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How is Life Center of Learning?

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1.जीवन सीखने का केंद्र कैसे है? (How is Life Center of Learning?),जीवन सीखने की प्रयोगशाला कैसे है? (How is Life Laboratory of Learning?):

  • जीवन सीखने का केंद्र कैसे है? (How is Life Center of Learning?) बालक में थोड़ी समझ आते ही माता-पिता उसे विद्यालय भेज देते हैं ताकि वह मानवीय संस्कार व शिष्टाचार सीखकर प्रबुद्ध नागरिक बन सके।उसे अपने-पराए,उचित-अनुचित और अच्छे-बुरे का ज्ञान हो।इसे हर बच्चे के लिए अनिवार्य माना जाता है।ठीक इसी प्रकार हमारा जीवन भी एक विद्यालय है,जहां हम नाना प्रकार के पाठ पढ़ते हैं।नित्य किस्म-किस्म के लोगों से मिलते हैं और हमें किस्म-किस्म के अनुभव प्राप्त होते हैं।अतएव जीवन के इस विद्यालय के सबक हमें बराबर याद रखने चाहिए।जीवन में उन्नति पाने के लिए,हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए यह अति आवश्यक है कि जीवन के विद्यालय में मिला सबक याद रखा जाए।
  • जिस प्रकार शिक्षा के विद्यालय में सबक याद न रखने पर फेल कर दिए जाते हैं,उसी प्रकार जीवन के विद्यालय में मिला सबक याद न रखने पर हम अवनति के गर्त में गिर जाते हैं।हमारा बना-बनाया काम बिगड़ जाता है।सफलता के स्थान पर हमें असफलता का मुंह देखना पड़ता है।इसी कारण उन्नति के लिए यह आवश्यक है कि हम जीवन के विद्यालय में मिला सबक याद रखें।जीवनरूपी इस विद्यालय में हम हर पल,हर घड़ी कुछ-न-कुछ सीखते हैं।हर कदम पर एक नया सबक हमें सीखने को मिलता है और हर रोज यदि हम चाहें तो एक नए अध्याय का सृजन कर सकते हैं।
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2.जीवन भी एक विद्यालय (Life is Also a School):

  • हमें न केवल अपने जीवन के विद्यालय के सबक याद रखना चाहिए वरन दूसरों के भी विद्यालय के सबक से भी शिक्षा ग्रहण करें।उन्नति के लिए यह आवश्यक है।जो ऐसा करते हैं,वे जीवन में अवश्य ही सफलता प्राप्त करते हैं।इसमें किसी भी प्रकार का शक नहीं है।यह एक ऐसा रास्ता है,जो प्रत्येक मनुष्य को सच्ची राह दिखलाता है।अपने ही जीवन से आप बहुत कुछ सीख सकते हैं।
  • अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने वाले,उन्नति के शिखर पर पहुंचने वाले,अनेक लोगों की जिंदगी का अध्ययन करने पर हमें इस बात का पता चलता है कि इनमें से अधिकांश अपने प्रतिदिन कार्यों का विश्लेषण करते थे।इस प्रकार वे अपने ही जीवन के क्रियाकलापों अर्थात् अपने ही विद्यालय से सबक सीखा करते थे।उनको पता चल जाया करता था कि उन्होंने कब,कौनसा और कैसा कार्य किया? उस कार्य से क्या लाभ हुआ? क्या हानि हुई? इस प्रकार वह सबक सीखते थे।जिस कार्य से उनको हानि होती थी,उस कार्य में सुधार लाकर वह नया सबक लेते थे।इस प्रकार सबक सीखकर वह बराबर आगे बढ़ते गए।अपने जीवन में तब उन्होंने सबकुछ प्राप्त कर लिया।
  • तुम प्रतिदिन का अपना कार्य का विश्लेषण करो।देखो कि तुमने सारे दिन में क्या-क्या कार्य किया?अपना दिन किस प्रकार व्यतीत किया? सोने से पूर्व पूरे दिन के कार्यों पर एक नजर डाल लो।दिन कितना सदुपयोग किया और कितना दुरुपयोग किया? इस प्रकार का विश्लेषण तुम्हारी आंखें खोल देगा।तुमको पता चलेगा कि तुम अपना कितना समय अकारण गंवा रहे हो।अब तुममें इस प्रकार की चेतना आ जाएगी,तो तुम स्वयं ऐसा मार्ग पकड़ लोगे जो,तुमको उन्नति की ओर ले जाएगा।
  • प्रतिदिन ऐसा करके देखिए।तब आपको पता चलेगा कि आपकी वर्तमान दशा इस प्रकार की क्यों है और आपके सपने पूरे क्यों नहीं हो रहे हैं।अपना अमूल्य समय हम किस प्रकार नष्ट कर रहे हैं।
  • समय रुकता नहीं है।वह बराबर चलता रहता है।जो समय हमारे सामने से गुजर जाता है,वह वापस नहीं आता और न ही हम उसको रोक सकते हैं।इस प्रकार मिनट,घंटे,दिन,सप्ताह,माह और वर्ष बीत जाते हैं और तब हम पाते हैं कि हमने अपने जीवन में कुछ भी नहीं किया है।केवल समय ही बर्बाद करते रहे और ढेर सारा समय बर्बाद कर चुके।

