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4 Tips to Wake up Great Man Inside You

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1.अपने अंदर के महापुरुष को जगाने की 4 टिप्स (4 Tips to Wake up Great Man Inside You),गणित के छात्र-छात्राएं अपने अन्दर के महापुरुष को कैसे जगाएँ? (How Do Mathematics Students Wake up to Great Man Within Them?):

  • अपने अंदर के महापुरुष को जगाने की 4 टिप्स (4 Tips to Wake up Great Man Inside You) के आधार पर आप यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि आपके अंदर कोई गणितज्ञ,वैज्ञानिक,महान खिलाड़ी,कलाकार अथवा महान व्यक्ति में से कौनसा विशिष्ट व्यक्ति छुपा बैठा है? यदि हम प्रमादवश इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं तो साधारण तथा गई गुजरी स्थिति में ही पड़े रहते हैं और उससे ऊपर उठने का प्रयास नहीं करते हैं। अपने अंदर के महान व्यक्तित्त्व को पहचानने व जगाने का प्रयास भी कर सकते हैं जबकि हम उसके लिए कुछ समय देते हैं।एकांत में जाकर और सांसारिक बातों को छोड़कर गंभीरतापूर्वक विचार चिंतन करते हैं और बार-बार यह प्रश्न करते हैं कि मेरे अंदर ऐसी कौन सी विशेषता है? क्या मेरा जन्म साधारण तरीके से जीवन बिताने के लिए ही हुआ है या सृष्टा ने मुझे संसार में कोई महान उद्देश्य पूर्ण करने के लिए भेजा है।
  • आपको अवश्य ही अंदर से यह उत्तर मिलेगा कि आप संसार में अच्छा व ऊँचा उद्देश्य पूरा करने के लिए जन्मे है।अपने अंदर के इस व्यक्ति का महत्त्व समझे,मूल्यांकन करें और उपयोग कीजिए तो आप देखेंगे कि आप एक साधारण छात्र-छात्रा से महान छात्र-छात्रा बन सकते हैं।
  • संसार के प्रत्येक छात्र-छात्रा में कोई न कोई महान व्यक्ति सोया पड़ा हुआ है,वह आपके अंदर भी है।यदि ऐसा न होता तो कालिदास साधारण स्थिति से महाकवि कालिदास न बन पाते।गणित में सबसे फिसड्डी अल्बर्ट आइंस्टीन महान् वैज्ञानिक न होते।इसी प्रकार बोपदेव प्रारंभ में पढ़ने में बिल्कुल कमजोर था परंतु बाद में वही बोपदेव विद्वान बना और संस्कृत व्याकरण की पुस्तक ‘मुग्धबोध’ लिखी।
  • उपर्युक्त उदाहरणों तथा अनेक ऐसे उदाहरणों से यही प्रमाणित होता है कि किसी भी छात्र-छात्रा तथा व्यक्ति के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है कि वह आगे जाकर जीवन के किस शिखर पर पहुंचेगा? हर छात्र-छात्रा में उन्नति और विकास करने की क्षमताएँ समाहित होती है।यदि कठोर परिश्रम द्वारा उन्हें जगाने और काम में लेने का प्रयास किया जाए तो उत्तरोत्तर उन्नति की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है।
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2.अपने अन्दर के विशिष्ट व्यक्ति को जगाने के लिए  क्या करें? (What do You do to Awaken the Specific Person within You?):

