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What are Arguments in Favor and Opposition of Decline in Level of Education?

शिक्षा के स्तर में गिरावट के पक्ष और विपक्ष में क्या तर्क हैं? (What are Arguments in Favor and Opposition of Decline in Level of Education?):

  • शिक्षा के स्तर में गिरावट के पक्ष और विपक्ष में क्या तर्क हैं? (What are Arguments in Favor and Opposition of Decline in Level of Education?) के इस वीडियो में बताया गया है कि आधुनिक भारतीय शिक्षा के स्तर प्राचीन शिक्षा की तुलना में गिरावट वही है अथवा नहीं। वस्तुतः प्राचीन शिक्षा की हर हर बात अच्छी नहीं है तो आधुनिक शिक्षा की भी हर बात अच्छी नहीं है। वस्तुतः विवेकपूर्वक विचार करके प्राचीन शिक्षा की उन बातों को शामिल करना चाहिए जो अच्छी है तथा आधुनिक शिक्षा की उन बातों को निकाल देना चाहिए जो बालकों के विकास में अवरोधक है। वास्तविक शिक्षा वही है जिसमें प्रगतिशीलता,नवीनता तथा परिवर्तनशीलता जैसे तत्त्व होते हैं। इनके बिना शिक्षा मृतक के समान है। केवल पूर्वाग्रह,हठधर्मिता से निर्णय नहीं लेना चाहिए।

what are the arguments in favor and opposition of decline in the level of education in hindi

 

via https://youtu.be/ILbZV82B9zo

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2.शिक्षा के स्तर में गिरावट के पक्ष और विपक्ष में क्या तर्क हैं? (What are Arguments in Favor and Opposition of Decline in Level of Education?):