3.गलतियों से सीखें (Learn From Mistakes):

  • गलती इंसान से होती है।संसार में शायद ही कोई मनुष्य हो,जिससे कोई गलती न हुई हो।गलती होती है,पर उससे सबक सीखना जरूरी है।एक बार असावधानीवश आपसे कोई गलती हो जाए,तो आगे उसके प्रति सतर्क रहना आपका कर्त्तव्य है,इसी में आपकी उन्नति का रहस्य है।
  • आपके जीवन में किसी गलती के कारण कोई हानि हो जाती है,तो आपको उससे अवश्य सबक सीखना चाहिए।जो अपने जीवन के विद्यालय से कोई सबक नहीं सीखते,वे जीवन भर दुखी रहते हैं।
  • आप स्वयं देखें कि आप क्या गलती कर रहे हैं और दूसरों की गलतियों से भी सबक सीखें।जीवन का विद्यालय ही आपको सब कुछ सिखला सकता है।आप अपनी प्रगति की बाधाओं को हटा सकते हैं।
  • यह केवल एक मिथ्या धारणा है कि लोग जन्मजात गुणों के कारण किसी क्षेत्र में प्रगति करते हैं।ऐसी कोई बात नहीं है।प्रत्येक व्यक्ति की उन्नति इस बात पर निर्भर करती है कि वह कितना परिश्रमी है,वह कितनी लगन के साथ किसी कार्य को करता है।प्रत्येक मनुष्य में यह गुण उसके जीवनकाल में ही आता है।वह मनुष्य स्वयं को इस योग्य बना लेता है,जबकि दूसरे ऐसा नहीं कर पाते।दूसरे तभी इसे प्राप्त कर सकते हैं,जब वे भी इसी प्रकार करें।हम कहां हैं? कहां भटक रहे हैं,इस बात का हमें सदैव ख्याल रखना चाहिए।
  • दरअसल हम बुनियादी गलती भी करते हैं।हम किसी काम की ठीक शुरुआत ही नहीं करते हैं।हम पंख न होने के कारण उड़ तो नहीं सकते,पर हम अपने पैरों के कारण कूद-फांदकर ऊंचे तो चढ़ सकते हैं।इस उक्ति में सारा रहस्य है।प्रयत्न से मनुष्य क्या नहीं कर सकता है।जरूरत इस बात की है कि हमारी शुरुआत ठीक हो।जिस किसी मार्ग पर हम बढ़ना चाहते हैं,उसकी शुरुआत ठीक करें।यह हमारे जीवन के विद्यालय का पहला और सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है।

