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Award to Indian origin’s mathematicians

1.भारतीय मूल के गणितज्ञों को पुरस्कार का परिचय(Introduction to Award to Indian origin’s mathematicians):

  • भारतीय मूल के गणितज्ञों   को पुरस्कार ( Award to Indian origin’s mathematicians) , इनमें एक है प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफेसर मंजुल भार्गव जिन्हें 2014 में फील्ड्स मेडल मिल चुका है तथा दूसरे न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी करेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमेटिकल साइंसेज में कम्प्यूटर साइंस विभाग में प्रोफेसर सुभाष खोट जिन्हें 2014 में राॅल्फ नेवानलिन्ना पुरस्कार मिल चुका है।इसके अतिरिक्त 2018 में भारतीय मूल के गणितज्ञ अक्षय वेंकटेश को फील्ड्स मेडल मिल चुका है जिसके बारे में हम आर्टिकल लिख चुके हैं।
  • उपर्युक्त भारतीय मूल के गणितज्ञों को पुरस्कार (Award to Indian origin’s mathematicians) के बारे में परिचय कराने से पहले हम गणित में नोबेल पुरस्कार क्यों नहीं दिया जाता है तथा फील्ड्स मेडल व एबेल पुरस्कार के बारे में बताएंगे। हालांकि फील्ड्स मेडल और एबेल पुरस्कार के बारे हम पूर्व में विस्तृत आर्टिकल लिख चुके हैं तथा गणित में नोबेल क्यों नहीं दिया जाता है, इसके बारे में भी उसी आर्टिकल में बताया जा चुका है। परन्तु प्रसंगवश हम संक्षिप्त में इस आर्टिकल में भी बताएंगे जिससे नए व्यूअर को भी जानकारी हो सकेगी।
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2.गणित में नोबेल पुरस्कार न देने के कारण (Reasons for not giving Nobel Prize in Mathematics)-

  • गणित के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार नहीं मिलता है।डाइनामाइट के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल के नाम से नोबेल पुरस्कार भौतिकी, रसायनशास्त्र, चिकित्सा, साहित्य और शांति के क्षेत्र में दिया जाता है परन्तु गणित के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार नहीं दिया जाता है। गणित के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार न देने के कई कारण माने जाते हैं।
  • प्रथम कारण यह माना जाता है कि अल्फ्रेड नोबेल स्वयं भौतिकी और रसायनशास्त्र के लिए काम करते थे। साहित्य में उनकी रुचि थी तथा चिकित्सा को लेकर भी उनके अपने विचार थे। गणित को लेकर नोबेल का मानना था कि यह विषय ज्यादा रुचिकर नहीं है और गणित विषय के द्वारा लोगों को ज्यादा लाभ नहीं पहुंचाया जा सकता है।
  • दूसरा कारण यह माना जाता है कि स्वीडन और नार्वे के राजा आस्कर द्वितीय खुद एक गणितज्ञ थे।आस्कर द्वितीय ने एग्जिस्टिंग मैथ पुरस्कार की घोषणा की थी। गणित के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कार की घोषणा करने के बाद नोबेल को लगा कि अगर इस विषय पर पुरस्कार शुरू करूं तो यह पुराने का काॅपी माना जाएगा।
  • तीसरा कारण यह माना जाता है कि अल्फ्रेड नोबेल और किंग आस्कर द्वितीय के बीच आपस में मन-मुटाव था।यदि गणित के क्षेत्र में नोबेल प्राइज की घोषणा की जाती तो अल्फ्रेड नोबेल को लगता था कि यह पुरस्कार किंग आस्कर द्वितीय को दिया जाता है तो वह इसका फायदा उठाएंगे।

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3.फील्ड्स मेडल (Fields medal)-

  • फील्ड्स मेडल गणित में नए अनुसंधान के लिए दिया जाता है जो गणित के क्षेत्र में सबसे बड़ा पुरस्कार है।जिसे ‘गणित के नोबेल पुरस्कार’ के रूप में जाना जाता है.
  • गणित के क्षेत्र में द फील्ड्स मेडल,द एबेल प्राइज और द चरण मेडल अवार्ड दिया जाता है जो कि गणित के क्षेत्र में सबसे बड़े अवार्ड हैं।यो फुटकर रूप में ओर भी अनेक पुरस्कार गणित के क्षेत्र में दिए जाते हैं।
  • फील्ड्स मेडल हर चार साल पर आयोजित होने वाले ” इंटरनेशनल कांग्रेस आफ मैथेमेटिशियंस ” में ज्यादा से ज्यादा चार गणितज्ञों को दिया जाता है जिनका योगदान गणित के क्षेत्र में अतुलनीय हो और जिनकी उम्र 40 साल से कम हो।
  • फील्ड्स मेडल कनाडा के महान् गणितज्ञ जाॅन चार्ल्स फील्ड्स के सम्मान में शुरू किया गया था।पहली बार यह पुरस्कार 1936 में फिनलैंड के गणितज्ञ लार्स अह्ल्फोर्स तथा अमेरिकी गणितज्ञ जेसे डगलस को दिया गया।

