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4 Tips to Laugh of Maths Students

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1.गणित के छात्र-छात्राओं के लिए हँसने की 4 टिप्स (4 Tips to Laugh of Maths Students),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए मुस्कराने की 4 टिप्स (4 Tips to Simile for Mathematics Students):

  • गणित के छात्र-छात्राओं के लिए हँसने की 4 टिप्स (4 Tips to Laugh of Maths Students) न केवल दिल व दिमाग को तरोताजा करने में मदद करेंगी बल्कि स्वास्थ्य भी दुरुस्त रहेगा।शर्त यही है कि मुस्कराहट या हंसना तभी सार्थक है जबकि किसी की कमजोरी,किसी की खिल्ली उड़ाने,किसी को दुःखी करने वाला नहीं होना चाहिए।हास्य-व्यंग्य-विनोद तभी अच्छा और सार्थक होता है जब उससे दूसरे का तथा स्वयं का दिल खुश होता है।अतः कोई भी बात सोच-विचार कर कहनी चाहिए क्योंकि हंसी-हंसी में कही गई कोई बात दिल में ऐसी चुभ जाती है जो लड़ाई-झगड़ा या दंगे-फसाद का कारण बन जाती है।
  • गणित व विज्ञान के विद्यार्थी को अक्सर सवाल हल करने अथवा विज्ञान के टॉपिक को समझने के लिए गंभीर रहना होता है।जब सवाल या कोई प्रश्न हल नहीं होता है,समझ में नहीं आता है तो वे तनावग्रस्त हो जाते हैं।
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2.तनाव का कारण और उसका प्रभाव (Causes of Stress and Its Effect):

  • गणित के विद्यार्थियों के सामने जटिल और बहुत ही कठिन चुनौतियां व समस्याएं आती हैं तो वे डटकर उसका सामना करने के बजाय तनावग्रस्त हो जाते हैं।छात्र-छात्राएं जब गणित को ऐच्छिक विषय के रूप में लेते हैं तो उन्हें ठीक-ठीक अनुमान नहीं होता है कि गणित को हल करने की उनमें क्षमता कितनी है।ऐसी स्थिति में उनमें जूझने का साहस नहीं होता है तो घबरा जाते हैं,भयभीत हो जाते हैं और भाग खड़े होते हैं,तनावग्रस्त हो जाते हैं।
  • वस्तुतः हर विद्यार्थी में अपार सामर्थ्य एवं क्षमताएँ होती हैं परंतु जब वे अपनी सामर्थ्य व क्षमताओं से अनभिज्ञ बने रहते हैं,अपने आप पर विश्वास नहीं होता है तो तनाव पनपता है।
  • जिन विद्यार्थियों के पास गणित के सवालों को हल करने के तरीके होते हैं,समस्याओं का समाधान करना जानते हैं,चुनौतियों से जूझते हैं,यदि हल नहीं कर पाते हैं तो धैर्य रखते हैं और हल करने के नए-नए तरीके ढूंढते हैं तो वे तनावमुक्त रहते हैं।
  • महान गणितज्ञ और वैज्ञानिक जिन्होंने नए-नए आविष्कार किए हैं और हमारे लिए सुख-सुविधाओं का आविष्कार किया है,उन्होंने आविष्कार करने में अनेक कष्टों को सहन किया है,असहनीय पीड़ाओं को सहन किया है,अनेक जगह भटके हैं,दुर्गम जंगलों और पर्वतों की खाक छानी है परंतु वे कभी तनावग्रस्त नहीं रहे हैं।
  • छात्र-छात्राओं का अनावश्यक रूप से महत्त्वाकांक्षी बनते जाना,अकारण भयभीत रहना,अपने सामने कुकल्पनाओं का जाल-जंजाल बुन लेना और उसमें फंसकर संतुलत बिगाड़ लेना,दृष्टिकोण का घटियापन इत्यादि से तनावग्रस्त हो जाते हैं।
  • इसका तात्पर्य यह नहीं है कि छात्र-छात्राओं के लिए तनाव की उपयोगिता नहीं है।थोड़ा सा तनाव भी होना जरूरी है।तनाव से ग्रस्त होने पर हम अपनी पूरी सामर्थ्य,क्षमता के साथ चुनौती का सामना करते हैं।छात्र-छात्राओं के लिए यह चुनौती सवालों का हल न कर पाना,कोई गणित थ्योरी को समझ न पाना,कम समय में अधिक पाठ्यक्रम को पढ़ना,प्रश्नों का हल ढूंढ न पाना,विज्ञान की थ्योरी समझ न पाना इत्यादि कोई भी हो सकती है।जब हम पूरी क्षमता व सामर्थ्य के साथ चुनौती से जूझते हैं तो कोई न कोई रास्ता खोज लेते हैं और सफल होते हैं।
  • परंतु तनाव की अधिकता के कारण हमारा स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।तनाव के कारण अनिद्रा का रोग हो जाता है अथवा हम तुनक मिजाज वाले बन जाते हैं।निराश,हताश व उदास हो जाते हैं।कई विद्यार्थी तनाव से छुटकारा पाने के लिए शराब और मादक द्रव्यों का सेवन करने लगते हैं।अधिकांश विद्यार्थी चाय या काॅफी का सेवन करने लग जाते हैं।छात्र-छात्राओं का आत्मविश्वास जवाब दे जाता है तो वे नकल करने,पेपर आउट करने एवं नम्बर बढ़वाने की तिकड़मों पर विचार करने लग जाते हैं।फलतः वे लक्ष्य से भ्रष्ट हो जाते हैं।वस्तुतः तनाव से छुटकारा पाना है तो इसका उपाय हैःहंसना या मुस्कराना।