4.चाहे छोटे से कार्य से शुरुआत करें (Start with a Small Task):

  • देखा गया है कि जीवन में हर रोज और हर क्षण हम कई नई बातों का शुभारंभ करते हैं।बहुत से कार्यों की शुरुआत बड़ी छोटी होती है और वह हमारी दृष्टि में बड़ी तुच्छ और साधारण मालूम पड़ती है।सच्चाई तो यह है कि इनका जीवन में बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान होता है।हम अपने आस-पास के भौगोलिक दृश्य से इस बात को जान सकते हैं।प्रकृति का यह अपना सिद्धांत है।इस भौतिक जगत में प्रत्येक वस्तु अपने मूल रूप में हमेशा छोटी होती है।बड़ी से बड़ी नदी भी उद्गम स्थल पर पानी की एक पतली धारा होती है।इस पतली धारा को एक साधारण-सा बालक फांद सकता है।वर्षा की बूंदे प्रायः छोटी ही हुआ करती है।बड़े से बड़ा विशाल वटवृक्ष भी एक अत्यंत साधारण बीज से उत्पन्न होता है।एक छोटी-सी जलती तीली सारा गांव भस्म कर सकती है।
  • संसार के किसी भी क्षेत्र को देखिए।उसकी शुरुआत छोटे रूप में हुई है।सभी महानतम वस्तुओं का आरंभ अत्यंत छोटे रूप में हुआ है।एक सामान्य,साधारण-सी कल्पना ने ही बड़ा आविष्कार किया है।देखा गया है कि एक साधारण-सा वाक्य यदा-कदा इतिहास की धारा पलट देता है।पशुत्व का एक क्षण किसी भी मनुष्य से घोरतम पाप करा सकता है।एक छोटा-सा पवित्र विचार आदमी का जीवन ही बदल कर रख देता है,उसका कायाकल्प कर डालता है।
  • अतएव जीवन का विद्यालय तो बतलाता है कि उन्नति के लिए छोटी शुरुआत ही आवश्यक है।अपना हृदय विशाल रखें,पर इसकी शुरुआत छोटे रूप में करें।आवश्यकता केवल इस बात की है कि आपकी यह छोटी शुरुआत ठीक दिशा में हो।
  • उन्नति के लिए जीवन के विद्यालय से सबक लें और अपने कार्य की शुरुआत को समझें।मगर क्या वास्तव में आप जानते हैं कि कार्य की शुरुआत में क्या-क्या शामिल है? आप कैसी उन्नति करना चाहते हैं? किस क्षेत्र में उन्नति करना चाहते हैं? पहले आप इसका निर्णय करें।तब उस निर्णय के अनुसार छोटी शुरुआत करें।आपका लक्ष्य महान होना चाहिए।इस प्रकार धीरे व दृढ़संकल्प के साथ महान् लक्ष्य की ओर चलें।मन पर पूरा नियंत्रण रख छोटी शुरुआत करें।इस दिशा में किए गए अपने नित्य-प्रति के कार्य का आकलन करें।यह एक ऐसा नियम है,जो आपको निश्चित रूप से ही उन्नति की ओर ले जाएगा।
  • प्रत्येक कार्य की शुरुआत का कोई न कोई कारण अवश्य होता है।फिर उसका परिणाम भी अवश्य ही सामने आता है।हमारी प्रवृत्ति और हमारे क्रियाकलाप जिस प्रकार के होंगे,परिणाम का स्वरूप भी वैसा ही होगा।
  • इस सत्य को हमेशा याद रखिए की एक छोटी-सी शुरुआत भी सफलता की द्योतक होती है।प्रत्येक द्वार मनुष्य को आखिर कहीं-न-कहीं ले ही जाता है।इसी प्रकार प्रत्येक कार्य की एक साधारण सी शुरुआत भी अवश्य ही आपको कहीं-न-कहीं ले ही जाता है।मगर शुरुआत अच्छी होनी चाहिए।प्राथमिकताएं अच्छी और बुरी दोनों किस्म की होती है।उनका प्रभाव भी अपनी प्रकृति के अनुरुप होता है।मगर अच्छे विचारों के द्वारा आप बुरी शुरुआत से बच सकते हैं।आप सरलता के साथ अच्छे कामों को संपन्न कर सकते हैं।बुरे नतीजे से सुखद परिणाम का सुख प्राप्त कर सकते हैं।
  • प्रकृति की ओर देखें।प्रकृति हमें संदेश देती है कि हम उसके नियमों का आचरण कर स्वास्थ्य,सुख और प्रसन्नता को प्राप्त कर सकते हैं।सच्चाई तो यह है की प्रकृति हमें संघर्षरत रहने के लिए सुदृढ़ता प्रदान करती है।वह हमें कठिनाइयां सहन करने की सामर्थ्य प्रदान करती है।इस प्रकृति से प्रेरणा पाकर ही हम अपने महान उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते हैं।उन्नति के शिखर पर बैठ सकते हैं।

