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3 Best Tips to Get Encouraged

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1.उत्साहित होने की बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips to Get Encouraged),आदर्श विद्यार्थी का लक्षण उत्साहित रहना (Characteristics of Ideal Student To be Stimulated):

  • उत्साहित होने की बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips to Get Encouraged) के आधार पर विद्यार्थी अपने आपको उत्साहित कर सकेंगे।गणित का अध्ययन करने और सफलता प्राप्त करने के लिए उत्साहित करने की आवश्यकता होती है। आधुनिक युग आर्थिक तथा कड़ी प्रतिस्पर्धा का युग है।इस युग में दूसरे लोग तथा छात्र-छात्राएं एक-दूसरे को उत्साहित करने के बजाय प्रतिस्पर्धा करते हैं।आधुनिक युग में ऐसा देखने को बहुत कम मिलता है जिसमें दूसरे लोग उत्साहित करें।ऐसी स्थिति में छात्र-छात्राओं को खुद ही अपने आपको उत्साहित करना होता है।छात्र-छात्राएं गणित में अध्ययन का तुलनात्मक अध्ययन करके अपने आपको उत्साहित कर सकते हैं।यदि छात्र-छात्राओं की अध्ययन और स्वाध्याय करने की आदत है तो स्वाभाविक है कि उनके ज्ञान में वृद्धि होती है।इस प्रकार पहले से बेहतर स्थिति होने पर छात्र-छात्राएं उत्साहित होते हैं।अपने आपको उत्साहित करने के लिए छात्र-छात्राओं को खुद का आत्म-विश्लेषण करते रहना चाहिए।यदि गणित अथवा अन्य विषयों का अध्ययन करते-करते शिथिलता आ जाती है तो आपको तत्काल पता चल जाएगा कि आपके ज्ञान प्राप्ति में स्थिरता अथवा शीतलता आ गई है।
  • रोजाना गणित में तथा अन्य विषयों में नवीन ज्ञान ग्रहण करते रहना चाहिए तथा रोजाना रात को सोते समय निरीक्षण करना चाहिए कि उसके ज्ञान में वृद्धि हुई है या नहीं।उत्साहित करना न केवल छात्र-छात्राओं के लिए आवश्यक है बल्कि जो छात्र-छात्राएं जाॅब करते हैं,व्यवसाय करते हैं उनके लिए भी आवश्यक है।
  • हितोपदेश में कहा गया है कि
  • “उत्साह-सम्पन्नदीर्घसूत्रं क्रियाविधिज्ञं व्यसनेष्वसक्तम्।
    शूरं कृतज्ञं दृढ़सौहृदं च लक्ष्मीः स्वयं याति निवासहेतोः”।।
  • अर्थात् उत्साह-संपन्न,आलस्यहीन,कार्य की विधि को जानने वाला,जुआ आदि व्यसनों से रहित,शूर,कृतज्ञ और दृढ़ता के साथ मैत्री निभाने वाले पुरुष के पास रहने के लिए लक्ष्मी अर्थात धन संपन्नता और ऋद्धि-सिद्धि स्वयं चली आती है।
  • उपर्युक्त कथन का यह तात्पर्य नहीं है कि केवल उत्साह के बल पर गणित के विद्यार्थी,जाॅब करने वाले विद्यार्थी सफल हो जाएंगे तथा तरक्की करते जाएंगे।उन्हें उत्साह के साथ-साथ अन्य गुणों सद्बुद्धि,मन की एकाग्रता,धैर्य,लगन,रुचि,समय की साधना व्यावसायिक सोच,नियमित व निरन्तर अध्ययन,कठिन परिश्रम जैसे अनेक गुणों की आवश्यकता होती है।जैसे उपर्युक्त श्लोक में धन सम्पन्न तथा ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त करने के लिए कई गुणों का वर्णन किया गया है।परंतु सभी गुणों को एक साथ धारण करना संभव नहीं होता है।इसलिए धीरे-धीरे विद्यार्थी काल से ही एक-एक,दो-दो गुणों को धारण करते जाएं तथा एक-दो गुणों में सिद्धि प्राप्त हो जाए तो अन्य गुणों को धारण करते जाएं। इस प्रकार धीरे-धीरे अन्य गुणों को धारण करना आसान हो जाएगा।
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2.तेजस्वी छात्र-छात्राओं से तुलना करें (Compare with Stunning Students):

