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Strategy for JEE-Main 2024 Preparation

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1.जेईई-मेन 2024 की तैयारी के लिए रणनीति (Strategy for JEE-Main 2024 Preparation),प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु बोरियत से कैसे बचें? (How to Avoid Boredom to Prepare for Competitive Exams?):

  • जेईई-मेन 2024 की तैयारी के लिए रणनीति (Strategy for JEE-Main 2024 Preparation) की रणनीति के लिए यों तो कई लेख इस वेबसाइट पर उपलब्ध हो जाएंगे अतः उन्हें पढ़ने पर आपको काफी मदद मिल जाएगी।इस लेख में कुछ ऐसी समस्या का समाधान बताया जा रहा है जिसका अक्सर छात्र-छात्राएं सामना करते हैं।यह समस्या विशेषकर प्रतियोगिता परीक्षाओं में भाग लेने वाले अभ्यर्थियों के सामने आती है।
  • दरअसल छात्र-छात्राएं परीक्षा के दबाव,बढ़ती प्रतिस्पर्धा,भविष्य की चिंता जैसे कई कारणों की वजह से अपने मन को स्टडी पर केंद्रित नहीं रख पाते हैं।इसलिए कई छात्र-छात्राओं को अक्सर यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उन्हें अध्ययन से बोरियत हो रही है या उनका मूड नहीं है अथवा जब मूड बनेगा तब अध्ययन करेंगे।
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

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2.प्रतियोगिता परीक्षा में मूड की भूमिका (The Role of Mood in Competitive Exams):

  • कई बार छात्र-छात्राओं की ऐसी अवस्था हो जाती है,जिसमें अध्ययन में मन नहीं लगता,फलतः वह आधे-अधूरे ढंग से (अध्ययन) बन पड़ता है।यहां तक की दैनिक जीवन के कार्यों जैसे नहाने-धोने,भोजन करने,अपने अध्ययन कक्ष की साफ-सफाई,निश्चित कर्त्तव्यों और दायित्वों की उपेक्षा होने लगती है।व्यवहार असामान्य हो जाता है और जेईई-मेन जैसी कड़ी प्रतियोगिता परीक्षाओं में जो सफलता सुनिश्चित मानी गई थी,उसमें असफलता हाथ लगती है।ऐसा क्यों है? पूछने पर पता चलता है कि मूड ठीक नहीं था।
  • यों तो यह एक अस्थायी मनोदशा है,पर जब तक रहती है,विद्यार्थी तथा अभ्यर्थी को सक्रिय या निष्क्रिय बनाए रहती है।जब मूड होता है तो पढ़ने का मन करता है।विद्यार्थी सक्रिय रहता है।सक्रियता,उत्फुल्लता,स्फूर्ति,उत्साह,उमंग उस मन: स्थिति का नतीजा है,जिसमें वह सामान्य से अच्छी (मूड बनने) होती है।
  • जबकि मूड ऑफ होता है तो छात्र-छात्राएं निष्क्रिय हो जाते हैं,अध्ययन की कौन कहे किसी भी काम में जी नहीं लगता है।बुरी मन:स्थिति में अंतरंग निष्क्रिय,निस्तेज,निराशा और निरुत्साहयुक्त अवस्था में पड़ा रहता है।इस प्रकार विनोदपूर्ण स्थिति में छात्र-छात्राएं यदि दिखाई पड़े तो कहा जा सकता है कि वह अच्छे ‘मूड’ में है,जबकि नैराश्यपूर्ण दशा उसके खराब ‘मूड’ की द्योतक है।
  • दरअसल आज के प्रतियोगिता के युग में छात्र-छात्राओं के जीवन में जटिलताएं इतनी बढ़ गई है कि अधिकांश छात्र-छात्राएं अधिकांश समय में बुरी मन:स्थिति में बना रहता है।यह प्रतिस्पर्धा गांवों की तुलना में शहरों में अधिक पाई जाती है।दरअसल गांवों में छात्र-छात्राएं प्रकृति के अधिक निकट होते हैं,वातावरण शांत रहता है जबकि शहरों में प्रदूषण,शोरगुल,भाग-दौड़,एक-दूसरे से आगे निकलने की अधिक प्रतिस्पर्धा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।अतः छात्र-छात्राएं अशांत रहते हैं और उनका मूड खराब रहता है।
  • महत्त्वाकांक्षा यों तो प्रगति के लिए आवश्यक है,पर यह अनियंत्रित होने पर दुःख-शोक का कारण बनती है।इन दिनों वह इस कदर बड़ी-चढ़ी है कि छात्र-छात्राएं अधिकाधिक दौलत जुटा लेने,यश कमा लेने और वाहवाही लूटने की ही उधेड़बुन में हर घड़ी उलझा दिखाई पड़ता है।जीवन इसके अतिरिक्त भी ओर कुछ है,उन्हें नहीं मालूम।बस,यही अज्ञानता विपन्न मनोदशा का निमित्तकारण बनती है।
  • यह सच है कि छात्र-छात्राओं का रहन-सहन जितना निर्द्वन्द्व एवं निश्चल होगा,उतनी ही अनुकूल उसकी आंतरिक स्थिति होगी।इसके विपरीत जहां बनावटीपन,दिखावा,झूठी शान,प्रतिस्पर्धा होगी,वहां छात्र-छात्राओं की मनोदशा उतनी ही असामान्य होती है।
  • तात्पर्य यह है कि यदि छात्र-छात्राओं का मूड अच्छा रहता है तो वह अध्ययन पर अपने आपको फोकस रख पाते हैं और खराब मूड होता है तो पूर्ण एकाग्रता के साथ अध्ययन नहीं कर पाते हैं फलतः वे प्रतियोगिता परीक्षा से बाहर हो जाते हैं।यही कारण है कि एक ही जैसी पृष्ठभूमि और वातावरण में पले,बड़े और पढ़े तथा एक समान शैक्षणिक योग्यता होने के बावजूद कुछ छात्र-छात्राएं अत्यधिक योग्य,कुशल,प्रतिभाशाली और सफल बन जाते हैं जबकि दूसरी श्रेणी के (जिनका मूड ऑफ रहता है) छात्र-छात्राएं सामान्य या गुमनाम सा जीवन व्यतीत करते हैं।