3.मुस्कराने का अभ्यास करें (Practice Smiling):

  • मुस्कराने से मुंह पर छाई उदासी दूर हो जाती है और मुख की मांसपेशियों में ढीलापन आ जाता है जिससे हम तनावमुक्त महसूस करते हैं।उदास,हताश व निराश होने पर लोग हमसे दूर-दूर रहने लगते हैं जबकि मुस्कराती हुई शक्ल लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
  • मुस्कराने के लिए आपको कोई धन खर्च नहीं करना पड़ता है और मुस्कान इतनी लचीली चीज है कि वह सभी आकार के होठों पर फिट हो जाती है। महान व्यक्तियों के होठों पर मुस्कान सदैव खेला करती हैं,कभी भी कितनी भी विकट परिस्थितियों में विचलित नहीं होते हैं।
  • तनाव में हम न तो कोई समस्या हल कर पाते हैं और हमारा चेहरा भी कुरूप हो जाता है।आप मुस्कुराते हुए किसी से बातचीत करेंगे तो सामने वाला कितना ही तनावग्रस्त हो,उसको भी आप तनावमुक्त कर देंगे।
  • यदि आपका जॉब ऐसा है कि जहां लोगों से बहुत अधिक संपर्क (public dealing) होता है तो आपको मुस्कराने का अभ्यास कर लेना चाहिए अन्यथा ऐसा जाॅब ही नहीं करना चाहिए।
  • मुस्कान हमारे चेहरे की शोभा बढ़ा देती है और कुरूप को दीप्ति प्रदान करती है।यदि ऐसा न होता तो हम परस्पर अभिवादन करते समय मुस्कराने की शिष्टता को आवश्यक अंग क्यों स्वीकार करते?
  • साक्षात्कार के समय अपने होठों पर मुस्कान रखने का प्रयत्न प्रत्याशी केवल इसलिए करते हैं कि वे तनावमुक्त रहें तथा उनका आत्मविश्वास बना रहे और वह अजनबी व्यक्तियों के मध्य आत्मीयता का अनुभव कर सकें।
  • मुस्कराहट वास्तव में हमारे बंधनों को खोलकर दिल और दिमाग की जकड़न को ढीला कर देती है।जब भी संभव हो मुस्कराओ,यह एक सस्ती दवा है।यह मानव जीवन का उज्जवल पक्ष है।मानव ही ऐसा प्राणी है जिसको हंसने का वरदान प्राप्त है।मुस्कराना मानवता की पहचान है और साथ ही इंसानियत का तकाजा है।
  • मुस्कराहट से हम स्वस्थ रहते हैं।लेकिन मुस्करा वही सकता है जो आंतरिक रूप से प्रसन्न है।प्रसन्नता सदैव होठों पर प्रातः कालीन सुनहरी किरणों के समान मुस्कराहट बिखेरे रहती है।इसी कारण हंसी जीवन का शुभ प्रभात है,शीतकाल की मधुर गुनगुनी धूप है,भयंकर गर्मी के दिनों में तपती दोपहरी में शीतल-सघन छाया है।हंसी चेहरे का अलौकिक अलंकार है।यह आनंद की रिमझिम बरसती फुहार है,जो केवल आनन्द बरसाती है।
  • मुस्कराहट तनाव,निराशा,अवसाद एवं अन्य अनेक दुःखों की संजीवनी बूटी हैं,मुस्कराहट के पास से ये बुलबुलों के समान तिरोहित हो जाते हैं।
  • अन्दर से जब हम आनंदित और प्रसन्न होते हैं तो होठों पर सहज रूप से मुस्कराहट तैरने लगती है परंतु जब यह प्रसन्नता ओर भी उद्वेलित करती है तो मुस्कराहट खिलखिलाहटों में बदल जाती है।यह सुनिश्चित तथ्य है कि यदि अंतर में विषाद,अवसाद पसरा है तो चेहरे पर अमावस्या की काली घटाएं घुमड़ने लगती है परंतु जब हर्ष,पुलकन पुलकित होती है मुस्कराहट की आभा फैल जाती है।उस समय शरीर का रंग कैसा भी क्यों न हो,उस चेहरे पर मुस्कराहट सदा ही सौन्दर्य की चमक चमकाए रहती है।
  • मुस्कराहट और तनाव का मेल नहीं है,दोनों का मिलन संभव नहीं है।सदैव दोनों में से एक का ही अस्तित्व रहता है।