  • हालांकि दूसरे छात्र-छात्राओं से प्रतिस्पर्धा तथा तुलना करना ईर्ष्या और हीनभावना को जन्म दे सकता है।परंतु यदि आप विवेक से काम लेकर तथा निष्कपट हृदय से आगे बढ़ने के लिए तुलनात्मक अध्ययन करते हैं तो उत्साहित करने में यह तुलना आपके लिए सहायक हो सकती है। आपसे योग्यता में जो बढ़-चढ़कर हैं तो यह आवश्यक नहीं है कि उस छात्र-छात्रा जितने अंक अर्जित कर पाए।परंतु आपको उत्साहित करने और आगे बढ़ने में यह तुलना योगदान दे सकती है।
  • वस्तुतः ज्यादातर होता यह है कि आधुनिक युग में हम अपने आपसे तुलना करने को भूल जाते हैं और दूसरे छात्र-छात्राओं से तुलना प्रारंभ कर देते हैं।
  • यदि आप मन लगाकर पूर्ण जिम्मेदारी से उत्साहित होने के लिए तुलना करेंगे तो आप आगे से आगे बढ़ते जाएंगे।
    सकारात्मक ढंग से आगे बढ़ने के लिए गुणों को धारण करेंगे तो भले ही कितनी देर लगे पर एक दिन आप सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते जाएंगे। असफलता,परिस्थितियों,परेशानियों,समस्याओं का सामना होने पर निराश न हों,हिम्मत न हारे।
  • अपने आपसे तुलना करने से विद्यार्थी अंतर्मुखी बनता है जबकि दूसरों से प्रतिस्पर्धा करने,दूसरों से ऊंचा उठने,दूसरों से आगे निकलने के लिए तुलना करने से विद्यार्थी बहिर्मुखी बनता है।
  • ज्ञान प्राप्ति,आत्म-विकास,सांसारिक और व्यावहारिक उन्नति,बौद्धिक प्रगति के लिए उत्साहित रखने को आवश्यक अवयव माना जाता है।अपने आपको उत्साहित रखने से आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है,मस्तिष्क में अच्छे विचार आते हैं और मन शुभ कार्यों में लगा रहता है।क्योंकि उत्साहित रखने के लिए हम अपने क्षेत्र से संबंधित विचारों को मन में प्रश्रय देते हैं।इससे हमें प्रसन्नता मिलती है।आगे से आगे बढ़ने के लिए प्रयास करते हैं।

3.उत्साहित करना भी कला है (Energizing is Also Art):

  • प्रत्येक छात्र-छात्रा अपने आपको उत्साहित करने के लिए स्वयं उत्तरदाई है।अपने आपको उत्साहित करना भी एक साधना और कला है।जो छात्र-छात्राएं उत्साहित नहीं होते हैं वे जल्दबाज होते हैं।जल्दबाज विद्यार्थी न धैर्य धारण कर सकता है और न एकाग्रता का अभ्यास कर सकता है। इसलिए उत्साही हों पर जल्दबाज न बने।धैर्य,उत्साह,एकाग्रता तथा ध्यान के बिना छात्र-छात्राएं अध्ययन कार्य में प्रगति नहीं कर सकेंगे।क्योंकि इनके बिना मन अस्थिर और चंचल हो जाता है।
  • यदि गणित तथा अन्य विषयों में आपको पारंगत होना है तो इन गुणों को धारण करना ही होगा।छात्र छात्राओं को अपने आपको उत्साहित करने की कला सीखनी होगी।उत्साहित करने की कला में जितना आप दक्षता प्राप्त करेंगे उतनी आपकी प्रगति होती जाएगी।
  • उत्साहित न होने के बजाय छात्र-छात्राएं जल्दबाज हो गए हैं।वे जल्दी से जल्दी अपने गणित के कोर्स तथा अन्य विषयों को निपटा देना चाहते हैं।इस प्रकार उन्हें ऐसा लगता है कि जैसे समय बहुत कम है इसलिए वे इन्हें जल्दी से जल्दी निपटाना चाहते हैं।जब वे गणित तथा अन्य विषयों के कोर्स को जल्दी से निपटा नहीं सकते हैं तो तनावग्रस्त हो जाते हैं।
  • यदि वे किन्हीं गुणों को धारण भी करते हैं तो उसका तत्काल परिणाम चाहते हैं।जैसे यदि किसी पौधे को सुबह लगाया जाए और शाम को देखें कि पौधा लगा या नहीं,उस पर फल आए या नहीं।पौधा समय पर ही फल देता है।इसी प्रकार छात्र-छात्राओं को किसी भी गुण को धारण करते समय धैर्य रखना चाहिए।उत्साहित करने का यह अर्थ नहीं है कि एकदम से आपकी समस्याएं हल हो जाएंगी।

4.उत्साहित होने का दृष्टान्त (A Parable of Being Encourage):