4.एबेल प्राइज (Abel prize)-

  • अल्फ्रेड नोबेल ने स्वीडन तथा नार्वे के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों के साथ विचार-विमर्श करके 1895 में नोबेल पुरस्कार की घोषणा की। नोबेल पुरस्कार में गणित विषय को शामिल नहीं किया गया।इस कमी को पूरा करने के लिए गणितज्ञ सोफुस ली ने 1899 में नार्वे के राजा के सामने स्वीडन और नार्वे के गणितज्ञों के साथ विचार-विमर्श करके महान् गणितज्ञ निएल्स हेनरिक आबेल के नाम पर गणित में एक बड़े पुरस्कार को शुरू करने का प्रस्ताव रखा।
  • 1902 में किंग आस्कर द्वितीय की सहमति के बाद प्रत्येक वर्ष एक या कभी-कभी एक से अधिक लोगों को यह पुरस्कार दिया जाता है। पुरस्कार की राशि लगभग 5 करोड़ 46 लाख रुपए नार्वे सरकार द्वारा दी जाती है।यह पुरस्कार नार्वे की यूनिवर्सिटी ऑफ ओस्लो परिसर में प्रदान किया जाता है।

5.भारतीय मूल के गणितज्ञों को पुरस्कार (Award to Indian origin’s mathematicians)-

  • 2014 में पहली बार भारतीय मूल के गणितज्ञ मंजुल भार्गव को फील्ड्स मेडल ज्यामितीय संख्या में नयी पद्धति को विकसित करने के लिए दिया गया।1974 में कनाडा में जन्में मंजुल भार्गव अमेरिका में पले-बढ़े और भारत में भी समय गुजारा है। उन्होंने 2001 में प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और 2003 में प्रोफेसर बने।इस उपलब्धि के बाद मंजुल भार्गव को भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
  • सुभाष खोट को नेवानलिन्ना पुरस्कार 2014 में यूनिक गेम्स की समस्याओं को परिभाषित करने,इसकी जटिलताओं को समझने और इस समस्या का सबसे सटीक हल ढूंढने के लिए प्रदान किया गया।
    सोल में आयोजित इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ मैथेमेटिक्स में इंटरनेशनल मैथमेटिकल यूनियन ने मंजुल भार्गव को फील्ड मेडल और सुभाष खोट को रॉल्फ नेवानलिन्ना पुरस्कार से सम्मानित किया है.
  • चैन्नई में जन्में भारतीय मूल के गणितज्ञ एस.आर.श्रीनिवास वर्धन को 2007 में आबेल प्राइज से सम्मानित किया गया।इसके बाद 2008 में भारत सरकार ने श्रीनिवास वर्धन को पद्म भूषण से सम्मानित किया।
  • इस प्रकार भारतीय मूल के गणितज्ञों को पुरस्कार (Award to Indian origin’s mathematicians) मिलने से यह स्पष्ट है कि भारतीय युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है।कमी है तो भारतीय प्रतिभाओं को तराशने की।
    2018 में भारतीय मूल के गणितज्ञ अक्षय वेंकटेश को फील्ड्स मेडल से सम्मानित किया गया।अक्षय वेंकटेश द्वारा रिसर्च की गई नम्बर्स थ्योरी ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया।
  • स्पष्ट है कि भारतीय मूल के गणितज्ञों को पुरस्कार (Award to Indian origin’s mathematicians) मिला है और उन्होंने जिन मूल मंत्रों का उपयोग अपनी प्रतिभा को तराशने में किया है।उसी तरह भारतीय प्रतिभाओं को फील्ड्स मेडल व एबेल प्राइज के लिए तैयार किया जाए।
  • भारतीय युवाओं को फील्ड्स मेडल व एबेल प्राइज के केवल सपने ही नहीं दिखाए जाए बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस रणनीति अमल में लाई जाए। अर्थात् उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए बचपन से ही प्रयास किया जाए। बालकों में गणित के प्रति लगन,उत्साह और कठिन परिश्रम करने का मूलमंत्र सीखाया जाए।
  • भारतीय मूल के गणितज्ञों को पुरस्कार ( Award to Indian origin’s mathematicians)से हम कई बातें सीख सकते हैं।पहली बात भारतीय प्रतिभाओं को साधन-सुविधा उपलब्ध करायी जाए जिससे प्रतिभा पलायन को रोका जा सके। प्रतिभाओं का उपयोग भारत के विकास में किया जा सके।
  • भारतीय मूल के गणितज्ञों को पुरस्कार (Award to Indian origin’s mathematicians) से दूसरी बात यह सीख सकते हैं कि भारतीय प्रतिभाओं का उचित सम्मान किया जाए जिससे वे भारत में रहकर भारत के विकास में योगदान दे सकें।
    भारतीय मूल के गणितज्ञों को पुरस्कार ( Award to Indian origin’s mathematicians) से तीसरी बात यह सीख सकते हैं कि कुछ प्रतिभाओं को पुरस्कार प्राप्त कराकर ही संतोष नहीं कर लिया जाए बल्कि हर प्रांत,शहर,गांव में छिपी हुई प्रतिभाओं को निखारने की व्यवस्था की जाए जिससे भारत का गौरव विश्व पटल पर छा जाए।
  • भारतीय मूल के गणितज्ञों को पुरस्कार ( Award to Indian origin’s mathematicians) का रहस्य जान समझकर उसे अमल में लाया जाए।

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