10 Tonics for Progress in Mathematics
1.गणित में प्रगति के लिए 10 टाॅनिक (10 Tonics for Progress in Mathematics),छात्र-छात्राओं की गणित में प्रगति के लिए 10 टाॅनिक (10 Tonics for Students’ Progress in Mathematics):
- गणित में प्रगति के लिए 10 टाॅनिक (10 Tonics for Progress in Mathematics) से तात्पर्य है कि ये टॉनिक आपको गणित में प्रगति के लिए दृढ़ता प्रदान करेंगे।इनमें से किसके किस तरह के टॉनिक का अभाव है और वे उन्हें कैसे पा सकते हैं? इस समझ के साथ ही गणित पर पकड़ मजबूत होना शुरू हो जाती है।
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2.प्रगति के लिए टॉनिक का परिचय (Introduction to Tonic for Progress):
- हर विद्यार्थी के सपनों का संसार प्रगति,विकास,उन्नति एवं अच्छा जाॅब तथा वेतन के ताने-बाने से बुना होता है और सभी इस दिशा में अपनी ओर से भरसक प्रयास भी करते रहते हैं।परिणामस्वरूप पुरुषार्थ के अनुरूप धन,नाम,यश,पद-प्रतिष्ठा आदि सब कुछ मिलते जाते हैं,किंतु इस कल्पित सुख-सुविधाओं के बावजूद न जाने क्यों मानसिक यंत्रणाओं से भरे यातनागृह का रूप लेने लगता है।बाहरी चमक-दमक के पीछे आंतरिक अशांति,उद्विग्नता एवं हताशा-निराशा के बादल उमड़-घुमड़ रहे होते हैं।
- बिना आंतरिक सफलता के बाहरी सफलता,स्थिति को और विपन्न बना देती है।जिसमें असंतोष,उद्विग्नता एवं परेशानी बढ़ती जाती है।जब सारा ध्यान बाहर केंद्रित होता है,तो हम तीव्रता से आगे बढ़ते हैं,किंतु हमारा आंतरिक पतन भी उतनी तीव्रता से होने लगता है।अतः बाह्य इच्छा पर केंद्रित होने से पूर्व हमें स्वयं के प्रति सच्चा बनना होगा व प्रसन्नता की खोज पहले भीतर करनी होगी।बाह्य उपलब्धियां सुख-शांति का सृजन तभी करती हैं,जब ये तत्त्व अंदर भी विद्यमान हों।सच्ची इच्छा और अपने उत्कट प्रयास से कोई भी इन्हें अर्जित कर सकता है और यह हर व्यक्ति की पहुंच में है।
- इसे पाने की विधि चार चरणों में हैं।इनमें से सर्वप्रथम है: दृष्टिकोण की स्पष्टता,इसके अंतर्गत सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि गणित के किस स्तर पर हम खड़े हैं? अर्थात गणित के लिए बाहरी और आंतरिक संतुलन के लिए हमें क्या-क्या करना है? क्योंकि गणित का ज्ञान प्राप्त करने की दिशा सही न हो तो किसी भी तरह के प्रयास प्रतिकूल परिणाम ही उत्पन्न करेंगे।मन,भाव व इंद्रियों के साथ आत्मा की इच्छा के अनुरूप कार्य करने पर गणित में अंत-बाह्य सफलताओं का मार्ग प्रशस्त होता है।
- दूसरे चरण में हमें गणित का ज्ञान प्राप्त करने के लिए स्वयं को जानने के साथ स्वयं के प्रति सच्चा बनना भी होगा।गणित में सफलता मिलने पर बाहरी प्रशंसा,प्रोत्साहन,यश,प्रतिष्ठा पर ध्यान केंद्रित करने से पूर्व अपने अंदर प्रसन्नता को खोजना होगा।अर्थात् हमारा दिल गणित में ऊंचे पायदान पर चढ़ने से खुश होता है या नहीं।गणित को हल करने से हमें आंतरिक संतोष मिलता है या नहीं।
- इसके लिए कुछ टॉनिक हैं जो आपको गणित पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे।ये आपके अंदर गणित को पढ़ने की ललक पैदा करेंगे।दरअसल गणित विषय को पढ़कर ऊंचाइयों पर वही चढ़ सकता है जो गणित को दिल से हल करता है।गणित को हल करने के लिए केवल बौद्धिक प्रयास ही नहीं करता है,बल्कि उसकी चेतना,उसका होश-हवास भी उसके साथ है।बौद्धिक रूप से गणित को हल करने पर बोरियत महसूस होने लगती है परंतु जिस विषय को हम पूजा समझकर,आराधना समझ कर पढ़ते हैं,हल करते हैं उसमें आनंद की अनुभूति होती है।
