5 Best Techniques to Lead Efficiently
1.कुशल नेतृत्व करने की 5 बेहतरीन तकनीक (5 Best Techniques to Lead Efficiently),नेतृत्व क्षमता विकसित करने की 5 तकनीक (5 Techniques to Develop Leadership Potential):
- कुशल नेतृत्व करने की 5 बेहतरीन तकनीक (5 Best Techniques to Lead Efficiently) के आधार पर नेतृत्व क्षमता को विकसित करने की युक्तियां जान सकेंगे।जब भी किसी स्टूडेंट या प्रोफेशनल की कहीं भी चर्चा होती है तो उसकी स्किल्स की चर्चा जरूर होती है।उन स्किल्स में नेतृत्व क्षमता (Leadership) का भी बहुत अधिक महत्त्व है।
- प्रभावी और कुशल नेतृत्व के बिना आप किसी भी फील्ड में सफलता अर्जित नहीं कर सकते हैं।शिक्षा संस्थानों में कोई भी प्रोग्राम आयोजित करना हो तो कुशल नेतृत्व करने वाले छात्र को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
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2.नेतृत्व गुण कैसे विकसित करें? (How to develop leadership qualities?):
- शायद छात्र-छात्राओं को ऐसा लगता है कि जाॅब करने या किसी कंपनी,विभाग,इंस्टिट्यूट का उच्चाधिकारी को ही नेतृत्व करने की आवश्यकता होती है और छात्र-छात्राओं को इसकी कोई जरूरत नहीं होती है।पहली बात तो यह है कि नेतृत्व क्षमता एकाएक विकसित नहीं होती है।किन्हीं लोगों में नेतृत्व क्षमता जन्मजात होती है परंतु उसको विकसित करने के लिए भी प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है या कह लीजिए कि प्रशिक्षण से नेतृत्व क्षमता में और अधिक निखार आ जाता है।
- दूसरी बात छात्र-छात्राओं को भी कभी ना कभी जॉब करना है तो चाहे आप छोटे पद पर ही कार्यरत क्यों ना हो आपको नेतृत्व क्षमता की हर कदम पर आवश्यकता होती है।आप स्वयं का नेतृत्व करें या दूसरों को नेतृत्व प्रदान करें,कम्पनी में,विभाग में आपकी इन कुछ विशिष्ट स्किल्स को देखकर ही आगे प्रमोशन मिलता है।आप जो भी जॉब करते हैं उसमें निर्णय लेने की क्षमता,समस्या का समाधान,अपनी बात को प्रभावी तरीके से व्यक्त करने का तरीका,दूसरों को ध्यान से सुनना आदि गुण होंगे तभी जाॅब के साथ न्याय कर पाएंगे और ये सभी लक्षण नेतृत्व के ही तो है,हालांकि नेतृत्व करने के लिए अनेक और गुणों की भी आवश्यकता होती है।
- तीसरी बात स्टूडेंट लाइफ में भी आपको साथ बैठकर पढ़ना-लिखना होता है।अपने साथियों के साथ तालमेल बिठाना होता है।कक्षा के सुचारू संचालन के लिए सभी को साथ लेकर और अनुशासन में रखना होता है,ध्यानपूर्वक शिक्षक की बातों को सुनना होता है,अपनी समस्या को स्पष्ट,सरल और प्रभावी तरीके से शिक्षक के सामने प्रस्तुत करना होता है,कक्षा में शोर-शराबा होता है तो कक्षा के अन्य छात्राओं को शांत करके चुप करना होता है,शिक्षा संस्थान में कोई सांस्कृतिक प्रोग्राम का संचालन करना हो,कक्षा का मॉनिटर बना दिया जाए या किसी फुटबॉल टीम या अन्य खेल का कप्तान बना दिया जाए तो इन सभी में नेतृत्व क्षमता की आवश्यकता होती है।