  • गणित के छात्र-छात्राओं को अपने अंदर के विशिष्ट व्यक्ति को जगाने के लिए आलस्य,प्रमाद,लापरवाही,अकर्मण्यता इत्यादि को छोड़ना होगा तथा पुरुषार्थ,निरंतर अध्ययन,लगन,उत्साह इत्यादि को अपनाना होगा।ऐसे पुरुषार्थी छात्र-छात्राएं नियम-संयम से रहकर एवं व्यवस्थित जीवन को अपनाकर दिन-रात अध्ययन में संलग्न रहते हैं।सर्दी,गर्मी,वर्षा तथा कोई प्रलोभन उनके पथ से नहीं भटका सकता है।
  • जो छात्र-छात्राएं अपने अन्दर के महापुरुष को एक बार जगा लेते हैं तो उस पथ पर बढ़ने पर मंजिल से पहले कहीं भी विश्राम नहीं करते हैं।उन्हें अपने जीवन में पूर्णता प्राप्त करने के लिए लगन,उत्साह का ऐसा नशा चढ़ता है कि उसे प्राप्त किए बिना नशा उतरता नहीं है।
  • अपने अंदर के व्यक्ति को जगाने के लिए हमें हमारे दृष्टिकोण को परिवर्तित करने की जरूरत है।यदि हम अपने आपको हीन,तुच्छ तथा कमजोर समझते हैं तो वैसे ही बनते चले जाते हैं।यदि अपने आपको उच्च होने की भावना करते हैं तो उच्चता की ओर अग्रसर होते जाते हैं।
  • अवचेतन मन की उसी प्रकार की शक्तियां जाग्रत हो जाती है और प्रेरणा पाकर उसी दिशा में अग्रसर हो जाती है जिस प्रकार की भावना होती है।यदि हमारा दृष्टिकोण उत्साह व आशा से भरा है तो हमारी सृजनात्मक शक्तियाँ काम करने लगती हैं।इसके विपरीत हमारा दृष्टिकोण निराशा और निरुत्साहपूर्ण है तो हमारी शक्तियाँ विनाशकारी कार्यों को करने में लग जाती है।यदि हम यह सोचते हैं कि हमारी शक्ति कम है,हमारे अन्दर योग्यता नहीं है,हमारे पास साधन नहीं है,हमारे अंदर साहस नहीं है तो हमारे अंदर का व्यक्ति मर जाएगा और उन्नति तथा प्रगति का रास्ता बंद हो जाएगा।
  • संसार के महान गणितज्ञ,महान वैज्ञानिक तथा महापुरुष आप और हमारी तरह ही साधारण श्रेणी तथा साधारण योग्यता एवं क्षमताओं से ही सम्पन्न थे परन्तु अपने सकारात्मक दृष्टिकोण,जीवट,अध्यवसाय,उत्साह तथा आत्मविश्वास के बल पर आगे बढ़ते गए और उन्होंने अपने अंदर निराशा,हताशा,अनुत्साह को प्रश्रय नहीं दिया।अंततः उन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लिया।आत्महीनता की भावना जीवित को मृत और चेतन को जड़ बनाकर अपंग कर देती है और जीवन में निराशा का अंधकार छा जाता है।
  • सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए अपने अंदर के महान् व्यक्ति पर विश्वास करते हुए आगे बढ़ते हैं तो हमारे मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती जाती जाती है और अभीष्ट लक्ष्य पर पहुंचना आसान हो जाता है।

3.अंदर के महान् व्यक्ति को जगाने के क्या उपाय करें? (What Measures Should be Taken to Awaken the Great Person Inside?):

  • (1.)अपने लक्ष्य में निष्ठा और विश्वास रखें।विश्वास से जो मनोबल और सृजनात्मक शक्ति प्राप्त होती है वह हमें भया,शंकाओं एवं संदेहों से दूर कर उमंग और उत्साह से भर देती है।
  • (2.)अध्ययनरूपी साधन एवं साधना से उसे जगाइए।
  • (3.)विषय वासना और भोग विलास से मन को बचाएं और अध्ययन की उत्तम कार्यशैली अपनाएं तथा जीवन के श्रेष्ठ लक्ष्य का चुनाव कीजिए।केवल इंद्रिय सुखों का भोग भोगने में आसक्ति मत रखो।
  • (4.)अपने जीवन का अधिक से अधिक समय अध्ययन तथा अपने मुख्य लक्ष्य को प्राप्त करने में लगाइए।
  • (5.)महान गणितज्ञों,वैज्ञानिकों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने का प्रयास कीजिए जो साधारण एवं सामान्य स्थिति से ऊपर उठे हैं।
  • (6.)केवल अपने स्वार्थ सिद्धि के बारे में ही मत सोचिए बल्कि दूसरों का सहयोग एवं सहायता कीजिए।
  • (7.)अपनी चिंतन की धारा को लक्ष्य की सिद्धि और समृद्धि की तरफ मोड़ दीजिए।इसके परिणामस्वरूप उन्नति एवं यश की ओर बढ़ सकेंगे।
  • (8.)अध्ययन कार्य निरन्तर करते रहिए।अध्ययन ही कार्य की सिद्धि और समृद्धि का आधार स्तंभ है।
  • (9.)अध्ययन में निरंतर कठोर परिश्रम करने वाला तथा धीरे-धीरे मनन-चिंतन को विकसित करने वाला कितनी ही निम्न स्थिति,साधारण स्थिति में हो उससे आगे बढ़ता हुआ,परिस्थितियों को परास्त करता हुआ अपनी श्रेष्ठ स्थिति को प्राप्त कर ही लेता है।
  • (10.)अपने लक्ष्य की ठीक से पहचान कीजिए और उस तरफ आगे बढ़ते जाइए।
  • (11.)अध्ययन में लापरवाही,प्रमाद,आलस्य इत्यादि को मस्तिष्क में जगह मत दीजिए।इनके स्थान पर विवेक और सद्बुद्धि को जगाइए।निर्विकार मन से सृजनात्मक शक्ति तीव्रता से बढ़ती है।बुद्धि और विवेक को अपने लक्ष्य की प्राप्ति की तरफ लगाइए।
  • (12.)असफलता से घबराकर अपने लक्ष्य से पीछे मत हटिए।पुनः प्रयास कीजिए और आगे बढ़ते जाइए।आपमें महान् पुरुष छुपा हुआ है वह प्रकट होकर रहेगा।