5.हमेशा क्रियाशील रहे (Always Be Active):

  • जब हम निष्ठावान व कर्मशील रहते हैं,तो हम आगे और ऊपर की ओर दृष्टि उठाए हुए प्रगति के पथ पर बढ़ते चले जाते हैं।परिश्रम स्वयं में एक महान गुण है।परिश्रम एक अध्यापक है।यह हमें इस दुनिया के विद्यालय में स्थापित कर देता है।क्रियाशील जीवन द्वारा ही हम उन्नति के रास्ते पर आगे बढ़ते हैं।क्रियात्मक जीवन से हमारी संकल्पशक्ति बढ़ती है।हमारा जीवन कर्मठ बनता है।
  • अपने जीवन के विद्यालय में आपने इस सत्य को महसूस किया होगा कि मनुष्य स्वभावतः सुस्त और आलसी होता है।मतलब हमारे लिए यह आवश्यक है कि इस अंतः प्रेरणा से काम करें।अपने मन के दुर्बल विचारों को झटक दें और स्वयं प्रेरित होकर आगे बढ़ें तथा अपना लक्ष्य प्राप्त करें।आलस्य हमारे मार्ग में सबसे बड़ी रुकावट है।इसको त्यागकर हम सृजनशील शक्ति प्राप्त करें।तभी हम जीवन में कुछ कर सकते हैं।
  • हमारा संकल्प दृढ़ होना चाहिए।यदि हमारा संकल्प दृढ़ होता है तो छोटी शुरुआत के बल पर ही अपनी उन्नति का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।
  • कई महान लोगों ने शुरुआत छोटे से कार्य से ही की थी।सवाल यह नहीं है कि कौन क्या करता था या किसने शुरुआत कहां से की? यहां तथ्य यह है कि महान् लोगों का क्योंकि संकल्प दृढ़ था,अतः छोटी-छोटी शुरुआत करके भी ये लोग महान बने।उन्होंने दुनिया को दिखा दिया कि इंसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता।
  • इस कारण शुरुआत क्या और कैसी है? इसका महत्त्व नहीं है।महत्त्व इस बात का है कि आपका लक्ष्य क्या है? अपना लक्ष्य सामने रखकर आप अपने जीवन की कुछ भी शुरुआत कर सकते हैं।
  • आपकी शुरुआत किस प्रकार हुई है? इसकी चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।अपनी शक्तियों और अपनी चित्त प्रवृत्तियों से अपने कार्य का शुभारंभ कीजिए।इस कार्य पर आपका पूरा नियंत्रण और अधिकार है।

6.जीवन सीखने का केंद्र का दृष्टांत (The Vision of Life Center of Learning):