- अतः उपर्युक्त कार्यों में एक्टिव रहना चाहिए और इन कार्यों के द्वारा अपने अंदर छिपे हुए नेतृत्व क्षमता के गुणों को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए।पेरेंट्स तथा शिक्षकों को भी अपने बच्चों में नेतृत्व क्षमता का विकास करना चाहिए।छोटे-छोटे लक्ष्य देकर तथा उन्हें प्रोत्साहित करके उनमें इस गुण का विकास किया जाता है।बच्चे शर्म,संकोच के कारण इस तरह के प्रोग्राम को लीड करने से पीछे हटते हैं या जिम्मेदारी दूसरों को देने के लिए कहते हैं ऐसी स्थिति में उनकी झिझक को दूर करना चाहिए,उन्हें इस तरह से प्रोत्साहित किया जा सकता है कि हम है ना आपके साथ।
3.निर्णय लेने की क्षमता और जिम्मेदारी (Decision-making ability and responsibility):
- लीडरशिप हर किसी में नहीं होती है,इसके कई कारण होते हैं।परंतु एक लीडर ही अपनी टीम,संस्था,विभाग या कंपनी को आगे से आगे बढ़ाने का कार्य करता है और एक से एक कठिन लक्ष्य सामने रखता है।सभी को गाइड करने के साथ-साथ उन्हें दिशा-निर्देश देता है और कठिन लक्ष्य को कैसे प्राप्त करना है इसके तरीके बताता है।दरअसल किसी में केवल लीडरशिप होना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि कुशल तथा प्रभावी लीडरशिप का होना जरूरी है।
- लीडर के सामने कई कठिन समस्याएं आती हैं,उसके समाधान के लिए उसके फॉलोअर्स से विभिन्न आइडियाज भी आते हैं,उन सभी आइडियाज का विश्लेषण करके उसे ही विशिष्ट समस्या के समाधान का एक सुनिश्चित निर्णय लेना होता है।चूँकि लिए गए निर्णय के आधार पर जरूरी नहीं की सफलता मिल ही जाए,इसलिए वह कदम-कदम पर निगरानी रखता है।केवल निर्णय लेकर और टीम को दिशा-निर्देश देकर ही लीडर फ्री नहीं होता है बल्कि वह कदम-कदम पर उनके साथ रहता है,साथ चलता है।
- बीच-बीच में कुछ अप्रत्याशित बाधाएँ भी आ जाती हैं उनको भी हल करता है।समय-समय पर किए गए कार्य की समीक्षा करता रहता है और आवश्यकता होने पर अपने निर्णय में संशोधन भी करता रहता है यानी उसे लक्ष्य प्राप्ति के लिए वह सब करना पड़ता है जिससे सफलता प्राप्त हो सके,लक्ष्य तक पहुंचा जा सके।
- अनेक ऐसे अवसर आते हैं जब टीम के सदस्य हौसला खो देते हैं और अपने हाथ खड़े कर देते हैं तब लीडर ही उनका हौसला बढ़ाता है,क्रिटिकल पोजीशन से बाहर कैसे निकला जाए इसके तरीके बताता है।
- किसी भी मुद्दे पर आम सोच से अलग हटकर सोचता है,परंपरागत सोच के बजाय उसकी क्रिटिकल थिंकिंग होती है।क्रिटिकल थिंकिंग (अपनी स्वयं की सोच,अलग हटकर सोच) ही उसे अन्य लोगों से अलग बनाती है।अपने इसी नजरिए और निर्णय क्षमता के कारण वह टीम को लीड करता है।
- लक्ष्य पूरा होने पर सफलता मिलने पर उसको सबमें बाँटता है यानी उसका श्रेय सभी को देता है,जिससे टीम उत्साहित होती है।यदि टीम में किसी ने विशिष्ट कार्य किया है,विशिष्ट योगदान दिया है,अपनी विशिष्ट छाप छोड़ी है तो सबके सामने उसकी प्रशंसा करता है।जब लीडर किसी की प्रशंसा करता है तो वह अभ्यर्थी उत्साहित होता है और टीम के अन्य सदस्य भी प्रोत्साहित होते हैं तथा उसके जैसे काम करने का संकल्प लेते हैं।