3.बोरियत होने का कारण (Causes of Boredom):

  • मूड ऑफ होने के समान ही छात्र-छात्राएं पढ़ते-पढ़ते बोरियत महसूस भी करते हैं।बोरियत होने के कई कारण होते हैं।यदि आप नियमित रूप से प्रतिदिन अध्ययन करते हैं और अचानक किसी कारणवश (बीमारी,दुर्घटना या अन्य) अध्ययन से संपर्क छूट जाता है तो लंबे समय के बाद अध्ययन प्रारंभ करने पर बोरियत महसूस करते हैं।क्योंकि एक बार विषय के अध्ययन से संपर्क छूट जाता है तो पुनः प्रारंभ करने पर सरल सी बातें,सवाल,प्रमेय,थ्योरी आदि समझने में कठिनाई महसूस होती है।आप कोशिश भी करते हैं परंतु जब समस्याएं (सवाल,थ्योरी) हल नहीं होती हैं तो बोरियत महसूस करते हैं,मन पढ़ने से उचट जाता है।
  • यदि घर-परिवार में आपको अध्ययन करने का माहौल नहीं मिल पाता है तब भी बोरियत महसूस होती है।यदि माता-पिता अथवा बड़े भाई-बहन पढ़ने वाले होते हैं,पढ़ते हैं तो छोटे भाई-बहन को पढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
  • प्रतियोगिता परीक्षा में कड़ी प्रतिस्पर्धा,गलाकाट प्रतियोगिता हो परंतु उसके अनुकूल परीक्षा की तैयारी नहीं हो रही हो तो आप मानसिक रूप से दबाव में आ जाते हैं और पढ़ाई से आपका मन उचट जाता है तथा आप बोरियत महसूस करते हैं।
  • अपने से अधिक योग्य,प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं से तुलना करके जब हम यह सोचते हैं कि हम उनकी तुलना में फिसड्डी हैं।अतः जेईई-मेन जैसी प्रतियोगिता परीक्षाओं में हमारा चयन नहीं हो सकता है।इस प्रकार की नकारात्मकता जब मन में आ जाती है तो बोरियत महसूस करते हैं।होना तो यह चाहिए कि अपने से अधिक प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को देखकर या संपर्क करके अध्ययन की रणनीति जानने की कोशिश करें और आगे बढ़ने का प्रयास करें यानी अपने अंदर सकारात्मकता पैदा करें।
  • अन्य छात्र-छात्राएं हमें हतोत्साहित करें जैसे ऐसा कहें कि तुम्हारे जैसे छात्र-छात्रा का चयन जेईई-मेन में नहीं हो सकता है,तुम फालतू परीक्षा की तैयारी कर रहे हो और अपना समय बर्बाद कर रहे हो।याद रखें दुनिया में हतोत्साहित करने वाले लोग अधिक हैं और प्रोत्साहित करने वाले लोग बहुत कम हैं।अतः स्वयं अपने आपको प्रोत्साहित करने की कला सीखें।
  • बार-बार विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में असफलता मिलने पर छात्र-छात्राएं बोरियत महसूस करते हैं।कई बार छात्र-छात्राएं परीक्षा का अनुभव लेने के लिए,परीक्षा की तैयारी किए बिना ही परीक्षा में एपीयर (appear) हो जाते हैं।परंतु असफलता मिलने पर अध्ययन के लिए अपने आपको तैयार नहीं कर पाते हैं।अतः याद रखें एक ही तरह के सिलेबस के आधार पर होने वाली चुनिंदा प्रतियोगिता परीक्षाओं में पूरी तैयारी करके ही भाग लेना चाहिए ताकि आप हताश व निराश न हों।
  • अपनी योग्यता,क्षमता तथा रुचि के अनुसार लक्ष्य तय नहीं करते हैं,किसी के देखा-देखी लक्ष्य तय कर लेते हैं या किसी के कहने पर लक्ष्य तय कर लेते हैं तब भी अध्ययन करते समय हम बोरियत महसूस करते हैं।अतः अपनी योग्यता,क्षमता तथा रुचि का आकलन करके,जिसे आप दिल से चाहते हैं,वहीं लक्ष्य तय करना चाहिए।ऐसी स्थिति में अध्ययन करने पर आप बोरियत महसूस नहीं करेंगे।

4.अच्छी मनोदशा प्राप्त करने के तरीके (Ways to Get a Good Mood):