3.भगवद प्रेम का टाॅनिक (The Tonic of God’s Love):
- गणित विषय को हल करें,परंतु भगवद् प्रेम का सहारा भी चाहिए,इसके बिना गणित को हल करने में हम खूब संघर्ष करते हैं और केवल घोर संघर्ष से हम थक जाते हैं,हार जाते हैं।क्योंकि हम सोचते हैं कि सब कुछ बुद्धि के बल पर किया जा सकता है।बुद्धि हमें सांसारिक व्यक्ति बनाती है,जबकि भगवद् प्रेम से आत्मिक शक्ति मिलती है।हमारी कुछ गुत्थियाँ बुद्धि के बल पर हल हो जाती हैं परंतु अनेक गुत्थियाँ अंतर्बोध से सुलझती हैं। नित्य ध्यान-उपासना करके हम अपनी आत्मिक शक्ति का अनुभव कर सकते हैं,भगवान से प्रेम संबंध स्थापित करके इसके लिए सम्बल को पा सकते हैं।
- दूसरा टॉनिक है माता-पिता का सम्बल।हम घर पर गणित के सवालों से जूझते हुए जब निराश-हताश हो जाते हैं,अपने आपको कमजोर,हीन,दुर्बल समझने लगते हैं तो हमें माता-पिता का स्नेह-प्यार ही इस स्थिति से उबारता हैं।और उनका प्यार,प्रोत्साहन,संबल पाकर हम पुनः ऊर्जावान हो जाते हैं तथा गणित के सवालों,समस्याओं को हल करने में जुट पड़ते हैं।भाव असंतुलन गहरे तनाव की स्थिति पैदा कर देता है परंतु प्रेमभरा प्रोत्साहन इस असंतुलन को खत्म कर देता है।जैसे रोगी को कुशल मनःचिकित्सक बहुत कुछ अपना बेशर्त प्रेम देकर इसी को पूरा कर सकते हैं।वैसे ही भगवद् प्रेम और माता-पिता का आशीर्वाद इसकी पूर्ति का एक निरापद तरीका है।इसका तात्पर्य यह नहीं है कि माता-पिता हमारी गणित की समस्याओं को हल कर देते हैं।परंतु भावात्मक सहयोग हमें शक्ति प्रदान कर देता है।हमारी सारी शक्ति एकजुट हो जाती है और तमाम नकारात्मक बातें तिरोहित हो जाती हैं।
- रोगी को दवाई के साथ टाॅनिक इसीलिए दिया जाता है की दवाई रोग को दूर करती है परंतु टॉनिक रोग से निर्बल हुए शरीर को शक्ति प्रदान करता है।जो शुष्क हृदय है वह भावों की,प्रेम की,आत्मिक शक्ति की पहचान नहीं कर पाता है और इसलिए ऐसे विद्यार्थी इस प्रकार की अप्रत्यक्ष शक्तियों का लाभ लेने से वंचित रहते हैं।वे चाहे गणित में कितने ही प्रखर,तेजस्वी और मेधावी हों परंतु अपने अंदर एक रिक्तता,एक खालीपन,एक सूनापन महसूस करते हैं।जीवन के समग्र विकास के लिए ज्ञान,कर्म और प्रेम का समुच्चय हमारे जीवन में होना अनिवार्य है।भावानात्मक परिपक्वता के बिना आप कितनी ही गणित की पुस्तकों को हल कर डालें,कितना ही घोर परिश्रम करें फिर भी आपके जीवन में अपूर्णता ही रहेगी और प्रेम के बिना आप गणित में सही ऊंचाइयों को नहीं छू सकते हैं।
- तीसरा टॉनिक हैःमित्र व परिजनों का प्रेम सम्बल,इसके अभाव में जीवन अति गंभीर हो जाता है।आपको गणित में अच्छे अंक मिलते हैं,गणित में सफलता दर सफलता मिलती है तो उस खुशी को बांटने से खुशी बढ़ती है,हमें प्रोत्साहन मिलता है।घर पर तो माता-पिता हैं परंतु घर के बाहर भी हम अपने मित्रों के साथ,परिजनों के साथ जीवन व्यतीत करते हैं।अतः दोस्त-मित्रों से जीवन हल्का-फुल्का हो जाता है,साथ ही हमें हमारी वास्तविक काबिलियत का पता भी चलता है।अतः मित्रों व परिजनों का प्रेम संबल भी मिलना आवश्यक है।