- लक्ष्य पूरा होने पर असफलता भी मिल सकती है।असफलता मिलने पर उसकी जिम्मेदारी स्वयं लेता है।असफलता के कारणों पर चिंतन-मनन करता है और भविष्य में वैसी असफलता न मिले इसके लिए जरूरी कदम उठाता है,असफलता से सबक लेता है।असफलता में टीम के अन्य सदस्यों का हौसला बनाए रखने के उपाय सोचता है।क्योंकि असफलता मिलने पर टीम के बिखरने के चांसेज बढ़ जाते हैं,टीम के सदस्यों में निराशा व हताशा घर कर जाती है।प्रभावी लीडर की नेतृत्व क्षमता का सही मायने में मूल्यांकन असफलता मिलने पर टीम को एकजुट रखने,प्रोत्साहित करने,टीम को बिखरने से बचाने के आधार पर ही होती है।क्योंकि सफलता के तो सभी संगी-साथी होते हैं परंतु असफलता के कोई संगी-साथी नहीं होना चाहते हैं अतः लीडर के सामने उन्हें एकजुट रखने की चुनौती होती है।
4.प्रभावी वक्तव्य कला (Effective Oratory Art):
- यदि आपमें प्रभावी वक्तव्य क्षमता है तो लोग या टीम के सदस्य आपकी बात को सुनेंगे।यदि आपमें प्रभावी वक्तव्य क्षमता नहीं है तो टीम के मेंबर्स आपकी बात को नजरअंदाज करेंगे,आपकी बात को ध्यान से नहीं सुनेंगे।एक प्रभावी नेता को पता होता है कि कब,क्या और कितना बोलना है।बात को इस तरह से प्रस्तुत रखना चाहिए कि वह अपने फॉलोवर्स,टीम के सदस्यों के दिल को छू जाए।आप द्वारा कही गई बात को पूरा करने के लिए उनमें जोश भर दें,वे उसे पूरा करने के लिए कृत संकल्प हो जाएं।
अपनी बात को बिना झिझक,स्पष्ट,प्रभावी और दिलचस्प तरीके से समझाने की कोशिश करें।अपनी बात को समझाने के लिए उदाहरणों का सहारा ले।अथवा किसी घटित घटना के द्वारा व्यक्त करने का प्रयास करें। - मौके और माहौल के हिसाब से अपनी आवाज को बुलंद,मध्यम अथवा धीमा रखें,तो आपकी बात का अच्छा खासा प्रभाव पड़ेगा।अपनी टीम के सदस्यों,फॉलोवर्स के मूड और रुचियों को भी जानने की कोशिश करें।उन्हें भी बोलने का मौका दें।इस तरह से आपकी बात अधिक सरल और भावात्मक होती है।
- कहे गए वाक्यों के साथ हावभाव और शारीरिक प्रतिक्रियाओं में तालमेल होना चाहिए।जैसे आतंकवादियों पर एक्शन लेने के लिए आपकी आवाज बुलंद और हावभाव भी तीखे-तेवर लिए हुए और चेहरे पर आक्रोश का भाव होना चाहिए।परंतु कहीं दुर्घटना घटित हो गई और उसमें बहुत से लोग मारे गए तब आपकी आवाज में संवेदना झलकनी चाहिए और शारीरिक हावभाव भी उसी के अनुसार होना चाहिए,चेहरे पर दुःखी होने के भाव झलकने चाहिए।
- कई बार आप जो बात करना चाहते हैं तो आपके फॉलोवर्स अथवा टीम के सदस्य उसका कुछ और ही भाव या अर्थ लगा लेते हैं।अतः अपनी कही गई बात को उन्होंने किस तरह समझा है उसका फीडबैक भी लेना चाहिए ताकि आपको पता चल सके कि आपने जो कहा है वही समझा गया है या कुछ और अर्थ लिया गया है।
- अपनी बात को तथ्यों,आंकड़ों के साथ रखनी चाहिए।तथ्यों,आंकड़ों व उदाहरणों के द्वारा किसी बात को कहने का असर अधिक होता है जबकि कपोल,कल्पित,तथ्यहीन बातें श्रोता,फोलोअर्स अथवा टीम के सदस्यों पर अपना प्रभाव नहीं छोड़ती है।