4.महान स्वरुप हेतु विचारणीय बिन्दु (Points to Consider for Great Nature):

  • (1.)प्रत्येक छात्र-छात्रा के जीवन और चिंतन के समान स्रोत हैं।प्रत्येक छात्र-छात्रा का मस्तिष्क महान् व्यक्ति का प्रवेश द्वार है।एक ही तरह की शक्ति प्रत्येक मस्तिष्क में कार्य करती है।यदि छात्र-छात्रा को उस महान व्यक्ति के मस्तिष्क को खोजने की कुंजी मिल जाए तो वह महान् मस्तिष्क का स्वामी बन जाए।
  • (2.)कितना ही कमजोर छात्र-छात्रा क्यों न हो उसे यही सोचना चाहिए कि वह उस विराट मस्तिष्क का एक घटक है।किसी विशिष्ट जाति,संप्रदाय या राष्ट्र का ही नहीं है।
  • (3.)ज्ञान प्राप्त करने के लिए विराट मस्तिष्क का अंग बनना होगा और अपने मस्तिष्क को विराट मस्तिष्क के रूप में विकसित करना होगा।
  • (4.)महानता पर प्रत्येक छात्र-छात्रा का जन्मसिद्ध अधिकार है।जिस प्रकार पानी की बूंद में सागर जल के समस्त गुण विद्यमान है उसी प्रकार गुणवत्ता की दृष्टि से प्रत्येक व्यक्ति उस परमसत्ता का अंश है।इसलिए प्रतिभा का वरदान लेकर हम इस जगत में आए हैं।
  • (5.)हमारे मन में जो विचार उत्पन्न हों,हम उन पर विश्वास करें और जो विचार हमारे लिए व्यक्तिगत रूप से सत्य एवं कल्याणकारी हैं,वे सभी के लिए सत्य और कल्याणकारी होने चाहिए।अपने आन्तरिक विश्वास को प्रकट करके तो देखिए,वह विश्व-मानव का विश्वास बन जाएगा।जिन्हें हम महान् प्रतिभाएँ मानते हैं उन्होंने यही किया है।
  • (6.)परंपराओं,मान्यताओं और रूढ़ियों को विवेक की कसौटी पर कसकर स्वीकार और अस्वीकार करना चाहिए।
  • (7.)पूर्ववर्ती गणितज्ञों,वैज्ञानिकों,महापुरुषों ने जो कहा और ठीक समझा उसके बजाय आप क्या सोचते हैं और क्या ठीक समझते हैं इस पर विचार-चिंतन कीजिए।सामान्यतः हम किसी महान व्यक्ति द्वारा कहे गए सिद्धान्तों और विचारों को स्वीकार कर लेते हैं।

5.अपने महान स्वरूप का दृष्टांत (Illustration of Its Great Nature):