  • एक शिक्षक थे।काफी समृद्ध और उदार प्रवृत्ति के थे।उन्होंने एक कोचिंग सेंटर खोला।विद्यार्थियों के दुखड़े सुनकर मोम की तरह पिघल जाते थे।उनकी इसी आदत के कारण काफी विद्यार्थियों ने लाभ उठाया।बिना फीस दिए ही कोचिंग में अध्ययन करके चले जाते थे।
  • उन्हें अपनी जेब से शिक्षकों को वेतन का भुगतान करना पड़ता था।विद्यार्थी लाभ उठाकर बाद में कभी पलटकर उन्हें सूरत भी नहीं दिखाते थे।इसी प्रकार उनकी जमा पूँजी खर्च हो गई,लेकिन इससे उन्होंने कभी सबक नहीं सीखा।मिलने-जुलने वाले जब उनका ध्यान आकर्षित करते तो सहजता से वह कह देते:अरे मेरा क्या मुकद्दर ले गया।
  • नतीजा यह हुआ कि उनकी सारी जमा पूंजी इसी उदारता की भेंट चढ़ गई और वह फुटपाथ पर आ गए।इस मौके पर जिन विद्यार्थियों ने भी बाद में देने का वादा किया था,उनके करीब भी आकर नहीं फटके।यदि वे शिक्षक (कोचिंग निदेशक) एकाधबार रकम डूबने से सबक ले लेते तो उन्हें यह दिन न देखना पड़ता।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में जीवन सीखने का केंद्र कैसे है? (How is Life Center of Learning?),जीवन सीखने की प्रयोगशाला कैसे है? (How is Life Laboratory of Learning?) के बारे में बताया गया है।

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7.सवालों के हल साफ लिखो (हास्य-व्यंग्य) (Write Answers of Questions Clearly) (Humour-Satire):

  • राजेश (टीचर से):सर आपने गणित की नोटबुक में घसीटकर क्या नोट डाला है?
  • टीचर:इतना भी नहीं समझ सकते हो? यही तो लिखा है कि सवालों के हल शुद्ध व समझने की भाषा में लिखा करो।

8.जीवन सीखने का केंद्र कैसे है? (Frequently Asked Questions Related to How is Life Center of Learning?),जीवन सीखने की प्रयोगशाला कैसे है? (How is Life Laboratory of Learning?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.प्रत्येक दिन की शुरुआत कैसे करें? (How to Start Each Day?):

