब्दों में उनका अनुभव सुनिये:
  • “15 साल तक मैंने अपने काम का आधा दिन मीटिंगों में लगाया,जिनमें समस्याओं पर विचार किया जाता था।हमें ऐसा करना चाहिए या हमें वैसा करना चाहिए या फिर हमें कुछ नहीं करना चाहिए? चर्चा के दौरान हम तनाव में आ जाते थे,अपनी कुर्सियों में पहलू बदलते थे,फर्श पर टहलने लगते थे,बहस करते थे या गोल-गोल घूमने लगते थे।रात में मैं बुरी तरह थक गया था।मैं अपने बाकी जीवन में भी ऐसा ही चलते रहने की उम्मीद कर रहा था।मैं ऐसा 15 साल से कर रहा था और मुझे कभी नहीं लगा कि इसे बेहतर तरीके से भी किया जा सकता है।अगर किसी ने मुझसे कहा होता कि मैं इन चिंताजनक मीटिंगों के 75% समय और अपने 75% मानसिक बचाव को कम कर सकता हूं तो मैंने सोचा कि वह कोरा आशावादी,सपने देखने वाला और आराम से बैठकर सुझाव देने वाला है।परंतु मैंने एक ऐसी योजना बनायी,जिससे यह संभव हो गया।मैं इस योजना का प्रयोग पिछले 8 साल से कर रहा हूं।इसने मेरी कार्य कुशलता,स्वास्थ्य और सुख के संदर्भ में चमत्कार कर दिया है।”
  • “यह जादू की तरह लगता है-परंतु जादू की तरकीबों की तरह यह भी बहुत आसान लगेगी,बशर्ते आप यह जान लें कि ऐसा किस तरह किया जा सकता है?”
  • “यह रहा रहस्य:पहले तो मैंने उस पुराने तरीकों को बंद करवाया,जिसका प्रयोग मैं अपनी मीटिंगों में पिछले 15 साल से कर रहा था-वह तरीका,जिसमें मेरे परेशान सहयोगी समस्या को विस्तार से सुनाने में वक्त बर्बाद करते थे और अंत में पूछते थे, ‘अब हमें क्या करना चाहिए?’ दूसरी बात यह है कि मैंने एक नया नियम बनाया।जो भी आदमी समस्या लेकर मेरे पास आए,वह पहले एक विवरण पत्र तैयार करें,जिसमें इन सवालों के जवाब दिए गए हों:(1.)समस्या क्या है? (2.)समस्या का कारण क्या है? (3.)समस्या को कितने तरीकों से हल किया जा सकता है? (4.)आप किस समाधान का सुझाव देते हैं?

3.समस्या क्या है? (What’s the problem?):

  • पुराने दिनों में हम चिंताजनक मीटिंग में एक या दो घंटे यूं ही बर्बाद करते थे और किसी को यह स्पष्ट पता नहीं होता था की असली समस्या क्या थी।हम अपनी परेशानियों के बारे में चर्चा करते समय अपने आप को झाग की तरह फुला लेते थे और स्पष्ट रूप से यह लिखने की कोशिश नहीं उठाते थे कि दरअसल हमारी समस्या क्या थी।
  • दरअसल मीटिंग को चाय-नाश्ता करने और दिल को हल्का करने का माध्यम मान लिया जाता है।इसलिए जब तक मीटिंग का महत्त्व नहीं समझा जाएगा,समय का महत्त्व नहीं समझा जाएगा और समस्या क्या है इसको रेखांकित नहीं किया जाएगा तब तक उसके समाधान के बारे में कुछ भी चर्चा करना असंभव है।इसी कारण अधिकांश बिजनेस मीटिंगों में समय बर्बाद होता है और समस्या यथावत बनी रहती है।समस्याओं पर गौर नहीं किया जाता और समस्याएं सुरसाँ के मुंह की तरह बढ़ने लगती है।
  • जब तक मीटिंग को संचालित करने वाला बाॅस और उसके मातहत कर्मचारी इस बात को नहीं समझेंगे तब तक मीटिंग से फायदा उठाया ही नहीं जा सकता है।अतः हर एम्पलाई और ऑफिसर मीटिंग से पहले अपने प्रेजेंटेशन की तैयारी करे और समस्याओं को लिख लें।समस्या वास्तविक होनी चाहिए,कपोल कल्पित नहीं और उस समस्या का समाधान करने से ऑफिस का काम तेजी से निपटता हो।इसकी चिंता ना करें कि समस्याएँ अधिक हैं या कम हैं।समस्याओं को इस प्रकार से चिन्हित कर लें कि जो ज्यादा महत्त्वपूर्ण है,महत्त्वपूर्ण है और कम महत्त्वपूर्ण है।इस प्रकार समस्याओं का विभाजन कर लेते हैं तो हमें तय समय में सबसे पहले ज्यादा महत्त्वपूर्ण समस्या पर चर्चा कर लेनी चाहिए।यदि मीटिंग में समय बचता है तो महत्त्वपूर्ण समस्याओं पर चर्चा की जा सकती है।कम महत्त्वपूर्ण समस्याओं को आगे किसी मीटिंग में चर्चा की जा सकती है अथवा कुछ समय के लिए स्थगित किया जा सकता है।
  • जब तक समस्या को बायोफर्केट नहीं किया जाता,समस्या क्या है इसका पता नहीं लगाया जाता तब तक केवल बिना तैयारी के मीटिंग में जाना अपना समय और दूसरों का समय,शक्ति बर्बाद करना है।मीटिंग के संचालक को भी थोड़ी सख्ती से काम लेना चाहिए कि जो अपनी सीट से बिना तैयारी किए उठकर चले आए हैं,उन्हें सख्त हिदायत दे दी जाए और आगे से पूर्व तैयारी के साथ मीटिंग अटेंड की जाए।