4.समकक्ष जनों का तथा स्व प्रेम का टॉनिक (The tonic of peer and self-love):
- सहपाठियों का प्रेम सम्बल भी जरूरी है।कक्षा में कई बार शिक्षक सामूहिक रूप से किसी गणित के सवाल या समस्या को हल करने के लिए हमें देते हैं।यदि हम केवल अकेले-अकेले ही उस समस्या को हल करने के लिए लड़ते रहेंगे और उसे हल भी कर लेंगे तो उतना उल्लास नहीं मिलेगा जितना उस समस्या को मिलकर सहभागिता से हल करेंगे।समूह में भी कुछ गतिविधियों,कुछ समस्याओं को हल करने से हमें खुशी मिलती है।इसलिए आपने देखा होगा कि व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा तथा टीम में खेल की अलग-अलग प्रतियोगिताएं की जाती है।कुछ खेल व्यक्तिगत रूप से खेले जा सकते हैं,कुछ खेल टीम के रूप में खेले जाते हैं।यदि टीम में होकर आपमें टीम भावना नहीं है तो संभव है वह खेल हार जाएं।क्योंकि खेल केवल रणनीति,कौशल,चुस्ती-फुर्ती के आधार पर ही नहीं जीते जाते हैं बल्कि आपमें टीम भावना कितनी है,यह बात भी जीत दिलाने में योगदान करती है।
- केवल अकेले-अकेले रहने से आप एकाकी महसूस करने लगेंगे जिससे कई नकारात्मक बातें मन में पैदा हो जाती हैं।मसलन मेरी गणित में अच्छी पकड़ के कारण अन्य विद्यार्थी मुझे जलन की भावना रखते हैं,अन्य विद्यार्थी मुझे गिराना चाहते हैं,अन्य विद्यार्थी मुझे किसी न किसी प्रकार नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।मन में इस तरह की नकारात्मक बातें आने से गणित में आपका स्वभाविक व सहज विकास नहीं हो पाता है।सामूहिक रूप से रहने पर आपमें नकारात्मक भाव नहीं पनपते हैं।
- इसका अर्थ यह नहीं है कि एकांतवास का सेवन नहीं करना चाहिए।दोनों में संतुलन आवश्यक है।एकांत में आप अपना निरीक्षण कर पाते हैं।आत्मनिरीक्षण से गणित में या अन्य विषय में आपको अपनी कमियां नजर आती हैं जिन्हें दूर करने का संकल्प लेते हैं।एकान्त में आप अपने आप से बात करते हैं,अपने से प्रेम करते हैं।आप जैसे भी हैं,वैसे ही अपने आपको स्वीकार करते हैं।बहुत सी गणित की गुत्थियाँ आप एकांत में अपने मनोबल व बुद्धि के सहारे हल कर लेते हैं।आत्मनिरीक्षण द्वारा आप गणित या अन्य विषयों या सर्वांगीण विकास का ताना-बाना बुन सकते हैं या बुनते हैं।आपको अपनी खूबियों का पता चलता है।यह एक महत्त्वपूर्ण तथ्य है कि जब तक आप स्वयं से प्रेम न करेंगे,अपनी उपलब्धियों पर अपने आपको उत्साहित नहीं करेंगे,स्वयं के बल पर सवालों व समस्याओं को हल नहीं करेंगे,तब तक कोई अन्य भी ना तो हमसे प्रेम करेगा,न हमारे साथ सवाल या समस्याओं को हल करने के लिए सहभागी होगा।
- जब अन्य विद्यार्थी देखते हैं कि गणित के सवालों या अन्य विषय की समस्याओं को हल करने में आप पूरी मेहनत करते हैं तो वे भी आपका सहयोग करने के लिए तत्पर हो जाते हैं।वरना केवल आप दूसरों से पूछ-पूछकर अपनी समस्याओं को हल करने की आदत बना लेंगे तो एक स्थिति ऐसी आएगी कि आपके सहपाठी आपसे किनारा करना चालू कर देंगे,आपकी उपेक्षा करना चालू कर देंगे,आपकी हंसी उड़ाना चालू कर देंगे।तात्पर्य यह है कि आप खुद अपनी सहायता नहीं करेंगे तो किसी से मदद पाने की लालसा छोड़नी होगी,अतः स्वयं से प्रेम करें यह पाँचवा टाॅनिक है।
