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4 Tips for Executing Study Plan

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1.अध्ययन की योजना को निष्पादित करने की 4 टिप्स (4 Tips for Executing Study Plan),छात्र-छात्राओं द्वारा अध्ययन की योजना को निष्पादित करने की 4 टिप्स (4 Tips for Students to Execute Study Plan):

  • अध्ययन की योजना को निष्पादित करने की 4 टिप्स (4 Tips for Executing Study Plan) में निष्पादन ही योजना का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग होता है।यदि छात्र-छात्राएं टाइम टेबल बना लें,स्टडी प्लान बना लें परंतु उसको कार्यान्वित न करें तो उसका कोई लाभ नहीं मिल सकता है।टाइम टेबल,स्टडी प्लान को अच्छा या बुरा क्रियान्वयन के आधार पर ही कहा जा सकता है।यदि आप दृढ़ संकल्प शक्ति तथा इच्छाशक्ति के साथ अपने स्टडी प्लान का पालन करते हैं वही आपको परीक्षा में सफलता दिलाएगा।
  • हितोपदेश में कहा गया है कि:
    “उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै:।
    न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:”।।
  • अर्थात् उद्यम (परिश्रम) से ही कार्य सिद्ध (सफल) होते हैं,मनोरथ (मन में सोच लेने से) करने से कार्यों की सिद्धि नहीं होती है।जैसे सोते हुए सिंह के मुँह में मृग (हिरण) स्वयं आकर प्रवेश नहीं करते हैं अर्थात् शेर को शिकार के लिए निकलना ही पड़ता है।
    शेर ही क्या किसी भी महान् गणितज्ञ,वैज्ञानिक अथवा महापुरुष का जीवन चरित्र देख लीजिए या पढ़ लीजिए उनको किसी भी कार्य में सिद्धि के लिए कठिन परिश्रम,धैर्य,लगन,दृढ़ इच्छाशक्ति जैसे गुणों के कारण ही मिली है।
  • कई विद्यार्थी टाइम टेबल या स्टडी प्लान तो उत्साह और पूरे जोश के साथ तैयार कर लेते हैं परंतु उस पर अमल करने की बात आती है तो उसको टालते रहते हैं।सोचते हैं कि कल से शुरू करूंगा,कल जब आता है तो फिर अगले दिन के लिए टाल देते हैं।ऐसे छात्र-छात्राओं को ध्यान रखना चाहिए कि अध्ययन कार्य को जो पूरी निष्ठा के साथ अमल करते हैं वे बिना किसी लंबी चौड़ी योजना अथवा टाइम टेबल के भी सफल हो जाते हैं।
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2.अध्ययन के निष्पादन में रुकावट का कारण (Cause of Interruption in Execution of Study):

  • जिन छात्र-छात्राओं को अध्ययन की तैयारी करने,परीक्षा की तैयारी करने,प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने अथवा जाॅब करने में रुचि व लगन नहीं है इन कार्यों को करने में कोई न कोई बहाना बना लेते हैं।जैसे मुझे गणित की प्रश्नावली ठीक से समझ में नहीं आई,मुझे अमुक टाॅपिक ठीक से समझ में नहीं आया,मुझे गणित के सवाल हल करने में बोरियत महसूस होती है,मुझे गणित और विज्ञान विषय अच्छा नहीं लगता है,मेरा अध्ययन करने का मूड नहीं है,गर्मी ज्यादा महसूस हो रही है,सर्दी ज्यादा महसूस हो रही है,मुझे अकेले पढ़ने का मन ही नहीं करता है,हमारे आस-पड़ोस में बहुत शोर-शराबा है,घर में पढ़ाई का वातावरण नहीं है,घर में अलग से पढ़ने के लिए कमरा नहीं है,घर में छोटे बच्चे शोरगुल करते हैं इत्यादि।
  • इस प्रकार वे एक से एक विचित्र बहाने बनाते हैं।वस्तुतः उनकी जिस कार्य में रुचि होती है उसमें वे बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।जैसे टीवी में कोई सीरियल या फिल्म देखनी हो,कोई खेल खेलना हो,मौज-मस्ती करनी हो,जन्मदिन मनाना हो,शादी या किसी पार्टी में शरीक होना हो या कहीं घूमने जाना हो तो झट से वे तैयार हो जाते हैं।
  • विद्यार्थियों को सोचना चाहिए कि जीवन में सफल होने के लिए बहुत से कार्य ऐसे करने पड़ते हैं जिसमें हमारी रुचि न हो।आधुनिक युग में कोई भी जॉब करना हो या घर-गृहस्थी संभाली हो तो भी शिक्षा अर्जित करना आवश्यक है।इसके अलावा शिष्टाचार,व्यावहारिक बातें,सांसारिक जीवन के तौर-तरीके तथा जीवन को सरस बनाने के लिए,आत्मिक शांति के लिए अध्यात्म संबंधी बातों का भी अध्ययन व स्वाध्याय करना पड़ता है।
  • यदि आप जॉब करते हैं और व्यावहारिक व शिष्टाचार संबंधी बातों का ज्ञान नहीं है तो जॉब में विकास नहीं कर सकते हैं,आगे नहीं बढ़ सकते हैं।आधुनिक युग में इतनी प्रतियोगिता है कि जाॅब में हमेशा अपडेट व अपग्रेड रहने के लिए नई-नई बातें,तकनीकी ज्ञान,शिष्टाचार,विनम्रता इत्यादि को सीखते रहना पड़ता है तब कहीं जाकर आप जॉब में टिके रह सकते हैं।
  • अन्यथा आपको या तो कम वेतन में संतोष करना पड़ेगा या आपको जाॅब से बाहर निकाल दिया जाएगा।
  • अध्ययन अथवा जाॅब में अकर्मण्य,आलसी,निकम्मे तथा बहानेबाज व्यक्ति पिछड़ जाते हैं अथवा अपने जीवन में असफलता प्राप्त करते हैं।ऐसी बात नहीं है कि जो कठिन परिश्रम करते हैं,अध्ययन की योजना पर अमल करते हैं उन्हें असफलता नहीं मिलती है परंतु वे असफलता से सबक लेकर अपने आपमें उचित सुधार करते रहते हैं।