4.समस्या का कारण क्या है? (What is the cause of the problem?):

  • समस्या का पता लगाने के बाद,समस्या का कारण क्या है उसका पता लगाया जाए।दरअसल जब तक जाॅब नया-नया होता है तब तक जाॅब को लेकर असीमित उत्साह और प्रेम रहता है।लेकिन समय गुजारने के साथ ही काम के प्रति उत्साह कम होता जाता है,काम से नफरत करने लगते हैं या इसे छोड़कर नया जॉब करने की सोचने लगते हैं।इससे आपके व्यक्तित्व का विकास नहीं होता है।आपके प्रति लोगों की नकारात्मक छवि बनने लगती है,अतः इससे छुटकारा पाने का यही उपाय है कि अपने काम को प्यार करें।
  • यदि आप अपने करियर पर एक नजर डाले तो पाएंगे की मीटिंगों में फालतू की चिंता करके आपने अनेक घंटे (समय) बर्बाद किए हैं और यह पता लगाने की कोशिश नहीं की कि समस्या की जड़ में कौनसी स्पष्ट स्थितियाँ थी।उदाहरणार्थ समस्या यह है कि आपके पास काम का अंबार लग लग गया है और आप काम को समय पर नहीं निपटा पा रहे हैं? इस समस्या का कारण ढूंढे तो यह हो सकता है कि आप समय बर्बाद करते हैं,ऑफिस के काम को त्वरित गति से नहीं निपटा पाते हैं अथवा आप काम को त्वरित गति से निपटाते हैं परंतु आपको दो-तीन व्यक्तियों जितना काम दिया गया है अथवा आपने काम को अधिक महत्त्वपूर्ण,महत्त्वपूर्ण और कम महत्त्वपूर्ण में विभाजन नहीं कर रखा है और आपके सामने जो एप्लीकेशन आ जाती है उसे ही निपटाने लगते हैं चाहे वह बहुत कम महत्त्वपूर्ण हो और उसे बिना निपटाये भी काम चलाया जा सकता है अथवा आप आधुनिक टेक्नोलॉजी के जानकार नहीं है और काम को मैन्युअल ही निपटाते हैं जिससे वर्कलोड बढ़ता जाता है।
  • इस प्रकार समस्या क्या है और समस्या का मूल कारण क्या है इसका निष्पक्ष ढंग से पता लगा लेंगे तो इन दो चरणों से ही पता चल जाएगा की समस्या का क्या-क्या समाधान हो सकता है।यदि आप निष्पक्ष ढंग से समस्या के मूल कारण को नहीं ढूंढेंगे तो उसका सही समाधान भी नहीं किया जा सकेगा।जैसे वर्कलोड बढ़ने का मूल कारण तो है आपकी लापरवाही अर्थात आप एक्टिव नहीं है,आराम पसंद है और आप अपने बॉस को मीटिंग में इस कारण को न बताकर यह कारण बताते हैं कि उसके पास दो से अधिक व्यक्तियों का वर्कलोड है।अब यदि आपके पास किसी अन्य एंप्लॉई को लगा भी दिया जाए तो उसको भी आप लापरवाह बना देंगे।काम नहीं निपटा तो आपकी असलियत सामने आ जाएगी और आपकी नेगेटिव पिक्चर बनेगी।क्योंकि काम का मुख्य जिम्मा आप पर ही है,अन्य एम्प्लाॅई तो आपके सहायक के रूप में है।अतः अफसरों को असलियत पता चलते ही या तो आपको डांट-फटकार सुननी पड़ेगी या हो सकता है कि आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्य की जाए अथवा आपको कंपनी या विभाग से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए या आपको पदावनत कर दिया जाए अथवा आपका वेतन कम कर दिया जाए।
  • अतः यह कभी न सोचें कि मेरी असलियत का किसे पता चलेगा।आधुनिक युग में तकनीकी के एक से एक साधन हैं जैसे सीसीटीवी कैमरे,अन्य कर्मचारियों की परफॉर्मेंस,अधिकारी का व्यक्तिगत अनुभव आदि ऐसी बातें है जो किसी भी एम्प्लाॅई की असलियत पता लगाने में मदद करती है।अतः समस्या का असली कारण ही मेंशन करें।हवाबाज़ी या तिकड़मबाजी के बजाय अपने पुरुषार्थ पर विश्वास करें।