  • हरएक को यह प्रयत्न करना चाहिए कि वह सदा स्वस्थ मनोदशा में रहे यदा-कदा कभी गड़बड़ा जाए तो उसे तुरंत पूर्व स्थिति में लाने की कोशिश करनी चाहिए।जिसका मानसिक धरातल जितना लोचपूर्ण होगा,वह उतनी ही जल्दी अपने इस प्रयास में सफल होता प्रतीत होगा।जो जितना शीघ्र सामान्य मनोदशा में लौट आता है,मनोविज्ञान की दृष्टि से उसे उतना ही स्वस्थ मन वाला व्यक्ति कहा जाएगा।
  • महान गणितज्ञों,वैज्ञानिकों,अतिप्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं की मानसिक संरचना ऐसी ही होती है।वे क्रोधित नहीं होते या उनका मूड ऑफ नहीं होता है ऐसी बात नहीं,गुस्सा वे भी करते हैं या मूड ऑफ उनका भी हो जाता है,पर जिस तीव्रता से वह प्रकट होता है,उसी गति से विलुप्त भी हो जाता है।सामान्य छात्र-छात्राओं व लोगों में यह विशेषता दृष्टिगोचर नहीं होती,इसी कारण से लंबे समय तक वे उससे प्रभावित बने रहते हैं।लगातार खराब मूड में बने रहने के कारण मन फिर उसी का अभ्यस्त हो जाता है और व्यक्ति अवसाद का पुराना रोगी बन जाता है।
  • मनोवैज्ञानिकों का कथन है कि जब कभी मनःस्थिति खराब हो जाए तो उसे स्वतः अपनी स्वाभाविक मानसिक प्रक्रिया द्वारा ठीक होने के लिए नहीं छोड़ देना चाहिए,वरन उसको सामान्य स्थिति में लाने का प्रयत्न प्रयास आरंभ कर देना चाहिए।इससे कम समय में ही मनःस्थिति को दुरुस्त किया जा सकता है।
  • मनःशास्त्री कहते हैं कि खराब मूड की स्थिति में मन को किसी-न-किसी आश्रय से अवश्य बांध देना चाहिए।यह अवलंबन विविध प्रकार के हो सकते हैं।स्वाध्याय,मनोरंजन,प्रकृति का सानिध्य,एकांत का परित्याग,बातचीत,हंसी मजाक जैसे कितने ही माध्यम ऐसे हो सकते हैं,जिनमें मन खो जाता है।महान वैज्ञानिक एवं गणितज्ञ आइंस्टीन जब बोरियत महसूस करते थे तो पियानो बजाने लगते थे।इससे खराब मूड की अवस्था बदल जाती है और उसका स्थान आनंद,उत्साह,उमंग,सक्रियता जैसे तत्त्व ले लेते हैं।यों गम गलत करने का एक आसान और प्रचलित तरीका आज नशा-सेवन भी है,पर यह तो वैसा ही हुआ,जैसे एक छोटे फोड़े को ठीक करने के क्रम में एक बड़ा और दुसाध्य घाव पैदा कर लेना।इसे सदा परहेज करना चाहिए।गड्ढे को छलांगने के प्रयास में कोई कुएं में जा गिरे तो यह उसकी मूर्खता ही कही जाएगी।
  • जेईई-मेन तथा प्रतियोगिता परीक्षाओं की पुस्तकें पढ़ने में मूड नहीं लग रहा हो तो आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ना चाहिए।यदि छात्र-छात्राएं भौतिकता (भौतिकी विषयों) में आध्यात्मिकता का समावेश करता चले और जीवन में आवश्यक संयम-नियम का अनुपालन करे,आवश्यकता से अधिक की आकांक्षा और स्तर से ज्यादा की चाह (जैसे क्लर्क बनने का स्तर हो तो आईएएस की चाहत न रखें अथवा आईएएस जितनी योग्यता व सामर्थ्य बढ़ाए) में प्रवृत्त न रहे तो मूड़ के खराब होने जैसी किसी भी कठिनाई से बचा जा सकता है।इस दृष्टि से अध्यात्मवादी अधिक लाभ में रहते हैं।वे जितनी निश्चिंततापूर्वक जीवनयापन करते हुए अपने सुनिश्चित लक्ष्य की ओर बढ़ते चलते हैं,उतनी शांति और संतुष्टि भौतिकता के चकाचौंध में जीने वालों में परिलक्षित नहीं होती।
