What are co-curricular activities in hindi
1.पाठ्य-सहगामी क्रियाएं क्या हैं का परिचय (Introduction to What Are Co-Curricular Activities),पाठ्य-सहगामी क्रियाओं के प्रकार क्या है का परिचय (Introduction to What Are Types Co-Curricular Activities):
पाठ्य-सहगामी क्रियाएं क्या हैं (What Are Co-Curricular Activities)।पाठ्य-सहगामी क्रियाएं शिक्षा संस्थानों में ही करवाई जाती है परन्तु ये शैक्षणिक गतिविधियों के अलावा होती हैं।जैसे स्काउटिंग,समाजोपयोगी कार्य,एनसीसी (नेशनल कैडेट को र) इत्यादि। इन पाठ्य-सहगामी क्रियाओं अनिवार्य रूप से सभी विद्यार्थियों का भाग लेना आवश्यक नहीं है। ये पाठ्य-सहगामी क्रियाएं स्वेच्छिक हैं। अर्थात् चाहे तो इनमें भाग ले सकता है तथा न चाहें तो भाग नहीं लेता है। इनकी शैक्षणिक गतिविधियों की तरह कोई अर्द्धवार्षिक, वार्षिक परीक्षाएं आयोजित नहीं होती है और न ही अंकतालिका में इनके मार्क्स जुड़ते हैं।
- इन पाठ्य-सहगामी क्रियाओं को आयोजित करने का मूल उद्देश्य हैं विद्यार्थियों में श्रम के प्रति निष्ठा जाग्रत करना। वर्तमान शिक्षा पद्धति में पढ़े-लिखे विद्यार्थियों में यह प्रवृत्ति पाई जाती है कि वे बाबू, क्लर्क अथवा अफसर बनना पसन्द करते हैं परन्तु तकनीकी कार्यों में उनकी रुचि नहीं हैं।तकनीकी कार्यों में श्रम करना पड़ता है।
यही कारण है कि आईटीआई,पोलोटेकनिक,इंजीनियरिंग जैसे तकनीकी संस्थानों के बजाय छात्र-छात्राएं बीए, बीएससी, बीकाॅम,एमए, एमएससी, एमकाॅम,पीएचडी करना अधिक पसन्द करते हैं। क्योंकि समाज में एक इंजीनियर के बजाय आईएएस, आईपीएस तथा सिविल सेवाओं की प्रतिष्ठा,अधिकार तथा पैसा और शौहरत अधिक है। एक इंजीनियर में आईएएस से कितनी ही अधिक योग्यता हो परन्तु उसे आईएएस के अधीन ही कार्य करना पड़ेगा। - यही कारण है कि ग्रेजुएट्स,पोस्ट ग्रेजुएट डिग्रीधारी बेरोजगारों की संख्या बहुत अधिक है। क्योंकि सभी की बाबू, क्लर्क, सिविल सेवाओं में भर्ती नहीं की जा सकती है। इन पदों की संख्या सीमित होती है। इसलिए बाकी डिग्रीधारी लम्बी उम्र तक बेरोजगार रह जाते हैं और माता-पिता व समाज पर बोझ बनकर रहते हैं। श्रम के प्रति उनमें निष्ठा होती नहीं है,श्रम प्रधान कार्य ये युवा बेरोजगार कार्य करते नहीं है।
2.पाठ्य-सहगामी क्रियाएं क्या हैं (What Are Co-Curricular Activities):
- इस वीडियो पाठ्य-सहगामी क्रियाओं जैसे संगीत,पाक-विज्ञान, गृह-विज्ञान, स्काउटिंग, एनसीसी इत्यादि में क्या-क्या कार्य जाते हैं तथा उनका हमारे जीवन में क्या महत्त्व है। इन पाठ्य-सहगामी क्रियाओं को प्रोत्साहित करने सरकार ऐसे युवाओं को नौकरी तथा अन्य प्रवेश परीक्षाओं में वेटेज देती है।
- इन पाठ्य-सहगामी क्रियाओं के द्वारा केवल श्रम के प्रति निष्ठा ही पैदा नहीं होती है बल्कि विद्यार्थियों में सेवा,सहयोग,समन्वय,सहिष्णुता तथा कौशल जैसे गुणों का विकास होता है।
- परन्तु वास्तविकता यह है कि इन पाठ्य-सहगामी क्रियाओं में बहुत कम विद्यार्थी भाग लेते हैं और रुचि लेते हैं।यदि विद्यार्थी तहेदिल से भाग लें तो भारत की तथा भारत के इन युवाओं की दशा और दिशा उज्जवल हो सकती है। उन्हें बेरोजगार होकर दर-दर ठोकरे नहीं खानी पड़े। बल्कि अपना खुद का कोई छोटा-मोटा व्यवसाय खड़ा करके आत्मनिर्भर हो सकते हैं।जरुरत है तो ईमानदारी और लगन से किसी व्यवसाय को करने,दिल से मेहनत के प्रति निष्ठा रखने की। तभी भारत की कायापलट सकती है।
via https://youtu.be/MHIe763RPs4
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- उपर्युक्त आर्टिकल में पाठ्य-सहगामी क्रियाएं क्या हैं (What Are Co-Curricular Activities) के बारे में बताया गया है।
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