  • आप जिस किसी भी क्षेत्र में हो आपको आगे बढ़ने में उत्साहित होने का बहुत योगदान है।अपने आपको उत्साहित करने से हममें आत्मविश्वास प्रगट होता है।आत्मविश्वास जिस विद्यार्थी में रहता है वह हमेशा प्रयत्नशील रहता है और सफलता अंत में मिल ही जाती है।इस प्रकार की चिंतन पद्धति में दुःखो,कष्टों,परेशानियों और समस्याओं का सामना करने की हिम्मत प्रदान करती है और जीवन को सार्थक बनाने में सहायक होती है।
  • एक बार की बात है।एक विद्यार्थी था किशन।वह बहुत निर्धन था।गणित की पुस्तकें खरीदने के लिए उसके पास रुपयों की कमी थी।एक दिन वह अपने स्कूल के सहपाठी के साथ जा रहा था।बात करते-करते किशन झुंझला उठा और अपने सहपाठी से बोला कि परमात्मा कैसा अन्यायी है? हम निर्धनों को पुस्तकें खरीदने लायक रुपए भी नहीं है।दोनों थोड़ा आगे ही बढ़े थे कि तभी उसे एक सहपाठी रास्ते में मिल गया।उसने कहा कि जरा मेरा बैग पकड़ लो मैं सेठजी का संदूक दुकान पर रखकर अभी आया।किशन के सहपाठी ने कहा कि तुम्हारे पास तो पुस्तकें खरीदने के लिए रुपए नहीं है परन्तु इस सहपाठी के पास तो भोजन-वस्त्र के लिए भी रुपए नहीं है।तुम्हें जितना कष्ट हो रहा है उससे अधिक कष्ट अपने इस साथी को हो रहा है।
  • उत्साहहीन,हिम्मत हारकर परमात्मा को दोष देने की जरूरत नहीं है।भगवान ने रुपये तो आज तक किसी को नहीं दिए परंतु अवसर सभी को देता है। यह सुनकर किशन उत्साहित हुआ और उसे जीवन जीने की प्रेरणा मिली।उस दिन से उसने अपने आपको उत्साहित करने का संकल्प लिया।अपनी कमजोरियों को दूर कर अपनी योग्यता व कठिन परिश्रम के बल पर जीवन जीने का प्रयास करने लगा।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में उत्साहित होने की बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips to Get Encouraged),आदर्श विद्यार्थी का लक्षण उत्साहित रहना (Characteristics of Ideal Student To be Stimulated) के बारे में बताया गया है।

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5.गणित और गंजा होना (हास्य व्यंग्य) (Math and Bald-Headed) (Humour-Satire):

  • छात्र (शिक्षक से):मुझे माफ कर दीजिए।पर मुझे आप यह बता दीजिए कि आपके सिर के बाल कैसे उड़ गए।
  • शिक्षक (छात्र से):पहली गलती है इसलिए माफ कर रहा हूं,दुबारा किया तो तुम्हें भी गंजा कर दूंगा।
    छात्रःवो कैसे?
  • शिक्षक :इतनी गणित पढ़ाऊँगा की सिर के सारे बाल उड़ जाएंगे।

6.उत्साहित होने की बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips to Get Encouraged),आदर्श विद्यार्थी का लक्षण उत्साहित रहना (Characteristics of Ideal Student To be Stimulated) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.संकट और विपत्ति में हमारे कैसी स्थिति होती है? (What is our Position in Crisis and Adversity?):

उत्तर:संकट एवं विपत्ति के समय इस प्रकार कहना और सोचना हमारा स्वभाव बन जाता है कि बड़ी मुसीबत है,क्या बताएं ऐसा संकट और विपत्ति तो किसी पर नहीं आई होगी,जैसी मुझ पर आई है। यदि इसके बजाय हम यह सोचे कि इससे भी अधिक संकट और विपत्ति हमारे ऊपर आ सकती थी जो नहीं आई।तो हमारे मन की प्रवृत्ति एकदम से बदल जाएगी।

प्रश्न:2.वियोग एवं अनिष्ट में कैसी सोच रखें? (How do You Think About Disconnection and Evil?):

उत्तर:संकट और अनिष्ट में हमें उत्साहित रखने की आवश्यकता है।क्योंकि ऐसा न करने पर हम उदासी,खिन्नता अथवा दुख से घिर जाएंगे।ऐसे अवसरों पर हमें यह सोचना चाहिए कि इस स्थिति से कैसे निकला जाए? जीवन निर्माण में यह स्थिति मेरे लिए कैसे सहायक हो सकती है अर्थात् इससे मैं क्या शिक्षा ले सकता हूं?

प्रश्न:3.असफलता में हमारी स्थिति कैसी हो जाती है? (How do We Get into Failure?):

उत्तर:असफलताओं में हम अपना मुँह लटका लेते हैं।लोग हमारी सूरत देख कर ही समझ जाते हैं कि इसको असफलता मिली है।असफलता के समय थोड़ी देर तक वे हमारे प्रति सहानुभूति भले दिखाएं।परंतु अन्ततः हमारी गणना वे एक असफल व्यक्ति के रूप में ही करते हैं।उचित यही है कि असफलता से शिक्षा लें।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा उत्साहित होने की बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips to Get Encouraged),आदर्श विद्यार्थी का लक्षण उत्साहित रहना (Characteristics of Ideal Student To be Stimulated) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

3 Best Tips to Get Encouraged

उत्साहित होने की बेहतरीन 3 टिप्स
(3 Best Tips to Get Encouraged)

3 Best Tips to Get Encouraged

उत्साहित होने की बेहतरीन 3 टिप्स (3 Best Tips to Get Encouraged)
के आधार पर विद्यार्थी अपने आपको उत्साहित कर सकेंगे।गणित का अध्ययन करने
और सफलता प्राप्त करने के लिए उत्साहित करने की आवश्यकता होती है।

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