5.समस्या को कितने तरीकों से हल किया जा सकता है? (In how many ways can the problem be solved?):

  • तीसरा चरण है कि उस समस्या को कितने तरीकों से हल किया जा सकता है।जैसे आपके पास वर्कलोड है और मेहनत करने के बावजूद वर्कलोड को कम नहीं किया जा सकता है।दूसरे समाधान के तरीके हैं एक अतिरिक्त एम्प्लाॅई को आपके पास लगा दिया जाए अथवा टेक्नोलॉजी अर्थात् कंप्यूटर,मोबाइल आदि की मदद से वर्कलोड को कम किया जा सकता है अथवा कम महत्त्वपूर्ण कार्यों को स्थगित रखा जा सकता है अथवा आपको ओवरटाइम दिया जाकर वर्कलोड को निपटाया जा सकता है।
  • दरअसल आप यदि एक ही समाधान लेकर जाएंगे तो उस पर बहस के दौरान दूसरा उसका विरोध करेगा।जैसे आप एकमात्र सुझाव यह लेकर जाते हैं कि किसी अन्य एंप्लॉई को उसके सहायक के रूप में लगा दिया जाए तो अन्य एम्प्लाॅई उसका विरोध करेगा।इससे गर्मागर्म बहस होने लगती है।हम अक्सर विषय या मुद्दे से भटक जाते हैं और मीटिंग के अंत तक भी उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाता है।जबकि हमारा मूल मकसद समस्या को हल करना है।
  • हमारे पास समस्या के अनेक विकल्प मौजूद होते हैं तो ऐसे समाधान तक पहुंचा जा सकता है जिस पर किसी को कोई आपत्ति ना हो,कोई विवाद,झगड़ा या टन्टा न हो।इससे समस्या तो हल हो ही जाएगी साथ ही आपका समय बचेगा।मीटिंग में बैठकर घंटों माथापच्ची करने की जरूरत नहीं होगी।सटीक रणनीति,तकनीक से अपने जॉब और बिजनेस की समस्याओं को हल किया जा सकता है और उन पर काबू पाया जा सकता है,शर्त यही है कि आप तहेदिल से ऐसा चाहते हैं वरना मीटिंग केवल समय बर्बाद करने और चाट-पकौड़ी,चाय-नाश्ता करने का माध्यम बनकर रह जाएगी और उसका कोई प्रतिफल नजर नहीं आएगा।

6.आप किस समाधान का सुझाव देते हैं? (What solution do you suggest?):