3.समय पर अध्ययन अथवा अन्य कार्य के निष्पादन के उपाय (Measures for Timely Study or Execution of Other Work):

  • अध्ययन की योजना बनाते समय अथवा टाइम टेबिल बनाते समय अपनी योग्यता,सामर्थ्य,क्षमता तथा आवश्यकता पर विचार करते हुए बनानी चाहिए ताकि उसके अमल करने में कोई बड़ी अड़चन खड़ी न हो।जैसे आपकी आदत 4 घंटे रोजाना पढ़ने की है और आप स्टडी प्लान 8 घंटे का बना लेंगे तो उसका निष्पादन नहीं कर पाएंगे।यदि 8 घंटे पढ़ना आवश्यक है तो धीरे-धीरे समय बढ़ाते जाए परंतु एकदम से 8 घंटे बढ़ाना उच्च मनोबल और संकल्प शक्ति वालों के लिए ही संभव है।
  • औसत विद्यार्थी प्रतिदिन आठ-दस घंटे पढ़ना चाहे तो उसे प्रतिदिन या साप्ताहिक स्टेप बाय स्टेप समय बढ़ाना चाहिए।अन्यथा आप उस पर अमल नहीं कर पाएंगे तो आपकी इच्छाशक्ति और संकल्पशक्ति दुर्बल होती जाएगी जिससे पढ़ने पर आपका उच्चाटन होगा।आप अध्ययन पर एकाग्रता नहीं रख पाएंगे।
  • किसी भी कार्य के पक्ष-विपक्ष पर भली-भांति विचार करने के बाद जो निष्कर्ष निकलता है और अपनी क्षमता का अनुमान लगाकर जिसे करने का फैसला किया जाता है,उसे निश्चय कहते हैं।निश्चय को कार्यान्वित करने के लिए साहस व धैर्य चाहिए और साथ ही यथार्थवादी विवेक भी।निश्चय को साहस का योगदान मिलने से दृढ़ता उत्पन्न होती है,उसे संकल्प कहते हैं।संकल्प की शक्ति असीम है,उसके द्वारा असंभव को संभव बना सकना शक्य न हो सके तो भी इतना निश्चित है कि कठिन लगने वाले कार्य सरल हो जाते हैं।ऊंचा उठने और आगे बढ़ने का श्रेय प्राप्त करने वालों में से प्रायः सभी ने संकल्पशक्ति के सहारे अति महत्त्वपूर्ण श्रेय-संपादन किए हैं।
  • अध्ययन करने के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थिति की प्रतीक्षा न करें।जैसे आदर्श अध्ययन के लिए शांत वातावरण,स्टडी रूम,मन की एकाग्रता इत्यादि की आवश्यकता होती है।परंतु आपके आसपास वातावरण अशांत है,घर में शोरगुल है तो उसमें भी आपको पढ़ने की कला विकसित कर लेनी चाहिए।ऐसा न सोचे की परिस्थिति जब अनुकूल होगी तब अध्ययन करूंगा।महान गणितज्ञ एवं वैज्ञानिक इसाक न्यूटन,अब्राहम लिंकन ने विपरीत परिस्थितियों में अध्ययन किया था।प्रारंभ में वे आप और हमारी तरह ही साधारण विद्यार्थी थे।परंतु दृढ़ इच्छाशक्ति और कठिन परिश्रम के बल पर उन्होंने ऐसा करके दिखा दिया जिससे संसार के अनेक लोग आज भी प्रेरणा ग्रहण करते हैं।