  • महानता किसी पेड़ पर लगा हुआ फल नहीं है।महानता प्रचण्ड पुरुषार्थ की सीढ़ियों पर चढ़ने के बाद प्राप्त होता है।प्रत्येक छात्र-छात्रा उसी परिमाण में ऊँचा चढ़ता है जितना वह पुरुषार्थ करता है।गणित में अथवा किसी भी क्षेत्र में कुछ न कुछ नंई खोज,नई बातें,नया आविष्कार देकर महान बना जा सकता है शर्त यही है कि वह मानव-मात्र के हित व कल्याण में हो।बेंजामिन फ्रेंकलिन के अनुसार “अभी तक कोई भी व्यक्ति वास्तव में महान नहीं हुआ है जो गुणवान न हो”।
  • दुनिया के विचारों के अनुसार रहना आसान है।अपने विचारों के अनुसार एकांत में रहना ओर भी सरल है।परंतु महान बनने के लिए हमें अपने विचारों के अनुसार सब के मध्य एकांत में उपलब्ध मधुरता के साथ रहना होगा।
  • एक युवा गणितज्ञ को अपने गणित के ज्ञान का घमंड हो गया।उसके गुरु जिन्होंने उसे गणित सिखाई थी जो अब वृद्ध हो गए थे परंतु शिष्य गणित में सफलता पर सफलता अर्जित करता जा रहा था।कुछ ही समय में युवा गणितज्ञ को सफलता का ऐसा नशा चढ़ा कि वह अपने सामने सबको तुच्छ समझने लगा।
  • एक दिन गुरु ने समझाया कि तुम अपने महान स्वरूप को पहचानो।इस बाहरी सफलता से चकाचौंध होकर अहंकारी मत बनो।इस पर शिष्य क्रोधित होकर बोला आप मेरी सफलता से जलते हो।ईर्ष्यावश आप ऐसा कह रहे हो।गुरु ने कहा कि आखिर तुम मेरे शागिर्द (शिष्य) हो।मेरे द्वारा सिखाई गई गणित के आधार पर आगे बढ़े हो।भला मैं तुमसे ईर्ष्या क्यों करूंगा?
  • शिष्य ने कहा कि आपने तो मुझे गणित का प्रारंभिक ज्ञान ही प्रदान किया था परंतु आप बार-बार यह कह कर मेरा अपमान क्यों करते हो कि गणित की बारीकियों की जानकारी दी है।मैं गणित में आज आपको भी परास्त कर सकता हूं।चाहो तो आजमा लो।
  • गुरुजी शिष्य की बातें सुनकर दंग रह गए,फिर भी उन्होंने चुनौती स्वीकार कर ली।उन्होंने बीजगणित के सवाल हल करने को दिए।लोग गुरु और शिष्य के मुकाबले को देखकर दंग रह गए क्योंकि वे जानते थे कि शिष्य गणित के सवालों को चुटकियों में हल कर देता है इसलिए गुरु पर उन्हें दया आई।वे आंखें बंद करके उनके जीतने की दुआएं कर रहे थे।
  • कुछ देर बाद उन्होंने देखा कि शिष्य ने अपने हाथ खड़े कर दिए और कहा कि ये सवाल तो मुझसे हल नहीं हो रहे हैं।गुरुजी ने ध्यानमग्न होकर एक ही झटके में उन सवालों को हल कर दिया।सवालों को हल करने के बाद गुरु शिष्य के पास जाकर बोले कि एक यही मंत्र मैंने तुम्हें नहीं सिखाया था जिसके आधार पर कठिन से कठिन सवाल को हल किया जा सकता है।तुम्हारा घमंड तोड़ना जरूरी था।पुरानी पीढ़ी को नकारो मत बल्कि उसको साथ लेकर चलोगे तो जीवन में कभी असफल नहीं होंगे।उन्होंने कहा कि अपने अंदर के महान स्वरूप को पहचानने पर किसी भी जटिल समस्या को हल किया जा सकता है।शिष्य का घमण्ड चूर-चूर हो गया और वह गुरु के पैरों पर गिर पड़ा।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में अपने अंदर के महापुरुष को जगाने की 4 टिप्स (4 Tips to Wake up Great Man Inside You),गणित के छात्र-छात्राएं अपने अन्दर के महापुरुष को कैसे जगाएँ? (How Do Mathematics Students Wake up to Great Man Within Them?) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित के सवाल हल करना और सांस लेने में परेशानी (हास्य-व्यंग्य) (Solving Math Questions and Trouble Breathing) (Humour-Satire):