  • चौथा चरण है कि अनेक विकल्पों में से आप किस समाधान का सुझाव देते हैं? यदि इस अंतिम चरण का सटीक जवाब लेकर जाते हैं तो आप समझ सकते हैं कि इन चारों सवालों के जवाब ढूंढने के लिए आपको किन तथ्यों को इकट्ठा करना पड़ता है और अपनी समस्याओं के बारे में अच्छी तरह सोचना पड़ता है।और जब आप इतना करते हैं,तो आपको पता चल जाएगा कि तीन-चौथाई मामलों में आपको अपनी समस्या बॉस को बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि सही समाधान कागज पर उसी तरह से बाहर आ जाता है जिस तरह से इलेक्ट्रिक टोस्टर से ब्रेड का टुकड़ा बाहर आ जाता है।जिन मामलों में सलाह आवश्यक होती है,उनमें भी चर्चा में पहले से एक तिहाई समय लगता है क्योंकि चर्चा तार्किक और सिलसिलेवार होती है और निष्कर्ष तथ्यों के आधार पर निकाले जाते हैं।
  • उपर्युक्त उदाहरण में यदि वर्कलोड कम करने का आपका सुझाव यह है कि आपको टेक्नोलॉजी का ज्ञान नहीं है अतः आपको ट्रेनिंग दी जाए और तब तक आपको ओवरटाइम देकर वर्कलोड को निपटाया जाए अथवा किसी सहायक एंप्लॉई को लगा दिया जाए तो बहस करने की कोई गुंजाइश ही नहीं है और शीशे की तरह साफ है कि वर्कलोड को आप ईमानदारी से निपटाना चाहते हैं तो यह बात तो अफसर भी जानते हैं कि कोई जादू-मंत्र से तो वर्कलोड निपटेगा नहीं और न ही समस्या से मुंह फेर लेने से निपट जाएगी।समस्या तो निपटाने पर ही निपटेगी ।
  • इस प्रकार आप अपनी समस्याओं को उपर्युक्त चरणों के आधार पर विश्लेषण करेंगे तो आपकी जॉब संबंधी आधी से अधिक समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।जब तक समस्या का विश्लेषण नहीं करेंगे और उसको निपटाने का प्रयास नहीं करेंगे तब तक माला फेरने या केवल भगवान का नाम लेने मात्र से समस्या छूमन्तर,गायब नहीं हो जाएंगी।वे लगातार बढ़ती जाएगी और एक दिन विकराल रूप धारण कर लेगी और आपको मैदान छोड़कर भागना पड़ेगा।लेकिन हमारे विचार से आप अपने आपको भगोड़ा कलवाना पसंद नहीं करेंगे।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में जाॅब की समस्याएं कैसे दूर करें 2025? (How to Overcome Job Problems in 2025?),बिजनेस की 50 प्रतिशत समस्याएँ कैसे दूर करें? (How to Solve 50 Percentage of Business Problems?) के बारे में बताया गया है।

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7.वसीयत लिख दो (हास्य-व्यंग्य) (Write a Will) (Humour-Satire):

  • बाॅस वकील से बोला:मेरी वसीयत लिख दो।मैं मरने के बाद अपना सब कुछ अनाथालय को देना चाहता हूं।
  • वकील (बाॅस से):बहुत बढ़िया ख्याल है,आपका।बताइए क्या-क्या है,आपके पास।
  • बाॅस:मेरे ऑफिस के एम्प्लॉइज,क्योंकि वे ही मेरे लिए समस्या बने हुए हैं।

8.जाॅब की समस्याएं कैसे दूर करें 2025? (Frequently Asked Questions Related to How to Overcome Job Problems in 2025?),बिजनेस की 50 प्रतिशत समस्याएँ कैसे दूर करें? (How to Solve 50 Percentage of Business Problems?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.कंपनी की सफलता किस बात पर टिकी होती है? (What does the company’s success depend on?):

उत्तर:अपने एम्प्लॉइज की प्रतिभा का पूरा उपयोग करना।उनके विचारों,प्रयासों,भावनाओं,सुझावों का सम्मान करें।और उचित सुझावों पर अमल करें,अहंकार न रखें।

प्रश्न:2.यदि कोई एम्प्लाॅई वापस लौटे तो क्या करें? (What to do if an employee returns?):

उत्तर:यदि कोई एम्प्लाॅई अपना अहम छोड़कर कंपनी,विभाग या ऑफिस से जुड़ने की पहल करता है,तो कोई हारता नहीं।इससे कार्यालय,विभाग और कंपनी की साख और मजबूत ही होती है।

प्रश्न:3.सीखने का क्या मंत्र है? (What is the mantra for learning?):

उत्तर:स्वयं को दूसरों से बेहतर,श्रेष्ठ,सुंदर,उच्च,बुद्धिमान,प्रतिभाशाली,धनी ना समझें।इस प्रकार के विचार आपको अहंकारी बनाते हैं। हमेशा दूसरों से कुछ ना कुछ सीखने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें और सीखें।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा जाॅब की समस्याएं कैसे दूर करें 2025? (How to Overcome Job Problems in 2025?),बिजनेस की 50 प्रतिशत समस्याएँ कैसे दूर करें? (How to Solve 50 Percentage of Business Problems?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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