  • अतएव उत्तम यही है कि वैसी अध्ययन पद्धति और जीवनक्रम अपनाया जाए,जिसमें अवसाद भरी मन:स्थिति में पड़ने की समस्त संभावनाएं ही निरस्त हो जाएं।जीवन पद्धति वही अच्छी है,जो हमें शांति और संतोष प्रदान करे और चरम लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ाती चले।आध्यात्मिकता से न केवल भौतिक जीवन सुधरता है बल्कि आत्मिक प्रगति होती है और आंतरिक सुख,शांति प्राप्त होती है।अतः जीवन में थोड़ा-बहुत अध्यात्म को अपनाना ही चाहिए।बिना नमक के रोटी बेस्वाद लगती है और ज्यादा नमक हो तो रोटी खारी लगती है।
  • ऐसे मित्रों,सहपाठियों का साथ-संग करना चाहिए जो आपको अपने लक्ष्य (JEE) में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हों,आपकी तरक्की को देखकर खुश व प्रसन्न होते हों,आपकी तरक्की व योग्यता बढ़ाने में सहायता-सहयोग करते हों।
  • ऐसे सीनियर छात्र-छात्राओं को देखें जो अपने लक्ष्य (JEE या अन्य Exam) को प्राप्त कर चुके हैं।उनके व्यवहार से सीखें।उनकी गतिविधियों पर नजर रखें और संभव हो सके तो उनसे मिलकर यह जानने की कोशिश करें कि उन्होंने अपना लक्ष्य कौनसी रणनीति अपनाकर प्राप्त किया है और वह रणनीति आपके माफिक है। हमेशा यह सोचें कि आप जीवन में कुछ असाधारण कार्य करने के लिए आए हैं जिसे देखकर व सुनकर लोग आपको याद रखें।हर व्यक्ति आपकी मिसाल देगा क्योंकि आप अपने क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ होंगे और श्रेष्ठता साधारण प्रयासों से नहीं आती इसके लिए आपको निरंतर प्रयत्न करना होगा।यही भावना आपके मन में ऊर्जा पैदा करेगी,आप उत्साहित होंगे और अध्ययन में आपका मन लगने लगेगा।
  • नित्य प्रति ध्यान-योग व प्राणायाम करें जिससे दिनभर आप एक्टिव रहेंगे।मन इधर-उधर नहीं भटकेगा,एकाग्रता सधेगी और एकाग्र मन से आप अध्ययन करने के लिए उत्साहित रहेंगे।
  • कोई एक हाॅबी भी रखें जैसे योगासन-प्राणायाम,भजन,सत्संग,स्वाध्याय आदि।कुछ देर अध्ययन से ब्रेक लेकर हाॅबी का कार्य करें इससे विषय का बदलाव हो जाएगा और आप पुनः पढ़ने के लिए रिफ्रेश हो जाएंगे।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में जेईई-मेन 2024 की तैयारी के लिए रणनीति (Strategy for JEE-Main 2024 Preparation),प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु बोरियत से कैसे बचें? (How to Avoid Boredom to Prepare for Competitive Exams?) के बारे में बताया गया है।

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5.अक्ल तेज करवा लो (हास्य-व्यंग्य) (Speed Up Your Senses) (Humour-Satire):

  • एक बार गणित शिक्षक छात्र-छात्राओं को बता रहे थे कि अमुक-अमुक टिप्स का पालन करने से छात्र-छात्राएं गणित में तेज हो सकते हैं।
  • प्रमोद (हंसते हुए):सर,अक्ल भी तेज कर सकते हो क्या?
  • गणित शिक्षक:क्यों नहीं अक्ल है तो लाओ,तेज कर देता हूं।

6.जेईई-मेन 2024 की तैयारी के लिए रणनीति (Frequently Asked Questions Related to Strategy for JEE-Main 2024 Preparation),प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु बोरियत से कैसे बचें? (How to Avoid Boredom to Prepare for Competitive Exams?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.जेईई-मेंस के प्रश्न-पत्र का पैटर्न क्या है? (What is the Pattern of JEE-Main Question Paper?):

उत्तर:जेईई-मेंस का पेपर 3 घंटे का होता है और उसमें कुल 75 सवाल हल करने होंगे।इन 75 सवालों में फिजिक्स,गणित और केमिस्ट्री के हर विषय से 25-25 सवाल हल करने होंगे।स्टूडेंट्स को तीनों विषयों की कॉन्सेप्ट दिमाग में रखकर पेपर को सॉल्व करना होगा।पेपर में एक सवाल एक अध्याय से होगा तो दूसरा सवाल अन्य अध्याय से होगा,ऐसे में दिमाग इतना सक्षम होना चाहिए कि जब एक विषय का सवाल हल करते हुए दूसरे विषय के सवाल पर जाए तो उसे तुरंत समझ सकें।दरअसल अचानक विषय और अध्याय में बदलाव को समझने में दिमाग को थोड़ा समय लगता है अतः प्रश्न-पत्र को हल करने का पूर्वाभ्यास होना चाहिए।परीक्षा में एक-एक मिनट कीमती होता है अतः मन की एकाग्रता आवश्यक है।

प्रश्न:2.परीक्षा के समय तैयारी कैसे करें? (How to Prepare at the Time of Exam?):

उत्तर:परीक्षा से पूर्व सिलेबस की तैयारी व पुनरावृत्ति हो चुकी होनी चाहिए।इस समय मॉडल पेपर को सॉल्व करने का बार-बार अभ्यास करें।मॉडल पेपर्स,मॉक टेस्ट एक तरह से परीक्षा का रिहर्सल है।इसका अभ्यास करने से आपकी झिझक दूर होगी,आत्मविश्वास पैदा होगा और समय प्रबंधन की कला विकसित होगी।मॉडल पेपर्स व मॉक टेस्ट में चूँकि सभी विषयों के सवाल होते हैं अतः दिमाग को एक विषय से दूसरे विषय के सवाल हल करने की प्रैक्टिस होगी।अचानक विषय के बदलाव से दिमाग अभ्यस्त हो जाएगा और आप तय समय में बिना किसी हड़बड़ाहट के प्रश्न-पत्र को हल करने में सक्षम होंगे।मॉडल पेपर व मॉक टेस्ट का पूर्वाभ्यास करने वाले अभ्यर्थियों की परफॉर्मेंस सुधरती है और वे एग्जाम फोबिया से मुक्त हो जाते हैं।इसके अलावा संक्षिप्त रूप में तैयार किए गए नोट्स का अध्ययन भी करना चाहिए।
प्रश्न:3.सिंक्रोनाइज स्टडी से क्या तात्पर्य है? (What is Meant by Synchronized Study?):
उत्तर:एक बार प्रत्येक विषय का पाठ्यक्रम तथा पुनरावृति करने के बाद तीनों विषयों के सवालों को एक साथ हल करने की प्रैक्टिस करें।जैसे चार-पांच सवाल एक विषय के हल करने के बाद चार-पांच सवाल दूसरे विषय के और फिर तीसरे विषय के सवाल हल करें।ध्यान रहे यह प्रैक्टिस सिलेबस का पूर्ण अध्ययन करने और रिवीजन करने के पश्चात करना है।एक चैप्टर के कुछ सवाल हल करें,फिर दूसरे विषय के एक चैप्टर के कुछ सवाल हल करें,फिर तीसरे विषय की एक चैप्टर के कुछ सवाल हल करें।ऐसा ना करें कि एक ही विषय के सवाल लगातार हल करते रहें,यह सब आप सिलेबस का अध्ययन करते समय कर चुके हैं।अब रिहर्सल में एक समय में कुछ सवाल हर विषय के हल करें।

प्रश्न:3.सिंक्रोनाइज स्टडी से क्या तात्पर्य है? (What is Meant by Synchronized Study?):

उत्तर:एक बार प्रत्येक विषय का पाठ्यक्रम तथा पुनरावृति करने के बाद तीनों विषयों के सवालों को एक साथ हल करने की प्रैक्टिस करें।जैसे चार-पांच सवाल एक विषय के हल करने के बाद चार-पांच सवाल दूसरे विषय के और फिर तीसरे विषय के सवाल हल करें।ध्यान रहे यह प्रैक्टिस सिलेबस का पूर्ण अध्ययन करने और रिवीजन करने के पश्चात करना है।एक चैप्टर के कुछ सवाल हल करें,फिर दूसरे विषय के एक चैप्टर के कुछ सवाल हल करें,फिर तीसरे विषय की एक चैप्टर के कुछ सवाल हल करें।ऐसा ना करें कि एक ही विषय के सवाल लगातार हल करते रहें,यह सब आप सिलेबस का अध्ययन करते समय कर चुके हैं।अब रिहर्सल में एक समय में कुछ सवाल हर विषय के हल करें।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा जेईई-मेन 2024 की तैयारी के लिए रणनीति (Strategy for JEE-Main 2024 Preparation),प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु बोरियत से कैसे बचें? (How to Avoid Boredom to Prepare for Competitive Exams?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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