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What is cause of greed in hindi

1.लालच का कारण क्या है? का परिचय (Introduction to What is cause of greed in hindi),प्रलोभन क्या है? (What is temptation?):

  • लालच का कारण क्या है? (What is cause of greed in hindi),प्रलोभन क्या है? (What is temptation?):पाप के बाप को लोभ कहा जाता है।लोभ नहीं करना चाहिए क्योंकि लोभ से मनुष्य का विनाश हो जाता है।इसीलिए सत्पुरुषों ने कहा है और शास्त्रों में भी वर्णित है कि लोभ मत करो।मनुष्य प्रत्येक पाप लोभ के कारण करता है।
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via https://youtu.be/WFuIppxVtTk

2.लालच का कारण क्या है? (What is cause of greed in hindi),प्रलोभन क्या है? (What is temptation?):

  • जो वस्तु प्राप्त न हो उसे प्राप्त करने के लिए अनैतिक,अस्वाभाविक व अनावश्यक रूप से प्राप्त करने की इच्छा करना लोभ कहलाता है।दूसरे के धन को लेने की इच्छा रखना लोभ है।लोभ की दिशा भविष्य की ओर होती है यानी वर्तमान में प्राप्त नहीं है परंतु उसको पाने की कामना करना लोभ है जबकि मोह की दिशा भूतकाल की ओर होती है।जो वस्तुएं हम प्राप्त कर चुके हैं उस वस्तु को ज्यादा से ज्यादा इकट्ठा करके रखने की भावना मोह है।हितोपदेश में कहा गया है किः
  • “आकाश में विचरने वाले,अंधकार को दूर करने वाले सहस्रों किरणों को धारण करने वाले,चमकीले नक्षत्रों के मध्य चलने वाले,चंद्रमा को भी विधि विधान के कारण राहुल ग्रस लेता है।इसलिए यह सच है कि ललाट (भाग्य) पर विधाता ने जो कुछ लिख दिया है उसे कौन मिटा सकता है?इसी प्रकार कहा है कि:
  • “लोभ से क्रोध उत्पन्न होता है,लोभ से इच्छा यानी वासना पैदा होती है,लोभ से ही मोह तथा विनाश होता है और लोभ ही पापों का मूल कारण होता है।श्रीमद्भगवद्गीता में लिखा है कि “काम,क्रोध और लोभ यह तीन प्रकार के नर्क के द्वार हैं जो आत्मा का पतन करते हैं अतः इन तीनों को ही त्याग देना चाहिए।
  • तात्पर्य यह है कि जब मनुष्य की लालसा की पूर्ति हो जाती है तब वह कम होने के बजाय बढ़ती जाती है यानी यह हर मामले में हमें अति की ओर ले जाती है।और अति के लिए कहा गया है कि अति सर्वत्र वर्जयेत।यानी किसी भी मामले में अति नहीं करनी चाहिए।जब लालसा की पूर्ति नहीं होती है तो मनुष्य में क्रोध उत्पन्न होता है।इस प्रकार लोभ से अन्य मनोविकारों का जन्म होता है।
  • लोभी मनुष्य का विश्वास करना प्राणघातक हो सकता है।इसलिए कहा गया है कि किसी भी मनुष्य पर विश्वास करने से पहले उसके स्वभाव की परीक्षा कर लेनी चाहिए क्योंकि अन्य गुणों की अपेक्षा स्वभाव का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।जो मनुष्य बिना परीक्षा किए हर मनुष्य पर विश्वास कर लेता है और जब वह लोभी मनुष्य के जाल में फंसता है तो बाद में पश्चाताप करता है और भाग्य को दोषी ठहराता हैं।
  • लोभ जैसा दुर्गुण है तो फिर अन्य किसी दुर्गण की क्या आवश्यकता है क्योंकि ये एक ही दुर्गुण हमारे विनाश के लिए काफी है।
    लोभ से छुटकारा तभी मिल सकता है जब हम विवेक यानी सात्विक बुद्धि जिसे गीता में स्थितप्रज्ञ कहा गया है यानी जिसकी बुद्धि स्थिर है चंचल नहीं है उससे काम लें।साथ ही संतोष धारण करें।नीति में कहा है कि पत्नी,धन और भोजन के विषय में संतोष धारण करना चाहिए और सत्कर्म,ज्ञान और भक्ति में असंतोष रखना चाहिए क्योंकि सत्कर्म,ज्ञान और भक्ति अनंत है इनमें अति होती ही नहीं है।
  • इसलिए सुदृढ़ संकल्प शक्ति,विवेक से काम लेकर हम आचरण करें तब लोभ,लालच हमें आकर्षित नहीं कर सकता है।
    सब कुछ हमारी रुचि,संस्कार,हमारी संकल्प शक्ति और मनोवृति पर निर्भर है।हमें लोभ से बचने के लिए अपने आपसे थोड़ा संघर्ष करना पड़ सकता है।लेकिन अंततः यदि हम सच्चाई,अच्छी नियत के साथ काम करें तो अंत में हम लोभ पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।लोभ की वृत्ति को छोड़ सकते हैं।अपने भले-बुरे,आगे-पीछे और परिणाम पर सोच-विचार कर अमल करें तो क्या नहीं हो सकता है? क्योंकि लोभ का अंत विनाशकारी होता है जबकि सात्त्विक वृत्ति में शुरू में थोड़ी तकलीफ होती है लेकिन अंत सुखदाई और अच्छा ही होता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में लालच का कारण क्या है? (What is cause of greed in hindi),प्रलोभन क्या है? (What is temptation?) के बारे में बताया गया है।
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