  • शिक्षा के स्तर की कसौटी यह है कि वह हमारे वर्तमान जीवन (लोक) तथा आगामी जीवन (परलोक) की आवश्यकता की पूर्ति करती हो।कई विद्वानों का विचार है कि शिक्षा के स्तर का वस्तुगत मूल्यांकन अर्थात् वास्तविक मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है।शिक्षा के स्तर में गिरावट निम्न कारणों से स्वीकार नहीं करते हैंः
  • प्रथम कारण यह कि कुछ विषयों का ज्ञान कम हुआ है तो कुछ का बढ़ा है।जैसे आध्यात्मिक विषयों के ज्ञान में कमी हुई है तो सिनेमा,अंतरराष्ट्रीय घटनाओं,राजनीतिक घटनाओं,क्रिकेट तथा अन्य खेलकूद,वैज्ञानिक तथ्य इत्यादि के ज्ञान में वृद्धि हुई है।आधुनिक काल में यही उनके लिए अधिक उपयोगी है।
  • दूसरा कारणःउच्च घरों के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे परन्तु निम्न व शूद्र जाति के विद्यार्थी अध्ययन नहीं करते थे किन्हीं भी कारणों से।परंतु आज अधिकांश विद्यार्थी सामान्य अथवा निम्न वर्ग,निम्न सांस्कृतिक परिवारों से पढ़ रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं।निम्न वर्ग के परिवारों को उच्च शिक्षा स्तर प्राप्त करने में समय लगेगा इसलिए शिक्षा के स्तर में गिरावट दिखाई दे रही है।
  • तीसरा कारण है शिक्षा के स्तर की तुलना स्वतंत्रता और प्रजातंत्र के पूर्व से की जाती है।इस प्रकार कल के स्तर से आज की स्तर की तुलना करके गिरा हुआ बताना और उस पर आंसू बहाते रहना व्यर्थ है।
  • चौथा कारण हमारी मान्यताएं यथार्थ आधारों पर आधारित नहीं है।
  • पांचवा कारणः पहले की अपेक्षा आज विभिन्न विषयों की मात्रा में विकास हुआ है।उसमें गुणात्मक वृद्धि हुई है या नहीं इसका स्पष्ट प्रमाण नहीं है।
  • शिक्षा के स्तर में गिरावट के पक्ष में निम्न तर्क दिए जाते हैंः
    शिक्षा अन्य क्षेत्रों से इस प्रकार से संबंधित है कि शिक्षा के स्तर में वृद्धि या गिरावट का सभी क्षेत्रों में फर्क पड़ता है।शिक्षा हमें जीने का ढंग सीखाती है।
  • शिक्षा का वास्तविक अर्थात् वस्तुगत मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है इसका यह मतलब नहीं है कि उसका मूल्यांकन किया ही नहीं जा सकता है।लोगों द्वारा दया,धर्म का पालन,सत्य,अहिंसा,शिष्टाचार का पालन,बड़ों का आदर-सम्मान जैसों कई पहलुओं के आधार पर मूल्यांकन किया जा सकता है।बहुत से ऐसे विषय हैं जैसे मनोविज्ञान,समाजशास्त्र जिनका मूल्यांकन किया जाता है।यदि इसका मूल्यांकन किया ही नहीं जाएगा तो यह कैसे ज्ञात होगा कि हमारा विकास हो रहा है या पतन हो रहा है।
  • यह ठीक है कि भौतिक जगत के विषय जैसे सिनेमा,राजनीति,खेलकूद,वैज्ञानिक तथ्यों के विषयों के ज्ञान में वृद्धि हुई है परन्तु यह कहना कि आधुनिक काल में यही उनके लिए उपयोगी है इसलिए उचित नहीं क्योंकि आध्यात्मिक मूल्य यथा सत्य,धर्माचरण,भाईचारा,सहिष्णुता,सहयोग,साधना को जीवन में अपनाने से आत्मिक संतुष्टि प्राप्त होती है।मात्र भौतिक उन्नति और धनोपार्जन से आत्मिक संतुष्टि प्राप्त नहीं हो सकती है।
  • ह ठीक है कि पहले उच्च घरों के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे परंतु शिक्षा एक व्यापक अर्थ रखने वाला शब्द है।शिक्षण की प्राप्ति विद्यालय,घर,परिवार से ही अर्जित नहीं की जाती है बल्कि समाज,मित्रों,विभिन्न संगठनों व अन्य कारणों से भी अर्जित की जाती है।पूर्व में प्रत्येक घर में वृद्ध व्यक्तियों द्वारा कहानियों के द्वारा धर्म,अध्यात्म की शिक्षा दी जाती थी।अतः आध्यात्मिक,नैतिक गुणों का सहज ही साक्षरता के बिना विकास हो जाता था।
  • शिक्षा के स्तर की तुलना स्वतंत्रता से पूर्व शिक्षा के स्तर से नहीं करेंगे तो फिर शिक्षा के स्तर का मापदण्ड क्या होगा? आखिर हम जिस आदर्श को प्राप्त कर चुके थे उसी से तुलना करने पर हमें मालूम होगा कि हमारा विकास हो रहा है या पतन।
    शिक्षा का स्तर यथार्थ के आधार पर किया जाता है आज भी ऐसे गुरुकुल है जो विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करते हैं।उन गुरुकुलों की तरफ इस भौतिकवादी युग में यदि वर्तमान शिक्षा ही श्रेष्ठ है तो क्यों आकर्षित हो रहे हैं तथा क्यों शिक्षा अर्जित कर रहे हैं?
  • पूर्व की अपेक्षा विषयों में गुणात्मक वृद्धि नहीं हुई है।पूर्व में जिन आदर्शों की शिक्षा दी जाती थी वे विषय गायब हो गए हैं उनकी जगह अर्थशास्त्र,इतिहास,भूगोल,विज्ञान,गणित जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं।यह ठीक है इन विषयों को आत्मनिर्भर होने के लिए पढ़ाया जाए परंतु धर्म,अध्यात्म वाले विषयों को भी पढ़ाया जाना चाहिए जिससे बच्चों में पूर्णता आ सके।
  • समीक्षाःआज सफलता का एक मात्र मापदण्ड परीक्षाफल रह गया है।विद्यार्थी,अभिभावक व शिक्षा संस्थानों की नजर केवल परीक्षा परिणाम पर टिकी रहती है।जिसका परिणाम ठीक है वह विद्यार्थी,शिक्षा संस्थान व अध्यापक ठीक है,अच्छा है।यदि विद्यार्थी,अध्यापक और माता-पिता अपने काम के प्रति (कर्त्तव्य) जिम्मेदारी बरतें तो शिक्षा में गुणात्मक परिवर्तन आ सकता है।
  • उपर्युक्त वीडियो में शिक्षा के स्तर में गिरावट के पक्ष और विपक्ष में क्या तर्क हैं? (What are Arguments in Favor and Opposition of Decline in Level of Education?) के बारे में बताया गया है।
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