Menu

How to self control our mind in hindi

1.अपने मन को कैसे नियंत्रित करें? का परिचय (Introduction to How to self control our mind in hindi),आत्म-नियंत्रण (भाग-3) (Self-control (part-3) in hindi):

  • अपने मन को कैसे नियंत्रित करें? (How to self control our mind in hindi),आत्म-नियंत्रण (भाग-3) (Self-control (part-3) in hindi):मन को नियन्त्रित करना सबसे कठिन कार्य है।जो मन को एकाग्र कर लेता है वह जग जीत लेता है।मन को खुला छोड़ने पर यह खुले सांड की तरह इधर-उधर भागता है।जब यह अनियन्त्रित होकर इधर-उधर भागता है तो व्यक्ति पतन के मार्ग की ओर अग्रसर हो जाता है।
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस Video को शेयर करें। यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि वीडियो पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं। इस वीडियो को पूरा देखें।


via https://youtu.be/l74hYfayeFs

2.अपने मन को कैसे नियंत्रित करें? (How to self control our mind in hindi),आत्म-नियंत्रण (भाग-3) (Self-control (part-3) in hindi):

  • निग्रह का अर्थ है वश में करना।मन चंचल है तथा इसकी गति अति तीव्र है।इसको वश में करना बहुत कठिन है।हम मन को एकाग्र करने की कोशिश करते हैं परन्तु मन बहुत बलवान और दृढ़ है।इसलिए बार-बार भटकता है।पातंजल योग सूत्र में बताया गया है किः
  • “योगश्चित्तवृत्ति निरोधः”
  • अर्थात् चित्तवृत्ति का निरोध योग है।अतः मन के निग्रह (वश में करना) के बिना योग साधना संभव नहीं है।मन के निग्रह (वश में करने) के लिए पातंजल योग सूत्र की तरह ही श्रीमद्भगवत गीता में कहा गया है कि “हे अर्जुन इसमें संदेह नहीं है कि मन चंचल है और कठिनता से वश में आने वाला है परंतु अभ्यास और वैराग्य से उसे वश में किया जा सकता है”।
  • मन को एकाग्र करने के लिए आजकल योग दुनियाभर में लोकप्रिय हो रहा है तथा 21 जून को भारत के अथक प्रयासों से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रुप में मनाया जाता है जो कि एक बहुत अच्छी पहल है।परंतु योग के नाम पर कई ऐसे केंद्र खोले गए हैं जो मन की एकाग्रता,ध्यान,साधना तथा योग शिक्षा प्रदान करने का दावा करते हैं या फिर केवल आसनों का अभ्यास कराते हैं परंतु योग साधना मन को वश में किए बिना नहीं हो सकती।मन का निग्रह,मन के विकारों से मुक्त हुए बिना नहीं हो सकता है।
  • मन विकार रहित तब होता है जब कोई भी कार्य अच्छी नीयत से किया जाए।झूठ नहीं बोला जाए।अक्सर देखा जाता है कि लोगबाग अनावश्यक रूप से छोटी-छोटी बातों में झूठ बोल देते हैं जबकि सत्य बोलने से मन पवित्र और विकार रहित होता है।सत्य वही है जिसमें छल-कपट न हो और किसी भी व्यक्ति का अहित करने की दुर्भावना न हो।
  • माता-पिता बच्चों को गलती पर दण्ड देते हैं तो उसके पीछे दुर्भावना नहीं होती है।
  • नीति में कहा है कि “आगे देखभाल कर कदम रखना चाहिए।कपड़े से छानकर जल पीना चाहिए।सत्य से पवित्र करके वचन बोलना चाहिए तथा मन को पवित्र करके आचरण करना चाहिए”।तात्पर्य यही है कि मन में पवित्र भावना से किया गया कोई कार्य गलत भी हो तो व्यक्ति को उसका दोष नहीं लगता है।
  • वेदों में भी यही कामना की गई है कि “तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु” अर्थात् मेरा मन शुभ और कल्याणकारी हो।
  • परंतु ऐसा सत्य नहीं बोलना चाहिए जिसमें दूसरों का दिल दुखी हो,दूसरों को चोट पहुंचती हो तथा दूसरे का नुकसान होता है।ऐसी परिस्थिति में असत्य बोलने पर भी वह असत्य क्षमा योग्य है।वह सत्य नहीं होता जो छल-कपट के लिए झूठ बोला जाता है।पवित्र मन से परोपकार व लोकहित के लिए किया गया कार्य यदि उसमें कुछ गलती हो जाती है तो वह क्षमा योग्य है।शुद्ध अन्तःकरण तथा मन से कर्म करने पर आचरण शुद्ध होता है।
  • मनुस्मृति में कहा गया है कि “दृष्टि को शुद्ध करके पाँव रखना चाहिए,वस्त्र से शुद्ध करके जल पीना चाहिए,मन को शुद्ध करके आचरण करना चाहिए।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में अपने मन को कैसे नियंत्रित करें? (How to self control our mind in hindi),आत्म-नियंत्रण (भाग-3) (Self-control (part-3) in hindi) के बारे में बताया गया है।
No. Social Media Url
1. Facebook click here
2. you tube click here
3. Instagram click here
4. Linkedin click here
5. Facebook Page click here
6. Twitter click here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *