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6 Best Tips to Build Self-confidence

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1.आत्मविश्वास को जगाने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Build Self-confidence),छात्र-छात्राओं के लिए आत्म-विश्वास को जगाने की 6 टिप्स (6 Tips for Students to Build Self-confidence):

  • आत्मविश्वास को जगाने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Build Self-confidence) से संबंधित आर्टिकल पूर्व में भी लिखे जा चुके हैं।उनमें गणित में अपना आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं,इसके बारे में बताया गया है।विद्यार्थियों में अनेक गुणों के होते हुए भी आत्म-विश्वास के बिना सफलता अर्जित नहीं की जा सकती है।
  • आत्म-विश्वास को कई नाम से पुकारा जाता है,विश्वास,आत्म-विश्वास,भगवद विश्वास।विश्वास दूसरों पर किया जाता है,आत्म-विश्वास स्वयं की क्षमता,योग्यताओं एवं शक्तियों पर किया जाता है तथा भगवद विश्वास,भगवान की परम सत्ता,विधि विधान और उसकी शक्तियों पर किया जाता है।
  • वस्तुतः ये तीनों अलग-अलग दिखाई देते हैं परंतु वास्तविक रूप में भगवद शक्ति ही अनेक रूपों में हमें दिखाई देती है।जैसे वृक्ष की जड़ें वृक्ष से अलग दिखाई देती है परंतु हम जानते हैं की जड़ें वृक्ष से जुड़ी हुई रहती हैं।भगवत् शक्ति ही बीज रूप में हमारे व अन्य व्यक्तियों में उपस्थिति रहती है,उसके बिना हम अथवा अन्य व्यक्ति एक कदम भी नहीं चल सकते हैं।
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2.आत्मविश्वास से तात्पर्य क्या है? (What is Meant by Self-confidence?):

  • जैसा कि ऊपर उल्लेख किया जा चुका है कि आत्म-विश्वास अपनी आत्मिक शक्ति,अपने अंतर्निहित क्षमताओं,भावनात्मक,बौद्धिक रूप से सक्षम होना,अपनी संभावनाओं एवं क्षमताओं की सही योग्यता पर विश्वास आत्मविश्वास है।
  • यह इस प्रकार का विश्वास होता है कि यदि कोई अन्य गणित में प्रखर या तेजस्वी हो सकता है अथवा किसी कार्य को कर सकता है तो मैं स्वयं इस कार्य को क्यों नहीं कर सकता हूं,पर आत्मविश्वास का अर्थ अहंकार नहीं है।अहंकार तीन प्रकार का होता है:राजसिक,तामसिक,सात्त्विक।राजसिक व तामसिक अहंकार वाला व्यक्ति या विद्यार्थी अपने शरीर व मन की क्षमताओं पर अनर्गल विश्वास करता है।ऐसा व्यक्ति सफलता पाकर अपने आपको बहुत श्रेष्ठ समझने लगता है,उसके पांव जमीन पर नहीं टिकते हैं तथा हवा में उछलने लगता है,अन्य लोगों के सामने अपनी सफलता की डींगें हाँकने लगता है।असफलता मिलने पर वह निराश व हताश होता है तथा अपनी असफलता का जिम्मेदार दूसरों को ठहराता है।ऐसा व्यक्ति सफलता पाकर दूसरों को अपमानित करने से भी नहीं चूकता है तथा दूसरों को अपने सामने कुछ नहीं समझता है।
  • सात्त्विक अहंकार वाले व्यक्ति तथा विद्यार्थी को सफलता मिलती है तो वह इसे भगवान की कृपा (अन्य व्यक्तियों,शिक्षकों,सहपाठियों,माता-पिता की सहायता-सहयोग) ही समझता है।असफलता मिलने पर हौसला नहीं खोता है तथा अपनी कमियों व त्रुटियों को पहचान कर उन्हें दूर करने का भरसक प्रयास करता है।
  • आत्मविश्वासी व्यक्ति को इस सत्य पर गहरी आस्था एवं विश्वास होता है कि मैं परमात्मा का अंश हूं,जो शक्तियां परमात्मा में है,वही मुझमें भी बीज रूप में विद्यमान है और इतना ही नहीं बीज रूप में निहित इन शक्तियों में अंकुरित होने की क्षमता भी है।
  • प्रयत्न करने पर कुछ भी किया जा सकता है परंतु अधिकांश छात्र-छात्राएँ तथा व्यक्ति अविश्वास से भरे होते हैं एवं अपनी क्षमताओं व संभावनाओं के बीजों को अंकुरित करने का प्रयास तो दूर रहा इस संबंध में कोई विचार तक नहीं करते।वस्तुतः मनुष्य अपने संबंध में जैसी धारणा बनाता है,वह वैसा ही बनता चला जाता है। जो स्वयं को तुच्छ अनावश्यक समझते हैं,वे शक्तिहीन ही बने रहते हैं,इस संसार में तिनके की भांति इधर-उधर थपेड़े खाते रहते हैं।जिन्हें अपनी शक्तियों का बोध नहीं,उन्हें जीवन क्षेत्र में कदम-कदम पर असफलता मिले तो कोई आश्चर्य नहीं।जो स्वयं को नहीं समझ सकते हैं,स्वयं का आकलन नहीं कर सकते हैं,उन्हें दूसरे क्यों कर महत्त्वपूर्ण समझेंगे।इसके विपरीत जिनको अपनी शक्तियों व क्षमताओं पर अटूट विश्वास है,वह वैसे ही बन जाते हैं।

3.ज्ञान प्राप्ति से आत्मविश्वास बढ़ता है (Knowledge Gain Increases Self-confidence):

  • विद्यार्थी गणित तथा अन्य विषयों का ज्ञान प्राप्त करता है त्यों-त्यों उसमें आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।जैसे कक्षा 10 के विद्यार्थी को जोड़,गुणा,भाग,बाकी अथवा भिन्नों के जोड़,गुणा,भाग,बाकी का कोई सवाल पूछा जाए तो बहुत संभावना है कि वे उसे हल कर देंगे।अतः आपका आत्म-विश्वास 95% या उससे अधिक भी हो सकता है।क्योंकि प्रथम कक्षा से लेकर दसवीं कक्षा तक आपने अनेक बार इनका अभ्यास किया है।हर सवाल की गणना में इनका अभ्यास होता है अतः ज्ञान प्राप्ति से आपमें आत्म-विश्वास बढ़ता गया है।अतः इनसे संबंधित सवालों को झट से हल कर देंगे।
  • परंतु यदि यह प्रश्न पूछा जाए कि कापरेकर नियतांक की खोज किसने की तो शायद आपको उसका उत्तर याद भी आ रहा हो लेकिन डर के कारण आप नहीं बता पाएंगे क्योंकि आपको अपने उत्तर पर आधा-अधूरा (50%) विश्वास है।इसलिए आपके आत्म-विश्वास का स्तर 50% ही होगा,लेकिन गणित के अध्यापक आपसे कहें कि आप उत्तर देने की कोशिश करें,चाहे वह गलत ही क्यों ना हो तो आप सकुचाते हुए प्रश्न का उत्तर देंगे।
  • अब यदि आपसे पूछा जाए कि विश्व की अनसुलझी गणित की समस्याएं कौन-कौन सी हैं।इस स्थिति में हो सकता है आपको एक-दो समस्याएं पता हो परंतु सभी का पता ना हो।ऐसी स्थिति में आप प्रश्न का उत्तर देने में अत्यधिक कठिनाई महसूस करें,इसलिए आपके आत्म-विश्वास का स्तर केवल 5-10% है।ऐसी स्थिति में गणित अध्यापक द्वारा पूछने व जोर देने पर भी आप कोई उत्तर नहीं देंगे।
  • तात्पर्य यह है कि ज्यों-ज्यों ज्ञान बढ़ता है और उस ज्ञान का जितना अधिक बार-बार अभ्यास करते हैं,याद करते हैं,बार-बार आपके अनुभव से गुजरता है तो आपका आत्म-विश्वास बढ़ता है।
  • अतः अध्ययन,स्वाध्याय,बार-बार अभ्यास,कौशल,विचार-विमर्श,सकारात्मकता आदि से ज्ञान बढ़ता है।फलतः प्रत्येक छात्र-छात्रा को अपने विषय,क्षेत्र तथा उपयोगी बातों का अध्ययन,मनन-चिंतन करते रहना चाहिए जिससे आत्म-विश्वास में वृद्धि होगी।
  • कई बार जानकारी व ज्ञान भी होता है परंतु सकारात्मकता के अभाव में हमारे आत्म-विश्वास में कमी हो जाती है।कई छात्र-छात्राओं द्वारा अध्ययन करते रहने पर भी उनसे यह सुना जा सकता है कि मुझे गणित में अमुक चैप्टर नहीं आता है,वो चैप्टर भी नहीं आता है,यह चैप्टर भी नहीं आता है।अतः आत्म-विश्वास में सकारात्मकता का भी योगदान होता है।

4.अपनी अंतर्निहित शक्तियों को पहचानें (Recognize Your Inherent Strengths):

  • आत्म-विश्वास को बढ़ाने का दूसरा सबसे अच्छा उपाय है अपने अंतर्निहित क्षमताओं,शक्तियों की पहचान करना।परंतु यह काम इतना आसान नहीं है,वरना इतना ही आसान होता तो अधिकांश छात्र-छात्राओं में उनकी क्षमताएं सोई पड़ी हुई नहीं रहती।इसका कारण यह होता है कि हम ज्यादा से ज्यादा सांसारिक ज्ञान,भौतिक चीजों के बारे में जानकारियां,दूसरों के बारे में जानने में तो दिलचस्पी लेते रहते हैं और स्वयं के बारे में अनजान बने रहते हैं।फलस्वरूप संसार के अधिकांश व्यक्ति अथवा छात्र-छात्राएं जैसे पैदा होते हैं वैसे ही बड़े होकर तथा मात्र अपने पारिवारिक दायित्वों को निभाकर मर-खप जाते हैं।
  • अपने बारे में,स्वयं के बारे में बहुत कम लोग तथा विद्यार्थी होते हैं जो जानते हैं और अधिक से अधिक जानने की कोशिश करते हैं।जब भी आप अपनी अंतर्निहित क्षमताओं,शक्तियों को पहचान लेते हैं और उसे उभारने,निखारने व तराशने में लग जाते हैं तो आपका आत्म-विश्वास कई गुना बढ़ जाता है।आप आम आदमी से खास आदमी बन जाते हैं।
  • अपनी शक्तियों को जगाने का तरीका है कि आप अपना आत्म-निरीक्षण करने की आदत डालें।अपनी खूबियों की तरफ ध्यान दें।रोजाना 10-20 मिनट एकांत में ध्यान करें और उन पर नजर डालें।धीरे-धीरे अभ्यास करने,ध्यान करने,एकाग्रता सधने से आपको अपनी विशेषताएं नजर आने लगती हैं।
  • अपनी उपलब्धियों को याद करें।अपनी शक्तियों को जगाने के लिए अपनी छोटी-छोटी उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करें।उनको तराशने के लिए ज्योंही ही मौका मिले तो आगे बढ़कर उसमें हिस्सा लें।परंतु होता यह है कि विद्यार्थी संकोचवश अवसर का लाभ नहीं उठाते हैं।परंतु यदि आप अवसर का लाभ उठाएं,अपनी झिझक दूर करें तो आपको एहसास होगा कि आपके अंदर बहुत क्षमता है और आप भी वो सब कर सकते हैं जो महान गणितज्ञ,वैज्ञानिक,प्रोफेसर,इंजीनियर,जेईई-मेन व एडवांस में तथा अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं में टॉप करने वाले करते हैं और कर रहे हैं।
  • अपनी अंतर्निहित क्षमताओं को पहचानने के लिए आप अपने माता-पिता,सच्चे मित्रों,अध्यापक अथवा काउंसलर से भी मदद ले सकते हैं।परंतु तब भी अंततः निर्णय आपको खुद ही लेना पड़ेगा।महान् गणितज्ञ व वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन पढ़ने में फिसड्डी थे और सभी बच्चे उन्हें चिढ़ाते थे परंतु ज्योंही उन्हें अपनी क्षमता का ज्ञान हुआ उन्होंने चमत्कारिक आविष्कार किए।महाकवि कालिदास,बोपदेव आदि ऐसे अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं।

5.अपने क्षेत्र के महान व्यक्तियों से प्रेरणा लें (Take Inspiration From the Greats in Your Field):

  • जिन महान गणितज्ञों,वैज्ञानिकों,महापुरुषों तथा अतिप्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं में गजब का आत्म-विश्वास देखते हैं उन्होंने शुरुआत अपने सामान्य स्तर से ही की थी।कई महान् लोगों की जीवनियाँ पढ़ेंगे तो आप पाएंगे कि आप जिस स्थिति में है,वे उससे भी खराब स्थिति में थे।इससे आपको प्रेरणा मिलती है,आपमें भी कुछ ऐसा कर गुजरने का हौसला आता है जो उन्होंने किया है।
  • आप सोचने के लिए विवश होंगे कि जब आपसे खराब स्थिति में रहने पर वे सफल हो सकते हैं तो आप क्यों नहीं हो सकते हैं? ऐसे एक नहीं अनेक उदाहरण मिल सकते हैं।
  • यदि आपमें खेल या स्वास्थ्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने की क्षमता है तो महर्षि स्वामी रामदेव से सीख सकते हैं जिन्होंने साधारण स्तर से अपनी शुरुआत की थी।यदि आप विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं और आपमें ऐसी क्षमता है तो डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम आजाद से सीख सकते हैं जिन्होंने साधारण स्तर से अपनी शुरुआत की थी और मिसाइल मैन के नाम से विख्यात हुए तथा एक दिन भारत के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के पद पर जा विराजे।
  • आप अध्ययन करेंगे और देखेंगे तो पाएंगे कि हर महान गणितज्ञ,वैज्ञानिक,महापुरुष ने छोटी सी शुरुआत की और एक दिन शीर्ष स्तर पर जा विराजे।उन्हें शीर्ष स्तर पर आत्म-विश्वास,कठिन परिश्रम,लगन,विवेक,धैर्य व साहस के बलबूते पर ही वहां तक पहुंचाया।याद रखें जन्मजात प्रतिभा लेकर गिने-चुने व्यक्ति ही जन्म लेते हैं।अधिकांश व्यक्ति संघर्ष की भट्टी में तपकर निखरते हैं।उन्होंने अपने गुणों,शक्तियों व क्षमताओं को पहचाना। उन क्षमताओं,शक्तियों व गुणों में धार पैदा की,उभारा,तराशा,उन पर बार-बार अभ्यास किया।आप भी ऐसा करेंगे तो आपका आत्म-विश्वास बढ़ेगा और मंजिल अपने आप कदमों में आ जाएगी।

6.आत्मविश्वास की प्राप्ति में बाधक (Hindrance to Self-confidence):

  • अब प्रश्न यह होता है कि ये सब बातें जान-समझकर भी हमारे अंदर आत्म-विश्वास क्यों नहीं जागता,आत्म-विश्वास में वृद्धि क्यों नहीं होती,क्यों नहीं यह सब जानते समझते हुए भी हम फिसड्डी रह जाते हैं और अन्य शीर्ष पर जा विराजते हैं।
  • इसके अनेक कारण हैं जिनमें मुख्य कारण हैं हमारी मानसिकता,हमारी नकारात्मक सोच,हमारी कार्य प्रणाली,हमारी बुरी आदतें जो हमारे आत्म-विश्वास को कम करती हैं।
  • जीवन में,कार्य क्षेत्र में,अध्ययन करते समय हमसे थोड़ी-बहुत गलतियां हो जाती हैं और असफलता मिलना भी स्वाभाविक है।परंतु इन्हें बार-बार स्मरण करने से आत्मविश्वास घटता है,हमारे अंदर नकारात्मकता पैदा होती है,हम हताश व निराशा हो जाते हैं।इन भूलों,त्रुटियों तथा असफलताओं की उपयोगिता यही है कि उनसे अनुभव प्राप्त कर भविष्य में इन्हें न दोहराया जाए और जो कमी,कमजोरी,दुर्बलता है,उसे दूर किया जाए।
  • इसके अलावा आत्म-विश्वास की प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा संशय है।गीता में कहा गया है कि ‘संशयात्मा विनश्यति’ अर्थात् संशय करने वाला व्यक्ति विनाश को प्राप्त होता है,वह कुछ नहीं कर सकता है,क्योंकि इस स्थिति में उसका आत्म-विश्वास घट जाता है।
    विवेकहीन,श्रद्धारहित और संशय में पड़ा हुआ व्यक्ति विनाश को प्राप्त होता है।इसलिए हम जो भी कर्म करें (अध्ययन,जाॅब अथवा अन्य कोई) वह श्रद्धापूर्वक व आत्म-विश्वास के साथ करें तो उस कर्म को दक्षता और पूर्णता के साथ कर सकेंगे जिससे काम सफल हो सकेगा।ऐसा कर्म आसक्तिरहित होकर करें तो हमारे लिए हितकारी और कल्याणकारी होगा।
  • ज्ञान प्राप्त करने की मुख्य शर्ते भी हैं कि इंद्रियों को वश में रखें,समर्पित होकर अध्ययन अथवा अन्य कर्म करें और संदेहरहित आस्था अर्थात् श्रद्धावान होना।इन शर्तों को पूरा करने वाला ही ज्ञान को उपलब्ध होता है।ज्ञान को उपलब्ध होते ही हमारी मुसीबतें,झंझटें खत्म हो जाती हैं।और जैसा कि ऊपर उल्लेख किया जा चुका है कि ज्ञान को उपलब्ध होने पर आत्म-विश्वास जाग जाता है।आत्म-विश्वास के बल पर कठिन से कठिन कार्य संपन्न किये जा सकते हैं।हमारे अंदर जड़ जमाएं हुए संशय,नकारात्मकता,बुरी आदतों और मानसिकता को हमें ही बदलना होगा तभी हम अपने आत्म-विश्वास की अनुभूति कर सकते हैं।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में आत्मविश्वास को जगाने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Build Self-confidence),छात्र-छात्राओं के लिए आत्म-विश्वास को जगाने की 6 टिप्स (6 Tips for Students to Build Self-confidence) के बारे में बताया गया है।

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7.कामचोर गणित शिक्षक (हास्य-व्यंग्य) (Shirker Math Teacher) (Humour-Satire):

  • प्रिंसिपल ने गणित शिक्षक से कहा:आप बहुत देर से स्कूल में आए हैं।
  • गणित अध्यापक (इल्जाम लगाते हुए):और आप भी तो सुबह से निगरानी कर रहे हो,तनिक भी इधर-उधर नहीं हो रहे हो।
  • प्रिंसिपल:मैं 2 घंटे से तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा था,तुम्हारे आने का इंतजार कर रहा था।बच्चे कक्षा में बहुत शोर कर रहे हैं।
  • गणित अध्यापक:और मैं 2 घंटे से इसी इंतजार में बाहर खड़ा था कि आप इधर-उधर हो जाओ तो मैं अंदर आ जाऊं।

8.आत्मविश्वास को जगाने की 6 बेहतरीन टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 6 Best Tips to Build Self-confidence),छात्र-छात्राओं के लिए आत्म-विश्वास को जगाने की 6 टिप्स (6 Tips for Students to Build Self-confidence) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.आशातीत सफलता कैसे प्राप्त की जा सकती है? (How Can the Expected Success Be Achieved?):

उत्तर:जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए आत्म-विश्वास की आवश्यकता होती है।आत्म-विश्वास सफलता की जननी है।किसी भी प्रकार की सफलता आत्म-विश्वास के अभाव में प्राप्त नहीं की जा सकती।यदि मिल भी जाती है तो यह माना जाएगा कि संयोगवश मिली है जो ज्यादा देर टिकाऊ नहीं होती है।धरती को हिलाने के लिए धरती के बाहर खड़े होने की आवश्यकता नहीं है; आवश्यकता है-आत्मा की शक्ति को जानने-जगाने की।इसी का दूसरा नाम आत्म-विश्वास है।जिसको अपने जीवन में जाग्रत करके कोई भी व्यक्ति स्वयं में,समाज में,देश में आशातीत परिवर्तन कर सकता है।

प्रश्न:2.संशयग्रस्त कुछ भी करने में असमर्थ क्यों होता है? (Why is the Skeptic Unable to Achieve Anything?):

उत्तर:संशयग्रस्त व्यक्ति का आत्म-विश्वास घट जाता है और आत्म-विश्वास घटते ही मनोबल कमजोर हो जाता है।किसी भी व्यक्ति अथवा छात्र-छात्रा का यदि मनोबल तोड़ दिया जाए,मनोबल को कमजोर कर दिया जाए तो उसकी हार निश्चित है।यदि आत्म-विश्वास को जगाया जाए,बढ़ाया जाए तो वही व्यक्ति किसी भी कार्य को करने में सफल हो जाता है।संशय से मनोबल की एकाग्रता भंग हो जाती है।उसकी ऊर्जा अनेक दिशाओं में बँट जाती है।वह हमेशा किसी भी कार्य को करने में यही सोचता रहता है कि यह कार्य करूं या ना करूं।इस प्रकार ऊहापोह की स्थिति में वह कुछ भी करने में असमर्थ रहता है।

प्रश्न:3.संशय के अतिरिक्त आत्म-विश्वास में क्या-क्या बाधक है? (Apart From Doubt What Are the Barriers to Self-confidence?):

उत्तर:संशय के अतिरिक्त परनिर्भरता,पलायनवादिता,चिंता करने की प्रवृत्ति,निराशावादिता,तर्कशीलता की अति,नकारात्मक सोच,लोभ,मोह,तृष्णा,ईर्ष्या,द्वेष आदि मन के विकार इत्यादि भी व्यक्ति में आत्म-विश्वास की प्राप्ति में बाधक होते हैं।इनको दूर करने का प्रयास करना चाहिए,ताकि आत्मविश्वास जाग्रत हो सके।अपने अंदर सोए हुए आत्म-विश्वास को जाग्रत व विकसित कर लिया गया तो सफलताएं बरसती चली जाती है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा आत्मविश्वास को जगाने की 6 बेहतरीन टिप्स (6 Best Tips to Build Self-confidence),छात्र-छात्राओं के लिए आत्म-विश्वास को जगाने की 6 टिप्स (6 Tips for Students to Build Self-confidence) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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