4.हँसने के लाभ (Benefits of Laughing):

  • गणित के छात्र-छात्राओं को यदि जटिल से जटिल समस्याओं को सुलझाना है तो उन्हें आंतरिक रूप से प्रसन्न और चेहरे पर मुस्कराहट रखनी चाहिए।उन्हें सवालों और समस्याओं को हल करने के लिए ऊर्जा मिलेगी।इससे आप न केवल गणित और विज्ञान विषयों का सहजता से अध्ययन कर सकते हैं बल्कि कई रोगों से मुक्त होते हैं।छोटे-छोटे रोग तो केवल खिलखिलाकर हंसने मात्र से दूर हो जाते हैं।
  • हास्य से छात्र-छात्राओं को अध्ययन करने के लिए नई स्फूर्ति मिलती है एवं चेतना का विकास होता है।हास्य से गणित के सवालों को हल करने के नए रास्ते सूझते हैं और इससे आपका जीवन उल्लास व उमंग से भर जाता है।यह आपके भविष्य के स्वर्णिम द्वार की चाबी है।हंसने से आपके मस्तिष्क का विकास तीव्रता से होता है जिससे गणित को अधिक कुशलता से हल कर सकते हैं।हँसने से मस्तिष्क क्रियाशील हो जाता है जिससे छात्र-छात्राओं को तनाव से राहत मिलती है।
  • हंसने से पेट के सभी अंगों,फेफड़ों और कमर की मांसपेशियों का व्यायाम होता है।इतने अंगों का एक साथ व्यायाम किसी भी विधि से नहीं हो पाता है,केवल हंसने से होता है।यही वजह है कि हंसी को ‘इंटरनल जाॅगिंग’ के नाम से जाना जाता है।
  • खिलखिलाकर हंसने से फेशियल मसल्स की टोनिंग होती है और इसके एक्सप्रेशन (अभिव्यक्ति) में भी सुधार होता है।यह त्वचा को भी पोषण प्रदान करता है।परीक्षण के परिणाम बताते हैं कि अरसों से मुरझाया चेहरा हंसी के निरंतर अभ्यास से खिल उठता है।
  • हंसी हमारी मानसिक एवं भावनात्मक क्षमता में वृद्धि करती है।भूलने वाली प्रवृत्तियों से भी यह मुक्ति दिलाती है क्योंकि इससे स्मरणशक्ति में वृद्धि होती देखी गई है।
  • हंसने से होने वाले प्रभाव को जानने के लिए अध्ययन किया तो पाया गया कि जो व्यक्ति कम से कम आधा घंटा कोई न कोई हास्य धारावाहिक देखता रहा है तो उनमें तनाव पैदा करने वाले हार्मोन कार्टिसोल का स्तर दो महीने में ही कम हो गया और चार महीनों में तो उन विषाक्त तत्त्वों का स्तर भी कम हो गया,जो धमनियों के सख्त पड़ने तथा अन्य हृदय संबंधी रोगों के लिए उत्तरदायी थे।इस परीक्षण से ज्ञात हुआ कि खुलकर हंसने से हृदय संबंधी रोग दूर होते हैं।
  • एक अध्ययन में दर्शाया गया है कि चुटकुलों पर हँसने वाले रोगियों को उन रोगियों की तुलना में कम दर्द हुआ,जिन्हें उपचार के भाग के रूप में हँसी की खुराक दी गई।
  • एक अन्य अध्ययन में बताया गया है कि हँसना चाहे किसी भी विधि से क्यों न हो,मानसिक दबाव और अवसाद को कम करता है।मानसिक दबाव व अवसाद से रक्तवाहिनियों की दीवारों की आंतरिक परत एंडोथीलियम में गड़बड़ी पैदा हो जाती है और इस गड़बड़ी की वजह से कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ती है और वसा का जमाव भी अधिक होता है,जो दिल के दौरे का कारण बनती है।हँसने से एंडोथीलियम की स्थिति में सुधार होता है।
  • हँसना एक सकारात्मक सोच है,एक रचनात्मक क्रिया है,जिसमें जीवन का उल्लास,उमंग एवं प्रसन्नता छिपी रहती है।हँसना ठीक है,पर ध्यान रहे कि किसी की कमजोरी पर नहीं हँसना चाहिए,किसी पीड़ित इंसान की पीड़ा पर नहीं हँसना चाहिए।हँसना आन्तरिक प्रसन्नता की निशानी है जो व्यक्ति मानसिक एवं भावनात्मक रूप से जितना अधिक स्वस्थ होता है,उसकी हँसी उतनी ही निश्छल और निर्मल होती है।ऐसी हँसी समूचे परिवार (समूह) को खिलखिलाहट से भर देती है,स्वयं एवं औरों में उल्लास का सुनहला रंग घोल देती है।
  • जिन्हें स्वस्थ,निरोग,प्रशन्न रहना है एवं विकास की सीढ़ियों को पार करना है,उन्हें हँसी को अपने जीवन का अविभाज्य अंग बना लेना चाहिए।