5.गणित को हल करने में अन्य टाॅनिक (Other Tonics in Solving Mathematics):
- ऊपर बताए गए पाँच टाॅनिकों के मिलते ही आपकी आंतरिक सफलता,गणित में प्रगति के लिए आंतरिक द्वार खुलने लगते हैं और अधिकांश समस्याएँ हल होना शुरू हो जाती है।इसके अलावा पाँच टाॅनिक और हैं,जो हमारी गणितीय प्रतिभा को विकसित करते हैं।
- छठवाँ टाॅनिक हैं:पारस्परिक प्रेम का आदान-प्रदान।पारस्परिक प्रेम के आदान-प्रदान से भावनात्मक संतुष्टि मिलती है।मसलन किसी मित्र ने गणित में अमुक सवाल हल कर लिया और वह इसे आपके साथ साझा करता है,इसी प्रकार आप गणित की किसी जटिल समस्या हल करते हैं और उसे बताते हैं तो एक-दूसरे से प्रेम प्रगाढ़ होता है।भावनात्मक संबंध कायम होते हैं।सातवाँ टाॅनिक है अपने से छोटों या आश्रितों पर बेशर्त प्रेम।आप गणित में जो भी ज्ञान अर्जित करते हैं तो उसके आधार पर अपने से छोटों और आश्रितों की समस्याओं को हल करने में मदद करनी चाहिए।इससे उत्तरदायित्व की भावना पैदा होती है,जिम्मेदारी का बोध तो होता ही है,साथ ही इस तरह बेशर्त प्रेमवश आप किसी की भी सहायता करते हैं तो आपको आत्मिक संतुष्टि मिलती है।आपको अपने आप पर गर्व होता है कि उसके गणित ज्ञान से अन्य भी लाभान्वित हो रहे हैं।इसी के आधार पर ही तो गणित के और विषयों का विशाल समुद्र तैयार होकर आज हमारे सामने है।हम हमारे पूर्वज गणितज्ञों के ज्ञान का लाभ उठा रहे हैं तो हमारे द्वारा इस ज्ञान का स्थानांतरण अगली पीढ़ी को भी होना चाहिए।
- अपने समुदाय,अपने वर्ग के जो गणित के ज्ञान से वंचित है उनको ऊपर उठाने में अपना सहयोग देना।यह जीवन में आपको गणित में मिलने वाली सफलता,पुरस्कारों,पदक,उपहारों को बांटने की प्रक्रिया है।नवाँ टॉनिक है समूचे समाज और विश्वमानव का प्रेम सम्बल।यह स्वयं के असीम आत्म विस्तार की प्रक्रिया है।विश्व में गणित में हो रहे नवीनतम खोजों के बारे में आप इसी प्रेम सम्बल के आधार पर अवगत होते हैं।आप द्वारा की गई खोजें विश्वसमुदाय को मिलती है।यदि अपनी खोज को आप गुप्त रखेंगे,किसी को नहीं बताएंगे तो इसका मतलब है कि आपमें प्रेम करने का अभाव है।आपकी प्रतिभा से विश्व समुदाय न तो परिचित हो सकता है और न उससे लाभ उठाया जा सकता है।
- इन सभी प्रेम सम्बलों की प्रक्रिया में जब अनुभवों की पूंजी बढ़ी-चढ़ी होती है,तो स्वयं की अंतःप्रज्ञा भी बढ़ी-चढ़ी होती है।लोग भी अधिकाधिक विश्वास करते हैं।तब विश्व समुदाय तक आपकी गणितीय प्रतिभा का विस्तार आपके व्यक्तित्व के नए आयाम खोलता है।ऐसी स्थिति में यदि आप आयु में वृद्ध भी हो जाते हैं तो भी अपने आपको आप ज्यादा जीवंत एवं युवा महसूस करते हैं।
- अंतिम दसवां टॉनिक है कि इसके बाद आपका जीवन का पुष्प खिल जाता है,आपका गणित के प्रति प्रेम छलकने लगता है व शुद्ध समर्पण की स्थिति आती है और छात्र-छात्रा भगवान का एक यंत्र बन जाता है।तब वह जो भी इच्छा करता है,वह भगवान की ही इच्छा होती है।भाव व प्रेम संबंध के बल पर ही हमें अपनी आत्मिक शक्ति का पता चलता है व आन्तरिक सफलता का अनुभव कर पाते हैं।सच्ची इच्छा उद्दीप्त होती है और हम बिना अपनी आंतरिक शांति को खोए गणित के ऊंचे पायदान पर जा पहुंचते हैं,जहां से आपको केवल बाँटना ही होता है,कुछ पाना शेष नहीं रहता है।जब अंतःप्रज्ञा से संपर्क होता है,तब अतिवाद तक जाने की संभावना भी नहीं रहती।यहां परिश्रम से ज्यादा विश्वास,प्रेम साथ देता है।यहाँ अपनी सीमा से अतिक्रमण का बोध नकारात्मक भावों के उठने से हो जाता है और हम शुद्ध समर्पण की भावावस्था को प्राप्त हो जाते हैं और हम उस कार्य को छोड़कर भाव समाधि में स्थित हो जाते हैं।