  • अध्ययन करने या जॉब करने के लिए साधनों की प्रतीक्षा न करें।जैसे आपके पास गणित की पुस्तक नहीं है,आप यह प्रतीक्षा करें कि बाजार में या विद्यालय में पुस्तक मिलेगी तब अध्ययन चालू करेंगे तो संभव है आपका पाठ्यक्रम पूरा न हो।अतः अपने मित्रों से,परिचितों अथवा पुस्तकालय से या ओर कहीं से प्राप्त करके अपना अध्ययन चालू कर दें।जब आपके माता-पिता पुस्तक दिला दें,बाजार में पुस्तक आ जाए या विद्यालय से पुस्तक प्राप्त हो जाए तो उस पुस्तक को जिससे आपने ली है,लौटा दें और अपनी पुस्तक से अध्ययन करें।
  • अध्ययन अथवा जाॅब में महारत हासिल करने के लिए काम को स्वयं करने की आदत डालें।जैसे अध्यापक ने थ्योरी और उस पर आधारित सवाल समझा दिया।अब आप प्रश्नावली के सवाल खुद हल करने की चेष्टा करें।ऐसा न करें कि प्रश्नावली का हर सवाल अध्यापक,मित्रों व माता-पिता अथवा अन्य से हल करवा लें।ऐसे करने पर आपकी प्रतिभा का विकास नहीं होगा।जब तक गणित के सवालों अथवा अन्य विषय के प्रश्नों के हल स्वयं करने की आदत नहीं डालेंगे तब तक आप अपने लक्ष्य की ओर नहीं बढ़ सकेंगे।
  • प्रतिदिन का कार्य उसी दिन निपटाने की आदत डालें।स्टडी प्लान या टाइम टेबिल के अनुसार आपने जितना अध्ययन करने का टारगेट रखा है उसको पूरा करें।अन्यथा रोजाना थोड़ा-थोड़ा अध्ययन अथवा जाॅब का कार्य टालते रहेंगे तो वह इकट्ठा हो जाएगा और उसे निपटाना आपके लिए मुश्किल हो जाएगा।जब समय पर अध्ययन अथवा जाॅब को निपटा नहीं पाएंगे तो काम के बोझ से आप तनावग्रस्त हो जाएंगे।तनावग्रस्त स्थिति में आगे का अध्ययन व जॉब ठीक तरह से नहीं कर पाएंगे।आधे-अधूरे मन व तनावग्रस्त स्थिति में अध्ययन किया हुआ पाठ याद नहीं रहेगा।अथवा उसको पूरा करने के लिए जल्दबाजी करेंगे और जल्दबाजी में किया गया अध्ययन ठीक से स्मरण नहीं होगा।

4.अध्ययन के निष्पादन हेतु अतिरिक्त टिप्स (Additional Tips for Execution of the Study):