5.हँसने का दृष्टान्त (The Parable of Laughing):

  • एक नगर में गणित का एक विद्यार्थी था।अक्सर विद्यालय में जब भी कोई जयंती,उत्सव,समारोह या वार्षिकोत्सव होता था तो वह अपना हास्य कार्यक्रम प्रस्तुत करता था।उसके हास्य कार्यक्रम के समय सभी छात्र-छात्राएं,अध्यापक,प्राचार्य एवं श्रोतागण लोटपोट हो जाते थे।वह सभी लोगों को हंसाकर प्रसन्न करता था।
  • एक दिन वह एक मनोचिकित्सक के पास गया और उसने कहा कि मेरे माता-पिता के पास धन-संपत्ति पर्याप्त है,कोई कमी नहीं है,रहने,खाने-पीने की अच्छी सुविधा इत्यादि सब कुछ है।परंतु मेरा मन शान्त और स्वस्थ नहीं है,इसलिए मुझे बताइए कि इसके लिए मुझे क्या करना चाहिए?
  • मनो-चिकित्सक ने कहा कि इस नगर के अमुक विद्यालय में एक उत्कृष्ट हास्य कलाकार (छात्र) है।वह अक्सर अपने विद्यालय में हास्य कार्यक्रम प्रस्तुत करता रहता है,बहुत सुंदर कार्यक्रम प्रस्तुत करता है।उसके कार्यक्रम में तुम्हें जाना चाहिए।वहाँ तुमको शांति और प्रसन्नता मिलेगी।तुम्हारा रोम-रोम खिलखिलाहट से भर जाएगा।
  • उस विद्यार्थी ने कहा कि विद्यालय में छात्र-छात्राओं,अध्यापकों व लोगों को अक्सर हास्य कार्यक्रम में हंसाकर मनोरंजन करने वाला छात्र मैं स्वयं ही हूं।मुझे मनः शांति नहीं है इसीलिए आपके पास आया हूं।
  • कहने का तात्पर्य यह है कि मानसिक शांति तथा प्रसन्नता बाहर से मिलने वाली वस्तु नहीं है।वह अंदर से व्यक्त होती है।बाहर से कोई पागलों के समान कितना ही हंसता रहे परंतु उसे मानसिक शांति नहीं मिल सकती है।
  • जो अंदर से प्रसन्न और शांत है उनके बिना कारण ही चेहरे पर मुस्कराहट सदैव बिखरी रहती है।संकट के समय,कोई सवाल हल नहीं हो रहे हो,प्रश्न समझ में नहीं आ रहा हो,परीक्षा प्रश्न-पत्र कितना ही कठिन हो इत्यादि में भी वह मुस्कराहट गायब नहीं होती है।महाभारत के भीषणतम संघर्ष के बीच में भी भगवान श्रीकृष्ण के होठों पर सदा मुस्कराहट बिखरी रहती थी,उन्हें कभी विषादग्रस्त नहीं देखा गया।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित के छात्र-छात्राओं के लिए हँसने की 4 टिप्स (4 Tips to Laugh of Maths Students),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए मुस्कराने की 4 टिप्स (4 Tips to Simile for Mathematics Students) के बारे में बताया गया है।