  • गणित का छात्र (डॉक्टर से):डॉक्टर साहब मैं जब भी गणित के सवाल करता हूं तो मेरी दिल की धड़कन तेज हो जाती है और मुझे सांस लेने में कठिनाई महसूस होती है।
  • डाॅक्टरःयह तो बड़े खतरे वाली बात है।आप ऐसा कीजिए कि सांस लेना बंद करके गणित के सवाल को हल करना प्रारंभ कर दीजिए।

7.अपने अंदर के महापुरुष को जगाने की 4 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 4 Tips to Wake up Great Man Inside You),गणित के छात्र-छात्राएं अपने अन्दर के महापुरुष को कैसे जगाएँ? (How Do Mathematics Students Wake up to Great Man Within Them?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.हम अपने को छोटा क्यों अनुभव करते हैं? (Why do We Feel Small?):

उत्तर:भारतीय महान संस्कृति के वंशज होकर भी हम अपने को तुच्छ,हीन एवं परतंत्र समझे तो इसका कारण यही हो सकता है कि हम अपनी सीमाओं को संकुचित करके मालकियत प्राप्त करना चाहते हैं,महान् बनना चाहते हैं।महान् बन नहीं सकते ऐसी स्थिति में हीनता और तुच्छता ही हमारे हाथ लगती है।ज्ञानीजन इसे हमारी अज्ञानता कहकर समाधान करते हैं परंतु वस्तुतः हम हमारे स्वरूप को भूले जाते हैं।हम उस विराट सत्ता के ही अंश हैं जिसे भूले हुए हैं।

प्रश्न:2.हमारा स्वरूप महान कैसे है? (How Great is Our Appearance?):

उत्तरःअथर्ववेद के अनुसार भूमि मेरी माता है और मैं पृथ्वी का पुत्र हूँ।मनुष्य होने के कारण मेरा समस्त भूमण्डल मेरा आवास है और सारा संसार मेरा परिवार है।मैं महान हूं।मनुष्य शरीर बड़े भाग्य से मिला है।चूँकि मैं मनुष्य हूँ,इसलिए समस्त सद्गुण मेरे साथी और सहयोगी हैं।आचार्य वेद की,पिता ब्रह्मा की,भाई इन्द्र की,माता साक्षात पृथ्वी की मूर्ति होती है।इसी प्रकार बहिन दया की,अतिथि धर्म की,अभ्यागत अग्नि की और जगत के सभी प्राणी अपने आत्मा की मूर्ति-आत्मरूप होते हैं।सूर्य प्राण का स्रोत है और पृथ्वी चेतना प्रदान करती है।इस प्रकार हमारा स्वरूप महान है,क्षुद्र नहीं।

प्रश्न:3.महान् होने का क्या तात्पर्य है? (What Does it Mean to be Great?):

उत्तर:कोई कितना ही महान हो,लेने के लिए उसे झुकना पड़ता है।इतना बड़ा समुद्र भी क्षुद्र नदी,नालों से पानी लेने के लिए उनसे नीचे ही रहता है।
स्वेट मार्डन के अनुसार “महानता की आकांक्षा करने से हमारी आत्मा की सर्वोत्कृष्ट शक्तियों का विकास होता है,वे जागृत हो जाती हैं।
महाकवि कालिदास के अनुसारः
“क्षुद्रेअपि नूनं शरणं प्रपन्नै ममत्वमुच्चैः शिरसां सतीव”।
अर्थात् जो महान होते हैं वे अपनी शरण में आए हुए नीच लोगों से भी वैसा ही अपनापन बनाए रहते हैं जैसे सज्जनों के साथ।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा अपने अंदर के महापुरुष को जगाने की 4 टिप्स (4 Tips to Wake up Great Man Inside You),गणित के छात्र-छात्राएं अपने अन्दर के महापुरुष को कैसे जगाएँ? (How Do Mathematics Students Wake up to Great Man Within Them?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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