  • यदि पाठ्यक्रम बहुत अधिक है तथा कम समय में पूरा करना है तो इसके लिए कठिन परिश्रम के साथ स्मार्ट वर्क करें (smart work) करें।जैसे गणित का पाठ्यक्रम बहुत अधिक है और निर्धारित समय में पूरा करके रिवीजन नहीं किया जा सकता है।
  • ऐसी स्थिति में एक बार पाठ्यक्रम को पूर्ण कर लें और जो कठिन सवाल हैं उनको चिन्हित करते जाएं।रिवीजन के समय केवल कठिन सवालों को हल कर लें और उनमें से जो दुबारा हल करने पर भी हल नहीं हुए हों उन्हें चिन्हित कर लें।यदि समय है तो दुबारा चिन्हित किए गए सवालों को ही हल करें।इस प्रकार आप कम समय में पाठ्यक्रम का अध्ययन और रिवीजन कर सकते हैं।
  • पुस्तकों में सभी विषयों की जानकारी होती है जैसे गणित के सवाल,विज्ञान की थ्योरी,धर्म,नीति,सदाचार इत्यादि की विवेचना होती है।ये सारी बातें पुस्तकों में ही धरी रहें तो किसी काम की नहीं है।इस के दो अर्थ हैं एक तो पुस्तक पढ़ी ही न जाएँ।दूसरा यह कि पढ़ी तो जाँए पर उनमें वर्णित विषयों का चिंतन-मनन न हो,न व्यावहारिक प्रयोग हो,न स्वयं हल करें।इसीलिए कहा है कि:पुस्तकी विद्या,विद्या न भवति।
  • पुस्तकें पढ़कर मनुष्य पंडित और उपदेशक तो बन सकता है परंतु विद्यावान और गुणवान नहीं।प्रयोग,कार्यान्वयन (निष्पादन) और व्यावहारिक प्रशिक्षण से ही ये विद्याएं वास्तव में प्राप्त हो सकती हैं।तैरना सीखने के लिए पानी में उतरना जरूरी है,पुस्तक पढ़कर कोई तैराक नहीं हो सकता है।पुस्तकें उसके ज्ञान और अनुभव की सहायक तो हो सकती हैं,साधन नहीं।

5.अध्ययन की योजना को निष्पादित करने का दृष्टांत (An Illustration of Executing a Plan of Study):

  • अध्ययन की योजना का निष्पादन करना ही जरूरी नहीं है बल्कि सही और उचित ढंग से निष्पादन भी आवश्यक है।
  • एक विद्यार्थी को परीक्षा में नकल करते हुए पकड़ा गया।उसे कोर्ट में अपराधी की तरह उपस्थित किया गया।परिचय पूछने पर उसने बताया।कुछ वर्ष पूर्व वह ईमानदारी पूर्वक अध्ययन करता था।परंतु गलत संग में फँसकर एक के बाद एक कुकर्म करता गया।स्थिति यहां तक आ पहुंची की नकल करने के साथ दूसरे छात्र-छात्राओं को भी सामूहिक रूप से नकल कराना,परीक्षा से पूर्व प्रश्न-पत्र हासिल करके बेचने में भी कुछ बुरा महसूस नहीं हुआ।
  • जज ने आश्चर्य से पूछा:तुम्हारा पतन किस कारण हुआ,किस प्रकार बढ़ा और स्थिति यहाँ तक कैसे पहुंची? इसका विवरण बताएं।अपराधी छात्र ने लंबी सांस खींचते हुए कहा:जज साहब! कभी मैं ईमानदारी,विनम्रता,सरलता और सच्चाई का जीवन जीता था।मैंने अभावों और कष्टों में ही अध्ययन किया और उसी में तल्लीन रहता था।परंतु अध्ययन में कठिन परिश्रम करने पर भी अच्छे अंक प्राप्त नहीं होते थे।
  • पड़ोस में एक छात्र रहता था वह छात्र नाम का ही था।वास्तव में वह गुंडा-बदमाश,अय्याश,लुटेरा तथा हर तरह का गलत कार्य करता था।उसके परीक्षा में भी अच्छे अंक आते थे।सोचा ऐसा ही ऐश्वर्य भोगा जाय।सन्तोष,तप,साधना में क्या धरा है? दिशा मुड़ी तो हर कदम अधिक बड़े अनाचार की ओर उठता चला गया।
  • जज ने पूछा:उस पतन का सारा ब्यौरा बताओ।अपराधी छात्र ने एक-एक करके उन आदतों और घटनाओं का वर्णन किया,जिनके कारण वह नकल करने से लेकर गुंडागर्दी,अध्यापकों से मारपीट,प्रश्न-पत्रों की चोरी करना,प्रश्न-पत्रों को बेचना,अय्याशी,शराब पीना इत्यादि करता ही चला गया।
  • छात्र ने कहा कि अधिक धन कमाने के लिए प्रश्न-पत्र बेचना चालू किया तो गुंडों-बदमाशों से संपर्क बढ़ता गया।प्रश्न-पत्र बेचने से मुफ्त का धन मिला तो मदिरापान और अय्याशी करने लगा।उन दुराचारों के अड्डों से अधिक सम्पर्क रहने पर बड़े-बड़े अपराधों का शिक्षण मिला और अभ्यास पकता चला गया।इस प्रकार अनायास धन प्राप्त करने का उपाय मुझे रुचिकर लगा।
  • क्रूरकर्मों में रहते-रहते अध्यापकों से मारपीट करना,सामूहिक रूप से नकल करवाने में भी संकोच नहीं हुआ और न आत्म-ग्लानि हुई।यही है मेरे पतन क्रम की श्रृंखला जो चिन्गारी की तरह शुरू हुई और ईंधन का आश्रय मिलते ही दावानल की तरह बढ़ती चली गई।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में अध्ययन की योजना को निष्पादित करने की 4 टिप्स (4 Tips for Executing Study Plan),छात्र-छात्राओं द्वारा अध्ययन की योजना को निष्पादित करने की 4 टिप्स (4 Tips for Students to Execute Study Plan) के बारे में बताया गया है।