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6.ट्यूटर की सफलता का राज (हास्य-व्यंग्य) (The Secret of a Tutor’s Success) (Humour-Satire):

  • रवि:शुभम तुम गणित के एक सफल शिक्षक हो।तुम्हारे पास ट्यूशन के छात्र-छात्राओं की कोई कमी नहीं रहती है।हमेशा ट्यूशन में व्यस्त रहते हो।तुम्हारी सफलता का राज क्या है?
  • शुभम (ट्यूटर):मैं घर-घर संपर्क करता हूं।किसी भी घर के दरवाजे पर दस्तक देता हूं तो अंदर से कोई भी महिला (किसी भी उम्र की) निकले,मैं उससे यही कहता हूं कि मिस आपकी मम्मी घर में है क्या?

7.गणित के छात्र-छात्राओं के लिए हँसने की 4 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 4 Tips to Laugh of Maths Students),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए मुस्कराने की 4 टिप्स (4 Tips to Simile for Mathematics Students) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.हास्य से क्या तात्पर्य है? (What Do You Mean By Humor?):

उत्तर:तन और मन के लिए हास्य एक बेहतरीन टॉनिक है परंतु हास्य की परिभाषा देना बहुत कठिन है।कुरूपता,अशुद्धता,भ्रष्टता तथा दोषपूर्ण व्यवहार द्वारा ही हास्य प्रकट होता है।आप अपने सारे दुःखों,सारे कटु अनुभवों,सारी उलझनों को हास्य के अथाह सागर में डुबोकर जी का भार हल्का कर सकते हैं।

प्रश्न:2.प्रसन्नता से क्या तात्पर्य है? (What Do You Mean by Happiness?):

उत्तर:प्रसन्न हृदय मनुष्य वह सूर्य है जिसकी किरणें अनेकों हृदयों के शोकरूपी अंधकार को दूर भगा देती है।प्रसन्नता तो चंदन है,दूसरे के सिर पर लगाइए तो आपकी उंगलियां अपने आप महक उठेंगी।चिन्तक मार्क्स ओरेलियस के अनुसार प्रसन्नता और शोक वास्तव में मन की स्थितियां हैं और मन को वश में रखना अपने हाथ में है।

प्रश्न:3.भ्रांति क्यों पैदा होती है? (Why Does Confusion Arise?):

उत्तर:मानवीय मन सदा सकारात्मक और सुखद वातावरण में रहना चाहता है; ऐश्वर्य और भोग के बीच जीना चाहता है।ऐसा जीवन ठहर-सा जाता है,व्यक्तित्त्व निर्बल हो जाता है और अपनी दुर्बलता की भ्रांति पनपती है।दरअसल भ्रांति तभी होती है,जब हम अपनी क्षमताओं से अनभिज्ञ रहते हैं और नई परिस्थितियों की नई भाषा को समझने में अक्षम होते हैं।भ्रांति का मुख्य कारण यही है।भ्रांति होते ही तनाव पनपता है और परिस्थितियां अपने बीच के सामंजस्य को खो बैठती है।यह तनाव एक आम आदमी का रूप है परंतु ठीक विपरीतता से जूझना एवं उसमें नई कुशलता प्राप्त करना एक जांबाज शूरवीर एवं अदम्य साहसी का कार्य है।साहसी बनना ही जीवन की सामान्य परिस्थितियों को जीना छोड़ चुनौतियों से टक्कर लेना है।मानें की परिस्थितियां चाहे वे कितनी भी विपरीत क्यों न हो,एक दिन सौभाग्य का सूर्योदय होगा ही और उस रोशनी में हम जीत की खुशी मनाएंगे अवश्य।यदि हम जीवन में भ्रांति को मिटाकर तनाव के बीच तनावमुक्त जीवन जीना चाहते हैं तो हमें अपनी निजी क्षमता पर विश्वास करना चाहिए और परिस्थिति की मांग एवं चुनौती को ठीक-ठीक समझना चाहिए।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित के छात्र-छात्राओं के लिए हँसने की 4 टिप्स (4 Tips to Laugh of Maths Students),गणित के छात्र-छात्राओं के लिए मुस्कराने की 4 टिप्स (4 Tips to Simile for Mathematics Students) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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