- उपर्युक्त आर्टिकल में गणित में प्रगति के लिए 10 टाॅनिक (10 Tonics for Progress in Mathematics),छात्र-छात्राओं की गणित में प्रगति के लिए 10 टाॅनिक (10 Tonics for Students’ Progress in Mathematics) के बारे में बताया गया है।
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6.गणित में होशियार होने का टाॅनिक (हास्य-व्यंग्य) (Tonic of Being Smarter in Maths) (Humour-Satire):
- गणित टीचर:गणित के शीर्ष पर कौन पहुंचता है?
- स्टूडेंट:नहीं मालूम सर,पर इसका उत्तर थोड़ा सा पता है।
- गणित टीचर:थोड़ा सा क्या पता है?
- स्टूडेंट:जो भी कोई टॉनिक (शक्तिवर्धक) चीज खा लेता है,वह ऊपर पहुंच जाता है।
7.गणित में प्रगति के लिए 10 टाॅनिक (Frequently Asked Questions Related to 10 Tonics for Progress in Mathematics),छात्र-छात्राओं की गणित में प्रगति के लिए 10 टाॅनिक (10 Tonics for Students’ Progress in Mathematics) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.शुद्ध समर्पण से क्या आशय है? (What do you mean by pure surrender?):
उत्तर:इस स्थिति में जैसे बस कार चलाने के लिए स्टेयरिंग पर हाथ रखकर उसे संभालना होता है,ना कि गाड़ी को धक्का लगाना,क्योंकि वह तो इंजन (अंतरात्मा) स्वयं कर लेता है।इसी तरह शुद्ध समर्पण की ओर मुड़ने से जीवन यात्रा अधिक सरल हो जाती है।
प्रश्न:2.गणित में प्रगति के लिए मूल शर्त क्या है? (What is the basic prerequisite for progress in mathematics?):
उत्तर:बौद्धिक और आत्मिक विकास में संतुलन होना चाहिए।किसी भी एक पक्ष को बढ़ावा देने पर जीवन असंतुलित हो जाता है।
प्रश्न:3.क्या भौतिक क्षेत्र में उन्नति के लिए आत्मिक उन्नति आवश्यक है? (Is spiritual growth necessary for progress in the material realm?):
उत्तर:भौतिक और आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में प्रगति के लिए आत्मिक विकास की आवश्यकता है।आत्मिक विकास के बिना हम संसार में भटकते रहते हैं,वास्तविक उन्नति नहीं कर पाते हैं,जीवन में अपूर्णता रहती है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित में प्रगति के लिए 10 टाॅनिक (10 Tonics for Progress in Mathematics),छात्र-छात्राओं की गणित में प्रगति के लिए 10 टाॅनिक (10 Tonics for Students’ Progress in Mathematics) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
About my self I am owner of Mathematics Satyam website.I am satya narain kumawat from manoharpur district-jaipur (Rajasthan) India pin code-303104.My qualification -B.SC. B.ed. I have read about m.sc. books,psychology,philosophy,spiritual, vedic,religious,yoga,health and different many knowledgeable books.I have about 15 years teaching experience upto M.sc. ,M.com.,English and science.