- अपनी बात इतनी प्रभावी ढंग से कहें कि फॉलोअर्स और टीम के सदस्य आपकी बात को मंत्रमुग्ध होकर सुनते रहें यानी आपकी बात बोझिल,ऊबाऊ नहीं होनी चाहिए।इसीलिए फॉलोअर्स व टीम के सदस्यों के मूड और रुचियों का ध्यान रखने के लिए कहा गया है।उदाहरणार्थ स्वामी विवेकानंद अध्यात्म,धर्म,दर्शन पर ही व्याख्यान दिया करते थे।अध्यात्म,धर्म,दर्शन की शब्दावली इतनी गूढ़ और नीरस होती है कि सामान्य व्यक्ति उसको सुनना,समझना ही पसन्द नहीं करते तो अध्यात्म,धर्म,दर्शन की बातों को जीवन में अपनाने की बात तो बहुत दूर की कोढ़ी है।परंतु वे धर्म,अध्यात्म,दर्शन की जितनी भी बातें इतनी सरस,सहज और स्वाभाविक ढंग से कहते थे कि लोग मंत्रमुग्ध होकर उनकी बातों को घंटों तक सुनते रहते थे,उन्हें उनके प्रवचनों,व्याख्यानों में बिल्कुल बोरियत ही महसूस नहीं होती थी।इसका मतलब यह नहीं है कि उनके श्रोताओं में धर्म व अध्यात्म की समझ रखने वाले लोग ही होते थे,नहीं बल्कि आम व साधारण लोग भी रुचिपूर्वक हिस्सा लेते थे।
5.दूसरों की बात को ध्यान से सुनें (Listen carefully to others):
- लीडर होने का अर्थ यह नहीं है कि आप ही आप बोलते रहें,टीम के सदस्यों और फॉलोअर्स की बातों को नजरअंदाज करें।यदि आप उनकी बात ध्यान से सुनेंगे,उनकी बातों में दिलचस्पी लेंगे तो वे भी आपकी बात को ध्यान से सुनेंगे और आपसे प्रभावित होंगे।लोग आपकी बातों को भूल सकते हैं,आपने जो किया वह भूल सकते हैं परंतु यदि आप कोई खास बात महसूस कराने में सफल होंगे तो वे कभी भी नहीं भूलेंगे।
- जब भी आपस में चर्चा चल रही हो तो बातों को बहुत गौर से सुनें और कुछ भी सलाह देने से पहले अपने आपसे कुछ सवाल पूछें और उनके उत्तर तलाश करें।इसके बाद ही कुछ सुझाव दें।
- अपनी बात को पूरा करवाने,अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के दौरान आपने जो भी हिंटस (hints) दिए हैं उन्हें बीच-बीच में याद कराते रहें।सामने वाले ने जो बात कही हो उसी से आप अपना जवाब शुरू करें,इससे आप एक अच्छा श्रोता भी साबित होंगे।
- अपने फॉलोवर्स,टीम के सदस्यों के साथ वार्तालाप करके समय,किसी मुद्दे पर चर्चा करते समय,किसी समस्या को हल करते समय अथवा आपके फॉलोवर्स,मीटिंग के सदस्य,टीम के सदस्य कोई मुद्दे पर लीडर को कुछ बता रहे हो,बोल रहे हों,तो उस समय उन चीजों से दूर रहें जो आपको डिस्टर्ब करती हो,जैसे मोबाइल फोन आदि।तात्पर्य यह है कि वार्तालाप करते समय या उनकी बात को सुनते समय पूर्ण रूप से एकाग्र रहें यानी आपको एक अच्छा श्रोता बनना चाहिए।इस तरह आपका फोकस उनकी बात सुनने पर होगा या जिस मुद्दे पर चर्चा हो रही है उस पर होगा।अतः वक्ता (फॉलोअर) क्या कहना चाहता है,उसे तरीके से समझ पाएंगे।इसके बाद आप उस पर विचार-चिंतन करके,वार्ता के विभिन्न बिंदुओं पर सोचकर आप एक बेहतरीन सुझाव दे पाएंगे।