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6.खूबसूरत लड़की द्वारा ब्वॉयफ्रेंड का चुनाव (हास्य-व्यंग्य) (Choosing a Boyfriend by a Beautiful Girl) (Humour-Satire):

  • एक कमसिन और खूबसूरत गणित की लड़की ने एक रईस गणित के लड़के को ब्वायफ्रेन्ड बनाया।
  • एक दूसरी छात्रा ने पूछा:तुमने इस छात्र में क्या खासियत देखी,जो इसको ब्वायफ्रेन्ड बनाया।
  • खूबसूरत लड़की बोली:एक तो इसकी धन-संपत्ति और दूसरा इसमें कम अक्ल को देखकर।

7.अध्ययन की योजना को निष्पादित करने की 4 टिप्स (Frequently Asked Questions Related to 4 Tips for Executing Study Plan),छात्र-छात्राओं द्वारा अध्ययन की योजना को निष्पादित करने की 4 टिप्स (4 Tips for Students to Execute Study Plan) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या योजना से ज्यादा कार्य का निष्पादन श्रेष्ठ है? (Is Execution of Work Better Than Planning?):

उत्तर:आज अध्ययन कार्य,जाॅब में,घर-परिवार और समाज में छात्र-छात्राएं कठिन परिश्रम और निष्पादन करते हैं तभी उन्हें सफलता मिलती है और जो केवल योजना बनाते हैं वो वर्षों तक गरीबी की खाक छानते रहते हैं तथा किसी काबिल नहीं बन पाते हैं।अतः योजना से कार्य का निष्पादन श्रेष्ठ ही नहीं बहुत श्रेष्ठ है।

प्रश्न:2.जॉब में बहानेबाजी को कैसे पकड़ा जा सकता है? (How Can Excuses Be Caught in Jobs?):

उत्तर:आज व्यावसायिक जगत में बहानेबाजी को कोई पसंद नहीं करता है।वहां आपसे श्रेष्ठ प्रदर्शन की अपेक्षा की जाती है और यदि आपकी बहानेबाजी की आदत पड़ गई है तो तत्काल संस्थान से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।आपका बाॅस (Boss) या सहकर्मी इंटरनेट,टेक्नोलॉजी,संचार (Communication) की सुविधा तथा अन्य कर्मचारियों के द्वारा तत्काल यह पता लगा लेते हैं कि आप सही कह रहे हैं या बहानेबाजी कर रहे हैं।उन्हें समय पर काम चाहिए,बहानेबाजी नहीं।अतः कोई जॉब करें उसे पूरी निष्ठा,लगन,रुचि और शिद्दत के साथ करना चाहिए।

प्रश्न:3.हार्ड वर्क और स्मार्ट वर्क में क्या अंतर है? (What is the Difference Between Hard Work and Smart Work?):

उत्तर:हार्ड वर्क का अर्थ है सामान्य या परंपरागत ढंग से कार्य करना परन्तु हार्ड वर्क का अर्थ यह भी है कि अनवरत काम करना,अधिक से अधिक काम निपटाना और समय का सदुपयोग करना,काम को रुचिपूर्वक करना।
स्मार्ट वर्क से तात्पर्य है अध्ययन अथवा जॉब को नए और बेहतरीन तरीके से करना ताकि धन,समय और परिश्रम की बचत हो सके।तकनीकी व उपलब्ध साधनों का बेहतरीन तरीके से उपयोग करना और आलस्य न करना।काम को बेहतरीन तरीके से तथा शीघ्रता से निपटारा करना।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा अध्ययन की योजना को निष्पादित करने की 4 टिप्स (4 Tips for Executing Study Plan),छात्र-छात्राओं द्वारा अध्ययन की योजना को निष्पादित करने की 4 टिप्स (4 Tips for Students to Execute Study Plan) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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