उत्तर:आप अपना साधारण जीवन देखें कि आप अपना प्रत्येक दिन कैसे शुरू करते हैं? कितने बजे उठते हैं? अपने दैनिक कार्यों का प्रारंभ कैसे करते हैं? किस-किस प्रकार की मनोदशा से आप अपना कार्य प्रारंभ करते हैं? महत्त्वपूर्ण प्रश्नों का आपके पास क्या समाधान है? किस प्रकार का कौन-सा महत्त्वपूर्ण कार्य आप उस दिन करते हैं?
अगर आप अपने प्रत्येक दिन शुभारंभ ठीक विधि से करते हैं,तो इसका परिणाम सुखद और आनंददायक होगा।इस प्रकार प्रत्येक दिन से यह फल सम्मिलित रूप से आपको उन्नति की ओर ले जाएंगे।आप अपना लक्ष्य पा लेंगे।प्रत्येक दिन के सुंदर,सुखद और सरल भाव आपके लिए उन्नति के द्वार उन्मुक्त करते हैं।
आपका दिन का श्रीगणेश बड़े आनंदपूर्ण उत्साह भरे मन से होना चाहिए।आपके सारे दिन का सुख-दुःख इस बात पर निर्भर करता है कि आपके दिन की शुरुआत किस प्रकार होती है? आपने श्रीगणेश ठीक ढंग से किया है या गलत ढंग से? जब प्रत्येक दिन आप अपने कार्य का श्रीगणेश बुद्धिमत्तापूर्ण करेंगे,तो उसका परिणाम भी आनंददायक ही होगा।इस प्रकार एक सुखद सिलसिला बनता चला जाएगा।तब कुल मिलाकर आपका जीवन सफल और सुखद होगा।
सोकर उठने के बाद आप हाथ में मौजूद किसी विशिष्ट और महत्त्वपूर्ण कार्य के बारे में विचार करिए।तय करिए कि आज आपको क्या करना है?वास्तव में शयन से उठने के उपरांत इस प्रकार सोच-विचार के द्वारा सही और उपयोगी निर्णय लिया जा सकता है।यह एक सिद्धांत की बात है।
अगर आपको गणित की पुस्तक के सवालों को हल करना है तो पहले आप उसकी कल्पना करेंगे,उसकी योजना बनाएंगे और तब उसको हल करना शुरू करेंगे।पुस्तक की प्रश्नावली को हल करने की योजना बनाने से एक बात तो स्पष्ट रूप से आपके सामने आ जाती है कि आपका गणित हल करने का तरीका कैसा होगा? इसी प्रकार प्रातःकालीन चिंतन के द्वारा आपको पता चल सकता है कि आज आपको अपनी उन्नति की योजना का कौन-सा भाग कितना और कैसा बनाना है,उसका रूप क्या होगा? इस कारण प्रातःकाल विचार की गई एक ठीक शुरुआत आपकी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है।

प्रश्न:2.उन्नति करने के लिए क्या करें? (What to Do to Make Progress?):

उत्तर:आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने कार्य को नियमित रूप से और नियम से प्रारंभ करें। जब तक हम ऐसा नहीं करते हैं,तब तक हमारा कोई कार्य बन नहीं सकता है।जीवन के विद्यालय का यही एक सबक है।अगर आप करना चाहते हैं,तो पहले अपना सारा कार्यक्रम व्यवस्थित करें।नियम बनाएं और प्रत्येक दिन के कार्यक्रम की रूपरेखा बनाकर सुंदर ढंग से उसका कार्यान्वयन करें।यह अति आवश्यक है।इस प्रकार न केवल आपका अपना लक्ष्य पूरा होगा बल्कि आप मनचाही उन्नति प्राप्त कर सकेंगे।

प्रश्न:3.जीवन के विद्यालय में क्या भूल करते हैं? (What Do You Make Wrong in the School of Life?):

उत्तर:प्रायः ऐसा होता है कि हम बीत गए कल की त्रुटियों या पापों की ओर ध्यान देने लगते हैं।सवेरे उठने के साथ ही हमारे मन में ग्लानि व पश्चाताप उत्पन्न हो जाता है और हमें अपने आपसे घृणा होने लगती है।जो बीत गया,सो बीत गया।उस पर ध्यान मत दो।एक क्षण भी इस पर बर्बाद मत करो।सब कुछ एकदम भूल जाओ।बीते हुए कल की बातों पर इतना अधिक ध्यान देकर आप अपना नया दिन खराब कर लेते हैं।अच्छी तरह से दिन बिताने के स्थान पर शक्तिहीनता और असमर्थता से भर जाते हैं।कल जो बीत गया है,उसके कारण अपना आज का दिन तो खराब मत करो।आप आज का दिन ठीक प्रकार से व्यतीत करें।हां वह दुष्कर्म,वह पाप,वह गलती आप न दुहराने पायें,जिसके कारण आपको मानसिक क्लेश उत्पन्न होता है।इसका अवश्य ध्यान रखें कि बीत गए कल की गलतियां आज न हों।कोशिश यह कीजिए कि आपका आज का दिन बेहतर हो।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा जीवन सीखने का केंद्र कैसे है? (How is Life Center of Learning?),जीवन सीखने की प्रयोगशाला कैसे है? (How is Life Laboratory of Learning?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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