- वस्तुतः लीडर होना किसी भी टीम,संगठन,विभाग,संस्था व संस्थान के लिए निहायत ही जरूरी है।उपर्युक्त संगठनों में लीडर का न होना या लीडरशिप में कमी होना फॉलोअर्स,टीम के सदस्यों के लिए बिल्कुल वैसा ही है जैसे बिना कंपास के जहाज का चलना जो कहीं भी जाकर टकरा सकता है और नष्ट हो सकता है।अतः अपने आपमें विद्यार्थियों को शुरू से ही लीडरशिप के गुण विकसित करने चाहिए,हमेशा सीखते रहना चाहिए,नई-नई बातें जानना चाहिए।ऐसा करते रहने वाला लीडर समय के साथ परिपक्व होता जाता है और टीम को या ऑफिस को निरंतर आगे बढ़ाता रहता है।अतः स्टूडेंट लाइफ में लीडरशिप क्वाॅलिटी विकसित होती ही रहनी चाहिए।अक्सर विद्यार्थी अपने कोर्स की पुस्तकें ही पढ़ते रहते हैं तथा इस तरफ उनका बिल्कुल ही ध्यान नहीं रहता है बाद में जॉब ढूंढते समय उन्हें अनफिट,अयोग्य करार दे दिया जाता है और दर-दर की ठोकरे खाते रहते हैं।
- उपर्युक्त आर्टिकल में कुशल नेतृत्व करने की 5 बेहतरीन तकनीक (5 Best Techniques to Lead Efficiently),नेतृत्व क्षमता विकसित करने की 5 तकनीक (5 Techniques to Develop Leadership Potential) के बारे में बताया गया है।
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6.गणित का आविष्कार किसने किया? (हास्य-व्यंग्य) (Who Invented Mathematics?) (Humour-Satire):
- गणित शिक्षक (बच्चों से):गणित का आविष्कार किसने किया?
- एक छात्र:सर,जरूर किसी सिरफिरे व्यक्ति ने किया होगा,क्योंकि गणित के सवाल सामने आते ही सिर चकराने लगता है,सिर घूमने लगता है।
7.कुशल नेतृत्व करने की 5 बेहतरीन तकनीक (Frequently Asked Questions Related to 5 Best Techniques to Lead Efficiently),नेतृत्व क्षमता विकसित करने की 5 तकनीक (5 Techniques to Develop Leadership Potential) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.आजकल जॉब में नियुक्ति किन लोगों की की जाती है? (Who are the people appointed in the job nowadays?):
उत्तर:पहले अनुभवी लोगों को जाॅब में नियुक्ति की जाती थी परंतु आजकल नई तकनीक के साथ-साथ नई प्रोग्रामिंग भाषाओं का ज्ञान रखने वाले लोगों को ज्यादा अवसर दिए जाते हैं।यानी क्षेत्र कोई भी हो स्किल्स बढ़ाना जरूरी है।जो हमेशा नया सीखने के लिए तैयार रहता है।नई-नई तकनीक के साथ अपने आपको अपडेट रखता है।हमेशा सीखने की चाह रखता है उसे नियुक्ति में तरजीह दी जाती है।
प्रश्न:2.लीडर टीम को एकजुट कैसे रखें? (How to keep the leader team together?):
उत्तर:लीडर का व्यक्तित्व प्रभावी होना बहुत आवश्यक है।वे अपनी नॉलेज और एक्सपीरियंस को शेयर करके अपनी टीम के सदस्यों की मदद करते हैं।टीम के सदस्यों के सामने आने वाली कठिनाइयों को गौर से सुनते हैं और उसको सॉल्व करते हैं।अपने आपको टीम से अलग नहीं,बल्कि टीम का ही एक हिस्सा समझते हैं।टीम के सदस्यों की हर संभव मदद करते हैं।वे टीम को एकजुट रखते हैं।
प्रश्न:3.टीम लीडर का एक विशिष्ट गुण लिखो। (Write a distinctive trait of a team leader):
उत्तर:टीम लीडर को पॉजिटिव एटीट्यूड रखना चाहिए।उसे कभी हार न मानने वाला एटीट्यूड रखना चाहिए जिसे प्रॉब्लम सॉल्व होती हैं।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा कुशल नेतृत्व करने की 5 बेहतरीन तकनीक (5 Best Techniques to Lead Efficiently),नेतृत्व क्षमता विकसित करने की 5 तकनीक (5 Techniques to Develop Leadership Potential) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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